खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:03

सुमित्रा जी कोमा मे चली गयी थी & डॉक्टर साहब के कहने पे उन्हे हॉस्पिटल मे भरती करना पड़ा.शाम के 8 बजे थे जब विरेन्द्र जी ने डॉक्टर साहब से रात मे हॉस्पिटल मे रुकने के बारे मे पुचछा. "कोई फयडा नही है,विरेन्द्र जी.देखिए,कोमा से पेशेंट अभी भी निकल सकता है या फिर कुच्छ साल बाद.आप देख ही रहे हैं उन्हे कुच्छ होश भी नही है.उनकी देखभाल के लिए हम यहा हैं,आप जब मर्ज़ी हो यहा आएँ & जितनी देर दिल करे उनके पास बैठें,मैं आपको मना नही करूँगा पर आज मुझे लगता है कि आपको घर जाके आराम करना चाहिए,दोपहर से आप यहा खड़े हैं.ओके." "ओके.डॉक्टर." ------------------------------------------------------------------------------- विरेन्द्र जी &रीमा कोई 1 घंटे बाद घर पहुँचे. "मुझे आपसे कुच्छ कहना है.",रीमा ने उन्हे पानी का ग्लास थमाया. "हां,कहो." "वो शंतु है ना." "हां?" "वो मर गया." "क्या?!" और रीमा ने उन्हे शंतु के बारे मे सब बता दिया,बस ये बातें च्छूपा गयी कि जब शेखर ने उस से शंतु के बारे मे जब झूठ बोला था & जब उसने उसके मोबाइल से उसका नंबर निकाला था तो या तो उसका लंड उसकी चूत मे था,या फिर उसके हाथो मे या फिर उसके मुँह मे. विरेन्द्र जी के चेहरे पे कोई भाव नही था,मानो वो पत्थर के हो गये थे. "आप चुप क्यू हैं?कुच्छ बोलिए ना!आपको नही लगता कि शंतु की मौत के पीछे शेखर भाय्या का हाथ है & हमे पोलीस को खबर करना चाहिए." "अभी नही." "मगर क्यू?माना वो आपका बेटा है पर उसने शायद आपके 1 और बेटे को भी मौत के मुँह पहुँचाया है.हम यहा बाते कर रहहैं & वो ना जाने कहा निकल जाए?",रीमा गुस्से & डर से लगभग चीखती हुई बोली. "मैं तुम्हारी बात समझ रहा हू & यकीन करो,अगर शेखर मुजरिम है तो सबसे पहले मैं उसे क़ानून के हवाले करूँगा.",उन्होने उसकी बाँह थाम प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा,"तुम बहुत थक गयी हो.जाओ जाके नहा लो,फिर खाना खाते हैं.मुझे तुम्हे कुच्छ बहुत ज़रूरी बात बतानी है.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:04

खिलोना पार्ट--16

रीमा नहा कर केवल 1 टवल मे बातरूम से बाहर निकली तो देखा कि वीरेंद्र जी भी केवल 1 टवल कमर पे लपेटे उसके पलंग पे बैठे हैं,ज़ाहिर था कि वो भी बस थोड़ी अर पहले नहाए थे.उन्होने सर से पावं तक अपनी बहू के हुस्न को निहारा & फिर उठ कर उसके पास आ गये.उन्होने उसे अपनी बाहों मे लिए तो रीमा ने अपने होंठ उनके होटो से सटा दिए.थोड़ी ही देर मे दोनो 1 दूसरे को बाहों मे कसे पूरे जोश मे किस्सिंग कर रहे थे.बदनो की रगड़ाहट से दोनो के तौलिए ढीले हो गये & जब साँस लेने को दोनो ने किस तोड़ी तो वो ज़मीन पे गिर गये.अब दोनो नंगे थे,रीमा को लगा कि अब उसके ससुर उसे उसके ही बिस्तर पे चोदेन्गे पर उन्होने ऐसा नही किया. "चलो,पहले खाना खाते हैं.",उसका हाथ थाम वो उसे डाइनिंग टेबल पे ले गये जहा उन्होने पहले ही खाना लगा के रखा था.