खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:42

खिलोना पार्ट--9

"मा जी की ऐसी हालत के कारण आप काफ़ी परेशान रहते है ना."

"हा,वो तो है पर मैं उसे बहुत चाहता हू.",उन्होने उसके नर्म होंठो पे अपनी 1 उंगली फिराई,"अभी हम दोनो ने जो किया उसके बाद तुम्हे लग रहा होगा कि मैं यू ही कह रहा हू पर ऐसा नही है,मैं सच मे सुमित्रा को बहुत चाहता हू."

रीमा को होतो मे सिहरन महसूस हुई तो उसने आँखे बंद कर ली,"ऐसा मत सोचिए,मैं समझती हू आपकी बात."उसने वीरेन्द्रा जी की हथेली चूम ली.उन्होने उसे उपर खींच उसका चेहरा अपने चेहरे के करीब कर लिया.अब रीमा की छातिया उसके ससुर के सीने पे दबी थी & वाहा के बालो का गुदगुदाता एहसास उसे बहुत भला लग रहा था.

"मा जी की बीमारी का कारण तो डॉक्टर साहब ने मुझे समझाया था पर उन्हे कोई तनाव भी था क्या जिसकी वजह से बीमारी ने ये रूप इकतियार कर लिया?",वो अपनी उंगलियो से उनके निपल के गिर्द दायरा बना रही थी & विरेन्द्र जी 1 हाथ उसके बदन के गिर्द लपेट उसकी गंद सहला रहे थे & दूसरे से उसके मासूम चेहरे को.

"पता नही,रीमा मेरे सुखी परिवार को किस की नज़र लग गयी!लोग कहते थे कि मेरे 2 बेटे हैं & मैं कितना किस्मतवाला हू.पर तक़दीर का खेल देखो 1 बेटा जो मेरे साथ रहना चाहता था,उसे मैने खुद अपने से दूर कर दिया & दूसरा खुद हमसे दूर चला गया."

"आप शेखर भाय्या की बात कर रहे हैं क्या?पर वो तो यही हैं,कहा दूर हैं आपसे?",उसने अपने ससुर के गाल पे बड़े प्यार से चूमा,उनके हाथ अब उसकी गंद को थोड़ा और ज़ोर से दबा रहे थे.

"मैं दिलो की दूरी की बात कर रहा हू.इस लड़के को हमने इतना प्यार दिया,जहा तक हो सका इसकी हर ख्वाहिश पूरी की पर ना जाने क्यों ये इतना मतलबी हो गया.",उन्होने उसकी गंद की दरार मे 1 उंगली घुसा के फिराया तो रीमा ने चिहुनक के अपनी जाँघ उनके उपर चढ़ा दी.

"1 आम इंसान इंसान के पास गैरत की दौलत होती है & मेरे पास भी वही है,रीमा.बाप-दादा की थोड़ी बहुत दौलत है पर मैने तो सिर्फ़ इज़्ज़त कमाई है जिसे शेखर ने धूल मे मिलाने की पूरी कोशिश की है."

"क्या?!ऐसा क्या किया है भाय्या ने?"

"उसे बिज़्नेस करना था,मैं पैसे देने को तैय्यार था पर उसे केवल पैसा नही मेरे ओहदे का ग़लत इस्तेमाल भी चाहिए था.मैने इस के लिए मना कर दिया तो आए दिन घर मे हम दोनो के बीच बहस होने लगी.शायद इसी बात ने सुमित्रा को तनाव पहुँचाया & वो आज ऐसे पड़ी है."

"भाय्या को देख कर तो ऐसा बिल्कुल नही लगता कि वो इतने मतलबी हैं."

"मैं जानता हू,रीमा.पर तुम्ही बताओ कि अगर शेखर 1 शरीफ लड़का है तो आख़िर मीना ने,जिसने अपनी पसंद से शेखर से शादी की थी,उसे क्यू छ्चोड़ दिया?"

