Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:08

मैं उसकी इस बात से हैरान हो गया पर मुझे लगा कि चलो
लगता है जल्द ही रूचि की भी चुदाई की इच्छा जल्द ही पूरी
हो जाएगी।
उन्होंने मेरे गाल नोंचते हुए पूछा- अब कहाँ खो गए?
तो मैंने बोला- मैं ये सोच रहा हूँ ऐसी लड़की आप कहाँ से
लाओगी?
तो बोली- अरे अपने अपार्टमेंट में ही तलाशूंगी… शायद कोई
मिल जाए और मिलते ही तुम्हारी सैटिंग भी करा दूँगी।
फिर मैंने बोला- अगर नहीं मिली तो?
माया बोली- ये बाद की बात है…
मैंने बोला- ऐसे कैसे बाद की बात है।
तो वो बोली- अच्छा.. तू बता.. कोई तेरी नज़र में हो.. तो
बता मैं उससे तेरी सैटिंग करवा दूँगी।
अब उसे क्या पता कि मेरे दिल में उसकी ही अपनी बेटी को
चोदने की इच्छा है, पर मैंने उस समय सयंम रखा और कहा- कोई
होगी तो बता दूँगा.. पर तब अपनी बात से पलट न जाना।
उसने मुझसे बोला- तुम्हारी कसम.. मैं नहीं पलटूंगी.. तुम्हें मुझसे
जैसी भी मदद चाहिए होगी.. तुम बता देना, मैं तुम्हारी जरूर
मदद करू
मैंने- चलो अब इस टॉपिक को चेंज करते हैं।
मैंने माया को अपने सीने से चिपका लिया.. जिससे उसकी
मस्त उन्नत मुलायम चूचियों की चुभन मेरे सीने में होने लगी..
जिसका अहसास काफी अच्छा था।
मैं उसे अपने शब्दों से बयान ही नहीं कर सकता था.. मेरा हाथ
उनकी नंगी पीठ पर धीरे-धीरे चलने लगा.. जिससे माया को
मेरे प्यार के एहसास का नशा चढ़ने लगा और उसके शरीर के
रोंगटे खड़े हो गए।
ऐसा लग रहा था मानो हज़ारों आनन्द की तरंगें उसके शरीर में
दौड़ने लगी थीं।
यह शायद मेरे प्रति उसके प्यार का असर था या वो
भावनात्मक तरीके से मुझसे जुड़ गई थी, जिसकी वजह से ऐसा
हो रहा था।
फिर मैंने उसके आनन्द को बढ़ाने के लिए उसके गर्दन में अपने
होंठों को लगाकर चुम्बन करने लगा और उसके कान पर ‘लव-
बाइट’ करने लगा.. जिससे उसकी मदहोशी और बढ़ती ही चली
जा रही थी।
उसे इस क्रिया में बहुत आनन्द आ रहा था जो कि उसकी बंद
आँखें और मुस्कराता चेहरा साफ़-साफ़ बता रहा था।
यहाँ मैं अपने पूर्ण आत्म-विश्वास के साथ पाठकों को ये
बताना चाहूँगा… यदि उनकी कोई गर्लफ्रेंड या पत्नी है या
लड़कियों का कोई बॉयफ्रेंड या पति है.. तो उसके साथ ये
आज़माकर देखें.. वो भी पागल हो जाएगा… आप यदि उसके
कान के मध्य भाग में चुंबन करते हैं तो शर्तिया उसके रोम-रोम
खड़े हो जायेंगे।
फिर मैंने धीरे से माया को सोफे पर लिटाया और चुम्बन करते
हुए उसके चूचों को दबाने लगा.. जिससे माया माया की
‘आआह्ह अह्ह्ह्ह’ निकलनी आरम्भ हो गई और उसे आनन्द आने
लगा।
अब उसने मुझसे बोला- अब और कितना तड़पाओगे.. चलो कमरे
में चलते हैं।
फिर मैंने उससे बोला- नहीं.. आज मुझे सोफे पर ही चुदाई करना
है।
मैंने कई फिल्मों में सोफे पर चुदाई देखी है।
तो वो बोली- अरे यहाँ जगह कम है। मैंने बोला- वो सब मुझ पर
छोड़ दो.. पूरी रात बाकी है.. अगर मज़ा न आए तो कहना।
ये कहते हुए उसके मम्मों को चूसने और रगड़ने लगा।
वो सिसियाने लगी- अह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह काटो मत.. दर्द होता
है.. आराम से करो.. देखो सुबह की वजह से अभी भी लाल
निशान पड़े हैं।
तो मैंने उसे प्यार से चूसना चालू कर दिया और उसका जोश
दुगना होता चला गया।
मैं भी उसके टिप्पों को बड़े प्यार से चाट रहा था.. जैसे उसमें
मुझे मिश्री का स्वाद मिल रहा हो।
वो अब चरमानंद के कारण बिन पानी की मछली की तरह
तड़पने लगी।
उसकी आग को बस हवा देना बाकी रह गया था…
मैंने वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए अपना हाथ धीरे से उसकी
चूत पर हाथ ले गया और अपनी दो ऊँगलियों से उसकी चूत की
मालिश करने लगा और बीच-बीच में उसकी चूत के दाने को
भी रगड़ देता.. जिससे वो और कसमसा उठती।
इस तरह धीरे-धीरे वो चरम पर पहुँचने लगी और अपने हाथों से
अपने मम्मों को मसलते हुए बड़बड़ाने लगी- आआह शह्ह्ह्ह
शाबाश.. आह्ह्ह्ह्ह मेरी जान.. ऐसे ही और जोर से…
शायद वो झड़ने के मुकाम पर पहुँच चुकी थी, तभी मैंने उसे और
तड़पाने के लिए उनकी चूत से तुरंत ऊँगली निकाल कर उनके मुँह
में डाल दी। जिसे उन्होंने चाट-चाट कर साफ कर दिया।
‘राहुल प्लीज़ मत तड़पाओ.. अब आ भी जाओ.. मुझे तुम्हारे
लण्ड की जरूरत है।’
तो मैंने उनके मुँह पर चुम्बन किया और उन्हें कुछ इस तरह होने को
बोला कि वो सोफे की टेक को पकड़ कर घोड़ी बन जाएं..
ताकि मैं जमीन पर खड़ा रहकर उनको पीछे से चोद सकूँ।
ठीक वैसा ही जैसा मैंने फिल्मों में देखा था।
माया ने वैसे ही किया फिर मैंने माया गोल नितम्बों को
पकड़ कर उसकी पीठ पर चुम्बन लिया और उसके नितम्बों पर
दाब देकर थोड़ा खुद को ठीक से सैट किया ताकि आराम से
चुदाई की जा सके।
फिर मैंने उसकी चूत में दो ऊँगलियां घुसेड़ दीं और पीछे से ही
उँगलियों को आगे-पीछे करने लगा..
जिससे माया को भी आनन्द आने लगा और बहुत ही मधुर
आवाज़ में सिसियाने लगी- आआअह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह उउम्म
आआअह राहुल.. आई लव यू.. आई लव यू

