ललिता ने अपने आप ही अपना मुँह खोला और उस काले नाग को अंदर ले लिया...
धीरे धीरे उस लंड को वो चूसने लग गयी.. ललिता को पूरी तरह अपना मुँह खोलना पड़ा तब जाके वो परशु
का लंड को चूस पा रही थी वो भी पूरा नहीं ले पा रही थी... हल्के हल्के ललिता अपना मुँह आगे पीछे करे जा रही थी.. उसकी ज़ुबान परशु के लंड के मुँह से खेल रही थी..
ललिता की नज़रे अभी परशु की नज़र पे थी मगर वो फिर भी होश में थी... वो अपनी आँखो से परशु से अपनी जिस्म की प्यास मिटाने की भीक माँग रही थी मगर परशु ने उसके बदन को छुआ तक नही..... चुदाई की जो वीडियो चल रही थी उसमें उस लड़की की चीखे ललिता को और गरम कर रही थी.... और मज़े की हद तब हुई कि उस वीडियो मेजब वो लड़की आदमी से वीर्य की भीग माँगने लगी तभी परशु झार गया और उसने आपना सारा वीर्य ललिता के मुँह में ही डाल दिया.. उसने अपना हाथ बढ़ा कर ललिता के गले को छुआ और फिर उसने परशु का सारा पानी निगल लिया... परशु अपना काम करके चुप चाप चला गया... ललिता सोच में पड़ गयी कि कल परसो सुबह तक वो अपने घर चली जाएगी नज़ाने कल क्या होगा.
अगली सुबह जब ललिता की आँख खुली तो सबसे पहला सवाल रिचा ने उसे पूछा "ये कल रात क्या हो रहा था??"
ललिता ये सुनके घबरा गयी... रिचा ने सब कुच्छ देख लिया होगा ये सोचके उसकी जान निकले जा रही थी ..
फिर भी ललिता ने अंजान होके पूछा "क्या"
रिचा बोली "यार जब तू रात में पॉर्न देखती है तो ढंग से लॅपटॉप बंद कर दिया कर नहीं तो कोई खोलके देखलेगा...
समझा कर यार" ये सुनके ललिता की जान में जान आई मगर अब उसको परशु के सामने आने में डर लग रहा था..
काफ़ी देर तक ललिता परशु के दिखने का वेट करती रही मगर वो दिखा ही नहीं... फिर वो नहाने चली गयी..
वो याद करने लगी कल रात की जो भी घटा था जिस तरह से वो परशु का घोड़े जैसा लंड चूस रही थी...
सोचने में ही ललिता काफ़ी गरम हो गयी थी.. नहाने के बाद उसको अपना तौलिया नहीं मिल रहा था तो वो रिचा का नाम
ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी कि वो बाहर से तौलिया पकड़ा दे... रिचा ने चिल्ला के बोला "अभी आई" और फिर दरवाज़ा खुला..
ललिता दरवाज़े के पिछे छुपी हुई अपना हाथ बढ़ा कर तौलिया माँगने लगी..
उसको तौलिया तो पकड़ा दिया मगर उसका हाथ ज़ोर से पकड़ लिया.. ललिता ने हाथ को देखा तो वो परशु का
हाथ लग रहा था.. ललिता अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश करती रही.. परशु ने बड़ी ज़ोर से उसका हाथ जाकड़
रखा था.. किसी तरह उसने अपना हाथ छुड़ाया और दरवाज़ा बंद कर दिया.. उसे समझ नही आया कि
आवाज़ रिचा ने दी मगर तौलिया परशु लाया...
उधर सुबह जब शन्नो की आँख खुली तो वो और उसका बेटा चेतन दोनो ही नंगे लेटे हुए थे....
शन्नो की नज़र चेतन के हल्के छाती के बालो से जाकर उसके लंड पे पड़ी जोकि बिचारा चैन से सोया पड़ा था....
