Hindi Sex Stories By raj sharma

Discover endless Hindi sex story and novels. Browse hindi sex stories, adult stories ,erotic stories. Visit theadultstories.com
raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:38

मैं तो सोने का बहाना किए थी. चूम कर कुच्छ देर तक मेरी कुँवारी चूत को देखता रहा फिर झुककर दुबारा मुँह से चूमते एक हाथ से मेरी मॅक्सी को ठीक से ऊपर करता बोला, "हाए क्या मस्त माल है. अब तो तू भी चुदेगि माँ के साथ बेटी कीकुँवारी फाँक का पूरा मज़ा लूँगा."
मैने अपने बेहन्चोद मामा के मुँह से अपनी तारीफ़ सुनी तो और मस्त हुई. चूत पे किस से बहुत गुदगुदी हुई और मन किया की उससे लिपट कर कह दूं की अब नही रह सकती तुम्हारे बिना मैं तैय्यार हूँ लूटो मेरी कुँवारी चूत को मामा. पर चुप रही.
तभी मामा बेड पर बैठ गये और मेरी राणो पर हाथ फेर मेरी चूत को सहलाने लगे. उससे छूट पर हाथ लगवाने मे इतना मज़ा आ रहा था की बस मन यह कहने को बेताब हो उठा की राजा नंगी करके पूरा बदन सहलाओ. मम्मी का कहना सही था की हाथ लगाओ, मज़ा पाते ही लाइन क्लियर कर देगी. तभी उसकी एक उंगली चूत की फाँक के बीच मे आई तो मैं तड़प कर बोल ही पड़ी, "हाए कौन?"
"मैं हूँ मेरी जान, तुम्हारा चाहने वाला. हाए अच्छा हुआ तुम जाग गयी. क्या मस्त जवानी पाई है. आज मैं तुमको??.." और किसी भूखे कुत्ते की तरह मुझे अपनी बाँहो मे कसता मेरी दोनो चूचियों को टटोलता बोला, "हाए क्या गदराई जवानी है."
मैं अपने दोनो उभारों को उसके हाथ मे देते ही जन्नत मे पहुँच गयी. वो मेरे चिकने गाल पर अपने गाल लगा दोनो को दबा बोला, "बस एक बार चखा दो, देखो कितना मज़ा आता है."
"हाए मामा आप छोड़ो यह क्या कर रहे हैं आप. मम्मी आ जाएगी."
"मम्मी से मत डरो. उन्होने ही तो भेजा है. कहा है की जाओ मेरी बेटी जवान हो गयी है. उसे जवानी का मज़ा दो. बहुत दीनो से ललचा रही हो, बड़ा मज़ा पाओगी. मम्मी कुच्छ नही कहेंगी." और इसके साथ ही मेरी चूचियों को मॅक्सी के ऊपर से कसकर दबाया तो मेरा मज़ा सातवे आसमान पर पहुँच गया.
"मम्मी सो गयी क्या?"
मैने पूछा तो वो बोला, "हाँ. आज तुम्हारी मम्मी को मैने बुरी तरह थका दिया है. अब वो रात भर मीठी नींद सोएंगी. बस मेरी रानी एक बार. देखना मेरे साथ कितना मज़ा आता है." और उसने दोनो निपल को चुटकी दे मुझे राज़ी कर लिया. सच आज उसकी हरकत मे मज़ा आ रहा था. दोनो निपल्स का नशा राणो मैं उतार रहा था.
"मामा आप मम्मी के साथ सोते हैं. वो तो आपकी बहन हैं."
"आज अपने पास सुलाकर देखो, जन्नत की सैर करा दूँगा. हाए कैसी मतवाली जवानी पाई है. बेहन है तो क्या हुआ. माल तो बढ़िया है मम्मी का."
"दरवाज़ा खुला है." मैने मज़े से भरकर कहा. मेरी नस नस मे बिजली दौड़ रही थी. अब बदन पर कपड़ा बुरा लग रहा था. उसने मेरी चूचियों को मसलते हुये मेरे होंटो को किस करना शुरू कर दिया. उसे मेरी जैसी कुँवारी लड़कियों को राज़ी करना आता था. होन्ट चुसते ही मैं ढीली हो गयी.
मामा मेरी मस्ती को देख एकदम से मस्त हो गये. धीरे से मेरे बदन को बेड पर कर मेरी चूचियों पर झुक कर मेरी रान पर हाथ फेरते बोले, "अब तुम एकदम जवान हो गयी हो. कब मज़ा लोगि अपनी जवानी का. डरो नही तुमको कली से फूल बना दूँगा. मम्मी से मत डरो, उनके सामने तुमको मज़ा दूँगा बस तुम हाँ करदो."
हाथ लगवाने मैं और मज़ा आ रहा था. मैं मस्त हो उसे देखती बोली, "मम्मी को आप रोज़...... ??."
"हाँ मेरी जान तुम्हारी मम्मी को रोज़ चोद्ता हूँ. तुम तैय्यार हो तो तुमको भी रोज़ चोदुन्गा. हाए कितनी खूबसूरत हो. ज़रा सा और खोलो ना. तुमसे छोटी छोटी लड़कियाँ चुद्वाती हैं."
मैं तो जन्नत मे थी. मामा चूचियों को दबाए एक हाथ गाल पर और दूसरा राणो के बीच फेर रहे थे. "मुझसे छोटी छोटी?"
"हाँ मेरी जान. ज़्यादा बड़ी हो जाओगी तो इसका मज़ा उतना नही पाओगी जितना अभी लोगी. तुम्हारी एकदम तैयार है बस हाँ कर दो."
"मैं तो अभी बहुत छोटी हूँ." और दोनो राणो को पूरा खोल दिया.
मामा चालाक थे. पैर खोलने का मतलब समझ गये. मुस्करा कर मेरे होंट चूम बोले, "मेरी छोटी बहन को तो तुम जानती हो, अभी 16 की भी नही है. उसकी चूचियों भी तुमसे छोटी हैं. वो भी मुझसे खूब चुद्वाती है."
और छूट के फाँक को चुटकी से मसला तो मैं कसमसकर बोली, "हाए मामा अपनी छोटी बहन को भी मेरी मम्मी की तरह चोदते हो?"
