खिलोना compleet

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:06

ये क्या मज़ाक है,सुमित्रा!",मैं चीखा & चादर खींच कर अपने नंगेपन को ढँक लिया. -'क्यू?ये तुम्हे सुंदर नही लगती?विरेन्द्र क्या कमी है इसमे?'कजरी खूबसूरत थी पर सुमित्रा से अलग किस्म से.जहा सुमित्रा 1 ऊँचे कद की भरे बदन वाली गदराई जवान लड़की थी.वही कजरी छ्होटे कद की बड़ी मासूम दिखने वाली लड़की थी.वो हमेशा घाघरा-चोली पहनती थी & उस वक़्त भी वही पहने थी.सुमित्रा ने हाथ बढ़ा 1 झटके मे उसकी चोली की डोरिया खींच दी & उसे उतारने लगी.. -'मुझे शरम आती है,दीदी.' -'चल,पगली!ये तुझे अच्छे नही लगते क्या & वैसे भी तू कितने दीनो से नही चूदी है.',सुमित्रा ने उसकी चोली उतार दी & मेरी आँखो के सामने कजरी की छातिया चमक उठी.उसकी छातिया सुमित्रा जितनी बड़ी नही थी पर उतनी छ्होटी भी नही थी.सुमित्रा की छातिया अब तोड़ा ढीली हो गयी थी पर उसकी बिल्कुल कसी हुई थी ठीक तुम्हारी तरह.",उन्होने रीमा की चूचिया अपने हाथो मे भर ज़ोर से दबाई. "उम्मह..!",रीमा अपनी तारीफ से खुश हो मुस्कुराइ. "..& उसके निपल्स बिल्कुल काले रंग के थे & उसके भूरे अरेवला का घेरा तो बहुत बड़ा था..कम से कम इतना बड़ा..",उन्होने अपनी उंगलियो से रीमा के अरेवला के बाहर 1 दायरा बनाया तो रीमा ने उनका हाथ पकड़ के चूमा & फिर अपने गाल से लगा उनके लंड को रगड़ते हुए,उन्हे गाल सहलाने का इशारा करने लगी. "..मेरी नज़रे उसके सीने पे चिपक गयी.. -'देखो,विरेन्द्र.कितनी मस्त हैं ये.. ',सुमित्रा ने अपने हाथो मे उसकी छातिया ले दबाई,"तुम्हे इन्हे चूमने का दिल नही करता?",उसने उसकी चूचिया चूम ली. -'आहह.मत करो ना दीदी.अच्छा नही लगता!' सुमित्रा ने उसके घाघरे का नाडा खींच दिया,-'देखो तो झूठी को,विरेन्द्र!चूत पानी छ्चोड़ रही है & ये कह रही है कि अच्छा नही लगता.' उसने उसकी गंद पे 1 ज़ोर की चपत लगाई,-'मस्त है ना गंद!उसने उसकी पीठ मेरी तरफ कर दी.सच मे गंद भी उतनी चूदी नही थी पर क्या मस्त थी.सुमित्रा के थप्पड़ पड़ते तो फांके सिहर जाती.ये देख मेरा लंड खड़ा हो गया था & चादर मे तंबू बना रहा था. -'& ये देखो इसकी चूत.झांते भरी हैं पर कितनी कसी है.',उसने 1 उंगली उसके अंदर डाली तो कजरी कराहने लगी,'अफ!उंगली भी बड़ी मुश्किल से अंदर जा रही है तुम्हारा राक्षस कैसे जाएगा इसके अंदर?!' -'वैसे उसका भी हाल बुरा है.दिखाओ ना कजरी को अपना लंड.मैने बाते तो इसे यकीन नही आ रहा था कि इतना बड़ा भी किसी का हो सकता है.',वो कजरी का हाथ पकड़ बिस्तर पे ले आई & मेरी चादर खींच दी. -'हाअ!है राम...',कजरी की आँखे हैरत से फैल गयी & उसने अपना हाथ मुँह पे रख लिया.उसकी नज़रे मेरे लंड से चिपक गयी.मुझे भी अपनी मर्दानगी पे गर्व महसूस हुआ.",रीमा आँखे बंद किए अपने ससुर की मस्त दास्तान से बस पागल हो गयी थी.कमर हिलाते हुए वो झाड़ गयी & उनके सीने पे गिर गयी,"..ये है ही इतना मस्त.कोई भी लड़की आपकी दीवानी हो जाए.उसने हाथ नीचे ले जाके लंड को च्छुआ,"फिर क्या हुआ?" "-'क्यू विरेन्द्र?अब भी नही चोदोगे इसे?',सुमित्रा ने मुझ से पुचछा तो मैने नज़रे फेर ली.सुमित्रा ने उसे मेरी बगल मे लिटा दिया & उसके उपर सवार हो गयी,-'देखो तो सही मेरे नीचे दबी ये कितनी हसीन लग रही है.',उसने उसकी छातिया दबाते हुए उसके होंठ चूम लिए,नीचे कजरी की फैली टाँगो के बीच उसकी झांतो भरी चूत पे वो अपनी चूत से धक्के लगा रही थी.कजरी भी गरम हो गयी थी & उसे पकड़ दीदी-2 करते हुए उसके साथ अपना बदन रगड़ रही थी.",विरेन्द्र जी ने अपनी बहू के होंठ चूमे & उसका 1 हाथ पकड़ उसे पीछे ले जाके अपने लंड पे रख दिया,"ज़रा इसको इसकी सही जगह तो दिखाओ."

