माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:43


चूस मादर चोद चूस निकाल ले सारा रस मेरी चूत से साली निगोडी तेरे होंठो से कुछ ज्यादा ही प्यार करती है। देख कैसे ही उससे मिलन होने के बाद अपनी चूत का रस पीला रही है उसे सली कुत्तिया मुझे इतना तडपाती और तुझे अपने चूत रस का प्रसाद दे रही है। अच्छे से रीमा की चूत की एक फाँक चूसने के बाद मैंने कहा क्यो न हो माँ मैं उसकी इतनी सेवा भी तो करता हूँ मैं उसे इतना मजा देता हूँ तो क्या चूत मुझे अपने रस कर प्रसाद नंही देगी। अखिर वह मेरे लंड की माँ है उसे भी तो अपने लाडले लंड का ख्याल रखाना है मुझे चूत रस पीलायेगी तभी तो लंड को ताकत आयेगी और वह माँ की सेवा करेगा। तो मेरी भोसड चोद रुका क्यो दूसरी फाँक भी तो चूस कि एक में ही तेरा पेट भर गया। नंही माँ अभी चूसता हूँ। कह कर मैंने दूसरी फाँक अपने मुँह मे भरी और उसे चूसने लगा। रीमा मेरे बालो मे अपनी उंगलियाँ फिराते हुये मुझे गाली बक रही थी और जोर जोर से चूसने के लिये कह रही थी। मैंने भी जम कर उसकी चूत की दूसरी फाँक भी चूसी और उसमे लगा चूत रस पी लिया। अब रीमा की चूत के बाहर लगा हुया सारा रस मैंने पी लिया था और रस की एक भी बूंद मैंने नंही छोडी थी। फिर मैंने अपनी जीभ रीमा की चूत के अंदर घुसेड दी और रीमा की चूत के दीवारो के अपनी जीभ से कुरेदने लगा। रीमा की चूत अंदर से बहुत ही संवेदनशील थी मेरी जीभ लगते ही रीमा उछल पडी और घीरे से वह अपने चूतड हिलाने लगी वह खुद अपनी चूत मेरी जीभ पर रगड रही थी और मजा ले रही थी।

फिर मैंने अपनी जीभ थोडी कडी की और अपनी आधी जीभ चूत के अंदर घुसा दी। और अपना सर आगे पीछे कर कर रीमा की चूत अपनी जीभ से चोदने लगा। रीमा की चूत बहुत की गर्म हो चुकी थी जिसका अहसास मुझे अपनी जीभ पर हो रहा था। पर रीमा की चूत का बहता रस मुझे उसकी चूत चोदने में मदद कर रहा था। चूत का रस चूत से निकल कर जीभ पर पडता और फिर मेरे मुँह मे उतर जाता। रीमा भी अपने चूतड जोर से हीला रही थी वह ज्यादा से ज्यादा जीभ अपनी चूत में लेकर चुदना चाहाती थी। मैंने अपने हाथो से रीमा की चूत की फांके पकडी और उसकी चूत खोल दी उसकी चूत की लाली एक दम मेरी आँखो के सामने आ गयी क्या मस्त माल थी मेरी रीमा। उसकी चूत के अंदर बहुत सारा चूत रस लगा हुया था। जिसे देख कर मैं मचल उठा और मैंने अपनी जीभ से चूत के अंदर लगे चूत रस को चाटने लगा। चूत रस चाटने के बाद मैंने अपनी जीभ फिर से कडी की और अपनी जीभ अंदर तक रीमा की चूत में घुसा दी और अपना मुँह हिला कर उसकी चूत चोदने लगा। रीमा एक दम से गर्मा गयी और जोर जोर से चिल्लाने लगी माँ की बुर की औलाद ये क्या कर रहा है जीभ से चोदेगा गाँडू मेरी चूत साले तेरी गाँड मरवाउगी ११ इन्च के लंड से भोसड चोद मार मेरे चूत क्या गर्म करके तडपा रहा है मुझे। मेरी चूत चूस रे भडवे। मेरा लंड नाडे मे बंधा था और मुझे थोडा दर्द भी हो रहा था पर मजा उससे भी दुगना आ रहा था। रीमा भी अब चूत चुदवाने के लिये मस्त हो चुकी थी और उसने अपने चूतड थोडे से उठाये और खुद भी चूतड हीला कर मेरी जीभ चोदने लगी। जब वह आगे धक्का लगाती तो मेरी जीभ पूरी उसकी चूत मे घुस जाती और मेरा चेहरा उसके चूत और पेट से चिपक जाता जिससे मेरी नाक दब जाती और मुझे थोडा दर्द भी होता पर वह बडे जोर जोर से धक्के मार रही थी उसको मेरी कोई परवाह नही थी उसको सिर्फ अपने मजे का ख्याल था य श्याद उसको ये पता था की मुझे जिस तरह से वह भोग रही थी मुझे उसमे बहुत उत्तेजना होती थी। उसकी चूत मेरे चेहरे से टकराने से फाट फाट की आवाज हो रही थी। थोडी देर इसी तरह चूत चुदवाने के बाद मैने रीमा की चूत की फाँक छोड दी।

क्रमशः........................

