माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:00

तुमने मुझको बताया था की तुम्हारी उम्र ४८ साल है पर देखने से तुम उससे दस साल छोटी दिखती हो। ये तो तुम्हारी मुझे देखने की नजर है बेटा नही तो उम्र तो मेरी ४८ ही है। लेकिन तुम्हारे मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मुझे बडा अच्छा लगा। फिर मैं बोला माँ तुमसे एक बात पूछना चाहता हूँ। रीमा बोली पूछो। मैं जब से आया हूँ मैंने गौर किया हे की तुम्हारा ब्लाउस काफी तंग है। जिसकी वजह से तुम्हारी चुचियाँ ब्लाउस को फाड कर बाहर आने को तैयार है। लगता है कि एक हफ़्ते बोम्बे मे रह कर चुचियाँ मसलवाने से बडी हो गयी है जिसकी वजह से तुम्हारा ब्लाउस छोटा हो गया है।मेरी बात सुनकर रीमा खिलखिला कर हँस पडी और बोली नही बेटा ब्लाउस तो मेरा एक दम नया है। बोम्बे आने से पहले सिलवाया है। मैंने जानबूझ कर एक इन्च छोटा बनवाया था जिससे मैं इस तुमको रिझाने के लिये इस्तमाल कर सकूँ। जिससे मेरी चुचियाँ और भी बडी बडी लगे। मुझे पता है की तुमको ब्लाउस मे से छाँकती चुचियाँ कितनी पंसन्द है। इसीलिये गले का कट भी नोर्मल गहरे कट से थोडा ज्यादा रखा है। इस ब्लाउस को पहन कर मैं बाहर तो जा ही नही सकती नही तो लोग मेरा सडक पर ही बालात्कार कर देगें। ये तो स्पेशल ब्लाउस है जोकि मैने अपने बेटे के मस्ती बढाने के लिये बनवाया है।

ओह माँ तुम अपने बेटे का कितना ख्याल रखती हो। रीमा ने कहा अगर माँ अपने बेटे का ख्याल नही रखेगी तो कौन रखेगा। फिर मैंने कहा कि तुम ठीक कह रही हो माँ। मैंने तुम्हारे काँख के बाल भी देखे ऐसा लग रहा है कि जैसा तुम १ महिने पहले छोटे कराने को कह रही थी पर तुमने छोटे किये नही। रीमा बोली बेटा मैं छोटे करना तो चाहती थी पर २-३ दिन मेरे बॉस के कुछ कलाइन्ट आ रहे थे तो मुझे उन को खुश करना था। इसलिये काट नही पायी फिर मेरे बॉस ने बोला कि बोम्बे जाने का प्रोगाम बन सकता है । तो मैंने सोचा कि फिर तुमसे भी मिलना हो सकता है तो क्यो ना और बढा लेती हूँ। वैसे भी तुम्को मेरे काँख के बाल बहुत पंसन्द है और इतने बडे बाल देख कर तो तुम बहुत खुश होगे। हाँ माँ मैं बहुत ही खुश हूँ कि तुमने बाल नही काटे।

माँ तुम्हारे होंठ भी बडे सुन्दर हैं तुमने कभी बताया नही कि तुम्हारे होंठ बडे बडे और इतने उभार दार हैं। मुझको इस तरह कि होंठ बहुत पंसन्द हैं। रीमा बोली मैं सोचती थी सब मर्दो को पतले होंठ पंसन्द होते है। अगर मैं तुम को बता दूंगी तो शायद तुम मुझसे बात करना पंसन्द करो या नही। तुम जैसे बेटे कहाँ मिलते हैं। मैं तुमको खोना नही चाहती थी इसलिये नही बताया। मैंने पुछा की यह भी तो हो सकता था कि मैं यहाँ आकर तुम्हारे होठ पंसन्द नही करता और चला जाता। रीमा ने कहा मुझे उसका थोडा सा डर था इसलिये ही मैंने तुमको लुभाने के लिये कसा हुआ ब्लाउस बनवाया था। तुमको बुरा लगा क्या बेटा आई एम सोरी बेटा।

ऐसा कह कर उसने अपनी आँखे नीची कर ली और उसका चेहरा उदास हो गया। मैंने कहा माँ इसमे इतना उदास होने की बात क्या है। तुमको तो खुश होना चाहिये कि मुझे तुम्हारे होंठ पंसन्द आये। उसने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुरा दी और मुझको गले से लगा लिया। और बोली बेटा तुम्हारी माँ अपनी असली जिन्दगी मैं चाहे जितनी भी बडी रंडी हो पर तुमको बहुत प्यार करती है। मेरे अपना तो कोई बेटा है नही लेकिन मैंने तुमको ही अपना बेटा माना है। अपनी माँ से कभी भी नफ़रत मत करना बेटा। नही माँ कभी नही कह कर मैंने भी रीमा को अपनी बाँहो मे जकड लिया। और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:01

