hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
जब तक हम क्लास के अंदर नही पहुचे अरुण रॅगिंग के बारे मे बता-बता कर डराता रहा, लेकिन मैं ऐसे रिएक्ट कर रहा था ,जैसे कि मुझे कोई फरक ही ना पड़ता हो ,लेकिन असलियत ये थी कि ये सब सिर्फ़ एक दिखावा था, मैं खुद भी अंदर से बहुत ज़्यादा डरा हुआ था....
"वो देख उस चश्मे वाली को, देसी आम लग रही है, एक बार खाने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए..."
सरीफ़ तो मैं भी नही था, लेकिन इस तरह खुले मे सबके सामने ऐसी बाते करने से मैं परहेज करता था , जिससे सबको अक्सर यही भरम होता था कि मैं बहुत बड़ा सरीफ़ हूँ और अक्सर मेरे एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट इस बात पर मुहर लगा देते थे...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि मेरा जितना भी अच्छा वक़्त था वो ख़तम हो चुका था और मैं यहाँ अपनी ज़िंदगी की जड़े खोदने आया था.....
"फर्स्ट क्लास किसकी है...."मैने अरुण से पुछा,...
"अबे, मेरा भी आज पहला दिन है...और अभी से भेजा मत खा..."
फर्स्ट एअर मे सभी ब्रांच वालो का कोर्स सेम होता है, इसलिए दो-दो ब्रांच वालो को एक साथ अरेंज किया गया था, मेरी और अरुण की ब्रांच मेकॅनिकल थी , लेकिन हमारे साथ माइनिंग ब्रांच के भी स्टूडेंट्स थे, और मुझे जो एक बात मालूम चली वो ये थी कि ,मुझे सिर्फ़ अपने ब्रांच के सीनियर्स से डरने की ज़रूरत है और मैं हॉस्टिल मे रहता हूँ तो इसलिए मेरी रॅगिंग केवल हॉस्टिल के सीनियर्स ले सकते है, जो सीनियर लोकल है या फिर सिटी मे रहते है, वो यदि तुम्हारी रॅगिंग लें तो तुम उन्हे पेल सकते हो और यदि सिटी वाले कोई लफडा करे तो हॉस्टिल वाले साथ देते है, ऐसा रूल वहाँ चलता था.....
"कुछ भी बोल अजय , लेकिन कॉलेज मस्त है, यहाँ की माल भी मस्त है..."पीछे वाले बेंच पर अपने दोनो हाथ टिका कर अरुण बोला, इतने देर मे शायद वो मेरा नाम भूल गया था....
"अरमान, नोट अजय..."
"ले ना यार अब खा मत..."
"पता नही किससे पाला पड़ा है..."मैं बुद्बुदाया और फिर सामने देखने लगा....
"गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स..."अपने सीने से एक बुक चिपका कर एक मॅम अंदर आई, मॅम क्या वो तो पूरी माल थी माल , 5'8" लगभग हाइट , मॉडेल्स वाली कमर, गोरा रंग....उसे क्लास के अंदर आता देखकर सभी खड़े हो गये और कुछ लड़को का खड़ा भी हो गया ,
"साला ये कॉलेज है या गोआ का बीच, जिधर नज़र घूमाओ एक से बढ़कर एक दिखती है..."अरुण अपने ठर्कि अंदाज़ मे धीरे से बोला....
उसके बाद कुछ देर तक इंट्रोडक्षन चला, जिसमे हमे उस मॅम का नाम मालूम चला,...उस 5'8" हाइट वाली मॅम का नाम दीपिका था, और वो हमे कंप्यूटर साइन्स पढ़ने आई थी, साली जितनी ज़्यादा गोरी थी उतना ही काला उसका दिल था, क्लास मे आते ही उसने एक साथ 10 असाइनमेंट दे दिए और बोली कि हर 3 दिन मे वो एक असाइनमेंट चेक करेगी और तो और नेक्स्ट मंडे को टेस्ट का बोलकर उसने सबकी फाड़ के रख दी.....
"ये लौदी है कौन, इसकी माँ की..."अरुण रोने वाली स्टाइल मे बोला" बाहर मिले ये गान्ड मार लूँगा इसकी..."
"कंट्रोल भाई..."उसके कंधे को सहलकर उसे दिलासा देते हुए मैं बोला.....
"घंटा का कंट्रोल, इसे तो हवेली मे ले जाकर चोदुन्गा,..."
"हवेली...."
"तू बच्चा है अभी, राज कॉमिक्स पढ़, ये सब बड़े लोग करते है..."
अरुण क्या कहना चाहता था, ये तो मेरे सर के उपर से निकल गया, दीपिका मॅम ने आते ही सबकी फाड़ डाली थी, ये तो सच था, लेकिन सच ये भी था कि उस एक क्लास मे ही आधे से अधिक लड़के एक दूसरे को बोलने लगे थे कि "सीएस वाली मॅम तेरी भाभी है...."
दीपिका मॅम के मस्त लंबे-लंबे बाल थे,....सर के , और उसके बाल अक्सर उसके चेहरे पर आ जाते, जिन्हे किसी फिल्मी आक्ट्रेस की तरह अपने सामने आए बालो को वो पीछे करती, उस पीरियड मे हमारी क्लास की लड़कियो की फुल2 बेज़्जती होती थी, यूँ तो पूरा कॉलेज फुलझड़ियों से भरा पड़ा था ,लेकिन हमारे ब्रांच की लड़किया कॉमेडी सर्कस की भरती थी, सिवाय एक दो को छोड़ कर , उन्हे कोई नही देखने वाला था ,क्यूंकी जब हीरा सामने हो तो कोयले की चाह कौन करेगा....
"तुम्हारा नाम क्या है....""सुनाई नही देता क्या..."
"अबे तुझे बोल रही है ,खड़े हो..."अपनी कोहनी को अरुण ने मेरे पेट मे दे मारा और मैं जैसे अपने ख़यालो से बाहर आया...इस तरह मुझे खड़ा करने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गया था, जिसके कारण कुछ स्टूडेंट्स हँसे भी थे.....
"येस मॅम..."मैं उठ खड़ा हुआ, मेरी हालत उस समय ठीक वैसी थी ,जैसे एक बकरे की हालत कसाई को देखकर होती है,
"पहले ही दिन, पहले ही क्लास मे बेज़्जती..."सच बताऊ, तो मेरी उस वक़्त पूरी तरह फटी हुई थी, ना जाने वो क्या बोल दे....
"तुम अपनी कॉपी लेकर इधर आओ..."दीपिका मॅम ने मुझे सामने बुलाया....
दिल की धड़कनें बढ़ने लगी और यही ख़याल आता रहा कि दीपिका मॅम कहीं कुछ पुच्छ ना ले, क्यूंकी अभी तक ना तो मैने कुछ लिखा था और ना ही कुछ पढ़ा था, अभी तक मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी पर था....
"यहाँ मैं कॉमेडी कर रही हूँ क्या...."
"नो मॅम..."अपना सर झुकाए मैं किसी बच्चे की तरह सामने खड़ा था, और उस समय का इंतज़ार कर रहा था ,जब वो गुस्से से चिल्लाती हुई मेरी कॉपी फेक दे और मैं फिर अपनी कॉपी उठाकर वापस अपनी जगह पर बैठ जाऊ.....
"नाम क्या है तुम्हारा..."
"अरमान...."
"क्या अरमान है तुम्हारे,...ज़रा सबको बताओ..."
"सॉरी मॅम, आगे से कुछ नही करूँगा...."ये तो मैने मॅम से कहा , लेकिन मैं उसे कुछ और भी बोल सकता था और वो ये था"मेरे अरमान ये है कि तुझे पटक-पटक कर चोदु, कभी आगे से तो कभी पीछे से...."
"सिट डाउन, और दोबारा मेरी क्लास मे कोई हरकत करने से पहले सोच लेना..."
अपना मूह लटकाए , मैं वापस अपनी जगह पर आया ,जहाँ अरुण बैठा मज़े ले रहा था....
"अब चुप हो जा..."खुन्नस मे मैने कहा और मेरी आवाज़ ज़रा तेज हो गयी ,जिससे वो 5'8" हाइट वाली फिर भड़की और मुझे एक बार फिर से खड़ा किया....
"वो मॅम उससे मैं कुछ पुछ रहा था..." दीपिका मॅम, मेरा गला दबाती उससे पहले ही मैने बोल दिया....
