dsi sex - ससुर जी ओर बहु - sasur or bahu ki chudai ki kahani
Re: dsi sex - ससुर जी ओर बहु - sasur or bahu ki chudai ki ka
ससुर जी को अपने ऊपर से उठते ही उषा ने अपनी दोनो टांगों को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और उनको घुटने से मोड़ कर अपना घुटना अपने चूंचियों पर लगा लिया। इसासे उषा कि चूत पूरी तरह से खुल कर ऊपर आ गई और अपने ससुर के लण्ड अपनी चूत को खिलाने के लिये तैयार हो गई। गोविन्द जी भी उठ कर अपना धोiति उतार, चड्डी, कुरता और बनियान उतार कर नंगे हो गये और फिर से उषा के खुले हुए पैरो के बीच में आकर बैठ गये। तब उषा उठ कर अपने ससुर का तनतनाया हुअ लण्ड अपने नाज़ुक हाथों से पकड़ लिया और बोली, “ऊओह्हह्हह ससुरजी कितना मोटा और सख्त है अपका यह।” गोविन्द जी तब उषा के कान से अपना मुंह लगा कर बोले, “मेरा क्या? बोल ना उषा, बोल” गोविन्द जी अपने हाथों से उषा कि गदराई हुई चूंचियों को अपने दोनो हाथों से मसाल रहे थी और उषा अपने ससुर का लण्ड पकड़ कर मुट्ठी में बांधते हुए बोली, "आआअह्हह्ह ऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ ऊईईइम्मम्ममाआ ऊऊह्हह्ह ऊऊउह्हह्हह्हह्ह! आपका यह पेनिस स्सास्सह्हह्हह्हह्ह ऊऊम्मम्मम्ममाआह्हह्ह।" गोविन्द जी फिर से उषा के कान पर धीरे से बोले, "उषा हिन्दी में बोलो ना इसका नाम प्लीज"। उषा ससुर के लण्ड को अपने हाथों में भर कर अपनी नज़र नीची कर के अपने ससुर से बोली, “मैं नही जानती, आप ही बोलीए ना, हिन्दी में इसको क्या कहते हैं।” गोविन्द जी ने हंस कर उषा कि चूंची को चूसते हुए बोले, “अरे ससुर के सामने नंगी बैठी है और यह नही जानती कि अपने हाथ में क्या पकड़ रखी है? बोल बेटी बोल इसको हिन्दी में क्या कहते और इसासे अभी हम तेरे साथ क्या करेंगे।”तब उषा ने शर्मा कर अपने ससुर के नगी छती में मुंह छुपाते हुए बोली, “ससुर जी मैं अपने हाथों से आपका खड़ा हुआ मोटा लण्ड पकड़ रखा है, और थोड़ी देर के बाद आप इस लण्ड को मेरी चूत के अन्दर डाल कर मेरी चुदाई करेंगे। बस अब तो खुश है न आप। अब मैं बिलकुल बेशरम होकर आपसे बात करुंगी।” इतना सुन कर गोविन्द जी ने तब उषा को फिर से पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया और अपने बहू की टांगो को अपने हाथों से खोल कर खुद उन खुली टांगो के बीच बैठ गये। बैठने के बाद उन्होने झुक कर उषा कि चूत पर दो तीन चूम्मा दिया और फिर अपना लण्ड अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बहू कि चूत के दरवाजे पर रख दिया। चूत पर लण्ड रखते ही उषा अपनी कमार उठा उठा कर अपनी ससुर के लण्ड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी। उषा कि बेताबी देख कर गोविन्द जी अपने बहू से बोले, “रुक छिनाल रुक, चूत के सामने लण्ड आते ही अपनी कमार उचका रही है। मैं अभी तेरे चूत कि खुजली दूर करुता हूं।” उषा तब अपने ससुर के छाती पर हाथ रख कर उनकी निप्पले के अपने अंगुलियों से मसलते हुए बोली, “ऊऊह्हह ससुरजी बहुत हो गया है। अब बार्दाश्त नहीं हो रहा है आओ ना ऊऊओह्हह प्लीज ससुरजी, आओ ना, आओ और जल्दी से मुझको चोदो। अब देर मत करो अब मुझे चोदो ना और कितनी देर करेंगे ससुरजी। ससुर जी जल्दी से अपना यह मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दीजिये। मैं अपनी चूत कि खुजली से पागल