खिलोना compleet
Re: खिलोना
बड़ी मस्त चूचिया थी मीना कि!रीमा भी मन ही मन उनक तारीफ किए बिना नही रह सकी,वो उसके जितनी बड़ी नही थी पर इतनी छ्होटी भी नही थी,चूचियो के सिरे पे 2 भूरे रंग के कड़े निपल्स चमक रहे थे.वो लड़का मीना को चूमते हुए उसके उभारो को अपने हाथो मे भर दबा रहा था. मीना ने अपने हाथ उसकी पीठ से हटा दिए & उन्हे अपने जिस्मो के बीच ला लड़के के पेट पे ले गयी.रीमा समझ गयी की अब वो उसकी पॅंट खोलेगी & ऐसा ही हुआ.पॅंट लड़के के टख़नो के गिर्द पड़ी थी.मीना किस तोड़ डेस्क से उतरी & ज़मीन पे अपने घुटनो पे बैठ उसके लंड को थाम लिया.दोनो ऐसे खड़े थे कि रीमा उन्हे साइड से देख रही थी.लड़के का लंड 6 इंच का तो होगा ही..उसने अंदाज़ा लगा..पर कितना मोटा था!उफ़फ्फ़!..और उसके आस-पास 1 भी बॉल नही था,रीमा ने बिना झांट का लंड पहली बार देखा था. अब तो रीमा की चूत भी गीली होने लगी थी.रीमा ने अपनी जीन्स के बटन को ढीला किया & अपना हाथ अंदर अपनी पॅंटी मे घुसा अपनी चूत को समझाने की कोशिश करने लगी.मीना तो लंड पे किसी भूखे की तरह टूट पड़ी थी.पहले उसने लंड के आस-पास की चिकनी जगह को चूमा & फिर उसके लुन्द को मुँह मे भर अपनी जीभ उस पे चलाने लगी.वो लड़का उसके सर को था,उसका नाम लेते हुए आहें भरने लगा. मीना काफ़ी देर तक उसके लंड & आंडो को चूमती,चुस्ती & चाटती रही.रीमा ने अपनी चूत मे उंगली करते हुए लड़के के चेहरे को देखा,साफ ज़ाहिर था कि लड़का अब झाड़ जाएगा.उसने 1 झटके मे मीना को पकड़ कर उठाया & फिर से डेस्क पे बैठा दिया.1 पल को दोनो बस 1 दूसरे की आँखो मे झाँकते रहे,फिर लड़के ने उसकी स्कर्ट को कमर तक उठाया & खींच कर उसकी पॅंटी निकाल दी.रीमा ने देखा कि मीना की चूत भी उसकी तरह गुलाबी & बिना बालो के थी.लड़के ने 2 उंगलिया उसमे डाल के थोड़ी देर रगडी तो मीना आहें भरने लगी,चूत पूरी तरह से गीली थी.लड़के ने उंगलिया बाहर निकाली & मीना को देखते हुए मुस्कुरा के चाट ली.रीमा भी मुस्कुराइ & उसे अपनी ओर खींचा. लड़के उसकी टाँगो के बीच आया & उसकी जाँघो को उठा के अपनी बाहों मे फँसा लिया. "आऐईयईए....!",मीना चीखी क्यूकी लड़के ने 1 ही झटके मे उसकी चूत मे अपना पूरा लंड घुसा दिया था.