"तुम भी खड़े हो..."अबकी बार इशारा अरुण की तरफ था, और जब मॅम ने उसे खड़े होने के लिए कहा तो उसके चेहरे का रंग भी बदल गया,...
"क्या पुछ रहा था ये तुमसे..."
"वो मॅम, बाइनरी को ओकटल मे कॉनवर्ट करने की मेतड, पुछ रहा था..."झूठ बोलते हुए अरुण ने मेरी तरफ देखा और सारी क्लास ने हम दोनो की तरफ निगाहे डाली...
"गेट आउट...."
"क्या..."
"मेरी क्लास ने बाहर जाओ और आज का तुम्हारा अटेंडेन्स कट, और अगली क्लास मे आओ, तो ज़रा ध्यान से, क्यूंकी यदि नेक्स्ट क्लास मे तुमने कोई हरकत की तो असाइनमेंट डबल हो जाएगा.....इस आस मे कि मॅम का दिल थोड़ा दरियादिल हो और वो मुझे वापस नीचे बैठा दे , इसलिए मैं थोड़ी देर अपनी जगह पर खड़ा रहा,...लेकिन वो इस बीच हज़ारो बार मुझे बाहर जाने के लिए चिल्ला चुकी थी , और फिर उसने आख़िरी बार प्रिन्सिपल के पास ले जाने की धमकी दी...पूरी क्लास के सामने मेरी इज़्ज़त मे चार चाँद लग चुके थे, लेकिन जब दीपिका मॅम ने प्रिन्सिपल का नाम लिया तो मैं किसी भीगी बिल्ली की तरह क्लास से बाहर आया.......
"वो देख उस चश्मे वाली को, देसी आम लग रही है, एक बार खाने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए..."
सरीफ़ तो मैं भी नही था, लेकिन इस तरह खुले मे सबके सामने ऐसी बाते करने से मैं परहेज करता था , जिससे सबको अक्सर यही भरम होता था कि मैं बहुत बड़ा सरीफ़ हूँ और अक्सर मेरे एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट इस बात पर मुहर लगा देते थे...लेकिन मुझे ये नही मालूम था कि मेरा जितना भी अच्छा वक़्त था वो ख़तम हो चुका था और मैं यहाँ अपनी ज़िंदगी की जड़े खोदने आया था.....
"फर्स्ट क्लास किसकी है...."मैने अरुण से पुछा,...
"अबे, मेरा भी आज पहला दिन है...और अभी से भेजा मत खा..."
फर्स्ट एअर मे सभी ब्रांच वालो का कोर्स सेम होता है, इसलिए दो-दो ब्रांच वालो को एक साथ अरेंज किया गया था, मेरी और अरुण की ब्रांच मेकॅनिकल थी , लेकिन हमारे साथ माइनिंग ब्रांच के भी स्टूडेंट्स थे, और मुझे जो एक बात मालूम चली वो ये थी कि ,मुझे सिर्फ़ अपने ब्रांच के सीनियर्स से डरने की ज़रूरत है और मैं हॉस्टिल मे रहता हूँ तो इसलिए मेरी रॅगिंग केवल हॉस्टिल के सीनियर्स ले सकते है, जो सीनियर लोकल है या फिर सिटी मे रहते है, वो यदि तुम्हारी रॅगिंग लें तो तुम उन्हे पेल सकते हो और यदि सिटी वाले कोई लफडा करे तो हॉस्टिल वाले साथ देते है, ऐसा रूल वहाँ चलता था.....
"कुछ भी बोल अजय , लेकिन कॉलेज मस्त है, यहाँ की माल भी मस्त है..."पीछे वाले बेंच पर अपने दोनो हाथ टिका कर अरुण बोला, इतने देर मे शायद वो मेरा नाम भूल गया था....
"अरमान, नोट अजय..."
"ले ना यार अब खा मत..."
"पता नही किससे पाला पड़ा है..."मैं बुद्बुदाया और फिर सामने देखने लगा....
"गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स..."अपने सीने से एक बुक चिपका कर एक मॅम अंदर आई, मॅम क्या वो तो पूरी माल थी माल , 5'8" लगभग हाइट , मॉडेल्स वाली कमर, गोरा रंग....उसे क्लास के अंदर आता देखकर सभी खड़े हो गये और कुछ लड़को का खड़ा भी हो गया ,
"साला ये कॉलेज है या गोआ का बीच, जिधर नज़र घूमाओ एक से बढ़कर एक दिखती है..."अरुण अपने ठर्कि अंदाज़ मे धीरे से बोला....
उसके बाद कुछ देर तक इंट्रोडक्षन चला, जिसमे हमे उस मॅम का नाम मालूम चला,...उस 5'8" हाइट वाली मॅम का नाम दीपिका था, और वो हमे कंप्यूटर साइन्स पढ़ने आई थी, साली जितनी ज़्यादा गोरी थी उतना ही काला उसका दिल था, क्लास मे आते ही उसने एक साथ 10 असाइनमेंट दे दिए और बोली कि हर 3 दिन मे वो एक असाइनमेंट चेक करेगी और तो और नेक्स्ट मंडे को टेस्ट का बोलकर उसने सबकी फाड़ के रख दी.....
"ये लौदी है कौन, इसकी माँ की..."अरुण रोने वाली स्टाइल मे बोला" बाहर मिले ये गान्ड मार लूँगा इसकी..."
"कंट्रोल भाई..."उसके कंधे को सहलकर उसे दिलासा देते हुए मैं बोला.....
"घंटा का कंट्रोल, इसे तो हवेली मे ले जाकर चोदुन्गा,..."
"हवेली...."
"तू बच्चा है अभी, राज कॉमिक्स पढ़, ये सब बड़े लोग करते है..."
अरुण क्या कहना चाहता था, ये तो मेरे सर के उपर से निकल गया, दीपिका मॅम ने आते ही सबकी फाड़ डाली थी, ये तो सच था, लेकिन सच ये भी था कि उस एक क्लास मे ही आधे से अधिक लड़के एक दूसरे को बोलने लगे थे कि "सीएस वाली मॅम तेरी भाभी है...."
दीपिका मॅम के मस्त लंबे-लंबे बाल थे,....सर के , और उसके बाल अक्सर उसके चेहरे पर आ जाते, जिन्हे किसी फिल्मी आक्ट्रेस की तरह अपने सामने आए बालो को वो पीछे करती, उस पीरियड मे हमारी क्लास की लड़कियो की फुल2 बेज़्जती होती थी, यूँ तो पूरा कॉलेज फुलझड़ियों से भरा पड़ा था ,लेकिन हमारे ब्रांच की लड़किया कॉमेडी सर्कस की भरती थी, सिवाय एक दो को छोड़ कर , उन्हे कोई नही देखने वाला था ,क्यूंकी जब हीरा सामने हो तो कोयले की चाह कौन करेगा....
"तुम्हारा नाम क्या है....""सुनाई नही देता क्या..."
"अबे तुझे बोल रही है ,खड़े हो..."अपनी कोहनी को अरुण ने मेरे पेट मे दे मारा और मैं जैसे अपने ख़यालो से बाहर आया...इस तरह मुझे खड़ा करने से मैं थोड़ा हड़बड़ा गया था, जिसके कारण कुछ स्टूडेंट्स हँसे भी थे.....
"येस मॅम..."मैं उठ खड़ा हुआ, मेरी हालत उस समय ठीक वैसी थी ,जैसे एक बकरे की हालत कसाई को देखकर होती है,
"पहले ही दिन, पहले ही क्लास मे बेज़्जती..."सच बताऊ, तो मेरी उस वक़्त पूरी तरह फटी हुई थी, ना जाने वो क्या बोल दे....
"तुम अपनी कॉपी लेकर इधर आओ..."दीपिका मॅम ने मुझे सामने बुलाया....
दिल की धड़कनें बढ़ने लगी और यही ख़याल आता रहा कि दीपिका मॅम कहीं कुछ पुच्छ ना ले, क्यूंकी अभी तक ना तो मैने कुछ लिखा था और ना ही कुछ पढ़ा था, अभी तक मेरा ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उसी पर था....
"यहाँ मैं कॉमेडी कर रही हूँ क्या...."
"नो मॅम..."अपना सर झुकाए मैं किसी बच्चे की तरह सामने खड़ा था, और उस समय का इंतज़ार कर रहा था ,जब वो गुस्से से चिल्लाती हुई मेरी कॉपी फेक दे और मैं फिर अपनी कॉपी उठाकर वापस अपनी जगह पर बैठ जाऊ.....