"हाँ यहाँ रहता हूँ तो तुम्हारी मम्मी को यानी अपनी बड़ी बहन को चोद्ता हूँ और घर मे मैं अपनी छोटी बहन यानी तुम्हारी मौसी को खूब हचक कर चोद्ता हूँ तभी वो सोने देती है. तुम्हारी चूचियाँ तो खूब गदराई हैं. बोलो हो राज़ी."
और मॅक्सी के गले से हाथ अंदर डाला तो मैं राज़ी हो गयी और बोली, "राज़ी हूँ पर मम्मी से मत बताना." मैं उसे यह एहसास नही होने देना चाहती थी की मैं तो जाने कब से राज़ी हूँ. उसके पास आते ही पूरा मज़ा आने लगा. मैं अपना 15 साल का ताज़ा बदन उसके हवाले करने को तैयार थी.
अगर वो मम्मी को चोदकर ना आए होते तो मेरी कुँवारी चूत को देखकर चोदने के लिए तैयार हो जाते. पर वो मम्मी को चोदकर अपनी बेकरारी को काबू मे कर चुके थे. वो मेरी नयी चूचियों को हाथ मे लेते ही मेरी कीमत जान गये थे. मेरे लिए यह पहला चान्स था. मामा मुझसे ज़बरदस्ती ना कर प्यार से कर रहे थे. अब तक वो मेरी नंगी चूत को देख उसपर हाथ फेर चूम भी चुके थे पर मैने अभी तक उनका लंड नही देखा था.
मॅक्सी के अंदर हाथ डाल चूचियों को पकड़ और बेकरार कर दिया था. मामा ने दुबारा मॅक्सी के ऊपर से चूचियों को पकड़कर कहा, "मम्मी से मत डरो. मम्मी ने पूरी छूट दे दी है. बस तुम तैयार हो जाओ." और चूचियों को इतनी ज़ोर से दबाया की मैं तड़प उठी.
"मुझे कुच्छ नही आता." मैं राज़ी हो बोली
तो उसने कहा, "मैं सीखा दूँगा." और मेरे गाल काटा
तो मैं बोली, "ऊई बड़े बेदर्द हो मामा."
मेरी इस अदा पर मस्त हो गाल सहलाते मॅक्सी पकड़ कर बोले, "इसको उतार दो."
"हाए पूरी नंगी करके."
"हाँ मेरी जान मज़ा तो नंगे होने मे ही आता है. बोलो पूरा मज़ा लोगी ना."
"हाँ."
"तो फिर नंगी हो मैं अभी आता हूँ." वो कमरे से बाहर चले गये.
मैं कहाँ थी, बता नही सकती थी. पूरे बदन मे चीतियाँ चलने लगी. चूत फुदकने लगी थी. मैं पूरी तरह तैयार थी. मैने जल्दी से मॅक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो बेड पर लेट गयी. मम्मी तो चुद्वाने के बाद अपने कमरे मे आराम से सो रही थी और अपने यार को मेरे पास भेज दिया था.
मैं अपने नंगे जवान बदन को देखती आने वाले लम्हो की याद मे खोई थी की मेरी माँ का यार वापस आया. मुझे नंगी देख वो खिल उठा. पास आ पीठ पर हाथ फेर बोले, "अब पाओगि जन्नत का मज़ा."
मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेर मज़ा दे उसने झटके से अपनी लूँगी अलग की तो उनका लंड मेरे पास आते ही झटके खाने लगा. अभी उसमे फुल पावर नही आया था पर अभी भी उनका कम से कम 6 इंच का था. मैं ग़ज़ब का लंड देख मस्ती से भर गयी.
वो बेड पर आए और पीछे बैठ मेरी कमर पकड़कर बोले, "गोद मैं आओ मेरी जान."
मेरा कमरा मेरे लिए जन्नत बन गया था. अब हम दोनो ही नंगे थे. जब मामा की गोद मे अपनी गांद रखी तो मामा ने फ़ौरन मेरी दोनो चूचियों को अपने दोनो हाथों मे ले बदन मैं करेंट दौराया.
"ठीक से बैठो तभी असली मज़ा मिलेगा. देखना आज मेरे साथ कितना मज़ा आता है." नंगी चूचियों पर उसका हाथ चला तो आँख बंद होने लगी. अब सच ही बड़ा मज़ा आ रहा था.
"शशि."
"जी"
"कैसा लग रहा है?" मेरी गांद मैं उसका खड़ा लंड गड़ रहा था जो एक नया मज़ा दे रहा था. अब मैं बद हवास हो उसकी नंगी गोद मे नंगी बैठी अपनी चूचियों को मसळवती मस्त होती जा रही थी. तभी मामा ने चूचियों के टाइट निपल को चुटकी से दबाते पूछा, "बोलो मेरी जान."
"हाए अब और मज़ा आ रहा है. मामा."
"घबराओ नही तुमको भी मम्मी की तरह पूरा मज़ा दूँगा. हाए तुम्हारी चूचियाँ तो दीदी से भी अच्छी हैं." वो मेरी मस्तजवानी को पाकर एकदम से पागल से हो गये थे. निपल की छेड़ छाड़ से बदन झंझणा गया था.
तभी मामा ने मुझे गोद से उतारकर बेड पर लिटाया और मेरे निपल को हूँट से चूस्कर मुझे पागल कर दिया. हाथ की बजाए मुँह से ज़्यादा मज़ा आया. मामा की इस हरकत से मैं खुद को भूल गयी. उसको मेरी चूचियाँ खूब पसंद आई. मामा 10 मिनिट तक मेरी चूचियों को चूस चूस्कर पीते रहे. चूचियों को पीने के बाद मामा ने मुझसे राणो को फैलाने को कहा तो मैने खुश होकर अपने बेहन्चोद मामा के लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल दिया.
पैर खोलने के बाद मामा ने मेरी कुँवारी चूत पर अपनी जीभ फिराई तो मैं तड़प उठी. वो मेरी चूत को चाटने लगे. चत्वाते ही मैं तड़प उठी. मामा ने चाटते हुवे पूछा, "बोलो कैसा लग रहा है?"
"बहुत अच्छा मेरे राजा."
"तुम तो डर रही थी. अब दोनो का मज़ा एक साथ लो."