दोनो 1 बार फिर 1 दूसरे से लिपट गये & चूमते हुए 1 दूसरे को चुदाई करने लगे.लड़का पूरा लंड बाहर निकलता & फिर पूरा का पूरा मीना की नाज़ुक चूत मे पेल देता.मीना तो बस उस से चिपकी उसे चूमती हुई धक्को का मज़ा ले रही थी. थोड़ी देर बाद लड़के ने रफ़्तार बढ़ा दी & मीना भी अपनी कमर कुच्छ ज़्यादा ही हिलाने लगी,रीमा समझ गयी कि अब दोनो झड़ने वाले हैं तो उसने अभी अपनी उंगली की रफ़्तार तेज़ कर दी.दोनो चिपते हुए थे & लड़का पागलो की तरह धक्के मार रहा था कि तभी मीना का बदन जैसे ऐंठने लगा.उसने लड़के होंठ छ्चोड़ दिए & उसकी गर्दन मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी,लड़का भी अचानक जैसे झटके खाने लगा & उसका नाम लेता हुए उसकी चूत मे झड़ने लगा.ठीक उसी वक़्त रीमा की उंगकी ने भी 1 आख़िरी बार उसके दाने को रगड़ & वो भी उन दोनो के साथ झाड़ गयी. रीमा ने अपनी जीन्स के बटन को वापस बंद किया & उस वक़्त उसके दिमाग़ मे बस 1 ही बात घूम रही थी कि अगर भगवान भी कहे कि मीना लेज़्बीयन है तो विश्वास नही करेगी.अभी जिस ग्रंजोशी & शिद्दत से उसने उसे उस लड़के के लंड के साथ खेलते & उस से चुद्ते देखा था-वो किसी ऐसी लड़की के बस की बात नही थी जो लड़को का नापसंद करती हो.उसने दोनो को संभालने का कुच्छ वक़्त दिया फिर स्टोर रूम से निकल वापस ऑफीस के मैं दरवाज़े पे आ गयी & वाहा नॉक कर थोडा ज़ोर से बोली,"कोई है?" थोड़ी देर बाद हॉल का दरवाज़ा खुला & वो लड़का बाहर निकला,"यस?" "हाई!मेरा नाम रीमा है & मैं मीना जी से मिलने आई हू." तभी हॉल के दरवाज़े से निकल उस लड़के के पीछे से मीना आ गयी. "हाई..तुम रीमा हो..रवि की-.." "हां,मैं वही हू." वो आगे आई & रीमा के दोनो हाथ पकड़ लिए,"आइ'एम सॉरी अबौट रवि...तुम यहा कैसे आ गयी...आओ बैठो ना?",हाथ पकड़ उसे 1 वर्कस्टेशन की कुर्सी खींच कर उसे बिठाया,जिसपे अभी तक पॅकिंग्स हीट लगी थी. "ओह्ह,मैने तुम दोनो का इंट्रोडक्षन नही कराया..ये करण सूरी हैं मेरे बिज़्नेस पार्ट्नर & ये रीमा है..रवि की वाइफ..",उसने रीमा की ओर देखा,"करण मेरे बारे मे सब जानता है,रीमा." "आप दोनो बाते कीजिए,मैं ज़रा कुच्छ काम देख कर आता हू.और हां अभी नीचे से कॉफी भी भिजवा रहा हू",कारण वहा से निकल गया.
