घरेलू चुदाई समारोह compleet

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007
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:43



“मम्म्म… प्रमोद, मुझे खुशी है कि तुम सजल के साथ आए…” कोमल ने नीचे हाथ बढ़ाकर प्रमोद का तैयार लण्ड अपने हाथ में ले लिया। वो कुछ बेसब्र सी हो रही थी और जल्द ही दोनों जवान छोकरों के लौड़ों को अपने मुँह और चूत में एक साथ महसूस करना चाहती थी।

“उठो जवानों, और मेरे पीछे आओ…” कहकर वह अपने सैंडल खड़खड़ाती शयनकक्ष की ओर बढ़ गई। उसके दोनों खिलाड़ी बिना कुछ कहे उसके पीछे हो लिये।

बिस्तर के पास पहुंचकर उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतारे और बिस्तर पर घुटनों और हाथों के बल झुक गई। जब प्रमोद ने कमरे में कदम रखा तो वह पूरा नंगा था पर सामने का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गये। सामने चौड़े फैले हुए चूतड़ देखकर वो हक्का-बक्का रह गया।

“प्रमोद, यहाँ मेरे सामने आकर बैठो…”

सजल भी अपने कपड़े उतार रहा था। वह अपनी मम्मी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। वो जानता था कि उसकी मम्मी उसके लौड़े को कहाँ प्रयोग में लाना चाहती थी। जैसे ही वह नंगा हुआ वो कोमल के पुट्ठों पर हाथ रखकर आगे झुका।

“ठोक दे अंदर अपना लौड़ा, बेटा सजल…” कोमल ने कंपकंपाती आवाज़ में निर्देश दिया। साथ ही उसने प्रमोद के लण्ड के साथ अठखेलियां शुरू कर दीं। फिर अपना सिर झुकाते हुए एक ही बार में प्रमोद का पूरा लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और तेज़ी से चूसना शुरू कर दिया- “हुम्म्म्म…”

प्रमोद की तो इस अचानक आक्रमण से सांस ही रुक गई। वो अपने हाथों के बल पीछे झुक गया और अपने तने लण्ड को कोमल आंटी के मुँह में अंदर-बाहर होते देखने लगा। सजल ने भी अपने आगे के नज़ारे को देखा। हालांकि उसका लौड़ा कोमल की चूत में जाने को बेकरार था पर वो इस सीन को भी छोड़ना नहीं चाहता था।

“अब तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो, सजल…” कोमल गुस्से से चीखी- “डाल दे अपना लौडा मेरी चूत में और चोद मुझे… चल जल्दी कर…”

सजल का मोटा, लम्बा लण्ड अपनी मम्मी की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। वह तब तक अपना लण्ड उसकी चूत में ठुंसता गया जब तक कि उसके टट्टे कोमल की गाण्ड से नहीं जा टकराये। उसके इस जोरदार धक्के ने कोमल को आगे धकेल दिया जिससे कि उसके मुँह में प्रमोद का लण्ड पूरा भर गया। उस चुदासी औरत ने अपने शरीर को पीछे धकेला जिससे कि सजल का लण्ड और अंदर जाये। इसके साथ ही वो आपने आपको पेंडुलम की तरह आगे-पीछे करने लगी। कभी उसके मुँह में लण्ड होता तो कभी उसकी चूत में। वह अपने इस आनंद का भरपूर सुख लेना चाहती थी क्योंकी वो जानती थी कि वो दोनों लड़के जल्दी ही झड़ जाएंगे। वह इस घटना के पहले कम से कम एक बार स्खलित होना चाहती थी।

“आंटी, आंटी, मेरा लण्ड…” प्रमोद सिर्फ इतना ही बोल पाया। उसके सिर ने एक झटका खाया और उसने अपना गाढ़ा ताज़ा वीर्य कोमल के प्यासे मुँह में छोड़ दिया।