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:08

कहते हुए झड़ गई,
जिससे मेरी ऊँगलियाँ उसके कामरस से तर-बतर हो गईं..
पर मैं उसकी चूत के दाने को अभी भी धीरे-धीरे मसलता ही
रहा और उसकी पीठ पर चुम्बन करते हुए उसे एक बार फिर से
लण्ड खाने के लिए मज़बूर कर दिया।


इस तरह जैसे ही मैंने दुबारा माया की तड़प बढ़ाई तो माया से
रहा नहीं गया और ऊँचे स्वर में मुझसे बोली- जान और न
तड़पाओ अब.. बुझा दो मेरी प्यास को..
तो मैंने भी देर न करते हुए थोड़ा सा उसे अपने ठोकने के
मुताबिक़ ठीक किया और अपने लौड़े को हाथ से पकड़ कर
उसकी चूत के ऊपर ही ऊपर घिसने लगा.. ताकि उसके कामरस
से मेरे लण्ड में थोड़ी चिकनाई आ जाए..
अब माया और बेहाल हो गई और गिड़गिड़ाते स्वर में मुझसे
जल्दी चोदने की याचना करने लगी।
जिसके बाद मैंने उसके सुन्दर कोमल नितम्ब पर एक चांटा जड़
दिया और उससे बोला- बस अभी शुरू करता हूँ।
मेरे द्वारा उसके नितम्ब पर चांटा मारने से उसका नितम्ब
लाल पड़ गया था और उसके मुख से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह ह्ह्ह’
सिसकारी निकल गई जो कि काफी आनन्दभरी थी।
मुझे उसकी इस ‘आह’ पर बहुत आनन्द आया था.. इसीलिए मैंने
बिना सोचे-समझे.. उसके दोनों चूतड़ों पर एक बार फिर से चांटे
मारे.. जिससे उसकी फिर से मस्त ‘आआआअह’ निकल गई।
वो बोलने लगी- प्लीज़ अब और न तरसाओ.. जल्दी से पेल दो..
फिर मैंने अपने लौड़े को धीरे से उसकी चूत के छेद पर सैट किया
और उसके चूतड़ को नीचे की ओर दबा कर अपने लण्ड को
उसकी चूत में धकेला जिससे माया के मुख से एक सिसकारी
‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई और मेरा लौड़ा लगभग आधा.. माया
की चूत में सरकता हुआ चला गया और मैंने फिर से अपने लौड़े
को थोड़ा बाहर निकाल कर फिर थोड़ा तेज़ अन्दर को धकेल
दिया..
जिसे माया बर्दास्त न कर पाई और फिर से उसके मुख से एक
चीख निकल गई।
‘आआअह्हा आआआ हाआआआ श्ह्ह्ह्ह’
मैंने इस बार बिना रुके माया की चुदाई चालू रखी। मुझे बहुत
आनन्द आ रहा था मैंने फिल्म देखते वक़्त भी सोचा था कि
जीवन में इस तरह एक बार जरूर चोदूँगा.. पर मेरी इच्छा इतनी
जल्द पूरी हो जाएगी, इसकी कल्पना न की थी।
अब मैं धीरे-धीरे माया की चूत में अपना लण्ड आगे-पीछे करने
लगा.. जिससे माया को भी थोड़ी देर में आनन्द आने लगा और
वो भी प्रतिक्रिया में अपनी गाण्ड पीछे दबा-दबा कर
सिसियाते चुदवाने लगी ‘अह्ह्हह्ह्ह्ह उउउह्ह्ह्ह्ह् श्ह्ह्ह्ह’
यार.. सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने आनन्द को और
बढ़ाने के लिए उसके चूतड़ों पर फिर से चांटे मारे.. जिससे
माया कराह उठती ‘आआआह दर्द होता है जान..’
इस मरमरी अदा से उसने अपनी गर्दन घुमा कर मेरी ओर देखा
था कि मैं तो उसका दीवाना हो गया और मैंने अपने हाथों
को उसके स्तनों पर रख दिया और उन्हें धीरे-धीरे सहलाते हुए
दबाने लगा और कभी-कभी उसके टिप्पों (निप्पलों) को अपने
अंगूठों से दबा देता.. जिससे माया का कामजोश दुगना हो
जाता और वो तेज़-तेज़ से चुदवाने लगती।
फिर माया को मैंने उतारा और अब मैं सोफे पर बैठ गया और उसे
मैंने अपने ऊपर बैठने को बोला।
वो समझ गई और मेरी ओर पीठ करके मेरे लण्ड को हाथ से अपनी
चूत पर सैट करके धीरे से पूरा लण्ड निगल गई.. जैसे कोई अजगर
अपने शिकार को निगल जाता है।
फिर मैंने उसके चूचों को रगड़ना और मसलना चालू किया..
जिससे वो अपने आप का काबू खो बैठी और तेज़-तेज़ से चुदाई
करने लगी।
मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि पता ही न चला कि हम
दोनों का रस कब एक-दूसरे की कैद से आज़ाद होकर मिलन की
ओर चल दिया।
उसकी और मेरी.. हम दोनों की साँसें इतनी तेज़ चल रही थीं
कि दोनों की साँसों को थमने में 10 मिनट लग गए और फिर
हम दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।
फिर उसने मेरी ओर बहुत ही प्यार भरी नज़रों से देखते हुए एक
संतुष्टि भरी मुस्कान फेंकी.. तो मैंने भी उसकी इस अदा का
जवाब उसकी आँखों को चूम कर दिया और पूछा- तुम्हें कैसा
लगा?