Re: खिलोना
खिलोना पार्ट--15
"हां,अब बोलो.तुम पंचमहल कब आई?..& कब तक हो यहा? "कुच्छ ही दिन हुए हैं यहा आए हुए.मा जी को देखने आई थी.अब देखिए कितने दीनो तक यहा हू.",रीमा ने 1 गहरी साँस भरी,"रवि हमेशा आपकी बातें किया करता था,पिच्छले 1 साल मे कभी मौका ही नही लगा आपसे मिलने का & यहा आई तो आपके & शेखर भाय्या के बारे मे पता चला...पर 1 बार आपसे मिलने को खुद को रोक नही पाई." "कोई बात नही!वैसे भी तुमसे मुझे क्या शिकायत हो सकती है",उसने रीमा का हाथ पकड़ लिया,"..बल्कि अच्छा किया जो आ गयी,मैं भी तुम्हे देखना चाहती थी..रवि ने तुम्हारी तस्वीर दिखाई थी..तुम तो उस से कही ज़्यादा सुंदर हो." "क्या आप भी1",रीमा ने शर्मा के आँखे नीची कर ली,"मैं यहा आने से पहले आपके घर गयी थी,वाहा आंटी-आपकी मा ने यहा का पता दिया.मैने उनसे कहा कि मैं आपकी सहेली हू क्यूकी मुझे पता नही था कि मेरी असलियत जानने पे उन्हे अच्छा लगेगा या नही." "कोई बात नही,रीमा",मीना हँसी,1 लड़का 2 कप कॉफी रख गया था,उसने 1 रीमा को दिया & दूसरे से खुद 1 घूँट भरा,"देखो,हमे अगर किसी से कोई शिकायत है तो शेखर से,और किसी से नही.मेरा भी दिल करता है कि कभी घर आके आंटी को देखु,अंकल से मिलू..मैं बचपन से उस परिवार को जानती हू,रीमा.तुमने आंटी को बस बिस्तर पे पड़े देखा है,मैने उनका वो ख़ुशदील,हँसमुख चेहरा देखा है." "शेखर से शादी के बाद मैने खुद को दुनिया की सबसे किस्मतवाली लड़की समझा था पर उसने मेरा ये गुमान बस 1 महीने मे तोड़ दिया..बहुत ही घटिया & मतलबी इंसान है वो..कहते हैं ना 1 मछ्लि सारे तालाब को गंदा करती है-तो समझ लो शेखर वो मछ्लि है." अपने दिल की भादस निकाल मीना शांत हो गयी. "ये कारण.." "तुम ठीक समझ रही हो.बस दुआ करो कि इस बार मैं ग़लत नही हू." "कैसी बात करती हैं!अब सब कुच्छ ठीक रहेगा.",उसने अपनी घड़ी पे 1 नज़र डाली,"अब मैं चलती हू,बहुत देर हो गयी है.",कॉफी का कप रख वो खड़ी हो गयी. "अरे,मेरे साथ घर चलो ना,वाहा पार्टी है,बड़ा मज़ा आएगा!" "थॅंक्स,पर फिर कभी आऊँगी.आज सच मे देर हो गयी है." "ओके.",मीना खड़ी हुई & रीमा को गले लगा लिया,"पर आना ज़रूर.खूब बातें करेंगे." "ओके,बाइ!" "बाइ!" ------------------------------------------------------------------------------- वापस आ रीमा ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठ गयी,वो थोडा तक गयी थी.आज दिन भर की बातें उसके दिमाग़ मे घूम रही थी..शेखर तो पक्का झूठा था!उसेन मीना के बारे मे झूठ बोला था..वो तो 1 आम लड़की थी जिसे मर्द & मर्द के साथ चुदाई पसंद थी...& शंतु..अरे उसका नंबर निकाला था शेखर के मोबाइल से.ख़याल आते ही उसने फोन के पास रखे पॅड को उठाया. ये उस इंसान का नंबर था जिसने रवि से मौत के पहले आख़िरी बार बात की थी.