माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:37

रीमा की बात सुनकर मैंने अपना लंड रीमा की गाँड से निकाल लिया मेरा मन बिल्कुल भी ऐसा करने को नंही कर रहा था पर रीमा के बात मान कर मैंने लंड निकाल लिया। अब मुझे आराम करते हुये गाँड मरवानी है इसलिये अब मैं चित लेट जाती हूँ कह कर रीमा बिस्तर पर लेट गयी। रीमा ने गहने अभी भी पहने हुये थे कोई अप्सरा लग रही थी पूरी। फिर उसने पास से दो तकिये उठा कर अपनी कमर के नीचे रख लिये जिससे उसकी गाँड उपर उठ गयी। रीमा ने अपनी टाँगे मोड कर अपनी छाती से चिपका लीये और अपनी जाँघे पकड कर चौडी कर के खोल दी। अब रीमा की गाँड का भूरा भूरा छेद ठीक मेरी आँखो के सामने था। आ जा बेटा घुसा दे लंड अपना मेरी गाँड मे आज तूने अपनी माँ को दिन भर बहुत मजा दिया है। अब तू भी मेरी गाँड मारने का मजा ले ले। मैं रीमा को इस रूप मे देख कर और भी मस्ता गया क्या नजारा था रीमा के दोनो भारी मोटे चूतड पूरी खुले हुये थे और उसकी कसी गाँड उनके बीच मे से अपना दरवाजा खोल कर मेरे लंड को अपने अंदर बुला रही थी क्योकि उसकी इच्छा अभी पूरी नंही हुयी थी। भोसडचोद निहार क्या रहा है मेरी गाँड चल अब घुसा भोसडीके। रीमा की बात सुनकर मैंने अपने दोनो घुटने रीमा के चूतडो के दोनो और जमाये और अपना लंड रीमा की गाँड से सटा दिया। फिर अपने हाथ रीमा की जाँधो पर रखे और अपने चूतडो को जोर से आगे को धकेला जिससे मेरे लंड का सुपाडा रीमा की गाँड मे घुस गया। फिर मैंने झुक कर रीमा के मुँह को पकड कर उसके होंठो को अपने मुँह मे ले लिया और चूमने लगा। रीमा भी मेरा पूरा साथ देते हुये कस के मेरे होंठो को चूमने लगी। फिर मैंने रीमा के शरीर पर अपना पूरा भार डाल दिया और एक जोरदार धक्का लगाया और एक ही बार मैं मेरा पूरा लंड रीमा की गाँड मे समा गया।

एक दम से पूरा लंड अंदर घुस जाने से रीमा मचल उठी पर मैंने उसके होंठो को नंही छोडा और चूसता ही रहा। मैंने अपने हाथो से रीमा के बदन के अगल बगल रखे और उसके कस के जकड कर उसके होंठो को चूसने लगा। साथ ही जोरदार घक्के लगाते हुये उसकी गाँड मारनी शुरु कर दी। इसतरह रीमा पूरी तरह मेरे नीचे दब गयी। उसकी टाँगे पूरी चौडी हो चुकी थी और मैं जम कर उसकी चुदायी कर रहा था साथ ही उसके होंठ भी पीता जा रहा था। मैं अपनी जीभ रीमा के मुँह मे घुसेड कर उसकी मुँह की लार अपनी जीभ मे लपेट कर चूस लेता उसका ये मुख रस मुझे और उत्तेजित कर रहा था। रीमा भी पूरी उत्तेजित होकर मुझे अपना रस पीला रही थी। इस जबर्दस्त गाँड मरायी मे रीमा को भी मजा आ रहा था क्योकी वह भी अपने चूतड हिलाने की कोशिश कर रही थी। पर मेरे निचे दबी होने की वजह से जोर जोर से अपने चूतड नंही हिला पा रही थी पर पूरा मजा ले रही। उसकी गाँड मारने मे मुझे इतना मजा आ रहा था की लग रहा था की लंड बंधा होनेपर भी मैं झड जाऊंगा।