"नाम क्या है तुम्हारा..."
"अरमान...."
"क्या अरमान है तुम्हारे,...ज़रा सबको बताओ..."
"सॉरी मॅम, आगे से कुछ नही करूँगा...."ये तो मैने मॅम से कहा , लेकिन मैं उसे कुछ और भी बोल सकता था और वो ये था"मेरे अरमान ये है कि तुझे पटक-पटक कर चोदु, कभी आगे से तो कभी पीछे से...."
"सिट डाउन, और दोबारा मेरी क्लास मे कोई हरकत करने से पहले सोच लेना..."
अपना मूह लटकाए , मैं वापस अपनी जगह पर आया ,जहाँ अरुण बैठा मज़े ले रहा था....
"अब चुप हो जा..."खुन्नस मे मैने कहा और मेरी आवाज़ ज़रा तेज हो गयी ,जिससे वो 5'8" हाइट वाली फिर भड़की और मुझे एक बार फिर से खड़ा किया....
"वो मॅम उससे मैं कुछ पुछ रहा था..." दीपिका मॅम, मेरा गला दबाती उससे पहले ही मैने बोल दिया....
"तुम भी खड़े हो..."अबकी बार इशारा अरुण की तरफ था, और जब मॅम ने उसे खड़े होने के लिए कहा तो उसके चेहरे का रंग भी बदल गया,...
"क्या पुछ रहा था ये तुमसे..."
"वो मॅम, बाइनरी को ओकटल मे कॉनवर्ट करने की मेतड, पुछ रहा था..."झूठ बोलते हुए अरुण ने मेरी तरफ देखा और सारी क्लास ने हम दोनो की तरफ निगाहे डाली...
"गेट आउट...."
"क्या..."
"मेरी क्लास ने बाहर जाओ और आज का तुम्हारा अटेंडेन्स कट, और अगली क्लास मे आओ, तो ज़रा ध्यान से, क्यूंकी यदि नेक्स्ट क्लास मे तुमने कोई हरकत की तो असाइनमेंट डबल हो जाएगा.....इस आस मे कि मॅम का दिल थोड़ा दरियादिल हो और वो मुझे वापस नीचे बैठा दे , इसलिए मैं थोड़ी देर अपनी जगह पर खड़ा रहा,...लेकिन वो इस बीच हज़ारो बार मुझे बाहर जाने के लिए चिल्ला चुकी थी , और फिर उसने आख़िरी बार प्रिन्सिपल के पास ले जाने की धमकी दी...पूरी क्लास के सामने मेरी इज़्ज़त मे चार चाँद लग चुके थे, लेकिन जब दीपिका मॅम ने प्रिन्सिपल का नाम लिया तो मैं किसी भीगी बिल्ली की तरह क्लास से बाहर आया.......
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
मुझे अब भी याद है उस दिन मैं पूरे 40 मिनट. क्लास के बाहर खड़े रहा, और फिर जब दीपिका मॅम का पीरियड ख़तम हुआ और वो बाहर निकली...लेकिन मेरी तरफ गुस्से से अपनी नाक सिकोड कर वहाँ से आगे चली गयी, और जब मैं क्लास मे घुसा तो तब सभी की नज़रें मुझ पर ही टिकी हुई थी.....
"आओ बेटा अरमान, क्या पूरे हुए आपके दिल के अरमान..."
"चुप रह साले, वरना यही फोड़ दूँगा, मुंडा मत बांका..."
"ओ तेरी, सॉरी यार...यदि तुझे बुरा लगा हो तो..."अरुण बोला...
उस दिन उस क्लास मे दो लोग ऐसे थे, जिन्हे मैं चाहकर भी नही भुला सकता हूँ, एक तो मेरा खास दोस्त बना और एक लड़की ऐसी थी, जिसे देखकर ही मेरे मूह से गलियों की पवित्र धारा निकलने लगती थी....
"नवीन..."एक ने पहले अरुण की तरफ हाथ बढ़ाया और फिर मेरी तरफ....
नवीन माइनिंग ब्रांच का था, और वो भी थोड़ा सावला था, नवीन को देखकर एक बार फिर मैने खुद से चिल्लाकर कहा कि"मैं तो इससे ज़्यादा हॅंडसम हूँ...."
"भाई, अगली क्लास से थोड़ा संभाल कर..."मुझे नसीहत देने लगा वो.
दूसरी क्लास तो शुरू हो चुकी थी, लेकिन टीचर अभी तक नही आया था,लड़के हो या लड़कियाँ सभी सब्ज़ी-मॅंडी की तरह चीख रहे थे, और उसी दौरान एक लड़की सामने आई और हम सबको शांत रहने के लिए कहा....लेकिन हालत पहले जैसे ही रहे...जिससे वो लड़की सामने वाले बेंच पर बैठे लड़को से कुछ बोली, और सामने बेंच पर बैठे छूतियो मे सबको शांत रहने के लिए कहा, कुछ देर लगा सबको शांत करने मे....
"गुड मॉर्निंग फ्रेंड...माइ नेम ईज़ शेरीन...."
"तो क्या चुसेगी सब का..."अरुण ने एक पल बिना गवाए ये बोला, सुन तो सबने लिया था, लेकिन सब साले रियेक्शन ऐसे कर रहे थे, जैसे कानो मे रूई डाल के आए हो, सामने खड़ी उस लड़की ने भी सुन लिया था, लेकिन वो भी ऐसे रिएक्ट कर रही थी, जैसे उसने सुना ना हो.....
"ये तो चुदेगि, साली बीसी..."
"गान्ड मे लात मारकर बैठाओ इसको..."पहले अरुण और फिर उसके सुर मे सुर मिलाता हुआ नवीन बोला, मैं भी जोश मे आ गया और बोला
"इस इंट्रोडक्षन वाली लौंडिया को नंगी करके पूरे कॉलेज मे दौड़ाना चाहिए...."
"मैं बोलता हूँ कि मुट्ठी मार के साली के फेस पे डाल देना चाहिए, होशियारी छोड़ने आई है यहाँ...."
उधर शेरीन के बाद बाकी की लड़कियो ने भी अपना इंट्रोडक्षन दिया, ये सिलसिला और भी आयेज चलता यदि थर्रमोडीनॅमिक्स के सर वहाँ ना आए होते तो....बेसिकली हमारा सब्जेक्ट था,बेसिक मेकॅनिकल इंजिनियरिंग, (बीएमई) , लेकिन जो सर हमे पढ़ने आए थे, उनका खुद का बेस क्लियर नही था , पूरी क्लास के दौरान उसने क्या पढ़ाया कुछ समझ नही आया, साला बोला भी किस लॅंग्वेज मे था, ये भी समझ मे नही आया....पढ़ाई की तरफ मैं थोड़ा सेन्सिटिव था, और अपना पूरा सर बीएमई के पीरियड मे खपाने के बाद भी जब , कुछ समझ नही आया तो, एक डर दिल मे उठने लगा कि साला एग्ज़ॅम मे क्या होगा....
"क्या हुआ,..."
"यार कुछ समझ नही आ रहा..."
"तो टेन्षन किस बात की ये टॉपिक ही छोड़ दे...कौन सा तुझे टॉप मारना है"
"मुझे टॉप ही मारना है..."उस वक़्त तो अरुण से मैने ये कह दिया ,लेकिन ये जुनून मेरे सर से बहुत जल्द उतरने वाला था, ये मैं नही जानता था.........
"उसको देख, खुद को मिस वर्ल्ड समझ रही है..."अरुण ने उसी लड़की की तरफ इशारा किया, जो कुछ देर पहले सामने आकर इंट्रोडक्षन दे रही थी....
"मेरा बस चले तो इसका टी.सी. ही इसके हाथ मे दे दूं..."शेरीन की तरफ देखते हुए मैने कहा, कुछ देर पहले जब वो सामने आकर बोल रही थी तो उसकी आवाज़ नॅचुरल नही थी, वो अपनी अलग ही टोन मे बात कर रही थी, जो कि अक्सर लड़किया करती है.....नवीन उस वक़्त स्टडी मे लगा हुआ था, और मैं और अरुण उस लड़की को देखकर दिल ही दिल मे बुरा भला कह रहे थे,...तभी उसकी नज़र हम पर पड़ी , और मैने तुरंत अपनी नज़रें उसकी तरफ से हटा कर अपने कॉपी की तरफ कर ली.....
"ये कहीं ये ना सोच ले कि हम दोनो इसे लाइन दे रहे है..."मैने पेन पकड़ा और टीचर जो लिख रहा था उसे छापते हुए बोला....