आज वक़्त आ गया था कि वो इस इंसान से सवाल कर पुच्छे कि आख़िर वो उसके पति के बारे मे क्या जानता था.अपना मोबाइल उठा उसने वो नंबर डाइयल किया,घंटी काफ़ी देर तक बजती रही पर फिर किसी ने फोन उठाया. "हेलो." "हेलो,मिस्टर.प्रशांत चौधरी?" "यस,स्पीकिंग." "हेलो,शंतु जी कैसे हैं आप?" "कौन बोल रहा है?",आवाज़ चौकन्नि हो गयी थी. "शंतु जी,आज आप सवाल नही करेंगे सिर्फ़ जवाब देंगे.आख़िर ऐसी क्या बात थी की अपने सबसे जिगरी दोस्त कि मौत पे आप 1 बार भी अफ़सोस जताने नही आए जबकि मौत के दिन आप ही वो शख्स थे जिसने उस से आख़िरी बार बात की थी?" शंतु खामोश था,पर लग रहा था कि वो किसी भीड़ भरे इलाक़े मे है & रीमा के कानो मे वाहा का शोर सुनाई दे रहा था. "क्या हुआ?चुप क्यू हो गये?जवाब दीजिए." "आप रीमा बोल रही हैं ना?" "तो आप मुझे पहचान गये?" "जी.और आपके सभी सवालो का जवाब भी देने को तैय्यार हू.कल 11 बजे दिन मे मेरे घर आ जाइए." "कल क्यू?आज क्यू नही?" "क्यूकी आज मैं दिल्ली मे हू.मेरा यकीन कीजिए,कल मेरे घर..मेरा पता लिखिए..212,पांचल अपार्टमेंट्स,एम.जी.रोड..यहा पे 11 बजे आइए,मैं जो जानता हू आपको बताऊँगा." "ठीक है.",& फोन कट गया.कही शंतु कोई चाल तो नही चल रहा था?कही इसमे रीमा को कोई ख़तरा तो नही था?जो भी हो अब कल वो इस पते ज़रूर जाएगी.रीमा ने पॅड से वो काग़ज़ फाड़ कर अपने हॅंडबॅग मे डाला & अपने कमरे मे चली गयी. -------------------------------------------------------------------------------
"हां,अब बोलो.तुम पंचमहल कब आई?..& कब तक हो यहा? "कुच्छ ही दिन हुए हैं यहा आए हुए.मा जी को देखने आई थी.अब देखिए कितने दीनो तक यहा हू.",रीमा ने 1 गहरी साँस भरी,"रवि हमेशा आपकी बातें किया करता था,पिच्छले 1 साल मे कभी मौका ही नही लगा आपसे मिलने का & यहा आई तो आपके & शेखर भाय्या के बारे मे पता चला...पर 1 बार आपसे मिलने को खुद को रोक नही पाई." "कोई बात नही!वैसे भी तुमसे मुझे क्या शिकायत हो सकती है",उसने रीमा का हाथ पकड़ लिया,"..बल्कि अच्छा किया जो आ गयी,मैं भी तुम्हे देखना चाहती थी..रवि ने तुम्हारी तस्वीर दिखाई थी..तुम तो उस से कही ज़्यादा सुंदर हो." "क्या आप भी1",रीमा ने शर्मा के आँखे नीची कर ली,"मैं यहा आने से पहले आपके घर गयी थी,वाहा आंटी-आपकी मा ने यहा का पता दिया.मैने उनसे कहा कि मैं आपकी सहेली हू क्यूकी मुझे पता नही था कि मेरी असलियत जानने पे उन्हे अच्छा लगेगा या नही." "कोई बात नही,रीमा",मीना हँसी,1 लड़का 2 कप कॉफी रख गया था,उसने 1 रीमा को दिया & दूसरे से खुद 1 घूँट भरा,"देखो,हमे अगर किसी से कोई शिकायत है तो शेखर से,और किसी से नही.मेरा भी दिल करता है कि कभी घर आके आंटी को देखु,अंकल से मिलू..मैं बचपन से उस परिवार को जानती हू,रीमा.