ak sex se bhari shaam - कामुक संध्या - hindi sex story
Re: ak sex se bhari shaam - कामुक संध्या - hindi sex story
अजय- ऐसा क्या करेगा तू देख कहीं उल्टा सीधा मार करियो
राज- सीधा कुच्छ खास नही और उल्टा कुच्छ ज़्यादा नहीं बस तेरा जब तक मान करे साथ देना बाकी मुझ पे छ्चोड़ देना हाँ इस कुटिया की रज़ामंदी से करूँगा यह जान ले और साली कई कम खुद बोल बोल के करवाएगी ऐसे ही नही तेरी भाभी को 5 साल तक छोड़ा मैने
अजय- तू जान यार मैं तो सिर्फ़ इसका उपर से रास्पान कोंगा
राज वो तुझे मिलेगा बाकी इस बोतल की एक एक घूँट पियुंगा साली कुँवारी ही नही उँचुड़ी और भोली भेद है है और ऐसा माल छोड़ने का नशा ही कुच्छ और है
अजय- लगता है आ गयी ऋतु
ऋतु- लो मलिक मैं केक लाई हूँ वाइट क्रीम से साजवा के
राज- तू अपने रूम मे जाके मूह हाथ धोके फ्रेश होके 10 मीं मे आजा
ऋतु- ठीक है मैं जाती हूँ
अजय- अब क्या करेगा तू
राज पंत खोल के लॉडा निकल लेता है और मूठ मारना शुरू करता है
अजय- यह क्या छोड़ने से पहले ही
राज- चुप कर मुझे इस केक पर अपना माल गिरना है
अजय- ऊऊऊऊओह मैं भी क्या
राज- हाँ तू भी गिरा दे
दोनो मिलके केक की उपरी सतह पर थोड़ी देर मे माल गिरते है और चम्मच से उसे फैला देते है अभी सिर्फ़ उन दोनो को पता है केक मे लॉड का माल मिला है तभी ऋतु आती है मूह हाथ ढोने से चेहरे पर निखार और जवानी मे रौनक आ जाती है
राज- आओ ऋतु मेरे पास बैठो
ऋतु – नही मैं आपेक साथ कैसे बैठूँगी मैं तो नौकरानी हूँ
और वो नीचे बैठ जाती है उसकी चोली से उसके दोनो संतारो का उभर दिखें लगता है जो राज को उत्तेजित करता है वो आयेज बड़के उसकी पीठ पर हाथ फिरता है उसे अहसास हो जाता है की ऋतु मूह हाथ ढोने के समय अपनी ब्रा उतार आई है उसे अंदाज़ा हो जाता है की चिड़िया को दाना चुज्ने मे टाइम नही लगेगा.
राज – ऋतु चल केक काट
ऋतु चाकू उठा के केक कटती है और उसका टुकड़ा दोनो को और बड़ाती है राज उसकी नर्म नाज़ुक कलाई को थम के उस केक का रुख़ उसके मूह की आयार मोदता है
राज- नही मेरी ऋतु को आज केक खुद खाना होगा और एक कम और करना पड़ेगा
ऋतु- बोलो मलिक आपने पहली बार हमे मेरी ऋतु बोला है आज आप जो कहोगे सब करूँगी
राज- सच्ची मेरी जा.. ऋतु
ऋतु- हाँ मलिक सब कुच्छ आप कुच्छ और बोलने वेल थे
राज- नही नही कुच्छ नही तू केक खा और इस केक के उपर की सारी क्रीम छत जा
ऋतु जीभ निकल के केक के उपर की क्रीम खाती है उस टेस्ट अलग लगता है पर बिना किसी शक के वो सारी क्रीम छत जाती है अजय और राज ला लंड यह देख के तनटानने लगता है की एक नयी लौंडिया उनके लॉड का माल ख रही है राज ऋतु की पीठ पर हाथ फिरता रहता है और बोलता भी है
राज- हाँ ऋतु खा ऐसे ही खा बड़ी सुंदर लगती है तू केक खाती हुई इसकी सारी क्रीम अपनी जीभ से छत बड़ी मस्त लाल जीभ है लाओ मैं इसे चूम लूँ
