नारायण अभी भी अपनी कुर्सी पे बैठा हैरान था.. उसके माथे से पसीना टपक रहा था.. हाथ काप रहे थे...
एक लड़की को चोद्ने के लिए वो इतना बेताब हो रहा था और अब उसी ने उसकी गान्ड मार दी थी.... उसने संभालके उन
पिक्चरो को लिफाफे में डाला और तुर्रंत स्कूल से चला गया....
उधर दिल्ली में रात के कुच्छ 2:30 बजे शन्नो अपने बिस्तर पे अकेली पड़ी पलटिया ले रही थी... इतनी देर सोने की कोशिश करने के बावजूद उसे कुच्छ हासिल नहीं... उसके दिमाग़ में से उसकी बहन और उसके बेटे के साथ होने का दृश्य
दिमाग़ से हट नहीं रहा था.... परेशान होकर वो अपने बिस्तर से उठी और अपनी गुलाबी सफेद नाइटी में
वो दबे पाँव अपने कमरे के बाहर निकली.... उसके कदम अपने बेटे के कमरे पे जाके रुके... उसे पता था ज़रा सा शोर
से भी अगर उसकी बेटियाँ जाग गयी तो अनर्थ हो जाएगा... उसने अपने बेटे के कमरे का दरवाज़ा खोला जहाँ बिल्कुल अंधेरा
था... शन्नो ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर्दिआ और उसपे कुण्डी भी लगा दी... दबे पाँव वो चेतन के बिस्तर
के पास गयी और उसने आहिस्ते से अपने बेटे को पुकारा "चेतन..." चेतन ने कुच्छ जवाब नहीं दिया...
शन्नो ने फिर से कहा मगर इस बार थोड़ा तेज़ "चेतन' मगर इस बार भी चेतन ने अपनी मम्मी के पुकारने पर
कुच्छ जवाब नहीं दिया... अंधेरे में शन्नो को चेतन की शक़्ल नहीं दिख रही थी और वो उसको बस एक बारी देखना चाहती थी... उसने बिस्तर के साथ रखी हुई मेज़ पर पड़े लॅंप को ऑन कर दिया और हल्की रोशनी कमरे में फेल गयी...
शन्नो चेतन के चेहरे को देख रही थी... ऐसा लग रहा था कि चेतन बड़ी गहरी नींद में सो रहा हो...
शन्नो ने अपना हाथ बढ़ाया और अपने बेटे के गालो प्यार से छुआ... अभी भी उसके दिमाग़ में आकांक्षा के प्रति
ज्वालामुखी पनप रहा था कि कैसे उसने मेरे बेटे को मुझसे छीन लिया... शन्नो के हाथ चेतन पे पड़ी चद्दर पे
गया और उसको सरकाते हुए शन्नो ने चेतन के बदन से हटा दिया... चेतन बिस्तर पे पूरा सीधा लेटा हुआ बस
उसकी मुंदी सीधी दीवार की तरफ थी.... चेतन ने पाजामा और टी-शर्ट पहेन रखी थी जोकि सोने के कारण उपर हुई पड़ी थी.... चेतन की नाभि और थोड़ा सा पेट शन्नो को दिखाई दे रहा था... उसका काप्ता हुआ हाथ आगे बढ़ा और चेतन के
पेट को महसूस करने लगा.... उसके उल्टे हाथ की कलाई ने ग़लती से उसके लंड को च्छू लिया और शन्नो ने घबराहट में अपना
हाथ वापस खीच लिया.... शन्नो को महसूस हो गया था कि उसका दिल कितने ज़ोरो से धड़क रहा था, कि उसका दिमाग़ कुच्छ अच्छा बुरा नहीं सोच रहा था.. उसकी चूत कितनी गीली हो रखी थी, कि अब पीछे हटने का कोई मतलब नही था....
शन्नो ने हाथ बढ़ाकर चेतन के लंड पर रख दिया जोकि पाजामें था... आहिस्ते आहिस्ते वो अपना हाथ हिलाने लग गयी....
उसने फिर बड़ी सावधानी से अपने बेटे के पाजामें को दोनो तरफ से पकड़ा और उसकी जाँघो तक उतार दिया....
