हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

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raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:41

फ़ोन-सेक्स


यह कहानी मेरे अनुभव और भावनाओं को व्यक्त करती है। मैं शशांक, उम्र 25 वर्ष, कद 5'11", दिल्ली का रहने वाला हूँ।
मेरे मन में हमेशा सेक्स करने की इच्छा रहती है सबकी तरह, पर मैं रोज उसमें कुछ नया और अच्छा करने की कोशिश करता रहता हूँ।
मैं देखने में पता नहीं कैसा लगता हूँ पर हाँ, लड़कियाँ हमेशा मुझे पर नजर गड़ाए रहती हैं। मुझे अब तक यही सुनने को मिला है कि मैं सबसे सेक्सी लड़का हूँ।
यह कहानी मेरी गर्लफ्रेंड की है जिसकी अब किसी और से शादी हो चुकी है, उसी ने मुझसे प्रथम प्रणय-निवेदन किया था। तब वो 22 साल की और मैं 23 का था।
और मैंने हाँ बोल दिया था क्योंकि मेरे मन में भी उसके लिए भावनाएँ थी पर ग़लत नहीं। वो देखने में बहुत ही सुंदर है, कद 5'5", रंग गोरा चेहरा परी की तरह और तनाकृति 32-28-32
वो मुझ पर जान देती थी। मैं उससे फोन पर घंटों बात करता पर मिलना कम ही हो पाता था। हम दोनो अपने अपने परिवारों के कारण बस दूर से ही एक दूसरे को देख पाते थे पर एक दूसरे से ना मिल पाने के कारण हम दोनों के मन में आकर्षण बढ़ता जा रहा था।
और एक दिन उसने व्रत रखा करवा चौथ का।
शाम को फोन पर बोली- मैं व्रत कैसे खोलूँ?
मैंने कहा- तुम्हारे पास मेरा फोटो है, उसे देख कर !
वो बोली- वो तो कर लूँगी पर पानी कैसे पिलओगे?
मैंने कहा- तुम फोन करना मैं कुछ करूँगा।
उसने शाम को फोन किया और मैंने दिन भर सोचा था पर मुझे कुछ समझ नहीं आया था।
तब तक उसका फोन आ गया- वो फोटो मैंने देख लिया है ! अब मुझे पानी कैसे पिलाओगे?
मैंने फिर सोचा, अचानक मेरे दिमाग़ की बत्ती जली और मुझे एक आइडिया आया, मैंने कहा- तुम्हारा मुँह ही तो जूठा करना है आज ! मैं तुम्हें चूम लेता हूँ ! तुम अपना व्रत खोल लो।
वो शरमा गई और कुछ नहीं बोली।
और हमने फोन पर ही अपना पहला चुम्बन किया। उसके बाद पता नहीं मुझे और उसे क्या हो गया कि हम दोनों एक दूसरे के लिए तड़पने लगे।
एक दिन आख़िर हमें मौका मिला और हम मिले और सिर्फ़ एक दूसरे का हाथ पकड़ कर एक दूसरे की आँखों में देखते रहे। तब उसकी मम्मी आने वाली थी, सो वो चली गई।
फिर फोन पर हमारी बात हुई, उसने पूछा- आपने मुझे बाहों में क्यों नहीं लिया?
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी आने वाली थी ना ! तो मुझे तुम्हें जल्दी ही छोड़ना पड़ता। मैं तुम्हें हमेशा अपने से चिपकाए हुए रखना चाहता हूँ।
वो शरमा गई। फिर हम दोनो इसी तरह बातें करते रहे और बातों में ही बहुत खुल गये। वो अपनी निजी बातें भी मुझसे करने लगी।
एक दिन वो बहुत गर्म हो रही थी और मेरे से मिलकर सेक्स करने की इच्छा (शादी के बाद) जता रही थी पर साथ में अफ़सोस भी कि हम अभी नहीं मिल सकते।
उसी वक़्त मैंने उससे उसके बदन का नाप पूछा और चुचूकों का रंग भी।
उसने कहा- आप खुद ही देख लेना..
अचानक हम दोनों को पता नहीं क्या हुआ, हमने बातों में ही फोन सेक्स शुरु कर दिया।
जो इस प्रकार था...
शशांक : मैं तुम्हें हग करना चाहता हूँ.....
वो : करो ना.... पूछो मत...... मैं आपकी ही हूँ।
शशांक : मेरी आँखो में देखो....महसूस करो...
वो : देख रही हूँ....
शशांक : मैं तुम्हारे होठों को देख रहा हूँ...
वो : हाँ...
