खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:54

अपनी चाह पूरा करने के लिए उसने स्लिप को 1 ही झटके मे उठा कर रीमा के बदन से अलग कर दिया,इस काम मे रीमा ने भी अपने हाथ उठाकर उसकी पूरी मदद की.चूचियाँ नंगी होते ही शेखर उनपे टूट पड़ा.उसकी गोलैईयों को अपने हाथो तले दबा & मसल कर उसने अपने होंठो से उन्हे जम कर चूमा & चूसा.रीमा मस्ती मे आँहे भरने लगी.शेखर उसके निपल्स को अपनी उंगलियो मे मसल जब उसकी पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश करता तो वो पागल हो उसके सर को पकड़ अपनी कमर उसकी गोद मे और दबा कर हिलने लगती.कोई 15 मिनिट तक उसकी चूचियो से खेलने के बाद शेखर ने रीमा से खड़े होने को कहा.

बैठे हुए उसने अपनी ट्रॅक पॅंट निकल दी & नंगा हो गया,"अपनी पॅंटी उतारो."

रीमा ने धीरे से अपनी पनटी उतार दी,अब उसकी चिकनी,गीली चूत ठीक उसके जेठ के चेहरे के सामने थी.शेखर ने उसकी गंद को हाथो मे भर अपने होठ उसकी चूत पे लगा दिए,"..आआआअहह....",रीमा कराह कर उसके सर को पकड़ च्चटपटाने लगी.

उसकी च्चटपटाहत से बेपरवाह शेखर उसकी चूत को चाटता रहा,उसकी जीभ किसी साँप की तरह रीमा के बिल मे आना-जाना कर उसे तडपा रही थी.रीमा की टाँगो मे तो जैसे जान ही नही बची थी.जैसे ही शेखर की जीभ ने उसके दाने को छेड़ा,वो झाड़ गयी & बस उसकी गोद मे गिर पड़ी.मुस्कुराते हुए शेखर ने उसकी गंद को उठाया & उसे अपने लंड पे बिठा लिया.

अब रीमा पानी चूत मे शेखर का लंड लिए उस से लिपटी बैठी थी,"आप बहुत बदमाश हैं.",उसने उसके कंधे पे हल्के से काट लिया.शेखर ने नीचे से हल्के-2 धक्के लगाने शुरू कर दिए.

"ऊन्णंह...",रीमा ने कराह कर उसके कंधे से सर उठाया & उसके चेहरे को हाथो मे ले उसकी आँखो मे झाँकने लगी,"कल फिर चले जा रहे हैं?यहा अकेले मैं कैसे रहती हू,पता है?",उसने बनावटी नाराज़गी से कहा.

"उम्म्म्म........बस यही सब कर मुझे चुप करा देते हैं..आनन्न..हह..",शेखर ने नीचे से थोड़े तेज़ धक्के लगा उसकी गंद मे 1 उंगली घुसा दी थी & साथ ही उसकी छाती को मुँह मे भर ज़ोर से चूस लिया था.

"जल्दी वापसा आऊंगा.",उसकी चूचिया दबाते हुए वो अभी भी उसकी गंद मे उंगली कर रहा था.

"1 बार भी मुझे यहा घुमाया नही है.बस घर मे पड़ी बोर होती रहती हू..कोई दोस्त भी तो नही है यहा मेरा.",उसने उसकी पीठ पे नाख़ून गाड़ते हुए उसके गाल को चूम लिया,"आपके तो यहा बहुत दोस्त होंगे ना?बचपन से आप & रवि यही रहे हैं."

"हां,बहुत दोस्त हैं.",शेखर का 1 हाथ उसके चेहरे को सहला रहा था.

"ह्म्‍म्म......",शेखर ने उसके गुलाबी होटो पे उंगली फिराई,"आप रवि के भी सभी दोस्तो को जानते होंगे?"