शन्नो का दिमाग़ उससे खेल खेलता उससे पहले शन्नो ने अपनी नज़रे हटा ली और बिस्तर से उठने लगी....
जैसी उसने अपना बदन हटाया बिस्तर से चेतन ने उसकी कलाई पकड़ ली..... शन्नो ने मूड के देखा तो उसका बेटा जाग
गया था और ज़ाहिर सी बात थी कि वो क्या चाहता था.... शन्नो के नंगे फूले हुए बदन को देख कर चेतन का
लंड हल्के से उठने लगा था.... चेतन बिस्तर से टिक कर बैठा और अपनी मा को अपनी तरफ खीच लिया...
शन्नो का हाथ उस लंड पर पड़ा तो उसे रुका नही गया.... शन्नो ने उसे चूसना शुरू करा....
चेतन बिस्तर पे बैठा हुआ अपनी मा को खुश होते हुए देख रहा था और शन्नो की नज़र उस लंड से हट नही रही थी....
शन्नो के गोल स्तन हवा में झूल रहे थे... उनमें इतना दूध भरा हुआ था कि उनको बेचके कोई भी अरबपति बन जाता.... चेतन ने अपना सीधा हाथ बढ़ाया और अपनी मा के स्तनो को दबाने लगा...
उस मज़े से शन्नो भी लंड को और मज़े में चूसने लगी और देखते देखते चेतन ने अपना सारा
पानी अपनी मा के सुंदर चेहरे पे डाल दिया.... शन्नो के माथे गाल और बालो तक वीर्य फेला हुआ था...
उसने चेतन की तरफ देखा और मुस्कुरा कर टाय्लेट चली गयी....
क्रमशः…………………..
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
गतान्क से आगे……………………………………
नारायण जब स्कूल में अपने कमरे में गया तो रश्मि अब तक आई नही थी...वो कुर्सी पे बैठा बैठा उसका इंतजार
कर रहा मगर उसका कुच्छ पता नही था.... उसका मन तो बहुत कर रहा था कि वो उसको कॉल करें मगर उसने नहीं करा.... असेंब्ली में जाने के वक़्त जब वो अपने कमरे से निकला तो उसके सामने रश्मि चलती हुई आ रही थी...
दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे.... जैसी रश्मि अपने कॅबिन में अपना समान रखने के लिए
जाने लगी नारायण ने उसकी गान्ड पे बड़े प्यार से हाथ फेरा और वहाँ से चला गया.....
नारायण सातवे आसमान पर था... फिर जब स्कूल शुरू हो गया तो दोनो काम में उलझ गये....
नारायण के कमरे में तीन टीचर्स आके उसके सामने खड़ी हुई थी.. तीनो स्कूल की सबसे ज़्यादा बड़ी,
उमर के हिसाब से, टीचर्स थी.... इतने समय से वो चाह रही थी कि लड़कियों को ट्राउज़र पहनने को बोला जाए ताकि उन्हे
स्कर्ट पहेन ने से रोका जा सके.... पहले जब नारायण से इस बारे में ज़िक्र हुआ था तब उसने रज़ामंदी दे दी थी
मगर अब उसने सोच समझकर बोला "देखिए सबसे पहली बात ट्राउज़र को हम पक्का नहीं कर सकते क्यूंकी
वैसे ही बच्चो के मा-बाप फीस से काफ़ी परेशान है और अब ट्राउज़र को कंपल्सरी कर दिया तो उनको
लगेगा कि ये भी स्कूल की चाल है पैसे ऐथ्ने की... "
टीचर्स भी परेशान होके बोली "तो सर हम करें भी क्या इन लड़कियों का.. नज़ाने कैसे स्कर्ट को पहनती है.. शरम नाम की तो चीज़ ही नहीं है इनमे.."
नारायण बोला "हम सिर्फ़ समझा सकते है इससे ज़्यादा हम कुच्छ करेंगे तो स्कूल की ये और नहीं सुनेंगे..