और अपने दोनो हाथ को मेरी मस्त चूचियों पर लगा दोनो को दबाते मेरी कुँवारी गुलाबी चूत को चाटने लगे तो मैं दोनो का मज़ा एक साथ पा तड़पति हुई बोली, "हाए आआहह बस करो मामा ऊई नही अब नही."
"अभी लेती रहो." मुझे ग़ज़ब का मज़ा आया. वो भी मेरी जवानी को चाटकर मस्त हो उठे. 10 मिनिट तक चाटते रहे फिर मुझे जवान करने के लिए मेरे ऊपर आए. मामा ने पहले ही मस्त कर दिया था इसलिए दर्द कम हुआ. मामा भी धीरे धीरे पेलकर चोद रहे थे. मेरी चूत एकदम ताज़ी थी इसलिए मामा मेरे दीवाने होकर बोले, "हाए अब तो सारी रात तुमको ही चोदुन्गा."
मैं मस्त थी इसलिए दर्द की जगह मज़ा आ रहा था. "मैं भी अब आपसे रोज़ चुड़वाओंगी."
उस रात मामा ने दो बार चोदा था और जब वो अगली रात मुझे पेल रहे थे तो अचानक मम्मी भी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं ज़रा सा घबराई लेकिन मामा उसी तरह चोद्ते रहे.
मम्मी पास आ मेरी बगल मैं लेट मेरी चूचियों को पकड़कर बोली, "ओह बेटी अब तो तुम्हारी चोद्ने लायक हो गयी है. लो मज़ा मेरे यार के तगड़े लंड का."
"ओह मम्मी मामा बहुत अच्छे हैं. बहुत अच्छा लग रहा है." अब मैं और मम्मी दोनो साथ ही मामा से चुद्वाते हैं.

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:45

भाभी की बेबसी और मेरा प्यार--1

सभी पाठको (चुत वालियों व लंडवालों) के लिए एक बार फिर कामुकता से भरी कहानी पेश कर रहा हूँ. आशा हैं की आप लोगो को यह सत्य कथा पसंद आएगी. कृपया इस सत्य कथा पर अपने विचार प्रकट करनी की कृपा करे जैसे की आप जानते हैं जब मैं ५ साल का था तब एक बस दुर्घटना में मेरे माता पिता का देहांत हो गया था हालाँकि मैं में उस दुर्घटना में सामिल था पर इश्वर की कृपा से मैं बच गया था. मेरे पिताजी ने काफी बैंक बैलेंस रखा था इस कारण हमें कोई भी आर्थिक कमी नहीं थी हर महीने बैंक बैलेंस की रकम से करीब २५-३० हजार रूपये ब्याज के रूप में मिलते थे जिस कारण घर खर्च आराम से निकल जाता था. जब अब मैं २8 वर्ष का हो चूका था इसलिए मेरी देख भाल के लिए किसी की जरुरत नहीं थी खाना बनाने के लिए व बर्तन कपडे धोने के लिए २ नौकरानी रखी थी वे सुबह शाम आकर काम निबटा कर अपने अपने घर चली जाती थी. मैंने अब अपना पुराना मकान बेच कर उसी ईमारत में २ बेडरूम, एक हॉल और किचन वाला मकान ले लिया था. मेरे पास ६-७ छोटी छोटी कंपनिया थी जिस का अकाउंट व बिल्लिंग का काम घर पैर लाकर करता था जिस से अतिरित आय भी हो जाती थी और टाइम पास भी | मकान बड़ा होने के कारण मैं ११-११ महीने के लिए पेईंग गेस्ट रखता था मेरे बेड रूम में कंप्यूटर लगा था मेरे बेड रूम के बगल में बाथरूम व टोइलेट था और उसके बगल में एक और बेड रूम था उसके बगल में किचन और हॉल में टी वी सेट इत्यादि थे.पिछले २ महीने से पेईंग गेस्ट के रूप में ५० वर्षिय रहमान भाई व उनकी बीवी जान जो की ३८ वर्षिय थी और उनका नाम शकीना था. रहमान भाई सरकारी कर्मचारी थे जिनका तबादला कुछ महीनो के लिए इस शहर में हुआ था रहमान भाई ने ८ साल पहले शकीना से दूसरी शादी की थी उनकी पहले वाली बीवी का देहावास हो चूका था इसलिए उन्होंने दूसरी शादी की. पहले वाली बीवी से उनको एक लड़का हुआ जो अब २४ साल का हैं और कुवैत में रह कर काम करता हैं. शकीना (दूसरी बीवी) से उनको कोई औलाद नहीं हुई रहमान भाई को मैं भाई जान कहता था और शकीना को भाभी जान. शकीना भाभी बिलकुल जय ललिता (तमिल नाडू की मुख्य मंत्री) की तरह गोल मटोल गौरा चहेरा नुकीले नाक बड़ी बड़ी सुरमई आँखे, ठुड्डी पर छोटा सा तिल उनके मुख मंडल पर चार चाँद लगा रहे थे. उनके मोटे मोटे चूचियां तो उनके बदन की शोभा बड़ा रहे थे वो ऊँची कद काठी की खुबसूरत काया की मलिक्का थी जब वो चलती थी तब उनके मोटे मोटे गोल मटोल चुतड ऊपर निचे हिचकोले खाते थे मुझे उनकी मटक ती हुई गांड बहुत अच्छे लगती थी. मोटी और लम्बी कद होने के बावजूद वो हर एक को आकर्षित करने वाली हसमुख स्वाभाव की थोड़ी पढ़ी लिखी औरत थी. वो गरीब परिवार से थी इसलिए उसके माँ बाप ने रहमान भाई जान (जो की शकीना की उम्र से १२ वर्ष बड़े हैं) से निकाह कर दिया था हालाँकि रहमान भाई जान की सरकारी नौकरी थी इसलिए शकीना को भी कोई ऐतराज नहीं था शकीना हमेशा सलवार कुर्ते में रहती थी इन दो महीनो में हम तीनो काफी घुल मिल गए थे रहमान भाई को हर शनिवार और रविवार को दफ्तर की छुटी होती थी तो कभी कभार