Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)
Re: Hindi Romantic, suspense Novel - ELove ( ई लव)
CH-28 रुम पार्टनर्स
एक रुममें अतूल और अलेक्स रहते थे. रुमके स्थितीसे यह जान पडता था की उन्होने रुम किराएसे ली होगी. कमरे में एक कोने में बैठकर अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर बैठकर चॅटींग कर रहा था और कमरेके बिचोबिच अलेक्स डीप्स मारता हूवा एक्सरसाईज कर रहा था. अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर दिख रहे चॅटींग विंडोमें धीरे धीरे उपर खिसक रहे चॅटींग मेसेजेस एक एक करके पढ रहा था. शायद वह चाटींगके लिए कोई अच्छा साथीदार ढूंढ रहा होगा. जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हूवा तब से ही उसे यह बहुत पसंद आया था. पहले खाली वक्तमें वक्त बितानेका गप्पे मारना इससे कारगर कोई तरीका नही होगा ऐसी उसकी सोच थी. लेकिन अब जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हुवा उसकी सोच पुरी तरह बदल गई थी. चॅटींगकी वजहसे आदमीको मिले बिना गप्पे मारना अब संभव होगया था. कुछ जान पहचानवाले तो कुछ अजनबी लोगोंसे चॅट करने में उसे बडा मजा आने लगा था. अजनबी लोगोंसे आमने सामने मिलने के बाद कैसे उन्हे पहले अपने कंफर्टेबल झोन में लाना पडता है और उसके बाद ही बातचित आगे बढ सकती है. और उसके लिए सामनेवाला कैसा है इसपर सब निर्भर करता है और उसको कंफर्टेबल झोन में लाने के लिए कभी एक घंटा तो कभी कई सारे दिनभी लग सकते है. चॅटींगपर वैसा नही होता है. कोई पहचान का हो या अजनबी बिनदास्त मेसेज भेज दो. सामनेवाले ने एंटरटेन किया तो ठीक नही तो दुसरा कोई साथी ढूंढो. अपने पास सारे विकल्प होते है. कुछ न समझनेवाले तो कुछ गाली गलोच वाले कुछ संवाद उसे चॅटींग विंडोमें उपर उपर खिसकते हूए दिखाई दे रहे थे.
तभी उसे बाकी मेसेजसे कुछ अलग मेसेज दिखा ,
'' अच्छा तुम क्या करती हो? ... मेरा मतलब पढाई या जॉब?''
किसी विवेक का मेसेज था.
वह उसका असली नामभी हो सकता था या नकली ...
'' मैने बी. ई. कॉम्प्यूटर किया हूवा है ... और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं '' विवेकके मेसेजके रिस्पॉन्सके तौरपर यह मेसेज अवतरीत हूवा था.
भेजनेवाले का नाम अंजली था.
अचानक मेसेज पढते हूए अतूलके दिमागमें एक विचार कौंधा.
इस मेसेजसे क्या मै कुछ फायदा ले सकता हूं ?...
वह मनही मन सोचकर सारी संभावनाए टटोल रहा था. सोचते हूए अचानक उसके दिमागमें एक आयडीया आ गया.
वह झटसे अलेक्सकी तरफ मुडते हूए बोला, '' अलेक्स जल्दीसे इधर आ जाओ ''
उसका चेहरा एक तरहकी चमकसे दमक रहा था.
अलेक्स एक्सरसाईज करते हूए रुक गया और कुछ इंटरेस्ट ना दिखाते हूए धीमे धीमे उसके पास आकर बोला, '' क्या है ?... अब मुझे ठिकसे एक्सरसाईज भी नही करने देगा ?''
'' अरे इधर मॉनिटरपर तो देखो ... एक सोनेका अंडा देनेवाली मुर्गी हमें मिल सकती है ..'' अतूल फिरसे उसका इंटरेस्ट जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
अब कहा अलेक्स थोडा इंटरेस्ट लेकर मॉनिटरकी तरफ देखने लगा.
तभी चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा और उपर खिसक रहा विवेकका और एक मेसेज उन्हे दिखाई दिया,
"" अरे बापरे!.. '' तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?... नही ... मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. ... ''
उसके बाद तुरंत अंजलीने भेजा हूवा रिस्पॉन्सभी अवतरीत हूवा -
'' 23 साल''
'' देख तो यह हंस और हंसिनी का जोडा... यह हंसीनी एक सॉफ्टवेअर कंपनीकी मालिक है ... मतलब मल्टी मिलीयन डॉलर्स...'' अतूल अपने चेहरेपर आए लालचभरे भाव छूपानेका प्रयास करते हूए बोला.