राज झुक के ऋतु की जीभ चूसने लगता है ऋतु उससे लिपट जाती है
ऋतु- मलिक क्या कर रहे है आप
राज- चुप छाप होने दे जो हो रह है तुझे जवानी का मस्त नशे का सुख दे रहा हम तू क्रीम छत और बता क्या टेस्ट है
ऋतु- इसका स्वाद कुच्छ अलग है सब्से अलग पर सबसे टेस्टी भी
राज- बहुत बाड़िया मेरी जान आजा अब मेरी गोद मे बैठ जा
ऋतु उपर उठके राज की गोद मे आ जाती है राज उसके होंठो से अपना ग्लास लगा देता है
राज – मेरी कसम जो ना की तूने
ऋतु- मलिक आपकी कसम मैं जिंदगाई मे कभी ना टूटने दूं
ऋतु कड़वा ग्लास भारी विस्की को पी जाती है
राज ऋतु के होंठो से बाहर बहती हुई विस्की चूस्ता है
राज- मेरी जान तुएँ शराब को भी नशीला बना दिया आजा आज तुझे तेरी जवानी का अनमोल तोहफा दूं
ऋतु- कौन सा मलिक मैं समझी नही
राज- इतनी भी नादान मत बन आज मैं तेरी नाथ उतरूँगा और तुझे लड़की से औरत बनौँगा पर अपने अंदाज मे
ऋतु – हाए रे मलिक आपका कौन सा अंदाज है
राज- तू देखती जा और यह तेरा मलिक भी देखेगा की मेरा छूट मरने का अंदाज क्या है तुझे पता है मैने अपनी बीवी को तलाक़ क्यों दिया
ऋतु- नही मलिक
राज- क्योंकि वो कुटिया चुदाई के समय मेरा कहना नही मनती थी
राज- सीधा कुच्छ खास नही और उल्टा कुच्छ ज़्यादा नहीं बस तेरा जब तक मान करे साथ देना बाकी मुझ पे छ्चोड़ देना हाँ इस कुटिया की रज़ामंदी से करूँगा यह जान ले और साली कई कम खुद बोल बोल के करवाएगी ऐसे ही नही तेरी भाभी को 5 साल तक छोड़ा मैने
अजय- तू जान यार मैं तो सिर्फ़ इसका उपर से रास्पान कोंगा
राज वो तुझे मिलेगा बाकी इस बोतल की एक एक घूँट पियुंगा साली कुँवारी ही नही उँचुड़ी और भोली भेद है है और ऐसा माल छोड़ने का नशा ही कुच्छ और है
अजय- लगता है आ गयी ऋतु
ऋतु- लो मलिक मैं केक लाई हूँ वाइट क्रीम से साजवा के
राज- तू अपने रूम मे जाके मूह हाथ धोके फ्रेश होके 10 मीं मे आजा
ऋतु- ठीक है मैं जाती हूँ
अजय- अब क्या करेगा तू
राज पंत खोल के लॉडा निकल लेता है और मूठ मारना शुरू करता है
अजय- यह क्या छोड़ने से पहले ही
राज- चुप कर मुझे इस केक पर अपना माल गिरना है
अजय- ऊऊऊऊओह मैं भी क्या
राज- हाँ तू भी गिरा दे
दोनो मिलके केक की उपरी सतह पर थोड़ी देर मे माल गिरते है और चम्मच से उसे फैला देते है अभी सिर्फ़ उन दोनो को पता है केक मे लॉड का माल मिला है तभी ऋतु आती है मूह हाथ ढोने से चेहरे पर निखार और जवानी मे रौनक आ जाती है
राज- आओ ऋतु मेरे पास बैठो
ऋतु – नही मैं आपेक साथ कैसे बैठूँगी मैं तो नौकरानी हूँ
और वो नीचे बैठ जाती है उसकी चोली से उसके दोनो संतारो का उभर दिखें लगता है जो राज को उत्तेजित करता है वो आयेज बड़के उसकी पीठ पर हाथ फिरता है उसे अहसास हो जाता है की ऋतु मूह हाथ ढोने के समय अपनी ब्रा उतार आई है उसे अंदाज़ा हो जाता है की चिड़िया को दाना चुज्ने मे टाइम नही लगेगा.
