खिलोना compleet

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raj..
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Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:07

2 घंटे बाद वीरेंद्र जी की कार दोनो को लिए पंचमहल से बाहर जाने वाली सड़क पे भागी जा रही थी.कार 1 पोलीस पोस्ट के पास से गुज़री तो रीमा के दिल मे ख़याल आया कि अगर विरेन्द्र जी शेखर के बारे मे पोलीस को बता देते तो शायद होता.पर उनका दिल तो शायद ये मानने को तैय्यार ही नही था कि उसका अपने भाई & शंतु की मौतों से कोई लेना-देना था..आख़िर था तो वो उनका बेटा ही ना!..ये भी तो हो सकता है की शेखर ने किसी और वजह से शंतु के बारे मे झूठ बोला हो & सचमुच उसका इन मौतों से कोई वास्ता ना हो...लेकिन फिर उसने मीना के बारे मे इतना बड़ा झूठ क्यू बोला?

रीमा खिड़की के बाहर देख रही थी...उसने अपने जिस्म के सहारे इन दोनो मर्दो के दिल की असलियत तो जान ही ली थी & उसे अब पूरा यकीन था कि जहा उसका जेठ 1 धोखेबाज़ इंसान है,वही उसके ससुर 1 भरोसेमंद शख्स हैं.उन्होने उस से अपने शुरुआती रवैय्ये के लिए माफी भी माँग ली थी & अब तो वो उसे बेइंतहा चाहने लगे थे.रीमा के दिल मे 1 कसक पैदा हुई..अगर उन्हे पता चल गया कि वो केवल उनके साथ ही नही,शेखर के साथ भी चुदाई करती थी तो क्या होगा?..और मान लो पता ना भी चले तो उसके दिल के किसी कोने मे ये बात हमेशा फाँस की तरह अटकी रहेगी कि उसे अपने उपर जान च्चिड़कने वाले इस शख्स से मरते दम तक ये राज़ च्चिपाए रखना होगा.

कार अब हाइवे से उतर 1 सुनसान से रास्ते पे दौड़ रही थी,सामने 1 पुराना सा पुल नज़र आ रहा था जिसके नीचे बहुत शोर करती 1 नदी का पानी काफ़ी तेज़ी से बह रहा था,”ये कौन सी नदी है?”

“नदी नही बरसाती नाला है.बारिश की वजह से पूरा भर गया है,यहा से कुच्छ 5-6 किमी बाद ये जाके नदी मे मिल जाता है.गर्मी मे तो बिल्कुल सच जाता है ये.”

रास्ते के दोनो तरफ काफ़ी हरियाली थी पर यहा उतना ट्रॅफिक नही था,बीच-2 मे इक्का-दुक्का सवारिया दिख रही थी,तभी विरेन्द्र जी ने कार को बाए मोड़ा & सामने 1 फार्महाउस नज़र आया.उसके गेट पे पहुँच उन्होने हॉर्न बजाया.रीमा ने आस-पास देखा तो पाया कि अगला फार्महाउस थोड़ा दूरी पे था-लगता था जैसे की जंगल के बीच लोगो ने थोड़े घर बना रखे है.गेट खुलने की आवाज़ आई तो उसने देखा कि 1 देहाती सा इंसान विरेन्द्र जी को हाथ जोड़ नमस्ते करता गेट खोल रहा है.कार फार्महाउस के पोर्च मे खड़ी हुई तो विरेन्द्र जी ने उसे समान उतारने को कहा.उसका नाम भूलवा था & वो यहा फार्महाउस के आउटहाउस मे अपनी पत्नी मुनिया के साथ रहता था.

“अच्छा अब मुझे जाना है,शाम को आ जाऊँगा.किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो भूलवा या मुनिया से कहना & कोई भी बात हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना.”,अपनी बहू को बाहो मे भर उन्होने चूम लिया,”..डरना मत.भूलवा को मैने ताक़ीद कर दी है की बिना मेरी इजाज़त यहा कोई बाहरी आदमी नही घुसेगा.”,उन्होने रीमा के कुर्ते मे हाथ घुसा उसकी कमर को सहलाया.

“ये किसका फार्महाउस है?..उम्म......& आपने इन दोनो के मेरे बारे मे क्या बताया है?”,शर्ट के गले मे से झाँकते अपने ससुर के बालो भरे सीने को रीमा ने चूम लिया.

“ये मेरे 1 दोस्त का था,इसे मैने कुछ दीनो पहले ही खरीदा है...शेखर को इसके बारे मे कुच्छ नही पता..”,उसकी कमर को दबाते हुए उन्होने उसकी गर्देन चूम ली,”..& तुम्हारे बारे मे ये कहा है कि तुम मेरी खास मेहमान हो.”