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Re: Family sex -दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा-xossip

Unread post by admin » 13 Jan 2016 09:08

तो वो बोली- सच राहुल… आज तक मुझे ऐसी फीलिंग कभी
नहीं हुई.. तुमने तो सच में मुझे बहुत आनन्द दे दिया.. मैं आज बहुत
खुश हूँ.. आई लव यू राहुल
वो ये सब बोलते हुए मेरे लौड़े को सहलाने लगी जो कि उस
वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई घोड़ा लम्बी दौड़ लगाकर
सुस्ता रहा हो और मैं भी उसके शरीर में अपनी ऊँगलियां
दौड़ा रहा था.. जिससे दोनों को अच्छा लग रहा था।
मैंने माया से बोला- अच्छा मेरे इस खेल में तो तुम मज़ा ले चुकी
और तुमने मेरी बात मानकर मेरी इच्छा भी पूरी की है.. तो अब
मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि तुम जो कहो मैं वो करूँ।
तो माया बोली- यार मुझे क्या पता था इसमें उससे कहीं
ज्यादा मज़ा आएगा.. पर तुम अगर जानना चाहते हो कि मेरी
इच्छा क्या थी.. तो तुम मेरे साथ मेरे कमरे में चलो..
इतना कहकर माया उठी और मेरा हाथ थाम कर साथ चलने का
इशारा किया.. तो मैं भी खड़ा हो गया और मैंने अपना
बायाँ हाथ उसकी पीठ की तरफ से कन्धों के नीचे ले जाकर
उसके बाएं चूचे को पकड़ लिया।
उसने मेरी इस हरकत पर प्यार से अपने दायें हाथ से मेरे गाल पर
एक हलकी थाप देकर बोली- बहुत बदमाश हो गए हो.. कोई
मौका नहीं छोड़ते..
तो मैंने धीरे से बोला- तुम हो ही इतनी मस्त.. कि मेरी जगह
कोई भी होता तो यही करता..
यह कहते हुए एक बार फिर से मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में
भर कर जोरदार तरीके से चूसा.. जिससे उसके होंठ लाल हो
गए।
होंठ छूटते ही माया बोली- सच राहुल तुम्हारी यही अदा मुझे
तुम्हारा दीवाना बनने में मजबूर कर देती है.. खूब अच्छे से रगड़
लेते हो.. लगता नहीं है कि तुम इस खेल में नए हो।
तब तक हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों
वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया।
अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है..
तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया?
तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है।
तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा?

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