राज – ऋतु चल केक काट
ऋतु चाकू उठा के केक कटती है और उसका टुकड़ा दोनो को और बड़ाती है राज उसकी नर्म नाज़ुक कलाई को थम के उस केक का रुख़ उसके मूह की आयार मोदता है
राज- नही मेरी ऋतु को आज केक खुद खाना होगा और एक कम और करना पड़ेगा
ऋतु- बोलो मलिक आपने पहली बार हमे मेरी ऋतु बोला है आज आप जो कहोगे सब करूँगी
राज- सच्ची मेरी जा.. ऋतु
ऋतु- हाँ मलिक सब कुच्छ आप कुच्छ और बोलने वेल थे
राज- नही नही कुच्छ नही तू केक खा और इस केक के उपर की सारी क्रीम छत जा
ऋतु जीभ निकल के केक के उपर की क्रीम खाती है उस टेस्ट अलग लगता है पर बिना किसी शक के वो सारी क्रीम छत जाती है अजय और राज ला लंड यह देख के तनटानने लगता है की एक नयी लौंडिया उनके लॉड का माल ख रही है राज ऋतु की पीठ पर हाथ फिरता रहता है और बोलता भी है
राज- हाँ ऋतु खा ऐसे ही खा बड़ी सुंदर लगती है तू केक खाती हुई इसकी सारी क्रीम अपनी जीभ से छत बड़ी मस्त लाल जीभ है लाओ मैं इसे चूम लूँ
राज झुक के ऋतु की जीभ चूसने लगता है ऋतु उससे लिपट जाती है
ऋतु- मलिक क्या कर रहे है आप
राज- चुप छाप होने दे जो हो रह है तुझे जवानी का मस्त नशे का सुख दे रहा हम तू क्रीम छत और बता क्या टेस्ट है
ऋतु- इसका स्वाद कुच्छ अलग है सब्से अलग पर सबसे टेस्टी भी
राज- बहुत बाड़िया मेरी जान आजा अब मेरी गोद मे बैठ जा
ऋतु उपर उठके राज की गोद मे आ जाती है राज उसके होंठो से अपना ग्लास लगा देता है
राज – मेरी कसम जो ना की तूने
ऋतु- मलिक आपकी कसम मैं जिंदगाई मे कभी ना टूटने दूं
ऋतु कड़वा ग्लास भारी विस्की को पी जाती है
राज ऋतु के होंठो से बाहर बहती हुई विस्की चूस्ता है
राज- मेरी जान तुएँ शराब को भी नशीला बना दिया आजा आज तुझे तेरी जवानी का अनमोल तोहफा दूं
ऋतु- कौन सा मलिक मैं समझी नही
राज- इतनी भी नादान मत बन आज मैं तेरी नाथ उतरूँगा और तुझे लड़की से औरत बनौँगा पर अपने अंदाज मे
ऋतु – हाए रे मलिक आपका कौन सा अंदाज है
राज- तू देखती जा और यह तेरा मलिक भी देखेगा की मेरा छूट मरने का अंदाज क्या है तुझे पता है मैने अपनी बीवी को तलाक़ क्यों दिया
ऋतु- नही मलिक
राज- क्योंकि वो कुटिया चुदाई के समय मेरा कहना नही मनती थी
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ऋतु- कैसा कहना
राज- जैसे मेरा बहुत मान होता है की जिसकी छूट मरूं उसके गले मे वीर्या उतार दूं वो साली मूह मे लौद अलेटी नही थी, गंद मरवाने मे दुखी करती थी, लंड चूसना नही छाती थी साली के उपर मूत्ो तो रोटी थी लंड को पकड़ के नंगी नाचना और ऐसे कम तू करेगी मेरे साथ
ऋतु – हाँ मलिक मैं तय्यार हूँ मैने आपकी कोई बात टली तो मेरा आपकी कम दासी होना बेकार
राज – आजा मेरी जान तू मेरी दासी नही आज रत की मेरे लॉड की मालकिन है देख आज तेरी मालकिन भी नही है तो तू अपने मलिक को भी खुश करेगी तो मैं तेरी छूट को नोटो से भर दूँगा
ऋतु- हाए रे तो क्या मलिक मालकिन के होते हुए भी मुझे छोड़ेंगे
राज- तू देखती जा तेरी नाथ तो यही उतरेंगे मैं तुझे फिर बाद मे मस्त छोड़ूँगा जा आयेज बाद और अपने मलिक का लॉडा उसके अंडरवेर से बाहर निकल के उसका सूपड़ा च्चिल के लॉडा खड़ा कर और केक को उसके लंड पर मसल के खा