"क्यू छ्चोड़ा?",रीमा फिर से मस्त होने लगी थी,उसके ससुर जितनी संजीदा बातें कर रहे थे उनके हाथ उतनी ही संजीदगी से उसकी भारी गंद को मसल रहे थे.उन्होने ने उसका हाथ अपने चेहरे से हटाया & पकड़ कर अपने लंड पे रख दिया तो शर्मा के रीमा ने अपना हाथ खींच लिया.उन्होने दुबारा उसका हाथ अपने लंड पे दबा दिया & तब तक दबाए रखा जब तक रीमा ने अपने हाथ से लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू नही कर दिया.पहली बार उसने रवि के अलावा किसी और मर्द का लंड अपने हाथो मे लिया था,शर्म से उसने अपना चेहरा विरेन्द्र जी की गर्दन मे च्छूपा लिया.

"मीना & शेखर 1 दूसरे को कॉलेज के दीनो से जानते था.उसके पिता एस.के.आहूजा इस शहर के बहुत जाने-माने बिज़्नेसमॅन हैं.आहूजा साहब ने जब सुना की उनकी लड़की शेखर से शादी करना चाहती है तो वो फ़ौरन तैय्यार हो गये,केवल इसलिए क्यूंकी शेखर मेरा बेटा था,उस इंसान का जिसकी ईमानदारी & ग़ैरतमंदी की लोग मिसाल देते हैं."

"..पर इस नालयक ने शादी के बाद मीना को परेशान करना शुरू कर दिया,उस से कहने लगा कि अपने बाप से उसके लिए पैसे माँग के लाए.मीना 1 खुद्दार लड़की थी,फ़ौरन तलाक़ दे दिया इसे."

"ओह्ह..",तो ये बात थी.उसका जेठ इतना दूध का धुला नही था जितना वो खुद को दिखाता था.

विरेन्द्र जी ने उसका चेहरा अपनी गर्दन से उठाया & अपनी 1 उंगली को अपने होटो से चूम कर पहले उसके होटो पे रखा & फिर उसके हाथो मे क़ैद अपने लंड की नोक पे.रीमा उनका इशारा समझ गयी,वो चाहते थे कि वो उनके लंड को अपने मुँह मे ले.शर्म से 1 बार फिर उसने अपना चेहरा उनके सीने मे दफ़्न कर दिया.विरेन्द्र जी ने उसका चेहरा उपर उठाया & मिन्नत भरी नज़रो से उसे देखा पर रीमा ने शर्म से इनकार मे सर हिला दिया.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:43

विरेन्द्र जी उसे छ्चोड़ उठ के पलंग के हेडबोर्ड से टेक लगा के बैठ गये.अब रीमा उनकी बगल मे लेटी थी,उन्होने उसे उठाया & अपनी टाँगो के बीच लिटा दिया.अब रीमा अपने पेट के बल अपनी कोहनियो पे उनकी टाँगो के बीच लेटी थी & उनका पूरी तरह से तना हुआ लंड उसके गुलाबी होटो से बस कुच्छ इंच की दूरी पे था.रीमा समझ गयी कि आज वो उसके मुँह मे इस राक्षस को घुसाए बिना नही मानेंगे.

विरेन्द्र जी ने उसकी ठुड्डी पकड़ी & अपने लंड की नोक को उसके होटो से सटा दिया,रीमा ने शर्मा के मुँह फेर लिया.उन्होने फिर से उसका चेहरा सीधा किया & वही हरकत दोहराई,रीमा ने फिर मुँह फेरना चाहा तो उन्होने उसके सर को दोनो हाथो मे थाम उसकी कोशिश नाकाम कर दी & लंड फिर होटो से सटा दिया.रीमा समझ गयी थी कि वो उस से बिना लंड चुस्वाए मानेंगे नही.उसने सूपदे को हल्के से चूम लिया.

"आहह..",विरेन्द्र जी की आँखे मज़े मे बंद हो गयी.उसने उनके लंड को पकड़ा & उसके मत्थे को हल्के-2 चूमने लगी.विरेन्द्र जी उसके सर को पकड़ उसके बालो मे उंगलिया फिराने लगे.रीमा ने ज़िंदगी मे पहली बार इतना बड़ा लंड देखा था.उसे उसके साथ खेलने मे काफ़ी मज़ा आ रहा था.वो कभी उसके छेद को अपनी जीभ से छेड़ती तो कभी केवल लंड के मत्थे को अपने मुँह मे भर इतनी ज़ोर से चुस्ती की उसके ससुर की आह निकल जाती.