कोमल ने भी किसी पाइप की तरह उस लण्ड के रस को पूरी तरह पी लिया। सजल ने अपनी अँगुली से उसकी चूत की क्लिट को दबाना शुरू कर दिया था जिससे कि उसके पूरे शरीर में सनसनाहट फैल गई थी और वह भी जबरदस्त तरीके से झड़ने लगी थी। उसने अपनी चूत की मांश-पेशियों को सजल के लण्ड पर कस दिया जिससे कि वह भी उन दोनों के ही साथ झड़ जाए।

“तू भी, सजल… झड़ बेटा झड़, तेरी मम्मी को तेरा पानी चाहिये… भर दे उससे मेरी चूत… मैं झड़ रही हूँ। प्रमोद भी… तू भी आ…”

सजल का लण्ड फूल गया। उसके टट्टों में तो जैसे आग भर गई। उसके लौड़े से वीर्य की एक तेज़ धार निकली और उसकी मम्मी की चूत में जा समाई।

007
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Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:44

“ये लो मम्मी…” वो आनंद की अधिकता से चीख पड़ा- “ये लो, ताज़ा और गर्मागर्म…”

कोमल भी इस समय फिर से झड़ रही थी। उसने प्रमोद का लण्ड अपने मुँह से तभी निकाला जब वह पूरी तरह झड़ गई। फिर पूछा- “तुमने कभी चूत चाटी है, प्रमोद…” कोमल ने पूछा।

“नहीं तो…” प्रमोद ने कोमल की ताज़ी चुदी चूत में से बहते सजल के पानी पर नज़र डालते हुए जवाब दिया।

कोमल अपनी पीठ के बल आराम से लेटती हुई सजल से बोली- “बेटा इसे सिखा तो ज़रा कि मैनें तुझे चूत चाटना कैसे सिखाया था…” कोमल ने अपनी टाँगें फैला लीं, जिससे सजल को आसानी हो और प्रमोद को भी पूरी प्रक्रिया साफ़-साफ़ दिखाई पड़े।

सजल को अपने दोस्त के सामने अपनी काबिलियत दिखाने का जो मौका मिला था वह उसे छोड़ना नहीं चाहता था। उसने अपना चेहरा गंतव्य स्थान पर लगाया और अपनी अँगुलियों से चूत की कलियों को अलग करते हुए अपनी जीभ अंदर डाल दी और चटाई शुरू कर दी। प्रमोद को वो इस तरह दिखा रहा था जैसे वो चूत-रस नहीं बल्कि रसमलाई खा रहा हो।

“चाट बेटा चाट…” कोमल ने सिसकी ली और एक नज़र प्रमोद के चेहरे पर डाली।

प्रमोद वाकई इस दृश्य में लीन था और उसने अपना चेहरा और पास किया जिससे कि उसे पूरा प्रोग्राम अच्छे से दिखे। उसे आंटी की चूत की भीनी-भीनी खुशबू भी आने लगी थी।

“मेरे मम्मों के साथ खेलो और सजल को मेरी चूत खाते हुए देखो…”

प्रमोद ने आंटी की चूचियां मसलते हुए पूछा- “क्या मैं भी इसमें हिस्सा ले सकता हूँ, आंटी…”

चुदासी क्या चाहे… चुदक्कड़… वो बोली- “वैसे ही करना जैसे सजल कर रहा था… अपनी जीभ से वैसे ही चाटना, ठीक है… जा अब लग जा काम पर…”

“अरे मेरा प्यारा बच्चा… चाट, चाट, चाट… अपनी जीभ डाल अंदर…”

प्रमोद ने थोड़ा जोर लगाकर अपनी जीभ को अंदर धकेल दिया।

“चोद मुझे अपनी जीभ से, प्रमोद। क्या तुम जानते हो कि मेरी क्लिट कहाँ है…”

“मेरे ख्याल से जानता हूँ…” और उसने अपनी जीभ उस स्थान पर लगाई जिसे वह क्लिट समझता था।

“सही… हाँ, तुम जानते हो… तुम जानते हो। अब तुम वापस अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दो…”

