हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

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raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:54

"हो गई ना सुहाग रात हमारी...?"
"हाँ दीदी... कितना मजा आया ना...!"
"मुझे तो आज पता चला कि चुदने में कितना मजा आता है राम..."
बाहर बरसात अभी भी तेजी पर थी। लक्की मुझे मेरा टॉप उतारने को कहने लगा। उसने अपनी बनियान उतार दी और पूरा ही नंगा हो गया। उसने मेरा भी टॉप उतारने की गरज से उसे ऊपर खींचा। मैंने भी यंत्रवत हाथ ऊपर करके उसे टॉप उतारने की सहूलियत दे दी।
हम दोनो जवान थे, आग फिर भड़कने लगी थी... बरसाती मौसम वासना बढ़ाने में मदद कर रहा था। लक्की बिस्तर पर बैठे बैठे ही मेरे पास सरक आया और मुझसे पीछे से चिपकने लगा। वहाँ उसका इठलाया हुआ सख्त लण्ड लहरा रहा था। उसने मेरी गाण्ड का निशाना लिया और मेरी गाण्ड पर लण्ड को दबाने लगा।
मैंने तुरन्त उसे कहा- तुम्हारे लण्ड को पहले देखने तो दो... फिर उसे चूसना भी है।
वो खड़ा हो गया और उसने अपना तना हुआ लण्ड मेरे होंठों से रगड़ दिया। मेरा मुख तो जैसे आप ही खुल गया और उसका लण्ड मेरे मुख में फ़ंसता चला गया। बहुत मोटा जो था। मैंने उसे सुपारे के छल्ले को ब्ल्यू फ़िल्म की तरह नकल करते हुये जकड़ लिया और उसे घुमा घुमा कर चूसने लगी। मुझे तो होश भी नहीं रहा कि आज मैं ये सब सचमुच में कर रही हूँ।
तभी उसकी कमर भी चलने लगी... जैसे मुँह को चोद रहा हो। उसके मुख से तेज सिसकारियाँ निकलने लगी। तभी लक्की का ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा। मुझे एकदम से खांसी उठ गई... शायद गले में वीर्य फ़ंसने के कारण। लक्की ने जल्दी से मुझे पानी पिलाया।
पानी पिलाने के बाद मुझे पूर्ण होश आ चुका था। मैं पहले चुदने और फिर मुख मैथुन के अपने इस कार्य से बेहद विचलित सी हो गई थी... मुझे बहुत ही शर्म आने लगी थी। मैं सर झुकाये पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गई।
"लक्की... सॉरी... सॉरी..."
"दीदी, आप तो बेकार में ही ऐसी बातें कर रहीं हैं... ये तो इस उम्र में अपने आप हो जाता है... फिर आपने तो अभी किया ही क्या है?"
"इतना सब तो कर लिया... बचा क्या है?"
"सुहागरात तो मना ली... अब तो बस गाण्ड मारनी बाकी है।"
मुझे शरम आते हुये भी उसकी इस बात पर हंसी आ गई।
"यह बात हुई ना... दीदी... हंसी तो फ़ंसी... तो हो जाये एक बार...?"
"एक बार क्या हो जाये..." मैंने उसे हंसते हुये कहा।
"अरे वही... मस्त गाण्ड मराई... देखना दीदी मजा आ जायेगा..."
"अरे... तू तो बस... रहने दे..."
फिर मुझे लगा कि लक्की ठीक ही तो कह रहा है... फिर करो तो पूरा ही कर लेना चाहिये... ताकि गाण्ड नहीं मरवाने का गम तो नहीं हो अब मोमबत्ती को छोड़, असली लण्ड का मजा तो ले लूँ।
"दीदी... बिना कपड़ों के आप तो काम की देवी लग रही हो...!"
"और तुम... अपना लण्ड खड़ा किये कामदेव जैसे नहीं लग रहे हो...?" मैंने भी कटाक्ष किया।
"तो फिर आ जाओ... इस बार तो..."
"अरे... धत्त... धत्त... हटो तो..."
मैं उसे धीरे से धक्का दे कर दूसरे कमरे में भागी। वो भी लपकता हुआ मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से कमर से पकड़ लिया। और मेरी गाण्ड में अपना लौड़ा सटा दिया।