"हां...यहा तो सभी को जनता हू.",वो उसकी गर्दन सहलाता हुआ नीचे आ रहा था दूसरे हाथ की 1 उंगलीरीमा की गंद छेड़े जा रही थी.

"किसी शंतु को जानते थे?",1 पल को शेखर के बदन ने हरकत बंद कर दी पर वो तुरंत होश मे आया & फिर से उसके बदन से खेलने लगा.

"नही तो.क्यू?कौन है ये?",उसके लंड & उंगली की रफ़्तार बढ़ गयी थी.

"ऊऊ...हह.....पता नही.यू ही रवि की टेली....फोन डाइयरी पल..अट रा..आहह....रही थी की ये ना..आम..आअन्न्‍णणन्...न्नह...दिखा...अंजान नाम था...अभी ओईईईई....ख़याल आया तो आपसे ऐसे ही पूच्छ लिया....ऊऊुउउइईईईईई...!",शेखर के धक्के बहुत तेज़ हो गये थे & उसकी उंगली का छेड़ना भी,रीमा जोश मे पागल हो गयी.अपने जेठ को अपनी बाहो मे कस कमर हिला उसकी गोद मे उच्छलते हुई उसने अपने नाख़ून उसकी पीठ मे गढ़ा दिए & होठ उसकी गर्दन मे.शेखर भी उसे अपने आगोश मे भींच बस उसकी चूत & गांद को चोदे जा रहा था...रीमा के बदन मे बिजली दौड़ गयी & वो शेखर से चिपेट जोश मे पागल हो उसके कान मे जीभ फिराती हुई,बेचैनी से कमर हिलाती झाड़ गयी..तभी शेखर ने भी आह भरी & उसके सीने पे होंठ दबाए उसकी चूत मे अपना विर्य छ्चोड़ दिया.


raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:56

खिलोना पार्ट--14

"आननह...आननह..आननह...!",रीमा अपने ससुर के बिस्तर पे उनके नीचे पड़ी,उनके तेज़ धक्को का मज़ा ले रही थी,"हा..आन..हा..अन्न..ऐसे ही कर...इए..आहह.....पी..ताआआजीी..!",अपनी बाहो मे उन्हे भीच,उनसे चिपक कर वो झाड़ गयी & उसके साथ ही तेज़ साँसे भरते हुए वीरेन्द्रा जी ने भी उसकी चूत मे अपने लंड को खाली कर दिया. थोड़ी देर बाद अपनी बही की चूत से लंड निकाल उन्होने पलंग से उतार उसकी बगल मे रखी साइड टेबल से पानी की बॉटल उठा का अपने मुँह से लगा ली. रीमा करवट लेकर उनकी ओर देखने लगी,उस से कुच्छ ही दूरी पे उसके & उसके ससुर के रस से गीला विरेन्द्र जी का सिकुदा लंड लटक रहा था,उसने हाथ बढ़ा कर उसे थाम लिया & झांतो मे अपनी उंगलिया फ़िराने लगी,"आप रवि के जान-पहचान के किसी शंतु नाम के आदमी को जानते थे. "हा,क्यू?",विरेंड्रा जी अपनी बहू की इस गरम हरकत पे मुस्कुराए. "बस यू ही.रवि की टेलिफोन डाइयरी मे उसका नाम दिखा तो आपसे पुच्छ लिया.कौन है वो?",उसने उनके अंदो को अपने हाथो मे दबा लिया. "प्रशांत चौधरी.",विरेन्द्र जी पलंग पे चढ़ घुटनो के बल खड़े हो गये तो रीमा भी कोहनी पे उचक कर उठी & अपनी जीभ से लंड पे लगे पानी को सॉफ करने लगी.विरेन्द्र जी उसके बालो मे प्यार से हाथ फिराने लगा,"..रवि का सबसे अच्छा दोस्त.बचपन से ही शंतु बड़ा कमज़ोर & चुप-2 रहने वाला लड़का था.",रीमा ने लंड को मुँह मे भर उसे हिलाते हुए चूसना शुरू कर दिया,"..इस वजह से बाकी बच्चे उसे शांति कह के चिढ़ाते थे...उसकी कुच्छ हरकते भी लड़कियो जैसी थी." वीरेंद्र जी ने बिना लंड मुँह से निकाले रीमा को लिटाया & उसके उपर चढ़ 69 पोज़िशन मे आके,उसकी टाँगो के बीच अपना चेहरा दबा दिया,"उम्म्म...!",चूत पे ससुर की जीभ महसूस करते ही रीमा ने मस्ती मे अपने ससुर की गंद को भींच लिया & अपनी टाँगो मे उनके चेहरे को. "..पता नही कैसे रवि & उसकी दोस्ती हो गयी & उसके बाद रवि ने किसी को भी उसे शांति कह के नही चिढ़ाने दिया.शंतु नाम भी रवि ने ही उसे दिया था.",उसकी चूत से जीभ हटा वो उसकी अन्द्रुनि जाँघो को चूमने लगे तो रीमा बेचैन हो उनकी जीभ फिर से चूत के अंदर लेने के लिए अपनी कमर हिलने लगी. "..यही पार्क के कोने वाला मकान मे रहता था वो & अक्सर रवि & शेखर के साथ खेलने आया करता था.",वो अपनी बहू का इशारा समझ फिर से उसकी चूत मे अपनी ज़ुबानफिराने लगे,"..रवि और शंतु तो हमेशा साथ-2 नज़र आते थे,जब रवि पुणे गया तभी उनकी जोड़ी टूटी.",जीभ की जगह अब उंगली ने ले ली थी,"..फिर तो पता नही वो कहा गायब हो गया.मैने तो उसे पता नही कब्से नही देखा." अपने ससुर के साथ जिस्म का खेल खेलती रीमा अब पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी पर उस मदहोशी मे भी उसके दिमाग़ मे सवाल घूम रहे थे कि अभी थोड़ी देर पहले शेखर ने उस से झूठ क्यू बोला?..और ये शंतु आख़िर कौन था? पर उस रात वो इन सवालो के बारे मे और नही सोच पाई क्यूकी उसके ससुर अब 1 बार फिर उसके उपर चढ़ कर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा रहे थे. "क्या कर रहे हैं?!छ्चोड़िए नही तो आपकी फ्लाइट छूट जाएगी.",ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठी रीमा शेखर की बाहो मे कसमसा रही थी.