खिलोना compleet

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raj..
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Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:46

पलंग पे रवि की 2 डाइयरीस पड़ी थी जिसमे उसके सैकड़ो फोन नॉस. & ईमेल आइड्स & ऐसे और उसके काम से संबंधित बाते लिखी थी.साथ मे था रवि का मोबाइल फोन & पर्स.ये दोनो चीज़े पोलीस ने नदी से निकली रवि की लाश से बरामद की थी & बाद मे रीमा के हवाले कर दिया था.मोबाइल फोन तो पानी घुसने से बिल्कुल बेकार हो चुका था.

ये चीज़े देख रीमा उदास हो उठी थी.मोबाइल उलटते-पलटते उसे ख़याल आया कि इस छ्होटी सी चीज़ पे दोनो ने कितनी प्यार & शरारत भरी बातें की थी.रवि तो फोन पे ही ऐसी-2 शरीर बातें करता की वो मस्त हो उठती & अपने बदन से खेलने लगती,जब होश आता तो वो शर्म से दोहरी हो जाती & अपने पति पे उसे गुस्सा आता पर गुस्से से कहीं,कहीं ज़्यादा प्यार.

रीमा की आँखो के कोने से आँसू की 2 बूंदे ढालाक गयी.तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा.उस दिन रवि ने किस-2 से बात की थी?रवि शहर से बाहर क्यू गया था वो भी उनकी अन्निवेर्सरि के दिन?क्या इसका सुराग उसे फोन की कॉल डीटेल्स से मिल सकता था?पर ये फोन तो बेकार हो चुका था...तो क्या हुआ..मोबाइल फोन सर्विस प्रवाइडर कंपनी से वो ये डेअतिल्स निकलवा सकती थी.हां!मौका मिलते ही वो ऐसा करेगी & आज..आज वो कैसे भी करके अपने ससुर & जेठ से रवि के बारे मे बात करेगी.

तभी बाहर विरेन्द्र जी के कार रुकने की आवाज़ आई,उसने अपनी आँखे पोन्छि & सारा समान उठा कर अलमारी के अंदर बंद किया & दरवाज़े की ओर बढ़ गयी.तभी 1 और कार के रुकने की आवाज़ आई.वो बाहर आई तो देखा कि उसके ससुर अपनी कार लॉक कर रहे हैं & उनके पीछे टॅक्सी से शेखर उतर रहा है.

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पूरी शाम रात के खाने तक उसके ससुर & जेठ 1 दूसरे की नज़र बचा कर उसे बाहो मे भरने की कोशिश करते रहे पर रीमा भी उनकी हर कोशिश नाकाम करती रही.उसे दोनो को तड़पाने मे बड़ा मज़ा आ रहा था.जब वो देखती की दोनो मे से 1 भी उसे तन्हा पा दबोच सकता है तो वो अपने कमरे मे घुस जाती.वो जानती थी की आज दोनो मे से किसी को,1 दूसरे के कारण,उसके कमरे मे घुसने की हिम्मत नही होगी.पर आख़िरकार दोनो ने उस से 1 दूसरे की मौजूदगी मे थोड़ी च्छेद-च्छाद कर ही ली.

हुआ यूँ की रात तीनो खाने की मेज़ पे बैठे थे.मेज़ के 1 सिरे पे जो अकेली कुर्सी थी,उसपे विरेन्द्र जी बैठे थे.उनके दाए हाथ वाली बगल की कुर्सी पे रीमा & रीमा के बगल वाली कुर्सी पे शेखर बैठा था.

सभी खामोशी से खाना खा रहे थे कि तभी रीमा को अपने बाएँ पैर पे कुच्छ महसूस हुआ-ये उसके ससुर का पाँव था.रीमा की तो हालत खराब हो गयी,अगर शेखर ने ये देख लिया तो क्या होगा?!उसने हल्के से अपना पैर अलग किया & उनके पैर पे उस से चपत लगा कर उनके पाँव को दूर कर दिया.पर विरेन्द्र जी कहा मानने वाले थे,उन्होने वही हरकत दोहराई & इस बार उनका पाँव उसके पाँव को सहलाता हुआ उसकी पिंडली पे आ गया & उसकी सारी मे घुस उसकी मखमली टाँग को सहलाने लगा.

रीमा ने आँख के कोने से देखा की शेखर खाने मे मगन है तो उसने मिन्नत भरी नज़र से अपनी ससुर को देखा & पैर अलग करने की कोशिश की पर उन्होने मज़बूती से उसकी टांग पे अपने पाँव का दबाव बनाए रखा & बहुत हल्के से 1 शरारत भरी मुस्कान उसकी तरफ फेंकी.