"घंटा का लाइन, इतने बड़े कॉलेज मे ये अकेली ही है क्या, जो इसे लाइन देंगे...इसे देखकर तो दीपिका मॅम के क्लास मे खड़ा लंड भी सो गया...."
"तू मुझे बिगाड़ रहा है..."
"पका मत,..."
वो पीरियड तो ले देके निकल गया, लेकिन मैने जितना खाया पिया था, वो सब निकल लिया था, हमारे गुरु घंताल टीचर्स ने और रिसेस मे मैं और अरुण बाहर आए...
"बॅटरी लो है यार,चल कॅंटीन से आते है..."अपने पेट पर हाथ फिरा कर मैं बोला...
"चल आजा, माल ताडेन्गे उधर..."
वैसे तो सीनियर्स की क्लास लगी हुई थी उस वक़्त, लेकिन कुछ ऐसे भी होते है, जो क्लास बंक करके कॅंटीन पहुच जाते है, जब हम कॅंटीन के अंदर गये तो वहाँ आइटम्स तो थी, लेकिन साथ मे हमारे सीनियर्स भी थे और वो ऐसे बैठे हुए थे जैसे कॉलेज उनके बाप का हो....
"चुप चाप ,एक कुर्सी पकड़ ले, वरना लफडा हो जाएगा..."
मैं उस वक़्त कुछ नही बोला,और हम दोनो ने साइड की कुर्सी पकड़ ली....
"उसको देख..."अरुण का इशारा कॅंटीन मे एक तरफ बैठे हुए सीनियर की तरफ था, जो कि कुछ स्टूडेंट्स के साथ बैठा बाते कर रहा था....
"क्या हुआ..."मैने भी उसी तरफ देखा...
"उसका नाम वरुण है, साला 7 साल से इस कॉलेज मे पढ़ रहा है, लेकिन आज तक 4थ एअर मे ही लटका हुआ है..."
जब अरुण ने मुझसे कहा तब मैने उसकी तरफ गौर से देखा, वो अपने साथ बैठे स्टूडेंट्स मे से ज़्यादा एज का लग रहा था, और अपने पैर से टेबल के नीचे से दूसरी तरफ बैठी हुई लड़की के पैर को सहला रहा था....
"ये लड़किया भी ना जाने कैसों-कैसों से पट जाती है..."उस लड़की के लिए झूठा दुख व्यक्त करते हुए मैने अरुण से पुछा"ये 7 साल वाला है किस ब्रांच का..."
"अपने ही ब्रांच का है साला और कुछ लोग कहते है कि ये फाडू रॅगिंग लेता है..."
रॅगिंग सुनकर गला सुख गया, उस समय यही एक चीज़ थी जो मुझपर हावी थी, जब से मैं कॉलेज कॅंपस के अंदर घुसा था, यही चीज़ मुझे डरा रही थी....
"साला ,ये रॅगिंग बंद कर देना चाहिए..."पानी पीते हुए मैं बोला, पानी के पूरा एक ग्लास खाली करने के बाद थोड़ा सुकून आया,
"बंद है प्यारे, रागिंग तो सालो से बंद है लेकिन ये लोग ले ही लेते है..."
"ये साला कॅंटीन वाला कहाँ मर गया बीसी..."हाइपर होते हुए मैं बोला और मेरी आवाज़ पूरे कॅंटीन मे गूँज उठी , मेरा इतना कहना था कि सबकी नज़र एक बार फिर मेरी तरफ हुई, मुझे देखकर कुछ अपने काम मे लग गये, कुछ ऐसे भी थे, जो मेरी तरफ ही देख रहे थे, उनकी शकल से लग रहा था कि ,वो मुझे मन ही मन मे गलियाँ बक रहे है.....तभी वो 7 साल से कॉलेज मे पढ़ने वाला उठकर हमारी तरफ आया, उसके साथ कुछ लड़के भी थे और वो लड़की भी ,जो उसके सामने बैठी थी.....
"किस ब्रांच का है..."मेरे सामने वाली कुर्सी को खींचकर वरुण ने मुझसे पुछा...दिल किया कि उस कुर्सी को एक लात मारकर दूर कर दूं, लेकिन फिर उसके बाद होने वाले मेरे हाल का अंदाज़ा लगाकर मैं रुक गया....
"मेकॅनिकल, 1स्ट एअर..."वो रावण मेरे सामने वाली चेयर पर पूरा का पूरा समा गया था,
"मुझे जानता है..."
"ह..ह..हाँ.."गला एक बार फिर सूखने लगा और जैसे ही मैने पानी वाले ग्लास की तरफ हाथ बढ़ाया उस रावण ने मेरा हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से दबाने लगा, दर्द तो कर रहा था, लेकिन मैने अपने मूह से एक आवाज़ तक नही निकाली और ना ही उससे बोला कि मेरा हाथ छोड़ दे,,..
"पानी बाद मे पीना, पहले मेरे सवालो का जवाब दे..."वो मेरे हाथो को अब भी पकड़े हुए था और अपना पूरा ज़ोर लगाकर दबाए पड़ा था...
"अबे बीसी,एमसी , छोड़ मेरे हाथ को वरना यही पटक पटक कर गान्ड मारूँगा...."उसकी आँखो मे आँख डालते हुए मैने सिर्फ़ आँखो से कह दिया....
"आँख नीचे करे बे..."वरुण के साथ जो लड़के आए थे, उनमे से एक ने मेरा सर पकड़ा और नीचे झुका दिया..गेम शुरू हो चुका था, और मुझे अंदाज़ा हो गया था कि अब कुछ ना कुछ बुरा ही होगा....
"आओ बेटा अरमान, क्या पूरे हुए आपके दिल के अरमान..."
"चुप रह साले, वरना यही फोड़ दूँगा, मुंडा मत बांका..."
"ओ तेरी, सॉरी यार...यदि तुझे बुरा लगा हो तो..."अरुण बोला...
उस दिन उस क्लास मे दो लोग ऐसे थे, जिन्हे मैं चाहकर भी नही भुला सकता हूँ, एक तो मेरा खास दोस्त बना और एक लड़की ऐसी थी, जिसे देखकर ही मेरे मूह से गलियों की पवित्र धारा निकलने लगती थी....
"नवीन..."एक ने पहले अरुण की तरफ हाथ बढ़ाया और फिर मेरी तरफ....
नवीन माइनिंग ब्रांच का था, और वो भी थोड़ा सावला था, नवीन को देखकर एक बार फिर मैने खुद से चिल्लाकर कहा कि"मैं तो इससे ज़्यादा हॅंडसम हूँ...."
"भाई, अगली क्लास से थोड़ा संभाल कर..."मुझे नसीहत देने लगा वो.
दूसरी क्लास तो शुरू हो चुकी थी, लेकिन टीचर अभी तक नही आया था,लड़के हो या लड़कियाँ सभी सब्ज़ी-मॅंडी की तरह चीख रहे थे, और उसी दौरान एक लड़की सामने आई और हम सबको शांत रहने के लिए कहा....लेकिन हालत पहले जैसे ही रहे...जिससे वो लड़की सामने वाले बेंच पर बैठे लड़को से कुछ बोली, और सामने बेंच पर बैठे छूतियो मे सबको शांत रहने के लिए कहा, कुछ देर लगा सबको शांत करने मे....
"गुड मॉर्निंग फ्रेंड...माइ नेम ईज़ शेरीन...."
"तो क्या चुसेगी सब का..."अरुण ने एक पल बिना गवाए ये बोला, सुन तो सबने लिया था, लेकिन सब साले रियेक्शन ऐसे कर रहे थे, जैसे कानो मे रूई डाल के आए हो, सामने खड़ी उस लड़की ने भी सुन लिया था, लेकिन वो भी ऐसे रिएक्ट कर रही थी, जैसे उसने सुना ना हो.....
"ये तो चुदेगि, साली बीसी..."
"गान्ड मे लात मारकर बैठाओ इसको..."पहले अरुण और फिर उसके सुर मे सुर मिलाता हुआ नवीन बोला, मैं भी जोश मे आ गया और बोला
"इस इंट्रोडक्षन वाली लौंडिया को नंगी करके पूरे कॉलेज मे दौड़ाना चाहिए...."
"मैं बोलता हूँ कि मुट्ठी मार के साली के फेस पे डाल देना चाहिए, होशियारी छोड़ने आई है यहाँ...."