शशांक : मैं तुम्हें कंधों से पकड़ रखा है। अब मैं तुम्हारे बाल चेहरे से हटा रहा हूँ और धीरे से अपने होंठ तुम्हारे होंठों की तरफ ला रहा हूँ, फील इट, युअर आइज हस बिन क्लोस्ड...न माई लिप्स आर गोयिंग टू मीट विद यूअर लिप्स...
वो : ह्म्*म्ममममम करो ना प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़
शशांक : बॅट मैंने किस नहीं किया...
वो : करो नाआआआअ...
शशांक : मैंने सिर्फ़ अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसकी टिप से तुम्हारे होंठो को छुआ। लिक कर रहा हूँ....
वो : उमौमौममौमौमा....... आइयी कॅन फील यू शशंकककक
शशांक : अब मेरे हाथ तुम्हें हग कर चुके हैं ! मैं तुम्हारी कमर पर टॉप के ऊपर सहला रहा हूँ...फील कर रही हो नाआआ माइ लाइफ माइ जान..........
वो : हाँ....
शशांक : अब तुमने अपने हाथ से मेरी शर्ट को जींस से निकाल कर मेरी कमर पर सहलाना शुरु कर दिया है।
वो : और मैँने तुम्हे ज़ोर से हग कर लिया है और स्मूच कर रही हूँ ! मैं मर जाऊँगी शशाआआआन्क्क्क्क !
शशांक : ऐसे नहीं मरने देंगे अपनी जान को ! हम साथ में मरेंगे... मैंने धीरे से तुम्हारी आइज पर किस किया और तुम ने अपनी आँखें खोली और अब शरमा रही हो
वो : मुझे कुछ हो रहा है...
शशांक : अब मैंने तुम्हारे लिप्स पर एक छोटा सा किस किया और अपने हाथ से तुम्हारी गर्दन पर से बाल पीछे कर दिए कान के ऊपर से और अपने लिप्स तुम्हारे गले पर रख दिए
वो : मेरे रोए खड़े हो रहे हैं ! मैं मर जाऊँगी.. प्लज़्ज़्ज मेरे पास आ जाओ नाआआ....
शशांक : मैं वहीं हूँ तुम्हारे पास......अब मैंने तुम्हारे पीछे जा कर हग कर लिया है...और अब मैं तुम्हारे कान की लटकन को चूस रहा हूँ....
वो : उम्म्ममम शाआ शाआअंकक
शशांक : मेरा हाथ तुम्हारे दिल के पास हैं मैं तुम्हारी गरदन और कान को चाट रहा हूँ ! मेरा दूसरा हाथ तुम्हारी नाभि के पास है.... और मैं टॉप को थोड़ा सा ऊपर कर पेट पर हाथ फ़िरा रहा हूँ ! अब धीरे धीरे ऊपर करके बूब्स को अपने हाथों से ढक लिया है ! होंठों से गले को लगातार किस कर रहा हूँ....
वो : मुझे तुम्हारे कपड़े तो निकालने दो ! तुमने मेरा टॉप तो निकाल दिया है......
शशांक : हाँ निकालो ना प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़
फिर उसने बातों से मेरे कपड़े निकाल दिए
फिर मैंनें आगे कहा- और अब मेरे तुम्हारे बीच सिर्फ़ ब्रा है, मैंनें पीछे से हग किया हुआ है और तुम्हारी कमर को चाट रहा हूँ ! पर यह ब्रा की हुक स्ट्रीप बीच में आ रही है...
वो : उसे निकाल दो ना प्लज़्ज़्ज़
शशांक : मेरे हाथ तुम्हारे कंधे पर हैं ! मैं पीछे और मैंने धीरे से हाथ बूब्स की ओर बढ़ाने शुरु कर दिए हैं और वक्ष की उंचाइयों पर अपने हाथ ले जा रहा हूँ....
वो : ह्म्*ममम उम्म्म्म
शशांक : मैं तुम्हारे दिल की धड़कन को फील कर सकता हूँ ! अब मैं सामने आकर तुम्हारे कंधे को चूम रहा हूँ ! पर यह ब्रा की स्ट्रीप बीच मे आ रही है.... मैंने दातों के बीच इसे फंसा कर कंधे से नीचे उतार दिया पर सिर्फ़ एक तरफ़ का... फिर अपने लिप्स को तुम्हारे बूब्स के ऊपर ला रहा हूँ लिक करते हुए
वो : उफ्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह
शशांक : मैंने बूब निकाल लिया है दूसरे को ब्रा के अंदर ही हाथ से पकड़ लिया है अब जीभ से तुम्हारे चुचूक को खोज रहा हूँ, उधर उंगली से....
वो : देखो... ये रहे..... जानुउउउउउ.....
शशांक : अहहह मिल गये निप्पल......मैंने सिर्फ़ ज़ीभ की टिप से निपल को छुआ है।
वो : ये कड़ा हो रहा है..............ह्म्*म्म्ममममम उम्म्म्मम जन्नन टच इट विद योर फिंगर प्लज़्ज़्ज़्ज़