आप लोग बस कोशिश करें कि ये हदे पार ना हो"
नारायण अपने आप से काफ़ी खुश हो गया था कि कैसे उसने इस मसले को ऐसे सुलझाया कि किसी का भी नुकसान ना हो ख़ासकर से उसका..
कुच्छ शाम का वक़्त था और परशु रेडियो सुनके चाइ बना रहा था.. ललिता चुपके से किचन के पास गयी तो परशु की
गाने की आवाज़ उसे सॉफ सुनाई दे रही थी और गौर की बात ये थी कि वो लड़की आवाज़ में गा रहा था..
परशु की आवाज़ एक दम लड़कियों के जैसी आ रही थी.. ललिता को अब एहसास हुआ कि शायद परशु रिचा की आवाज़ निकालकर उसको गुमराह कर रहा है और रिचा का इन सब बातो में कोई हाथ नहीं है...
ललिता रिचा से इस बारे में बात करना चाहती थी मगर उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो कहाँ से और कैसे शुरू करें..
कुच्छ देर बाद रिचा को उसके मा-बाप का कॉल आया कि आज रात वो एक पार्टी में जाएँगे तो तकरीबन 10 बजे तक घर आएँगे... उसके बाद किसी ना किसी तरह समय निकलता गया.. रात को खाना खाने के बाद कुच्छ 10:30 बजे रिचा
की मा ने कॉल करके बोला कि
"तुम्हारे पापा ने बहुत पीली है और मैं उनको गाड़ी चलाने नहीं दूँगी तो हम आज रात कौशीकजी के यहाँ ही रुक रहे है..."
नारायण जब स्कूल में अपने कमरे में गया तो रश्मि अब तक आई नही थी...वो कुर्सी पे बैठा बैठा उसका इंतजार
कर रहा मगर उसका कुच्छ पता नही था.... उसका मन तो बहुत कर रहा था कि वो उसको कॉल करें मगर उसने नहीं करा.... असेंब्ली में जाने के वक़्त जब वो अपने कमरे से निकला तो उसके सामने रश्मि चलती हुई आ रही थी...
दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे.... जैसी रश्मि अपने कॅबिन में अपना समान रखने के लिए
जाने लगी नारायण ने उसकी गान्ड पे बड़े प्यार से हाथ फेरा और वहाँ से चला गया.....
नारायण सातवे आसमान पर था... फिर जब स्कूल शुरू हो गया तो दोनो काम में उलझ गये....
नारायण के कमरे में तीन टीचर्स आके उसके सामने खड़ी हुई थी.. तीनो स्कूल की सबसे ज़्यादा बड़ी,
उमर के हिसाब से, टीचर्स थी.... इतने समय से वो चाह रही थी कि लड़कियों को ट्राउज़र पहनने को बोला जाए ताकि उन्हे
स्कर्ट पहेन ने से रोका जा सके.... पहले जब नारायण से इस बारे में ज़िक्र हुआ था तब उसने रज़ामंदी दे दी थी
मगर अब उसने सोच समझकर बोला "देखिए सबसे पहली बात ट्राउज़र को हम पक्का नहीं कर सकते क्यूंकी
वैसे ही बच्चो के मा-बाप फीस से काफ़ी परेशान है और अब ट्राउज़र को कंपल्सरी कर दिया तो उनको
लगेगा कि ये भी स्कूल की चाल है पैसे ऐथ्ने की... "
टीचर्स भी परेशान होके बोली "तो सर हम करें भी क्या इन लड़कियों का.. नज़ाने कैसे स्कर्ट को पहनती है.. शरम नाम की तो चीज़ ही नहीं है इनमे.."
नारायण बोला "हम सिर्फ़ समझा सकते है इससे ज़्यादा हम कुच्छ करेंगे तो स्कूल की ये और नहीं सुनेंगे..
आप लोग बस कोशिश करें कि ये हदे पार ना हो"
नारायण अपने आप से काफ़ी खुश हो गया था कि कैसे उसने इस मसले को ऐसे सुलझाया कि किसी का भी नुकसान ना हो ख़ासकर से उसका..