कुर्सी पे बैठ उन्होने रीमा को अपनी गोद मे बिठा लिया & दोनो 1 दूसरे के हाथो से खाना खाने लगे. "आप जाकर लेटो मैं ये सब सॉफ कर के आती हू.",खाना ख़त्म होते ही रीमा उनकी गोद से उतर गयी. "ठीक है.",विरेन्द्र जी रीमा के कमरे मे चले गये. थोड़ी देर बाद रीमा अपने कमरे मे आई तो लॅंप की बहुत मद्धम रोशनी मे उसने देखा की उसके ससुर बिस्तर पे लेटे गहरी सोच मे डूबे हैं.रीमा उनकी बाई बाँह पे सर रख करवट ले उनसे सॅट कर लेट गयी.काफ़ी देर से बिना कपड़ो के रहने की वजह से उसे थोड़ी ठंड महसूस हुई तो उसने चादर उठा कर दोनो के बदन पे डाल दी & उनके सीने के बालो से खेलने लगी,"अब बताइए क्या बताने वाले थे?" "रीमा,आज मैं तुम्हे मेरी ज़िंदगी का वो राज़ बताउन्गा जो मुझे मिलकर केवल 4 लोगो को पता था & उसमे से 2 अब दुनिया मे नही हैं.ये वो राज़ है जो बाद मे शेखर को भी पता चल गया & शायद उसी वजह से मेरी & मेरे परिवार की पूरी ज़िंदगी बदल गयी.",उनका 1 हाथ अपनी बहू के बालो मे था & दूसरा उसकी गोरी बाँह पे. "कॉलेज पास करते ही मुझे ये सरकारी नौकरी मिल गयी & मेरे माता-पिता मेरी शादी के लिए परेशान हो उठे.कोई 6 महीने बाद सुमित्रा के पिता,जोकि खुद 1 ऊँचे सरकारी ओहदे पे थे,हमारे घर रिश्ता लेके आए.फिर क्या था!बस कुच्छ ही दीनो मे हुमारी शादी हो गयी.",रीमा ने अपनी बाई जाँघ अपने ससुर के उपर चढ़ा दी & दाई कोहनी पे उचक उनकी दास्तान सुनने लगी. "तुमने सुमित्रा को बस 1 बीमार & लचर के रूप मे देखा है,रीमा पर तुम उस वक़्त उसे देखती!कितनी खूबसूरत थी वो..गोरी-चित्ति,भरे बदन की मालकिन..मैं तो उसके रूप का दीवाना हो गया था & वो भिमुझे बहुत प्यार करती थी.शादी के बाद जब भी मौका मिलता हम दोनो बस 1 दूसरे मे खो जाते.शायद ही कोई ऐसी रात हो जब हमने चुदाई ना की हो.",रीमा का हाथ ससुर के सीने से सरक अब पेट पे आ गया था & विरेन्द्र जी भी उसकी अपने उपर रखी मखमली जाँघ सहला रहे थे. "..ऐसे ही 2 बरस बीते गये.हम बहुत खुश थे पर 1 मसला था जो हम दोनो के माता-पिता को परेशान कर रहा था & जिसके बारे मे नाते-रिश्तेदार भी दबी ज़बान मे बात करने लगे थे.सुमित्रा अभी तक मा नही बनी थी.जब उसकी मा ने इस बारे मे उस से पुचछा तो हम दोनो को भी ख़याल आया कि हम कोई सावधानी तो बरत नही रहे थे फिर तो सुमित्रा को इन 2 सालो मे कम से कम 1 बच्चे की मा तो बन ही जाना चाहिए था." "हम दोनो ने अपनी डॉक्टोरी जाँच कराई तो पता चला कि मैं तो ठीक था पर सुमित्रा मे कुच्छ कमी थी & उसके मा बनने के चान्सस किसी भी सूरत मे बस 5% थे.उसके लिए ये बहुत दुख की बात थी,मैने उसे बहुत समझाया कि हम कोशिश करते रहे तो वो प्रेग्नेंट हो जाएगी पर वो मायूस हो गयी थी.फिर मैने उसे कहा कि हम बच्चा गोद ले लेंगे पर वो इसके लिए भी नही मानी." "..माहौल बदलने के लिए मैने अपना तबादला अंबाला करवा लिया.ये जगह नयी थी & पंचमहल से दूर.वाहा जाके सुमित्रा लगभग पहले जैसे ही हो गयी पर मैं जानता था कि बच्चे की चाह उसके अंदर बढ़ती ही जा रही है.",विरेन्द्र जी ने रीमा को पकड़ उसे थोडा अपने उपर कर लिया,अब वो कभी उसकी जाँघ सहलाते तो कभी चूचिया. ".