तेभी फिरसे चॅटींग विंडोमें विवेकका मेसेज अवतररीत हूवा,
'' अरे यह तो मुझे पताही था... मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था.... सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो ... तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी... ''
अलेक्सने उन दोनोंके उस विंडोमें दिख रहे सारे मेसेजेस पढ लिए और पुछा, '' लेकिन हमें क्या करना पडेगा ?''
'' क्या करना है यह सब तुम मुझपर छोड दो ... सिर्फ मुझे तुम्हारा साथ चाहिए '' अतूल अपना हाथ आगे बढाते हूवा बोला.
'' कितने पैसे मिलेगे ?'' अलेक्सने असली बातपर आते हूए सवाल पुछा.
'' अरे लाखो करोडो में खेल सकते है हम '' अतूल अलेक्सका लालच जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
'' लाखो करोडो?'' अलेक्स अतूलका हाथ अपने हाथमे लेते हूए बोला, '' तो फिर मै तो अपनी जानभी देनेके लिए तैयार हूं ''
तभी फिरसे चॅटींग विंडोमें अंजलीका मेसेज अवतरीत हूवा , '' तूमने तुम्हारी उम्र नही बताई ?...''
उसके पिछेही विवेकका जवाब चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा, '' मैने मेरे मेल ऍड्रेसकी जानकारीमें ... मेरी असली उम्र डाली हूई है ...''
'' 23 साल... बहूत नाजुक उम्र होती है ... मछली प्यारके जालमें फसकर कुछभी कर सकती है '' अतूल अजिब तरहसे मुस्कुराते हूए बोला.
एक रुममें अतूल और अलेक्स रहते थे. रुमके स्थितीसे यह जान पडता था की उन्होने रुम किराएसे ली होगी. कमरे में एक कोने में बैठकर अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर बैठकर चॅटींग कर रहा था और कमरेके बिचोबिच अलेक्स डीप्स मारता हूवा एक्सरसाईज कर रहा था. अतूल अपने कॉम्प्यूटरपर दिख रहे चॅटींग विंडोमें धीरे धीरे उपर खिसक रहे चॅटींग मेसेजेस एक एक करके पढ रहा था. शायद वह चाटींगके लिए कोई अच्छा साथीदार ढूंढ रहा होगा. जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हूवा तब से ही उसे यह बहुत पसंद आया था. पहले खाली वक्तमें वक्त बितानेका गप्पे मारना इससे कारगर कोई तरीका नही होगा ऐसी उसकी सोच थी. लेकिन अब जबसे उसे चॅटींगका अविश्कार हुवा उसकी सोच पुरी तरह बदल गई थी. चॅटींगकी वजहसे आदमीको मिले बिना गप्पे मारना अब संभव होगया था. कुछ जान पहचानवाले तो कुछ अजनबी लोगोंसे चॅट करने में उसे बडा मजा आने लगा था. अजनबी लोगोंसे आमने सामने मिलने के बाद कैसे उन्हे पहले अपने कंफर्टेबल झोन में लाना पडता है और उसके बाद ही बातचित आगे बढ सकती है. और उसके लिए सामनेवाला कैसा है इसपर सब निर्भर करता है और उसको कंफर्टेबल झोन में लाने के लिए कभी एक घंटा तो कभी कई सारे दिनभी लग सकते है. चॅटींगपर वैसा नही होता है. कोई पहचान का हो या अजनबी बिनदास्त मेसेज भेज दो. सामनेवाले ने एंटरटेन किया तो ठीक नही तो दुसरा कोई साथी ढूंढो. अपने पास सारे विकल्प होते है. कुछ न समझनेवाले तो कुछ गाली गलोच वाले कुछ संवाद उसे चॅटींग विंडोमें उपर उपर खिसकते हूए दिखाई दे रहे थे.
तभी उसे बाकी मेसेजसे कुछ अलग मेसेज दिखा ,
'' अच्छा तुम क्या करती हो? ... मेरा मतलब पढाई या जॉब?''
किसी विवेक का मेसेज था.
वह उसका असली नामभी हो सकता था या नकली ...
'' मैने बी. ई. कॉम्प्यूटर किया हूवा है ... और जी. एच. इन्फॉरमॅटीक्स इस खुदके कंपनीकी मै फिलहाल मॅनेजींग डायरेक्टर हूं '' विवेकके मेसेजके रिस्पॉन्सके तौरपर यह मेसेज अवतरीत हूवा था.
भेजनेवाले का नाम अंजली था.
अचानक मेसेज पढते हूए अतूलके दिमागमें एक विचार कौंधा.