उसने जीभ की नोक से लंड के सिरे से लेके जड़ तक चॅटा & फिर जड़ से लेके नोक तक.फिर उनके अंदो को पकड़ अपने हाथो से दबा दिया,विरेन्द्र जी आँखे बंद किए बस उसकी हर्कतो का लुत्फ़ उठा रहे थे.आज से पहले इतनी मस्ती से किसी ने उनके लंड को नही चूसा था,सुमित्रा जी ने भी नही.

वो बेताबी से अपनी बहू के सर को अपने लंड पे दबाने लगे तो उसने लंड को मुँह मे भरे हुए उनकी ओर शिकायत भरी निगाहो से देखा.उन्होने माफी माँगते हुए अपनी पकड़ ढीली कर दी.रीमा ने उनके लंड को पकड़ अब उनके अंदो को मुँह मे भर लिया तो वीरेंद्र जी आह भरते हुए अपनी कमर बेचैनी से उचकाने लगे.जब रीमा रवि का लंड मुँह मे लेती तो थोड़ी देर चूसने के बाद वो लंड छ्चोड़ उसके बदन के साथ कोई और मस्ती भरी छेड़-खानी शुरू कर देती.पर आज तो ये लंड छ्चोड़ने का उसका दिल ही नही कर रहा था.उसने सोच लिया था कि जब तक इस लंड को अपने मुँह मे नही झाद्वाएगी तब तक इसे नही छ्चोड़ेगी.

रीमा ने उनके अंडे अपने मुँह से निकाल & उन्हे अपने हाथो मे भर लिया & अपने ससुर की नज़र से नज़र मिलाती हुई 1 बार फिर लंड को अपने मुँह मे भर लिया,उसकी जीभ लंड पे बड़ी तेज़ी से घूम रही थी.विरेन्द्र जी अब खुद को रोक नही पा रहे थे,उन्होने रीमा का सर पकड़ा & उसे अपने लंड पे दबाते हुए नीचे से कमर ऐसे हिलाने लगे मानो उसके मुँह को चोद रहे हो.रीमा ने अपने हाथो से उनके लंड को हिलाते हुए अपने मुँह मे आधा लंड भर लिया & अपनी जीभ उस पे चलते हुए चूसने लगी.

विरेन्द्र जी उसकी इस हरकत से बेकाबू हो गये & उसके सर को पकड़ उसपे झुक,उसके सर को चूमने की कोशिश करते हुए,नीचे से अपनी कमर हिलाते हुए उसके मुँह मे झाड़ गये.रीमा ने फ़ौरन उनके पानी को गटक लिया.लंड मुँह से निकाला तो वो अभी भी अपना गरम लावा उगल रहा था,उसने अपनी जीभ से सारा पानी अपने हलक मे उतार लिया.ससुर के झाडे लंड को हाथो मे ले उसने चाट-2 कर पूरा सॉफ कर दिया & फिर उनकी ओर देखा.

वीरेंद्र जी ने खींच कर उसे उठाया & अपनी बाहों मे भर उसके चेहरे पे किस्सस की झड़ी लगा दी.

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पर्दे से छन कर आती रोशनी रीमा के चेहरे पे पड़ी तो उसकी आँख खुली.उसने देखा कि वो अपने ससुर के बिस्तर पे उनके साथ नंगी पड़ी है.उसके ससुर की बाँह उसके सीने पे & उनकी टांग उसकी कमर के उपर पड़ी थी.कल रात उन्होने उसे 2 बार और चोदा था.अपने ससुर के साथ खुद को इस हाल मे देख उसे शर्म आ गयी.वो उनसे अलग हो उठने लगी तो उनकी आँख खुल गयी & वो उसे अपने आगोश मे खींचने लगे.

"छ्चोड़िए ना.उठिए,जाकर तैय्यार होइए,दफ़्तर नही जाना है?",उसने उन्हे परे धकेला.