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:05

फिर 1 दिन उसने 1 नयी नौकरानी रख ली-कजरी.कजरी 1 अच्छे मगर ग़रीब परिवार की थी.बाप था नही & मा ने किसी तरह उसकी शादी करा दी,कुच्छ दिन तो सब ठीक चला,उसका पति 1 अच्छा इंसान था & मा-बेटी दोनो की ज़िम्मेदारी उसने उठा ली थी.पर 1 दिन उसे विदेश मे नौकरी का मौका मिला तो वो बाहर चला गया.6 महीने तक वो कजरी को नियम से पैसे भेजता रहा पर फिर उसके बाद उसके पैसे आने बंद हो गये & उसके खत भी." "..मा-बेटी ने उसका पता लगाने की बहुत कोशिश की पर यहा बैठे-2 कोई क्या कर सकता था!धीरे-2 करके उनके पैसे भी खर्च हो गये.इन्ही मुसीबत के दीनो मे पता नही कैसे सुमित्रा उसकी मा से मिली & कजरी को वो हमारे यहा ले आई.पर उनकी मदद करना सुमित्रा का मक़सद नही था.उसके असली मक़सद का पता मुझे तब चला जब मैने छुट्टियो मे छैल जाने का प्रोग्राम बनाया & सुमित्रा ने कहा कि कजरी भी हमारे साथ जाएगी.",रीमा गौर से उनके निपल्स को अपने नखुनो से खरोंछती हुई उनकी कहानी सुन रही थी,अपनी जाँघ के नीचे उनके लंड को तड़फ़दता वो सॉफ महसूस कर रही थी. "..तब सुमित्रा ने मुझे बाते की उसने कजरी की मा के साथ क्या सौदा किया था.उसने पैसो के बदले मे कजरी को मेरे बच्चे की मा बनने के लिए तैय्यार कर लिया था & वो चाहती थी छैल मे मैं उसे जम के चोदु & अपना बीज उसकी कोख मे डाल दू." "..शायद हमारी शादीशुदा ज़िंदगी मे पहली बार हमारा ज़ोरदार झगड़ा हुआ,मैं सुमित्रा के अलावा किसी और के साथ सोने की बात सोच भी नही सकता था.पर सुमित्रा अपनी ज़िद पे आडी रही & आख़िर मुझे ही झुकना पड़ा.मैं कजरी को हम दोनो के साथ छैल ले जाने को तैइय्यार हो गया.मैने सोचा था कि वाहा जाके मैं किसी तरह सुमित्रा को मना लूँगा & उसके दिमाग़ से ये वाहियात ख़याल भी निकाल दूँगा.",विरेन्द्र जी का हाथ रीमा की पीठ से होता हुआ अब उसकी गंद तक पहुँच गया था & जब भी वो उसकी फांको को दबाते तो जवाब मे रीमा अपनी जाँघ से उनके लंड को दबा देती. "छैल मे हम 1 कॉटेज मे रुके थे,पहले दिन घूमे-फिरने के बाद रात को जब मैं कमरे मे सोने गया तो सुमित्रा ने कजरी को कमरे मे धकेल दिया & बाहर से कुण्डी लगा दी.कजरी सहमी सी बिस्तर पे बैठी थी.मैने उसे बिस्तर पे सोने को कहा & खुद कमरे मे पड़े कार्पेट पे रज़ाई डाल कर सो गया.सुबह उठने पे मुझे लगा कि सुमित्रा आज फिर मुझ से झगदेगी.रात की खबर उसने कजरी से ले ली थी पर उसने मुझ से ज़रा भी नाराज़गी नही जताई.