इस मेसेजसे क्या मै कुछ फायदा ले सकता हूं ?...
वह मनही मन सोचकर सारी संभावनाए टटोल रहा था. सोचते हूए अचानक उसके दिमागमें एक आयडीया आ गया.
वह झटसे अलेक्सकी तरफ मुडते हूए बोला, '' अलेक्स जल्दीसे इधर आ जाओ ''
उसका चेहरा एक तरहकी चमकसे दमक रहा था.
अलेक्स एक्सरसाईज करते हूए रुक गया और कुछ इंटरेस्ट ना दिखाते हूए धीमे धीमे उसके पास आकर बोला, '' क्या है ?... अब मुझे ठिकसे एक्सरसाईज भी नही करने देगा ?''
'' अरे इधर मॉनिटरपर तो देखो ... एक सोनेका अंडा देनेवाली मुर्गी हमें मिल सकती है ..'' अतूल फिरसे उसका इंटरेस्ट जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
अब कहा अलेक्स थोडा इंटरेस्ट लेकर मॉनिटरकी तरफ देखने लगा.
तभी चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा और उपर खिसक रहा विवेकका और एक मेसेज उन्हे दिखाई दिया,
"" अरे बापरे!.. '' तुम्हे तुम्हारे उम्रके बारेमें पुछा तो गुस्सा तो नही आएगा ?... नही ... मतलब मैने कही पढा है की लडकियोंको उनके उम्रके बारेमें पुछना अच्छा नही लगता है. ... ''
उसके बाद तुरंत अंजलीने भेजा हूवा रिस्पॉन्सभी अवतरीत हूवा -
'' 23 साल''
'' देख तो यह हंस और हंसिनी का जोडा... यह हंसीनी एक सॉफ्टवेअर कंपनीकी मालिक है ... मतलब मल्टी मिलीयन डॉलर्स...'' अतूल अपने चेहरेपर आए लालचभरे भाव छूपानेका प्रयास करते हूए बोला.
तेभी फिरसे चॅटींग विंडोमें विवेकका मेसेज अवतररीत हूवा,
'' अरे यह तो मुझे पताही था... मैने तुम्हारे मेल आयडीसे मालूम किया था.... सच कहूं ? तूमने जब बताया की तूम मॅनेजींग डायरेक्टर हो ... तो मेरे सामने एक 45-50 सालके वयस्क औरतकी तस्वीर आ गई थी... ''
अलेक्सने उन दोनोंके उस विंडोमें दिख रहे सारे मेसेजेस पढ लिए और पुछा, '' लेकिन हमें क्या करना पडेगा ?''
'' क्या करना है यह सब तुम मुझपर छोड दो ... सिर्फ मुझे तुम्हारा साथ चाहिए '' अतूल अपना हाथ आगे बढाते हूवा बोला.
'' कितने पैसे मिलेगे ?'' अलेक्सने असली बातपर आते हूए सवाल पुछा.
'' अरे लाखो करोडो में खेल सकते है हम '' अतूल अलेक्सका लालच जागृत करनेका प्रयास करते हूए बोला.
'' लाखो करोडो?'' अलेक्स अतूलका हाथ अपने हाथमे लेते हूए बोला, '' तो फिर मै तो अपनी जानभी देनेके लिए तैयार हूं ''
तभी फिरसे चॅटींग विंडोमें अंजलीका मेसेज अवतरीत हूवा , '' तूमने तुम्हारी उम्र नही बताई ?...''
उसके पिछेही विवेकका जवाब चॅटींग विंडोमें अवतरीत हूवा, '' मैने मेरे मेल ऍड्रेसकी जानकारीमें ... मेरी असली उम्र डाली हूई है ...''
'' 23 साल... बहूत नाजुक उम्र होती है ... मछली प्यारके जालमें फसकर कुछभी कर सकती है '' अतूल अजिब तरहसे मुस्कुराते हूए बोला.
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CH-29 यू आर जिनियस
लगभग आधी रात हो गई थी. अतूलके कमरेका लाईट बंद था. लेकिन फिरभी कमरेमें चारो तरफ धुंधली रोशनी फैल गई थी- कमरेमें, कोनेमें चल रहे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी वजहसे. अतूल कॉम्प्यूटरपर कुछ करनेमें बहुत लीन था. उसके आसपास सब तरफ खानेकी, नाश्तेकी प्लेट्स, चायके खाली, आधे भरे हूए कप्स, चिप्स, खाली हो चुके व्हिस्किके ग्लासेस और आधीसे जादा खाली हो चुकी व्हिस्किकी बॉटल दिख रही थी. उसके पिछे कॉटपर हाथपैर फैलाकर अलेक्स सोया हुवा था. उस आधी रातके सन्नाटेमें अतूल तेजीसे कॉम्प्यूटरपर कुछ कर रहा था और उसके किबोर्डके बटन्सका एक अजिब आवाज उस कमरेमें आ रहा था. उधर अतूलके पिछे सो रहे अलेक्सका बेचैनीसे करवटपे करवट बदलना जारी था.