हुए जा रही हूं। जल्दी से मुझे अपने लण्ड से चोदिये। अह! ओह! क्या मस्त लण्ड है आपका।” गोविन्द जी अपना लण्ड अपने बहू कि चूत में ठेलते हुए बोले, “वाह रे मेरी छिनाल बहू, तू तो बड़ी चुद्दकड़ है। अपने मुंह से ही अपने ससुर के लण्ड की तारीफ़ कर रही है और अपनी चूत को मेरा लण्ड खिलाने के लिये अपनी कमार उचका रही है। देख मैं आज रात को तेरे चूत कि क्या हालत बनाता हूं। साली तुझको चोद चोद कर तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा” और उन्होने एक ही झटके के साथ अपना लण्ड उषा कि चूत में डाल दिया।चूत में अपने ससुर का लण्ड घुसते ही उषा कि मुंह से एक हलकी सी चीख निकल गई और उसने अपने हाथों से अपने ससुर को पकड़ उनका सर अपनी चूंचियों से लगा दिया और बोलने लगी, “वाह! वह ससुर जी क्या मस्त लण्ड है आपका। मेरी तो चूत पूरी तरह से भर गई। अब जोर जोर से धक्का मार कर मेरी चूत कि खुजली मिटा दो। चूत में बहुत खुजली हो रही है।” “अभी लो मेरे चिनल चुद्दकड़ बहू, अभी मैं तेरी चूत कि सारी कि सारी खुजली अपने लण्ड के धक्के के साथ मिटाता हूं” गोविन्द जी कमार हिला कर झटके के साथ धक्का मारते हुए बोले। उषा भी अपने ससुर के धक्के के साथ अपनी कमार उछाल उछाल कर अपनी चूत में अपने ससुर का लण्ड लेते बोली, “ओह! अह! अह! ससुरजी मज़ा आ गया। मुझे तो तारे नज़र आ रहे हैं। आपको वाकई में औरत कि चूत चोदने कि कला आती है। चोदिए चोदिए अपने बहू कि मस्त चूत में अपना लण्ड डाल कर खूब चोदिए। बहुत मज़ा मिल रहा है। अब मैं तो आपसे रोज़ अपनी चूत चुदवाऊंगी। बोलीये चोदेंगे ना मेरी चूत?” गोविन्द जी अपनी बहू की बात सुन कर मुसकुरा दिये और अपना लण्ड उसकी चूत के अन्दर बाहर करना जारी रखा। उषा अपनी ससुर के लण्ड से अपनी चूत चुदवा कर बेहाल हो रही थी और बड़बड़ा रही थी,
आआह्हह्हह ससुरजीईए जोर्रर्रर सीई। हन्नन्न सासयरजीए जूर्रर्रर जूर्रर्र से धक्कक्काअ लगीईईई, और्रर्रर जूर्रर सीई चोदिईईए अपनी बहू की चूत्तत्त को। मुझीई बहुत्तत्त अस्सह्ह्हाअ लाअग्गग रह्हह्हाअ हैईइ, ऊऊओह्ह्ह और जोर से चोदो मुझे आआह्हह्ह सौऊउर्रर्रजीए और जोर से करो आआअहह्हह्हह्ह और अन्दर जोर से। ऊऊओह्हह्ह दीआर्रर ऊऊओह्हह्हह्ह ऊऊऊफ़्फ़फ़् आआह्हह्हह आआह्हह्हह्ह ऊउईईई आअह्हहह ऊऊम्मम्माआह्ह्हह्हह ऊऊऊह्हह्हह।"
आआह्हह्हह ससुरजीईए जोर्रर्रर सीई। हन्नन्न सासयरजीए जूर्रर्रर जूर्रर्र से धक्कक्काअ लगीईईई, और्रर्रर जूर्रर सीई चोदिईईए अपनी बहू की चूत्तत्त को। मुझीई बहुत्तत्त अस्सह्ह्हाअ लाअग्गग रह्हह्हाअ हैईइ, ऊऊओह्ह्ह और जोर से चोदो मुझे आआह्हह्ह सौऊउर्रर्रजीए और जोर से करो आआअहह्हह्हह्ह और अन्दर जोर से। ऊऊओह्हह्ह दीआर्रर ऊऊओह्हह्हह्ह ऊऊऊफ़्फ़फ़् आआह्हह्हह आआह्हह्हह्ह ऊउईईई आअह्हहह ऊऊम्मम्माआह्ह्हह्हह ऊऊऊह्हह्हह।"
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थोड़ी देर तक जोर जोर के धक्को से अपने बहू की चूत चोदने के बाद गोविन्द जी ने अपना धक्को की रफ़्तार धीमी कर दिया और उषा की चूंचियों को फिर से अपने हाथों में पकड़ कर उषा से पूछा, “बहू कैसा लग रहा है अपने ससुर का लण्ड अपनी चूत में पिलवा कर?” तब उषा अपनी कमार उठा उठा कर चूत में लण्ड की चोट लेती हुइ बोली, “ससुरजी अपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरी चूत दोनो का हाल ही बेहाल हो