"कब तक बचोगी से लण्ड से..."
"और तुम कब तक बचोगे...? इस लण्ड को तो मैं खा ही जाऊँगी।"
उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद में मुझे घुसता सा लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
"अरे रुको तो... वो क्रीम पड़ी है... मैं झुक जाती हूँ... तुम लगा दो।"
लक्की मुस्कराया... उसने क्रीम की शीशी उठाई और अपने लण्ड पर लगा ली... फिर मैं झुक गई... बिस्तर पर हाथ लगाकर बहुत नीचे झुक कर क्रीम लगाने का इन्तजार करने लगी। वह मेरी गाण्ड के छिद्र में गोल झुर्रियों पर क्रीम लगाने लगा। फिर उसकी अंगुली गाण्ड में घुसती हुई सी प्रतीत हुई। एक तेज मीठी सी गुदगुदी हुई। उसके यों अंगुली करने से बहुत आनन्द आने लगा था। अच्छा हुआ जो मैं चुदने को राजी हो गई वरना इतना आनन्द कैसे मिलता।
उसके सुपारा तो चिकनाई से बहुत ही चिकना हो गया था। उसने मेरी गाण्ड के छेद पर सुपारा लगा दिया। मुझे उसका सुपारा महसूस हुआ फिर जरा से दबाव से वो अन्दर उतर गया।
"उफ़्फ़्फ़ ! यह तो बहुत आनन्दित करने वाला अनुभव है।"
"दर्द तो नहीं हुआ ना..."
"उह्ह्ह... बिल्कुल नहीं ! बल्कि मजा आया... और तो ठूंस...!'
"अब ठीक है... लगी तो नहीं।"
"अरे बाबा... अन्दर धक्का लगा ना।"
वह आश्चर्य चकित होते हुये समझदारी से जोर लगा कर लण्ड घुसेड़ने लगा।
"उस्स्स्स्स... घुसा ना... जल्दी से... जोर से..."
इस बार उसने अपना लण्ड ठीक से सेट किया और तीर की भांति अन्दर पेल दिया।
"इस बार दर्द हुआ..."
"ओ...ओ...ओ... अरे धीरे बाबा..."
"तुझे तो दीदी, दर्द ही नहीं होता है...?"
"तू तो...? अरे कर ना...!"
"चोद तो रहा हूँ ना...!"
उसने मेरी गाण्ड चोदना शुरू कर दिया... मुझे मजा आने लगा। उसका लम्बा लण्ड अन्दर बाहर घुसता निकलता महसूस होने लगा था। उसने अब एक अंगुली मेरी चूत में घुमाते हुये डाल दी। बीच बीच में वो अंगुली को गाण्ड की तरफ़ भी दबा देता था तब उसका गाण्ड में फ़ंसा हुआ लण्ड और उसकी अंगुली मुझे महसूस होती थी। उसका अंगूठा और एक अंगुली मेरे चुचूकों को गोल गोल दबा कर खींच रहे थे। सब मिला कर एक अद्भुत स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति हो रही थी। आनन्द की अधिकता से मेरा पानी एक बार फिर से निकल पड़ा... उसने भी साथ ही अपना लण्ड का वीर्य मेरी गाण्ड में ही निकाल दिया।
बहुत आनन्द आया... जब तक उसका इन्टरव्यू चलाता रहा... उसने मुझे उतने दिनों तक सुहानी चुदाई का आनन्द दिया। मोमबत्ती का एक बड़ा फ़ायदा यह हुआ कि उससे तराशी हुई मेरी गाण्ड और चूत को एकदम से उसका भारी लण्ड मुझे झेलना नहीं पड़ा। ना ही तो मुझे झिल्ली फ़टने का दर्द हुआ और ना ही गाण्ड में पहली बार लण्ड लेने से कोई दर्द हुआ।... बस आनन्द ही आनन्द आया... ।
एक वर्ष के बाद मेरी भी शादी हो गई... पर मैं कुछ कुछ सुहागरात तो मना ही चुकी थी। पर जैसा कि मेरी सहेलियों ने बताया था कि जब मेरी झिल्ली फ़टेगी तो बहुत तेज दर्द होगा... तो मेरे पति को मैंने चिल्ला-चिल्ला कर खुश कर दिया कि मेरी तो झिल्ली फ़ाड़ दी तुमने... वगैरह...
गाण्ड चुदाते समय भी जैसे मैंने पहली बार उद्घाटन करवाया हो... खूब चिल्ल-पों की...
आपको को जरूर हंसी आई होगी मेरी इस बात पर... पर यह जरूरी है, ध्यान रखियेगा...