शशांक : फिर मैंने झीभ से ही उसे ऊपर मोड़ दिया, फिर नीचे..... फिर लेफ्ट और फिर राइट.... और फिर गोल गोल घुमा रहा हूँ .... अब मैंने इसे चूसना शुरु कर दिया....
वो : लिक इट बेबी.... उम्म्म्मम
मैं चूसता जा रहा था और वो मस्त हुई जा रही थी !
शशांक : अब मैंने पीछे से ब्रा की स्ट्रीप खोल दी और दूसरे बूब को भी मुँह में भर लिया है....
वो : दबाओ दूसरे को... उम्म्म्म इसको भी चूस लो...
काफ़ी देर हम ऐसे ही मज़ा लेते रहे, मुझे उसकी वासना भरी आवाज़ मस्त कर रही थी तो उसे उसे मेरी किस और लिक करने की आवाज़ गरम कर रही थी....
कुछ देर बाद उस ने मुझे कहा....फक मी शशांकककक अब नहीं रुका जा रहा..... फक मी वेरी हार्ड......
शशांक : (पर मैं तो और भी कुछ करना चाह रहा था) रूको मेरी जान...... अभी तो बहुत कुछ करना है.......
अब मैंने टोपलेस तुम्हें हग कर लिया है और तुम्हारे निपल्स मेरे चेस्ट पर निपल्स से रब हो रहे हैं...... और रब करो.....
वो : उम्म्म्मम ह्म्*म्म्ममम ऊएईईईईईमाआआअ शशांकककक यू आर सो सेक्सीईई फक मी प्लज़्ज़ज़्ज़
शशांक : वेट...... जान, आज मैं तुम्हें जन्नत की सैर करा रहा हूँ... अब मैं नीचे जा रहा हूँ और नाभि को लिक कर रहा हूँ... अब और नीचे... मैंने लोअर को लिप्स से पकड़ कर पूरा उतार दिया है...
वो : निकाल दो .... पेंटी भी निकल दो... उम्म्म
शशांक : अब मैं तुम्हारे पैर क अंगूठे को चूस रहा हूँ और लिक करते हुए ऊपर आ रहा हूँ..... अब मेरे लिप्स तुम्हारी जाँघो पर हैं... बहुत सुंदर हो तुम मेरी जान... मुझे आज इस पूरी सुंदरता को भोगने दो..
वो : उम्म्म्मम ह्म्*म्म्ममम ऊएईई मैं तिईईई हूँ..... जो चाहे कर लो ! मुझे इतना सुख कभी नहीं मिला....(उसकी आवाज़ मे वासना घुली थी)
शशांक : अब मैं जन्नत की खुशबू ले रहा हूँ, कौन से रंग की पेंटी पहनी है?
वो : पिंक....
शशांक : बहुत सुंदर है.. अब मैंने लिप्स से पकड़ कर पेंटी नीचे कर दी....
वो : पूरी निकाल दो ना आआ...
शशांक : पूरी निकाल दी... अब मैं ज़ीभ की टिप से तुम्हारी चूत को सहला रहा हूँ, और लिप्स को ज़ीभ से खोलने की कोशिश कर रहा हूँ...... कैसा लग रहा है.... जान....?
वो : उईईई मममम्ममी..... बहुत्त्त्त मस्त लग रहाआआ हैईईइ... करते रहो...
शशांक : (थोड़ी देर बाद.......) जान क्या रेडी हो ? अब डाल दूं?
वो : पूछो मत अब फाड़ दो इसे पर धीरे से करना शुरू में... फकक्क्क मीईईईई प्लज़्ज़्ज़
शशांक : लो जान अब ले लो........ ये देखो कितना तड़प रहा है अंदर जाने को.....
वो : डाल दो नाआआआ अब प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़
शशांक : लो... ये लो....
वो : ह्म्*म्म्मममम ऊएईईईईईई मममयययी
शशांक : अहहह धप्प.......लो जनंननन्
वो : फक्क मीईई जानुउ हार्ड वेरी हार्ड
इस तरह हम तीस मिनट तक लगे रहे वो सीत्कार करती रही।
वो कह रही थी मुझे आज मम्मी बना दो और मैं कह रहा था कि मेरी आज तुम बनोगी हमारे बच्चों की मम्मी....
फिर वो बोली क़ि जो चरम सुख मैंने उसे दिया वो उसे कभी नहीं भूलेंगी और मुझसे मिलने के लिए कहने लगी और बोली- प्लीज़ मुझ ही शादी करना ! मैं तुम्हारा दिया सुख रोज पाना चाहती हूँ...
इस तरह हम आगे बढ़ते रहे।
और एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने उसे घर बुला लिया और उसे जम कर चोदा ! वो तो मुझ पर निहाल हो गई। मैंने उस दिन आइस क्यूब और शहद भी प्रयोग किया। उसे उस दिन चरम सुख की प्राप्ति हो गई और मुझे भी...