गया है। आप चूत चोद ने में बहुत एक्सपर्ट है बड़ा मजा आ रहा है मुझे ससुरजी, ऊओह्हह्हह ससुरजी आप बहुत अच्छा चोदते है आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्ह। ऊऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ ससुरजी आप बहुत ही एक्सपर्ट है और आपको औरतों कि चूत चोद कर औरतों को सुख देना बहुत अच्छी तरह से आता है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है यूं ही हां, ससुर जी यूं ही चोदो मुझे आप बहुत अच्छे हो बस यू ही चुदाई करो मेरी ऊओह्हह्ह खूब चोदो मुझे। गोविन्द जी भी उषा की बातों को सुन कर बोले, “ले रण्डी, छिनाल ले अपने चूत में अपने ससुर का लण्ड का ठोक कर ले। आज देखते है कि तू कितनी बड़ी छिनाल चुद्दकड़ है। आज मैं तेरी चूत को अपने हलवी लण्ड से चोद चोद कर भोसड़ा बना दूंगा। ले मेरी चुदक्कड़ बहू ले मेरा लण्ड अपनी चूत में खा।” गोविंद जी इतना कह कर फिर से उषा कि चूत में अपना लण्ड जोर जोर से पेलने लगे और थोड़ी देर के बाद अपना लण्ड जड़ तक ठूंस कर अपनी बहू कि चूत के अन्दर झड़ गये। उषा भी अपने ससुर कि लण्ड को चूत को उठा कर अपनी चूत में खाती खाती झड़ गई। थोड़ी देर तक दोनो ससुर और बहू अपनी चुदाई से थक कर सुस्त पड़े रहे।थोड़ी देर के बाद उषा ने अपनी आंखे खोली और अपने ससुर और खुद को नंगी देख कर शर्मा कर अपने हाथों से अपना चेहेरा ढक लिया। तब गोविन्द जी उठ कर पहले बाथरूम में जा कर अपना लण्ड धो कर साफ़ करने के बाद फिर से उषा के पास बैठ गये और उसके शरीर से खेलने लगे। गोविन्द जी ने अपने हाथों से उषा का हाथ उसके चेहरे से हटा कर अपने बहू से पूछा, “क्यों, छिनाल चुद्दकड़ रण्डी उषा मज़ा आया अपने ससुर के लण्ड से अपनी चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लण्ड और उसके धक्के?” उषा अपने हाथों से अपने ससुर को बांध कर उनको चूमते हुए बोली, “बाबूजी अपका लण्ड बहुत शानदार है और इसको किसी भी औरत कि चूत को चोद कर मज़ा देने कि कला आती है। लेकिन, सबसे अच्छा मुझे आपका चोदते हुए गन्दी बात करना लगा। सच जब आप गन्दी बात कराते है और चोदते है तो बहुत अच्छा लगता है।” गोविन्द जी ने अपने हाथों से उषा कि चूंची को पकड़ कर मसलते हुए बोले, “अरे छिनाल, जब हम गन्दा कम कर रहे है तो गन्दी बात करने में क्या फ़रक पड़ता है और मुझको तो चुदाई के समय गाली बकने कि आदत है। अच्छा अब बोल तुझे मेरा चुदाई कैसी लगी? मज़ा आया कि नही, चूत कि खुजली मिटी कि नही?” उषा ने तब अपने हाथों से अपने ससुर का लण्ड पकड़ कर सहलाते हुए बोली, “ससुरजी आपका लण्ड बहुत ही शानदार है और मुझे अपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मज़ा आया। लगता है कि आपके लण्ड को भी मेरी चूत बहुत पसंद आई। देखिये ना, आपका लण्ड फिर से खड़ा हो रहा है। क्या बात है एक बार और मेरी चूत में घुसना चहता है क्या?” गोविंदजी ने तब अपने हाथ उषा कि चूत पर फेराते हुए बोले, “साली कुतिया, एक बार अपने ससुर का लण्ड खा कर तेरी चूत का मन नही भरा, फिर से मेरा लण्ड खाना चाहती है? ठीक है मैं तुझको अभी एक बार फिर से चोदता हूं।”