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:06

रीमा ने मुस्कुराते हुए लंड को थाम अपनी चूत मे ले लिया.2 धक्को मे लंड जड़ तक उसकी चूत मे धंसा था,"अब आगे बताइए." "उन दोनो का ये गरम खेल देख कब मेरा हाथ लंड पे पहुँच गया & मैं उसे हिलाने लगा मुझे पता ही ना चला.सुमित्रा ने मुझे ऐसा करते देखा तो कजरी के बदन से अलग हो गयी,-'शर्म आनी चाहिए तुझे कजरी!तेरे होते तेरे साहब को हाथ से काम लेना पड़ रहा है.' -'पर दीदी,मुझे डर लगता है.ये इतना बड़ा है मेरी ज़रा सी चूत मे कैसे जाएगा.' -'मेरी मे कैसे जाता है?',उसने उसकी गांद पे 1 थप्पड़ जड़ दिया,-'चल,पहले इस से दोस्ती कर फिर देख ये कैसे तेरी प्यासी चूत को अपने पानी से शांत करता है.चल उठ.' सुमित्रा ने उसे उठा कर मेरे लंड को थमा दिया.ये पहली बार था जब उसके अलावा किसी और औरत ने मेरा लंड थामा था.कजरी के छ्होटे से हाथ मे लंड कुच्छ और बड़ा लग रहा था,-'देखती ही रहेगी,हिला ना.',कजरी ने पहले धीरे-2 फिर तेज़ी से मेरे लंड को हिलाना शुरू किया.थोड़ी देर बाद सुमित्रा ने उसका हाथ हटाया,-'चल अब मुँह मे ले.'कजरी ने ऐसे देखा जैसे मना कर रही हो,-'अरे गीला नही करेगी तो अंदर कैसे जाएगा.चल चूस.' कजरी ने होठ कस दिए मेरे लंड पे तो मैने आँखे बंद कर ली और हवा मे उड़ने लगा.",रीमा भी हवा मे उड़ रही थी,1 बार फिर अपने घुटनो पे बैठ वो अपने ससुर के लंड पे कूदने लगी थी. "कजरी नौसीखिया थी पर उसके दिल मे चुदने का & मुझे खुश करने का जज़्बा था & इसी कारण मुझे उसके ज़ुबान की हरकते बहुत मज़ेदार लग रही थी.सुमित्रा उसकी पीठ सहलाते मुझे देख रही थी,वो समझ गयी कि मैं झड़ने वाला हू,-'चल अब उठ & लेट जा.अब चुदने का वक़्त आ गया है..रुक ज़रा तेरी चूत को भी गीला कर दू..',& वो उसकी चूत पेझूक कोई 2-3 मिनिट तक उसे चाटती रही.कजरी अब जोश मे पागल हो चुकी थी. -'ऑफ ओह!लंड तो फिर सुख गया.',अपन1 ज़ुबान से उसने उसे गीला किया,-'चलो विरेन्द्र अब तो चोदो इस मासूम कली को.',उसने मेरा लंड पकड़ कर खींच कर मुझे कजरी की टाँगो के बीच आने पे मजबूर कर दिया.सुमित्रा ने मुझे चूमा,-'चलो अब धीरे-2 घुसाओ.बहुत दीनो से नही चूदी है,ज़रा आराम से करना.तू घबरा मत कजरी मैं हू ना!ज़्यादा तकलीफ़ नही होगी.' उसने मेरा लंड पकड़ उसकी चूत पे रखा तो मैने 1 धक्के मे ही पूरा सूपड़ा अंदर पेल दिया. -'आईीययईए..!'मैने 1-2 धक्के & दिए & आधा लंड अंदर घुसा दिया.सुमित्रा ने बाहर बचे लंड को पकड़ मुझे अब चोदने को कहा,अब मैं आधे लंड से कजरी को चोदने लगा.थोड़ी देर मे उसे मज़ा आने लगा तो सुमित्रा ने अपना हाथ खींच लिया.उसकी चूत कुच्छ ज़्यादा ही कसी हुई थी & मैं अपना पूरा लंड अंदर घुसाने को बेताब था.मैने 1 ही झटके उसकी चूत मे लंड धंसा दिया & उसकी चीखो से बेपरवाह उसे चोदने लगा.सुमित्रा उसपे झुक उसे चूमते हुए उसकी चूचिया सहलाते हुए उसे संभालने लगी. थोड़ी देर मे कजरी की चूत को मेरे लंड की आदत पड़ गयी & वो भी कमर हिला कर मेरा साथ देने लगी.-'देखो तो कैसे कमर उच्छल कर मज़ा ले रही है.अब मैं घुटनो पे बैठा उसकी टांगे पकड़ उसे चोद रहा था & सुमित्रा अपने घुटनो पे मेरी तरफ चेहरा कर उसके मुँह के उपर बैठ गयी,-'चल अब ज़रा मेरी चूत को भी कुच्छ आराम दे.',कजरी उसकी चूत चाटने लगी तो मैने हाथ बढ़ा कर अपनी बीवी की चूचिया थाम ली & उन्हे मसल्ने लगा,-'आह...विरेन्द्र...ऐसे ही करो...हा..आनन्न..'.अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था,मैने अपनी धक्को की रफ़्तार तेज़ कर दी & सुमित्रा की चूचिया मसल्ते हुए उसे खींच कर चूमने लगा नीचे कजरी सुमित्रा की जंघे पकड़ उसकी चूत पे अपनी जीभ फिरा रही थी.हम तीनो अपनी-2 मंज़िल की ओर पहुँच रहे थे कि कजरी की चूत ने मेरे लंड को कस लिया & उसका बदन जैसे ऐंठ गया,वो झाड़ गयी थी & उसके झड़ते ही मैने भी सुमित्रा की चूचिया मसल्ते हुए & उसे चूमते हुए अपना पानी कजरी की चूत मे छ्चोड़ा & साथ ही सुमित्रा की चूत ने भी कजरी की जीभ से परेशान हो पानी छ्चोड़ा 7 वो आगे गिरती हुई मुझे चूमते हुई मुझसे लिपट गयी." ठीक उसी वक़्त अपने ससुर की बातो & लंड से मदहोश हो रीमा 1 बार फिर झाड़ गयी.

raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:07

खिलोना पार्ट--17

"ये तो शुरुआत थी,छैल मे उन 4 दीनो मे हम तीनो ने जिस्मो का ये मदहोश खेल जम के खेला.उन 4 दीनो मे पता नही कितनी बार मैने कजरी की चूत को अपने पानी से भरा.सुमित्रा भी यही चाहती थी की मैं कजरी के अंदर ज़्यादा से ज़्यादा झाड़ू.उसने मुझे उसकी चूत मे बस 2 ही बार झड़ने दिया.",रीमा झाड़ के वीरेंद्र जी के सीने पे गिर अपनी साँसे संभाल रही थी & वो उसके बालो & पीठ को सहला रहे थे.

"सुमित्रा अपने मक़सद मे कामयाब हो गयी,छैल से आते ही हमे पता चल की कजरी प्रेग्नेंट हो गयी है.हमने सारे परिवार वालो को ये बात दिया की सुमित्रा प्रेग्नेंट है.उसके बाद 9 महीने तक हमने कजरी को दुनिया की नज़रो से च्छुपाए रखा.साथ ही ये ख़याल रखा कि सुमित्रा भी किसी जान-पहचान वाले की नज़र मे ना आए.",विरेन्द्र जी ने करवट लेटे हुए,बिना चूत से लंड निकाले,अपनी बहू को लिटा दिया & उसके उपर आ गये.

"..9 महीने बाद कजरी की कोख से शेखर का जन्म हुआ.उसके बाद 3-4 महीने तक वो हमारे साथ रही & उसके बाद सुमित्रा & उसकी मा के बीच हुए सौदे के मुताबिक वो पैसे ले के ये वादा करके चली गयी कि अब कभी भी हमसे ना मिलेगी या ये राज़ खोलेगी.",विरेन्द्र जी रीमा की दोनो छातियो को हाथो मे भर दबा रहे थे &.

"फिर रवि किसका बेटा है?",रीमा ने अपने ससुर के मुँह को अपनी छाती पे दबा दिया.

"उपरवाले के भी अजीब लीला है!अगले साल सुमित्रा भी प्रेग्नेंट हुई & रवि को जनम दिया.",उसके कड़े निपल्स को चूसने के बीच उन्होने कहा.