सुबह के 10 बज रहे थे & कोई आधे घंटे पहले वीरेंद्र जी दफ़्तर जा चुके थे & थोड़ी देर मे शेखर को भी दिल्ली की फ्लाइट पकड़नी थी. "छूट जाने दो,अगली पकड़ लूँगा.",शेखर ने उसकी कमर को भींचते हुए उसके नर्म होटो पे अप[ने होंठ रख दिए.रीमा जानती थी कि उसके जिस्म की हवस मे अँधा हो शेखर बड़े आराम से ऐसा कर सकता है,पर इस से उसका मीना से मिलने का प्लान खटाई मे पड़ जाता & वो ये बिल्कुल नही चाहती थी. "पागल मत बानिए.चलिए छ्चोड़िए.",रीमा ने किस तोड़ उसकी छाती पे हाथ रख उसे परे धकेलने की कोशिश की. "इसके शांत हुए बिना कैसे जाऊं?",शेखर ने उसका हाथ पकड़ पॅंट मे क़ैद अपने लंड पे रख दिया.रीमा उसकी आँखो मे झाँक बड़ी अदा से मुस्कुराइ,उसे शेखर को भागने का रास्ता मिल गया था.उसने उसकी आँखो मे देखते हुए उसकी पॅंट की ज़िप खोली & उसका लंड निकाल अपने हाथ मे जाकड़ लिया. "आहह..!",शेखर ने आँखे बंद कर सोफे पे अपना सर टीका दिया.रीमा झुकी & उसके सूपदे को हौले से चूम लिया,शेखर के हाथ उसके बालो से खेलने लगे.कुच्छ देर तक वो सूपदे को हल्के-2 चूमते रही,फिर लंड को चूमते हुए उसकी जड़ तक आ गयी.उसने बारी-2 से उसके अंदो को अपने मुँह मे ले चूसना शुरू किया,साथ ही साथ वो अपने हाथ से लंड को हिला रही थी. शेखर तो पागल सा हो गया,रीमा का सर पकड़ उसने अपनी गोद मे दबा दिया & बेचैनी से अपनी कमर हिलाने लगा.रीमा ने उसके आंडो को आज़ाद किया & फिर जड़ से चूमते हुई सूपदे तक पहुँची & अपनी जीभ से लंड के छेद को छेड़ने लगी.शेखर का तो जोश से बुरा हाल था.उसने कमर उचका कर रीमा को लंड मुँह मे लेने का इशारा किया. रीमा ने नज़रे उठा कर शेखर की नज़रो से मिलाई & अपने होटो को लंड के गिर्द कस दिया.उसके मुँह के अंदर क़ैद शेखर के लंड पे कभी वो अपनी जीभ से वार करती तो कभी चुस्ती,उसकी उंगलिया उसकी झांतो मे घुस उसके आंडो को मसल रही थी.वो जानती थी की शेखर अब ज़्यादा नही रुक सकता,उसने 1 हाथ को आंडो पे बनाए रखा & दूसरे को लंड पे ला उसे हिलाते हुए चूसने लगी.शेखर इस तिहरे हमले को नही झेल पाया & उसके सर को जाकड़ अपनी कमर हिलाता हुआ उसके मुँह मे अपना विर्य छ्चोड़ने लगा.रीमा ने तुरंत उसका सारा पानी पी लिया & फिर लंड को मुँह से निकाल बचे हुए पानी को उसके सूपदे को चाट कर सॉफ कर दिया. शेखर उसे देखा मुस्कुराया & उठ कर बाथरूम चला गया.रीमा भी सोफे से टेक लगा के बैठ गयी.अपने जेठ के साथ खेले इस वासना के खेल ने उसे भी गरम कर दिया था पर उसने अपने जज़्बातो पे किसी तरह काबू किया हुआ था.तभी उसकी नज़र पास रखे शेखर के मोबाइल पे गयी,वो उसे उठा यू ही उलटने-पलटने लगी कि तभी उसके दिमाग़ मे 1 ख़याल कौंधा. उसने मोबाइल ऑन कर कॉंटॅक्ट्स लिस्ट मे जा सर्च ऑप्षन खोला & नाम एंटर किया 'प्रशांत चौधरी'-पर इस नाम से कोई भी नंबर सेव्ड नही था.उसने फिर कोशिश की & नाम डाला 'शंतु'.इस बार वो चौंक कर सोफे से खड़ी हो गयी.उसकी आँखो के सामने मोबाइल स्क्रीन पे शंतु का नाम & नंबर दिख रहे थे.तभी बाथरूम फ्लश करने की आवाज़ आई,रीमा जैसे नींद से जागी.उसने दौड़ के लॅंडलाइन फोन के बगल मे रखे पॅड पे कलाम से वो नंबर लिखा & उसे उल्टा रख दिया ताकि किसी की नज़र उस पे ना पड़े.फिर मोबाइल बंद किया & भाग कर सोफे पे आके अपनी जगह पे बैठ गयी & मोबाइल भी उसकी जगह पे रख दिया. -------------------------------------------------------------------------------

