माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

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The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:38

मैनें रीमा के नंगे बदन के तरफ देखा उसका मदमस्त रुप और बदन देख कर फैसला करना आसान हो गया। मैं बडी उमर की औरत का दिवाना था और रीमा के रूप मैं मुझे बहुत ही मस्त माल मिल रहा था तो मैं कैसे छोड सकता था। मैंने रीमा के हाथ अपने हाथ मे लिये और उनको चूमता हुआ बोला मुझे मंजूर है माँ मैं आज ही अपनी बॉस को फोन कर के बता देता हूँ की मैं नौकरी छोड रहा हूँ। हाँ माँ मैं तैयार हूँ तुम्हारे साथ दिल्ली मे रहने को। मेरी बात सुनकर रीमा की आँखो मे चमक आ गयी और वह मुस्कुरा कर बोली ठीक है तो चल अभी फोन कर अपनी बॉस को और बोल के तू नौकरी छोड रहा है। मैं अभी फोन तुझे ला कर देती हूँ। रूम मे कोर्डलस फोन था रीमा उठ कर अपने चूतड मटकाते हुये टेबल तक गयी और फोन उठा लायी। उसके मटकते चूतड का नजारा मेरे लिये जन्नत के नजारे से कम नंही था। फोन मुझे देते हुये बोली ले कर फोन अपनी बॉस को और हाँ तू चिंता मत कर जाने से पहले मैं तुझको सब कुछ बताउंगी की मैं तुझको कैसे रखूंगी अपने पास मेरे मन की सारी बात तुझे बता दूंगी अगर तुझे पंसद ना हो तो तू मना कर देना पर मुझे पूरा यकिन है की तू जरुर आयेगा दिल्ली इसिलिये तेरे से फोन करा रही हूँ। अब मैं भी मस्त हो चुका था और रीमा के साथ रहने की बात से ही मैं खुश था मैंने अपनी बॉस को फोन किया और बोला मैं नौकरी छोड रहा हूँ पहले तो उसने मुझे मनाने के बहुत कोशिश की नौकरी मत छोडो पर फिर मान गयी और बोली ठीक है पर हम लोग तुम्को बहुत याद करेगें। सोमवार को आकर मुझसे बात करना तुम्हारा जल्दी ही छुट्टी करा दूंगी तकी तुम्को दिक्कत ना हो। मैंने उसको धन्यवाद किया और फोन काट दिया।

जब मैं फोन कर रहा था रीमा मेरे लंड को पकड कर खेल रही थी कभी मुँह मे लेकर चूसती तो कभी चाटती और कभी मेरे बाल्स को चाटती। और पूरे समय उसने मुझे बिल्कुल गर्म रखा। जब मैंने फोन रखा तो वह बहुत खुश हुयी और बोली चलो अब तुम्हारी जिंदगी का अच्छा समय शुरु हो रहा है। मैं आज बहुत खुश हूँ मुझे तेरे जैसे गुलाम की ही जरुरत थी और आज मेरी वह जरूरत पूरी हो गयी। रीमा मेरी गोद मैं बैठ गयी और मेरे गले मे हाथ डाल कर मेरे होंठों को चूम लिया। चल बेटा आज तुझे और ऐसे मजे कराउंगी की याद रखेगा। पर तेरे लिये तो आज दोहरी खुश खबरी है तू बडी उमर की औरतो का रसिया है ना और वह भी ऐसी औरत जो थोडी मोटी और भारी बदन के औरत हो जैसे की मैं। हाँ माँ वह तो मैं हूँ। अगर तेरे को ऐसी जगह नौकरी करने को मिले जंहा पर तेरे बॉस कोई मेरे जैसी औरत हो। तब तो माँ मैं काम ही नंही कर पाऊंगा सारे दिन मेरा लंड खडा रहेगा और खडे लंड के साथ मैं कैसे काम करूगाँ। पर अगर तेरा काम ऐसा हो जिसमे तुझे अपना लंड खडा ही रखना हो तो। ऐसे काम का मतलब तो ये हुआ की मेरे काम मे मुझे चुदायी करनी होगी। बिल्कुल सही मेरे लाल मेरा हाथ अपने मम्मो पर रखते हुये रीमा बोली। चल जरा इनको मसल और मैं उसकी चूचीयाँ मसलने लगा। मैंने तेरे लिये ऐसा ही काम ढूंढ लिया है। मेरी एक सहेली है माला जो दिल्ली मे एक कम्पनी चलाती है वह विधवा है। तो उसको तेरे जैसे जवान लंड के सख्त जरूरत है तकी वह उसकी चूत की भूख मिटा सके। मैंने उससे बात कर ली है और तेरी नौकरी उसकी यहाँ पक्की कर दी है। तेरा काम होगा उसकी चूत की सेवा करना दिनभर ओफिस मे जैसे वह कहे। बोल है न मस्त नौकरी।