घबराई रीमा अभी ससुर के हमले से सहमी हुई थी कि तभी उसे अपनी दाई जाँघ पे अपने जेठ के बाए हाथ का एहसास हुआ.उसेन 1 हाथ हल्के से नीचे ले जा अपने ससुर की नज़र बच उसे हटाना चाहा पर शेखर भी बाप की तरह उसके जिस्म को छेड़ता रहा.बल्कि उसने तो हद ही कर दी.खाना खाते हुए बहुत धीरे से उसने उसकी सारी घुटनो तक खेंची & अपना हाथ घुसा उसकी जाँघ सहलाने लगा.

रीमा का तो घबराहट से बुरा हाल था पर उसके जिस्म को दोनो की च्छेद-च्छाद बहुत पसंद आरहि थी & उसकी चूत मे कुच्छ-कुच्छ होने लगा था.दोनो बाप-बेटे 1 दूसरे से अंजान उसकी टाँगो से खेल रहे थे & वो शर्म & डर से पानी-2 हो रही थी.जैसे-तैसे उसने खाना ख़त्म किया & झटके से उठ खड़ी हुई,उसके खड़े होते ही दोनो ने अपना पाँव & हाथ खींच लिया,"मैं पानी लेकर आती हू.",रीमा ने जग उठाया & किचन मे चली गयी.

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:47

"छ्चोड़िए ना!अभी नही.",अपनी सास का बिस्तर थी करती रीमा को विरेन्द्र जी ने पीछे से दबोचा तो वो छितक कर उनसे अलग हो गयी,"अभी भाय्या हैं घर मे.प्लीज़ आज नही."

"इतना डरती क्यू हो?उसे कुच्छ पता नही चलेगा.",उन्होने उसे गले से लगाया & उसकी गर्दन चूमने लगे.

"नही.आज नही.",रीमा कसमसाई.

"तो तुम्हारे कमरे मे चलते हैं."

"नही.",रीमा ने उन्हे परे धकेल दिया,"पागल हो गये हैं क्या?वाहा तो बिल्कुल नही,अगर भाय्या ने देख लिया तो मैं तो कहीं की ना रहूंगी!"

"तो ठीक है जब वो सो जाएगा तब तुम आ जाना,वरना मैं तुम्हारे कमरे मे आ जाऊँगा.",वो फिर उसके बदन से आ लगे.

"क्यू ज़िद करते हैं?छ्चोड़िए ना."अपनी सास के बिल्कुल बगल मे खड़ी हो अपने ससुर से लिपट कर उनसे किस करवाने मे रीमा को बहुत अजीब सा लग रहा था.

"पहले तुम वादा करो के शेखर के सोने के बाद तुम यहा आ जाओगी."

"ठीक है.पर आप भी वादा करिए की मुझे जितनी भी देर हो आप मेरे कमरे मे नही आएँगे."

"वादा किया.",कह के उन्होने रीमा का गाल चूम लिया.

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अपने कमरे मे आ रीमा ने सारी उतार कर नाइटी पहन ली.उसे प्यास लगी तो देखा की पलंग की साइड टेबल पे रखी बॉटल खाली है.वो बॉटल उठा पानी लेने किचन मे चली गयी.फ्रिड्ज से बॉटल निकाल उसने ग्लास मे पानी डाला & जैसे ही पी कर ग्लास रखा,उसे पीछे से किसी ने बाहो मे भर लिया.

वो चीखने ही वाली थी की 1 हाथ उसके मुँह पे आ गया,"श..!मैं हू,शेखर."

"क्या पागलपन कर रहे हैं?!पिताजी ने देख लिया तो.",शेखर ने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठो से लगा उसे खामोश कर दिया.वो चूमता हुआ उसे किचन से बाहर ले गया.रीमा डर गयी की अगर उसके ससुर अपने कमरे से बाहर आ गये तो.उसने छूटने की कोशिश की पर शेखर के होठ & बाहो की मज़बूर गिरफ़्त से बाहर नही निकल पाई.

शेखर उसे चूमता हुआ अपने कमरे मे ले आया & दरवाज़ा बंद कर उसी दरवाज़े से उसे उसने रीमा की पीठ अड़ा दी & उसके बदन को अपने बदन से दबा उसे पागलो की तरह चूमने लगा.

"प्लीज़...मत करिए...पिताजी हैं घर मे...",रीमा ने मस्ती से उखड़ती सांसो के बीच कहा.