चेतन ने अंदर कच्छा नहीं पहना हुआ था और उसके सोता हुआ लंड शन्नो के सामने था... उसको पकड़के के शन्नो
उसपे उंगलिया चलाने लग गयी.... उसका गला सूख गया... वो झुकी तो उसके बाल चेतन के पेट पर झूलने लगे क्यूंकी उसने अपना मुँह खोलके चेतन के लंड पर रख दिया था.... उसके लाल होंठ अपने बेटे के लंड को चूसने मे लगे थे...
चेतन का लंड भी बड़ा होने लगा और शन्नो के जिस्म की प्यास भी बढ़ने लगी थी... शन्नो ने अपने सीधे से हाथ से अपनी
नाइटी को उठाया और उसमें हाथ डालके अपनी चूत को मसल्ने लगी... उसकी चूत मानो नलका बन गयी हो जो हर बारी
छुने पे पानी छोड़ देती थी... उसने चेतन के चेहरे को देखा और बस उसने वो करने की सोचली जो वो यहाँ करने आई थी....
जिस्म की प्यास compleet
Re: जिस्म की प्यास
वो बिस्तर पे खड़ी हुई और अपनी नाइटी में हाथ डालकर उसने अपनी पैंटी को उतार फेका....
फिर बड़ी आराम से वो चेतन के सिर के उपर तक अपनी गान्ड ले गयी ताकि उसकी चूत को चेतन के होंठो से छुआ पाए...
धीरे धीरे वो अपनी चूत को चेतन के होंठो से छुआ रही... उसकी चूत के पानी की एक बूँद चेतन के होंठो पे लगी...
शन्नो वहाँ बैठे बैठे दुआ माँग रही थी कि चेतन मेरी चूत को चॅटो प्लीज़ अपनी मा की चूत का रस पिओ....
शन्नो अपनी आँखें बंद कर अपनी चूत हिलाने लगी और वो एक दम से चौकी जब उसके बेटे की गीली ज़ुबान ने उसकी चूत को चॅटा..... शन्नो वहाँ से जब उठने लगी तो चेतन ने उसकी जाँघो को जाकड़ लिया ताकि वो जा ना पाए और उसकी चूतचाटने लगा..
"यही चाहती थी ना आप... कि मैं आपकी गीली चूत को चातु" चेतन शन्नो की चूत को चाट्ता हुआ बोला
"तुम जागे हुए थे" शन्नो ने चेतन से धीमी आवाज़ में पूछा
चेतन बोला "मैं तो तबसे जगा हुआ था जब मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला था और आप मेरे पास आकर बेताब हुई बैठी थी... मैं तो बस इसी का इंतजार कर रहा था कि कब आप शुरूवात करें... फिर मेरा मन करा की और इंतजार करके देखु कि
मेरी मम्मी और कितना आगे जाएँगी..." चेतन शन्नो की चूत चाटते जा रहा था और शन्नो मस्ती में धीमी धीमी
सिसकियाँ ले रही थी.... चेतन जानता था कि उसकी मा की छूट सिर्फ़ चाटने और चूसने से शांत नही होगी उसको ठोकना पड़ेगा
और सच बात तो ये था कि चेतन ये करने के लिए इस पूरे वक़्त बेताब था... चेतन ने शन्नो को अपने उपर से हटाया और
अपने पाजामे को पूरा उतार दिया...
शन्नो बोली "ये... ये क्या कर रहे हो तुम"
चेतन बोला "वोई जो आप करवाने आई हो मम्मी"
"देखो डॉली या फिर ललिता आ जाएगी.. हम ये अभी नहीं कर सकते... "
चेतन ने एक नहीं सुनी और अपनी मा की टाँगें चौड़ी करी और अपना तना हुआ लंड उसमें डाल दिया.... शन्नो आधी बिस्तर
पे लेटी हुई जन्नत की सैर करने लगी....चेतन घोड़े की तरह अपना लंड अपनी मा की चूत में घुसा रहा था...
शन्नो ने बड़ी कोशिश करी कि वो एक आवाज़ भी ना निकाले अपने मुँह से मगर उसके बेटे के लंड ने ये होने नहीं दिया....
वो बस यही दुआ कर रही थी कि उसकी दोनो बेटियाँ गहरी नींद में सो रही हो... मगर फिर वो मायूस हो गयी क्यूंकी
चेतन ने अपना लंड उसकी चूत में से निकाल लिया... शन्नो ने चेतन को देखा जोकि अपनी मम्मी को देखकर बोला
"ये लंड अब एक शर्त पे अंदर घुसेगा.. " कैसी शर्त" शन्नो ने आहिस्ते से पूछा"
फिर बड़ी आराम से वो चेतन के सिर के उपर तक अपनी गान्ड ले गयी ताकि उसकी चूत को चेतन के होंठो से छुआ पाए...