"सोचता हू,आज छुट्टी कर लू.",उन्होने उसे खींच उसकी गर्दन चूम ली.

"बिल्कुल नही,उठिए.जाकर नहाइए.गणेश काम करने आता ही होगा.",रीमा उनकी पकड़ से निकल बिस्तर से उतर खड़ी हो गयी.

"अरे ये तो पहेन्ति जाओ.",उसके ससुर ने उसकी कमर मे हाथ डाल उसे खींचा & कल रात उतरी हुई नेवेल रिंग उसकी नाभि मे पहनाने लगे.रीमा ने मस्ती मे आँखे बंद कर ली & उनका सर पकड़ लिया.रिंग पहना जैसे ही उन्होने उसके पेट को चूमते हुए उसकी गंद दबाई,वो जैसे नींद से जागी,"जाइए जाकर नहाइए.",उसने उन्हे परे धकेला & अपने कपड़े उठा हँसती हुई वाहा से भाग गयी.

दफ़्तर जाने से पहले विरेन्द्र जी ने उसे पकड़ने की काफ़ी कोशिश की पर रीमा ने हर बार उन्हे चकमा दे दिया.दोपहर को जब वो खाना खाने आए तो गणेश फिर वाहा मुजूद था & वो मन मसोसते हुए खा कर वापस दफ़्तर चले गये.

रीमा अपना समान ठीक कर रही थी.जब यहा आई थी तो उसने सोचा था कि दसेक दिन से ज़्यादा वो यहा नही रह पाएगी & उसने अपना सारा समान खोला भी नही था,बस काम लायक कपड़े बाहर निकाले थे.पर अब तो हालात बिल्कुल बदल गये थे.उसने आज अपना सारा समान खोल अलमारी मे रखने का फ़ैसला किया था बस रवि के समान का 1 बक्सा उसने वैसे ही बंद छ्चोड़ दिया था.

उसके बिस्तर पे उसके कपड़े फैले थे.शादी से पहले तो वो बस सारी या सलवार-कमीज़ पहनती थी पर शादी के बाद रवि ने उसे हर तरह के कपड़े खरीद के दिए-स्कर्ट्स,जीन्स,शर्ट्स,टॉप्स,ड्रेसस-वो उसे हर लिबास मे देखना चाहता था.उसने 4-5 मिनी-स्कर्ट्स & शॉर्ट्स को उठा अलमारी के शेल्फ मे रखा.ये स्कर्ट्स & शॉर्ट्स & बाकी छ्होटे कपड़े वो केवल घर मे पहनती थी & रेकॉर्ड था कि अगर रवि घर मे होता तो 15 मिनिट मे ही उतार दी जाती.शुरू मे तो उसे घर मे भी ऐसे कपड़े पहनने मे शर्म आती थी पर बाद मे वो रवि के साथ बाहर जाते वक़्त घुटनो तक की ड्रेसस या स्कर्ट्स पहनने लगी थी.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:44

थोड़ी ही देर मे लगभग सारे कपड़े करीने से अलमारी मे सजे हुए थे.तभी बाहर विरेन्द्र जी की कार रुकने की आवाज़ आई तो उसने आकर दरवाज़ा खोल दिया & फिर अपने कमरे मे लौट कर 1-2 बचे खुचे कपड़े रखने लगी.

"क्या कर रही हो?",उसके ससुर ने उसे पीछे से अपनी मज़बूत बाहो मे भर लिया & उसकी गर्दन चूमने लगे.

"छ्चोड़िए ना.देखते नही कपड़े रख रही हू."

"ये क्या है?",उन्होने पास मे पड़ी 1 स्कर्ट उठा ली,"ये तुम्हारा है?"

रीमा ने हा मे सर हिलाया.

"ह्म्म.चलो ये पहन कर आज घूमने चलो."

"पागल हो गये हैं."

"क्यू?ये तुम पहनती हो ना.तो आज ये स्कर्ट & ये शर्ट पहन घूमने चलो."

"लेकिन-"

"लेकिन-वेकीन कुच्छ नही.तैय्यार हो जाओ.अगर सुमित्रा की चिंता कर रही हो तो ज़्यादा परेशान मत हो.जब तुम यहा नही थी तो कितनी ही बार मुझे उसे अकेले छ्चोड़ कर काम के लिए जाना पड़ा है.उसे खाना खिला दो & दवाएँ दे दो & फिर तैय्यार हो जाओ."