आखिर अपने आपको ना रोक पाकर अलेक्स उठकर बैठते हूए अतूलसे बोला, '' यार तेरा यह क्या चल रहा है? ... 8 दिनसे देख रहा हूं ... दिनभर किचकिच... रातकोभी किचकिच... कभीतो शांतीसे सोने दे... तेरे इस साले किबोर्डके आवाजसे तो मेरा दिमाग पागल होनेकी नौबत आई है ...''
अतूल एकदम शांत और चूप था. कुछभी प्रतिक्रिया ना व्यक्त करते हूए उसका अपना कॉम्प्यूटरपर काम करना जारी था.
''अच्छा तुम क्या कर रहे हो यह तो बताएगा ? ... आठ दिनसे तेरा ऐसा कौनसा काम चल रहा है ?... मेरी तो कुछ समझमें नही आ रहा है ...'' अलेक्स उठकर उसके पास आते हूए बोला.
'' विवेक और अंजलीका पासवर्ड ब्रेक कर रहा हूं .... अंजलीका ब्रेक हो चुका है अब विवेकका ब्रेक करनेकी कोशीश कर रहा हूं '' अतूल उसकी तरफ ना देखते हूए कॉम्प्यूटरपर अपना काम वैसाही शुरु रखते हूए बोला. .
'' उधर तु पासवर्ड ब्रेक कर रहा है और इधर तेरे इस किबोर्डके किचकीचसे मेरा सर ब्रेक होनेकी नौबत आई है उसका क्या ?'' अलेक्स फिरसे बेडपर जाकर सोनेकी कोशीश करते हूए बोला.
किसका पासवर्ड ब्रेक हूवा और किसका ब्रेक होनेका रहा इससे उसे कुछ लेना देना नही था. उसे तो सिर्फ पैसेसे मतलब था. अलेक्सने अपने सरपर चादर ओढ ली, फिरभी आवाज आ ही रहा था, फिर तकिया कानपर रखकर देखा, फिरभी आवाज आ ही रहा था, आखीर उसने तकीया एक कोनेमें फाडा और उसमेंसे थोडी रुई निकालकर अपने दोनो कानोंमे ठूंस दी और फिरसे सोनेकी कोशीश करने लगा.
अब लगभग सुबहके तिन बजे होंगे, फिरभी अतूलका कॉम्प्यूटरपर काम करना जारीही था. उसके पिछे बेडपर पडा हूवा अलेक्स गहरी निंदमें सोया दिख रहा था.
तभी कॉम्प्यूटरपर काम करते करते अतूल खुशीके मारे एकदम उठकर खडा होते हूए चिल्लाया, '' यस... या हू... आय हॅव डन इट''
वह इतनी जोरसे चिल्लाया की बेडवर सोया हूवा अलेक्स डरके मारे जाग गया और चौककर उठते हूए घबराए स्वरमें इधर उधर देखते हूए अतूलसे पुछने लगा, '' क्या हूवा ? क्या हूवा ? ''
'' कम ऑन चियर्स अलेक्स... हमें अब खजानेकी चाबी मिल चुकी है ... देख इधर तो देख ...'' अतूल अलेक्सका हाथ पकडकर उसे कॉम्प्यूटरकी तरफ खिंचकर ले जाते हूए बोला.
अलेक्स जबरदस्तीही उसके साथ आगया. और मॉनिटरपर देखने लगा.
'' यह देखो मैने विवेकका पासवर्डभी ब्रेक किया है और यह देख उसने भेजी हूई मेल '' अतूल अलेक्सका ध्यान मॉनिटरपर विवेकके मेलबॉक्ससे खोले हूए एक मेलकी तरफ आकर्षीत करते हूए बोला.
मॉनिटरपर खोले मेलमें लिखा हूवा था -
'' विवेक ... 25 को सुबह बारा बजे एक मिटींगके सिलसिलेमें मै मुंबई आ रही हूं ... 12.30 बजे हॉटेल ओबेराय पहूचूंगी ... और फिर फ्रेश वगैरे होकर 1.00 बजे मिटींग अटेंड करुंगी ... मिटींग 3-4 बजेतक खत्म हो जाएगी ... तुम मुझे बराबर 5.00 बजे वर्सोवा बिचपर मिलो ... बाय फॉर नॉऊ... टेक केअर''
'' चलो अब हमें अपना बस्ता यहांसे मुंबईको ले जानेकी तैयारी करनी पडेगी. '' अतूलने अलेक्ससे कहा.