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:44

चूत पूजा



न जाने कब से यह मेरे ख्याल में बस गया था मुझे याद तक नहीं, लेकिन अब 35 साल की उम्र में उस ख्वाहिश को पूरा करने की मैंने ठान ली थी। जीवन तो बस एक बार मिला है तो उसमें ही अपनी चाहतों और आरजू को पूरा करना है। क्या इच्छा थी यह तो बताना मैं भूल ही गया। तो सुनिए। मेरी इच्छा थी कि दुनिया की हर तरह की चूत और चूची का मज़ा लूँ ! गोरी बुर, सांवली बुर, काली बुर, जापानी बुर, चाइनीज़ बुर !
यूँ समझ लीजिये कि हर तरह की बुर का स्वाद चखना चाहता था। हर तरह की चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता था।
लेकिन मेरी शुरुआत तो देशी चूत से हुई थी, उस समय मैं सिर्फ बाईस साल का था। मेरे पड़ोस में एक महिला रहती थी, उनका नाम था अनीता और उन्हें मैं अनीता आंटी कहता था। अनीता आंटी की उम्र 45-50 के बीच रही होगी, सांवले रंग की और लम्बे लम्बे रेशमी बाल के अलावा उनके चूतड़ काफी बड़े थे, चूचियों का आकार भी तरबूज के बराबर लगता था। मैं अक्सर अनीता आंटी का नाम लेकर हस्तमैथुन करता था।
एक शाम को मैं अपना कमरा बंद करके के मूठ मार रहा था। मैं जोर जोर से अपने आप बोले जा रहा था-
यह रही अनीता आंटी की चूत और मेरा लंड ...
आहा ओहो ! आंटी चूत में ले ले मेरा लंड ...
यह गया तेरी बुर में मेरा लौड़ा पूरा सात इंच ...
चाची का चूची .. हाय हाय .. चोद लिया ...
अनीता .. पेलने दे न ... क्या चूत है ... !
अनीता चाची का क्या गांड है ...!
और इसी के साथ मेरा लंड झड़ गया।
फिर बेल बजी ...मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने अनीता आंटी खड़ी थी, लाल रंग की साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज में, गुस्से से लाल !
उन्होंने अंदर आकर दरवाज़ा बंद कर लिया और फिर बोली- क्यों बे हरामी ! क्या बोल रहा था? गन्दी गन्दी बात करता है मेरे बारे में? मेरा चूत लेगा ? देखी है मेरी चूत तूने...? है दम तेरी गांड में इतनी ?
और फिर आंटी ने अपनी साड़ी उठा दी। नीचे कोई पैंटी-वैन्टी नहीं थी, दो सुडौल जांघों के बीच एक शानदार चूत थी : बिलकुल तराशी हुई :बिल्कुल गोरी-चिट्टी, साफ़, एक भी बाल या झांट का नामो-निशान नहीं, बुर की दरार बिल्कुल चिपकी हुई !
ऐसा मालूम होता था जैसे गुलाब की दो पंखुड़ियाँ आपस में लिपटी हुई हों..
हे भगवान ! इतनी सुंदर चूत, इतनी रसीली बुर, इतनी चिकनी योनि !
भग्नासा करीब १ इंच लम्बी होगी।
वैसे तो मैंने छुप छुप कर स्कूल के बाथरूम में सौ से अधिक चूत के दर्शन किए होंगे, मैडम अनामिका की गोरी और रेशमी झांट वाली बुर से लेकर मैडम उर्मिला की हाथी के जैसी फैली हुई चूत ! मेरी क्लास की पूजा की कुंवारी चूत और मीता के काली किन्तु रसदार चूत।
लेकिन ऐसा सुंदर चूत तो पहली बार देखी थी।