बोल करेगा मेरी सहेली के यहाँ नौकरी। मैं रीमा की चूचियाँ जोर जोर से मसल रहा था जिसका असर उस पर हो रहा था उसकी चूत गीली हो रही थी जिस्से मेरी जांघे भी गीली हो रही थी। माँ जब मैंने अपने आप को आपका गुलाम मान लिया है तो फिर मुझसे पूछने की कोई जरूरत नंही आप जैसा कहोगी मैं वैसा करूंगा और अगर मैं कुछ काम पूरा नंही कर पाया तो आप जो सजा दोगी मुझे मंजूर है। तो ठीक है तो आज अभी से मैं तुझसे कुछ नंही पूछूंगी सिर्फ हुक्म दूंगी। वैसे भी मैंने माला को हाँ कह दी थी।

बिल्कुल ठीक किया माँ तुमने जब मैं अपका गुलाम बन ही चुका हूँ तो मेरी इच्छा कोई मायने नंही रखती आप को जो ठीक लगे करीये माँ। रीमा की बडी बडी चूचीयाँ दबाते हुये मैंने कहा। रीमा ने मेरा लंड अपने बदन से दबा रखा था और वह भी मस्ती मैं मचल रहा था। चल कल मैंने तुझको लंड काबू मे रखने की शिक्षा दी थी आज तेरी परीक्षा है। आज तुझे बिना झडे पूरे दिन मेरी चूत की सेवा करनी होगी तभी रात को झडने दूंगी और अगर तो बीच मे ही झड गया तो तेरा लंड नाडे से बांध कर रखूगी जब तक मैं यहाँ हूँ और झडने नंही दूगी समझ गया। हाँ माँ मैं बिल्कुल बिना झडे आज आपकी सेवा करूंगा तूने मुझे कल इतना मजा दिया इसलिये मैंने तेरे लिये एक इनाम भी सोच रखा है मुझे पता है कि तुझे इनाम बहुत पंसद आयेगा। आपने कुछ अच्छा ही सोचा होगा माँ मैंने रीमा की घुडी मसलते हुये कहा। हाँ बहुत ही मस्त सोचा है मैंने तेरे लिये। चल अब बहुत खेल लिया मेरी चूचीयो से मेरी चूत भी एक दम गीली कर दी तूने। मैंने अपने आप को कितनी देर से रोक के रखा है पर अब नंही रुका जा रहा अब मुझे मूतना है चल लेट जा बिस्तर पर मैं तुझे अपनी चूत का शरबत पीलाऊगी। मूत पीने के नाम से ही मेरा लंड मचल गया। मूत मेरे लिये किसी शराब से कम नंही था और मेरे लिये रुकना बिल्कुल नमुमकिन था। रीमा जल्दी से मेरी गोदी से उतर कर खडी हो गयी और मैं बिस्तर पर लेट गया। रीमा आयी और मेरे चहरे के दोनो और अपने पैर रख कर खडी हो गयी। फिर औरत जैसे पेशाब करती है ऐसे बैठ गयी।

क्रमशः..................

The Romantic
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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:39

गतांक आगे ...................