ऋतु आयेज बड़ी और अजय का लॉडा राज की इच्छा के अनुरूप बेर निकल कर उस पर केक माला और उसने लंड को मूह मे भर लिया
अजय- आआआआहह ऋतु प्यार से साली तेरी मालकिन को लंड मे खरॉच भी दिखी तो तेरी छूट की शामत आ जाएगी
ऋतु- मालिकक्ककककककककककक आपका लॉडा बड़ा मस्त है मालकिन तो चुड के निहाल हो जाती होगी आप मेरी छूट मरो मेरे दाता
अजय ने अहत बड़ा के ऋतु के जोबन को थम लिया 18 साल की जवान युवती की च्चती छूटे ही उसका लॉडा 2 इंच और फूल गया ऋतु लंड को मूह मे लिए चूस रही थी लंड पर पड़ा असर उसकी छूट मे पानी की नयी लहर लेके आया उसने और जोश से लंड चूसना शुरू किया इधर राज ने तब तक अपने हाथों से ऋतु के चिकान्य और जवान शरीर को सहलाना शुरू किया उसकी भाषा खुल के गंदी होती चली गयी उसे पता था अब ऋतु उससे चुड़े बिना नही लौटेगी और ना ही किसी को बाथ्ेगी की अजय और राज ने उसकी छूट का भेदन किया है
ऋतु- मलिक आआआआअहह आपके हाथों मे जादू है मेरे शरीर मे एक नयी आग का संचार हो रहा है मेरा मान कर रहा है
राज- कैसा मान मेरी जान
ऋतु- की मैं अपनी चोली उतार दूं
राज- आओ ऋतु यह मैं खुद अपने हाथों से तेरी च्चती पकड़ के तेरे जिस्म से चोली उतार देता हूँ
ऋतु- पर मलिक मैने ब्रा नही डाली हुई है
राज- वो तो मेरे कामीने हाथों से तेरी पीठ पर पहली बार मे ही फेर के पता लगा लिया था तू फ़िक्र मत कर आज रत इस हवेली मे हम तीनो के सिवा कोई नही है चिंता मत कर तू न्नगी भी घूमेगी तो कोई नही देख पाएगा और हम दोनो का मस्त माँॉआंजन हो जाएगा
ऋतु- मनोरंजन कैसे
राज- तू देखती जा तेरी छूट को छोड़ के चित्तोड़गर्ह नही बनाया और मलिक ने तेरी चुचियों का सितार नही बजाया तो मेरा नाम बदल डियो
ऋतु- हाए रे इतना ज़्यादा छोड़ोगे
राज- नही रे मेरी जान तू तो घबरा रही है कुच्छ नही होगा सिर्फ़ तुझे मदरजात नंगी करके तेरा नाच देखेंगे और लंड का तनाव तेरी छूट मे लॉडा पेल के दूर करेंगे तू दर मत
ऋतु- तब ठीक है मैं ती सोची की आपकी मालकिन नही है की 7 साल की प्यास मेरे नरम गोस्त से मिटाओगे
राज- नही री उसके लिए तो मैं रंडियों के पास जाता रहता हूँ पर जब कोई तेरे जैसे उँच्छुई काली मिल जाती है तो उसे रत भर छोड़ के अपनी कुच्छ हसरतें पूरी करता हूँ
ऋतु – मलिक लो मेरा जवान चिकना नरम और जवानी के जोश से भरपूर गरम जिस्म आपके सामने परोस दिया है मुझे आप जैसे मर्ज़ी छोड़ो आओ मलिक अपनी सभी हसरतें पूरी करो
राज ने हाथ बढ़के ऋतु की चुचि के उपर चोली कासके पकड़ी और उसे सामने से फाड़ दिया
राज- साली तुझे मदरजात न्नगी करके छोड़ूँगा देखना तू हम दोनो यारों की मस्त रंडी बनेगी पूरी रत के लिए
ऋतु- मलिक मैं तय्यार हूँ आप जो चाहे मेरे साथ कर सकते हो मैं अफ भी नही करूँगी हाँ एक बात बता दूं मैं अभी तक उँच्छुई और उँचुड़ी छूट हूँ इसलिए तोड़ा प्यार से करना
राज- (बेदर्दी से ऋतु के उभरे हुए उरोज मसलता हुआ जैसे कोई आता गूँथ रहा हो) साली लंड लेने का टाइम आएगा तो प्यार से छुड़वाने की जगह ना उच्छल उच्छल के मेरे लॉड से चुडवाया तो मेरा नाम राज नही आज मैं ऋतु का राज बनके रहूँगा