अलेक्स अविश्वासके साथ अतूलकी तरफ देख रहा था. अब कहां उसे विवेक आठ दिनसे क्या कर रहा था और किस लिए कर रहा था यह पता चल गया था.
'' यार अतूल ... यू आर जिनियस'' अब अलेक्सके बदनमेंभी जोश दौडने लगा था.
लगभग आधी रात हो गई थी. अतूलके कमरेका लाईट बंद था. लेकिन फिरभी कमरेमें चारो तरफ धुंधली रोशनी फैल गई थी- कमरेमें, कोनेमें चल रहे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी वजहसे. अतूल कॉम्प्यूटरपर कुछ करनेमें बहुत लीन था. उसके आसपास सब तरफ खानेकी, नाश्तेकी प्लेट्स, चायके खाली, आधे भरे हूए कप्स, चिप्स, खाली हो चुके व्हिस्किके ग्लासेस और आधीसे जादा खाली हो चुकी व्हिस्किकी बॉटल दिख रही थी. उसके पिछे कॉटपर हाथपैर फैलाकर अलेक्स सोया हुवा था. उस आधी रातके सन्नाटेमें अतूल तेजीसे कॉम्प्यूटरपर कुछ कर रहा था और उसके किबोर्डके बटन्सका एक अजिब आवाज उस कमरेमें आ रहा था. उधर अतूलके पिछे सो रहे अलेक्सका बेचैनीसे करवटपे करवट बदलना जारी था.
आखिर अपने आपको ना रोक पाकर अलेक्स उठकर बैठते हूए अतूलसे बोला, '' यार तेरा यह क्या चल रहा है? ... 8 दिनसे देख रहा हूं ... दिनभर किचकिच... रातकोभी किचकिच... कभीतो शांतीसे सोने दे... तेरे इस साले किबोर्डके आवाजसे तो मेरा दिमाग पागल होनेकी नौबत आई है ...''
अतूल एकदम शांत और चूप था. कुछभी प्रतिक्रिया ना व्यक्त करते हूए उसका अपना कॉम्प्यूटरपर काम करना जारी था.
''अच्छा तुम क्या कर रहे हो यह तो बताएगा ? ... आठ दिनसे तेरा ऐसा कौनसा काम चल रहा है ?... मेरी तो कुछ समझमें नही आ रहा है ...'' अलेक्स उठकर उसके पास आते हूए बोला.
'' विवेक और अंजलीका पासवर्ड ब्रेक कर रहा हूं .... अंजलीका ब्रेक हो चुका है अब विवेकका ब्रेक करनेकी कोशीश कर रहा हूं '' अतूल उसकी तरफ ना देखते हूए कॉम्प्यूटरपर अपना काम वैसाही शुरु रखते हूए बोला. .
'' उधर तु पासवर्ड ब्रेक कर रहा है और इधर तेरे इस किबोर्डके किचकीचसे मेरा सर ब्रेक होनेकी नौबत आई है उसका क्या ?'' अलेक्स फिरसे बेडपर जाकर सोनेकी कोशीश करते हूए बोला.
किसका पासवर्ड ब्रेक हूवा और किसका ब्रेक होनेका रहा इससे उसे कुछ लेना देना नही था. उसे तो सिर्फ पैसेसे मतलब था. अलेक्सने अपने सरपर चादर ओढ ली, फिरभी आवाज आ ही रहा था, फिर तकिया कानपर रखकर देखा, फिरभी आवाज आ ही रहा था, आखीर उसने तकीया एक कोनेमें फाडा और उसमेंसे थोडी रुई निकालकर अपने दोनो कानोंमे ठूंस दी और फिरसे सोनेकी कोशीश करने लगा.
अब लगभग सुबहके तिन बजे होंगे, फिरभी अतूलका कॉम्प्यूटरपर काम करना जारीही था. उसके पिछे बेडपर पडा हूवा अलेक्स गहरी निंदमें सोया दिख रहा था.