उधर शेरीन के बाद बाकी की लड़कियो ने भी अपना इंट्रोडक्षन दिया, ये सिलसिला और भी आयेज चलता यदि थर्रमोडीनॅमिक्स के सर वहाँ ना आए होते तो....बेसिकली हमारा सब्जेक्ट था,बेसिक मेकॅनिकल इंजिनियरिंग, (बीएमई) , लेकिन जो सर हमे पढ़ने आए थे, उनका खुद का बेस क्लियर नही था , पूरी क्लास के दौरान उसने क्या पढ़ाया कुछ समझ नही आया, साला बोला भी किस लॅंग्वेज मे था, ये भी समझ मे नही आया....पढ़ाई की तरफ मैं थोड़ा सेन्सिटिव था, और अपना पूरा सर बीएमई के पीरियड मे खपाने के बाद भी जब , कुछ समझ नही आया तो, एक डर दिल मे उठने लगा कि साला एग्ज़ॅम मे क्या होगा....
"क्या हुआ,..."
"यार कुछ समझ नही आ रहा..."
"तो टेन्षन किस बात की ये टॉपिक ही छोड़ दे...कौन सा तुझे टॉप मारना है"
"मुझे टॉप ही मारना है..."उस वक़्त तो अरुण से मैने ये कह दिया ,लेकिन ये जुनून मेरे सर से बहुत जल्द उतरने वाला था, ये मैं नही जानता था.........
"उसको देख, खुद को मिस वर्ल्ड समझ रही है..."अरुण ने उसी लड़की की तरफ इशारा किया, जो कुछ देर पहले सामने आकर इंट्रोडक्षन दे रही थी....
"मेरा बस चले तो इसका टी.सी. ही इसके हाथ मे दे दूं..."शेरीन की तरफ देखते हुए मैने कहा, कुछ देर पहले जब वो सामने आकर बोल रही थी तो उसकी आवाज़ नॅचुरल नही थी, वो अपनी अलग ही टोन मे बात कर रही थी, जो कि अक्सर लड़किया करती है.....नवीन उस वक़्त स्टडी मे लगा हुआ था, और मैं और अरुण उस लड़की को देखकर दिल ही दिल मे बुरा भला कह रहे थे,...तभी उसकी नज़र हम पर पड़ी , और मैने तुरंत अपनी नज़रें उसकी तरफ से हटा कर अपने कॉपी की तरफ कर ली.....
"ये कहीं ये ना सोच ले कि हम दोनो इसे लाइन दे रहे है..."मैने पेन पकड़ा और टीचर जो लिख रहा था उसे छापते हुए बोला....
"घंटा का लाइन, इतने बड़े कॉलेज मे ये अकेली ही है क्या, जो इसे लाइन देंगे...इसे देखकर तो दीपिका मॅम के क्लास मे खड़ा लंड भी सो गया...."
"तू मुझे बिगाड़ रहा है..."
"पका मत,..."
वो पीरियड तो ले देके निकल गया, लेकिन मैने जितना खाया पिया था, वो सब निकल लिया था, हमारे गुरु घंताल टीचर्स ने और रिसेस मे मैं और अरुण बाहर आए...
"बॅटरी लो है यार,चल कॅंटीन से आते है..."अपने पेट पर हाथ फिरा कर मैं बोला...
"चल आजा, माल ताडेन्गे उधर..."
वैसे तो सीनियर्स की क्लास लगी हुई थी उस वक़्त, लेकिन कुछ ऐसे भी होते है, जो क्लास बंक करके कॅंटीन पहुच जाते है, जब हम कॅंटीन के अंदर गये तो वहाँ आइटम्स तो थी, लेकिन साथ मे हमारे सीनियर्स भी थे और वो ऐसे बैठे हुए थे जैसे कॉलेज उनके बाप का हो....
"चुप चाप ,एक कुर्सी पकड़ ले, वरना लफडा हो जाएगा..."
मैं उस वक़्त कुछ नही बोला,और हम दोनो ने साइड की कुर्सी पकड़ ली....
"उसको देख..."अरुण का इशारा कॅंटीन मे एक तरफ बैठे हुए सीनियर की तरफ था, जो कि कुछ स्टूडेंट्स के साथ बैठा बाते कर रहा था....
"क्या हुआ..."मैने भी उसी तरफ देखा...
"उसका नाम वरुण है, साला 7 साल से इस कॉलेज मे पढ़ रहा है, लेकिन आज तक 4थ एअर मे ही लटका हुआ है..."
जब अरुण ने मुझसे कहा तब मैने उसकी तरफ गौर से देखा, वो अपने साथ बैठे स्टूडेंट्स मे से ज़्यादा एज का लग रहा था, और अपने पैर से टेबल के नीचे से दूसरी तरफ बैठी हुई लड़की के पैर को सहला रहा था....
"ये लड़किया भी ना जाने कैसों-कैसों से पट जाती है..."उस लड़की के लिए झूठा दुख व्यक्त करते हुए मैने अरुण से पुछा"ये 7 साल वाला है किस ब्रांच का..."
"अपने ही ब्रांच का है साला और कुछ लोग कहते है कि ये फाडू रॅगिंग लेता है..."
रॅगिंग सुनकर गला सुख गया, उस समय यही एक चीज़ थी जो मुझपर हावी थी, जब से मैं कॉलेज कॅंपस के अंदर घुसा था, यही चीज़ मुझे डरा रही थी....
"साला ,ये रॅगिंग बंद कर देना चाहिए..."पानी पीते हुए मैं बोला, पानी के पूरा एक ग्लास खाली करने के बाद थोड़ा सुकून आया,
"बंद है प्यारे, रागिंग तो सालो से बंद है लेकिन ये लोग ले ही लेते है..."
"ये साला कॅंटीन वाला कहाँ मर गया बीसी..."हाइपर होते हुए मैं बोला और मेरी आवाज़ पूरे कॅंटीन मे गूँज उठी , मेरा इतना कहना था कि सबकी नज़र एक बार फिर मेरी तरफ हुई, मुझे देखकर कुछ अपने काम मे लग गये, कुछ ऐसे भी थे, जो मेरी तरफ ही देख रहे थे, उनकी शकल से लग रहा था कि ,वो मुझे मन ही मन मे गलियाँ बक रहे है.....तभी वो 7 साल से कॉलेज मे पढ़ने वाला उठकर हमारी तरफ आया, उसके साथ कुछ लड़के भी थे और वो लड़की भी ,जो उसके सामने बैठी थी.....
"किस ब्रांच का है..."मेरे सामने वाली कुर्सी को खींचकर वरुण ने मुझसे पुछा...दिल किया कि उस कुर्सी को एक लात मारकर दूर कर दूं, लेकिन फिर उसके बाद होने वाले मेरे हाल का अंदाज़ा लगाकर मैं रुक गया....
"मेकॅनिकल, 1स्ट एअर..."वो रावण मेरे सामने वाली चेयर पर पूरा का पूरा समा गया था,
"मुझे जानता है..."
"ह..ह..हाँ.."गला एक बार फिर सूखने लगा और जैसे ही मैने पानी वाले ग्लास की तरफ हाथ बढ़ाया उस रावण ने मेरा हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से दबाने लगा, दर्द तो कर रहा था, लेकिन मैने अपने मूह से एक आवाज़ तक नही निकाली और ना ही उससे बोला कि मेरा हाथ छोड़ दे,,..
"पानी बाद मे पीना, पहले मेरे सवालो का जवाब दे..."वो मेरे हाथो को अब भी पकड़े हुए था और अपना पूरा ज़ोर लगाकर दबाए पड़ा था...
"अबे बीसी,एमसी , छोड़ मेरे हाथ को वरना यही पटक पटक कर गान्ड मारूँगा...."उसकी आँखो मे आँख डालते हुए मैने सिर्फ़ आँखो से कह दिया....
"आँख नीचे करे बे..."वरुण के साथ जो लड़के आए थे, उनमे से एक ने मेरा सर पकड़ा और नीचे झुका दिया..गेम शुरू हो चुका था, और मुझे अंदाज़ा हो गया था कि अब कुछ ना कुछ बुरा ही होगा....
Re: hindi latest sex story - दिल दोस्ती और दारू
मेरे बाए हाथ की हड्डियो का कचूमर बना कर उसने मेरा हाथ छोड़ा और फिर मेरे गाल को पकड़ कर बोला"बेटा, औकात मे रहना सीखो और सीनियर्स को रेस्पेक्ट दो..."