तुमने आंटी को बस बिस्तर पे पड़े देखा है,मैने उनका वो ख़ुशदील,हँसमुख चेहरा देखा है." "शेखर से शादी के बाद मैने खुद को दुनिया की सबसे किस्मतवाली लड़की समझा था पर उसने मेरा ये गुमान बस 1 महीने मे तोड़ दिया..बहुत ही घटिया & मतलबी इंसान है वो..कहते हैं ना 1 मछ्लि सारे तालाब को गंदा करती है-तो समझ लो शेखर वो मछ्लि है." अपने दिल की भादस निकाल मीना शांत हो गयी. "ये कारण.." "तुम ठीक समझ रही हो.बस दुआ करो कि इस बार मैं ग़लत नही हू." "कैसी बात करती हैं!अब सब कुच्छ ठीक रहेगा.",उसने अपनी घड़ी पे 1 नज़र डाली,"अब मैं चलती हू,बहुत देर हो गयी है.",कॉफी का कप रख वो खड़ी हो गयी. "अरे,मेरे साथ घर चलो ना,वाहा पार्टी है,बड़ा मज़ा आएगा!" "थॅंक्स,पर फिर कभी आऊँगी.आज सच मे देर हो गयी है." "ओके.",मीना खड़ी हुई & रीमा को गले लगा लिया,"पर आना ज़रूर.खूब बातें करेंगे." "ओके,बाइ!" "बाइ!" ------------------------------------------------------------------------------- वापस आ रीमा ड्रॉयिंग रूम के सोफे पे बैठ गयी,वो थोडा तक गयी थी.आज दिन भर की बातें उसके दिमाग़ मे घूम रही थी..शेखर तो पक्का झूठा था!उसेन मीना के बारे मे झूठ बोला था..वो तो 1 आम लड़की थी जिसे मर्द & मर्द के साथ चुदाई पसंद थी...& शंतु..अरे उसका नंबर निकाला था शेखर के मोबाइल से.ख़याल आते ही उसने फोन के पास रखे पॅड को उठाया. ये उस इंसान का नंबर था जिसने रवि से मौत के पहले आख़िरी बार बात की थी.आज वक़्त आ गया था कि वो इस इंसान से सवाल कर पुच्छे कि आख़िर वो उसके पति के बारे मे क्या जानता था.अपना मोबाइल उठा उसने वो नंबर डाइयल किया,घंटी काफ़ी देर तक बजती रही पर फिर किसी ने फोन उठाया. "हेलो." "हेलो,मिस्टर.प्रशांत चौधरी?" "यस,स्पीकिंग." "हेलो,शंतु जी कैसे हैं आप?" "कौन बोल रहा है?",आवाज़ चौकन्नि हो गयी थी. "शंतु जी,आज आप सवाल नही करेंगे सिर्फ़ जवाब देंगे.आख़िर ऐसी क्या बात थी की अपने सबसे जिगरी दोस्त कि मौत पे आप 1 बार भी अफ़सोस जताने नही आए जबकि मौत के दिन आप ही वो शख्स थे जिसने उस से आख़िरी बार बात की थी?" शंतु खामोश था,पर लग रहा था कि वो किसी भीड़ भरे इलाक़े मे है & रीमा के कानो मे वाहा का शोर सुनाई दे रहा था. "क्या हुआ?चुप क्यू हो गये?जवाब दीजिए." "आप रीमा बोल रही हैं ना?" "तो आप मुझे पहचान गये?" "जी.और आपके सभी सवालो का जवाब भी देने को तैय्यार हू.कल 11 बजे दिन मे मेरे घर आ जाइए." "कल क्यू?आज क्यू नही?" "क्यूकी आज मैं दिल्ली मे हू.मेरा यकीन कीजिए,कल मेरे घर..मेरा पता लिखिए..212,पांचल अपार्टमेंट्स,एम.जी.रोड..यहा पे 11 बजे आइए,मैं जो जानता हू आपको बताऊँगा." "ठीक है.",& फोन कट गया.कही शंतु कोई चाल तो नही चल रहा था?कही इसमे रीमा को कोई ख़तरा तो नही था?जो भी हो अब कल वो इस पते ज़रूर जाएगी.रीमा ने पॅड से वो काग़ज़ फाड़ कर अपने हॅंडबॅग मे डाला & अपने कमरे मे चली गयी. -------------------------------------------------------------------------------