अब तक मैं यही सोच रहा था कि हम दोनो के बीच सिर्फ वासना का रिश्ता पनप रहा है। लेकिन मुझे आज पता चला कि चाहे हम दोनो एक दूसरे के पास वासना कि वजह से आये हों पर रीमा सच मे मुझे एक बेटे कि तरह प्यार करने लगी थी। और असली जिन्दगी मे वह बहुत ही अकेली थी। और अकेली होने कि वजह से ही शायद इस समाज से लडने के लिये वोह अपने बॉस की रंडी बनी हुयी थी। मैंने भी सोच लिया था की इन चार दिन मैं उसको इतना प्यार दूंगा कि वोह इन दिनो को कभी भी नही भूल पायेगी।

फिर रीमा पहले कि तरह बैठ गयी और बोली मैं भी क्या बात ले कर बैठ गयी तुमको मेरे होंठ पंसन्द आये मैं बहुत खुश हूँ। और बतओ मेरे शरीर के बारे मैं और क्या क्या तुमको अच्छा लगता है। मैंने कहा माँ मुझे तुम उपर बाल से लेकर पैरो तक पूरी की पूरी अच्छी लगती हो। रीमा बोली तो फिर बताओ हर अंग के बारे मे तुम्हारे मुँह से मुझको अपनी तारीफ अच्छी लग रही है। तुम्हारी ये गोरी गोरी माँसल बाँहे मुझे अच्छी लगती हैं इतना कह कर मैंने उसकी बाँहो हो कोहनी के उपर से चूम लिया। ऐसा ही मैंने दुसरी बाँह के साथ भी किया।

मुझे तुम्हारी ये बडी बडी आँखे अच्छी लगती है। कितनी गहरी है। और इन आँखो मे मेरे लिये प्यार और वासना झलकती है। माँ के प्यार के साथ छुपी हुयी एक अधेड उम्र की औरत की वासना इनको और भी रहस्यमयी बना देती है। और मेरा मन करता है कि इनको प्यार करू। रीमा ने कहा तो कर लो प्यार कौन मना कर रहा है। यह कह उसने अपनी आँखे बंद कर ली फिर मैंने पहले दाँयी आँख पर किस किया फिर बाँयी आँख पर। और फिर रीमा ने अपनी आँखे खोली और मेरे गाल पर किस कर लिया और बोली की तुम बहुत ही प्यार बेटे हो।

फिर मैंने कहा मुझे तुम्हारा ये नंगा पेट भी अच्छा लगा क्योकी तुमने साडी नाभी के नीचे पहनी है और तुम्हारी बडी गहरी नाभी दिखायी दे रही है जो मेरी मस्ती को और भी बढा रही है। और मेरा लंड तुम्हारी गाँड के बीच मे फंसा तडप रहा जैसे मछली पानी के बाहर तडपती है। इस पर रीमा ने कहा ओह मेरे प्यारे बेटे मैं तुम्हारे लंड को इस तरह से तडपाना तो नही चाहती पर क्या करू अभी उसके मजा लेने का वक्त आया नही है। उसे तो अभी तडपना होगा मेरे लिये क्योकी मेरे को तो अभी अभी ही थोडा थोडा मजा आना शुरू हुआ है। लेकिन अगर तुम कहोगे तो मैं तुम्हारे लंड को तडपाँगी नही। लेकिन अगर तुम मेरे कहे अनुसार चलोगे तो मैं तुमसे वादा करती हूँ कि तुमको बहुत मजा आयेगा।

मैंने कहा की माँ तुमको वादा करने की जरुरत ही नही है मुझको पता है कि तुम मुझको बहुत मजा दोगी और मुझे उस मे कोई शक नही है। मेरी बात सुनकर वोह बहुत खुश हुयी। और बोली मुझे खुशी है की तुम इस बात को समझते हो कि जल्दबाजी से ज्यादा मजा देर तक धीरे धीरे प्यार करने मे आता है। चलो शुरू हो जओ फिर से। मैं धीरे से मुस्कुराया और बोला मुझे तुम्हारा इस तरह बेशर्मी से गंदी गंदी बातें करना भी अच्छा लगता है। इस पर रीमा ने कहा मेरे बेटे ये बाते गंदी कहाँ है ये तो दुनिया कि सबसे अच्छी बातें है। अगर दुनिया मे सब लोग सबकुछ भूल कर सिर्फ सेक्स की बात करे तो ये दुनिया कितनी सुखी हो जाये।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:02

पर बेटा तुम चिन्ता मत करो तुम्हारी ये माँ तुम्को बेशर्म बनना सिखा देगी तब तुम भी ऐसी ही गंदी गंदी बाते कर सकते हो। माँ मुझे चुदायी करते वक्त गलियाँ देना और सुनना पंसन्द है। रीमा बोली बेटा ये तो बहुत ही अच्छी बात है क्योकी गलियाँ तो मस्ती मे हम उसी को देते है जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते है। जितनी बडी और गंदी गाली उतना ही ज्यादा प्यार झलकता है। समझ गया रंडी की औलाद। उसके मुहँ से गली सुन कर मेरे लंड ने एक झटका सा लगा जोकी उसकी चूतडो की दरार के बीच फंसा हुआ था।