"..पर कजरी ने अपना वादा नही निभाया.उसे कोई बीमारी हो गयी थी & वो बस कुछ ही दीनो की मेहमान थी.उस वक़्त शेखर कॉलेज मे गया ही था.कजरी ने किसी तरह हमारा पता लगा लिया & हमे 1 खत लिखा.इत्तेफ़ाक़ देखो उन दीनो हम सब किसी शादी मे पंचमहल से बाहर गये थे & केवल शेखर ही घर पे था.खत उसके हाथ लग गया & उसे ये राज़ पता चल गया.",विरेन्द्र जी अब उसकी चूचियो से खेलने के साथ हल्के-2 धक्के भी लगा रहे थे.

"..बस उसी दिन से वो हमसे नाराज़ हो गया कि हमने उस से ये बात क्यू च्छुपाई.समझ मे नही आता कि जिस मा-बाप ने उसे इतना प्यार दिया,उसमे & रवि मे कभी कैसा भी फ़र्क़ नही किया वो हमारे साथ ऐसा बर्ताव क्यू करने लगा..उसी के चलते आज सुमित्रा का ये हाल है.",रीमा उनके बालो को सहला रही थी,अब वो फिर से मस्ती मे आने लगी थी & उसकी कमर खुद बा खुद हिलने लगी थी.

"..तो ये है वो राज़..लेकिन फिर भी रीमा मुझे नही लगता कि शेखर का रवि & शंतु की मौत से कुच्छ लेना-देना है.पर फिर उसने तुमसे शंतु के बारे मे झूठ क्यू बोला?तुम बेफ़िक्र रहो,जो भी हो अब तो मैं इस मामले की तह तक पहुँच के ही रहूँगा.",लेकिन इस वक़्त विरेन्द्र जी के लिए अपनी बहू की चूत की तह तक पहुँचना ज़्याद ज़रूरी था.उन्होने उसके चेहरे को हाथो मे भर उसके रसीले होठ चूमते हुए उसकी चूत की गहराइयों मे अपने लंड को पेलना शुरू कर दिया.

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सवेरे रीमा की नींद खुली तो उसने देखा कि विरेन्द्र जी उसकी बाई छाती को दबाते हुए दाई को मुँह मे भर चूस रहे हैं,उसने अपनी उंगलिया उनके बालो मे फँसा दी.विरेन्द्र जी ने देखा कि वो जाग गयी है तो उसके सीने से सर उठा उपर आ अपने होठ उसके होंठो पे रख दिए पर उन्हे उसके जवाब मे वो गर्मी महसूस नही हुई,"क्या हुआ रीमा?कोई परेशानी है क्या?"

"देखिए,मा जी हॉस्पिटल मे हैं & यहा कोई भी ये नही जानता की मैं आपकी बहू हू.सब समझते हैं कि मैं 1 नर्स हू जो मा जी की देखभाल के लिए यहा आई थी.तो ऐसे मे मेरा यहा रहना अब ठीक नही होगा.कही लोग आप पे उंगलिया ना उठाएँ?",रीमा ने नज़रे नीची कर ली.

"बात तो तुम ठीक कह रही हो.तुम्हे यहा नही रहना चाहिए.",विरेन्द्र जी उसके दोनो निपल्स को अपनी उंगलियो के बीच मसल रहे थे.रीमा ने हैरानी & दुख से उनकी तरफ देखा.

"..मगर उस वजह से नही जो तुम्हारे दिल मे है.देखो,मुझे यकीन नही है कि शेखर ने कोई जुर्म किया है मगर फिर भी मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता.",वो अब उसके पेट को सहला रहे थे,"..मान लो वो दोषी है तो वो तुम्हे कोई नुकसान पहुचाने की कोशिश ज़रूर करेगा क्यूकी तुमने शंतु के बारे मे पुचछा था & उसे डर होगा कि कही तुम उसपे शक़ ना करो.और तुमपे आँच आए,ये मुझे बर्दाश्त नही होगा,इसीलिए मैं तुम्हे यहा से किसी महफूज़ जगह पे ले जाऊँगा.",उनका हाथ उसकी चूत पे आ गया था & थोड़ी देर उसे सहलाने के बाद उसकी 2 उंगलिया अंदर घुस उसके दाने को मसल्ने लगी.

"उउम्म्म्मम....!..मगर ऐसी महफूज़ जगह है कहा & हम वह जाएँगे कब?.....ऊओफफफफ्फ़..!",उनकी उंगलियो की शरारत & उनकी आँखो से झलकती उसके लिए फ़िक्र से खुश हो वो कमर हिलाति हुई मुस्कुराइ.

"हाई 1 जगह & हम वाहा आज ही जाएँगे..",वो उसकी जंघे फैला उनके बीच मे आ गये & उसके उपर चढ़ अपना लंड उसकी गीली चूत मे पूरा घुसा दिया.."..मगर इसके बाद.",विरेन्द्र जी 1 बार फिर अपनी खूबसूरत बहू की चुदाइ मे जुट गये.

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