Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

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jasmeet
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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 22 Dec 2016 10:45

CH-4 जब लब्ज नही सुझते


इंटरनेट कॅफेमें विवेक एक कॉम्प्यूटरके सामने बैठकर कुछ कर रहा था. एक उसकेही उम्रके लडकेने, शायद उसका दोस्तही हो, जॉनीने पिछेसे आकर उसके दोनो कंधोपर अपने हाथ रख दिए और उसके कंधे हल्केसे दबाकर कहा, '' हाय विवेक... क्या कर रहे हो ?''

अपने धूनसे बाहर आते हूए विवेकने पिछे मुडकर देखा और फिरसे अपने काममें व्यस्त होते हूए बोला, '' कुछ नही यार... एक लडकीको मेल भेजनेकी कोशीश कर रहा हूं ''

'' लडकीको? ...ओ हो... तो मामला इश्क का है'' जॉनी उसे चिढाते हूए बोला.

'' अरे नही यार... बस सिर्फ दोस्त है ...'' विवेकने कहा.

'' प्यारे ... मानो या ना मानो...

जब कभी लडकीसे बात करना हो और लब्ज ना सुझे...

और जब कभी लडकीको खत लिखना हो और शब्द ना सुझे...

तो समझो मामला इश्क का है ...''

जॉनी उसे और चिढाते हूए बोला.

विवेक कुछ ना बोलते हूए सिर्फ मुस्कुरा दिया.

'' देखो देखो गाल कैसे लाल लाल हो रहे है ...'' जॉनीने कहा.

विवेक फिरसे कुछ ना बोलते हूए सिर्फ मुस्कुरा दिया.

'' जब कोई ना करे इन्कार ...

या ना करे इकरार ...

तो समझो वह प्यार है ''

जॉनी उसे छोडनेके लिए तैयार नही था.

लेकिन अब विवेक चिढ गया, '' तू यहांसे जाने वाले हो या मुझसे पिटने वाले हो? ...''

'' तुम जैसा समझ रहे हो ऐसा कुछ नही है ... मै सिर्फ अपने पिएचडीके टॉपीक्स सर्च कर रहा हूं और बिच बिचमें बोरीयतसे बचनेके लिए मेल्स भेज रहा हूं बस्स...'' विवेकने अपना चिढना काबूमें रखनेकी कोशीश करते हूए कहा.

'' बस्स?'' जॉनी.

'' तुम अब जानेवाले हो? ... या तुम्हारी इतने सारे लोगोंके सामने अपमानीत होनेकी इच्छा है ?'' विवेक फिरसे चिढकर बोला.

'' ओके .. ओके... काम डाऊन... अच्छा तुम्हारे पिएचडीका टॉपीक क्या है ?'' जॉनीने पुछा.

'' इट्स सिक्रीट टॉपीक डीयर... आय कान्ट डिस्क्लोज टू ऐनीवन...'' विवेकने कहा.

'' नॉट टू मी आल्सो ?...'' जॉनीने पुछा.

'' यस नॉट टू यू आल्सो'' विवेकने जोर देकर कहा.

'' तुम्हारा अच्छा है ... सिक्रसीके पिछे ... इश्कका चक्करभी चल रहा है ...'' जॉनीने कहा.

'' तूम वह कुछभी समझो ...'' विवेकने कहा.

'' नही अब मै समझनेकेभी आगे पहूंच चूका हूँ ...'' जॉनीने कहा.

'' मतलब ?''

'' मतलब ... मुझे कुछ समझनेकी जरुरत नही बची है ''

'' मतलब ?''

'' मतलब अब मुझे पक्का यकिन हो गया है '' जॉनीने कहा.

विवेक फिरसे चिढकर पिछे मुडा. तबतक जॉनी मुस्कुराते हूए उसकी तरफ देखते हूए वहांसे दरवाजेकी तरफ निकल चूका था.

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jasmeet
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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 22 Dec 2016 10:46

CH -5 मिटींग

सुबहके लगभग दस बजे होंगे. अंजली जल्दी जल्दी अपने कॅबिनमें घुस गई. जब वह कॅबिनमें आगई थी तब शरवरीकी कॅबिनकी चिजे ठिक लगाना चल रहा था. अंजलीके अनुपस्थितीमें उसके कॅबिनकी पुरी जिम्मेदारी शरवरीकीही रहती थी.