अच्छा अब जाता हू,शाम को जल्दी आओंगा.”,अपनी बहू को 1 आखरी बार चूम कर विरेन्द्र जी चले गये.

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अगले 4 दिन रीमा ने काफ़ी मज़े मे बिताए.शाम ढले विरेन्द्र जी आ जाते थे फिर वो उनके साथ सुबह तक तरह-2 से चुदाई करती थी.विरेन्द्र जी आते ही उसके & खुद के कपड़े उतार देते & फिर दोनो जो भी काम हो-खाना,टीवी देखना या फिर यू ही बाते करना,नंगे ही करते.दिन भर उसे कोई भी काम करने की ज़रूरत नही पड़ती.दोनो पति-पत्नी उसका पूरा ख़याल रखते.दोनो ठेठ देहाती थे.रीमा को तो उनकी बोली बड़ी मुश्किल से समझ मे आती थी पर वो उसकी बाते समझ लेते थे.दोनो वैसे भी ज़्यादा बाते नही करते थे & अपना काम ख़तम कर अपने आउटहाउस मे चले जाते थे.

फिर विरेन्द्र जी का फोन आया कि वो 4 दिन तक नही आ पाएँगे.पहली रात तो रीमा को अकेले सोने मे काफ़ी डर लगा & उसकी चूत ने भी उसे काफ़ी परेशान किया,उसे तो रोज़ भरपूर चुदाई की आदत पड़ गयी थी,बिना लंड के उसका बुरा हाल हो गया.

पाँचवे दिन उन्होने फोन किया की आज शाम 7 बजे तक वो ज़रूर आ जाएँगे लेकिन भूलवा & मुनिया 4 बजे वाहा से अपने गाँव के लिए निकल जाएँगे तो उसे 3 घंटे बिल्कुल अकेली रहना पड़ेगा.

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raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:08

घड़ी 8 बजा रही थी & अभी तक वीरेंद्र जी का कोई पता नही था.2-3 दीनो से बारिश नही हुई थी,तो थोड़ी गर्मी हो गयी थी & उमस भी.रीमा ने सोचा था कि ससुर के आते ही पहले वो उनके साथ नहाएगी & फिर उनसे 1 बार चुदने के बाद उनके साथ खाना खाएगी.पर अब गर्मी के साथ-2 उनका इंतेज़ार करते -2 उसे थोड़ी खीज भी होने लगी थी.उसने अकेले ही नहाने का फ़ैसला किया.

नहाने के बाद उसने डेनिम शॉर्ट्स जोकि बस उसकी गंद की फांको को ढँके हुए थे पहने & उपर 1 लाल रंग की स्लीव्ले वेस्ट डाल ली,जिसके गले मे से उसका बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था.तभी उसे 1 आवाज़ सुनाई दी,जैसे कि हॉल मे कोई चल रहा हो.डर से वो जैसे जम सी गयी.उसने किसी कार की आवाज़ नही सुनी थी तो उसके ससुर तो हो नही सकते थे,भूलवा तो मुनिया के साथ 4 बजे ही निकल गया था तो कही शेखर तो नही था?

दबे पाँव वो कमरे से निकल हॉल मे आई-वाहा कोई नही था.उसके कमरे & हॉल के अलावा वाहा 4 कमरे और थे जिसमे से 3 मे ताला लगा हुआ था.तभी उस दूसरे खुले कमरे से फिर कुच्छ आवाज़ आई.डर से रीमा के माथे पे पसीना छल्छला आया था.वो किसी तरह अपने धधकते दिल पे काबू रख उस कमरे के पास गये & धीरे से उसका दरवाज़ा खोला,अंदर कोई नही था.

वो कमरे के अंदर दाखिल हुई,बेड की बगल मे रखे साइड-टेबल पे कुच्छ पेपर्स रखे थे..पहले तो वाहा कुच्छ भी नही था!वो टेबल की तरफ बढ़ने लगी कि तभी उसे पीछे से किसी ने जाकड़ लिया.रीमा की चीख निकल गयी तो वो इंसान हँसने लगा.हँसी की आवाज़ सुन रीमा का डर काफूर हो गया-ये विरेन्द्र जी थे.

उसने गुस्से से उनकी तरफ देखा & उनके हाथ झटक कर कमरे से बाहर निकल हॉल मे चली आई.

“अरे भाई,इतना नाराज़ क्यू हो रही हो?मैने तो बस मज़ाक किया था?”

रीमा कुच्छ नही बोली बस मुँह फेरे खड़ी रही.

“अच्छा बाबा,सॉरी!”,उन्होने उसे फिर से पीछे से बाहो मे लेने की कोशिश की तो रीमा फिर से छितक गयी.