Re: खिलोना
उस शाम वीरेंद्र जी आठ बजे तक घर आ गये & उसके बाद उन्होने सुबह 7 बजे तक उसे कपड़े नही पहनने दिए.पूरे वक़्त वो उनकी बाहो मे क़ैद या तो उनसे चुद्ति रही या उनकी गरम हर्कतो का लुत्फ़ उठाती रही.विरेन्द्र जी ने उसकी चूत मे 3 बार अपना विर्य गिराया & वो तो ना जाने कितनी बार झड़ी-3 के बाद उसने गिनना छ्चोड़ दिया था.कल रात उसने भी पहले से कही ज़्यादा जोश के साथ अपने ससुर का चुदाई मे साथ दिया था.इसकी वजह थी कि कल उसे ये यकीन हो गया थी कि जहा उसका जेठ 1 झूठा इंसान है वही उसके ससुर 1 भरोसेमंद,नेक्दिल शख्स हैं. उनके दफ़्तर जाने के बाद नहा कर रीमा तैय्यार हो घर से निकली.1 बार फिर शेखर की कार निकालने का ख़याल उसे आया पर फिर उसने टॅक्सी करना ही बेहतर समझा.आज उसने हल्के नीले रंग की टाइट जींस & उसके उपर पूरे बाज़ुओं वाली काले रंग की शॉर्ट कुरती पहनी थी & आँखो पे काला चश्मा भी था.कोई 10:45 पे वो पांचाल अपार्टमेंट के गेट पे टॅक्सी से उतर रही थी. चश्मे को अपनी आँखो से उपर अपने सर पे अटका कर उसने गेट पे खड़े गार्ड से कहा,"212 नंबर फ्लॅट की-.." "सीधे जाके दाहिने मूड जाइएएगा & लिफ्ट से दूसरा मंज़िल पे चले जाइए,ओही पे है..आपके बाकी सन्गि-साथी भी वही आपको मिल जावेंगे..",गार्ड ने उसके सवाल को बीच मे ही काटते हुए,खैनि मसल्ते हुए जवाब दिया. रीमा थोड़ा हैरान हो उसके बताए रास्ते पे चल पड़ी,दाए मुड़ते ही उसने देखा कि पोलीस की 2 क़ार्स & टीवी चॅनेल्स की 3-4 अब वॅन्स खड़ी हैं.अपार्टमेंट के कुच्छ लोग भी नीचे खड़े उपर बिल्डिंग की तरफ देखते हुए बाते कर रहे थे. रीमा ने लिफ्ट ली,उसके साथ कुच्छ टीवी कॅमरमेन & उनके साथी भी लिफ्ट मे थे.सारे लोग दूसरी मंज़िल पे उतर गये.रीमा उनके पीछे चल रही थी.इस फ्लोर पे तो बस पोलीस वाले & चॅनेल्स वाले घूम रहे थे & सभी जिस फ्लॅट मे जा रहे थे उसका नंबर था 212. रीमा ने देखा की वाहा 2-3 लड़किया उसी के जैसे कपड़ो मे टीवी न्यूज़ के लिए बाइट रेकॉर्ड करने की तैय्यरी मे थी..तो गार्ड ने उसे रिपोर्टर समझा था.किसी चॅनेल का रिपोर्टर & कॅमरमन 212 नंबर मे घुस रहे थे,रीमा भी धड़कते दिल से उनके पीछे हो ली. अंदर घुसते ही रीमा के मुँह से चीख निकलते-2 रह गयी,उसने बड़ी मुश्किल से अपनी घबराहट पे काबू किया,सामने का नज़ारा था ही ऐसा-पंखे से 1 जवान लड़के की लाश झूल रही थी.कमरे मे चारो तरफ पोलीस वाले फैले हुए थे,"बाहर चलो भाई..आप लोग यहा नही आओ..हमे काम करने दो.",1 हवलदार उनकी तरफ आ रहा था. रीमा बाहर निकल आई,उसकी कुच्छ समझ मे नही आ रहा था क्या यही शंतु था?अगर हा तो उसके साथ ये कैसे हो गया? "सर,प्लीज़.