फिर मैं थोडा रफ्तार बदल बदल कर चोदने लगा कभी जोर से उसकी गाँड मारता तो कभी धीरे प्यार से। पर उसके मुँह को मैंने नंही छोडा और उसके मुह का थूक और लार मैं पीता रहा। मैंने अपने हाथ रीमा की चूचीयो पर रखे और उनको जोर जोर से मसलने लगा। रीमा जोर से करहाने लगी क्योकी मैं पूरी बेरहमी से उसकी चूचीयाँ मसल रहा था। पर उसके करहाने की आवाज मेरे मुँह मे दब कर रही गयी। मैं तो जैसे पागल हो गया था और रीमा की गाँड मारे जा रहा था। रीमा ने अपना बदन पूरे मेरे उपर छोड दिया था और कुछ और दर्द में भी मजे ले रही थी। रीमा की चूत भी पूरी गीली हो चुकी थी और मेरे पेट को गीला कर रही थी। मेरी झांटे उसकी चूत से रगड खा रही थी जिससे उसको और मजा आ रहा था। मैं काफी देर तक रीमा के गाँड इसी तरह रफ्तार बदल कर मारता रहा। रीमा भी मेरी झाँटो की रगडायी से दो बार झड चुकी थी। फिर उसकी चूचीयाँ पकड कर जोर जोर से उसकी गाँड मारने लगा। मैंने अब उसका मुँह छोड दिया था। हाय रे मर गयी रे बेटा तूने तो मुझे झडा झडा कर थका दिया। क्या मजा दिया है रे मेरे लाल अपनी माँ को। बेटा अब मैं थक गयी हूँ बेटा अब तो निकाल ले अपना लंड मेरी गाँड से हाय रे मेरी गाँड भी तूने दर्द कर दी। अपने नीचे दबा कर जो तूने मेरी रगडायी करी खुश कर दिया तूने अपनी माँ को ओह मेरे लाल मेरे बदन का पोर पोर दर्द कर रहा है पर इसी दर्द मे मजा आया तेरी माँ को। और कल मैं इस दर्द भरी मस्ती का अहसास तुझे करवाऊंगी।


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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:37

माँ मारने दो ना मुझे तुम्हारी गाँड मुझे बहुत मजा आ रहा है तुम्हारी गाँड मारने मे आज पूरी रात तुम्हारी गाँड मार कर मैं मजा लेना चाहाता हूँ। अरे मारने दूँगी राजा मेरे पर अभी थोडी देर के लिये तो अपना लंड निकाल मेरे अंदर से। ठीक है कह कर मैंने मन मारकर एक जोरदार धक्का रीमा की गाँड की गहरायी तक लगाया और अपना लंड निकाल लिया और उठ कर रीमा के बगल में लेट गया। हम दोनो का शरीर पसीने मे भर गया था जबकि ऐसी चल रहा था। बेटा मेरे लाल आज तो तूने मुझे झडा झडा कर खुश ही कर दिया। आज पहली बार ऐसा लगा की चुदायी के बाद मेरी चूत और गाँड की खुजली कुछ कम हुयी नंही तो इतने सालो से ऐसा कभी भी नंही हुआ। माँ मुझे भी तुम्हारी गाँड मारने मे बहुत मजा आ रहा था मन कर रहा था कि बस मारता रहूँ। बेटा सच बता तूंने जो मुझे आज सुहाग रात मे जो मुझे तोहफा दिया है क्या वो सच है बेटा सच बता तू सही मे जिंदगी भर के लिये मेरा गुलाम बनकर रहेगा। तू मेरे साथ दिल्ली चल कर रहेगा जिंदगी भर के लिये। जैसा मैं कहूँगी वेसा करेगा। मैंने रीमा कि तरफ देखा और बोला माँ मैं तो हमेशा से यही चाहाता था कि तुम्हारी जैसे कोयी औरत मिले और मैं जिंदगी भर उसकी गुलामी कर संकू और जब तुमने खुद मुझसे पूछा तो जैसे मुझे स्वर्ग मिल गया हो और मैने तुमको हाँ कह दी। मैं बस अब तुम्हारा गुलाम बन कर हे जिंदगी जीना चाहाता हूँ। बेटा औरत की गुलामी के क्यी रूप होते है और औरत गुलाम से बहुत कुछ ऐसा करा सकती है जिसमे गुलाम की बहुत बेज्जती हो और यंहा तक कि जिस लंड के मजे के लिये मर्द गुलाम बनने की इच्छा रखता है उस लंड को ही मजा न मिले तुझे तो पता होगा इंटरनेट पर फेमडोम की कितनी जानकारी है क्या तू वह सब चाहाता है कि तुझे कुछ चीजे नंही पंसद। हाँ माँ मैंने सब पढा है और मैं सबके लिये तैयार हूँ तुम जो चाहो वह कर सकती हो मैं कभी भी मना नंही करूंगा। मैं जानता था कि यह कहने के बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल सकती थी पर मैं रीमा के प्यार में इस तरह पागल हो गया था कि मुझे उसके रूप के सामने आज कुछ भी दिखायी नंही दे रहा था।

