हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
वह उनके हॉटेलके रुममें दोनो जब एक दिर्घ चुंबन लेते हूए आलिंगनबध्द थे तबका फोटो था.
जॉनी अपनेही धुनमें मस्त मजेमें सिटी बजाते हूए रास्तेपर चल रहा था. तभी उसे पिछेसे किसीने आवाज दिया.
” जॉनी…”
जॉनीने वही रुककर सिटी बजाना रोक दिया. आवाज पहचानका नही लग रहा था इसलिए उसने पिछे मुडकर देखा. एक आदमी जल्दी जल्दी उसीके ओर आ रहा था. जॉनी असमंजससा उस आदमीकी तरफ देखने लगा क्योंकी वह उस आदमीको पहचानता नही था.
फिर उसे अपना नाम कैसे पता चला ?..
जॉनी उलझनमें वहा खडा था. तबतक वह आदमी आकर उसके पास पहूंच गया.
” मै विवेकका दोस्त हूं … मै उसे कलसे ढूंढ रहा हूं … मुझे कॅफेपर काम करनेवाले लडकेने बताया की शायद तुम्हे उसका पता मालूम हो ” वह आदमी बोला.
शायद उस आदमीने जॉनीके मनकी उलझन पढ ली थी.
” नही वैसे वह मुझेतो बताकर नही गया. … लेकिन कल मै उसके होस्टेलपर गया था… वहां उसका एक दोस्त बता रहा था की वह 10-15 दिनके लिए किसी रिस्तेदारके यहां गया है …” जॉनीने बताया.
” कौनसे रिस्तेदारके यहां ?” उस आदमीने पुछा.
” नही उतना तो मुझे मालूम नही … उसे मैने वैसा पुछाभी था लेकिन वह उसेभी पता नही था … उसे सिर्फ उसकी मेल मिली थी ” जॉनीने जानकारी दी.
अंजली अपने कुर्सीपर बैठी हूई थी और उसके सामने रखे टेबलपर एक बंद ब्रिफकेस रखी हूई थी. उसके सामने शरवरी बैठी हूई थी. उनमें एक अजीबसा सन्नाटा छाया हूवा था. अचानक अंजली उठ खडी हो गई और अपना हाथ धीरेसे उस ब्रिफकेसपर फेरते हूए बोली, ” सब पहेलूसे अगर सोचा जाए तो एकही बात उभरकर सामने आती है ..”
अंजली बोलते हूए रुक गई. लेकीन शरवरीको सुननेकी बेसब्री थी.
” कौनसी ?” शरवरीने पुछा.
” … की हमें उस ब्लॅकमेलरको 50 लाख देनेके अलावा फिलहाल अपने पास कोई चारा नही है … और हम रिस्क भी तो नही ले सकते ”
” हां तुम ठिक कहती हो ” शरवरी शुन्यमें देखते हूए, शायद पुरी घटनापर गौर करते हूए बोली.
अंजलीने वह ब्रिफकेस खोली. ब्रिफकेसमें हजार हजारके बंडल्स ठिकसे एक के उपर एक करके रखे हूए थे. उसने उन नोटोंपर एक नजर दौडाई, फिर ब्रिफकेस बंद कर उठाई और लंबे लंबे कदम भरते हूए वह वहांसे जाने लगी. तभी उसे पिछेसे शरवरीने आवाज दिया –
” अंजली…”
अंजली ब्रेक लगे जैसे रुक गई और शरवरीके तरफ मुडकर देखने लगी.
” अपना खयाल रखना ” शरवरीने अपनी चिंता जताते हूए कहा.
अंजली दो कदम फिरसे अंदर आ गई, शरवरीके पास गई, शरवरीके कंधेपर उसने हाथ रखा औड़ मुडकर फिरसे लंबे लंबे कदम भरते हूए वहांसे चली गई.
घना जंगल. जंगलमें चारो तरफ बढे हूए उंचे उंचे पेढ. और पेढोंके निचे सुखे पत्ते फैले हूए थे. जंगलके पेढोंके बिचसे बने संकरे जगहसे रास्ता ढूंढते हूए एक काली, काले कांच चढाई हूई, कार तेडेमेडे मोड लेते हूए सुखे पत्तोसे गुजरने लगी. उस कारके चलनेके साथही उस सुखे पत्तोका एक अजिब मसलने जैसा आवाज आ रहा था. धीरे धीरे चल रही वह कार उस जंगलसे रास्ता निकालते हूए एक पेढके पास आकर रुकी. उस कारके ड्रायव्हर सिटका काला शिशा धीरे धीरे निचे सरक गया. ड्रायव्हींग सिटपर अंजली काला गॉगल पहनकर बैठी हूई थी. उसने कारका इंजीन बंद किया और बगलके पेढके तनेपर लगे लाल निशानकी तरफ देखा.