धीरे धीरे वो अपनी चूत को चेतन के होंठो से छुआ रही... उसकी चूत के पानी की एक बूँद चेतन के होंठो पे लगी...
शन्नो वहाँ बैठे बैठे दुआ माँग रही थी कि चेतन मेरी चूत को चॅटो प्लीज़ अपनी मा की चूत का रस पिओ....
शन्नो अपनी आँखें बंद कर अपनी चूत हिलाने लगी और वो एक दम से चौकी जब उसके बेटे की गीली ज़ुबान ने उसकी चूत को चॅटा..... शन्नो वहाँ से जब उठने लगी तो चेतन ने उसकी जाँघो को जाकड़ लिया ताकि वो जा ना पाए और उसकी चूतचाटने लगा..
"यही चाहती थी ना आप... कि मैं आपकी गीली चूत को चातु" चेतन शन्नो की चूत को चाट्ता हुआ बोला
"तुम जागे हुए थे" शन्नो ने चेतन से धीमी आवाज़ में पूछा
चेतन बोला "मैं तो तबसे जगा हुआ था जब मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला था और आप मेरे पास आकर बेताब हुई बैठी थी... मैं तो बस इसी का इंतजार कर रहा था कि कब आप शुरूवात करें... फिर मेरा मन करा की और इंतजार करके देखु कि
मेरी मम्मी और कितना आगे जाएँगी..." चेतन शन्नो की चूत चाटते जा रहा था और शन्नो मस्ती में धीमी धीमी
सिसकियाँ ले रही थी.... चेतन जानता था कि उसकी मा की छूट सिर्फ़ चाटने और चूसने से शांत नही होगी उसको ठोकना पड़ेगा
और सच बात तो ये था कि चेतन ये करने के लिए इस पूरे वक़्त बेताब था... चेतन ने शन्नो को अपने उपर से हटाया और
अपने पाजामे को पूरा उतार दिया...
शन्नो बोली "ये... ये क्या कर रहे हो तुम"
चेतन बोला "वोई जो आप करवाने आई हो मम्मी"
"देखो डॉली या फिर ललिता आ जाएगी.. हम ये अभी नहीं कर सकते... "
चेतन ने एक नहीं सुनी और अपनी मा की टाँगें चौड़ी करी और अपना तना हुआ लंड उसमें डाल दिया.... शन्नो आधी बिस्तर
पे लेटी हुई जन्नत की सैर करने लगी....चेतन घोड़े की तरह अपना लंड अपनी मा की चूत में घुसा रहा था...
शन्नो ने बड़ी कोशिश करी कि वो एक आवाज़ भी ना निकाले अपने मुँह से मगर उसके बेटे के लंड ने ये होने नहीं दिया....
वो बस यही दुआ कर रही थी कि उसकी दोनो बेटियाँ गहरी नींद में सो रही हो... मगर फिर वो मायूस हो गयी क्यूंकी
चेतन ने अपना लंड उसकी चूत में से निकाल लिया... शन्नो ने चेतन को देखा जोकि अपनी मम्मी को देखकर बोला
"ये लंड अब एक शर्त पे अंदर घुसेगा.. " कैसी शर्त" शन्नो ने आहिस्ते से पूछा"
Re: जिस्म की प्यास
चेतन शन्नो की चूत के बालो पर अपना लंड रगडे जा रहा था ताकि उसकी चूत की गर्मी बरकरार रहे... वो बोला
"हमारा दिल्ली का टिकेट कॅन्सल करदो... सिर्फ़ डॉली और ललिता को जाने दो.. ताकि हम दोनो यहाँ कुच्छ दिन रह सके"
अभी को देखते हुए शन्नो की चूत की प्यास के सामने ये बात कुच्छ मायने नहीं रखती थी और उसने चेतन से वादा कर दिया.... चेतन ये सुनकर ही शन्नो की चूत को फिर से ठोकने लगा... और उसने अपने सिर को नीचे करा और दोनो मा बेटे
ने एक दूसरे के होंठो को चूम लिया... दोनो की ज़ुबान एक दूसरे से पेच लगाने लगी और चेतन को पता भी नहीं
चला कि उसने अपनी मा की चूत में ही सारा पानी डाल दिया.... शन्नो को इस बात से कोई ख़तरा नहीं था क्यूंकी और बच्चे पैदा ना करने की वजह से उसने अपनी चूत को सील करवा रखा था.... शन्नो ये हसीन पल रखते हुए अपने कमरे
में जाकर सो गयी...