आंटी, आपकी चूत तो अति सुंदर है, मैं इसकी पूजा करना चाहता हूँ .. यानि चूत पूजा ! मैं एकदम से बोल पड़ा।
"ठीक है ! यह कह कर आंटी सामने वाले सोफ़े पर टांगें फैला कर बैठ गई।
अब उनकी बुर के अंदर का गुलाबी और गीला हिस्सा भी दिख रहा था।
मैं पूजा की थाली लेकर आया, सबसे पहले सिन्दूर से आंटी की बुर का तिलक किया, फिर फूल चढ़ाए उनकी चूत पर, उसके बाद मैंने एक लोटा जल चढ़ाया।
अंत में दो अगरबत्ती जला कर बुर में खोंस दी और फिर हाथ जोड़ कर
बुर देवी की जय ! चूत देवी की जय !
कहने लगा ..
आंटी बोली- रुको मुझे मूतना है !
"तो मूतिये आंटी जी ! यह तो मेरे लिए प्रसाद है, चूतामृत यानि बुर का अमृत !"
आंटी खड़ी हो कर मूतने लगी, मैं झुक कर उनका मूत पीने लगा। मूत से मेरा चेहरा भीग गया था। उसके बाद आंटी की आज्ञा से मैंने उनकी योनि का स्वाद चखा। उनकी चिकनी चूत को पहले चाटने लगा और फिर जीभ से अंदर का नमकीन पानी पीने लगा .. चिप चिपा और नमकीन ..
आंटी सिसकारियाँ लेती रही और मैं उनकी बूर को चूसता रहा जैसे कोई लॉलीपोप हो.. मैं आनंद-विभोर होकर कहते जा रहा था- वाह रसगुल्ले सरीखी बुर !
फिर मैंने सम्भोग की इज़ाज़त मांगी !
आंटी ने कहा- चोद ले .. बुर ..गांड दोनों ..लेकिन ध्यान से !
मैं अपने लंड को हाथ में थाम कर बुर पर रगड़ने लगा .. और वोह सिसकारने लगी- डाल दे बेटा अपनी आंटी की चूत में अपना लंड !
अभी लो आंटी ! यह कह कर मैंने अपना लंड घुसा दिया और घुच घुच करके चोदने लगा।
"और जोर से चोद.. "
"लो आंटी ! मेरा लंड लो.. अब गांड की बारी !"
कभी गांड और कभी बुर करते हुए मैं आंटी को चोदता रहा करीब तीन घंटे तक ...
आंटी साथ में गाना गा रही थी :[
तेरा लंड मेरी बुर ...
अंदर उसके डालो ज़रूर ...
चोदो चोदो, जोर से चोदो ...
अपने लंड से बुर को खोदो ...
गांड में भी इसे घुसा दो ...
फिर अपना धात गिरा दो ...
इस गाने के साथ आंटी घोड़ी बन चुकी थी और और मैं खड़ा होकर पीछे चोद रहा था। मेरा लंड चोद चोद कर लाल हो चुका था.. नौ इंच लम्बे और मोटे लंड की हर नस दिख रही थी। मेरा लंड आंटी की चूत के रस में गीला हो कर चमक रहा था।
जोर लगा के हईसा ...
चोदो मुझ को अईसा ...
बुर मेरी फट जाये ...
गांड मेरी थर्राए ...
आंटी ने नया गाना शुरू कर दिया।
मैं भी नये जोश के साथ आंटी की तरबूज जैसे चूचियों को दबाते हुए और तेज़ी से बुर को चोदने लगा .. बीच बीच में गांड में भी लंड डाल देता ... और आंटी चिहुंक जाती ..
चुदाई करते हुए रात के ग्यारह बज चुके थे और सन्नाटे में घपच-घपच और घुच-घुच की आवाज़ आ रही थी ..
यह चुदने की आवाज़ थी ... यह आवाज़ योनि और लिंग के संगम की थी ..
यह आवाज़ एक संगीत तरह मेरे कानों में गूँज रही थी और मैंने अपने लंड की गति बढ़ा दी।
आंटी ख़ुशी के मारे जोर जोर से चिल्लाने लगी- चोदो ... चोदो ... राजा ! चूत मेरी चोदो ...