रीमा ने मेरा चेहरा अपने हाथो मे लेकर चूम लिया और बोली बेटा तू चिंता मत कर तेरी माँ तुझे बहुत प्यार से रखेगी तुझे किसी भी चीज की कमी नंही होने देगी मेरे लाल। तेरे लंड को इतनी चूते दिलाउंगी कि कोई गिनती ही नंही रहेगी। तेरी बात सुनकर अब मैं बहुत खुश हो गयी हूँ बेटा चल अब तेरी ये रंडी माँ तुझे झडायेगी। पर तुमने तो कहा था माँ की तुम पूरी रात मेरे लंड को खडा रखना चाहाती हो। हाँ मेरे लाल पर तेरी माँ आज बहुत खुश है। और ये तेरा ईनाम है मुझे खुश करने का। माँ अगर आपको मुझको ईनाम देना है तो आप अब उल्टी होकर लेट जाओ और मुझे जी भर कर आपकी गाँड मारने दो जब मेरा मन करेगा मैं अपना नाडा खोल कर खुद ही झड जाउंगा। ठीक है माँ। हूँ मेरे चूतडो से कुछ ज्यादा ही प्यार है मेरे लाडले को चल आज की रात मेरी गाँड तेरी जितनी मारनी है मार ले ले मैं उल्टी होकर लेट जाती हूँ। रीमा ने मेरे माथे का एक चुम्बन लिया और लेट गयी। मैंने उसके पास से तकिये उठा कर उसके पेट के नीचे रख दिये जिससे रीमा के चूतड और भी उपर हो गये।

