वो उंगली सबसे उपरी हिस्से पे हिल रही थी जिस वजह से शन्नो को गुदगुदी सी होने लगी....
वो मदहोश हो चुकी थी और वो अब और रुक नहीं सकती थी... अपने आपको बचाने के लिए वो वहाँ से उठी और टाय्लेट के बहाने वहाँ से भाग गयी.... चेतन भी वहाँ से उठ कर अपने कमरे में चले गया...
खाना खाने के वक़्त आकांक्षा ने शन्नो को कहा "चेतन से पुछ लो खाने के लिए"
शन्नो ने बोला "वो नहीं खाएगा ना... हम दोनो खाते है"
आकांक्षा बोली "मेरा तो ख़तम हो ही गया है... तो मैं पुछ लूँ उससे?? आप खाना खाओ"
शन्नो ने आकांक्षा को वही रोका और उठ कर चेतन के कमरे की तरफ गयी.... शन्नो ने जब दरवाज़ा खोला तो चेतन ने एक दम से उसे अंदर की तरफ खीच लिया और उसके बदन को चूमने लग गया....
शन्नो दबी आवाज़ में बोलने लगी "तुम्हारी मासी है बाहर... छोड़ो मुझे प्लीज़ छोड़ चेतन" और
चेतन ने शन्नो को जाने दिया... चेतन के ऐसे बर्ताव से शन्नो बेहद परेशान थी मगर फिर जब चेतन ने उसे अपनी
गिरफ़्त से आज़ाद कर दिया तब क्यूँ उसका बदन आज़ाद होना नहीं चाह रहा था.... परेशान शन्नो वहाँ से निकली और
अपनी बहन के पास जाके बैठ गयी... आकांक्षा को ऑफीस से कॉल आया और उसे दोपहर की मीटिंग के बारे में याद
दिलाया जो वो एक दम भूल गयी थी... मीठा खाने का बाद शन्नो सारा समान किचन में रखने गयी...
चेतन अपने कमरे के बाहर निकला और किचन में घुसते ही शन्नो के नितंब पे हाथ फेरता हुआ गुज़रा....
शन्नो शरम से पानी पानी हो रही थी... चेतन को अपनी मा पर ज़रा भी दया नहीं आई और उसकी गान्ड पे उसने ज़ोर
से चींटी मार दी... शन्नो अंदर ही अंदर ज़ोर से चिल्लाई और फिर टाय्लेट में चली गयी... उसी दौरान आकांक्षा के
फोन पे फिर से ऑफीस से कॉल आया और उसे जल्दी ऑफीस में आने को कहा... शन्नो टाय्लेट के अंदर अपनी सलवार खोलके अपने नितंब को देखने लगी जिसपे एक लाल निशान पड़ गया था... इन्न सारी हर्कतो की वजह से उसकी चूत गीली हो चुकी थी...
शन्नो अब आकांक्षा के सामने नहीं जाना चाहती थी तो उसने आकांक्षा को जाने के लिए कह दिया और आकांक्षा भी जल्दी
जल्दी में चेतन से मिलकर वहाँ से चली गयी...
जब घर का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई तो चेतन टाय्लेट के दरवाज़े को धीरे धीरे खटखटाने लग गया... वो बोला
"मा टाय्लेट में क्या चल रहा है.. वो भी अकेले अकेले??" ये बोलके वो हँसने लग गया.... फिर वो बोला "अच्छा ग़लती हो गयी थी... मैं रोक नही पाया था अपने आपको... दरवाज़ा खोलो ना"
शन्नो ने दरवाज़ा खोला तो चेतन उसे देख कर बोला "इतनी गरम हो गयी थी कि सलवार भी उतारनी पड़ी.??"
शन्नो ने ये सुनके अपनी सलवार को ज़मीन से उठाया.... चेतन ने सलवार को दूसरी तरफ से पकड़ा और उसको खीचता
खीचता किचन में ले आया... किचन में आके शन्नो ने सलवार को छोड़ दिया और नीचे सिर्फ़ सैफैद रंग की पैंटी में
खड़ी रही....