कुच्छ शाम का वक़्त था और परशु रेडियो सुनके चाइ बना रहा था.. ललिता चुपके से किचन के पास गयी तो परशु की
गाने की आवाज़ उसे सॉफ सुनाई दे रही थी और गौर की बात ये थी कि वो लड़की आवाज़ में गा रहा था..
परशु की आवाज़ एक दम लड़कियों के जैसी आ रही थी.. ललिता को अब एहसास हुआ कि शायद परशु रिचा की आवाज़ निकालकर उसको गुमराह कर रहा है और रिचा का इन सब बातो में कोई हाथ नहीं है...
ललिता रिचा से इस बारे में बात करना चाहती थी मगर उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो कहाँ से और कैसे शुरू करें..
कुच्छ देर बाद रिचा को उसके मा-बाप का कॉल आया कि आज रात वो एक पार्टी में जाएँगे तो तकरीबन 10 बजे तक घर आएँगे... उसके बाद किसी ना किसी तरह समय निकलता गया.. रात को खाना खाने के बाद कुच्छ 10:30 बजे रिचा
की मा ने कॉल करके बोला कि
"तुम्हारे पापा ने बहुत पीली है और मैं उनको गाड़ी चलाने नहीं दूँगी तो हम आज रात कौशीकजी के यहाँ ही रुक रहे है..."
Re: जिस्म की प्यास
जब ये सब रिचा ने ललिता को बताया तो उसने तुर्रंत पूछा "ओये जब कभी ऐसा होता है तो तू क्या अकेली परशु के साथ रुकती है??" रिचा ने कहा " हां नहीं तो मेरी दादी आ जाती है रुकने के लिए.. क्यूँ ऐसे क्यूँ पुच्छ रही है यार"
ललिता ने ये जवाब टाल दिया और फिर दोनो पढ़ने लगे..जब भी कमरे में परशु आता तो वो कुच्छ ज़्यादा ही मज़े
में लगता.. कभी कोई गंदी सी बी-ग्रेड पिक्चर का गाना गाने लगता तो कभी कोई भी फालतू बात करने लग जाता रिचा
और ललिता से .. ललिता को उसके ऐसे व्यवहार से काफ़ी चिंता हो रही थी.... वो अपनी नज़रे किताब से हटाने में भी घबरा रही थी....
फिर कुच्छ देर बाद जब परशु कमरे में आया तो ललिता टाय्लेट में थी.. परशु ने बिन्ति करके कहा
"रिचा अगर तुमको कोई दिक्कत ना हो तो मैं अपने भाई को बुला लू आज रात रुकने के लए.. वो हरयाणा से आया हुआ है और कल ही सुबह जा रहा है वापस"
रिचा ने एक दम से परशु को हां कह दिया औट ये भी समझा दिया कि वो सुबह पापा-मम्मी के आने से पहले चले
जाए नही तो खमखा डाँट पड़ेगी तुमको... समय काफ़ी बीत गया था और पढ़ पढ़ के दोनो लड़किया का दिमाग़
खराब हो गया था.... कुच्छ देर के बाद ललिता बाहर गयी पानी की बॉटल लेने के लिए तब पूरे घर में सिर्फ़ टीवी की रोशनी आ रही थी.. परशु सोफे पे बैठा हुआ कोई ब-ग्रेड पिक्चर देख रहा था जिसमे हेरोयिन बारिश में नाच रही थी..
परशु इतना घुसा हुआ था उसे देखने में कि उसको कुच्छ और होश ही नहीं था.... ललिता ने उसपे ज़्यादा ध्यान ना
देते हुए किचन में चली गयी.... फ्रिड्ज खोलके जब उसने पानी की बॉटल निकाल ली और एक दो घूट पीने लगी
उसी वक़्त किसीने उसकी स्कर्ट को उठा दिया और उसकी गान्ड पे हाथ फेरने लगा.. घबराकर उसने वो हाथ हटाया
फ्रिड्ज से सॅट कर खड़ी हो गई... उसने टीवी की ओर देखा तो वहाँ अभी कोई बैठा हुआ था और जब उसने सामने देखा था
तो परशु खड़ा हुआ था.. परशु ललिता के पास आया और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया जो कि पतलून के अंदर था..