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 08:56

"मीना मेडम तो बाहर गयी हैं.",क्लाइव रोड की 55 नंबर. की कोठी के बाहर खड़े गार्ड ने उस से कहा तो रीमा परेशान सी हो गयी. "वैसे आपको उनसे क्या काम था मेडम?" "मैं उसकी सहेली हू.कई सालो से मिली नही थी,आज मौका लगा था तो सोचा था कि मिल लू." "आप 1 मिनिट रुकिये मैं बड़ी मेडम,उनकी मा से पुचहता हू.",वो इनेटरकों पे नंबर मिलाने लगा. "मा जी आपको अंदर बुला रही हैं.जाइए मिल लीजिए." रीमा ने टॅक्सी वाले को रुकने को कह गेट के अंदर कदमा रखा तो दंग रह गयी-बंग्लॉ सच मे किसी महल की तरह आलीशान था.गेट से 1 नौकर उसे अंदर ले जा रहा था.रीमा को ये डर भी था की गणेश उसे यहा ना देख ले,वो अपना काम कर यहा से तुरंत निकल जाना चाहती थी. "आओ बेटी,यहा बैठो.",ड्रॉयिंग हॉल के सोफे पे बैठी उस भले चेहरे वाली बहुत मोटी औरत ने अपने बगल के सोफे की ओर इशारा किया,"माफ़ करना मैने तुम्हे पहचाना नही.वैसे भी इस लड़की की इतनी सहेलिया हैं,मैं बूढ़ी कहा तक सबको याद रखू!" "नमस्ते आंटी,मेरा नाम रीमा है.बहुत दीनो बाद यहा आई हू.मीना बाहर गयी है क्या?" "हां,बेटा देखो ना आज घर मे किटी पार्टी है,इतने सारे काम पड़े हैं & ये लड़की ऑफीस देखने चली गयी है." "अंकल के ऑफीस?" "अरे नही.काश ऐसा होता तो तुम्हारे अंकल तो खुशी से पागल हो जाते.इस लड़की को इंटीरियर डेकरेटर बनने का भूत सवार हुआ है तो सूरी साहब के लड़के के साथ उसका बिज़्नेस शुरू कर रही है." "ये तो बहुत अच्छी खबर आपने सुनाई आंटी.तो कहा खोल रही है ऑफीस?",ये बतुनी औरत तो खुद ही रीमा का काम आसान कर रही थी. "वो अंगद टॉवेर है ना,वो हमारी ही बिल्डिंग है,उसके 4थ फ्लोर पे थोड़ी जगह खाली थी,वही तुम्हारे अंकल ने उसे दे दी है.वही गयी है,अभी ऑफीस मे काम चल रहा है ना,अगले हफ्ते ही इनएग्रेशन है." "तो मैं वही जाके उस से मिल लेती हू,आंटी?,रीमा खड़ी हो गयी. "अरे नही बेटा,तुम बैठो ना.मीना भी थोड़ी देर मे आ जाएगी फिर हमारी पार्टी के बाद जाना." "थॅंक्स,आंटी पर बहुत देर हो जाएगी...और ऑफीस जाऊंगी तो मीना भी चौंक उठेगी.अच्छा आंटी,नमस्ते." ------------------------------------------------------------------------------- थोड़ी देर बाद रीमा की टॅक्सी अंगद टॉवेर की पार्किंग मे खड़ी थी & वो लिफ्ट की ओर जा रही थी.वो तो अच्छा हुआ की आज वीरेंद्र जी लंच करने घर नही आ रहे थे & उसके पास पूरा वक़्त था.घर से निकलते वक़्त शेखर की कार पे नज़र पड़ी तो 1 ख़याल आया की उसे ही लेकर निकले पर फिर लगा की टॅक्सी ही बेहतर होगी.