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:45

थोड़ा दर्द तो होगा ही"*-*-*-*-*-*-*-*-*

कॉलेज के दिनों से ही मेरा एक बहुत ही अच्छा दोस्त था जिसका नाम सुरेश था। हम दोनों के बीच बहुत ही अच्छी समझ थी, दोनों को जब भी मौका मिलता तो हम चुदाई कर लिया करते थे। जितनी बार भी हम चुदाई करते, सुरेश किसी नए और अलग तरह के आसन के साथ चुदाई करता था।

आप कह सकते हैं कि हमने कामसूत्र के लगभग सभी आसनों में चुदाई की, यहाँ तक कि उसकी शादी के बाद भी हम दोनों को जब भी समय और मौका मिलता हम चुदाई किया करते थे।

मुझे आज भी याद है कि एक बार मैं उसके सामने नंगी हो कर उसको उकसा रही थी, तभी उसने मेरे सामने अपनी मुठ मार कर अपना सारा वीर्य मेरे चेहरे और मेरे मम्मों पर छिड़क दिया।

मैंने तब तक कभी भी गाण्ड नहीं मरवाई थी। एक बार एक रात को ब्लू फिल्म देखने के बाद मुझे भी गाण्ड मरवाने की इच्छा हुई। चूँकि मैं जानती थी कि गाण्ड मरवाने के साथ साथ दर्द भी सहन करना होगा इसलिए मैं असमंजस में थी। फिर मैंने निर्णय किया कि मैं अपनी यह इच्छा सुरेश से ही पूरी करूँगी क्योंकि उसका लण्ड तो साढ़े छः इंच लंबा है परंतु उसके लण्ड की मोटाई कोई दो इंच ही है।

साथ ही मैं आश्वस्त थी कि चाहे कुछ भी हो जाए सुरेश मुझे कभी कोई तकलीफ नहीं पहुँचाएगा।

एक बार जब उसकी पत्नी अपने मायके गई हुई थी तो हमने जानवरों की तरह बहुत जोरदार चुदाई की। चुदाई के बाद जब हम दोनों बिस्तर में लेटे हुए आराम कर रहे थे तब सुरेश ने मुझे सहलाते हुए मेरी गाण्ड मारने की इच्छा जाहिर की। हालाँकि मैं भी चाहती थी कि वह मेरी गाण्ड मारे परंतु तब तक भी मन में कुछ संकोच था।

अब चूँकि मैं सुरेश पर विश्वास करती थी इसलिए मैंने सब कुछ उस पर छोड़ने का फैसला कर लिया। उसने मुझे घोड़ी की तरह बनने को कहा और मैं बिस्तर पर अपने हाथों और घुटनों के बल घोड़ी की तरह बन गई। सुरेश ने मेरी कुँवारी गाण्ड का निरीक्षण करना शुरू कर दिया। कभी वो मेरे मम्मे दबाता, कभी मेरी कमर सहलाता और कभी मेरी गाण्ड को सहलाता चूमता।

फिर उसने मेरी गाण्ड को चाटना शुरू कर दिया। उसके एक हाथ की उँगलियाँ मेरी चूत के होठों को और दूसरे हाथ की उँगलियाँ मेरी गाण्ड के छेद को सहला रहीं थी। मैं जानती थी कि वो सिर्फ अभी सब तरफ से देख रहा है परंतु इसके बाद मेरी गाण्ड को चुदना ही है।

"छोड़ दो मुझे सुरेश....!" मैंने उसको कहा।

"चिचियाना बंद करो शालिनी !" उसने जोर से कहा,"तुम भी जानती हो कि तुम भी मज़ा लेने वाली हो।"

असल में उसका मेरी गाण्ड को देखने का तरीका ही मेरी चूत और मेरी गाण्ड को गरमाने के लिये बहुत था और यह तो सुरेश को दिखाने के लिये सिर्फ एक दिखावा था कि मैं बहुत ही डरी हुई हूं परंतु उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने के लिये मैं भी बेताब थी।

चूँकि मैं जानती थी कि एक बार उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुस गया तो वह प्यार से मेरी गाण्ड नहीं मारेगा क्योंकि थोड़ी देर पहले ही उसने मेरी चूत को बहुत क्रूरता से चोदा था और अभी तक मेरी टांगों में हल्का सा दर्द था।

तभी सुरेश ने मेरी चूत से अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल कर कहा,"तुम अभी भी उत्साहित हो शालिनी?"

मैं उत्साहित थी क्योंकि उसकी उँगलियाँ मेरी चूत को चोद रहीं थी। लेकिन मैं अभी तक गाण्ड मरवाने के लिए आश्वस्त नहीं थी इसलिए मैंने सिर्फ एक आह सी अपने मुँह से निकाली।

तब वो बाथरुम में गया और तेल की शीशी लेकर आया और बहुत सा तेल अपनी उँगलियों में लगाने लगा,"देखो शालिनी, तुमको थोड़ा सा तो झेलना पड़ेगा और चूँकि तुम मेरी सबसे खास दोस्त हो इसलिए मैं तुमको दर्द नहीं दे सकता।" सुरेश ने अपनी एक ऊँगली मेरी गाण्ड के छेद में डालते हुए कहा।

उसने ठीक कहा था, मुझे दर्द नहीं हुआ पर जैसे ही उसकी ऊँगली का स्पर्श मेरी गाण्ड के अंदर हुआ मैं चिंहुक उठी।