"वो सो गये हैं.मैने खुद देखा है.तुम डरो मत,मैं हू ना.",शेखर ने उसकी नाइटी उठा उसकी बाई जाँघ को उठा लिया.अब वो अपने लंड से उसकी चूत पे धक्के लगा रहा था & उसकी जाँघ सहलाते हुए उसके होंठो का रस पे रहा था.उसकी इस हरकत ने रीमा को भी मस्ती मे ला दिया.वो भी उसके गिर्द बाहे लपेट उसके होंठो को चूमते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से लड़ाने लगी.

रीमा ने शेखर की शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसके हाथ उसकी पीठ पे फिसलने लगे.थोड़ी देर बाद उसने किस तोड़ी & शेखर की शर्ट को निकाल दिया.शेखर ने भी 1 हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोला & उसके कंधे से उसे सरका दिया.नाइटी 1 झटके मे ही नीचे ज़मीन पे पड़ी नज़र आई.

कमरे मे अंधेरा था & खिड़की से आती स्ट्रीट लाइट की रोशनी मे उसका बदन कुच्छ नुमाया & कुच्छ छिप रहा था & कुच्छ ज़्यादा ही नशीला लग रहा था.शेखर ने उसकी जाँघ को उठाए हुए उसे फिर चूमना शुरू कर दिया.दरवाज़े से लगी रीमा भी उसकी नंगी पीठ सहलाती उसका साथ देने लगी.

चूमते हुए शेखर नीचे उसकी गोरी गर्दन पे आया & कुच्छ देर वाहा बिताने के बाद नीचे उसकी छातियो पे झुक गया."ऊहह..!",रीमा ने अपना निचला होंठ अपने दन्तो तले दबा कर अपनी आ को रोका.उसके दिमाग़ के किसी कोने मे अभी भी ये ख़याल था कि कही उसके ससुर को उसके & शेखर के बीच के खेल का पता ना चल जाए.

शेखर की जीभ उसके निपल को छेड़ रही थी,निपल चाटते हुए उसने पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश की पर नाकाम रहा.रीमा ने मस्त हो अपनी कमर हिला उसके लंड मे रगड़ दी & उसके सर को अपनी छाती पे और भींच दिया.काफ़ी देर तक शेखर उसके सीने के उभारो को चूमता,चूस्ता रहा & वाहा अपने मुँह से उसने अपने बाप के बनाए निशानो मे थोड़ा और इज़ाफ़ा कर दिया.

फिर वो अपने घुटनो पे बैठ गया & उसकी बाई जाँघ को अपने हाथ से हटा अपने कंधे पे रख लिया.उसकी जीभ उसके नेवेल रिंग को छेड़ती हुई उसकी नाभि की गहराई मापने लगी.

"ऊन्नह...!",रीमा मस्ती से छट-पटाई & 1 हाथ अपने सर पे रख उसे पीछे झुका कर दूसरे हाथ से शेखर के सर के बालो को भींचती हुई उसके सर को अपने पेट पे दबा दिया.शेखर उसके गोल,सपाट पेट को चूमते हुए नीचे आने लगा.थोड़ी देर तक वो उसके निचले पेट को चूम रीमा को तड़पाता रहा जो चाह रही थी कि जल्द से जल्द वो अपनी लपलपाति जीभ उसकी चूत मे घुसा दे.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:48

रीमा ने परेशान हो उसका सर नीचे अपनी चूत की ओर धकेला तो शेखर ने उसकी बात मानते हुए उसकी गीली चूत मे अपनी जीभ घुसा दी.

"एयाया...अहह...!",रीमा खुशी & जोश से कराही.शेखर उसकी कंधे पे रखी जाँघ को शाहलाते हुए उसकी चूत छ्चोड़ उसकी चूत के पास के हिस्से & उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूमने लगा.चूमते हुए वो अपने होटो से वाहा पे ऐसे काटता जैसे की दांतो से काट रहा हो.रीमा तो बस हवा मे उड़ रही थी.

उसकी जाँघो की सैर करने के बाद शेखर की ज़बान वापस रीमा की चूत मे पहुँची & वाहा उसने उसके दाने के साथ जो छेड़ खानी की रीमा तो बस ये भूल ही गयी कि घर मे उसके ससुर भी मौजूद हैं जो उसके मुँह से निकलती बिंदास आहे सुन सकते हैं.अपने जेठ के सर को अपनी चूत पे भींच अपनी कमर बेचानी से हिलती बड़ी मुश्किल से अपनी टांगो पे खड़ी वो झाड़ गयी.