उसने यही वह पेढ ऐसा मनही मन पक्का किया होगा…
फिर उसने जंगलमें चारो ओर एक नजर दौडाई. दुर-दुरतक कोई परींदाभी नही दिख रहा था. आसपास किसीकीभी उपस्थिती नही है इसका यकिन होतेही उसने अपने बगलके सिटपर रखी ब्रिफकेस उठाकर पहले अपने गोदीमें ली. ब्रिफकेसपर दो बार अपना हाथ थपथपाकर उसने अपना इरादा पक्का किया होगा. और मानो अपना इरादा डगमगा ना जाए इस डरसे उसने झटसे वह ब्रिफकेस कारके खिडकीसे उस पेढके तरफ फेंक दी. धप्प और साथही सुखे पत्तोंका मसलनेजैसा एक अजिब आवाज आया.
होगया अपना काम तो होगया …
चलो अब अपनी इस मसलेसे छूट्टी होगई…
ऐसा सोचते हूए उसने छुटनेके अहसाससे भरी लंबी आह भरी. लेकिन अगलेही क्षण उसके मनमें एक खयाल आया.
क्या सचमुछ वह इस सारे मसलेसे छूट चूकी थी? …
या वह अपने आपको एक झूटी तसल्ली दे रही थी…
उसने फिरसे चारो तरफ देखा. आसपास कहीभी कोई मानवी हरकत नही दिख रही थी. उसने फिरसे कार स्टार्ट की. और एक मोड लेते हूए कार वहांसे तेज गतिसे चली गई. मानो वहांसे निकल जाना यह उसके लिए इस मसलेसे हमेशाके लिए छूटनेजैसा था.
जैसेही कार वहांसे चली गई, उस सुनसान जागहके एक पेढके उपर, उंचाईपर कुछ हरकत हो गई. उस पेढके उपर उंचाई पर बैठे, हरे पेढके पत्तोके रंगके कपडे पहने हूए एक आदमीने उसी हरे रंगका वायरलेस बोलनेके लिए अपने मुंहके पास लीया.
जॉनी अपनेही धुनमें मस्त मजेमें सिटी बजाते हूए रास्तेपर चल रहा था. तभी उसे पिछेसे किसीने आवाज दिया.
” जॉनी…”
जॉनीने वही रुककर सिटी बजाना रोक दिया. आवाज पहचानका नही लग रहा था इसलिए उसने पिछे मुडकर देखा. एक आदमी जल्दी जल्दी उसीके ओर आ रहा था. जॉनी असमंजससा उस आदमीकी तरफ देखने लगा क्योंकी वह उस आदमीको पहचानता नही था.
फिर उसे अपना नाम कैसे पता चला ?..
जॉनी उलझनमें वहा खडा था. तबतक वह आदमी आकर उसके पास पहूंच गया.
” मै विवेकका दोस्त हूं … मै उसे कलसे ढूंढ रहा हूं … मुझे कॅफेपर काम करनेवाले लडकेने बताया की शायद तुम्हे उसका पता मालूम हो ” वह आदमी बोला.
शायद उस आदमीने जॉनीके मनकी उलझन पढ ली थी.
” नही वैसे वह मुझेतो बताकर नही गया. … लेकिन कल मै उसके होस्टेलपर गया था… वहां उसका एक दोस्त बता रहा था की वह 10-15 दिनके लिए किसी रिस्तेदारके यहां गया है …” जॉनीने बताया.
” कौनसे रिस्तेदारके यहां ?” उस आदमीने पुछा.
” नही उतना तो मुझे मालूम नही … उसे मैने वैसा पुछाभी था लेकिन वह उसेभी पता नही था … उसे सिर्फ उसकी मेल मिली थी ” जॉनीने जानकारी दी.
अंजली अपने कुर्सीपर बैठी हूई थी और उसके सामने रखे टेबलपर एक बंद ब्रिफकेस रखी हूई थी. उसके सामने शरवरी बैठी हूई थी. उनमें एक अजीबसा सन्नाटा छाया हूवा था. अचानक अंजली उठ खडी हो गई और अपना हाथ धीरेसे उस ब्रिफकेसपर फेरते हूए बोली, ” सब पहेलूसे अगर सोचा जाए तो एकही बात उभरकर सामने आती है ..”
अंजली बोलते हूए रुक गई. लेकीन शरवरीको सुननेकी बेसब्री थी.