रीमा के चूत का खुला मुँह एकदम मेरी आँखो के सामने था। चल तैयार हो जा मुँह खोल अब मैं मूतूंगी। मैंने अपना मुँह खोल दिया। रीमा ने अपने चूतड थोडे से हिलाये जिससे रीमा की चूत एक दम मेरे मुँह से सट गयी और रीमा ने थोडा जोर लगाया और रीमा के मूत के छिद्र से मूत की धार बह निकली। जो सीधा मेरे मुँह मे गीरी मैंने रीमा की मूत पीना शुरु कर दिया। मूत कुछ ज्यादा ही गर्म था श्याद इतनी देर से रीमा के पेट में जो था। रीमा रूक कर मूत रही थी जिससे पूरा स्वाद लेकर मैं मूत पी संकू मैं रीमा का मूत अपने मुँह मे भरता और रीमा रुक जाती और मैं मूत को पूरा मुँह मे घुमा कर उसका स्वाद लेता और फिर धीरे उसे अपने गले के नीचे उतर देता। अब तो मैं रीमा के मूत का दिवान हो गया था। और मुझे पता था रीमा अब कभी भी बाथरूम मैं नही मूतेगी मुझे ही हमेशा उसका मूत पीना पडेगा और हो सकता है उसकी सहेलियो का भी और अगर रीमा मुझे बोलेगी तो मुझे और भी मजा आने वाला था क्योकी अब मैं बिना मूत पीये नंही रह सकता था। पर रीमा का मूत मेरे लिये पीला अम्रत था क्योकी मैं रीमा को अपनी माँ मानता था और माँ की चूत से निकला प्रसाद किसी अम्रत से कम थोडी होता है।

रीमा इसी तरह रूक कर मूतती रही और मुझे अपना मूत पीलाती रही। रीमा की उत्तेजना बहुत ही बढ चुकी थी जोर उसके चहेरे से साफ जाहिर था। जिस तरह से वह मुस्कुरा रही थी और अपनी घुडियो से खेल रही थी वह बहुत ज्यादा ही गर्म हो चुकी थी। रीमा ने करीब १० मिनट तक मेरे मुँह मे मूता बहुत ज्यादा मूत जमा हो गया था रीमा के पेट मे कल रात से और अब तो दोपहर हो रही थी। जब रीमा ने मूतना बंद किया तो थोडा सा मूत मेरे गले और छाती पर छलक गया पर कुछ बूंदे ही। अभी भी कुछ बूंदे रीमा की चूत पर लगी थी मैंने अपने मुँह उपर उठाया और रीमा की चूत अपने मुँह मे भर ली और उसकी चूत पर लगी मूत की बूंदे चाट कर साफ कर दी। एक एक बूंद पीने का बाद ही मैंने रीमा की चूत को छोडा हाय रे मेरे लाडले तूने तो कुछ जादू कर दिया मुझ पर जब तू मेरे साथ रहेगा तो मुझे नंही लगता मैं चुदने चूदाने के अलावा कुछ कर पाऊंगी। तुझे मूत पीला कर मुझे ऐसा लगाता है की जो मैं तुझे दूध नंही पीला पायी उसकी कमी पूरी कर रही हूँ रीमा ने प्यार से मेरे बालो मैं हाथ फेरते हुये कहा मेरे हाथ भी रीमा के चूतडो पर चल रही थे मैं उसके चूतडो को प्यार से सहला रहा था।