फिर मैंने कहा माँ मुझको तुम्हारे शरीर के सारे कपडे भी अच्छे लगते है। रीमा ने कहा अच्छा बता इनमे भला तुझे क्या अच्छा लगता है। मैंने कहा इनकी मादक खुशबु। इन कपडो से निकलने वाली मस्तानी सुगंध। इस सुगंध मे कपडो की गंध के साथ साथ तुम्हारे बदन और तुम्हारे पसीने की सोंधी गंध भी शामिल है। जोकी इसको और भी मादक बना देती है।

फिर मैंने कहा मुझे तुम्हारे पैरो मे ये उँची ऐडी के सैडंल भी बहुत अच्छे लगते है। जब तुम इनको पहन कर चल रही थी तो तुम्हारे भारी भरकम चूतड क्या मस्त मटक रहे थे और ५ इन्च हील की वजह से चूतड और भी उभर कर शरीर के बाहर की और निकल आये हैं जो कि इन बडे बडे चूतडो और भी मस्त बना देते है। जिसकी वजह से ये और भी बडे लगते है। और ऊँची हील कि वजह से चाल और भी मस्तनी हो जाती है। क्योकी तुम्हारे मम्मे इतने बडे है इस लिये ये हर कदम के साथ उछलते है। और ये दर्शय देख कर किसी मुर्दे का लंड भी खडा होने को मजबूर हो जाये।

तुमसे चाट रूम मे मिलने से पहले मैं उँची ऐडी के सैडंल नही पहना करती थी। जब तुमने मुझे बताया था की तुमको उँची ऐडी के सैडंल पंसन्द है और अगर ऐडी करीब ५ या ६ इन्च हो तो क्या कहने। तब पहले तो कुछ दिन तक मैंने सोचा की इनका सेक्स मैं क्या काम। लेकिन मैं एक बार एक शाप पर गयी और सैडंल देख कर सोचा क्यो न मैं ट्र्यी करके देखूँ और जब मैंने शीशे मे अपने चूतड देखे तो मैंने कहा तुम गलत नही हो। मेरे मस्त चूतड और भी बाहर निकल आये थे और आस पास के कई मर्द मेरे चूतडो को घूर घूर कर देख रहे थे। तब से मैंने कई जोडी सैडंल खरीदे है। और मैं कयी सारे जोडी ले कर आयी हूँ।

फिर मैं बोला माँ सबसे अच्छा अंग तो मुझे तुम्हारे चूतड लगते है। औरत के चूतड मेरा सबसे पंसन्दीदा अंग है। और तुम्हारे चूतडो के तो क्या कहने। इतने बडे बडे है और तुम्हारी कमर पतली होने की वजह से औरे भी बडे लगते है। तुमने पेटीकोट भी इतना नीचे पहना है की तुम्हारे चूतडो की दरार कहाँ से शुरू होती है वो भी दिखायी देती है। और क्या तारीफ करु इन चूतडो की ये इतने सेक्सी है कि मेरे पास कोई शब्द ही नही है। मेरी बात सुन कर रीमा ने कहा की तुम सही बोल रहे हो या मेरे को रीझाने के लिये ऐसा कह रहे हो मुझे नही पता पर तुम तारीफ करना खूब जानते हो। मैने कहा मै कोई झूठी तारीफ नही कर रहा हूँ माँ तुम हो ही इतनी सुन्दर मैने जितना भी तुम्हारे रूप के बारे मे कहा है वह तो तुम्हारी सुन्दरता का सिर्फ़ १० प्रतिशत ही है। रीमा ने कहा चल झूठा कही का। माँ के साथ खेल करता है।

और ऐसा कह कर रीमा ने एक हल्की सी चपत मेरे गाल पर लगा दी। और बोली चल बता और क्या क्या अच्छा लगा तुझे तेरी माँ मे। मैं बोला मैंने सब कुछ तो बता दिया। और तो कुछ नही बचा। बोली कैसे नही मेरी सबसे कीमती चीज तो अभी बची है। मैं बोला पर वह तो तुम्हारे कपडो से ढकी है। तो फिर ऐसे देख क्या रहा है उतार दे मेरे कपडे मैंने तुझे मना थोडी किया है। तूने ही नही उतारे मेरे कपडे मैंने तो सोचा था जैसे ही आयेगा वैसे ही मेरे रूप को देख कर मेरे कपडे फाड देगा। माँ की बात सुन कर मैंने कहा नही माँ पहले मैं तुम्हारे होंठो का रस पियूगां फ़िर तुम्हारे कपडे उतारूगाँ।

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