बैठहुए ही शेखर ने अपने शॉर्ट्स निकाल दिए.रीमा की टाँगो मे तो जैसे जान ही नही थी,वो निढाल हो गिरने ही वाली थी कि शेखर उसके जाँघ को कंधे से उतार खड़ा हुआ.उसने दोनो जंघे अपने हाथो मे उठाई & अपना लंड 1 ही झटके मे उसकी गीली चूत मे पेल दिया.

"आआ...आहह...!",रीमा ने अपनी बाहें उसके कंधे पे डाल उसकी गर्दन को लपेट लिया & उस से चिपक उस से चुदने लगी.शेखर उसकी जंघे थामे लंबे-2 धक्के लगाने लगा.हर धक्के पे रीमा का बदन दरवाज़े से टकरा रा था & धाप-धाप की आवाज़ हो रही थी.रीमा के दिमाग़ मे फिर ख़याल आया कि कही उसके ससुर ये आवाज़ ना सुन ले पर फिर मस्ती उसके दिमाग़ पे ऐसी हावी हुई की वो बस अपने जेठ की कमर पे टांगे लपेट उसके होंठो को चूमती उसके धक्को का मज़ा लेने लगी.

खड़े हो के चुदने से शेखर का लंड हर धक्के पे उसके दाने को भी बुरी तरह रगड़ रहा था & रीमा का हाल बुरा हो गया था.उसने शेखर की पीठ पे नाख़ून गढ़ा दिए & उसके कंधे पे अपने दाँत & झाड़ गयी.शेखर उसकी इस हरकत से कराह उठा & उसने कुच्छ ज़्यादा तेज़ धक्के मार कर अपने छ्होटे भाई की विधवा की चट को अपने पानी से भर दिया.

अपनी बाहो मे रीमा को वैसे ही उठाए हुए वो बिस्तर पे आ लेट गया.अब रीमा अपने जेठ के दोनो ओर टांगे फैलाए उसके सीने से अपनी छातिया दबाती उसके उपर लेटी थी.लेटते ही शेखर का सिकुदा लंड उसकी चूत से निकल गया.

दोनो 1 दूसरे के चेहरे को सहलाते 1 दूसरे के होटो को हल्के-2 चूम रहे थे,"ओह्ह्ह,रीमा!तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैने आज तक नही देखी & तुमसे जो सुकून मैने पाया है वो आज तक मुझे कभी नही मिला."

"झूठे!ऐसी बातें कितनी लड़कियो से कही हैं?",रीमा ने उसके गाल पे प्यार से चपत लगाई.

"तुम पहली हो,रीमा.सच मे!"

"अच्छा मीना भाभी को नही कहा था?वो तो इतनी सुंदर थी!मेरी समझ मे नही आता आपने उन्हे क्यू छ्चोड़ दिया?"

"मैने नही,उसने मुझे छ्चोड़ा रीमा.",शेखर उसकी गंद सहला रहा था.

"क्या?मगर क्यू?",रीमा उसके निपल को नाख़ून से छेड़ रही थी.

शेखर उसकी गंद सहलाता हुआ काफ़ी देर तक उसकी आँखो मे देखता रहा.फिर दूसरे हाथ से अपने सीने पे दबी उसकी छातियो मे से 1 को दबाने लगा,"मीना को मैं कॉलेज से जानता था & पसंद करता था पर कभी भी उस से प्यार का इज़हार नही किया था.हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे पर फिर भी मेरी हिम्मत नही होती थी."

रीमा ने महसूस किया कि उसकी गंद & चूची पे उसके जेठ के हाथ का दबाव और सख़्त हो रहा था.उसकी चूत मे फिर से खुजली शुरू होने लगी & निपल्स कड़े होने लगे,"फिर 1 दिन उसी ने मुझ से कहा तो मुझे तो जैसे जन्नत मिल गयी.",शेखर ने उसकी गंद की दरार से होते हुए उसकी चूत मे उंगली डाल दी.

"पर शादी के बाद मुझे असलियत पता चली.",रीमा को अपनी गंद पे शेखर के दोबारा तननाए लंड की दस्तक महसूस हुई.शेखर ने उसकी गंद को उठाया तो रीमा उसका इशारा समझ गयी.अपनी गंद उठा उसने हाथ पीछे ले जा अपने जेठ के खड़े लंड को पकड़ा & उसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया.

"ऊओन्नह...",वो अपने जेठ को पकड़ उसे चूमने लगी & कमर हिला उसे चोदने लगी.

"क्या आस...लिया..त पता च..अली?",आहों के बीच उसने पूचछा.

"मीना लेज़्बीयन थी.उसे लड़किया पसंद थी.",उसने उसके कंधे उठा अपने होंठ उसकी छाती से लगा दिए.

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