nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum garam
nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum garam
रात के तकरीबन 12 बज रहे थे !
एक मारुती आइकोन सुनसान हाइवे पर तेजी से भागी जा रही थी !
कार के भीतर दो प्राणी मौजूद थे !
एक नर , दूसरी मादा !
"मन , इस बार ना जाने क्यूँ मुझे बड़ी घबराहट हो रही हे .....!"मादा की आवाज़ !
"क्या , हम ये सब पहली बार करने जा रहे हे ...?हर बार की तरह इस बार भी ज्यादा मजे आयेंगे ......
ज्यादा मत सोचो !" नर की आवाज़ !
"हम लोग शहर से कितना दूर आ गए हे ...अब और कितना आगे हे ?'
"बस पहुँचने ही वाले हे ... !"
"उम्र कितनी होगी ....उनकी ...?"
" अधेड़ ...अकेला और तन्हा ...!"
"तुमने उसे क्या बताया हे ?..."
" वहीँ जो हर बार बताता हु .....बच्चा नहीं ठहरता .....में ठीक से कर नहीं पता हु ......
डाक्टर को बताया कोई फायदा नहीं हुआ ....वगेरह वगेरह ...!"
"उसने क्या कहा ?..."
"यहीं की अपनी पत्नी को लेकर आओ ...तभी इलाज होगा ..!"
"पर इतनी रात में क्यूँ ?..."
"क्यूंकि दिन में कोई भी आता जाता रहता हे "
"तुम्हे केसे पता ?'
" क्यूंकि ऑफिस से लोटते हुए अक्सर कोई ना कोई दिख जाता हे ...!"
"क्या तुम्हे वो पहचानता हे ?...."
" अगर पहचानता तो में ये रिस्क कभी नहीं लेता !..."
"पता नहीं क्यूँ ....मेरा दिल तेजी से धड़क रहा हे ...!"
" इसी रोमांच के लिए ही तो हम ये सब करते हे ना !...."
एक मारुती आइकोन सुनसान हाइवे पर तेजी से भागी जा रही थी !
कार के भीतर दो प्राणी मौजूद थे !
एक नर , दूसरी मादा !
"मन , इस बार ना जाने क्यूँ मुझे बड़ी घबराहट हो रही हे .....!"मादा की आवाज़ !
"क्या , हम ये सब पहली बार करने जा रहे हे ...?हर बार की तरह इस बार भी ज्यादा मजे आयेंगे ......
ज्यादा मत सोचो !" नर की आवाज़ !
"हम लोग शहर से कितना दूर आ गए हे ...अब और कितना आगे हे ?'
"बस पहुँचने ही वाले हे ... !"
"उम्र कितनी होगी ....उनकी ...?"
" अधेड़ ...अकेला और तन्हा ...!"
"तुमने उसे क्या बताया हे ?..."
" वहीँ जो हर बार बताता हु .....बच्चा नहीं ठहरता .....में ठीक से कर नहीं पता हु ......
डाक्टर को बताया कोई फायदा नहीं हुआ ....वगेरह वगेरह ...!"
"उसने क्या कहा ?..."
"यहीं की अपनी पत्नी को लेकर आओ ...तभी इलाज होगा ..!"
"पर इतनी रात में क्यूँ ?..."
"क्यूंकि दिन में कोई भी आता जाता रहता हे "
"तुम्हे केसे पता ?'
" क्यूंकि ऑफिस से लोटते हुए अक्सर कोई ना कोई दिख जाता हे ...!"
"क्या तुम्हे वो पहचानता हे ?...."
" अगर पहचानता तो में ये रिस्क कभी नहीं लेता !..."
"पता नहीं क्यूँ ....मेरा दिल तेजी से धड़क रहा हे ...!"
" इसी रोमांच के लिए ही तो हम ये सब करते हे ना !...."
Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara
एकाएक ,
एक कच्चा रास्ता दायीं तरफ जाता दिखाई पड़ा -
"क्या ..यहीं हे ?....." मादा ने पूछा !
" हाँ .....!"
और कर उस कच्चे रास्ते पर हिचकोले खाती आगे बढ़ गई !
ये आंवले का एक सघन बाग़ था !
हर तरफ चांदनी मिश्रित अंधकार और सन्नाटा पांव पसारे खर्राटे ले रहा था !
लगभग पांच मिनिट बाद -
"यहीं वाला घर हे ...!" नर की आवाज़ !
सामने दायीं तरफ आंवले के बाग़ में झोंपड़ी नुमा एक मकान बना हुआ था !
इकलोता लकड़ी का दरवाज़ा बाद था पर खिड़की से लालटेन की श्रीर्ण रौशनी बाहर तक
लहरा रही थी !
प्रकाश की किरने कांप रही थी !
स्पष्ट था , हवा धीरे धीरे सरसरा रही थी !