मैं और रहमान भाई संग में बैठ शराब पी लेते थे तब शकीना भाभी अपनी गांड मटकाते हुवे हमारे लिए खाने को कुछ ना कुछ लाकर देती थी जब मैं शराब का घुट लेकर शकीना भाभी को गांड मटका कर जाते हुवे देखता तो मेरे लंड राज में हल चल मच जाती थी. रहमान भाई बहुत ही रसिया इन्सान थे जिसका मुझे कुछ दिनों में पता चला. घर की मुख्य दरवाजे की दो चाबियाँ थी एक मेरे पास रहती थी और एक उन मिया बीवी के पास होती थी रहमान भाई सुबह ८ बजे दफ्तर चले जाते थे उनके जाने के बाद शकीना भाभी नहाकर रसोई में खाना बनाने लगती थी और मैं सुबह ९-१० बजे उठ कर दिनचर्या निबटा कर नहाने चला जाता था फिर भाभी जान और मैं मिल कर नाश्ता करते थे. जैसे की मैंने बताया की शकीना भाभी जब रहमान भाई घर में होते थे तब वो मुझसे कम बाते करती थी और उनके दफ्टर जाते ही वो बहुत बातूनी बन जाती थी और मेरे साथ हंसी मजाक करने लगती थी मैं भी उनसे फ्री होकर रहमान भाई की अनुपस्तिथि में उनसे हंसी मजाक कर लेता था और और भाई जान के सामने काम बोलता था एक दिन मैं बाथ रूम में नहाने गया तो मेरी नजर कोने में पड़े बकेट पर गयी क्योंकि उसमे शकीना भाभी की पीले रंग सलवार व कमीज पड़ी थी मैंने सलवार कमीज को उठा उनके पेंटी और ब्रा को तलाशने लगा पर बकेट में पेंटी ब्रा नाम की कोई चीज नहीं थी यानि की शकीना भाभी पेंटी नहीं पहनती थी और जब घर में होती तो ब्रा भी नहीं पहनती थी सो मैंने सलवार को उठा कर उस हिस्से को देखा जो की शकीना भाभी की चुत छुपाये रहती हैं वो हिस्सा थोडा गिला था और वहां पर ३-४ झांटो के बाल चिपके थे यानि की वो नंगी होकर नहाने का आनंद उठाती थी मैं उनकी मोटी फूली चुत की कल्पना में खो कर सलवार के उस हिस्से को सूंघते सूंघते मुठ मारा फिर स्नान करके बहार आ गया. अगले दिन जब मैं सुबह जल्दी उठा रहमान भाई दफ्तर जा चुके थे तब मैं रसोई में गया और शकीना भाभी से चाय लेकर हॉल में बैठ कर चाय पी रहा था तो शकीना भाभी भी चाय लेकर मेरे बगल में बैठ गयी -पप्पू आज कहीं बहार जाना हैं क्या जो जल्दी उठ गए -नहीं भाभी जान मुझे कहीं नहीं जाना हैं बस दोपर को एक आध घंटे के लिए पेमेंट लाने जाना हैं क्यों कुछ काम हैं क्या -नहीं रे मैं तो बस यूँही पूछ रही थी और सुनाओ काम कैसा चल रहा हैं -ठीक चल रहा हैं, भाभी मेरे लिए खाना मत बनना मैं जहां जा रहा हूँ वहां खाना खा के आऊंगा -अच्छा ठीक हैं अगर तुम्हे जल्दी नहीं हो तो मैं नहा लेती हूँ -आप नहा लो मैं बाद में नहा लूँगा वो उठ कर अपने कमरे में गयी और तोवेल और सफ़ेद रंग का सलवार कमीज ले के आई और बाथ रूम में चली गयी जब वो नहा कर लौटी तो मैंने देखा की वो केवल सफ़ेद रंग की सलवार पहनी थी और सफ़ेद ही रंग की कमीज पहनी थी कमीज केवल उनकी चूतडों तक ही थी सफ़ेद रंग के कमीज में से उनके मोटी मोटी चुचिओ के भूरे रंग के निपल्स दिख रहे थे जैसा की मैंने बताया की वो ब्रा नहीं पहनी थी और जब वो अपने कमरे में जाने लगी तो उनका तोलिया जो उनके कंधे पर था वो जमीन पर गिर पड़ा सो उन्होंने उसे झुक कर उठाया जब वो झुकी तो उनकी मोटी मोटी गोल मटोल चुतड और उसके कटाक्ष मस्त लग रहे थे वो तोलिया उठा कर जाने लगी तो देखा की सलवार के साथ साथ कमीज उनकी गांड की दरारों के बिच फंसी थी जिस कारण उनकी मोटी मोटी भारी चुतड कटाव मनमोहक लगने लगा फिर वो अपने एक हाथ से गांड की दरारों के बिच फंसी हुई कमीज को खिंच कर गांड की दरार से निकाला और गांड मटकाते हूए अपने कमरे में घुस गयी मेरा तो यह नजारा देख कर लंड मोहदय ख़ुशी की मारे तन गया था फिर मैं बाथ रूम जाकर नहाने से पहले उनकी उतारी हुई सलवार को सूंघते हुवे मुठ मार कर नहा कर अपने कमरे आ गया और क्या करता अब तक उनके गदराये हुवे बदन नो निहारने के अलावा कोई चारा नहीं.