चल कफी देर हो चुकी है तूने तो मूत पीकर अपना पेट भर लिया पर मुझे भूख लगी है मैंने लंच का ऑडर पहले से ही दे दिया था चल आता होगा। रीमा ने उठते हुये कहा चल बाहर चल कर बैठते है। मैं और रीमा उठ कर बाहर आकर बैठ गये तभी दरवाजे पर बेल बजी जा लगता है तेरा ईनाम आ गया जाकर दरवाजा खोल और जो औरत लंच लेकर आयी है उसे अंदर लेकर आ वही तेरा ईनाम है। मैंने कहा माँ पर मैं तो नंगा हूँ ऐसे बाहर जाऊगा तो वह चिलायेगी अरे पगले उसे पता है की तू नंगा ही उसे लेने आने वाला है ठीक है चिंता मत कर जा और अपना ईनाम ले ले आज उसके साथ भी मजा लेना समझा। मेरा लंड तो दूसरी औरत को चोदने का सोच कर ही खडा हो गया। मैं रूम के डोर तक गया और की होल से झाँक कर देखा बाहर काले रंग की एक औरत थी। मैंने सोचा श्याद यही औरत होगी जिसके बारे मे रीमा बोल रही थी। मैंने रूम का दरवाजा थोडा सा खोला और बाहर चेहरा निकाल कर देखा हाय दीपक कैसे हो मैं रजनी तुम्हारी रीमा माँ ने मुझे बुलाया है। अब तो मुझे विश्वास हो गया की यही औरत मेरा ईनाम है।


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Re: माँ बेटे का अनौखा रिश्ता

Unread post by The Romantic » 30 Oct 2014 13:40

बाहर और कोई नही था और मैं दरवाजा खोल कर खद हो गया मेरा लंड एक दम खडा था रजनी खाने के ट्राली लेकर अंदर आ गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया। रजनी ने होटल की वेट्रस की ड्रेस पहन रखी थी। जो की एक काले रंग की बहुत ही तंग स्कर्ट जिसमे बगल में एक सिल्ट था। वह स्कर्ट उसके बदन से एक दम चिपकी हुयी थी। रजनी भी रीमा की तरह एक भरे जिस्म के औरत थी और लगता था उसकी जाँघे मोटी थी क्योकी वह स्कर्ट के अंदर बडी मुश्किल से समा रही थी। रजनी ने ५ इंच हील की काले रंग की सैडल पहन रखी थी वह भी पेंसिल हील। और उसने काले रंग की स्टाकिंग भी पहन रखी थी। उसके उपर उसने सफेद रंग की स्लीवलस कमीज पहन रखी थी। उसकी कमीज के आगे के ३ बटन खुले हुये थी जिससे उसकी चूचीयो का कटाव साफ दिखायी दे रहा था। साथ ही साथ उसकी सफेद रंगी ब्रा भी दिख रही थी। ये बटन श्याद उसने जानबूझ कर खोले थे। उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी उसके लंबे बाल जूडे में बंधे थे उसकी चूचीया भी रीमा की तरह भारी थी। उसकी बडी चूचीयाँ उसकी कमीज में नही समा पा रही थी। रजनी ने गले मे एक मोतीयो के माला पहन रखी थी जो उसकी चूचीयो तक आ रही थी। रजनी खाने की ट्रे लेकर आगे बढी तो मुझे पीछे से रजनी का चूतड दिखायी दिया। क्या मस्त चूतड था रजनी का रीमा से भी भारी चूतड थे रजनी के मैं तो उसके चूतड नंगे देखने ले लिये मचल उठा और वह जब हाय हील के सैडल पहन कर चल रही थी तो उसके चूतड मस्त मटक रहे थे। मैं भी रजनी के पीछे चलने लगा और मेरी नजर उसके चूतडो पर ही थी रजनी ने पीछे मुड कर कहा तो मेरे चूतड निहार रहे हो दीपक बेटा तुम्हारी माँ से बडे है मेरे और मस्त भी। बडा मजा देंगे तुमको।