रीमा ने बॅंगलुर मे ही ड्राइविंग सीखी थी,रवि ने कहा था कि कुच्छ ही दीनो बाद वो कार खरीदेगा तो उसे भी वो चलाना आना चाहिए. तभी लिफ्ट का दरवाज़ा खुला तो वो ख़यालो से बाहर आई.चौथा माला खाली पड़ा हुआ था,कुच्छ दुकानो के शटर गिरे हुए थे बस लिफ्ट के बाई ओर 1 ऑफीस खुला था.उसने दोनो तरफ झाँका तो पाया की उसके दाएँ हाथ की तरफ गलियारे के अंत मे रोशनी जल रही है.वो उधर जाने लगी. यही था मीना का ऑफीस पर यहा तो कोई नही था.वो अंदर गयी तो देखा की ऑफीस तो लगभग तय्यार था बस सफाई का काम बाकी था.1 बड़े से हॉल मे कुच्छ वर्कस्टॅशन्स बने थे & दाई तरफ 2 कॅबिन्स थे,उसने दोनो को देखा तो पाया कि दोनो बंद थे.तभी उसके कानो मे किसी के हँसने की आवाज़ आई.आवाज़ ऑफीस के दूसरे कोने से आई थी,वो उस दिशा मे चली गयी. ऑफीस की बाई दीवार की पूरी लंबाई मे 1 हॉल बना था,उस हॉल मे घुसने का दरवाज़ा ऑफीस के मेन दरवाज़े के बाई ओर थोड़ी दूरी पे था.रीमा उसपे खटखटाने ही जा रही थी कि तभी अंदर से हँसने की आवाज़ आई पर ये पहले वाली आवाज़ से अलग थी,वो समझ गयी कि अंदर 2 लोग हैं-1 मर्द & 1 औरत-उनकी आवाज़ो से उसे ये अनदज़ा हो गया था की अंदर दोनो वही खेल खेल रहे हैं जिसकी वो खुद बहुत बड़ी दीवानी थी. कही मीना तो अंदर किसी के साथ नही है?रीमा ने सोचा की क्यू ना छुप के दोनो को देखा जाए,मगर कैसे?दरवाज़ा तो बंद था.उसने देखा की हॉल की बाहरी दीवार के दूसरी छ्होर पे भी 1 दरवाज़ा है.उस तक जा उसे खोला तो वो खुल गया.रीमा अंदर दाखिल हुई तो देखा कि वो कोई स्टोर रूम है पर उसमे 1 दरवाज़ा और है जिसमे आइ लेवेल पे 4इन्चX4इंच का छेद कटा है,शायद उसमे शीशा लगाना बाकी था. रीमा ने दबे पाँव जाकर उस छेद से झाँका.अंदर 1 डेस्क पे 1 खूबसूरत लड़की बैठी थी,उसने 1 टॉप पहन रखा था & 1 शायद घुटनो तक की स्कर्ट.स्कर्ट की लंबाई उसे इसलिए नही पता चल पाई क्यूकी उस लड़की की जाँघो के बीच 1 लंबा चौड़ा जवान मर्द उस से इस कदर चिपका खड़ा था कि स्कर्ट लड़की की कमर तक आ गयी थी & बस दोनो के जिस्मो के बीच फँस के रह गयी थी. दोनो 1 दूसरे को बाहों मे भरे बड़ी गर्मजोशी से 1 दूसरे को चूम रहे थे.रीमा ने गौर से देखा तो पाया कि वो लड़की और कोई नही मीना थी.मीना बहुत गरम हो चुकी थी,उसने उस लड़के की शर्ट को पॅंट से निकाला & हाथ अंदर घुसा उसकी पीठ सहलाने लगी.अपनी टाँगो को उसके गिर्द लपेट जैसे वो उस से ऐसे लिपटी थी जैसे की अलग होने से उसकी जान चली जाएगी. उस लड़के ने चूमते हुए उसका टॉप उठा दिया & उसकी ब्रा मे क़ैद चूचिया मसल्ने लगा,फिर उसके ब्रा के कप्स उपर कर उनको आज़ाद कर दिया.

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