गोविन्द जी कि बात सुन कर उषा झट से उठ कर बैठ गई और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हाथ और पैर के बल बैठ कर अपने ससुर से बोली, “बाबू जी, अब मेरी चूत में पीछे से अपना लण्ड डाल कर चोदिये। मुझे पीछे से चूत में लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है।” गोविन्द जी ने तब अपने सामने झुकी हुई उषा की चूतड़ पर हाथ फेराते हुए उषा से बोले, “साली कुत्ती तुझको पीछे से लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिया चुदवाती है, क्या तू कुतिया है?” उषा अपना सिर पीछे घुमा कर बोली, “हां मेरे चोदू ससुरजी मैं कुतिया हूं और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरी चूत चोदेंगे। अब जल्दी भी करिये और शुरु हो जाओ जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालिये।” गोविन्द जी अपने लण्ड पर थूक लगाते हुए बोले, “ले मेरी रण्डी बहू ले, मैं अभी तेरी फुदकती चूत में अपना लण्ड डाल कर उसकी खबार लेता हूं। साली तू बहुत चुद्दकड़ है। पता नहीं मेरा बेटा तुझको शान्त कर पायेगा कि नही।” और इतना कहकर गोविन्द जी अपने बहू के पीछे जाकर उसकि चूत अपने अंगुलियों से फैला कर उसमे अपना लण्ड डाल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभी कभी गोविन्द जी अपना अंगुली उषा कि गाण्ड में घुसा रहे थे और उषा अपनी कमार हिला हिला अपनी चूत में ससुर के लण्ड को अन्दर भर कर करवा रही थी। थोड़ी देर के चोदने के बाद दोनो बहू और ससुर जी झड़ गये। तब उषा उठ कर बाथरूम में जाकर अपना चूत और जांघे धोकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और गोविन्द जी भी अपने कमरे जाकर सो गये।
गोविन्द जी कि बात सुन कर उषा झट से उठ कर बैठ गई और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हाथ और पैर के बल बैठ कर अपने ससुर से बोली, “बाबू जी, अब मेरी चूत में पीछे से अपना लण्ड डाल कर चोदिये। मुझे पीछे से चूत में लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है।” गोविन्द जी ने तब अपने सामने झुकी हुई उषा की चूतड़ पर हाथ फेराते हुए उषा से बोले, “साली कुत्ती तुझको पीछे से लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिया चुदवाती है, क्या तू कुतिया है?” उषा अपना सिर पीछे घुमा कर बोली, “हां मेरे चोदू ससुरजी मैं कुतिया हूं और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरी चूत चोदेंगे। अब जल्दी भी करिये और शुरु हो जाओ जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालिये।” गोविन्द जी अपने लण्ड पर थूक लगाते हुए बोले, “ले मेरी रण्डी बहू ले, मैं अभी तेरी फुदकती चूत में अपना लण्ड डाल कर उसकी खबार लेता हूं। साली तू बहुत चुद्दकड़ है। पता नहीं मेरा बेटा तुझको शान्त कर पायेगा कि नही।” और इतना कहकर गोविन्द जी अपने बहू के पीछे जाकर उसकि चूत अपने अंगुलियों से फैला कर उसमे अपना लण्ड डाल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभी कभी गोविन्द जी अपना अंगुली उषा कि गाण्ड में घुसा रहे थे और उषा अपनी कमार हिला हिला अपनी चूत में ससुर के लण्ड को अन्दर भर कर करवा रही थी। थोड़ी देर के चोदने के बाद दोनो बहू और ससुर जी झड़ गये। तब उषा उठ कर बाथरूम में जाकर अपना चूत और जांघे धोकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और गोविन्द जी भी अपने कमरे जाकर सो गये।