कल रात की चुदाई के कारण शन्नो बहुत ही गहरी नींद में सोई पड़ी थी... घर की घंटी बजे जा रही थी मगर उसको
कुच्छ होश नहीं था.... शोर से परेशान ललिता अपने बिस्तर से उठी और दरवाज़ा खोलने गयी...
ललिता की आँखें नींद के मारे खुल भी नहीं पा रही थी उसने दरवाज़ा खोला तो उसकी नज़रो के सामने दूध वाला
खड़ा था.... ललिता को पता नहीं चला था कि उसने फिलहाल एक टाइट सफेद रंग का टॉप पहेन रखा था जोकि उसके
स्तनो से बुर्री तरह चिपकी हुई थी जिस कारण उसकी चुचियाँ दूध वालो की नज़रे के सामने थी....
दूधवाला वाला चाह के भी अपने आपको रोक नहीं पाया और ललिता की चुचियाँ को देख कर बोला "दूध.....
लाया हूँ पतीला लेके आओ"
ललिता मूड के किचन की तरफ बढ़ी तो दूधवाला उसकी पीठ को लग गया कि छोरि ने अंदर कुच्छ नहीं पहेन रखा....
ललिता पतीला ढूँढ के वापस दूधवाले के पास गयी और वो बंदा पतीले में दूध डालने लगा मगर उसकी तिर्छि
निगाहें ललिता के दूध पर थी.... उसका इतना मन कर रहा था उनको महसूस करने का कि वो उसके लिए 200 रुपये
भी देदेता मगर ऐसा कुच्छ हुआ नहीं... ललिता दूध का पतीला लेके उस दूधवाले के मुँह पे दरवाज़ा मारके फिर
से सोने चली गयी.... दूधवाले ने अपने तने हुए लंड को ठीक करा और वहाँ से चलता बना....
सुबह एक एक करके सब जाते गये और घर खाली होता गया सिर्फ़ शन्नो घर पे अकेली रह गयी....
वो अपने कल किए गये वादे के बारे में सोच रही थी जो उसने अपने बेटे से किया था मगर उसको पूरा करने
में उसे डर लग रहा था.... वो चाहती तो थी अपने बेटे के साथ कुच्छ दिन अकेले गुज़ारने की मगर उसे नही लगता
था कि उसका पति ऐसा कुच्छ होने देगा.... उसने फोन उठाके कयि बारी कॉल करने की कोशिश करी मगर उसे समझ
नही आ रहा था कि वो क्या बहाने बनाए जिससे नारायण उसकी बात मान जाए... पूरे दिन उसके दिमाग़ में
बस यही चल रहा था और फिर चेतन अपना एग्ज़ॅम देकर घर लौटा.... घर में घुसते ही उसने अपनी मम्मी से पूछा
"टिकेट करा दिया दीदी और ललिता का??" शन्नो के पास इस सवाल का कुच्छ जवाब नही था और चेतन गुस्से में अपने कमरे में चला गया.... काफ़ी देर तक शन्नो ने उसे मनाने की कोशिश करी मगर चेतन अपने कमरे का दरवाज़ा बंद
करके बैठ गया था... हारकर शन्नो घर का समान लेने के लिए बाहर चली गयी.... उसने सोच लिया था कि ये सिलसिला
ज़्यादा दिन तक चल नही पाएगा क्यूंकी एक ना एक दिन तो उसे अपने पति के पास जाना ही होगा और उसके बाद इन
सब चीज़ो को रोकना होगा और सबके लिए बेहतर यही था कि जितना जल्दी हो सके ये रुक जाए....
शन्नो ने घर का सारा समान ले लिया था और पूरी हिम्मत से वो अपने घर की तरफ मूडी...
क्रमशः…………………..