और जैसे ही सुरेश ने अपनी ऊँगली थोड़ी और अंदर तक डाली मेरे मुँह से थोड़ी अजीब सी आवाज़ निकली और मैंने अपनी गाण्ड को जोर से हिलाया। मुझे उसकी वह ऊँगली भी अपनी गाण्ड में बहुत बड़ी लग रही थी और मैं सोच रही थी कि उसका लण्ड मेरी तंग गाण्ड में कैसे घुसेगा और कितना दर्द करेगा।

उसकी ऊँगली से भले मेरी गाण्ड में ज्यादा दर्द नहीं हुआ पर उसका लण्ड तो ऊँगली से ज्यादा लंबा और मोटा था। उसने धीरे अपनी ऊँगली मेरी गाण्ड में अंदर बाहर करनी शुरू कर दी ताकि मेरी गाण्ड नर्म और अभ्यस्त हो जाए।

मैंने अपना चेहरा तकिये में दबा लिया और कराहने लगी।

"आराम से ! बस अब तुमको मज़ा आने लगेगा शालिनी।" सुरेश ने कहा।

जैसे ही अपनी दूसरी ऊँगली भी मेरी गाण्ड में डाली, मैं फिर से चिंहुक उठी और उससे दूर होने की कोशिश करने लगी पर सफल नहीं हो सकी। अबकी बार मैं जोर से चिल्ला उठी और तकिये को अपने दाँतों से काटने लगी। अब मेरी कुंवारी गाण्ड के लिया दर्द सहना बहुत कठिन हो गया था क्योंकि मैं जानती थी कि उसका लण्ड मेरी गाण्ड के लिये मोटा है और मैं उसको सहन नहीं कर पाऊँगी।

पर सुरेश रुका नहीं और अपनी दोनों उँगलियों को मेरी गाण्ड के अंदर-बाहर करता रहा ताकि मेरी गाण्ड का छेद कुछ खुल जाए।

अब उसने अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू किया और फिर अपने लण्ड के सिरे को मेरी गाण्ड के छेद पर रगड़ने लगा तो मैं बहुत ही उत्सुकता से उसके लण्ड का अपनी गाण्ड में घुसने का इंतज़ार कर रही थी परंतु उसने अपना लण्ड मेरी ऊपर उठी हुई गाण्ड की अपेक्षा मेरी चूत में डाल दिया। मैं खुशी के मारे जोर जोर से अपने को पीछे की ओर धकेलने लगी ताकि उसके लण्ड का पूरा मज़ा ले सकूँ।

कुछ धक्कों के बाद उसने अपना लण्ड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और मेरी गाण्ड के छेद पर रख कर धक्का देने लगा।

जैसे ही उसके लण्ड का सिरा मेरी गाण्ड में घुसा, मैं जोर से चिल्लाई और उससे दूर जाने की कोशिश करने लगी परंतु उसने मेरी कमर से मुझे पकड़ लिया और मैं उसकी मज़बूत गिरफ्त से छूट नहीं पाई। उसके लण्ड के सिरे ने मेरी गाण्ड के छेद को उसकी उँगलियों से भी ज्यादा खोल दिया था। हालाँकि उसका लण्ड तेल और मेरे चूत के रस से बहुत ही चिकना था परंतु फिर भी मुझे दर्द हुआ।

मैंने उसको छोड़ देने को कहा परंतु सुरेश ने मेरी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया और मेरी गाण्ड के छेद को अपने दोनों हाथों से और खोल कर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालने में लगा रहा।

जैसे ही उसका लण्ड थोडा सा और अंदर गया तो मैंने अपनी गाण्ड के छेद को अपने पूरे जोर से भींच लिया ताकि उसका लण्ड बाहर निकाल जाए पर सुरेश ने मेरी गाण्ड पर धीरे धीरे चपत मारनी शुरू कर दी और चपत मारते हुए कहा कि मैं अपनी गाण्ड को ढीला छोड़ दूँ।

जैसे ही मैं गाण्ड के छेद को हल्का सा ढीला किया उसका लण्ड और अंदर तक घुस गया। अब उसने मेरी कमर को अपने मज़बूत हाथों से पकड़ लिया और एक ही झटके में बाकी का लण्ड मेरी कुंवारी गाण्ड में घुसेड़ दिया।

मेरी चीख निकल गई, लगा कि जैसे जान ही चली जायेगी।

तब थोड़ी देर तक सुरेश ने कोई हरकत नहीं की, केवल मेरी गाण्ड और पीठ को सहलाता रहा और फिर उसने पूछा,"क्या बहुत दर्द हो रहा है? लण्ड बाहर निकाल लूँ क्या?"