राज- जैसे मेरा बहुत मान होता है की जिसकी छूट मरूं उसके गले मे वीर्या उतार दूं वो साली मूह मे लौद अलेटी नही थी, गंद मरवाने मे दुखी करती थी, लंड चूसना नही छाती थी साली के उपर मूत्ो तो रोटी थी लंड को पकड़ के नंगी नाचना और ऐसे कम तू करेगी मेरे साथ
ऋतु – हाँ मलिक मैं तय्यार हूँ मैने आपकी कोई बात टली तो मेरा आपकी कम दासी होना बेकार
राज – आजा मेरी जान तू मेरी दासी नही आज रत की मेरे लॉड की मालकिन है देख आज तेरी मालकिन भी नही है तो तू अपने मलिक को भी खुश करेगी तो मैं तेरी छूट को नोटो से भर दूँगा
ऋतु- हाए रे तो क्या मलिक मालकिन के होते हुए भी मुझे छोड़ेंगे
राज- तू देखती जा तेरी नाथ तो यही उतरेंगे मैं तुझे फिर बाद मे मस्त छोड़ूँगा जा आयेज बाद और अपने मलिक का लॉडा उसके अंडरवेर से बाहर निकल के उसका सूपड़ा च्चिल के लॉडा खड़ा कर और केक को उसके लंड पर मसल के खा
ऋतु आयेज बड़ी और अजय का लॉडा राज की इच्छा के अनुरूप बेर निकल कर उस पर केक माला और उसने लंड को मूह मे भर लिया
अजय- आआआआहह ऋतु प्यार से साली तेरी मालकिन को लंड मे खरॉच भी दिखी तो तेरी छूट की शामत आ जाएगी
ऋतु- मालिकक्ककककककककककक आपका लॉडा बड़ा मस्त है मालकिन तो चुड के निहाल हो जाती होगी आप मेरी छूट मरो मेरे दाता
अजय ने अहत बड़ा के ऋतु के जोबन को थम लिया 18 साल की जवान युवती की च्चती छूटे ही उसका लॉडा 2 इंच और फूल गया ऋतु लंड को मूह मे लिए चूस रही थी लंड पर पड़ा असर उसकी छूट मे पानी की नयी लहर लेके आया उसने और जोश से लंड चूसना शुरू किया इधर राज ने तब तक अपने हाथों से ऋतु के चिकान्य और जवान शरीर को सहलाना शुरू किया उसकी भाषा खुल के गंदी होती चली गयी उसे पता था अब ऋतु उससे चुड़े बिना नही लौटेगी और ना ही किसी को बाथ्ेगी की अजय और राज ने उसकी छूट का भेदन किया है
ऋतु- मलिक आआआआअहह आपके हाथों मे जादू है मेरे शरीर मे एक नयी आग का संचार हो रहा है मेरा मान कर रहा है
राज- कैसा मान मेरी जान
ऋतु- की मैं अपनी चोली उतार दूं
राज- आओ ऋतु यह मैं खुद अपने हाथों से तेरी च्चती पकड़ के तेरे जिस्म से चोली उतार देता हूँ
ऋतु- पर मलिक मैने ब्रा नही डाली हुई है
राज- वो तो मेरे कामीने हाथों से तेरी पीठ पर पहली बार मे ही फेर के पता लगा लिया था तू फ़िक्र मत कर आज रत इस हवेली मे हम तीनो के सिवा कोई नही है चिंता मत कर तू न्नगी भी घूमेगी तो कोई नही देख पाएगा और हम दोनो का मस्त माँॉआंजन हो जाएगा
ऋतु- मनोरंजन कैसे
राज- तू देखती जा तेरी छूट को छोड़ के चित्तोड़गर्ह नही बनाया और मलिक ने तेरी चुचियों का सितार नही बजाया तो मेरा नाम बदल डियो
ऋतु- हाए रे इतना ज़्यादा छोड़ोगे
राज- नही रे मेरी जान तू तो घबरा रही है कुच्छ नही होगा सिर्फ़ तुझे मदरजात नंगी करके तेरा नाच देखेंगे और लंड का तनाव तेरी छूट मे लॉडा पेल के दूर करेंगे तू दर मत
ऋतु- तब ठीक है मैं ती सोची की आपकी मालकिन नही है की 7 साल की प्यास मेरे नरम गोस्त से मिटाओगे
राज- नही री उसके लिए तो मैं रंडियों के पास जाता रहता हूँ पर जब कोई तेरे जैसे उँच्छुई काली मिल जाती है तो उसे रत भर छोड़ के अपनी कुच्छ हसरतें पूरी करता हूँ