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:55

प्यार की कहानी स्वीटी के साथ



दोस्तो, मैं 30 साल का मर्द हूँ, अहमदाबाद मैं रहता हूँ। अहमदबाद मैं वैसे तो बहुत गर्मी होती है और अप्रैल-मई की बात ही अलग है।
कहानी की शुरुआत के लिए हमें 10 साल पीछे जाना पड़ेगा। मेरी उम्र उस वक़्त 20 साल की थी जब मैंने पहली बार अपने पडोसी की लड़की पर प्यार का जाल बिछाया था, जाल तो सिर्फ इक बहाना था उसको चोदने का।

उसका नाम था स्वीटी, कद लम्बा, उसकी चूची छोटी थी पर देखने मैं वह बहुत अच्छी लगती थी। पड़ोसी होने के नाते हम दोनों घरों के बीच कभी बनती नहीं थी और हर वक्त लड़ाई होती रहती थी। इसी बात का फायदा उठा कर मैंने उसके साथ प्यार का नाटक करना शुरू किया क्यूंकि उसी वजह से मेरे और उसके घरवालों को कभी हमारे बारे में शक न हो।

वह हर रोज दोपहर को कपड़े सुखाने के लिए छत पर आती थी और मैं उससे बात करने की कोशिश करता।

एक दिन हमारी बात होना शुरू हुई और जैसा चाहा था, वैसे ही उसने जवाब दिया क्यूंकि मैं भी जनता था कि उसको भी लण्ड की ज़रूरत है जो मैंने कई बार उसकी आँखों में देखा था। प्यार का इज़हार बहुत जल्दी हो गया और हम दोनों एक दूसरे को मिलने के बारे में सोचने लगे। हमारा गाँव बहुत छोटा था, हम इसी वजह से मिल नहीं पाते थे।
रात को जब वह कभी कचरा डालने के लिए नीचे आती तो मैं चुपके से मिल लेता और थोड़ी बात कर लेता, पर कब तक....?

एक दिन मैंने उसको पकड़ लिया और अपने गर्म होंठ उसके होंठों पर रख दिए। वह मेरे और उसके लिए पहला एहसास था। मुझे अब तक याद है कि उस दिन के बाद तीन दिन तक मेरा लण्ड पानी बहाता रहा था। अब इतना होने के बाद मैं अपने आप को काबू के बाहर समझने लगा, मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करूँ, और उससे मिलने को बेताब हो रहा था।

एक दिन मैंने उसको छत पर बुलाया और कहा- मैं तुझे नंगा देखना चाहता हूँ।

वो इन्कार करने लगी और मैं उसको किसी भी तरह मनाने लगा। वैसे तो मैंने काफी लड़कियों और औरतो को छुपछुप के कपड़े बदलते देखा है कभी कभी मैंने उसके लिए 2 से 3 घंटे तक इंतज़ार भी किया है।
आखिर वो राजी हो गई और मैंने उसको बोला- तू खिड़की पर आ जा और सामने की खिड़की पर मैं रहूँगा।