मुझे दर्द तो बहुत हो रहा था परंतु मैं जानती थी कि सुरेश अपना लण्ड किसी भी हाल में मेरी गाण्ड से बाहर नहीं निकालेगा। इसलिए तकिये में अपना मुँह दबा कर सिर्फ कराहती रही। थोड़ी देर के बाद सुरेश ने अपना लण्ड धीरे-धीरे बाहर निकालना शुरू किया तो मुझे लगा कि शायद अब मैं छूट जाऊंगी पर वह सिर्फ एक खुशफ़हमी थी। कोई आधे से ज्यादा लण्ड बाहर निकलने के बाद उसने फिर से लण्ड मेरी गाण्ड में डालना शुरू
कर दिया।

मैंने सुरेश को कहा- मुझे बहुत दर्द हो रहा है !

तब सुरेश ने कहा कि अब वो धीरे धीरे करेगा और जैसे ही उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में दुबारा डालना शुरू किया तो ऊपर से और तेल डालने लगा।

तेल डालने से मेरी गाण्ड का छेद और भी ज्यादा चिकना हो गया और अब उसका लण्ड आराम से गाण्ड के अंदर घुस रहा था। चार पाँच बार उसने बड़े ही धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर किया और फिर मेरी पीठ ओर गाण्ड को सहलाते हुए सुरेश ने पूछा,"अब भी बहुत दर्द हो रहा है क्या शालू?"

पहले जहाँ मुझे दर्द हों रहा था, वहीं अब मुझे भी मज़ा आ रहा था और अब मैं भी गाण्ड मरवाने का आनन्द ले रही थी। मैंने अपनी पूरी शक्ति से अपनी गाण्ड को सुरेश की तरफ धकेला और कहा,"बस ऐसे धीरे धीरे ही करना इससे दर्द नहीं होता !"

"ठीक है तो मैं रुक जाता हूँ और अब तुम आगे पीछे हो कर अपने आप से गाण्ड मरवाओ !" सुरेश ने कहा।

सुरेश ने मेरी कमर को पकड़ लिया ताकि लण्ड बाहर ना निकल जाए और मैंने धीरे धीरे से अपने आप को आगे पीछे करना शुरू कर दिया। कुछ देर के बाद जैसे सुरेश का संयम टूट गया और उसने कहा,"बस शालिनी, अब मेरी बारी है। अब मैं अपने तरीके से तुम्हारी गाण्ड मारूँगा।"

सुरेश ने एक जोरदार धक्का मारा तो मैं समझ गई कि अब गाण्ड की असली चुदाई का समय आ गया है।

सुरेश ने मुझे अपना मुँह तकिये में दबाने को कहा और जैसे ही मैंने अपनी गर्दन नीचे की ओर की, उसने अपनी गति बढ़ानी शुरू कर दी और अब जोर जोर से मेरी कमर को पकड़ कर धक्के देने लगा। मेरी आह निकल रही थी।

धीरे धीरे मैंने अपना एक हाथ अपने नीचे किया और अपनी चूत के होठों को छुआ। मुझे जैसे बिजली का झटका लगा। फिर मैंने अपनी हथेली अपनी चूत पर रगड़नी शुरू कर दी। अब मैं पूरी तरह से गाण्ड मरवाने का मज़ा ले रही थी और तकिया में मुँह दबाए चिल्ला रही थी। और सुरेश अब अपने असली रंग में मेरी गाण्ड मार रहा था।

"चोदो और जोर से चोदो ! सुरेश मेरी गाण्ड को चोदो ! सुरेश ओहहहह ओहहहह!!!! मैं झड़ने वाली हूँ सुरेश!!!" मैं जोर से चिल्लाई और झड़ने लगी।

अब सुरेश भी क्रूरता से मेरी गाण्ड में अपना लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। एक बार फिर उसने अपना लण्ड अपनी पूरी शक्ति से मेरी गाण्ड में धकेल दिया और मेरी गाण्ड को जोर से दबाते हुए उसमें ही झड़ने लगा। उसका गर्म-गर्म वीर्य मेरी गाण्ड में भर रहा था। तब वो मेरे ऊपर ही गिर पड़ा उसका लण्ड अभी भी मेरी गाण्ड में ही था और हम दोनों हांफ रहे थे।

"देखा?" सुरेश ने मेरी पीठ को चूमते हुए कहा,"मैंने कहा था ना शालिनी कि तुमको बहुत मज़ा आएगा !"

मैं हल्के के कराही, मेरी गाण्ड अभी भी उसके ढीले होते हुए लण्ड की चुदाई से दर्द कर रही थी।

उस रात उसने कुल तीन बार मेरी गाण्ड मारी और अगले दो दिनों तक मेरी टांगों और गाण्ड में दर्द होता रहा।

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