वरुण की आइटम अपने चेयर से एक समोसा उठाकर लाई और उसका आधा टुकड़ा खाकर बाकी मेरे चेहरे पर थोप दी, उस वक़्त शायद मैं बहुत गुस्से मे था, दिल कर रहा था, कि उस लड़की को खींच कर ऐसा थप्पड़ मारू कि उसका सर ही अलग हो जाए, लेकिन गुस्से को पीना पड़ा, मैं उन्हे देखने के सिवा और कुछ नही कर सका.....वो सभी मुझपर कुछ देर हँसे और चले गये...तभी वरुण के साथ वाली लड़की ,जिसने मेरे चेहरे की ये हालत की थी, मेरी नज़र उसकी गंद पर पड़ी और मैने मन ही मन मे ये शपथ ली की, "इसको तो ऐसा चोदुन्गा कि इसकी चूत और गान्ड के साथ साथ मूह से भी खून निकल जाए....
अपना नाम मेरी बीती ज़िंदगी मे सुनकर मेरे खास दोस्त वरुण ने मुझे मेरी कॉलेज लाइफ से बाहर घसीटा....
"अबे, ये 7 साल से लगातार फैल होने वाले लड़के का नाम वरुण कैसे है..."
"अब तू ये उसके बाप से पुछ, कि उसने उसका नाम वरुण क्यूँ रखा..."
"ले यार एक और पेग बना..."अरुण ने अपनी खाली ग्लास मेरी तरफ बढ़ाई, और मैने वरुण की तरफ....
"रात हो गयी क्या..."मैने उठने की कोशिश की ,लेकिन सर घूम रहा था, इसलिए वापस बैठ गया...
"दिन है बे अभी...दोपहर के 12 बज रहे है..."वरुण ने पेग बनाकर ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया और बोला"आगे बता, कॅंटीन के बाद क्या हुआ..."
"कॅंटीन के बाद..."
मुझसे यदि उस वक़्त कोई कुछ और पुछ्ता तो शायद मैं नही बता पाता, लेकिन मेरी कॉलेज मे बीती ज़िंदगी मुझे इस तरह याद थी कि रात को 12 बजे भी कोई उठा के पुच्छे तो मैं उसे बता दूं..
.
.
उस दिन कॅंटीन की हरकत ने मुझे झंझोड़ कर रख दिया, अरुण भी चुप बैठा हुआ था, मैं बुरी तरह गुस्से मे था, और जब कॅंटीन वाला हमारा ऑर्डर लेकर आया तो मैं बोला...
"अब तू ही खा बीसी..."
मैं वहाँ से गुस्से मे उठा और कॅंटीन से बाहर आ गया, अरुण भी पीछे-पीछे था...
"अरमान, रुक ना बे,..."अरुण दौड़ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और मुझे रोक कर बोला"भूल जा..."
" उस लौंडिया का क्या नाम है , बता साली को चोद के आता हूँ..."
"उसका नाम तो मुझे भी नही मालूम..."ऐसा बोलते बोलते अरुण ने मुझे गले लगा लिया, पता नही साले मे क्या जादू था की मेरा गुस्सा शांत होने लगा....
"दूर चल, मैं गे नही हूँ..."जब मेरा गुस्सा पूरी तरह शांत हो गया तो मैने कहा...
"एक बात बता, तुझे वरुण के साथ वाली लड़की माल लगी ना..."मुझसे अलग होते हुए अरुण ने मुझसे पुछा...
"माल तो है, इसीलिए तो उसका नाम पुछा"
"तो भाई, उसे भूल जा, वरना वरुण नंगा करके दौड़ाएगा..."
"वो उतनी भी हॉट नही है कि मैं उसके लिए पूरे कॉलेज मे नंगा दौड़ू...नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम "
उसके बाद हम दोनो अपनी क्लास की तरफ आए, फर्स्ट एअर की सारी क्लास आस-पास ही थी, इसलिए रिसेस मे हर ब्रांच की लड़कियो को लाइन मारा जा सकता था....हम दोनो अपनी क्लास के बाहर खड़े स्टूडेंट्स के पास जाकर खड़े हो गये,जहाँ ग्रूप बना कर कुछ लड़के बाते कर रहे थे और जैसा कि मैने सोचा था टॉपिक गर्ल्स पर ही था.....
"कहाँ गये थे यार..."नवीन ने हम दोनो से हाथ मिलाया और पुछा...
"कॅंटीन..."अरुण ने जवाब दिया...
"कॅंटीन "उसकी आँखे ना जाने कितनी बड़ी हो गई ये जान कर जब उसने सुना कि हम दोनो कॅंटीन से होकर आए है....
"क्या हुआ..."उसकी बड़ी -बड़ी आँखो को देखकर मैने पुछा...
"रॅगिंग हुई ,तुम दोनो की..."
रॅगिंग....ये सुनकर मैं और अरुण एक दूसरे की आँखो मे झाँकने लगे और सोचने लगे कि इसे क्या बोला जाए...
"नही...किसी ने रॅगिंग नही ली..."
"आज तो बच गये ,लेकिन कल से उधर मत जाना, सीनियर्स डेरा डाल के रहते है उधर...."
"तो क्या हुआ, फटी है क्या..."ये लफ्ज़ मैने ऐसे कहा, जैसे कुछ देर पहले वरुण की उस हॉट आइटम ने नही बल्कि मैने उसके फेस पर समोसा डाला हो.....
"देख भाई, जानकारी देना अपना काम था..."नवीन बोला
"वैसे और कहाँ-कहाँ ये सीनियर्स पकड़ते है हमे..."
"तीन जगह फिक्स्ड है, फर्स्ट कॅंटीन, सेकेंड सिटी बस आंड थर्ड वन ईज़ हॉस्टिल...."
हम इस मसले पर कुछ देर और भी बात करते लेकिन उसके पहले ही वहाँ खड़े लड़को मे से किसी एक ने टॉपिक को चेंज करके, अपने कॉलेज की हसीनाओ पर गोल मारा.....और इस मामले मे सबसे पहला नाम जो आया वो था दीपिका मॅम,...सब यही चाह रहे थे कि दीपिका माँ उनसे सेट हो जाए, कुछ ठर्कियो ने तो ये तक बोल दिया था कि...
"आज कॉलेज से जाने के बाद दीपिका मॅम को सोचकर 61-62 करूँगा"
"तू भी बोल ले कुछ..."अरुण ने मुझे कोहनी मारी....
"मैं तो उस फूटिए वरुण की माल को चोदुन्गा, वो भी लेटा-लेटा कर..."
"वरुण..."ये नाम सुनकर सब चुप होकर मेरी तरफ देखने लगे,..उस सब मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि मैने किसी का मर्डर करने का पब्लिक मे एलान कर दिया हो....
"मैने तो ऐसे ही बोल दिया..."मैने बात वही ख़तम करनी चाही...
"यार, ऐसे मत बोला कर, कहीं से वरुण को मालूम चल गया तो फिर पंगा हो जाएगा..."
नवीन की बाते सुनकर मैने चारो तरफ देखा और जब कन्फर्म हो गया कि ,हमारे गॉसिप को किसी ने नही सुना तो मैं बोला...
"डरता हूँ क्या, "
"देख, ज़्यादा शेर मत बनियो, वरना पॉल खुल जावेगी..."अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....
कुछ देर और कॉलेज की लड़कियो के बारे मे बाते करते हुए, हमने अपना समय बर्बाद किया और इसी बीच मुझे और भी कयी सारे फॅक्ट्स मालूम हुए जो कि हमारे कॉलेज मे बरसो से चले आ रहे थे....
1. जब तुम फर्स्ट एअर मे ही रहो ,तब ही कोई माल पटा लो,वरना पूरे 4 साल खाली हाथ से काम चलाना पड़ेगा और होंठ पर लड़की के होंठ की जगह बोरो प्लस लगा कर रहना पड़ेगा...."
2. हमारा कॉलेज सरकारी. था, इसलिए कॉलेज के प्रिन्सिपल और टीचर्स को भले ही रेस्पेक्ट ना दो ,लेकिन वहाँ काम करने वाले वर्कर और पेओन को सर कहकर बुलाना पड़ेगा, जिससे टाइम आने पर वो हमे लंबी लाइन से बचा सके....
उस दिन एक और ज़रूरी फॅक्ट जो मालूम चला वो ये था कि...
3. जब भी कोई माल पटाओ तो उसे जल्दी चोद दो, हमारे कॉलेज मे पढ़ने वालो का मानना था कि गर्लफ्रेंड को चोदने के बाद लड़किया, लड़को से किसी स्ट्रॉंग केमिकल बॉन्ड की तरह बँध जाती है....