"हमारा दिल्ली का टिकेट कॅन्सल करदो... सिर्फ़ डॉली और ललिता को जाने दो.. ताकि हम दोनो यहाँ कुच्छ दिन रह सके"
अभी को देखते हुए शन्नो की चूत की प्यास के सामने ये बात कुच्छ मायने नहीं रखती थी और उसने चेतन से वादा कर दिया.... चेतन ये सुनकर ही शन्नो की चूत को फिर से ठोकने लगा... और उसने अपने सिर को नीचे करा और दोनो मा बेटे
ने एक दूसरे के होंठो को चूम लिया... दोनो की ज़ुबान एक दूसरे से पेच लगाने लगी और चेतन को पता भी नहीं
चला कि उसने अपनी मा की चूत में ही सारा पानी डाल दिया.... शन्नो को इस बात से कोई ख़तरा नहीं था क्यूंकी और बच्चे पैदा ना करने की वजह से उसने अपनी चूत को सील करवा रखा था.... शन्नो ये हसीन पल रखते हुए अपने कमरे
में जाकर सो गयी...
कल रात की चुदाई के कारण शन्नो बहुत ही गहरी नींद में सोई पड़ी थी... घर की घंटी बजे जा रही थी मगर उसको
कुच्छ होश नहीं था.... शोर से परेशान ललिता अपने बिस्तर से उठी और दरवाज़ा खोलने गयी...
ललिता की आँखें नींद के मारे खुल भी नहीं पा रही थी उसने दरवाज़ा खोला तो उसकी नज़रो के सामने दूध वाला
खड़ा था.... ललिता को पता नहीं चला था कि उसने फिलहाल एक टाइट सफेद रंग का टॉप पहेन रखा था जोकि उसके
स्तनो से बुर्री तरह चिपकी हुई थी जिस कारण उसकी चुचियाँ दूध वालो की नज़रे के सामने थी....
दूधवाला वाला चाह के भी अपने आपको रोक नहीं पाया और ललिता की चुचियाँ को देख कर बोला "दूध.....
लाया हूँ पतीला लेके आओ"
ललिता मूड के किचन की तरफ बढ़ी तो दूधवाला उसकी पीठ को लग गया कि छोरि ने अंदर कुच्छ नहीं पहेन रखा....
ललिता पतीला ढूँढ के वापस दूधवाले के पास गयी और वो बंदा पतीले में दूध डालने लगा मगर उसकी तिर्छि
निगाहें ललिता के दूध पर थी.... उसका इतना मन कर रहा था उनको महसूस करने का कि वो उसके लिए 200 रुपये
भी देदेता मगर ऐसा कुच्छ हुआ नहीं... ललिता दूध का पतीला लेके उस दूधवाले के मुँह पे दरवाज़ा मारके फिर
से सोने चली गयी.... दूधवाले ने अपने तने हुए लंड को ठीक करा और वहाँ से चलता बना....
सुबह एक एक करके सब जाते गये और घर खाली होता गया सिर्फ़ शन्नो घर पे अकेली रह गयी....
वो अपने कल किए गये वादे के बारे में सोच रही थी जो उसने अपने बेटे से किया था मगर उसको पूरा करने
में उसे डर लग रहा था.... वो चाहती तो थी अपने बेटे के साथ कुच्छ दिन अकेले गुज़ारने की मगर उसे नही लगता
था कि उसका पति ऐसा कुच्छ होने देगा.... उसने फोन उठाके कयि बारी कॉल करने की कोशिश करी मगर उसे समझ
नही आ रहा था कि वो क्या बहाने बनाए जिससे नारायण उसकी बात मान जाए... पूरे दिन उसके दिमाग़ में
बस यही चल रहा था और फिर चेतन अपना एग्ज़ॅम देकर घर लौटा.... घर में घुसते ही उसने अपनी मम्मी से पूछा
"टिकेट करा दिया दीदी और ललिता का??" शन्नो के पास इस सवाल का कुच्छ जवाब नही था और चेतन गुस्से में अपने कमरे में चला गया.... काफ़ी देर तक शन्नो ने उसे मनाने की कोशिश करी मगर चेतन अपने कमरे का दरवाज़ा बंद
करके बैठ गया था... हारकर शन्नो घर का समान लेने के लिए बाहर चली गयी.... उसने सोच लिया था कि ये सिलसिला
ज़्यादा दिन तक चल नही पाएगा क्यूंकी एक ना एक दिन तो उसे अपने पति के पास जाना ही होगा और उसके बाद इन
सब चीज़ो को रोकना होगा और सबके लिए बेहतर यही था कि जितना जल्दी हो सके ये रुक जाए....
शन्नो ने घर का सारा समान ले लिया था और पूरी हिम्मत से वो अपने घर की तरफ मूडी...
क्रमशः…………………..