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
चेतन शन्नो के पास बढ़ा और अपने सीधे हाथ की सबसे बड़ी उंगली अपनी मम्मी की चूत में पैंटी
समैत घुसा दी... दर्द के मारे शन्नो अपने बेटे से लिपट गयी और चेतन उल्टे हाथ से शन्नो के नितंब को दबाने लगा... चेतन ने अपनी उंगली शन्नो की चूत में से निकाली और शन्नो को किचन की स्लॅब के सहारे खड़ा कर दिया...
शन्नो की चूत को कच्छि से आज़ाद करके चेतन ने अपनी जीन्स उतारी और शन्नो की चूत चोद्ने लग गया...
धीरे धीरे अपनी मा की चूत चोद्ने लगा और उसने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी.... चेतन ने शन्नो को बोला
"अपनी सलवार उतारो मम्मिजान.. मैं तुम्हे पूरा नंगा देखना चाहता हूँ"
जब भी चेतन ऐसी बातें करता था शन्नो के चेहरे पे गुस्सा नहीं बल्कि और खुमारी छा जाती थी...
शन्नो ने हिम्मत दिखाकर अपनी किचन की स्लॅब को छोड़ा और चेतन के लंड के सहारे खड़ी रहके अपनी सलवार
को उतार दिया.... चेतन ने शन्नो के पेट को जकड़ा और उसे उसी पोज़िशन में चोद्ता रहा...
फिर चेतन के दिमाग़ में एक और गंदा ख़याल आया... उसने शन्नो को किचन की स्लॅब पे बैठने को कहा....
शन्नो पहले स्लॅब पे चढ़ि और उसपे टाय्लेट करने की पोज़िशन में बैठ गयी... उसकी गान्ड हवा में थी और उसकी
कमर को पकड़ के चेतन ने अपनालंड शन्नो की चूत में फिरसे डाल दिया.... ऐसे चुदाई करवाने मे शन्नो को बहुत मज़ा
आ रहा था.. चेतन ने उसको चोद्ते हुए पूछा "क्या ऐसे कभी चोदा भी है पापा ने" शन्नो बोली
"तुम हमेशा ऐसी शरम्नाक चीज़े करवाते हो मुझसे"
चेतन ये सुनके और तेज़ी से चोद्ने लग गया... अपना सीधा हाथ बढ़ाते हुए उसने शन्नो की ब्रा के हुक्स को खोला जोकि
नीचे गिर गयी... शन्नो के मम्मे हवा में आज़ाद कूदने लगे.... शन्नो ने अपनी नज़रे नीचे की तरफ की
तो उसके बेटे का लंड उसकी गीली चूत में अंदर बाहर हो रहा था... पूरे ड्रॉयिंग रूम मे सिसकिओं की आवाज़ छाई हुई थी...
किसिको बाहर की दुनिया से कुच्छ नहीं लेना देना था....
मगर फिर एक चीख आई जो कि शन्नो के कानो को चीरते हुए गुज़री
मगर फिर एक आवाज़ शन्नो के कानो को चीरते हुए गुज़री " डिदीईईईईईई"
शन्नो ने मूड के देखा तो उल्टे हाथ की तरफ एक दम कोने में दो सोफो के बीच में उसकी बहन उसे चुद्ते
हुए देख रही थी और वो भी अपने खुद के बेटे से.... शन्नो वही पर ही शरम के मारे मर गयी मगर चेतन को
कुच्छ असर नहीं पड़ा.. वो अभी भी अपनी मा को चोदे जा रहा था...
"चेतन छोड़ो मेरी बहन को... तुम्हे शरम नही आती अपनी मा के साथ ऐसा करते हुए... पहले अपनी मासी के हाथ
पाँव और मुँह बाँध दिया ताकि वो तुम्हे कुच्छ बोल ना पाए और तुम अब अपनी मा से बदतमीज़ी कर रहे हो"
आकांक्षा ने चेतन को गुस्से में बोला...
समैत घुसा दी... दर्द के मारे शन्नो अपने बेटे से लिपट गयी और चेतन उल्टे हाथ से शन्नो के नितंब को दबाने लगा... चेतन ने अपनी उंगली शन्नो की चूत में से निकाली और शन्नो को किचन की स्लॅब के सहारे खड़ा कर दिया...