हम दोनों बैठ कर नाश्ता किये और मैं करीब १२ बजे घर से बहार नक़ल गया करीब ३:३० को घर आया और अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अपने कमरे में जा कर कपडे बदल कर रसोई में गया तो वहां शकीना भाभी नहीं थी ना ही हॉल में थी मैं समज गया की वो खाना खा कर अपने कमरे में आराम फरमा रही होगी मैं हॉल में बैठ कर अख़बार उलटे लगा पर मन नहीं लगा और दिमाग में शैतानी कीड़ा कुलबुलाने लगा और दबे पैर शकीना भाभी के कमरे के पास जाकर दरवाजे के एक होल से अन्दर झाँकने लगा. (प्यारे पाठको आप को बता देना चाहता हूँ की मैंने बाथ रूम और जो रूम किराये पर देता हूँ उन दरवाजे में एक छोटा सा होल बना रखा था जिस का ध्यान मेरे अवाला किसी को नहीं रहता था) जब अन्दर झाँका तो देखा शकीना भाभी पलंग पर लेट कर कोई किताब पड़ने में मस्त थी पलंग कमरे के बीचोबीच लगा था पलंग का सिरहाना जहां से मैं झांक रहा था वहां से मेरे बाएं ओर था, पलंग का पगवाना दाहिने ओर था शकीना भाभी किताब पढने में लीन थी की यका यक उन्होंने अपनी कमीज को अपने चुचिओं के ऊपर सरका कर अपने बड़े बड़े स्तन को बहार निकाल कर एक हाथ से एक चूची की घुंडी को किताब पढ़ती हुई अपने अंगूठे और उंगली के बिच पकड़ कर घुंडी को मसल ने लगी मुझे थोडा अचरज हुआ क्यों की वो किताब पढ़ते हूए घुंडी को मसल रही थी फिर मन में खयाल आया की जरुर वो कोई वासना मयी किताब पढ़ रही थी. कुछ देर घुंडी को मसल ने के बाद किताब पढ़ते हूए उन्होंने एक हाथ से सलवार का नाडा खिंच कर वो हाथ सलवार के अन्दर डाल कर शायद वो अपनी चुत को रगड़ रही होगी यह सब देख कर तो मेरा बाबु मोशाय पजामे के उस हिस्से को तम्बू का रूप दे डाला जहां वो छुपा रहता हैं यानि की लंड राज फुल कर लोहे के समान कड़क हो गया था मैं लंड को पजामे से बहार निकाल कर अन्दर का नजारा देखते हूए हस्तमैथुन करने लगा. शकीना भाभी थोड़ी देर तक किताब पढ़ती हुई सलवार के अन्दर से अपनी चुत रगड़ रही थी उनका चहरा वासना से भर कर सुर्ख होने लगा था फिर उन्होंने उस किताब को पलग के गद्दे जे निचे रख कर एक हाथ से अपने उर्वोरोज की घुंडी मसल रही थी और एक हाथ से चुत सहला रही थी कुछ देर में उनका शरिर अकड़ने लगा और वो पसीने से तर बतर हो कर लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी मैं समज गया था की वो झड़ चुकी हैं पर मैं अब तक झडा नहीं तो बाथरूम में आकर हस्तमैथुन करके अपनी हवस को शांत किया और हॉल में आकर बैठ गया. थोड़ी देर बाद शकीना भाभी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम गयी और फिर मेरे बगल में आकार बैठ गयी. उनका चेहरा अभी भी पसीने से लथपथ था -पप्पू तुम कब आये-बस भाभी जान ५ मिनट पहले ही आया था -तुम्हारा काम हो गया क्या -हाँ भाभी जान सामने वाली पार्टी ने पेमेंट कर दिया हैं -हो यह तो अच्छी बात हैं तुम बैठो मैं चाय बना कर लाती हूँ वो अपने कूल्हों (चूतडों) को मटकाती हुई रसोई में गयी और कुछ ही देर में वो चाय लेकर आई हम दोनों चाय पीते हूए इधर उधर की बाते करने लगे. करीब ५ बजे मेरे मोबाइल पर रहमान भाई जान का फोन आया -पप्पू भाई जरा तुम्हारी भाभी जान से बात करा दो -लो भाभी जान भाई जान का फ़ोन हैं भाई जान ने भाभी से फ़ोन पर बात की और बात ख़त्म होते ही भाभी जान ने सेल मुझे वापस कर दिया उनका चेहरा थोडा उदास हो गया था. भाभी जान क्या कह रहे थे भाई जान -आज जुम्मा (शुक्रवार) हैं ना तो कह रहे थे की बाज़ार से गोस्त लाकर पकाना और पप्पू भाई जान को कहना की शाम को कहीं जाना मत वो घर सात बजे आजायेंगे -ठीक हैं पर इसमें आप उदास क्यों हो गयी हो -पप्पू भाई तुम नहीं समजोगे, तुम्हारे भाई जान में जान तो हैं नहीं ऊपर से पीने के बाद रात में काफी तंग करते हैं -(कुटिल मुस्कान लाते हूए) तो क्या हुआ आखिर वो आप का शोहर हैं ना -तुम नहीं समजोगे पप्पू, जब भी वो पीते हैं तो रात में उनकी हरकतों से में परेसान हो जाती हैं -कौनसी हरकत करते हैं ?-(लम्बी साँस लेकर )खैर छोडो जब वक़्त आएगा तो मैं अपनी बेबसी की दास्तान सुनाउंगी अब मैं बाज़ार जाकर गोस्त लाती हूँ तब तक तुम प्याज वैगेरह काट कर गोस्त की ग्रेवी तयार करो कह कर वो बाज़ार चली गयी और मैं ग्रेवी की तैयारी करने लग गया पर यका यक खयाल आया की शकीना भाभी के कमरे में जा कर वो किताब तो देखूं जो वो दोपहर को पढ़ रही थी सो मैं उनके कमरे में जाकर गद्दे के निचे से किताब निकाल कर देखा तो वो मस्तराम की कहानियों की किताब थी जरुर रहमान भाई जान ने भाभी के लिए लाये होंगे. उस किताब में सचित्र कहानिया छपी थी जिसमे अतृप्त औरतें अपने मकान मालिक, देवर, नौकर , इत्यादि को मोहित कर के उनके संग सम्भोग करके अपने तन की प्यास भुझाती हैं कुछ पन्नो को उलट कर मैंने किताब को यथा स्थान रख कर ग्रेवी की तयारी में जुट गया करीब ३०-४० मिनट के बाद शकीना भाभी गोस्त लेकर आई और रसोई में गोस्त ब्रियानी बनाने में जुट गयी मैं भी रसोई में उनकी मदद कर रहा था. करीब ७ बजे बेल बजी-लगता हैं तुम्हारे भाई