ऋतु – मलिक लो मेरा जवान चिकना नरम और जवानी के जोश से भरपूर गरम जिस्म आपके सामने परोस दिया है मुझे आप जैसे मर्ज़ी छोड़ो आओ मलिक अपनी सभी हसरतें पूरी करो
राज ने हाथ बढ़के ऋतु की चुचि के उपर चोली कासके पकड़ी और उसे सामने से फाड़ दिया
राज- साली तुझे मदरजात न्नगी करके छोड़ूँगा देखना तू हम दोनो यारों की मस्त रंडी बनेगी पूरी रत के लिए
ऋतु- मलिक मैं तय्यार हूँ आप जो चाहे मेरे साथ कर सकते हो मैं अफ भी नही करूँगी हाँ एक बात बता दूं मैं अभी तक उँच्छुई और उँचुड़ी छूट हूँ इसलिए तोड़ा प्यार से करना
राज- (बेदर्दी से ऋतु के उभरे हुए उरोज मसलता हुआ जैसे कोई आता गूँथ रहा हो) साली लंड लेने का टाइम आएगा तो प्यार से छुड़वाने की जगह ना उच्छल उच्छल के मेरे लॉड से चुडवाया तो मेरा नाम राज नही आज मैं ऋतु का राज बनके रहूँगा
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ऋतु- हाँ आओ मेरे मलिक मेरी कक़ची जवानी पर अपने मूसल लॉड का राज चलाओ
राज- (ऋतु के गुलाबी चुचियों को मसल मसल के लाल करते हुए) एक बात और है मेरी जान मुझे मैल्क नही अपना ख़सम बना मेरी गरम जोरू बनके चुड अब तू मेरे लिए मेरी जोरू शालिनी की जगह चुदाई का समान है मैं तुझे शालिनी मान के छोड़ूँगा और अपनी एक कुत्सित इक्चा पूरी करूँगा
ऋतु- कौन सी
राज- मेरी एक तमन्ना थी की शालिनी को मेरा यार अजय छोड़ता उसे आज पूरा करूँगा तेरी नंगी जवानी को अजय के सामने धकेलुँगा और बोलूँगा की आजा यार मेरी गरम जोरू के जिस्म मे अपना मोटा मूसल लंड दल ले
ऋतु- कोई बात नही जान आप मुझे छोड़ो चाहे शालिनी मान के या ऋतु जानके मैं अपनी जवानी के पहले अभिसार के लिए तय्यार हूँ
राज- (ऋतु की चुचि को मुँह मे भरते हुए और उसके ताने हुए निप्पल को जीभ से टटोल कर खड़ा करते हुए) अभी पूरी तरह कहाँ तय्यार हो जान अभी तो तुझे लहनगा नोंच के न्नगी करूँगा और फिर तेरा नग्न नृत्या देखना है
ऋतु- आओ राजा मेरी जवानी से यह आख़िरी वस्त्रा भी हटा दो हाए राजा और ज़ोर से मस्लो मेरी जवान च्चातियों को मैं कुछ मर्दन का हर सुख भोगना चाहती हूँ मेरे नरम और जवान जिस्म की महक को लुटो मेरे राजा.
(ऋतु के लहंगे को पकड़ के उपर उठता है ऋतु की मुनिया देखता है. ऋतु की छूट पर एक भी बाल नही था. बिल्कुल चुकनी और पानी मे दुबई छूट ऐसे लग रही थी जैसे चुहिया के मूह मे पानी भर आया हो. राज ने अपनी एक उंगली उसकी छूट पर फिराई)
ऋतु- सस्सीसीीसीसीसिसीसी आआआआहह राजा क्या कर रहे को
राज- यह तेरी जवानी का आत्म है मैं इसमे अपना कार्ड स्वीप कर रहा हूँ जान इसमे से नोटो की जगह छूट का कमरस बहेगा
ऋतु- र्रज़ा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मेरी छूट को आत्म बनाओ तो लॉड को स्वीप करो प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ राआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज आआआआआअहहााआआ (कहके ऋतु की छूट ने पानी गिरना शुरू कर दिया)
राज- अभी से पानी फेक रही है साली तो आयेज जाके क्या करेगी
ऋतु- सिर्फ़ पाई छ्चोड़ा है मस्ती की उम्मेड नही छ्चोड़ी मेरा वादा है आप दोनो के लॉड को पूरा ठंडा करके ही आराम करेगी ऋतु.