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अगले हफ़्ते रमेश और उषा अपने हनीमून मनाने अपने एक दोस्त, जो कि शिमला में रहता है, चले गये। जैसे ही रमेश और उषा शिमला एयरपोर्ट से बाहर निकले तो देखा कि रमेश का दोस्त, गौतम और उसकी बीवी सुमन दोनो बाहर अपनी कार के साथ उनका इन्तज़ार कर रहे है। रमेश और गौतम आगे बढ कर एक दूसरे के गले लग गये। फिर दोनों ने अपनी अपनी बीवियों से परिचय करवा दिया और फिर कार में बैठ कर घर की तरफ़ चल पड़े। घर पहुंच कर रमेश और गौतम बैठक में बैठ कर पुरानी बातो में मशगूल हो गय और उषा और सुमन दूसरे कमरे में बैठ कर बाते करने लगे। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम अपनी बीवियों को बुलाकर उनसे कहा कि खाना लगा दो बहुत जोर की भूख लगी है। सुमन ने फटाफ़ट खाना लगा दिया और चारों डाईनिंग टेबल पर बैठ कर खाने लगे। खाना खाते समय उषा देख रही थी कि रमेश सुमन को घूर घूर कर देख रहा है और सुमन भी धीरे धीरे मुसकुरा रही है। उषा को दाल में कुछ काला नज़र आया। लेकिन वो कुछ नही बोली।अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नाश्ता करने के बाद अपने ऑफ़िस के लिये रवाना हो गया। घर पर उषा, रमेश और सुमन पर बैठ कर नाश्ता करने के बाद गप लड़ा रहे थे। उषा ने आज सुबह भी ध्यान दिया कि रमेश अभी भी सुमन को घूर रहा है और सुमन धीरे धीरे मुसकुरा रही है। थोड़ी देर के बाद उषा नहाने के लिये अपने कपड़े ले कर बाथरूम में गई। करीब आधे घण्टे के बाद जब उषा बाथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिया लपेट कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने टांगे फैला कर अपनी कुरसी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाऊज के बटन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन की एक चूंची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से सुमन की दूसाड़ी चूंची को दबा रहा है। उषा यह देख कर सन्न रह गई और अपनी जगह पर खड़ी कि खड़ी रह गई। तभी सुमन कि नज़र उषा पर पर गई तो उसने अपनी हाथ हिला कर उषा को अपने पास बुला लिया और अपनी एक चूंची रमेश से छुड़ा कर उषा की तरफ़ बढा कर बोली, “लो उषा तुम भी मेरी चूंची चूसो।” रमेश चुपचाप सुमन कि चूंची चूसता रहा और उसने उषा कि तरफ़ देखा तक नही। सुमन ने फिर से उषा से बोली, “लो उषा तुम भी मेरी चूंची चूसो, मुझे चूंची चुसवाने में बहुत मज़ा मिलता है तभी मैं रमेश से अपनी चूंची चुसवा रही हूं।” उषा अब कुछ नही बोली और सुमन की दूसाड़ी चूंची अपने मुंह में भर कर चूसने लगी।थोड़ी देर के बाद उषा ने देखा कि सुमन अपना हाथ आगे कर के रमेश का लण्ड उसके पैजामे के ऊपर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में लेकर मारोड़ रही है और रमेश सुमन कि एक चूंची अपने मुंह में भर कर चूस रहा है। अब तक उषा भी गरम हो गई थी। तभी सुमन ने रमेश का पैजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया और रमेश का पैजामा सरक कर नीचे गिर गया। पैजामा के नीचे गिरते ही रमेश नंगा हो गया क्योंकि वो पैजामे के नीचे कुछ नही पहन रखा था। जैसे ही रमेश रमेश नंगा हो गया वैसे ही सुमन आगे बढ कर रमेश का खड़े लण्ड को पकड़ लिया और उसका सुपारा को खोलने और बंद करने लगी और अपने होठों पर जीभ फेरने लगी। यह देख कर उषा ने अपने हाथों से पकड़ कर रमेश का लण्ड सुमन के मुंह से लगा दिया और सुमन से बोली, “लो सुमन, मेरे पति का लण्ड चूसो। लण्ड