अंजलीके कॅबिनमें प्रवेश करतेही शरवरीने अदबसे खडे रहते हूए उसे विश किया, '' गुडमॉर्निंग...''

'मॅडम' उसकें मुंहमें आते आते रह गया. अंजली उसे कितनीभी दोस्तकी तरह लगती हो या उससे दोस्तकी तरह व्यवहार करती हो फिरभी शरवरीको कमसे कम उसके कॅबिनमें उससे दोस्तकी तरह बरताव करना बडा कठिण जाता था, और वह भी कभी कभी बाकी लोगोंके सामने.

अंजलीने अंदर आकर उसके पाससे गुजरते हूए उसके पिठपर थपथपाते हूए कहा, '' हाय''

उसके पिछे पिछे उसका ड्रायव्हर उसकी सुटकेस लेकर अंदर आ गया. जैसेही अंजली अपने कुर्सीपर बैठ गई, ड्रायव्हरने सुटकेस उसके बगलमे रख दी और वर कॅबिनसे निकल गया.

शरवरी अंजलीके आमने सामने कुर्सीपर बैठ गई और उसने उसकी अपॉईंटमेंट्सकी डायरी खोलकर उसके सामने खिसकाई. अंजलीने अपने कॉम्पूटरका स्विच ऑन किया और वह डायरीमें लिखी अपॉईंटमेट्स पढने लगी.

'' सुबह आए बराबर मिटींग...'' अंजली बुरासा मुंह बनाकर बोली, '' अच्छा इस दोपहरके सेमीनारको मै नही जा पाऊंगी .. क्यों न शर्माजीं को भेज दे?...''

'' ठिक है '' शरवरी उस अपॉईंटके सामने स्टार मार्क करते हूए बोली.

'' क्या करें इन लोगोंको मुंहपर कुछ बोलभी नही सकते ... और समयके अभावमें सेमीनार को जा भी नही सकते.... सचमुछ किसी कंपनीके हेडका काम कोई मामुली नही होता.''

अंजली अपनी सूटकेस खोलकर उनमेंसे कुछ पेपर्स बाहर निकालने लगी. पेपर निकालते हूए एक पेपरकी तरफ देखकर, वह पेपर बगलमें निकालकर रखते हूए बोली, '' अब यह देखो ... इस कंपनीके टेंडरका काम अब तक पुरा नही हुवा ... यह पेपर जरा उस कुलकर्णीकी तरफ भेज देना ...''

'' कुलकर्णी आज छुट्टीपर है '' शरवरीने कहा.

'' लेकिन मेरे जानकारीके अनुसार उनकी छुट्टी तो कलतक ही थी. ...'' अंजली चिढकर बोली.

'' हां ...लेकिन अभी थोडी देर पहले उनका फोन आया था. ... वे कामपर नही आ सकते यह बोलनेके लिए '' शरवरीने कहा.

'' क्यों नही आ सकते ?'' शरवरीने गुस्सेसे पुछा.

'' मैने पुछा तो उन्होने कुछ ना कहते हूएही फोन रख दिया.

'' यह कुलकर्णी मतलब एक बेहद गैरजिम्मेदाराना आदमी ...'' अंजली चिढकर बोली.

और फिर जो अंजलीकी बडबड शुरु होगई वह रुकनेका नाम नही लेही थी. शरवरीको खुब पता था की जब अंजली ऐसी बडबड करने लगे तो क्या करना चाहिए. कुछ नही, चूपचाप बैठकर सिर्फ उसकी बडबड सुन लेना. बिचमें एकभी लब्ज नही बोलना. अंजलीने ही उसे एक बार बताया था की जब अपना बॉस ऐसा बडबड करने लगे, तो उसकी वह बडबड मतलब एक तरह का स्ट्रेस बाहर निकालने का तरीका होता है. जब उसकी ऐसी बडबड चल रही होती है तब जो सेक्रेटरी उसे और कुछ बोलकर या और कुछ पुछकर उसकी और स्ट्रेस बढाती है उसे मोस्ट अनसक्सेसफुल सेक्रेटरी कहना चाहिए. और जो सेक्रेटरी चूपचाप अपने बॉसकी बकबक सुनती है और अपने बॉसको फिर से नॉर्मल होनेकी राह देखती है उसे मोस्ट सक्सेसफुल सेक्रेटरी कहना चाहिए.