उस दिन और भी कुछ मालूम चलता यदि रिसेस के बाद मॅतमॅटिक्स वाली मॅम ना आती तो....
"कितना बात करते हो तुम लोग,पूरे कॉरिडर मे तुम लोगो की आवाज़ आ रही है..."सामने वाली बेंच पर अपनी बुक्स रखकर मेद्स वाली मॅम ने डाइलॉग मारा....
मेद्स वाली मॅम का नाम दमयंती था, जो बाद मे हमारे बीच "दंमो रानी" के नाम से फेमस हुई
कॉलेज का पहला दिन किसी भी हिसाब से मेरे लिए ठीक नही रहा, पहले-पहल तो सीएस वाली मॅम ने मुझे बाहर भगा दिया और बाद मे कॅंटीन वाला लफडा...कॉलेज के पूरे पीरियड्स अटेंड करने के बाद ऐसा लग रहा था ,जैसे किसी ने सारी एनर्जी चूस ली हो,...
"थक गया यार..."रूम मे घुसते ही मैने अपना बॅग एक तरफ फेका और बिस्तर पर लुढ़क गया,
"चल ग्राउंड चलते है, शाम के वक़्त हॉस्टिल मे रहने वाली गर्ल्स आती है उधर..."
"गान्ड मराए गर्ल्स...मुझे तो नींद आ रही है..."
"ठीक है तू सो, मैं आता हूँ..."
मैं ज़्यादा थका हुआ था, इसलिए तुरंत नींद आ गयी, और जब मेरी नींद खुली तो अरुण मुझे उठा रहा था....
"क्या हुआ बे..."
"अबे रात के 8 बज गये..."
"तो..."मैने सोचा कुछ काम होगा.
"तो क्या..... रात के 8 बजे कोई सोता है क्या..."
"अब तू डिसाइड करेगा कि मुझे कितने बजे क्या करना है..."
"टाइम पास नही हो रहा था, तो सोचा तुझे उठाकर गप्पे-शप्पे मार लूँ...."
"टाइम पास नही हो रहा है तो जाकर मूठ मार..."और मैं वापस चादर ओढकर गहरी नींद मे चला गया.....
.
पुरानी आदत इतनी जल्दी नही बदलती, जब मैं स्कूल मे था तब अक्सर सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देता था, और उसी की बदौलत फर्स्ट अटेंप्ट मे ही मुझे बहुत ही अच्छा कॉलेज मिला था...उस दिन भी मैने 4 बजे का अलार्म सेट किया और जैसा कि पहले होता था , दूसरे दिन मेरी आँख अलार्म की वजह से सुबह 4 बजे खुल गयी, लाइट ऑन की और अरुण की तरफ देखा...अरुण आधा बिस्तर पर था और आधा बिस्तर के बाहर ही झूल रहा था....
"क्या खाक पढ़ु...कल तो सब सर के उपर से पार हो गया था..."बुक्स और नोटबुक खोलकर मैने ढेर सारी गालियाँ दी....
कुछ देर तक ट्राइ करने के बाद भी जब कोई फ़ायदा नही हुआ तो , मैने लाइट्स ऑफ की और चादर तान कर लेट गया....मेरी पुरानी आदत के अनुसार नींद तो आने से रही , इसलिए मैं कुछ सोचने लगा...जैसे कि किस टाइम पर किस सब्जेक्ट को उठाकर दिमाग़ की दही करनी है, फिर जैसे ही मेरे दिमाग़ मे सीएस सब्जेक्ट का ख़याल आया तो सबसे पहले मेरी बंद आँखो के सामने दीपिका मॅम का हसीन चेहरा और उसका हसीन जिस्म छा गया....वो मेरे सामने नही थी, लेकिन मैं उसे पूरा देख सकता था,...और इसी ख़यालात मे गोते लगाते हुए मेरा हाथ मेरे पैंट की तरफ बढ़ा और सुबह सुबह ही काम हो गया , उसके बाद जो नींद लगी वो सीधे सुबह के 8 बजे खुली....
वरुण की आइटम अपने चेयर से एक समोसा उठाकर लाई और उसका आधा टुकड़ा खाकर बाकी मेरे चेहरे पर थोप दी, उस वक़्त शायद मैं बहुत गुस्से मे था, दिल कर रहा था, कि उस लड़की को खींच कर ऐसा थप्पड़ मारू कि उसका सर ही अलग हो जाए, लेकिन गुस्से को पीना पड़ा, मैं उन्हे देखने के सिवा और कुछ नही कर सका.....वो सभी मुझपर कुछ देर हँसे और चले गये...तभी वरुण के साथ वाली लड़की ,जिसने मेरे चेहरे की ये हालत की थी, मेरी नज़र उसकी गंद पर पड़ी और मैने मन ही मन मे ये शपथ ली की, "इसको तो ऐसा चोदुन्गा कि इसकी चूत और गान्ड के साथ साथ मूह से भी खून निकल जाए....
अपना नाम मेरी बीती ज़िंदगी मे सुनकर मेरे खास दोस्त वरुण ने मुझे मेरी कॉलेज लाइफ से बाहर घसीटा....
"अबे, ये 7 साल से लगातार फैल होने वाले लड़के का नाम वरुण कैसे है..."
"अब तू ये उसके बाप से पुछ, कि उसने उसका नाम वरुण क्यूँ रखा..."
"ले यार एक और पेग बना..."अरुण ने अपनी खाली ग्लास मेरी तरफ बढ़ाई, और मैने वरुण की तरफ....
"रात हो गयी क्या..."मैने उठने की कोशिश की ,लेकिन सर घूम रहा था, इसलिए वापस बैठ गया...
"दिन है बे अभी...दोपहर के 12 बज रहे है..."वरुण ने पेग बनाकर ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया और बोला"आगे बता, कॅंटीन के बाद क्या हुआ..."
"कॅंटीन के बाद..."
मुझसे यदि उस वक़्त कोई कुछ और पुछ्ता तो शायद मैं नही बता पाता, लेकिन मेरी कॉलेज मे बीती ज़िंदगी मुझे इस तरह याद थी कि रात को 12 बजे भी कोई उठा के पुच्छे तो मैं उसे बता दूं..
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उस दिन कॅंटीन की हरकत ने मुझे झंझोड़ कर रख दिया, अरुण भी चुप बैठा हुआ था, मैं बुरी तरह गुस्से मे था, और जब कॅंटीन वाला हमारा ऑर्डर लेकर आया तो मैं बोला...
"अब तू ही खा बीसी..."
मैं वहाँ से गुस्से मे उठा और कॅंटीन से बाहर आ गया, अरुण भी पीछे-पीछे था...
"अरमान, रुक ना बे,..."अरुण दौड़ कर मेरे सामने खड़ा हो गया और मुझे रोक कर बोला"भूल जा..."
" उस लौंडिया का क्या नाम है , बता साली को चोद के आता हूँ..."
"उसका नाम तो मुझे भी नही मालूम..."ऐसा बोलते बोलते अरुण ने मुझे गले लगा लिया, पता नही साले मे क्या जादू था की मेरा गुस्सा शांत होने लगा....
"दूर चल, मैं गे नही हूँ..."जब मेरा गुस्सा पूरी तरह शांत हो गया तो मैने कहा...
"एक बात बता, तुझे वरुण के साथ वाली लड़की माल लगी ना..."मुझसे अलग होते हुए अरुण ने मुझसे पुछा...
"माल तो है, इसीलिए तो उसका नाम पुछा"
"तो भाई, उसे भूल जा, वरना वरुण नंगा करके दौड़ाएगा..."
"वो उतनी भी हॉट नही है कि मैं उसके लिए पूरे कॉलेज मे नंगा दौड़ू...नाउ कॉन्सेंट्रेट ओन्ली ऑन दीपिका मॅम "
उसके बाद हम दोनो अपनी क्लास की तरफ आए, फर्स्ट एअर की सारी क्लास आस-पास ही थी, इसलिए रिसेस मे हर ब्रांच की लड़कियो को लाइन मारा जा सकता था....हम दोनो अपनी क्लास के बाहर खड़े स्टूडेंट्स के पास जाकर खड़े हो गये,जहाँ ग्रूप बना कर कुछ लड़के बाते कर रहे थे और जैसा कि मैने सोचा था टॉपिक गर्ल्स पर ही था.....