मैने सोचा कि अब उसके दिमाग़ से ये बेवकुफ़ाना ख़याल निकल चुका है.वो पूरा दिन हमने कुद्रत की खूबसूरती का लुत्फ़ उठाने मे बिताया." "उस रात सुमित्रा ने कजरी को मेरे पास नही भेजा बल्कि खुद कमरे मे आई.दरवाज़ा लगा मुस्कुराते हुए वो बिस्तर पे मेरे करीब आई तो मैने उसे अपने आगोश मे खींच लिया.वो भी मुझसे लिपट मुझे चूमने लगी.मेरे हाथ उसकी नाइटी मे घुसने लगे तो वो छितक कर मूह से दूर हो गयी & शरारत से मुस्कुराइ,'आज तुम पहले अपने कपड़े उतारो.'..मैने फ़ौरन उसकी बात मानते हुए अपने कपड़े निकाल दिए.",ससुर की कहानी अब मस्त मोड़ ले रही थी & रीमा भी गरम होने लगी थी.वो उनकी गर्दन चूमने लगी. "..मुझे लिटा सुमित्रा हौले-2 मेर होठ चूमने लगी.धीरे-2 उसके होठ मेरे होंठो से नीचे मेरी गर्दन पे आ गये,मैने हाथ बढ़ा उसे अपनी बाहो मे भींचना चाहा तो उसने मुझे रोक दिया,'ना,अभी नही,जब तक मैं ना काहु मुझे हाथ मत लगाना.',मैं तो बस मस्ती मे उसकी हर्कतो का मज़ा ले रहा था.और नीचे आ उसने मेरी छाती चूमि & फिर मेरे पेट से होते हुए मेरी नाभि मे जीभ फिराने लगी.मैं मस्ती मे कराहने लगा.सुमित्रा की जीभ ने और नीचे का रास्ता तय किया & मेरे लंड तक पहुँच गयी.जी तो कर रहा था कि उसे पकड़ कर लिटा दू & अपनी बाहो मे भींच उसकी चूत मे पाने लंड को पेल सवेरे तक उसे चोदु.",अब विरेन्द्र जी भी रीमा के बदन को कस के मसल रहे थे.रीमा अब बहुत जोश मे आगाई थी,उसने अपने ससुर को चूम लिया तो उन्होने उसे पूरा क पूरा अपने उपर कर लिया & उसकी कमर को भींच उसकी जीभ से अपनी जीभ लड़ा दी. "आगे बताइए.",रीमा ने किस तोड़ के उनका चेहरा अपने हाथो मे भर लिया.विरेन्द्र जी उसकी गंद को दबाने लगे,"..सुमित्रा ने मेरे सूपदे पे हल्के से चूमा & फिर बिस्तर से उतर कर खड़ी हो गयी...'क्या हुआ?रुक क्यू गयी,सूमी?',जवाब मे उसने अपनी नाइट का ज़िप खोल दिया तो वो ज़मीने पे सरक गयी.नीचे उसने कुच्छ भी नही पहना था & अब मेरी प्यारी बीवी मुझे अपने कातिल हुस्न का दीदार करा रही थी.मुझे लगा कि अब वो मेरे करीब आएगी पर ऐसा ना करते हुए,वो मूडी & कमरे का दरवाज़ा खोल दिया.वाहा डरी सहमी कजरी खड़ी थी.सुमित्रा ने हाथ बढ़ा उसे अंदर खींच कर कमरा फिर बंद कर लिया.",अपने ससुर के उपर लेटी रीमा अब और मस्त हो गयी.उनका लंड दोनो जिस्मो के बीच दबा हुआ था,रीमा घुटनो पे बैठ गयी & ससुर के सीने को खरोंछती उनके पेट पे दबे लंड को अपनी चूत से उसकी लंबाई पे रगड़ने लगी. "

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