जिस्म की प्यास compleet

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raj..
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Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:36

दोनो लड़किया अपने घुटनो के बल नारायण के बिस्तर पे बैठी थी..... कमरे में एक बल्ब जला हुआ था जोकि काफ़ी

रोशनी दे रहा था.... रश्मि ने अपना सीधा हाथ रीत की पीठ की तरफ बढ़ाया और उसकी सफेद

ब्रा के हुक्स एक झटके में खोल दिया... रीत की पीठ पूरी नंगी हो गयी थी मगर वो ब्रा उसके

मम्मो पर टिकी रही.... इससे पता चल रहा था कि वो ब्रा कितनी टाइट थी और उसके मम्मे कितने गोल है....

रश्मि रीत के गर्दन को चूमते चूमते उसके स्तनो के तरफ बढ़ी और रीत की ब्रा को अपने दातों से

पकड़ के बिस्तर पे गिरा कर उसकी चुचियाँ को चूसने लगी... मस्ती में रीत अपने बालो में उंगलिया डालकर

ऊहह आहह कर रही थी.... रश्मि पूरी तरह रीत पर हाबी हो चुकी थी... उसने रीत को बिस्तर पे लिटा दिया और

उसके पेट पे जाके बैठ गई... रश्मि को किसी बात की भी झिझक नही थी और इस बात से नारायण का लंड काफ़ी खुश था.... रश्मि ने अपने कुर्ते को पकड़कर ज़मीन पर उतार फेका... उसने एक गुलाबी ब्रा पहेन रखी थी जिसका

एक स्ट्रॅप उसके कंधे से नीचे गिरा हुआ था.... जब रश्मि रीत के बदन को चूमने लगी तब रीत ने अपने

हाथो से रश्मि के ब्रा के हुक्स खोल दिए.... नारायण अपने जागे हुए लंड को ज़ोरो से सहलाने लगा...

रश्मि के स्तन छोटे तो थे मगर उनपे गहरे भूरे रंग की बड़ी चुचियाँ को देखते वो मचल उठा.....

रश्मि रीत के पेट के उपर से उठी और उसकी नीली स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर उसने उसकी पैंटी को उतार दिया और

उसको नारायण के पास फेंक दिया... नारायण एक कुत्ते की तरह उसको सूँगने लग गया...

रश्मि ने रीत को स्कर्ट उपर कर दिया और उसकी गुलाबी चूत को चाटने लगी.... ये देख कर नारायण का गला

सूख गया था.... रीत की सिसकियाँ पूरे कमरे में फेल गयी थी..... रश्मि एक जंगली बिल्ली की तरह रीत की

चूत के पानी को दूध समझके चाटने लगी.... रीत की चूत भी रुकने का नाम नही ले रही थी...

नारायण इतना गरम हो गया था कि वो कुर्सी से उठा और अपने कपड़े जल्दी से उतारके फिर से बैठ गया...

दोनो लड़किया नारायण को नंगा देख कर हल्के हल्के गिलगियाने लगी.... नारायण का लंड भी पानी छोड़ने लगा

था जिसको देख कर रश्मि ने रीत को बिस्तर पे अकेले छोड़ दिया और अपने सर के लंड के पास चली गयी.....

रश्मि ने अपने नाख़ून नारायण की जाँघो पर एक एक करके बढ़ाए और सीधा उसके लंड को जाकड़ लिया....

अपना मुँह खोलते हुए उसने लंड को चूसना शुरू किया.... रीत भी बिस्तर से उठी नारायण की कुर्सी के पास जाके

खड़ी हो गयी... नारायण ने उसकी चिकनी कमर को पकड़ा और अपनी गोद मे बिठा दिया.... रीत की गान्ड

नारायण की उल्टी जाँघ पर थी और उसका उल्टा पाओ नारायण की सीधी टाँग पर.... नारायण रीत को चूमने लगा और

रीत ज़रा भी पिछे नही हटी... रश्मि ने मौका देखकर अपनी दो उंगलिया रीत की टाइट चूत में घुसा दी...