"कहाँ गये थे यार..."नवीन ने हम दोनो से हाथ मिलाया और पुछा...
"कॅंटीन..."अरुण ने जवाब दिया...
"कॅंटीन "उसकी आँखे ना जाने कितनी बड़ी हो गई ये जान कर जब उसने सुना कि हम दोनो कॅंटीन से होकर आए है....
"क्या हुआ..."उसकी बड़ी -बड़ी आँखो को देखकर मैने पुछा...
"रॅगिंग हुई ,तुम दोनो की..."
रॅगिंग....ये सुनकर मैं और अरुण एक दूसरे की आँखो मे झाँकने लगे और सोचने लगे कि इसे क्या बोला जाए...
"नही...किसी ने रॅगिंग नही ली..."
"आज तो बच गये ,लेकिन कल से उधर मत जाना, सीनियर्स डेरा डाल के रहते है उधर...."
"तो क्या हुआ, फटी है क्या..."ये लफ्ज़ मैने ऐसे कहा, जैसे कुछ देर पहले वरुण की उस हॉट आइटम ने नही बल्कि मैने उसके फेस पर समोसा डाला हो.....
"देख भाई, जानकारी देना अपना काम था..."नवीन बोला
"वैसे और कहाँ-कहाँ ये सीनियर्स पकड़ते है हमे..."
"तीन जगह फिक्स्ड है, फर्स्ट कॅंटीन, सेकेंड सिटी बस आंड थर्ड वन ईज़ हॉस्टिल...."
हम इस मसले पर कुछ देर और भी बात करते लेकिन उसके पहले ही वहाँ खड़े लड़को मे से किसी एक ने टॉपिक को चेंज करके, अपने कॉलेज की हसीनाओ पर गोल मारा.....और इस मामले मे सबसे पहला नाम जो आया वो था दीपिका मॅम,...सब यही चाह रहे थे कि दीपिका माँ उनसे सेट हो जाए, कुछ ठर्कियो ने तो ये तक बोल दिया था कि...
"आज कॉलेज से जाने के बाद दीपिका मॅम को सोचकर 61-62 करूँगा"
"तू भी बोल ले कुछ..."अरुण ने मुझे कोहनी मारी....
"मैं तो उस फूटिए वरुण की माल को चोदुन्गा, वो भी लेटा-लेटा कर..."
"वरुण..."ये नाम सुनकर सब चुप होकर मेरी तरफ देखने लगे,..उस सब मुझे ऐसे देख रहे थे जैसे कि मैने किसी का मर्डर करने का पब्लिक मे एलान कर दिया हो....
"मैने तो ऐसे ही बोल दिया..."मैने बात वही ख़तम करनी चाही...
"यार, ऐसे मत बोला कर, कहीं से वरुण को मालूम चल गया तो फिर पंगा हो जाएगा..."
नवीन की बाते सुनकर मैने चारो तरफ देखा और जब कन्फर्म हो गया कि ,हमारे गॉसिप को किसी ने नही सुना तो मैं बोला...
"डरता हूँ क्या, "
"देख, ज़्यादा शेर मत बनियो, वरना पॉल खुल जावेगी..."अरुण मेरे कान मे फुसफुसाया....
कुछ देर और कॉलेज की लड़कियो के बारे मे बाते करते हुए, हमने अपना समय बर्बाद किया और इसी बीच मुझे और भी कयी सारे फॅक्ट्स मालूम हुए जो कि हमारे कॉलेज मे बरसो से चले आ रहे थे....
1. जब तुम फर्स्ट एअर मे ही रहो ,तब ही कोई माल पटा लो,वरना पूरे 4 साल खाली हाथ से काम चलाना पड़ेगा और होंठ पर लड़की के होंठ की जगह बोरो प्लस लगा कर रहना पड़ेगा...."
2. हमारा कॉलेज सरकारी. था, इसलिए कॉलेज के प्रिन्सिपल और टीचर्स को भले ही रेस्पेक्ट ना दो ,लेकिन वहाँ काम करने वाले वर्कर और पेओन को सर कहकर बुलाना पड़ेगा, जिससे टाइम आने पर वो हमे लंबी लाइन से बचा सके....
उस दिन एक और ज़रूरी फॅक्ट जो मालूम चला वो ये था कि...
3. जब भी कोई माल पटाओ तो उसे जल्दी चोद दो, हमारे कॉलेज मे पढ़ने वालो का मानना था कि गर्लफ्रेंड को चोदने के बाद लड़किया, लड़को से किसी स्ट्रॉंग केमिकल बॉन्ड की तरह बँध जाती है....
उस दिन और भी कुछ मालूम चलता यदि रिसेस के बाद मॅतमॅटिक्स वाली मॅम ना आती तो....
"कितना बात करते हो तुम लोग,पूरे कॉरिडर मे तुम लोगो की आवाज़ आ रही है..."सामने वाली बेंच पर अपनी बुक्स रखकर मेद्स वाली मॅम ने डाइलॉग मारा....
मेद्स वाली मॅम का नाम दमयंती था, जो बाद मे हमारे बीच "दंमो रानी" के नाम से फेमस हुई
कॉलेज का पहला दिन किसी भी हिसाब से मेरे लिए ठीक नही रहा, पहले-पहल तो सीएस वाली मॅम ने मुझे बाहर भगा दिया और बाद मे कॅंटीन वाला लफडा...कॉलेज के पूरे पीरियड्स अटेंड करने के बाद ऐसा लग रहा था ,जैसे किसी ने सारी एनर्जी चूस ली हो,...
"थक गया यार..."रूम मे घुसते ही मैने अपना बॅग एक तरफ फेका और बिस्तर पर लुढ़क गया,
"चल ग्राउंड चलते है, शाम के वक़्त हॉस्टिल मे रहने वाली गर्ल्स आती है उधर..."
"गान्ड मराए गर्ल्स...मुझे तो नींद आ रही है..."
"ठीक है तू सो, मैं आता हूँ..."
मैं ज़्यादा थका हुआ था, इसलिए तुरंत नींद आ गयी, और जब मेरी नींद खुली तो अरुण मुझे उठा रहा था....
"क्या हुआ बे..."
"अबे रात के 8 बज गये..."
"तो..."मैने सोचा कुछ काम होगा.
"तो क्या..... रात के 8 बजे कोई सोता है क्या..."
"अब तू डिसाइड करेगा कि मुझे कितने बजे क्या करना है..."
"टाइम पास नही हो रहा था, तो सोचा तुझे उठाकर गप्पे-शप्पे मार लूँ...."
"टाइम पास नही हो रहा है तो जाकर मूठ मार..."और मैं वापस चादर ओढकर गहरी नींद मे चला गया.....
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पुरानी आदत इतनी जल्दी नही बदलती, जब मैं स्कूल मे था तब अक्सर सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई शुरू कर देता था, और उसी की बदौलत फर्स्ट अटेंप्ट मे ही मुझे बहुत ही अच्छा कॉलेज मिला था...उस दिन भी मैने 4 बजे का अलार्म सेट किया और जैसा कि पहले होता था , दूसरे दिन मेरी आँख अलार्म की वजह से सुबह 4 बजे खुल गयी, लाइट ऑन की और अरुण की तरफ देखा...अरुण आधा बिस्तर पर था और आधा बिस्तर के बाहर ही झूल रहा था....
"क्या खाक पढ़ु...कल तो सब सर के उपर से पार हो गया था..."बुक्स और नोटबुक खोलकर मैने ढेर सारी गालियाँ दी....
कुछ देर तक ट्राइ करने के बाद भी जब कोई फ़ायदा नही हुआ तो , मैने लाइट्स ऑफ की और चादर तान कर लेट गया....मेरी पुरानी आदत के अनुसार नींद तो आने से रही , इसलिए मैं कुछ सोचने लगा...जैसे कि किस टाइम पर किस सब्जेक्ट को उठाकर दिमाग़ की दही करनी है, फिर जैसे ही मेरे दिमाग़ मे सीएस सब्जेक्ट का ख़याल आया तो सबसे पहले मेरी बंद आँखो के सामने दीपिका मॅम का हसीन चेहरा और उसका हसीन जिस्म छा गया....वो मेरे सामने नही थी, लेकिन मैं उसे पूरा देख सकता था,...और इसी ख़यालात मे गोते लगाते हुए मेरा हाथ मेरे पैंट की तरफ बढ़ा और सुबह सुबह ही काम हो गया , उसके बाद जो नींद लगी वो सीधे सुबह के 8 बजे खुली....