अंजलीकी बकबक अब बंद होकर वह काफी शांत हो गई थी. वह हाथमें कुछ पेपर्स और फाईल्स लेकर मिटींगको जानेके लिए अपने कुर्सीसे उठ खडी हो गई. शरवरीभी उठ खडी होगई.

बगलमें चल रहे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखते हूए वह शरवरीसे बोली, '' तूम जरा मेरी मेल्स चेक कर लेना ... मै मिटींगको हो आती हूं ...'' और अंजली अपने कॅबिनसे बाहर जाने लगी.

'' पर्सनल मेल्सभी ?'' शरवरीने उसे छेडते हूए मुस्कुराकर मजाकमें कहा.

'' यू नो... देअर इज नथींग पर्सनल... और जोभी है ... तुम्हे सब पता है ही ...'' अंजलीभी उसकी तरफ देखकर, मुस्कुराते हूए बोली और पलटकर जल्दी जल्दी मिटींगको जानेके लिए निकल पडी.

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Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)

Unread post by jasmeet » 22 Dec 2016 10:46

CH-6 : उस मेलका क्या हूवा ?


सुबह सुबह रास्तेपर बॅग हाथमें लेकर विवेककी कही जानेकी गडबड चल रही थी.

पिछेसे दौडते हूए आकर उसके दोस्त जॉनीने उसे जोरसे आवाज दिया, '' ए सुन गुरु... इतनी सुबह सुबह कहां जा रहा है''

विवेकने मुडकर देखा और उसे अनदेखा करते हूए फिरसे पहले जैसे जल्दी जल्दी सामने चलने लगा.

'' किसी लडकी के साथ भाग तो नही जा रहे हो ?...'' जॉनीने वह रुक नही रहा है और उसकी गडबड देखते हूए पुछा.

जॉनी अबभी उसके पिछेसे दौडते हूए उसके पास पहूंचनेकी कोशीश कर रहा था.

'' क्या सरदर्द है ... जरा दो दिन बाहर जा रहा हूं ... उसका भी इतना ढींढोरा... '' विवेक बडबड करते हूए सामने चल रहा था.

'' दो दिन बाहर जा रहा हूं ... उतनाही तूमसे छूटकारा मिलेगा'' विवेकने चलते हूए जोरसे जॉनीको ताना मारते हूए कहा.

'' थोडी देर रुको तो सही ... तुमसे एक अर्जंट बात पुछनी थी. ...'' जॉनीने कहा.

विवेक रुक गया और जॉनी दौडते हूए आकर उसके पास पहूंच गया.

'' बोलो ... क्या पुछना है ? ... जल्दी पुछो ... नही तो उधर मेरी बस छूट जाएगी '' विवेक बुरासा मुंह बनाकर बोला.

'' क्या हूवा फिर कल ?'' जॉनीने पुछा.

'' किस बातका ?'' विवेकने प्रतिप्रश्न किया.

'' वही उस मेलका? ... कल मेल भेजी की नही ? '' जॉनीने उसे छेडते हूए उसके गलेमें हाथ डालकर पुछा.

'' अजीब बेवकुफ हो तूम ... किस वक्त किस बातका महत्व है इसका कोई तुम्हे सरोकार नही होता... उधर मेरी बस लेट हो रही है और तुम्हे उस मेलकी पडी है ...'' विवेक झल्लाते हूए उसका हाथ अपने कंधेसे झटकते हूए बोला.

विवेक अब फिरसे तेजीसे आगे बढने लगा.

'' क्या बात करते हो यार तूम ?... बससे कभीभी मेल महत्वपुर्ण होगी ... अब मुझे बता.. हावडा मेल, राजधानी मेल.... ये सारी मेल बडी की वह तुम्हारी टपरी बस?'' जॉनी अबभी उसके पिछे पिछे जाते हूए उसे छेडते हूए बोला.

विवेक समझ चूका था की अब जॉनीसे बात करनेमें कोई मतलब नही था. वह अपने बडे बडे कदम बढाते हूए आगे चलने लगा. और जॉनीभी बकबक करते हूए और उसे छेडते हूए उसके साथ साथ चलने लगा.

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