ले बेटा मेरी गाँड मार ले अब मैं बिल्कुल तैयार हूँ। रीमा ने अपनी टाँगे खोल ली और अपने शरीर हो बिल्कुल ढीला छोड दिया। मैंने अपने हाथो से रीमा के चूतड खोले और उसकी गाँड को पहले जी भर के देखा और एक बार चूम लिया फिर अपने लंड को रीमा की गाँड पर लगा कर एक जोरदार घक्का मारा मेरा लंड एकदम फिसल कर आधा उसकी गाँड मे घुस गया। फिर उसकी माँसल कमर अपने हाथो मे पकड कर मैंने एक धक्का और मारा और मेरा पूरा लंड उसकी गाँड की जड तक उतार दिया। उसकी चूतड मेरी जाँघो से सट गये। मैं रीमा के उपर लेट गया और उसकी गर्दन पर एक चुम्बन ले लिया। बेटा अब मैं बहुत थक गयी हूँ मेरी गाँड अब तेरी है मार और मजे ले कह कर रीमा ने अपनी आँखे बंद कर ली। रीमा की पीठ का थोडी देर चुम्बन लेने के बाद मैंने रीमा के कंधे पकड कर जोर जोर से उसकी गाँड मारनी शुरु कर दी। मेरा लंड को पूरा अंदर तक घुसा कर उसकी गाँड मार रहा था। मेरा लंड आसानी से उसकी गाँड मे अंदर बाहर हो रहा था। और मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैं कफी देर तक रीमा की गाँड इसी तरह से मारता रहा। जब थक जाता तो रुक जाता और रीमा की पीठ चूमने लगता और फिर थोडी देर बाद रीमा के गाँड की चुदायी शुरु कर देता। रीमा मेरे घक्के खाते खाते सो गयी थी। देर तक गाँड मारने की वजह से गाँड और मेरे लंड के बीच घर्षण बढ गया था इसलिये मैंने अपना लंड निकाल कर रीमा के चूतड चौडे करके उसकी गाँड पर मुँह लगा कर चाट कर फिर से गीली कर दी। और अपना लंड घुसेड दिया। करीब रात चार बजे तक रीमा कि गाँड मारता रहा। मेरा मन तो नंही कर रहा था मुझे बहुत नींद आ रही थी। इसलिये मैंने अपना लंड रीमा की गाँड से बाहर निकाला और एक बार जी भर कर रीमा की गाँड को निहारा और फिर मेरे लंड पर बंधा नाडा खोल दिया। मुझे ऐसा लगा फिर से मुझमे जान आ गयी। अब मैं झडना चाहाता था। मैंने रीमा की गाँड मे लंड डाला और जोर जोर से चोदने लगा।

मैं झडने के बिल्कुल करीब था। मेरे लंड का सुपाडा फूल कर और भी मोटा हो गया था और उसकी गाँड की दिवारो से रगड खा रहा था। मैंने अपने हाथ रीमा के नीचे डाल कर उसकी चूचीयाँ पकड कर जोर जोर से धक्का मार रहा था। फिर अचानक मेरे शरीर एकदम जोर से अकड गया और मेरे लंड से वीर्य की धारा बह पडी और रीमा की गाँड भरने लगी। मेरी आँखे मजे के अहसास मे बंद हो गयी। मैंने रीमा के बदन को कस के जकड लिया और झडता रहा। इतनी देर तक चोद कर मैं बहुत थक गया और इतनी जोर से झडा की बस जैसे स्वर्ग मे पहुँच गया हूँ। पूरा झडने के बाद मेरा बदन ढीला पड गया और मैं रीमा के बदन पर लेट गया। मैं इतना थक चुका था की मुझे कब नींद आ गयी मुझे पता ही नंही चला।

क्रमशः..................


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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:38

गतांक आगे ...................

अगले दिन मुझे पता नंही कितनी देर तक मैं सोता रहा। सुबह मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे लंड से खेल रहा है और मेरा लंड मस्त खडा था। कोई बडे प्यार से अपने मुलायम हाथो से मेरे लंड को पुचकार रहा था और कभी चूम लेता। मेरे लंड के खडे होने से मेरी आँखे खुल गयी। मैंने देखा मैं बिस्तर पर चित लेटा हुया था और रीमा मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठी थी और मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर प्यार से चूम और सहला रही थी। रीमा की भारी चूचीयाँ उसके बदन से नीचे लटक रही थी जैसे पेड पर से फल लटकते हैं। दिन काफी निकल आया था शायद दोपहर हो चली थी। रीमा ने मेरे शरीर मे हरकत देखी तो अपनी आँखे मेरी आँखो मे डाल कर बोली उठ गया बेटा। तू सो रहा था तो मैंने सोचा चल थोडी देर तेरे लंड से खेल लिया जाये। नंगा लंड बडा ही प्यारा लग रहा था। कह करे रीमा ने लंड के सुपाडे को चूम लिया। देख मैंने कैसे इसको प्यार करके खडा कर दिया।