“अब मान भी जाओ.”,इस बार उन्होने काफ़ी मज़बूती से उसे पीछे से थाम लिया & उसके कान को चूमने लगे,रीमा भी भी छूटने के लिए कसमसा रही थी,”..अरे भाई!नाराज़गी की वजह भी तो बताओ!”,उन्होने उसके गाल को चूम लिया

“पहले तो 4 दीनो से गायब थे,आज भी 7 बजे कहके अब आ रहे हैं & उपर से डरा के मेरी जान निकाल दी..& मुझ से वजह पुच्छ रहे हैं!”

“बहुत डर गयी थी क्या?”,उन्होने उसका माथा चूम लिया.

“हां.देखिए अभी तक दिल कैसे ज़ोर से धड़क रहा है.”,उसने उनका हाथ अपने पेट से उठा अपने क्लीवेज पे रख दिया.

“अभी शांत कर देते है इसे.”,उन्होने उसके कान मे अपनी जीभ फिराते हुए उस हाथ से उसके क्लीवेज को दबाना शुरू कर दिया & दूसरे हाथ को नीचे से उसकी वेस्ट मे घुसा उसके पेट को सहलाने लगे.

“उम्म्म.....कहा रहे 4 दिन?”,उसने दोनो हाथ पीछे ले जाके उनके गले मे डाल दिए.

“बस कुच्छ ज़्यादा काम आ गया था.”,वो अब उसकी गर्देन चूम रहे थे.

“मेरा तो बुरा हाल हो गया आपके बिना,आपको मेरी ज़रा भी याद नही आई?”,रीमा आँखे बंद कर अपनी गंद पीछे ले जा उनके पॅंट मे क़ैद लंड पे रगड़ने लगी.

“मत पुछो.मैने कैसे ये 4 दिन गुज़ारे हैं!”,उन्होने वेस्ट की स्ट्रॅप्स को 1-1 करके नीचे कर दिया,रीमा ने नहाने के बाद ब्रा नही पहनी थी & उसकी छातिया स्ट्रॅप्स उसकी बाँहो से सरकते ही दोनो छलक के विरेन्द्र जी के हाथो के नीचे आ गयी.थोड़ी देर तक वैसे ही वो उसकी गर्देन चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने हाथो से दबाते,मसल्ते रहे.फिर रीमा ने मस्त हो चेहरा घुमा उन्हे चूमना शुरू कर दिया तो उन्होने उसकी वेस्ट को पूरा उसकी कमर तक नीचे कर दिया.अब वो कभी उसकी चूचिया मसल्ते तो कभी उसके नर्म गोल पेट को सहलाते हुए उसकी नाभि पे लगे नेवेल रिंग को छेड़ते.

रीमा मस्ती मे अपनी गंद उनके लंड पे रगडे ही जा रही थी.विरेन्द्र जी ने हाथ नीचे ला उसके शॉर्ट्स के बटन को खोला & उसे नीचे सरका दिया.फिर अपनी 1 टांग उठा घुटनो से उपर फाँसी शॉर्ट्स को पूरा नीचे कर उसके जिस्म से अलग कर दिया.उन्होने उसकी वेस्ट को भी कमर से नीचे सरकया तो वो उसकी टाँगो के गिर्द घेरा बनके ज़मीन पे गिर गयी.

रीमा ने पॅंटी भी नही पहनी थी & अब वो पूरी नगी थी.विरेन्द्र जी अब उसके पीछे से उसे थाम 1 हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ रहे थे & दूसरे से उसकी चूचिया मसल रहे थे.रीमा ने हाथ पीछे ले जा पॅंट की ज़िप खोली तो वो उसका इशारा समझ गये.वो उस से अलग हुए & आनन-फानन अपने कपड़े उतार फिर से उसे पीछे से दबोच लिया.रीमा ने हाथ पीछे ले जाके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.विरेन्द्र जी उसके गुलाबी होठ चूमते हुए फिर से उसकी चूत को रगड़ने लगे.रीमा 4 दीनो से अपने ससुर का इंतेज़ार कर रही थी & विरेन्द्र जी की उंगली की रगड़ाहट वो अपने दाने पे ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई & झाड़ गयी.