थोड़ी देर बाद रीमा घुटनो तक की गहरी नीली स्कर्ट & आधे बाज़ू की सिल्क की सफेद शर्ट मे अपने ससुर के सामने थी.विरेन्द्र जी कुच्छ देर उसे सर से पाँव तक निहारते रहे & फिर उसे चूम लिया,"बाहर जाना ज़रूरी है क्या?"

"हा,ज़रूरी है.घर मे बैठे बोर नही होती तुम.चलो आज तुम्हे फिल्म दिखा लाऊँ.इसी बहाने आज अरसे बाद मैं भी सिनिमा हॉल की शक्ल देखूँगा.",विरेन्द्र जी ने थोड़े नाटकिया ढंग से ये बात कही तो रीमा को हँसी आ गयी.

थियेटर की सबसे आखरी रो की कोने की सीट्स पे दोनो बैठे थे.हॉल मे कुच्छ ज़्यादा भीड़ नही थी & उनके बगल की 4 सीट्स खाली पड़ी थी & उसके बाद 1 प्रेमी जोड़ा बैठा था जो अपने मे ही मगन था.लाइट्स ऑफ होते ही विरेन्द्र जी ने अपनी बाँह रीमा के कंधे पे डाल दी & उसे अपने पास खींच लिया,"क्या कर रहे हैं?कोई देख लेगा?"

"यहा देखने के लिए नही वाहा देखने के लिए लोगो ने टिकेट खरीदे हैं.",विरेन्द्र जी ने पर्दे की तरफ इशारा किया तो रीमा हंस दी.

"ओवव..."

"क्या हुआ?"

"ये हत्था पेट मे चुभ गया."

"अच्छा.",विरेन्द्र जी ने दोनो के बीच के कुर्सी के हत्थे को उपर उठा दिया,अब रीमा उनसे बिल्कुल सॅट के बैठी थी & वो उसे बाहो मे भर चूम रहे थे.रीमा भी उनकी किस का मज़ा लेते हुए उनके सर & पीठ को सहला रही थी.

चूमते हुए विरेन्द्र जी ने अपना 1 हाथ उसके घुटने पे रख दिया,रीमा समझ गयी की उनका इरादा क्या है & उनका हाथ वाहा से हटाने लगी.उसे डर लग रहा था की कही कोई देख ना ले.पर विरेन्द्र जी ने उसकी नही चलने दी उनका हाथ घुटने को सहलाता हुए उसकी स्कर्ट के नादर घुस उसकी मलाई जैसी चिकनी जंघे सहलाने लगा.

रीमा ने मस्ती मे उनके हाथ को अपनी भरी जाँघो मे भींच लिया.विरेन्द्र जी उसके होटो को छ्चोड़ उसकी गर्दन को चूमने लगे.हाथ अब जाँघो को मसलना छ्चोड़ उसकी पॅंटी तक पहुँच गया था.रीमा की हालत खराब हो गयी,वो जानती थी की थोड़ी देर मे वो झाड़ जाएगी & उस वक़्त उसे कोई होश नही रहता.अगर झाड़ते वक़्त वो चीख़ने लगी तो हॉल मे बैठे लोग क्या सोचेंगे.पर साथ ही साथ इस डर की वजह से उसे ज़्यादा मज़ा भी आ रहा था.

विरेन्द्र जी ने उसकी पॅंटी के बगल से अपनी उंगली अंदर घुसते हुए उसके चूत मे डाल दी.रीमा चिहुनकि & अपनी आह अपने हलक मे ही दफ़्न कर दी.विरेन्द्र जी उसके होंठ चूमते हुए उंगली से उसकी चूत को ऐसे चोदने लगे की साथ ही साथ उसका दाना भी रगड़ खा रहा था.थोड़ी ही देर मे रीमा ने अपना चेहरा उनकी गर्दन मे छुपाया & वाहा पे अपनी आहें दबाती हुई झाड़ गयी.

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