पहले हमे बाइट दीजिए.",शायद इनस्पेक्टर आ गया था. "ओके.आप लोग सब 1 लाइन से खड़े हो जाओ..चलो..हां..अब साहब से पुछो.",उस हवलदार ने सारे रिपोर्टर्स से कहा.रीमा कुच्छ दूर पे खड़ी सब देख रही थी. "सर,हादसे के बारे मे कैसे पता चला & ये आदमी कौन है?",सवालो का सिलसिला शुरू हो गया. "इसका नाम प्रशांत चौधरी है,ये अभी कुच्छ दीनो पहले दुबई से यहा आया था,वाहा ये 1 प्राइवेट कंपनी मे काम करता था & उसी कंपनी ने इसे यहा भेजा था.आज सुबह इसने ना नौकरानी के लिए दरवाज़ा खोला, ना ही दूधवाले से दूध लिया तो उन दोनो ने पड़ोसियो को कहा.फिर हमे खबर दी गयी.हमने ताला तोड़ा तो अंदर इस आदमी की लाश पंखे से लटक रही थी." "सर,आपको क्या लगता है,मौत कैसे हुई है?" "देखो,प्रीमा फेसी तो स्यूयिसाइड का केस लगता है,लाश के पास टेबल पे 1 स्यूयिसाइड नोट भी पड़ा था जिसे पढ़ के हमे लगता है ये डिप्रेशन का मरीज़ था.आगे तो हम पोस्ट मॉर्टेम के बाद ही कुच्छ कह सकते हैं." "सर,मरनेवाला कैसा शख्स था?उसके परिवार को खबर हो गयी है?" "सर..सर,वो यहा अकेला रहता था क्या?" "हां,वो यहा अकेला रहता था,किसी से ज़्यादा बात भी नही करता था,उस से मिलने भी बहुत कम लोग आते थे.उसकी फॅमिली के बारे मे हम पता लगा रहे हैं ,एप्र इसके माता-पिता तो काफ़ी पहले मर चुके हैं,हम इसके किसी और रिश्तेदार का पता ढूंड रहे हैं." रीमा से अब वाहा खड़ा होना मुश्किल था,वो किसी तरह नीचे आई & टॅक्सी मे बैठ घर चली गयी.घर मे घुसते ही उसने फ्रिड्ज खोला & पानी की बॉटल निकल उसे मुँह से लगा लिया & 1 ही साँस मे उसे खाली कर दिया.बाथरूम मे जा उसने अपने मुँह पे पानी के छ्चीनटे मारे-अब भी उसकी आँखो के सामने शंतु की लटकती लाश घूम रही थी & साथ ही ये ख़याल की कही इसके पीछे उसके जेठ का हाथ तो नही.उसने तय कर लिया कि आज वो अपने ससुर को सब बताएगी सिवाय इसके की अपने जेठ से उसके दिल के राज़ जानने के लिए वो उसके साथ भी चुदाई करती रही है. जब वो थोडा शांत हुई तो उसे अपनी सास का ख़याल आया.कमरे मे गयी तो वो सोई हुई थी,उसने उन्हे जगाने की कोशिश की-उनके खाने का वक़्त हो गया था,पर वो नही उठी. "मा जी..मा जी!",रीमा उन्हे हिलाने लगी पर वो वैसे ही पड़ी रही.रीमा ने उनकी साँस,धड़कन & नब्ज़ चेक की-सब चल रहे थे.उसने उन्हे झकझोर दिया पर सुमित्रा जी ने आँखे नही खोली.उसे डॉक्टर साहब की कही बात याद आ गयी-कही सुमित्रा जी कोमा मे तो नही चली गयी.चिंतित हो उसने अपने ससुर को फोन करने की सोची पर तभी उसे बाहर उनकी कार के रुकने की आवाज़ आई. वो भागती हुई बाहर पहुँची & दरवाज़ा खोला,उसके ससुर उसे देख मुस्कुराए पर उसके चेहरे की उड़ी रंगत देख उनके माथे पे शिकन पड़ गयी,"क्या हुआ रीमा?" "मा जी.." -------------------------------------------------------------------------------