रीत दर्द के मारे चिल्लाई मगर रश्मि रुकी नही और अपनी उंगलिया अंदर बाहर करने लगी....

नारायण के लंड से अब रहा नही जा रहा था और वो कुर्सी से उठा और दोनो लड़कियों को कमर से पकड़कर बिस्तर

पे ले गया.... दोनो लड़कियों ने एक दूसरे को काफ़ी गरम कर दिया था इसलिए नारायण अब वक़्त बर्बाद नही करना चाहता था... उसने रीत को बिस्तर पे लिटा दिया और उसकी टाँगो को अपने कंधे पे रख दिया.... अपने लंड को उसकी गीली चूत में हल्के हल्के घुसाने लगा... रीत दर्द के मारे पागल हुई जा रही थी तो रश्मि ने उसके होंठो को अपने

होंठो से सिल दिया... नारायण अब रीत की चूत को चोद्ने लगा था.... रश्मि ने अपनी सलवार के नाडे को

खोला और उसे नीचे गिरा दिया.... उसने अपनी कच्छि को भी उतार फैंका और रीत के माथे की तरफ बैठ गयी ताकि

रीत उसकी चूत को चूस पाए.... रीत ने अपनी गुलाबी ज़ुबान निकाली और चूस को चाटना शुरू किया...

रश्मि की चूत नारायण की आँखों के सामने थी और उसपे बाल देख कर उसे अपनी पत्नी शन्नो की याद आ गयी...

नारायण अपना हाथ बढ़ाकर रश्मि की बड़ी चुचियाँ को मसल्ने लगा.... तीनो एक दूसरे को पूरी तरह खुश कर रहे थे....

रश्मि के जिस्म की प्यास बढ़ गयी थी और उसने नारायण से चुदवाने की इच्छा जगाई तो नारायण ने रीत की चूत

में से लंड निकाला और खुद बिस्तर पे लेट गया... रश्मि उसके लंड पे जाके बैठ गयी....

नारायण का लंड रश्मि की चूत में बड़ी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था मानो कि रश्मि की चूत में तेल

डाला हुआ हो.... रीत से अकेले रहा नही गया और नारायण से अपनी चूत चुसवाने लगी....

पहली बारी नारायण को चुदाई मे इतना मज़ा आ रहा था.... उसे लग रहा था कि भगवान ने उसे भोपाल अकेले

आने का अफ़सर दिया है.... दोनो लड़किया मस्ती में मदहोश हो चुकी थी और अपने स्तनो को मसल्ने लगी थी...

जब नारायण थक गया तो रश्मि उसके लंड पर कूदने लगी....

फिर रश्मि और रीत नारायण के उपर से उठे और बोले "सर अब हम आपको मज़ा देंगे" दोनो रॅंडियो की तरह

नारायण के पैरो के पास बैठ गयी और बारी बारी उसके लंड को पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया..

नारायण ने अपनी आँखें बंद करली क्यूंकी ये सब वो सपने में ही देखा करता था और आज हक़ीक़त में हो

रहा था.. नारायण के लंड पर दोनो लड़कियों की चूत का स्वाद आ रहा था... नारायण ने फिर अपने लंड को पकड़ा

और उसे ज़ोर से हिलाता हुआ अपना सारा पानी रश्मि और रीत के चेहरे पे डाल दिया.... उसका लंड धीरे धीरे

गिरने लगा.... वो इतना थक गया था कि उसे कुर्सी का सहारा लेके बैठना पड़ा... दोनो लड़किया एक दूसरे

को देख कर मुस्कुराने लगी और नारायण को उस हालत में छोड़के उस घर से चली गयी नारायण ने जल्द से

अपना लंड रश्मि की चूत में से निकाला और उसे हिलाने लग गया... पूरे कमरे में पसीने और वीर्य की

सुगंध भरी हुई थी... नारायण कुर्सी पे बैठा अभी भी पिछले गुज़रे हुए घंटे पर यकीन नही कर पा रहा था...