” कौनसी ?” शरवरीने पुछा.
” … की हमें उस ब्लॅकमेलरको 50 लाख देनेके अलावा फिलहाल अपने पास कोई चारा नही है … और हम रिस्क भी तो नही ले सकते ”
” हां तुम ठिक कहती हो ” शरवरी शुन्यमें देखते हूए, शायद पुरी घटनापर गौर करते हूए बोली.
अंजलीने वह ब्रिफकेस खोली. ब्रिफकेसमें हजार हजारके बंडल्स ठिकसे एक के उपर एक करके रखे हूए थे. उसने उन नोटोंपर एक नजर दौडाई, फिर ब्रिफकेस बंद कर उठाई और लंबे लंबे कदम भरते हूए वह वहांसे जाने लगी. तभी उसे पिछेसे शरवरीने आवाज दिया –
” अंजली…”
अंजली ब्रेक लगे जैसे रुक गई और शरवरीके तरफ मुडकर देखने लगी.
” अपना खयाल रखना ” शरवरीने अपनी चिंता जताते हूए कहा.
अंजली दो कदम फिरसे अंदर आ गई, शरवरीके पास गई, शरवरीके कंधेपर उसने हाथ रखा औड़ मुडकर फिरसे लंबे लंबे कदम भरते हूए वहांसे चली गई.
घना जंगल. जंगलमें चारो तरफ बढे हूए उंचे उंचे पेढ. और पेढोंके निचे सुखे पत्ते फैले हूए थे. जंगलके पेढोंके बिचसे बने संकरे जगहसे रास्ता ढूंढते हूए एक काली, काले कांच चढाई हूई, कार तेडेमेडे मोड लेते हूए सुखे पत्तोसे गुजरने लगी. उस कारके चलनेके साथही उस सुखे पत्तोका एक अजिब मसलने जैसा आवाज आ रहा था. धीरे धीरे चल रही वह कार उस जंगलसे रास्ता निकालते हूए एक पेढके पास आकर रुकी. उस कारके ड्रायव्हर सिटका काला शिशा धीरे धीरे निचे सरक गया. ड्रायव्हींग सिटपर अंजली काला गॉगल पहनकर बैठी हूई थी. उसने कारका इंजीन बंद किया और बगलके पेढके तनेपर लगे लाल निशानकी तरफ देखा.
उसने यही वह पेढ ऐसा मनही मन पक्का किया होगा…
फिर उसने जंगलमें चारो ओर एक नजर दौडाई. दुर-दुरतक कोई परींदाभी नही दिख रहा था. आसपास किसीकीभी उपस्थिती नही है इसका यकिन होतेही उसने अपने बगलके सिटपर रखी ब्रिफकेस उठाकर पहले अपने गोदीमें ली. ब्रिफकेसपर दो बार अपना हाथ थपथपाकर उसने अपना इरादा पक्का किया होगा. और मानो अपना इरादा डगमगा ना जाए इस डरसे उसने झटसे वह ब्रिफकेस कारके खिडकीसे उस पेढके तरफ फेंक दी. धप्प और साथही सुखे पत्तोंका मसलनेजैसा एक अजिब आवाज आया.
होगया अपना काम तो होगया …
चलो अब अपनी इस मसलेसे छूट्टी होगई…
ऐसा सोचते हूए उसने छुटनेके अहसाससे भरी लंबी आह भरी. लेकिन अगलेही क्षण उसके मनमें एक खयाल आया.
क्या सचमुछ वह इस सारे मसलेसे छूट चूकी थी? …
या वह अपने आपको एक झूटी तसल्ली दे रही थी…
उसने फिरसे चारो तरफ देखा. आसपास कहीभी कोई मानवी हरकत नही दिख रही थी. उसने फिरसे कार स्टार्ट की. और एक मोड लेते हूए कार वहांसे तेज गतिसे चली गई. मानो वहांसे निकल जाना यह उसके लिए इस मसलेसे हमेशाके लिए छूटनेजैसा था.
जैसेही कार वहांसे चली गई, उस सुनसान जागहके एक पेढके उपर, उंचाईपर कुछ हरकत हो गई. उस पेढके उपर उंचाई पर बैठे, हरे पेढके पत्तोके रंगके कपडे पहने हूए एक आदमीने उसी हरे रंगका वायरलेस बोलनेके लिए अपने मुंहके पास लीया.
Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
Keep it up sexy.. its really hot story... please update it
Re: हिंदी सेक्स कहानी - मेरी आशिकी तुमसे ही है
Sexyyyy............ tussi cha gaye... choot phaad story likhiya