शन्नो की चूत को कच्छि से आज़ाद करके चेतन ने अपनी जीन्स उतारी और शन्नो की चूत चोद्ने लग गया...
धीरे धीरे अपनी मा की चूत चोद्ने लगा और उसने अपनी टी-शर्ट भी उतार दी.... चेतन ने शन्नो को बोला
"अपनी सलवार उतारो मम्मिजान.. मैं तुम्हे पूरा नंगा देखना चाहता हूँ"
जब भी चेतन ऐसी बातें करता था शन्नो के चेहरे पे गुस्सा नहीं बल्कि और खुमारी छा जाती थी...
शन्नो ने हिम्मत दिखाकर अपनी किचन की स्लॅब को छोड़ा और चेतन के लंड के सहारे खड़ी रहके अपनी सलवार
को उतार दिया.... चेतन ने शन्नो के पेट को जकड़ा और उसे उसी पोज़िशन में चोद्ता रहा...
फिर चेतन के दिमाग़ में एक और गंदा ख़याल आया... उसने शन्नो को किचन की स्लॅब पे बैठने को कहा....
शन्नो पहले स्लॅब पे चढ़ि और उसपे टाय्लेट करने की पोज़िशन में बैठ गयी... उसकी गान्ड हवा में थी और उसकी
कमर को पकड़ के चेतन ने अपनालंड शन्नो की चूत में फिरसे डाल दिया.... ऐसे चुदाई करवाने मे शन्नो को बहुत मज़ा
आ रहा था.. चेतन ने उसको चोद्ते हुए पूछा "क्या ऐसे कभी चोदा भी है पापा ने" शन्नो बोली
"तुम हमेशा ऐसी शरम्नाक चीज़े करवाते हो मुझसे"
चेतन ये सुनके और तेज़ी से चोद्ने लग गया... अपना सीधा हाथ बढ़ाते हुए उसने शन्नो की ब्रा के हुक्स को खोला जोकि
नीचे गिर गयी... शन्नो के मम्मे हवा में आज़ाद कूदने लगे.... शन्नो ने अपनी नज़रे नीचे की तरफ की
तो उसके बेटे का लंड उसकी गीली चूत में अंदर बाहर हो रहा था... पूरे ड्रॉयिंग रूम मे सिसकिओं की आवाज़ छाई हुई थी...
किसिको बाहर की दुनिया से कुच्छ नहीं लेना देना था....
मगर फिर एक चीख आई जो कि शन्नो के कानो को चीरते हुए गुज़री
मगर फिर एक आवाज़ शन्नो के कानो को चीरते हुए गुज़री " डिदीईईईईईई"
शन्नो ने मूड के देखा तो उल्टे हाथ की तरफ एक दम कोने में दो सोफो के बीच में उसकी बहन उसे चुद्ते
हुए देख रही थी और वो भी अपने खुद के बेटे से.... शन्नो वही पर ही शरम के मारे मर गयी मगर चेतन को
कुच्छ असर नहीं पड़ा.. वो अभी भी अपनी मा को चोदे जा रहा था...
"चेतन छोड़ो मेरी बहन को... तुम्हे शरम नही आती अपनी मा के साथ ऐसा करते हुए... पहले अपनी मासी के हाथ
पाँव और मुँह बाँध दिया ताकि वो तुम्हे कुच्छ बोल ना पाए और तुम अब अपनी मा से बदतमीज़ी कर रहे हो"
आकांक्षा ने चेतन को गुस्से में बोला...
Re: जिस्म की प्यास
ये सुनके चेतन शन्नो को चोद्ता चोद्ता रुक गया... उसका लंड अभी भी शन्नो की चूत में घुसा पड़ा था मगर
वो उसे हिला नहीं रहा था.... "क्या तुम्हारी दीदी भी यही चाहती है.. क्यूँ मम्मी??" चेतन ने आकांक्षा को देखकर
शन्नो से पूछा मगर शन्नो इस बात का कोई जवाब दे नहीं पाई... उसकी बहती हुई चूत ही उसका सारा हाल
बयान कर रही थी.... चेतन फिर से शन्नो को चोद ने लगा और आकांक्षा उसे रोकने को कहती रही...