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:44

गतांक से आगे.....................
और अपनी जीभ चूत मे से निकाल कर उसकी चूत के दाने पर फिराने लगा। मेरी खुदररी जीभ चूत के दाने परपडते ही रीमा मचल गयी और उस्के मुँह से एक करहा निकल गयी। मैंने उसकी चूत के दाने पर अपनी जीभ कीनोक लगायी और उसे जोर जोर से रगडने लगा इसका सीधा असर रीमा पर हुया और वह अपने चूतड उछाल करइसका इजहार करने लगी। मैं उसकी चूत के दाने से खेल कर ज्यादा से ज्यादा रस उसकी चूत से पीना चाहाता थाइसलिये उसकी चूत के दाने को छेड रहा था ताकी रीमा थोडी देर से झडे और मुझे अपनी चूत का प्रसाद पीला सके।मैं उसके चूत रस का दिवाना बन चुका था। थोडी देर रीमा की चूत के दाने को जीभ के नोक से रगडने से रीमा कीरसभरी चूत ने रस के बरसात की जो उसके चूत मुख से निकल पडी जिसे मैंने चूत मुँह मे भर कर चूस लिया। फिरअपनी जीभ मोड कर अपनी जीभ के पीछले हिस्से को रीमा की चूत के दाने पर रगडने लगा रीमा भी आँखे बंदकरके करहाते हुये चूत चटायी का मजा ले रही थी। और अपने हौदे जैसे चूतड हिला कर इसका इजहार भी कर रहीथी और मैं चूत रस का रसिया जीभ रगड रगड कर ज्यादा से ज्यादा रस उसकी चूत से निकाल रहा था। जीभ रगडकर चूत रस निकालता फिर उसको चूस कर पी जाता।

अब मेरे लाल मुझसे और नंही सहा जाता अब मुझे झडा दे मेरे बेटे और मत तडपा झडा ने अपनी माँ की रसीली चूतमेरे भडवे मजा दे अपनी रंडी को। ठीक है मेरी चोदू माँ जैसी तेरी मर्जी कह कर मैंने रीमा की पूरी चूत अपने मुँह मेभर ली और जोर जोर से उसकी चूत का दाना चूसने लगा इस आक्रमण से रीमा मचल उठी और मेरे चहरे को अपनीचूत मे घुसा कर अपनी चूत मेरे चहरे पर दबाने लगी। मेरी नाक रीमा की चूत के उपर की हड्डी मे दब गयी अबरीमा पूरे जोश मे थी और झडने की बिल्कुल करीब थी और कभी भी झड सकती थी। वह अपनी घुंडियाँ जोर जोर सेमसल रही थी जैसे उनको अपनी चूचियो से उखाड ही लेगी। मैं भी जोर जोर से चूत के दाने को चूस कर उसकोझडने के करीब ले जा रहा था। फिर रीमा ने अपनी मोटी जाँघो मे मुझे जकड लिया और मेरे चहरे को कस करअपनी चूत मे दबा दिया अपने चूतड हिला कर खुद ही अपनी चूत मेरे चहरे पर रगडने लगी मेरा जोर से चूसना औरउसका चूत रगडना उसकी चूत ज्यादा देर तक सह नंही पायी और रीमा का नंगा बदन कडा पड गया। और रीमा कीचूत झड पडी और उसने कस कर मेरे चेहरे को जकड लिया मैं उसकी चूत से निकलता रस पीने लगा रीमा काफीदेर तक झडती रही और मैं उसका चूत रस पीता रहा। एक भी बूंद रस मैंने बर्बाद नंही होने दिया रीमा भी अपनी चूतमेरे होंठो पर रगड कर मुझे अपना चूत रस पीलाती रही बडा ही नशीला और गाढा रस था रीमा का जो मुझे बहुतपंसद आया। एक ही दिन में श्याद मुझे उसके रस की आदत लग गयी थी।

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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 29 Oct 2014 21:44