हम दोनों की खिड़की बिल्कुल आमने-सामने थी और मैं उसके बेडरूम का नज़ारा देख सकता था जहाँ मैंने कई बार उसकी माँ को कपड़े बदलते हुए भी देखा था।

वैसे दोपहर के 3 बजे का समय तय हुआ था और मैं उसकी इंतजार में 2:30 पर ही खिड़की के पास खड़ा हो गया।

तभी उसकी माँ आ गई जो एक बहुत बदनाम औरत थी, उसके कई चक्कर थे और मैंने कई बार उसको दूसरे मर्दों के साथ देखा था।

मैंने अपने आपको छुपा लिया और थोड़ा इधर-उधर होकर उसकी राह देखने लगा।

थोड़ी देर बाद वो आई और बोली- मेरी मम्मी बाहर जा रही है, 15 मिनट के बाद बेडरूम में आ जाऊँगी।

मैंने कहा- ठीक है !

और फिर मैं किसी और काम में लग गया।

15 मिनट के बाद वो आई। उसने आसमानी रंग का ड्रेस पहना हुआ था जो के एक चूड़ीदार सूट था और वो काफी सजधज कर आई थी।

मैंने पूछा- क्यूँ इतना सजधज कर आई हो?

तो उसने बताया- पहली बार किसी लड़के को अपना जिस्म दिखा रही हूँ तो थोड़ा अपने आप पर प्यार आ गया।

मैं बोला- जानेमन, इतना मत तड़पाओ और शुरुआत करो।

वो बोली- राहुल, मुझे शर्म आती है।

मैंने कहा- अगर तुझे शर्म आती है तो मैं भी अपने कपड़े उतारूँगा ताकि तेरी शर्म दूर हो जाये।

आखिर उसने पहले अपने बालों को साइड में किया और पीछे घूम कर मुझे अपना पूरा जिस्म कपड़ों के साथ दिखाने लगी।

मैं उसकी चूची पर तो फ़िदा था ही और आज मैं उसकी गाण्ड पर भी फ़िदा हो गया।

मैं सोच रहा था- कपड़ों के साथ इतनी अच्छी लग रही हैं तो बिना कपड़ो के क्या क़यामत लगेगी !

फिर पीछे होकर धीरे-धीरे अपनी कमीज़ के हुक खोलने लगी।

मैं धीरे-धीरे गर्म हो रहा था मुझे लड़की को धीरे धीरे नंगी होती देखने में बहुत मज़ा आता है।

हुक खुलते ही पीछे से उसकी काली ब्रा की पट्टी दिखने लगी। उसने पहले बाएं और फ़िर दाएं कंधे से ब्रा को धीरे धीरे जीचे सरकाया और पीछे से पूरा कमीज़ नीचे कर दिया।

मैं उसको सिर्फ पीछे से देख पा रहा था, मैंने उसको घूम कर आगे से दिखाने के लिए कहा तो उसने जवाब दिया- राहुल, मुझे कुछ हो रहा है, अभी धीरज रखो।

फिर वो घूम गई। वाह ! क्या नज़ारा था !

काली ब्रा के अन्दर उसकी चूची जो क़यामत थी ! उसके गोरे बदन पर काली ब्रा बहुत अच्छी लग रही थी।

मेरा लण्ड अब तक पूरा खड़ा हो चुका था और उसके जवाब में मैंने भी अपनी टीशर्ट उतार दी।

फिर उसने ब्रा की पट्टी के साथ खेलते हुए पीछे से ब्रा के हुक खोल दिए।

शायद यह नज़ारा मेरे लिए जिंदगी का सबसे अच्छा नज़ारा था, एक लड़की जिसको पाने के लिए मैं काफी अरसे से राह देख रहा था, उसका नंगा बदन मेरे सामने था पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा था।

ब्रा के हुक खुलते ही उसकी दोनों छोटी छोटी चूचियाँ मेरे सामने आ गई जो सिर्फ 28 इन्च की लग रही थी और उसके ऊपर भूरे रंग का छोटा सा निप्पल!