झाड़ कर उसने पास पड़े डाइनिंग टेबल को थाम लिया & अपनी साँसे संभालने लगी.झुकी हुई रीमा की कमर थाम विरेन्द्र जी ने पीछे से उसकी चूत पे लंड को रख 1 धक्का दिया.चूत पूरी तरह से गीली थी & लंड 1 ही झटके मे पूरा का पूरा अंदर चला गया.वो वैसे ही उसकी कमर थाम धक्के लगाने लगे.


raj..
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Re: खिलोना

Unread post by raj.. » 22 Oct 2014 09:08

थोड़ी देर बाद रीमा फिर से मस्ती मे आने लगी तो वो सीधी खड़ी हो गयी ,सहारे के लिए 1 हाथ टेबल पे रखा & दूसरे को पीछे ले जा अपने ससुर की गर्देन थाम ली & उनके धक्को का मज़ा ले आहे भरने लगी.थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही चुदाई करते रहे.काफ़ी देर से खड़े रहने के कारण रीमा को थकान सी महसूस हुई,”बिस्तर पे चलिए ना.”

जवाब मे विरेन्द्र जी ने उसकी दाई बाँह उठा कर अपनी गर्देन मे डाली,फिर नीचे से उसकी दाई जाँघ उठा कर पास पड़ी डाइनिंग चेर पे रखा .फिर अपने बाए हाथ मे उसकी बाई जाँघ थाम हवा मे उठा ली & उसी वक़्त उसकी दाई जाँघ को भी थाम वैसे ही उठा दिया.अब रीमा को वो उसकी जाँघो से हवा मे उठाए हुए थे & लंड अभी भी चूत मे था.रीमा उनके गले मे बाँह डाले उन्हे चूमने लगी तो वो चलते हुए उसे उसके कमरे मे नही बल्कि उस दूसरे कमरे मे ले गये.

वाहा उन्होने उसे बिस्तर पे घुटनो के बल बिठा दिया & फिर खड़े-2 ही उसकी चूत मे 4-5 गहरे धक्के लगाए.फिर बिस्तर पे चढ़ उसे डॉगी स्टाइल मे चोदने लगे.रीमा ने सर झुका कर तकिये मे छुपा लिया.उसे चोद्ते हुए वो कभी उसकी चूचिया मसल्ते तो कभी चूत के दाने को रगड़ते.

उन्होने अचानक धक्के लगाना रोका & उसे पेट के बल पूरा बिस्तर पे लिटा दिया.अब रीमा अपनी कोहनियो पे अपना उपरी बदन उठाए हुए अपने ससुर से चुद रही थी.विरेन्द्र जी उसकी चूचियो से खेलते हुए पीछे से उसके गर्देन को चूम रहे थे तो रीमा ने मुँह घुमा उनके होंठो को अपने होंठो की जाकड़ मे ले लिया.वो अब पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी & कभी भी झाड़ सकती थी की तभी विरेन्द्र जी ने हाथ बढ़ा कर साइड-टेबल पे पड़े काग़ज़ & कलम को उठाया & उसके सामने रख दिया,”ज़रा इन्पे साइन कर दो,रीमा.”

“ह्म्‍म्म........”.रीमा ने कलाम उठाई,उसे तो बस अपने ससुर की चुदाई का होश था.उन्होने उसे कलम पकड़ाई & पीछे से धक्के लगाते हुए,उसके गाल से गाल सटा,उसे पेपर्स पे साइन करने की जगहे दिखाई.रीमा ने कुच्छ 4 जगहो पे साइन किया तो उन्होने पेपर्स को वापस टेबल पे रखा & उसके होंठो को चूमते हुए,उसकी चूचियो को मसलना शुरू कर दिया & वो कातिल धक्के लगाए कि रीमा बस आहें भरते हुए झाड़ गयी.उसके झाड़ते ही उन्होने भी उसकी चूत को अपने पानी से भर दिया & उसके उपर गिर कर उसके बालो को चूमने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्होने अपना लंड निकाला & उसकी पीठ पे से उठ सीधे हो लेट गये तो रीमा भी पलट कर उनकी बाहो मे आ गयी.थोड़ी देर तक दोनो लेटे हुए इधर-उधर की बाते करते रहे.रीमा का हाथ उनके सीने के बालो से खेलते हुए उनके लंड तक जा पहुँचा था,उसे अपनी उंगलियो पे गीलापन महसूस हुआ तो उसने देखा कि उसके & उसके ससुर का मिला जुला रस उसकी उंगलियो पे लग गया है.उसने मुस्कुराते हुए अपने ससुर की ओर देखा & अपनी उंगलिया चाट कर सॉफ की.फिर उठी & उनके लंड को अपने हाथो मे ले अपने मुँह मे भर लिया.आँखे बंद किए वो उनका लंड चाटने लगी.

"वाह!क्या बात है!क्या नज़ारा है!बहू किस लगन से अपने ससुर का लंड चूस रही है!,"आवाज़ सुन रीमा चौंक कर उठ बैठी-कमरे के दरवाज़े पे ताली बजा कर ये बात कहता हुआ शेखर खड़ा था.

क्रमशः...................


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