राज- अच्छा देखता हू आज रत तू आराम करती है या हम दोनो के लॉड से अपनी छूट को कुटवती है
ऋतु एक बात और बोलू
ऋतु- हाँ बोलो जान
राज- मुझे गंदी गंदी गली देके छोड़ने का शौक है क्योंकि मैं रंडियों के पास जाता रहता हूँ और वो सभी साली मदारचोड़ होती है बिना गली के उनकी छूट मे पानी ही नही आता
ऋतु- मैने बोल दिया ना आपके सामने अधनंगी हूँ लहनगा उतरती हूँ और मुझे नंगी ऋतु को जैसे मर्ज़ी जो मर्ज़ी बोलके पूरी रत छोड़ो आज मालकिन घ रपे नही है इसलिए अजय बाबू भी मेरी जवानी का भोग लगा सकते है
(इतना कहके ऋतु ने अपने हाथों से अपना लहनगा खोला और नीचे सरका दिया. ऋतु दोनो मर्दो के सामने पूरी नंगी खड़ी थी उसने अपनी च्चती मे हवा भारी और अपनी तनी हुई चुचियों को अपनी ही मुट्ठी मे दबोच के दोनो की ऊवार छल्लंगे की निगाह से देखा की कौन सा मर्द उस पर पहले टूटेगा)
(ऋतु का यह रूप देख के अजय और राज दोनो के लौड़ों ने ज़ोर का तुनका मारा और दोनो लपक के ऋतु की ऊवार झपते और उसके हाथो को अपनी ऊवार खिंढ के उसकी नरम नरम गोल और जवान च्चत्तियों को नंगा कर दिया और अपने अपने तीखे दाँत उसकी चुचि पर गाड़ा दिए)
ऋतु- आआहह आओ मेरी कामुक जवानी के लुटेरों आओ अपनी कामुक और चुदसी ऋतु की न्नगी जवानी तुम दोनो के हाथों मे है इसे जी भर के चूसो मेरे कामुक मर्दों आओ मुझे छोड़ डालो
राज- (ऋतु की चुचि को अपनी बलिष्ठ मुट्ठी मे उमेत्ते हुए और मरोदते हुए ) साली कुटिया नंगी हो गयी है और अपने याअर का लॉडा नही निकाला इसे मेरी पंत से बाहर निकल साली नही तो तेरी मा छोड़ दूँगा
ऋतु- (अजय और राज के लॉड को पंत के उपर से सहलाती हुई) हाँ मेरे मर्दों तुम्हे मैं अपनी चिकनी त्वचा के रग़ाद लगा लगा के कामसुख दूँगी और तुम दोनो अपने इस मोटे मूसल लंड के मेरी कक़ची और छ्होटी सी छूट को छोड़ के रतिसुख देना
अजय- साली एक बात बता तू 3 साल से मेरे यहाँ कम कर रही है तेरे अंदर इतनी ही चुदस भारी थी तो आज से पहले क्यों नही मेरे लॉड के नीचे क्यों नही आई क्या अपने व्यस्क होने का इंतज़ार कर रही थी या कोई और खास बात है
राज- (ऋतु के गुलाबी चुचियों को मसल मसल के लाल करते हुए) एक बात और है मेरी जान मुझे मैल्क नही अपना ख़सम बना मेरी गरम जोरू बनके चुड अब तू मेरे लिए मेरी जोरू शालिनी की जगह चुदाई का समान है मैं तुझे शालिनी मान के छोड़ूँगा और अपनी एक कुत्सित इक्चा पूरी करूँगा
ऋतु- कौन सी
राज- मेरी एक तमन्ना थी की शालिनी को मेरा यार अजय छोड़ता उसे आज पूरा करूँगा तेरी नंगी जवानी को अजय के सामने धकेलुँगा और बोलूँगा की आजा यार मेरी गरम जोरू के जिस्म मे अपना मोटा मूसल लंड दल ले
ऋतु- कोई बात नही जान आप मुझे छोड़ो चाहे शालिनी मान के या ऋतु जानके मैं अपनी जवानी के पहले अभिसार के लिए तय्यार हूँ
राज- (ऋतु की चुचि को मुँह मे भरते हुए और उसके ताने हुए निप्पल को जीभ से टटोल कर खड़ा करते हुए) अभी पूरी तरह कहाँ तय्यार हो जान अभी तो तुझे लहनगा नोंच के न्नगी करूँगा और फिर तेरा नग्न नृत्या देखना है
ऋतु- आओ राजा मेरी जवानी से यह आख़िरी वस्त्रा भी हटा दो हाए राजा और ज़ोर से मस्लो मेरी जवान च्चातियों को मैं कुछ मर्दन का हर सुख भोगना चाहती हूँ मेरे नरम और जवान जिस्म की महक को लुटो मेरे राजा.