तभी कॉम्प्यूटरपर काम करते करते अतूल खुशीके मारे एकदम उठकर खडा होते हूए चिल्लाया, '' यस... या हू... आय हॅव डन इट''
वह इतनी जोरसे चिल्लाया की बेडवर सोया हूवा अलेक्स डरके मारे जाग गया और चौककर उठते हूए घबराए स्वरमें इधर उधर देखते हूए अतूलसे पुछने लगा, '' क्या हूवा ? क्या हूवा ? ''
'' कम ऑन चियर्स अलेक्स... हमें अब खजानेकी चाबी मिल चुकी है ... देख इधर तो देख ...'' अतूल अलेक्सका हाथ पकडकर उसे कॉम्प्यूटरकी तरफ खिंचकर ले जाते हूए बोला.
अलेक्स जबरदस्तीही उसके साथ आगया. और मॉनिटरपर देखने लगा.
'' यह देखो मैने विवेकका पासवर्डभी ब्रेक किया है और यह देख उसने भेजी हूई मेल '' अतूल अलेक्सका ध्यान मॉनिटरपर विवेकके मेलबॉक्ससे खोले हूए एक मेलकी तरफ आकर्षीत करते हूए बोला.
मॉनिटरपर खोले मेलमें लिखा हूवा था -
'' विवेक ... 25 को सुबह बारा बजे एक मिटींगके सिलसिलेमें मै मुंबई आ रही हूं ... 12.30 बजे हॉटेल ओबेराय पहूचूंगी ... और फिर फ्रेश वगैरे होकर 1.00 बजे मिटींग अटेंड करुंगी ... मिटींग 3-4 बजेतक खत्म हो जाएगी ... तुम मुझे बराबर 5.00 बजे वर्सोवा बिचपर मिलो ... बाय फॉर नॉऊ... टेक केअर''
'' चलो अब हमें अपना बस्ता यहांसे मुंबईको ले जानेकी तैयारी करनी पडेगी. '' अतूलने अलेक्ससे कहा.
अलेक्स अविश्वासके साथ अतूलकी तरफ देख रहा था. अब कहां उसे विवेक आठ दिनसे क्या कर रहा था और किस लिए कर रहा था यह पता चल गया था.
'' यार अतूल ... यू आर जिनियस'' अब अलेक्सके बदनमेंभी जोश दौडने लगा था.
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ch-30 डोन्ट वरी... वुई हॅव अ सोल्यूशन
वर्सोवा बिचपर अंजली विवेककी राह देख रही थी और उधर बडे बडे पत्थरोंके पिछे छुपकर अतूल और अलेक्स अपने अपने कॅमेरे उसपर केंद्रीत कर विवकके आनेकी राह देखने लगे. थोडी देरमें विवेकभी आ गया, विवेक और अंजलीमें कुछ संवाद हुवा, जो उन्हे सुनाई नही दे रहा था लेकिन उनके कॅमेरे अब उनके एक के पिछे एक फोटो खिचने लगे. थोडीही देरमें विवेक और अंजली एकदुसरेके हाथमें हाथ डालकर बिचपर चलने लगे. इधर अतूल और अलेक्सभी पत्थरोके पिछेसे आगे आगे खिसकते हूए उनके फोटो ले रहे थे.
अंधेरा छाने लगा था और एक लमहेमें उनमें क्या संवाद हुवा क्या पता?, विवेकने अंजलीको कसकर अपने बाहोंमें खिंच लिया. इधर अतूल और अलेक्सकी फोटो निकालनेकी रफ्तार तेज हो गई थी. फिरभी वे संतुष्ट नही थे. क्योंकी उन्हे जो चाहिए था वह अबभी नही मिला था.
अंजलीकी कार जब ओबेराय हॉटेलके सामने आकर रुकी. उसके कारका पिछा कर रही अतूल और अलेक्सकी टॅक्सीभी एक सुरक्षीत अंतर रखकर रुक गई. अंजली गाडीसे उतरकर हॉटेलमें जाने लगी और उसके पिछे विवेकभी जा रहा था, तब अतूलने अलेक्सकी तरफ एक अर्थपुर्ण नजरसे देखा और वे दोनोभी उनके खयालमें नही आए इसका ध्यान रखते हूए उनका पिछा करने लगे.
अब अंजली और विवेक हॉटेलके रुममें पहूंच गए थे और रुमका दरवाजा बंद हो गया था. उनका पिछा कर रहे अतूल और अलेक्स अब जल्दी करते हूए उनके रुमके दरवाजेके पास आगए. अलेक्सने दरवाजा धकेलकर देखा. वह अंदरसे बंद था.
'' अब क्या हम यहां उनकी पहरेदारी करनेवाले है ?'' अलेक्सने चिढकर लेकिन धीमे स्वरमें कहा.
'' डोन्ट वरी... वुई हॅव अ सोल्यूशन '' अतूलने उसका हौसला बढाते हूए कहा.