परशु की गरम साँसें ललिता के चेहरे पे लग रही थी... उसकी नाक ललिता के गाल को च्छू रही थी....
किसी तरह ललिता अपना हाथ छुड़ा कर वहाँ से भाग गई.. जब वो कमरे में गयी तो उसने रिचा से पूछा
"ओये वो कौन आया हुआ है??"
रिचा ने पूछा "कौन?? कहाँ??" ललिता हड़बड़ा कर बोली "अर्रे कोई टीवी देख रहा है घर पे तेरे नौकर के साथ"
ललिता ने ये जवाब टाल दिया और फिर दोनो पढ़ने लगे..जब भी कमरे में परशु आता तो वो कुच्छ ज़्यादा ही मज़े
में लगता.. कभी कोई गंदी सी बी-ग्रेड पिक्चर का गाना गाने लगता तो कभी कोई भी फालतू बात करने लग जाता रिचा
और ललिता से .. ललिता को उसके ऐसे व्यवहार से काफ़ी चिंता हो रही थी.... वो अपनी नज़रे किताब से हटाने में भी घबरा रही थी....
फिर कुच्छ देर बाद जब परशु कमरे में आया तो ललिता टाय्लेट में थी.. परशु ने बिन्ति करके कहा
"रिचा अगर तुमको कोई दिक्कत ना हो तो मैं अपने भाई को बुला लू आज रात रुकने के लए.. वो हरयाणा से आया हुआ है और कल ही सुबह जा रहा है वापस"
रिचा ने एक दम से परशु को हां कह दिया औट ये भी समझा दिया कि वो सुबह पापा-मम्मी के आने से पहले चले
जाए नही तो खमखा डाँट पड़ेगी तुमको... समय काफ़ी बीत गया था और पढ़ पढ़ के दोनो लड़किया का दिमाग़
खराब हो गया था.... कुच्छ देर के बाद ललिता बाहर गयी पानी की बॉटल लेने के लिए तब पूरे घर में सिर्फ़ टीवी की रोशनी आ रही थी.. परशु सोफे पे बैठा हुआ कोई ब-ग्रेड पिक्चर देख रहा था जिसमे हेरोयिन बारिश में नाच रही थी..
परशु इतना घुसा हुआ था उसे देखने में कि उसको कुच्छ और होश ही नहीं था.... ललिता ने उसपे ज़्यादा ध्यान ना
देते हुए किचन में चली गयी.... फ्रिड्ज खोलके जब उसने पानी की बॉटल निकाल ली और एक दो घूट पीने लगी
उसी वक़्त किसीने उसकी स्कर्ट को उठा दिया और उसकी गान्ड पे हाथ फेरने लगा.. घबराकर उसने वो हाथ हटाया
फ्रिड्ज से सॅट कर खड़ी हो गई... उसने टीवी की ओर देखा तो वहाँ अभी कोई बैठा हुआ था और जब उसने सामने देखा था
तो परशु खड़ा हुआ था.. परशु ललिता के पास आया और उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया जो कि पतलून के अंदर था..
परशु की गरम साँसें ललिता के चेहरे पे लग रही थी... उसकी नाक ललिता के गाल को च्छू रही थी....
किसी तरह ललिता अपना हाथ छुड़ा कर वहाँ से भाग गई.. जब वो कमरे में गयी तो उसने रिचा से पूछा
"ओये वो कौन आया हुआ है??"
रिचा ने पूछा "कौन?? कहाँ??" ललिता हड़बड़ा कर बोली "अर्रे कोई टीवी देख रहा है घर पे तेरे नौकर के साथ"