जान आ गए हैं अब तुम जाओ हॉल में बैठो -ठीक हैं मैं दरवाजा खोल कर हॉल में बैठ कर टी वी देखने लगा, रहमान भाई जान अपने कमरे में जा कर कपडे बदले पजामा कुर्ता पहन कर विस्की की बोतल और दो गलास ले कर हॉल में आ गए -पप्पू भाई आज पीने का मन हो रहा था तो सोचा क्यों ना वीक एंड एन्जॉय किया जाये -हाँ भाई जान वीक एंड तो जरुर एन्जॉय करना चाहिए-रज्जू जरा बर्फ और पानी लाना भाभी जान बर्फ और पानी लाकर अपने चूतडों को मटकाती हुई जाने लगी -सुनो रज्जू ब्रियानी में पका गोस्त मिलाने से पहले एक प्लेट में थोडा गोस्त तो ला दो नो -थोड़ी देर बाद शकीना भाभी प्लेट में गोस्त लेकर आई और हमेश की तरह अपने भारी भरकम चूतडों को ऊपर निचे करते हूए रसोई में चली गयी और हम बाते करते करते जाम पर जाम पीने लगे आज भाई जान काफी मूड में थे क्योंकि काफी सेक्सी जोक सुना रहे थे -क्या बात हैं भाई जान आज काफी मुड़ में हो(आँख मारते हूए) वीक एंड हैं ना और आज सारी रात कई वर्सो बाद मोज मस्ती करूँगा मेरे प्यारे पप्पू भाई हम लोग लगभग रात १० बजे पीने का सिलसिला ख़त्म करके खाना खाया रहमान भाई ने अपने रूम में जाकर अपने बिगम साहिबा के साथ खाना खाया. बागम साहिबा यानि की शकीना भाभी सारा काम निबटा कर अपने कमरे में चली गयी थी मैं खाना खा कर टी वी देखने में लीन था करीब ११:५० पर फिल्म ख़त्म हुई पर मुझे नींद नहीं आ रही थी ने चेनल बदल कर एक इंग्लिश मूवी लगाई वो भी १० मिनट्स में ख़त्म हो गयी मैं बोर होने लगा तो मैंने रहमान भाई जान के कमरे की ओर देखा तो पाया कमरे का दरवाजा बंद था और अन्दर की लाईट चालू थी इसलिए जिज्ञासा वस मैं उनके कमरे की ओर रुख करके दरवाजे के छेद से देखा तो पाया रहमान भाई और शकीना भाभी दोनों निर्वस्त्र पलंग पर लेते थे रहमान भाई कोई किताब पड़ रहे थे उनका खतना किया हुआ लंड मुरझाया पड़ा था वो शकीना भाभी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा.-रज्जू लंड सहला कर खड़ा करो ना -पहले भी मैं सहला कर खड़ा करने की कोशिश की पर नहीं होता तो क्या करूँ -पर आज करने का बहुत मुड़ हैं रज्जू -क्या फायदा जब खड़ा ही नहीं होता हैं चलो रहने दो ना -अबकी बार जरुर खड़ा होगा क्यों की यह कहानी काफी सेक्सी हैं और चुदाई से युक्त कहानी तो मुर्दों के लंड में जान डाल देती हैं तो अबकी बार जरुर खड़ा होगा मुझे भाई जान का लंड और भाभी जान की चूचियां साफ़ साफ़ नजर आरही थी भाभी जान की चुत रानी पर घने झांटे होने के कारण उनकी बुर बालों से ढकी थी वो भाई जान के लंड को सहलाने में मग्न थी भाई जान का लंड पतला था वैसे भी वे ५० के उम्र के थे तो लवडे में जान कहाँ से आये गी पर शायद यह मस्तराम की कहानी का असर था जो वो पढ़ रहे थे की उनके लंड में तनाव आने लगा. तब वो किताब को गद्दे के निचे रख कर पलंग के किनारे पैर निचे कर के बैठ गए उन्होंने भाभी जान से कुछ कहा तो शकीना भाभी भी पलंग से उठ कर जमीन पर घुटनों के बल बैठ कर भाई जान का लंड चूसने लगी भाई जान उनसे लंड चुसवाते हूए उनकी चुचियों की घुंडी मसल रहे थे. भाभी जान के भारी भरकम चूतडों को देख कर मन हुआ की पीछे से जाकर उनकी मोटी गांड में लंड पेल दूँ पर लाचार था. कुछ देर की लंड चुसाई से भाई जान के लंड में जान आई तो उन्होंने शकीना भाभी को उठा कर पलंग के ऊपर पीठ के बाल लेटा कर उनकी बुर में अपना लंड डाल कर अन्दर बहार करने लगे पर यह क्या ४-५ धक्को के बाद वो उठ गए मुझे लगा की वो झड़ गए होंगे पर नहीं क्यों की उनके लंड में अभी भी तनाव बरक़रार था उन्होंने शकीना भाभी से कुछ कहा तो शकीना भाभी पेट के बल लेट गयी रहमान भाई ने तेल की शीशी उठा कर अपने लंड को तेल से सरोबर करके शकीना भाभी की गांड के छेद पर भी तेल लगा कर चिक्नायुक्त करके अपने लंड के सुपाडे को गांड की छेद पर टिका कर धीरे धीरे गांड में घुसाने लगे. शकीना भाभी के चेहरे पर दर्द का नमो निशान नहीं था यानि की उनकी गांड अपने शोहर के लंड की साइज़ से वाकिफ हो चुकी थी पर यह क्या ५-६ धक्को में ही रहमान भाई का शरिर अकड़ने लगा और पसीने से तर बतर हो कर लम्बी लम्बी सांसे लेते हूए उन्होंने अपना पतला वीर्य शकीना भाभी की चूतडों पर गिरा कर हाफ्ते हूए लेट गए. बिचारी शकीना सिर्फ अपने तन की प्यास की परवाह ना करते हूए बेबस हो कर उनके हुकुम का पालन करते हूए बिन पानी के तड़पती हुई मछली के समान लेट गयी. क्रमशः....

raj..