उसका सारा रस पीने के बाद मैंन उसकी चूत को और आस पास के हिस्से को चाटना शुरु कर दिया। रीमा भी बहुतजबर्दस्त झडी थी इसलिये उसको पूरी तरह से शांत होने मे थोडा वक्त लग गया तब तक मैं उसकी चूत चाट करउसका मजा लेता रहा। जब वह पूरी तरह शांत हो गयी तो बोली आह मेरे लाल मजा आ गया क्या झडाया तूने खुशकर दिया मेरी चूत को सच कहूँ तेरे लंड से ज्यादा मजा तो तेरे मुँह मे है क्या जादू करता है तू माँ आपको मजामिला ये सुन कर तो मैं बहुत खुश हूँ मेरे लिये तो आपने बदन के एक एक जरे मे नशा है और चूत रस तो सबसेनशीला है दुनिया के सारे नशे इसके सामने फीके है। रीमा ने अपने हाथ मेरे बालो पर फिराये और बोली चल बेटाअब चाट ले मेरा पसीना मेरे पसीने मेरी चूत के रस से कम नशीला नंही है देखना तुझे बहुत मजा आयेगा जी माँ।फिर एक आखरी बार रीमा की चूत को चूम कर मैं रीमा से अलग हो गया और फिर से रीमा के पैरो के पास मुँह लेजाकर उसके पैर चूमे। पैर चूम कर मैंने रीमा की और प्यार से देखा और फिर से उस्का एक पैर उठा कर उसकोचूमने लगा सैडल तो मैं पहले ही उतार चुका था उसके पैरो मे से सैडल की महक भी आ रही थी जो मुझे मस्त कररही थी दोनो पैरो को प्यार से बडी देर तक मैं चूमता रहा ये क्या कर रहा है बेटा सिर्फ चूमेगा ही की कुछ और भीकरेगा मेरे लाल माँ तुम्हारे पैरो में मेरे लिये जन्नत है और तुम्हारे पैरो को चूम कर मैं उस जन्नत को पाना चाहाताहूँ फिर तुम्हारे पैर है भी इतने सुंदर की जी चाहाता है की ऐसे चूमता ही रहूं चल बेटा बहुत चूम लिये मेरे पैर अबजरा इनको चाट कर मेरे पैर मे जमा पसीना भी तो पी नही तो पसीना बर्बाद हो जायेगा और सारा इस कालीन मेलग जायेगा तू क्या अपनी माँ का पसीना बर्बाद होने देगा मेरे लाल नंही माँ बिल्कुल भी नंही फिर मैंन एक दो बारऔर उसके पैरो का चुम्बन लिया और उसका पैर मुँह मे उठा कर उसके तलवे को अपने चहरे के सामने कर लियाऔर उसके तलवे पर चुम्बन के बोछार कर दी रीमा अब एक बार झड चुकी थी और उसकी चूत थोडी शांत हो गयीथी इसलिये उसके सोफे पर आराम से टेक लगायी और टाँग मेरे सामने कर के मजा लेने लगी पहले मैंने रीमा केतलवे को चूमा और फिर उसको चाटना शुरु कर दिया। उसकी हील से लेकर उसके उंगलियो तक एक ही बार मेंचाटता और फिर चूमता अच्छी तरह से उसका तलवा चाटने से पहले मैं उसके तलवे को अपने थूक से गीला कररहा था। उसके तलवे को गीला करने के बाद मैं एक आखरी बार उसके तलवे को चूमा। फिर उसके तलवे के निचलेहिस्से को मुँह में जितना हो सकता था उतना भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।

मैं उसकी पैर के हील के हिस्से को इस तरह चूस रहा था जैसे को पका हुआ रसीला फल हो और मैं उस फल को खाजाने को बेताब था। रीमा को बहुत ही अच्छा लगा शायद जैसे मैं उसके पैर की हील को चूस रहा था क्योको उसनेखुद जोर लगा और ज्यादा से ज्यादा हील मेरे मुँह मे ठूंस रही थी। मैं ज्यादा से ज्यादा थूक से उसकी हील को गीलाकरता फिर थूक को पी जाता मेरा लंड अपने आप ही बिना छुये मस्ती मे घोडे के तरह हिन हिना रहा था रीमा नेअपना दूसरा पैर थोडा सा खिसका कर अपनी पैरो की उंगलियो को मेरे लंड पर रख दिया और प्यार से मेरे लंड कोसहलाने लगी। उसकी मुलायम उंगलीयो का स्पर्श पाकर तो मेरा लंड और भी मस्ती की गर्मी में जल उठा। मैं रीमाकी हील चाट रहा तो रीमा के तलवे का बाकी हिस्सा मेरे चेहरे पर था वह अपनी हील को गोल गोल घुमा कर मेरेमुँह मे घुसेड कर चुसवा रही थी जिससे उसका तलवा मेरे चेहरे को दबा रहा था उसमे से सैंडल की महक आ रहीथी। जो मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। मुझे कुछ ऐसा अहसास हो रहा था कि वह मेरे चेहरे के उपर अपने पैर रखकर खडी है। मेरे अंदर बडी उमर की औरत की गुलामी करने के इच्छा बडी ही प्रबल थी और अपने को इस रूप मेंसोचना ही मेरे लिये अति उत्तेजना से भरपूर था।

क्रमशः........................

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