क्रमशः…………………..


raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:37

गतान्क से आगे……………………………………

शाम को डॉली अकेले ड्रॉयिंग रूम रूम में बैठी बैठी टीवी देख रही थी... शन्नो अपने कमरे से निकली नही थी और

चेतन का कोई अता पता नही था... डॉलीने जब उसे कॉल भी करा तब उसने फोन को काट दिया और मैसेज करते हुए कहा कि वो शाम के बाद ही घर आएगा.... डॉली के पास उसकी दोस्त प्रिया से न्योता आया था उसके घर आने का

तो वो सोचने लगी कि इसके बाद तो उसे अपनी सहेली से मिलने का मौका तो मिलेगा ही नही तो क्यूँ ना वो आज ही चली जाए.... डॉली ने शन्नो को अभी बताना ज़रूरी नहीं समझा क्यूंकी वो कुच्छ ना कुच्छ बहाना करके उसे रोक लेती इसलिए वो जल्दी से स्लावार कुर्ता पहेन कर शन्नो के कमरे में गयी और उसे सारी बात बता दी...

शन्नो उसे तुरंत रुकने के लिए कहना चाहती थी क्यूंकी इस बीच में अगर चेतन आ गया तो नज़ाने क्या हो

जाएगा मगर उसके बोलने से पहले ही डॉली कमरे से चली गयी.... शन्नो बिस्तर से उठी नही वही काफ़ी देर तक

लेटी रही मगर उसकी दिल की धड़कने तब बढ़ गयी जब घर की घंटी बजने लगी... उसे पता चल गया था कि ये

उसका बेटा चेतन ही है मगर फिर भी ये ख़याल वो दिमाग़ से निकालने की पूरी कोशिश कर रही थी...

जब उसने दरवाज़ा खोला तो चेतन उसकी नज़रो के सामने खड़ा था... शन्नो ने शरम के मारे अपनी नज़रे

झुका ली और चेतन बिना कुच्छ कहें सीधा अपने कमरे में चला गया.... शन्नो भी फिर अपने कमरे को बंद

करके बैठ गयी.... शाम का सूरज काफ़ी देर पहले ढल चुका था और दोनो कमरे के दरवाज़े बंद पड़े थे...

डॉली की भी कोई खबर नही थी... शन्नो ने खड़ी में समय देखा तो 8 बजने वाले थे...

वो बाहर ड्रॉयिंग रूम रूम में गयी और डॉली के मोबाइल पर कॉल लगाया.... मगर इस कॉल के बाद उसकी परेशानी और

बढ़ गयी थी... डॉली अपनी सहेली के घर रुकने की माँग करने लगी और जब शन्नो ने उसे डाँट के घर

आने के लिए कहा तो उसकी सहेली प्रिया ने फोन पे शन्नो को मनाने की कोशिश करी और शन्नो को अंत में मानना ही पड़ा....

घड़ी पर समय बढ़ता जा रहा था और बड़ी हिम्मत दिखाकर शन्नो चेतन के कमरे की तरफ बढ़ी...

दरवाज़े को हल्के से खटखटाते हुए उसने एक दो बारी चेतन कोपुकारा मगर अंदर से कोई जवाज़ नही आई...

शन्नो ने धीरे से दरवाज़ा खोला तो चेतन बिस्तर पे पड़ा सो रहा था... शन्नो की धड़कने शांत हो गयी मगर फिर चेतन की आवाज़ आई "क्या हुआ"

शन्नो की ज़ुबान लड़खड़ाते हुए बोली "डॉली आज नही आएगी तो तुम्हे कुच्छ खाना खाना है"

उधर..................

" नारायण ने पहली बारी दो लड़कियों को साथ में चोदा और वो भी दोनो उसकी स्कूल की लड़किया थी....

अब इस चुदाई से नारायण की ज़िंदगी पर क्या असर पड़ेगा?? क्या वो इसे हसीन ख्वाब समझकर भूल जाएगा या

फिर ये हसीन लम्हा उसके अंदर का शैतान जगा देगा??