कार को कच्चे रास्ते पर छोड़ कर वे दोनों प्राणी बाहर निकले !
नर के हाथ में टार्च थी , और मादा के कंधे पर लेडिज बेग झूल रहा था !
एक कच्चा रास्ता दायीं तरफ जाता दिखाई पड़ा -
"क्या ..यहीं हे ?....." मादा ने पूछा !
" हाँ .....!"
और कर उस कच्चे रास्ते पर हिचकोले खाती आगे बढ़ गई !
ये आंवले का एक सघन बाग़ था !
हर तरफ चांदनी मिश्रित अंधकार और सन्नाटा पांव पसारे खर्राटे ले रहा था !
लगभग पांच मिनिट बाद -
"यहीं वाला घर हे ...!" नर की आवाज़ !
सामने दायीं तरफ आंवले के बाग़ में झोंपड़ी नुमा एक मकान बना हुआ था !
इकलोता लकड़ी का दरवाज़ा बाद था पर खिड़की से लालटेन की श्रीर्ण रौशनी बाहर तक
लहरा रही थी !
प्रकाश की किरने कांप रही थी !
स्पष्ट था , हवा धीरे धीरे सरसरा रही थी !
कार को कच्चे रास्ते पर छोड़ कर वे दोनों प्राणी बाहर निकले !
नर के हाथ में टार्च थी , और मादा के कंधे पर लेडिज बेग झूल रहा था !
Re: nonveg story - लौड़ा साला गरम गच्क्का - lund ak dum gara
"क्या वो जाग रहा होगा ...?' मादा की हलकी सी आवाज़ !
"पता नहीं .....मध्य रात्रि हे ...शायद सो चूका होगा ....!" नर की आवाज़ !
दोनों झोंपड़ी तक पहुंचे !
" खों ssssss खों ssss "
अन्दर से किसी प्राणी के खांसने की आवाज़ गूंजी !
" शायद जाग रहा हे ...!" नर की फुसफुसाती सी आवाज़ !
"ठक -ठक "
नर ने हाथ बढ़ा कर सांकल खटखटाई !
प्रतिउत्तर में -
एक गहरा मौन !
पहले से भी अधिक गहरा !
मानो भीतर मौजूद प्राणी ने सांस तक रोक ली हो !
"ठक -ठक "
मानो नर ने फिर से अपनी क्रिया की पुनरावृति की हो !
दो क्षण के मौन के पश्चात -
"कौन ...?"- किसी नर की भारी आवाज़ !
" में ..हूँ ..." नर की थोड़ी ऊँची आवाज़ !
भीतर मौजूद प्राणी ने शायद आवाज़ पहचान ली थी !
"इतनी रात को ...?"- भीतर से आवाज़ आई !
" दरअसल ...रास्ते में थोड़ी गाडी ख़राब हो गई थी ...!"
भीतर से सरसराहट की आवाज़ गूंजी !
कुछ ही क्षण के पश्चात दरवाज़ा हलकी चिडचिडाहट की आवाज़ के साथ खुल गया !
एक हस्ट पुष्ट पहलवान जेसा अधेड़ नर दरवाज़े पर प्रकट हुआ !
जिसके एक हाथ में लालटेन और दुसरे हाथ में लाठी थी !
"पता नहीं .....मध्य रात्रि हे ...शायद सो चूका होगा ....!" नर की आवाज़ !
दोनों झोंपड़ी तक पहुंचे !
" खों ssssss खों ssss "
अन्दर से किसी प्राणी के खांसने की आवाज़ गूंजी !
" शायद जाग रहा हे ...!" नर की फुसफुसाती सी आवाज़ !
"ठक -ठक "
नर ने हाथ बढ़ा कर सांकल खटखटाई !
प्रतिउत्तर में -
एक गहरा मौन !
पहले से भी अधिक गहरा !
मानो भीतर मौजूद प्राणी ने सांस तक रोक ली हो !
"ठक -ठक "
मानो नर ने फिर से अपनी क्रिया की पुनरावृति की हो !
दो क्षण के मौन के पश्चात -
"कौन ...?"- किसी नर की भारी आवाज़ !
" में ..हूँ ..." नर की थोड़ी ऊँची आवाज़ !
भीतर मौजूद प्राणी ने शायद आवाज़ पहचान ली थी !
"इतनी रात को ...?"- भीतर से आवाज़ आई !
" दरअसल ...रास्ते में थोड़ी गाडी ख़राब हो गई थी ...!"
भीतर से सरसराहट की आवाज़ गूंजी !
कुछ ही क्षण के पश्चात दरवाज़ा हलकी चिडचिडाहट की आवाज़ के साथ खुल गया !
एक हस्ट पुष्ट पहलवान जेसा अधेड़ नर दरवाज़े पर प्रकट हुआ !
जिसके एक हाथ में लालटेन और दुसरे हाथ में लाठी थी !