मैं अपने लण्ड को सहलाने लगा और मैंने अपनी बनियान निकाल दी।
अब बारी उसकी सलवार की थी!

वो मना करने लगी कि सलवार नहीं उतारूँगी!

पर मेरे जोर और कसम देते ही वो मान गई और उसके अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया।

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 31 Oct 2014 09:56

नाड़ा खुलते ही काले रंग की पैंटी में वो मेरे सामने खड़ी थी।

मैं अपने बेडरूम में बेड पर चढ़ गया ताकि वो भी मुझे पूरी तरह देख सके।

मैंने अपनी पैंट की जिप खोल दी और उसको बदन से अलग कर दिया। मेरा लण्ड मेरे काबू के बाहर हो रहा था और मेरे अण्डरवीयर से बाहर निकलने की नाकाम कोशिश कर रहा था।

वो अपनी पैंटी उतारने लगी और तभी उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी और थोड़ा मुस्कुरा कर शरमा दी।

उसकी पैंटी उतरते ही उसकी चूत मेरे सामने आ गई।

उस पर थोड़े बाल थे जो मुझे पसंद नहीं थे, मुझे बाल वाली चूत अच्छी नहीं लगती है।

फिर मैंने उसको घूमने के लिए बोला और मैं उसकी गाण्ड को देखता ही रह गया।

फिर मैंने उसको अपने लण्ड की तरफ इशारा किया और अपना अण्डरवीयर उतार दिया।

उसके सामने 7 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लण्ड खड़ा था जो काफी कड़क और लाल हो गया था।

वो शरमा गई और उसका चेहरा एकदम लाल हो गया।

मैंने उसके सामने ही लण्ड हिलाया और उसको बोला- तू थोड़ा नीचे झुक जा ताकि मैं चूत और गाण्ड को एक साथ देख सकूँ।

उसने वैसा ही किया और मैं अपने लण्ड को सहलाने लगा।

मैंने उसको बोला- अब रहा नहीं जा रहा और किसी भी तरह मिल ! ताकि मैं तुझसे प्यार कर सकूँ।

थोड़ी देर में छत पर मिलने का वादा करके उसने कपड़े पहन लिए, मैं लण्ड हिलाता हिलाता बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा।

छत पर मिलने पर उसने मुझे एक पता बताया और अगले दिन वहाँ मिलने को कहा।

दूसरे दिन दोपहर को मैं स्वीटी के बताये हुए घर पर चला गया।

वह उसकी एक सहेली का घर था जो गाँव के थोड़ा बाहर कलोनी में था।

मेरे वहाँ जाते ही स्वीटी ने दरवाजा खोला, वो जन्नत की परी लग रही थी। काले रंग के सूट में काफी सजी हुई थी। उसके भूरे बाल उसके आँखों के सामने आ रहे थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
उसने बोला- राहुल, आज यहाँ इस घर में कोई नहीं है, हम दोनों बहुत सारी प्यार की बातें कर सकते हैं।

मेरे लिए बातें करना अलग बात थी, मैं तो उसको चोदने के मूड में था।
मैंने पहले पूछा- कितनी देर के लिए तेरी सहेली बाहर है?

तो उसने बोला- 4-5 घंटे तक वह नहीं आने वाली है।

मैंने मन ही मन में सोचा कि आज स्वीटी को कम से कम 2 बार तो चोद सकता हूँ।

फिर मैंने उसको बोला- कुछ ठंडा हो जाये।

वह अन्दर जा कर ठंडा बनाने में लग गई तब तक मैं जो कंडोम और उसके लिए गिफ्ट लाया था उसको गाड़ी में से निकालने के लिए चला गया।