शन्नो और चेतन एक पूरी रात अकेले घर पे बिताएँगे... शन्नो को चेतन से डर है और शायद उसे अपनी जिस्म की प्यास

से भी डर है..."

ये सुनकर चेतन ने अपने उपर से चादर हटाई और शन्नो की तरफ देखते हुए बोला "तो इसका मतलब आज पूरी रात हम

दोनो अकेले होंगे"


raj..
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Re: जिस्म की प्यास

Unread post by raj.. » 28 Oct 2014 08:38

खिड़की में से हल्की सी चाँद की रोशनी आ रही थी और शन्नो चेतन के चेहरे को देख कर और भी ज़्यादा घबडा गई...

उसके कदम वही रुके रह गये... चेतन बिस्तर से उठ कर उसकी तरफ बढ़ने लगा और शन्नो एक दम से मूडी और कमरे के बाहर जाने लगी... उसका एक कदम कमरे के बाहर जैसी ही पड़ा तभी उसका बदन उसके बेटे की गिरफ़्त में आ गया...

शन्नो ने घर आने के बाद कपड़े नही बदले थे... वो एक लाल हारे रंग के सलवार कुर्ते में थी जोकि गर्मी

के लिए बनाया गया था यानी के काफ़ी पतला कपड़ा था... उसके उपर जब चेतन अपना हाथ चला रहा था तो शन्नो को

वो अपने बदन पर ही महसूस हो रहा था.... शन्नो आधी कोशिश कर रही थी कि वो चेतन की पकड़ से निकल सके और

सच बात तो यह थी कि चेतन ने उसको बड़े प्यार से अपनी बाँहो में ले रखा था...

शन्नो की गर्दन को चूमते हुए वो बोला "मम्मी मुझे ज़बरदस्ती करना पसंद नहीं है"

ये कहकर उसने शन्नो को आज़ाद कर दिया मगर शन्नो वही खड़ी रही... शन्नो चेतन से नज़रे नहीं मिला पा रही थी

मगर उसने हल्के से पूछा "क्या मिल रहा है तुम्हे ये करके??" शन्नो अभी भी चेतन के बदन से कुच्छ फुट दूरी में थी.... चेतन बोला "मैने और मेरे दोस्तो ने अपनी एक टीचर को चोदा था... सच बोलू मुझे इस बारे में सोचना भी

पसंद नही था मगर जब मैने उसके बदन को पहली बारी नंगा देखा तो मेरे होश उड़ गये...

उस बदन पे लटक रहे तरबूज़ो को छुकर ही उनका रस पीने का मन कर गया.... उसकी चूत को चोद्ते हुए जो

खुशी मैने पाई वो मैं उस वक़्त ज़ाहिर नही कर सकता था...." इससे पहले कुच्छ और चेतन कह पाता शन्नो वहाँ से

चली गयी मगर चेतन ने उसे रोका नही वही खड़ा रहकर मुस्कुराता रहा....

शन्नो अपने कमरे में गयी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.... उसका दिल अभी भी ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था....

वो सारे शब्द जो चेतन ने उसे कहें वो उसके दिमागे में घूम रहे थे... वो सोचने लगी कि मेरे बेटे ने अपनी

स्कूल की टीचर को भी चोद रखा है... मेरा बेटा कब इतना बड़ा हो गया पता ही नही चला...

ये सोचते सोचते उसका हाथ अपने आप सलवार के अंदर घुश गया और वो चौक गयी....

उसकी पैंटी चूत के पानी से गीली हुई पड़ी थी... उसे यकीन नही थाकि उसका बदन इस तरह हवस में डूबा

हुआ है कि उसके बेटे के छुने मात्र से ही उसका ये हाल हो गया है.... वो बिस्तर पे बैठी और अपने आप को शांत करने की कोशिश करती रही... उसको लगा कि अगर मैं अपने बदन को खुश कर पाई तो शायद मुझे किसी और की ज़रूरत ना हो...

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