चूसने से तुम्हे बहुत मज़ा मिलेगा। मैं भी अपनी चूत मारवाने के पहले रमेश का लण्ड चूसती हूं। फिर रमेश भी मेरी चूत को अपने जीभ से चाटता है।” जैसे ही उषा ने रमेश का लण्ड सुमन के मुंह से लगाया वैसे ही सुमन ने अपनी मुंह खोल कर के रमेश का लण्ड अपने मुख में भर लिया और उसको चूसने लगी। अब रमेश अपनी कमार हिला हिला कर अपना लण्ड सुमन के मुंह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने हाथों से सुमन कि दोनो चूंची पकड़ कर मसलने लगा। तब उषा ने आगे बढ कर सुमन के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही सुमन ने अपनी चूतड़ कुरसी पर से थोड़ा सा उठा दिया और उषा अपने हाथों से सुमन की पेटीकोट को खींच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेटीकोट के नीचे पेण्टी नही पहनी थी और इसालीये पेटीकोट खुलते ही सुमन भी रमेश कि तरह बिलकुल नंगी हो गई।
उषा ने सबसे पहले नंगी सुमन की जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। सुमन की चूत पर झांटे बहुत ही करीने से हटाई गई थी और इस समय सुमन कि चूत बिलकुल चमक रही थी। सुमन कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। उषा झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और सुमन कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। उषा का मुंह जैसे ही सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब उषा ने आगे बढ कर सुमन कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। उषा अपनी जीभ को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और सुमन मारे गरमी के उषा का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर रमेश ने जैसे ही देखा कि उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लण्ड सुमन के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपना मुंह खोल कर रमेश का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। नीचे उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी सुमन के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।
उषा ने सबसे पहले नंगी सुमन की जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। सुमन की चूत पर झांटे बहुत ही करीने से हटाई गई थी और इस समय सुमन कि चूत बिलकुल चमक रही थी। सुमन कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। उषा झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और सुमन कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। उषा का मुंह जैसे ही सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब उषा ने आगे बढ कर सुमन कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। उषा अपनी जीभ को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और सुमन मारे गरमी के उषा का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर रमेश ने जैसे ही देखा कि उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लण्ड सुमन के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपना मुंह खोल कर रमेश का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। नीचे उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी सुमन के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।