जब प्रमोद कोमल की चूत का रस ले रहा था, सजल अपनी मम्मी के मम्मों पर पिला पड़ा था। वह अपनी मम्मी को अपने दोस्त के साथ बांटकर काफी खुश था, हालांकि उसने इसकी उम्मीद नहीं की थी। उसका लण्ड एक बार फिर से तन्नाने लगा था।

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Re: घरेलू चुदाई समारोह

Unread post by 007 » 28 Oct 2014 21:44



“ये सब बंद करो और मेरी क्लिट को जोर से काटो…”

प्रमोद के ऐसा करते ही कोमल ने एक बार फिर से पानी छोड़ दिया।

“बहुत अच्छा प्रमोद… मज़ा आ गया…” कोमल अब झड़ते-झड़ते थक चुकी थी। उन दोनों जवानों ने उसकी भूख मिटा दी थी। उसने पहले प्रमोद और फिर सजल का एक गहरा चुम्बन लिया, और टेक लगाकर लेट गई।

“मुझे उम्मीद है कि तुम्हारी मम्मी अगली छुट्टियों में भी तुम्हें यहाँ आने की इज़ाज़त देगी। है न प्रमोद…” कोमल ने पूछा।

प्रमोद- “क्यों नहीं, और मैं अगली बार ज्यादा दिनों के लिये आऊँगा…”

“मैं तुम्हारे आनंद के लिये पूरा इंतज़ाम रखूंगी…” कोमल ने कहा और उसी हालत में नंगी, सिर्फ सैंडल पहने हुए रसोई की ओर सबके लिये नाश्ता बनाने के लिये बढ़ गई।

“जल्दी करो और अपनी पैंट उतारो, सुनील…” मनीषा ने अपने पड़ोसी से कहा- “मैं तो समझी थी कि शायद कोमल घर से जाने वाली ही नहीं है…”

सुनील ने जल्दी करने की कोशिश की पर उसकी नज़रें मनीषा पर ही टिकी थीं जो अपने मम्मों को अपने हाथों में थामे चुदवाने के लिये पूरी तरह से तैयार खड़ी थी।

सुनील- “वो थोड़ी ही देर के लिये गई है। 45 मिनट में वापस आ जायेगी। मुझे उससे पहले घर पहुंचना होगा। वैसे भी मुझे गोल्फ खेलने जाना है…”

मनीषा- “क्या कहा तुमने… तुम्हारे लिये गोल्फ खेलना मुझे चोदने से ज्यादा ज़रूरी है…”

सुनील- “मैं विवश हूँ। वो मेरी कम्पनी का एक बहुत बड़ा ग्राहक है… जाना ही होगा…”

मनीषा- “हे भगवान, मैं यह तो समझ सकती हूँ कि कोमल एक जल्दबाजी की चुदाई के लिये तैयार हो सकती है क्योंकी वो तुम्हारी पत्नी है। पर मेरी चूत की प्यास मिटाने के लिये तो तुम्हें अधिक समय निकालना ही होगा। 45 मिनट में मेरा कुछ नहीं बनेगा…” मनीषा ने सुनील के मोटे तगड़े लौड़े पर एक नज़र डालते हुए कहा।

सुनील- “आज के लिये तो इतना ही हो पायेगा, मनीषा…” सुनील मनीषा को बिस्तर की ओर लेकर जाते हुए बोला।

“अगर ऐसा है तो मेरी खातिरदारी शुरू करो। पहले मेरे मम्मों को चूसो…” मनीषा ने हथियार डालते हुए कहा।

सुनील ने अपने कम समय देने का मुआवज़ा देने का फैसला किया। उसने एक हाथ से मनीषा की चूचियां मसलनी शुरू की और दूसरे हाथ से उसकी चूत की सेवा शुरू कर दी। उसने दो अँगुलियां मनीषा की चूत में घुसेड़ दीं। अपने दांतों से उसने मनीषा की दूसरी चूची का निप्पल काटना शुरू कर दिया।

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