अलेक्स दरवाजेके कीहोलसे अंदर हॉटेलके रुममें देख रहा था ...
अंदर फोन उठाते हूए अंजलीके हाथका हल्कासा स्पर्ष विवेकको हुवा. बादमें फोनका नंबर डायल करनेके लिए उसने दुसरा हाथ सामने किया. इसबार उस हाथकाभी विवेकको स्पर्ष हुवा. इसबार विवेक अपने आपको रोक नही सका. उसने अंजलीका फोन डायल करनेके लिए सामने किया हाथ हल्केसे अपने हाथमें लिया. अंजली उसकी तरफ देखकर शर्माकर मुस्कुराई. उसने अब वह हाथ कसकर पकडकर खिंचकर उसे अपने आगोशमें लिया था. सबकुछ कैसे तेजीसे हो रहा था. उसके होंठ अब थरथराने लगे थे. विवेकने अपने गरम और अधीर हूए होंठ उसके थरथराते होंठपर रख दिए और उसे झटसे अपने मजबुत आगोशमें लेकर, उठाकर, बाजुमें रखे बेडपर लिटा दिया ....
अलेक्स अंदर कीहोलसे इतनी देरसे अंदर क्या देख रहा है? ... और वहभी कुछ शिकायत ना करते हूए. अतूलको आशंका हूई. उसने अलेक्सका सर कीहोल से बाजू हटाया. और वह अब खुद अंदर देखने लगा ...
अंदर अंजलीके शरीर पर विवेक झुक गया था और वह उसके गलेको चुम रहा था मानो उसके कानमें कुछ कह रहा हो. धीरे धीरे उसका मजबुत मर्दानी हाथ उसके नाजूक अंगोसे खेलने लगा. और प्रतिक्रियाके रुपमें वहभी किसी लताकी तरह उसे चिपककर सहला रही थी. हकसे अब वह उसके शरीरसे एक एक कर कपडे निकालने लगा और वहभी उसके शरीरसे कपडे निकालने लगी....
अलेक्सने अतूलकी उसका सर कीहोलसे बाजू होगा इसकी थोडी देर राह देखी. लेकिन वह वहांसे हटनेके लिए तैयार नही था. तब अलेक्सने जबरदस्ती उसका सर कीहोलसे बाजु हटाया और वह उसे बोला, '' मेर भाई यह देखनेसे अपना पेट भरनेवाला नही है ... थोडा अपने पेट पानीका भी सोचो ''
अंदरका दृष्य देखनेमें लिन हूवा अतूल अब कहा होशमें आ गया.
'' लेकिन अब उनके फोटो तूम कैसे निकालनेवाले हो ?'' अलेक्सने कामका सवाल पुछ लिया.
'' डोन्ट वरी वुई आर इक्वीपड विथ टेक्नॉलॉजी.'' अलेक्सने उसे दिलासा दिया और उसने अपने जेबसे एक वायरजैसी चिज निकालकर उसका एक सिरा अपने कॅमेरेसे जोडा और दुसरा सिरा दरवाजेके कीहोलसे अंदर डाला.
'' यह क्या है ... पता है ?'' अलेक्सने पुछा.
'' दिस इज स्पेशल कॅमेरा माय डियर'' अतूलने कहा और वह उस स्पेशल कॅमेरेसे हॉटेलके रुमके अंदरके सारे फोटो निकालने लगा.
वर्सोवा बिचपर अंजली विवेककी राह देख रही थी और उधर बडे बडे पत्थरोंके पिछे छुपकर अतूल और अलेक्स अपने अपने कॅमेरे उसपर केंद्रीत कर विवकके आनेकी राह देखने लगे. थोडी देरमें विवेकभी आ गया, विवेक और अंजलीमें कुछ संवाद हुवा, जो उन्हे सुनाई नही दे रहा था लेकिन उनके कॅमेरे अब उनके एक के पिछे एक फोटो खिचने लगे. थोडीही देरमें विवेक और अंजली एकदुसरेके हाथमें हाथ डालकर बिचपर चलने लगे. इधर अतूल और अलेक्सभी पत्थरोके पिछेसे आगे आगे खिसकते हूए उनके फोटो ले रहे थे.
अंधेरा छाने लगा था और एक लमहेमें उनमें क्या संवाद हुवा क्या पता?, विवेकने अंजलीको कसकर अपने बाहोंमें खिंच लिया. इधर अतूल और अलेक्सकी फोटो निकालनेकी रफ्तार तेज हो गई थी. फिरभी वे संतुष्ट नही थे. क्योंकी उन्हे जो चाहिए था वह अबभी नही मिला था.