वह ठंडा ले कर आ गई और मैंने उसको फूलों का गुलदस्ता, लव का ग्रीटिंग कार्ड और गोल्ड प्लेटिड इयरिंग व पेंडेंट दिया जो मैंने कुछ पैसे बचा कर उसके लिए ख़रीदा था।

वह उसको देखते ही मेरे गले लग गई और बोलने लगी- राहुल, आज मुझे बहका दो।

मैंने कहा- देख, मेरी और तेरी शादी मुमकिन तो नहीं है और मैं तेरा इस्तमाल करना नहीं चाहता हूँ, अगर तेरी इजाजत है तो ही मैं तुझे हाथ लगाऊंगा।

स्वीटी ने कहा- राहुल, वह तो मुझे भी पता है पर मैं तुम्हें दिल दे चुकी हूँ, मुझे तुम्हारे सिवा और किसी से अपने जीवन का पहला सेक्स नहीं करना है।

मेरे लिए यह चीज़ बहुत बड़ी थी पर यह मेरा उसूल है कि मैं लड़की को बिना उसकी मर्ज़ी के कभी छूता नहीं हूँ। अगर लड़की साथ दे, तभी सेक्स का मज़ा है वरना हम जानवर तो नहीं हैं जो कही भी लग जाएँ।
मैंने उसको सोचने के लिए 15 मिनट का वक्त दिया और बोला- मेरे लिए भी यह पहली बार है, हाँ मैंने कई ब्लू फिल्में देखी हुई हैं।

और फिर बोला- चलो ठंडा पीते हैं और बातें करते हैं।

मैंने उसको पूछा तो उसने बताया कि मेरी यह जो सहेली है उसने 2-3 बार किया है और उसने ही बताया था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है।

मैं फिर उसकी तारीफ करने लगा, मैंने बोला- आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो।

उसने बोला- आज के दिन मैं तुम्हारे लिए खास सज धज कर आई हूँ।

फिर मैंने उसको बताया- मुझे नीचे बाल अच्छे नहीं लगते हैं।

उसने बोला- यह मुझे पता चल गया था इसलिए आज ही मैंने मेरे सभी बाल साफ़ कर दिए हैं।

मैंने कहा- कैसे?

तो उसने बोला- उस दिन जब तुम मुझे खिड़की से देख रहे थे तब मेरी पैंटी उतारते ही तुम्हारा मूड थोडा ख़राब हो गया था।

मैंने बोला- वाह, तुम तो मुझे अच्छा पहचानने लग गई हो।

तो उसने बताया- प्यार में इतना तो पता चल ही जाता है।

करीब 15 मिनट इधर उधर की बातें करके उसने बोला- राहुल, मैं तैयार हूँ। मुझे कोई परेशानी नहीं है, तुम मेरी प्यास बुझा दो, आज तक मेरे इस बदन को मैंने किसी को छूने नहीं दिया है, मैं तड़प रही हूँ, मुझे अपना बना लो।

और ऐसा कह कर के वह मेरे गले से लिपट गई और रोने लगी।
उसको घर पर बहुत समस्याएँ थी उसकी माँ की वजह से और वह अपना दिल हल्का कर रही थी।

मैंने उसके सर को चूम लिया और उठा कर उसके लिए पानी लेने गया, फिर पानी देकर उसको अपनी गोद में बिठाया और उसके गले पर हाथ फेरने लगा।

वह थोड़ी मदहोश हो रही थी और मैं धीरे धीरे उंगली घुमा रहा था। मैंने फिर उसके दुपट्टे को अलग किया और सोफे पर बैठे-बैठे ही उसके जिस्म को अपने हाथ से मापने लगा।

धीरे धीरे मैंने उसके पीठ के ऊपर हाथ फिराना शुरू किया, वह मुझे चूमने लगी और मेरी होंठों को अपने होंठों ले लिया। हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।

वह काफी गर्म हो चुकी थी पर मेरे लिए यह शुरुआत थी, मैं धीरे धीरे अपने हाथों को उसके वक्ष पर ले गया और कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूची को सहलाने लगा।

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