Platinum Member
Posts: 3402
Joined: 10 Oct 2014 07:07

Re: Hindi Sex Stories By raj sharma

Unread post by raj.. » 12 Oct 2014 20:46

भाभी की बेबसी और मेरा प्यार--2

गतान्क से आगे............. ...... मैं भी अपने कमरे में आकर हस्तमैथुन कर के नींद के आगोश में समा गया अब मैं शकीना भाभी के बारे में सोचने लगा बिचारी भाभी का भी चुदवाने का मन तो करता होगा पर उम्र दराज पति के प्रभावहिन पतले लंड के कारण मन मसोस के रह जाती होगी उंगली से चुत को शांत करने के अलावा शकीना भाभी के पास कोई उपाय भी नहीं था समाज के कारण किसी पराये मर्द से भी नहीं चुदवा सकती थी क्यों की उसमे बदनामी का डर रहता हैं बेचारी पूर्णतया बेबस मजबूर अबला नारी थी. मुझे उस पर अब तरस आने लगा था रहमान भाई की अनुपस्थिति में शकीना भाभी मुझसे ढेर सारी बातें करती थी मैं आज तक स्पष्ट रूप से चूंकि चुत का दीदार नहीं कर सका क्यों की दरवाजे के छेद से केवल शकीना भाभी को बुर सहलाते हूए देखा था पर सौभाग्य से ४ दिन बाद ही मुझे उनके चुत के मनभावक दर्शन हो गए उसदिन मैं सुबह जल्दी उठ गया था रहमान भाई नाश्ता कर रहे थे जब वो दफ्तर के लिए निकले तो मैं नहाकर हॉल में बैठ कर अख़बार पड़ने लगा इतने में शकीना भाभी अपने कमरे से निकाल कर नहाने बाथ रूम में चली गयी तो मेरे दिमाग में शैतानी कीड़े रेंगने लगे मैं उठ कर बाथ रूम के दरवाजे की चिरी से झांक कर देखा तो मेरा लंड राज फुंकारने लगा क्योंकि अन्दर का नजारा ही गजब का था शकीना भाभी दरवाजे की ओर मुह कर के मूत रही थी उनकी मोटी मोटी गौरी गौरी पैरों की पिंडलियाँ देख कर मैं उतेजित हो चूका था दोनों टांगो के बिच फूली हुई चूत की दोनों फांकें, उनके बीच का कटाव में से चूत के बड़े बड़े होंठों के बिच से निकलती मूत की धार साफ़ नज़र आ रहे थे, मुझे मुस्किल से १ मिनट तक चुत के साफ़ साफ़ दर्शन हूए गौरी गौरी मांसल जांघों के बीच में घना जंगल और उस जंगल से झांकती फूली हुई बादामी रंग के फानको के बिच गुलाबी चुत का कटाव ऊऊफ़्फ़्फ़ गजब का नजारा था मूत कर भाभी जान नहाने लगी और मैं वहीँ खड़ा होकर मुठ मारने लगा क्योंकि इसके अलावा कोई चारा नहीं था. फिर मैं अपने स्थान पर आकर अख़बार पड़ने लगा करीब २०-२५ मिनट के बाद भाभी सलवार कमीज पहन कर मेरे बगल में बैठ गयी और हम दोनों नाश्ता करने लगे. मेरे दिमाग में तो बस हर समय उनकी चुत की झलक घूमने लगी थी. प्यारे पाठको को यह बता दू की मैंने १८ साल की लड़की से लेकर ४८ साल की औरतों को चोदा हूँ (अब तक ८-९ जानो को चोदा हूँ जिस में १८ साल की नौकरानी को छोड़ कर सब मेरे किराये दार थे) अगर चुदाई के शौक़ीन वालो को चुदाई का असली मजा लेना हो तो परिपक्व व प्यासी औरतों को चोदना चाहिए हालाँकि उनलोगों की चुत कमसिन की अपक्षा कसी नहीं होती हैं पर परिपक्व होने के कारण उनके पास अनुभव होता हैं और ऊपर से जब वो प्यासी नारी हो तो चुदाई में खूब साथ देती हैं जिस से दोनों को अति आनंद मिलता हैं जिसका वर्णन करना मुश्किल हैं. अब तो हर दिन मैं इसी उधेड़ बुन में रहा की शकीना भाभी को चारा डालूं ताकी वे चुदवाने राजी हो जाये.इश्वर ने एक दिन मेरी सुन ली, और मुझे सुनेहरा मोका दिया मैंने सोचा पप्पू बेटा इस मोके का अगर तुम फायदा नहीं उठा सके तो शकीना भाभी को कभी भी नहीं चोद पाओगे इसलिए मैंने मन ही मन प्लानिंग करने लगा. हुआ यूँ की रहमान भाई जान को दफ्तर के सिलसिले में गुरुवार की सुबह ७ बजे की फ्लाईट से दुसरे शहर जाना था और शुक्रवार की रात को लौटने वाले थे उनकी अनुपस्थिति का मुझे फायदा उठाना था मैंने गुरुवार को सुबह रहमान भाई को एयर पोर्ट छोड़ कर घर पहुँच कर अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर रसोई में गया वहां शकीना भाभी नहीं थी ना ही अपने कमरे में थी शायद वो नहा रही होगी इसलिए इन्तेजार करते करते मैं अख़बार पड़ने लगा. कुछ मिनटों में बाथ रूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई तो मेरी नजर उस ओर पड़ी. देख कर तो मैं अवाक् रह गया और किसी पत्थर की मूर्ति की भांति बैठ कर देखने लगा शकीना भाभी बिलकुल नंग धडंग होकर तोवेल से अपने सिर पोछते हुवे, गुनगुनाते हुवे बाथ रूम से बहार निकर कर अपने कमरे में मोटी मोटी चूतडो नो मटकाती चली गयी शायद उन्हें मेरे उपस्थिति का एहसास नहीं था वर्ना वो कभी मेरे सामने नंग धडंग हो कर नहीं निकलती थी वैसे भी वो तोवेल से अपना सिर पोंछ रही थी इसलिए मैं उन्हें नजर नहीं आया होगा. मैंने मन ही मन सोचा इश्वर आज मेहरबान हैं क्योंकि अनजाने में ही सही शकीना भाभी के पूर्णतया नग्न अवस्था में सुबह सुबह दर्शन हो चुके थे. करीब १०-१५ मिनट्स बाद वो अपने कमरे से निकाल कर आई और मुझे देख कर चौक गयी -अरे पप्पू भाई जान तुम कब आये, मुझे तो पता ही नहीं चला -(मैंने सेक्सी स्माइल देकर) जब आप बाथ रूम में थी तब से आकर यहाँ बैठा हूँ -ऊईईईइ माँ (एक उंगली को दातों के बिच दबाकर) तो तुम ने मुझे उस हालत में देख लिया होगा -कौनसी हालत में ?