रजनी ट्राली को डायनिंग टेबल तक ले गयी और उसे वंहा खडा कर दिया फिर रीमा के तरह मुड कर बोली लो दीदी ले आयी आपका खाना। बडा ही मस्त छोकरा है तुम्हारा दीदी क्या लंड है इसका देखो और बहुत ही चुदक्क्ड है साला आते ही मेरे चूतड निहार रहा था। रजनी रीमा के पास गयी और रीमा ने भे उसको गले लगा लिया मैं भी दूर से दोनो को मिलते हुये देख रहा था एक नंगी देह और दूसरी कपडो मे लिपटी आग मेरे लंड का तो बुरा हाल था और रीमा ने कहा था की मैं अपने लंड को सम्भाल के रखू नंही तो मेरा क्या हाल होगा उससे मेरा बदन सिहर गया था। दोनो की चूचीयाँ आपस में चिपक गयी थी। दोनो के चूचीयाँ दूसरे की चूचीयो के दबाने के कोशिश कर रही थी। गले मिलने के बाद दोनो ने अपने होंठ दूसरे के होंठों पर रखे और चूम लिया चुम्बन ज्यादा गहरा नंही था पर मेरे लिये यह पहला अनुभव था औरतो को आपस में चुम्बन लेते हुये देखने का। तेरी शिफ्ट खत्म हो गयी क्या रीमा ने पूछा हाँ और आज मेरी छुट्टी है तो कल सुबह तक मैं फ्री हूँ चुदने चूदाने के लिये। और तू ऐसे ही अपनी कमीज के बटन खोल के आ गयी रास्ते मैं किसी ने पूछा नंही तुझसे अरे अभी तेरे दरवाजे पर आकर खोले है मैं तो पूरी उतार कर आना चाहाती थी पर क्या करूं मुझे डर था कि कंही तेरा ये बेटा मेरी चूचीयाँ देख कर डर न जाये इसलिये सिर्फ तीन बटन खोले मैंने। और देख ३ बटन खोलने का ही तेरे बेटे के लंड का क्या हाल है सीधे ब्रा में छुपी चूचीयाँ दिखाती तो क्या हाल होता बिना छुये ही झड जाता बेचारा। और इसका सारा माल बर्बाद हो जाता इस जवान माल को हम इस तरह बर्बाद थोडी होने देते बोलो। धीरे धीरे खोल कर दिखायेंगे इसको जिससे इसे मजा आये और हमें भी रजनी ने कहा। रीमा ने रजनी की चूची उपर से ही दबाते हुये कहा हाँ मेरी जान तू ठीक कह रही है बडा मजा लेंगे इस लौंडे के साथ।

रजनी के हाथ भी रीमा पर चल रहे थे और वह रीमा की नंगी चूचीयो से खेल रही थी। और प्यार से उनको सहला रही थी। चल अब बहुत गर्म हो गये हम दोनो चल मैं अब खाना लगाती हूँ मिल कर खायेंगे। ठीक है। चल रे दीपक अपनी माँसी की मदद कर रीमा ने कहा ये मेरे बहन जैसी है तो तेरी माँसी हुयी न और इसकी चूत तेरे लंड की माँसी आज हम दोनो बेटो का उनकी माँसीयो से मिलन करायेंगे। वैसे तेरी माँसी मस्त है न हाँ माँ बहुत ही मस्त माँसी है चल फिर अपनी माँसी से गले मिल ले पहले अभी तक नंही मिला ना हा माँ चल रजनी जरा गले तो लग मेरे नंग धडंग बेटे से। रजनी ने थोडा आगे बढ कर अपने हाथ खोल लिये और मुझे गले लगने को कहा मैं चल कर रजनी के पास तक गया मेरा लंड उपर निचे हिल रहा था फिर मैंने रीमा की बाँहो के निचे से हाथ डाल कर रजनी को गले लगा लिया। रजनी ने भी मुझे अपनी बाँहो मे भर लिया आजा मेरे लाल लग जा गले अपनी माँसी के। रजनी ने कस के मुझे अपनी बाँहो मे जकड लिया था और उसकी मोटी चूचियाँ मेरी छाती मे चिपक कर दब गयी थी। मेरे हाथ रजनी की पीठ पर चल रहे थे और उसके माँसल बदन का अहसास मे अपने हाथो से कर रहा था। रजनी भी अपने हाथ मेरी पीठ पर चला कर मेरे नंगे बदन को महसूस कर रही थी। मेरा लंड एक दम तन कर खडा था और रजनी की स्कर्ट में छेद बनाने की कोशिश कर रहा था।


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