अंजलीकी कार जब ओबेराय हॉटेलके सामने आकर रुकी. उसके कारका पिछा कर रही अतूल और अलेक्सकी टॅक्सीभी एक सुरक्षीत अंतर रखकर रुक गई. अंजली गाडीसे उतरकर हॉटेलमें जाने लगी और उसके पिछे विवेकभी जा रहा था, तब अतूलने अलेक्सकी तरफ एक अर्थपुर्ण नजरसे देखा और वे दोनोभी उनके खयालमें नही आए इसका ध्यान रखते हूए उनका पिछा करने लगे.
अब अंजली और विवेक हॉटेलके रुममें पहूंच गए थे और रुमका दरवाजा बंद हो गया था. उनका पिछा कर रहे अतूल और अलेक्स अब जल्दी करते हूए उनके रुमके दरवाजेके पास आगए. अलेक्सने दरवाजा धकेलकर देखा. वह अंदरसे बंद था.
'' अब क्या हम यहां उनकी पहरेदारी करनेवाले है ?'' अलेक्सने चिढकर लेकिन धीमे स्वरमें कहा.
'' डोन्ट वरी... वुई हॅव अ सोल्यूशन '' अतूलने उसका हौसला बढाते हूए कहा.
अलेक्स दरवाजेके कीहोलसे अंदर हॉटेलके रुममें देख रहा था ...
अंदर फोन उठाते हूए अंजलीके हाथका हल्कासा स्पर्ष विवेकको हुवा. बादमें फोनका नंबर डायल करनेके लिए उसने दुसरा हाथ सामने किया. इसबार उस हाथकाभी विवेकको स्पर्ष हुवा. इसबार विवेक अपने आपको रोक नही सका. उसने अंजलीका फोन डायल करनेके लिए सामने किया हाथ हल्केसे अपने हाथमें लिया. अंजली उसकी तरफ देखकर शर्माकर मुस्कुराई. उसने अब वह हाथ कसकर पकडकर खिंचकर उसे अपने आगोशमें लिया था. सबकुछ कैसे तेजीसे हो रहा था. उसके होंठ अब थरथराने लगे थे. विवेकने अपने गरम और अधीर हूए होंठ उसके थरथराते होंठपर रख दिए और उसे झटसे अपने मजबुत आगोशमें लेकर, उठाकर, बाजुमें रखे बेडपर लिटा दिया ....
अलेक्स अंदर कीहोलसे इतनी देरसे अंदर क्या देख रहा है? ... और वहभी कुछ शिकायत ना करते हूए. अतूलको आशंका हूई. उसने अलेक्सका सर कीहोल से बाजू हटाया. और वह अब खुद अंदर देखने लगा ...
अंदर अंजलीके शरीर पर विवेक झुक गया था और वह उसके गलेको चुम रहा था मानो उसके कानमें कुछ कह रहा हो. धीरे धीरे उसका मजबुत मर्दानी हाथ उसके नाजूक अंगोसे खेलने लगा. और प्रतिक्रियाके रुपमें वहभी किसी लताकी तरह उसे चिपककर सहला रही थी. हकसे अब वह उसके शरीरसे एक एक कर कपडे निकालने लगा और वहभी उसके शरीरसे कपडे निकालने लगी....
अलेक्सने अतूलकी उसका सर कीहोलसे बाजू होगा इसकी थोडी देर राह देखी. लेकिन वह वहांसे हटनेके लिए तैयार नही था. तब अलेक्सने जबरदस्ती उसका सर कीहोलसे बाजु हटाया और वह उसे बोला, '' मेर भाई यह देखनेसे अपना पेट भरनेवाला नही है ... थोडा अपने पेट पानीका भी सोचो ''
अंदरका दृष्य देखनेमें लिन हूवा अतूल अब कहा होशमें आ गया.
'' लेकिन अब उनके फोटो तूम कैसे निकालनेवाले हो ?'' अलेक्सने कामका सवाल पुछ लिया.
'' डोन्ट वरी वुई आर इक्वीपड विथ टेक्नॉलॉजी.'' अलेक्सने उसे दिलासा दिया और उसने अपने जेबसे एक वायरजैसी चिज निकालकर उसका एक सिरा अपने कॅमेरेसे जोडा और दुसरा सिरा दरवाजेके कीहोलसे अंदर डाला.
'' यह क्या है ... पता है ?'' अलेक्सने पुछा.
'' दिस इज स्पेशल कॅमेरा माय डियर'' अतूलने कहा और वह उस स्पेशल कॅमेरेसे हॉटेलके रुमके अंदरके सारे फोटो निकालने लगा.