-तुम बड़े बेशर्म हो पप्पू भाई जान अगर तुमने मुझे देखा तो अपना मुह घुमा लेना चाहिए था और मुझे तुमारी उपस्थिति का एहसास करना था या अल्लाह मुझे माफ़ करना क्यों की मैं एक पराये मर्द के सामने उस हालत में निकाली थी -अरे शकीना भाभी इसमें तुम्हारी गलती नहीं हैं मैं तो बस आप को उस रूप में देख कर किसी पत्थर की मूर्ति जैसे हो गया था इसलिए आप को मेरी उपस्थिति का एहसास नहीं करा सका मुझे माफ़ करना -अच्छा इस बात का जिक्र किसी से ना करना यह राज हम दोनों के बिच में रहना चाहिए, चलो तुम नहालो मैं नास्ता तैयार करती हूँ मैं नहाकर कपडे पहन कर हॉल में आया भाभी ने शर्माते हुवे नास्ता टेबल पर रख कर सिर निचे कर के मुस्कुराते हुवे रसोई में चली गयी मैं भी चुप चाप नास्ता कर के शकीना भाभी को घंटे भर में लोटूगा कह कर मैं दरवाजा बंद करके बहार निकाल गया. मैं रास्ते भर सोच रहा था की किस तरह हिम्मत जुटाऊ ताकी मैं आसानी से शकीना भाभी की चुत चोद सकूँ आखिर कर एक विचार आया की विस्की लाकर पियूँ तो शायद हिम्मत जुट जाएगी इसलिए बाज़ार से मैं खाना वैगेरह बंधवाकर कर विस्की की एक बोतल लाया अपनी चाबी से दरवाजा खोल कर अपने कमरे में जाकर कपडे निकाल कर लुंघी और बनियान पहन कर हॉल की ओर जाते हुवे शकीना भाभी को आवाज लगाई, उन्होंने भी रसोई से ही उतर दिया -भाभी जान खाना मत बनना -क्यों, मैं तो खाने की तैयारी कर रही थी -मैं खाना बंधवा कर लाया हूँ, भाभी जान जरा मुझे ग्लास बर्फ और पानी तो देना -(ग्लास बर्फ पानी लाकर टेबल पर रख कर) क्या बात हैं आज दिन में प्रोग्राम बना रहे हो -हाँ भाभी आज में बहुत खुश हूँ आप भी काम सलटा कर यहाँ आ जाओ हम खूब बाते करेंगेभाभी ने करीब १५-२० मिनट्स में काम सलटा कर हॉल में आई और जमीन पर पैरो को घुटनों से मोड़ कर दिवार का सहारा ले कर बैठ गयी भाभी के दोनों हाथ घुटनों पर थे शकीना भाभी ने आज हलके गुलाबी रंग की सलवार कमीज पहने थी -हाँ तो पप्पू भाई जान आज खुश क्यों हों -(मैंने भाभी को झूठ बोला) आज मुझे बड़ा काम मिला इसलिए मैं बहुत खुश हूँ -वाह यह तो अच्छी बात हैं तुम्हे तो आज पार्टी देनी चाहिए -मेरी प्यारी भाभी जान, आप बस हुकुम करो मैं आप की फरमाइश पूरी कर दूंगा -आज हमारे देवर भाई बहुत रोमांटिक लग रहे हो क्या बात हैं -आज मैं बहुत खुश हूँ भाभी जान -तो जाओ अपनी मसूका के साथ दिन भर मोज मस्ती करो, सही बताना कोई मासुका पटा रखी हैं क्या ?-आप भी भाभी ना अच्छा मजाक कर लेटी हो. कसम से फ़िलहाल कोई मासुका नहीं हैं पहले थी पर उसके परिवार कहीं ओर शिफ्ट हो गए हा हा हा हा हा फ़िलहाल तो .....अआप ........आप .....-क्या आप आप कर रहे हो खुल कर कहो ना-भाभी जान बुरा नहीं मानना आज मुझे मेरी मसूका की कमी बहुत महसूस हो रही हैं उसका चहरा मोहरा बिलकुल आप की तरह था -पर मेरे देवर जी मैं आप की मसूका नहीं हूँ शादी सुदा औरत हूँ -वास्तव में भाभी भाई जान और आप बहुत लक्की हो जो भाई जान को आप जैसी और आप को भाई जान जैसा शोहर मिला मेरी बात सुन कर भाभी का चहरा उदासमयी हो गया और वो जमीन पर नज़ारे टिका कर कुछ सोचने लगी तब मैं उठ कर टोयीलेट चला गया क्यों की जोर की पिसाब लगी थी पिसाब करते करते दिमाग में शैतानी कीड़े कुलबुलाने लगे तो मैंने पिसाब कर के लंड मोहदय को अंडर वेअर में ना डाल कर बहार ही लटकने दिया और उसको लुंघी से सही तरह ढक कर रसोई से फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक निकाल कर हॉल में आकार अपने स्थान पर बैठ कर जाम का घूंट पीने लगा भाभी जान उसी अवस्था में जमीन पर नज़ारे झुकाएं बैठी थी -भाभी जान आप का चेहरा क्यों उतर गया कहो ना क्या बात हैं -पप्पू भाई जान (थोडा सुबकते हुवे) लोगो की नज़रों में मैं बहुत खुश नशीब हूँ पर वास्तव में मैं बहुत ही बदनसीब बीवी हूँ -क्यों क्या हुआ खुल कर कहो डरो मत मैं कसम खता हूँ की यह सारी बातें हम दोनों के दरमियान रहेगी-(लम्बी सांसे लेकर) पप्पू भाई जान दरअसल बात यह हैं की मेरे और उनके बिच उम्र का काफी अंतर होने के बावजूद मुझे उनसे निकाह करने को मजबूर होना पड़ा और आज तक मैं मज़बूरी में बेबस हो कर घुट घुट के मर रही हूँ -भाभी जान ऐसी कौनसी मज़बूरी थी या हैं जो आप बेबस हो -मेरी शादी से ८ महीने पहले मेरी माँ बहुत बीमार हो गयी थी डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था पर मेरे अब्बा के एक दोस्त से तुम्हारे रहमान भाई जान का परिचय हुआ तब मेरे शोहर ने मेरे अब्बा को काफी आर्थिक व शाररिक रूप से मदद की पर मेरी अम्मी बच नहीं सकी और मेरे अब्बा अम्मी के गम में शराब पीने लगे और मेरे शोहर से और कर्ज लेते लेते कर्जदार हो गए इसका फायदा मेरे शोहर ने उठा कर मेरे अब्बा से मेरा हाथ माँगा,

Post Reply