शन्नो आकांक्षा से बिनति करते हुए बोली "प्लीज़ इधर मत देखो आकांक्षा प्लीज़ मुझे मत देखो"
आकांक्षा बोली " जानवर हो आप दोनो... आपको शरम नहीं आती.... आपकी दो बेटियाँ है एक अच्च्छा पति है तब भी
आप ये सब होने दे रही है"
शन्नो ने ना चाहते हुए भी चेतन को रुकने के लिए कह दिया... मगर चेतन तब भी नहीं रुका और बोला
"मुझे क्या मिलेगा रुकने पर"
कुच्छ देर दोनो बहने कुच्छ नहीं बोल पाई और फिर आकांक्षा ने हिम्मत दिखाते हुए कहा "अगर तुम मेरी बहन को अकेला छोड़ दोगे तो मैं अपने आपको तुम्हे सौप दूँगी..."
ये सुनके शन्नो बोली "पागल हो गई है क्या आकांक्षा"
चेतन ज़ोर से हँस पड़ा और बोला " अपने आपको सौपने का मतलब"
शन्नो चेतन को बोलने लगी तुम "मेरी बहन से मत बात करो... तुम मुझे चोद लो जितना चाहो"
आकांक्षा शन्नो को ऐसी हालत में परेशान देखकर बोली "मैं तुम्हे अपने आपको चोद्ने को दूँगी अगर तुम अभी
मेरी बहन को आज़ाद करते हो"
चेतन एक दम वही रुक गया और अपना लंड जोकि शन्नो की चूत से गीला पड़ा था निकालकर आकांक्षा की तरफ बढ़ा....
शन्नो किचन पे फर्श पे आधी लेटी हुई थी... वो अपने बेटे को अपनी बहन के पास नंगा जाते हुए देख रही थी...
क्रमशः…………………..
वो उसे हिला नहीं रहा था.... "क्या तुम्हारी दीदी भी यही चाहती है.. क्यूँ मम्मी??" चेतन ने आकांक्षा को देखकर
शन्नो से पूछा मगर शन्नो इस बात का कोई जवाब दे नहीं पाई... उसकी बहती हुई चूत ही उसका सारा हाल
बयान कर रही थी.... चेतन फिर से शन्नो को चोद ने लगा और आकांक्षा उसे रोकने को कहती रही...
शन्नो आकांक्षा से बिनति करते हुए बोली "प्लीज़ इधर मत देखो आकांक्षा प्लीज़ मुझे मत देखो"
आकांक्षा बोली " जानवर हो आप दोनो... आपको शरम नहीं आती.... आपकी दो बेटियाँ है एक अच्च्छा पति है तब भी
आप ये सब होने दे रही है"
शन्नो ने ना चाहते हुए भी चेतन को रुकने के लिए कह दिया... मगर चेतन तब भी नहीं रुका और बोला
"मुझे क्या मिलेगा रुकने पर"
कुच्छ देर दोनो बहने कुच्छ नहीं बोल पाई और फिर आकांक्षा ने हिम्मत दिखाते हुए कहा "अगर तुम मेरी बहन को अकेला छोड़ दोगे तो मैं अपने आपको तुम्हे सौप दूँगी..."
ये सुनके शन्नो बोली "पागल हो गई है क्या आकांक्षा"
चेतन ज़ोर से हँस पड़ा और बोला " अपने आपको सौपने का मतलब"
शन्नो चेतन को बोलने लगी तुम "मेरी बहन से मत बात करो... तुम मुझे चोद लो जितना चाहो"
आकांक्षा शन्नो को ऐसी हालत में परेशान देखकर बोली "मैं तुम्हे अपने आपको चोद्ने को दूँगी अगर तुम अभी
मेरी बहन को आज़ाद करते हो"
चेतन एक दम वही रुक गया और अपना लंड जोकि शन्नो की चूत से गीला पड़ा था निकालकर आकांक्षा की तरफ बढ़ा....
शन्नो किचन पे फर्श पे आधी लेटी हुई थी... वो अपने बेटे को अपनी बहन के पास नंगा जाते हुए देख रही थी...
क्रमशः…………………..