रीमा ने मेरा लंड के सुपाडे को मुँह मे लेकर चाटने लगी। अपनी जीभ मेरे सुपाडे पर फिरा रही थी। मैं काफी देर तक सोया था इस लिये रीमा के लंड चुसना मुझे बडा अच्छा लग रहा था। और रीमा लंड भी बहुत अच्छा चूसती थी। अभी सिर्फ अपने हाथ से खेल और चूम कर ही उसने मेरा लंड इतना खडा कर दिया था। इसतरह से उठना मुझे बहुत अच्छा लगा। रीमा मेरे लंड को चूसने के साथ साथ मेरी बाल्स के साथ भी खेल रही थी। मेरी बाल्स को अपनी मुलायम उंगलियो मे पकड कर होले से सहला रही थी। उसका प्यार भरा स्पर्श पाकर मेर लंड मचल रहा था। रीमा की चूचीयाँ मेरे जाँघो से टकराती और उसकी कडी घुडियाँ जब मेरी जाँघो को छूती को एक मस्ती के लहर मेरे शरीर मे दौड जाती। रीमा अभी तक सिर्फ मेरे लंड के सुपाडे पर ही अपनी जीभ चला रही थी। और अपनी जीभ के नोक से उसको छेड रही थी। बिच मे कभी उसको चूस भी लेती। मेरी नींद अब पूरी तरह से खुलने लगी थी। ये मस्ती भरा नजारा देख कर कब तक सोता।

माँ तुम बहुत अच्छा लंड चुसती हो क्या अच्छा तरीका है नींद से जगाने का। तुम्हारे लंड को चूसते ही मेरी नींद खुल गयी। तेरा ये मुसल भी तो अच्छा है कल तूने मेरी इतनी सेवा की तो मुझे भी तो तेरा ख्याल रखना है। कह कर रीमा ने आधा लंड अपने मुँह मे घुसेड लिया और चूसने लगी। अब वह जोर जोर से चूस रही थी। मेरा लंड एकदम टनटना गया था। रीमा जोर जोर से मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर कर के चूसने लगी। धीरे धीरे वो ज्यादा से ज्यादा लंड अपने मुँह मे लेती जा रही थी। अब मैंने भी अपने चूतड हिलाने शुरु कर दिये थे और जोर से रीमा का मुँह चोदना चाहाता था। रीमा ने अपने हाथ मेरी जाँघो पर फेरे और जोर जोर से अपनी जीभ मेरे लंड पर चलाने लगी। मैंने भी अपने चूतड हिलाने शुरु कर दिये। मेरा लंड रीमा के मुँह के अंदर बाहर होने लगा। और रीमा के मुँह की नमी और गर्मी पा कर एक दम तन गया।

रीमा समझ गयी मेरा लंड अब मस्त खडा हो गया है और मेरी नींद भी खुल गयी है। उसने एक आखरी बार मेरा लंड जोर से चूस कर लंड को मुँह मे से निकाल दिया। ये क्या किया माँ मुझे बहुत मजा आ रहा था। थोडी देर और चूसती तो मैं झड जाता। तो मेरी मर्जी तू मेरा गुलाम है की नंही जो मेरा मन करेगा वही करूगीं बोल कि कल ऐसे ही मुझे खुश करने के लिये कह दिया था। हाँ माँ मैं आपका गुलाम हूँ ठीक अगर आपका मन यही है तो मुझे कोई ऐतराज नंही है। ठीक है तेरा ये टनटनाया हुआ लंड देख कर मुझे बडा अच्छा लगता है। रीमा ने प्यार से मेरे लंड को सहालाते हुये कहा। चल अब तुने मेरा गुलाम बनने का फैसला कर लिया है तो तुझे मेरे साथ दिल्ली चलना पडेगा और अपनी नौकरी छोडनी पडेगी। और दिल्ली मे मैं तुझको जिंदगी भर अपना पालतू कुत्ता बना कर रखूंगी बोल कर पायेगा मेरे लिये ये। रीमा ने ये बात एक दम से कही जब मेरा लंड पूरा खडा था। ये फैसला लेना थोडा मुशकिल था।

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