(ऋतु के लहंगे को पकड़ के उपर उठता है ऋतु की मुनिया देखता है. ऋतु की छूट पर एक भी बाल नही था. बिल्कुल चुकनी और पानी मे दुबई छूट ऐसे लग रही थी जैसे चुहिया के मूह मे पानी भर आया हो. राज ने अपनी एक उंगली उसकी छूट पर फिराई)
ऋतु- सस्सीसीीसीसीसिसीसी आआआआहह राजा क्या कर रहे को
राज- यह तेरी जवानी का आत्म है मैं इसमे अपना कार्ड स्वीप कर रहा हूँ जान इसमे से नोटो की जगह छूट का कमरस बहेगा
ऋतु- र्रज़ा प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ मेरी छूट को आत्म बनाओ तो लॉड को स्वीप करो प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ राआआआजजजज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज आआआआआअहहााआआ (कहके ऋतु की छूट ने पानी गिरना शुरू कर दिया)
राज- अभी से पानी फेक रही है साली तो आयेज जाके क्या करेगी
ऋतु- सिर्फ़ पाई छ्चोड़ा है मस्ती की उम्मेड नही छ्चोड़ी मेरा वादा है आप दोनो के लॉड को पूरा ठंडा करके ही आराम करेगी ऋतु.
राज- अच्छा देखता हू आज रत तू आराम करती है या हम दोनो के लॉड से अपनी छूट को कुटवती है
ऋतु एक बात और बोलू
ऋतु- हाँ बोलो जान
राज- मुझे गंदी गंदी गली देके छोड़ने का शौक है क्योंकि मैं रंडियों के पास जाता रहता हूँ और वो सभी साली मदारचोड़ होती है बिना गली के उनकी छूट मे पानी ही नही आता
ऋतु- मैने बोल दिया ना आपके सामने अधनंगी हूँ लहनगा उतरती हूँ और मुझे नंगी ऋतु को जैसे मर्ज़ी जो मर्ज़ी बोलके पूरी रत छोड़ो आज मालकिन घ रपे नही है इसलिए अजय बाबू भी मेरी जवानी का भोग लगा सकते है
(इतना कहके ऋतु ने अपने हाथों से अपना लहनगा खोला और नीचे सरका दिया. ऋतु दोनो मर्दो के सामने पूरी नंगी खड़ी थी उसने अपनी च्चती मे हवा भारी और अपनी तनी हुई चुचियों को अपनी ही मुट्ठी मे दबोच के दोनो की ऊवार छल्लंगे की निगाह से देखा की कौन सा मर्द उस पर पहले टूटेगा)
(ऋतु का यह रूप देख के अजय और राज दोनो के लौड़ों ने ज़ोर का तुनका मारा और दोनो लपक के ऋतु की ऊवार झपते और उसके हाथो को अपनी ऊवार खिंढ के उसकी नरम नरम गोल और जवान च्चत्तियों को नंगा कर दिया और अपने अपने तीखे दाँत उसकी चुचि पर गाड़ा दिए)
ऋतु- आआहह आओ मेरी कामुक जवानी के लुटेरों आओ अपनी कामुक और चुदसी ऋतु की न्नगी जवानी तुम दोनो के हाथों मे है इसे जी भर के चूसो मेरे कामुक मर्दों आओ मुझे छोड़ डालो
राज- (ऋतु की चुचि को अपनी बलिष्ठ मुट्ठी मे उमेत्ते हुए और मरोदते हुए ) साली कुटिया नंगी हो गयी है और अपने याअर का लॉडा नही निकाला इसे मेरी पंत से बाहर निकल साली नही तो तेरी मा छोड़ दूँगा
ऋतु- (अजय और राज के लॉड को पंत के उपर से सहलाती हुई) हाँ मेरे मर्दों तुम्हे मैं अपनी चिकनी त्वचा के रग़ाद लगा लगा के कामसुख दूँगी और तुम दोनो अपने इस मोटे मूसल लंड के मेरी कक़ची और छ्होटी सी छूट को छोड़ के रतिसुख देना
अजय- साली एक बात बता तू 3 साल से मेरे यहाँ कम कर रही है तेरे अंदर इतनी ही चुदस भारी थी तो आज से पहले क्यों नही मेरे लॉड के नीचे क्यों नही आई क्या अपने व्यस्क होने का इंतज़ार कर रही थी या कोई और खास बात है