नई का नशा compleet

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007
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Re: नई का नशा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:45


अब तक तो मैं नीलम रानी के नितम्ब पकड़ कर धक्के मार रहा था। फिर मैंने उसकी चूचियाँ पीछे से कस के भींच लीं और उन्हें दबोचे दबोचे मैं बड़ी तेज़ी से तगड़े तगड़े धक्के पेलने लगा।
नीलम रानी मज़े से बेहाल हुई जा रही थी, जितना ज़ोरदार धक्का मैं ठोकता उतनी ही तेज़ उसकी सीत्कार निकलती।
नीलम रानी ने कहा- राजे… मदमस्त कर दिया तुमने… पूरी ताक़त लगा दो मेरे राजा… इतने ज़ोर से पेलो कि चूत के परखच्चे उड़ जाएँ ! हाँ… हाँ… हाँ… राजा… हाँ… हाँ… .और ज़ोर का धक्का ठोक ना मादरचोद… हाँ… राजा… .हाँ… हाँ… हाँ… हाँ… बड़ा मज़ा आ रहा है… ऐसे ही चोदते रहो… थोड़ा राजा मम्मे को और ज़ोर से मसलो… हाँ राजा हाँ… राजा सीट पर बैठ कर चोदो ना… थक गई मैं खड़े खड़े चूत मराते !
‘चुपचाप खड़ी खड़ी चुदे जा… सीट टूट जाएगी हम दो लोग के वज़न से… सीट चुदाई के लिए थोड़े ही डिज़ाइन की गई है !’ यह कहते हुए मैंने एक ज़बरदस्त धक्का रसीद किया।
नीलम रानी सारी थकान भूल के चूत में मची हलचल का मज़ा लेने लगी।
मैं झड़ने के बहुत क़रीब पहुँच गया था, मेरी साँसें तेज़ हो गई थीं और मेरा शरीर पसीना पसीना हो चुका था, मज़ा बेइंतिहा आ रहा था।
नीलम रानी तो बिल्कुल पगला गई थी धकाधक चूत में मचाई हुई लण्ड की धमाचौकड़ी से।
इधर मैं उसके चूचुक ज़ोर ज़ोर से मसल ही रहा था, चूत से रस लगातार बहे जा रहा था, मेरा लण्ड, झांटें और जाँघों का ऊपर का प्रदेश सब चूतामृत से भीग चुके थे।
मुँह से ‘हैं… हैं… हैं… हैं’ की सीत्कार भरते हुए मैंने दस बारह बड़े लम्बे धक्के मारे।
धक्के इतने ज़ोरदार थे कि हर धक्के पर जब लण्ड चूत में दनदनाता हुआ बच्चेदानी के मुहाने पर ठुकता तो मेरे सिर तक धमक महसूस होती।
फच फच फच फच की आवाज़ें हर धक्के पर आतीं।
अंत में मैं झड़ा और लण्ड के कई तुनके मारे और हर तुनके पर एक बड़ा सा वीर्य का लौंदा नीलम रानी की चूत में उगलता गया।
नीलम रानी तो तीसरे धक्के में ही ढेर हो गई। वो इतना अधिक बारम्बार झड़ी कि पूछो मत।
अगर मैंने उसे कस कर जकड़ा न होता तो शायद गिर ही पड़ती।
यही परेशानी है खड़े खड़े बाथ रूम में चोदने में, झड़ने के बाद लेटने को नहीं मिलता।
स्खलित होती बुर के रस की गर्म गर्म फुहार ने लण्ड को तरबतर कर दिया और इस चिकने रस से बैठा हुआ लौड़ा पिच्च्च से बाहर फिसल आया, साथ में ढेर सारा मेरे मक्खन से मिला जुला चूत का पानी भी रिस रिस कर बाहर निकलने लगा जिससे नीलम रानी की योनि के आस पास का बदन और घुटनों तक जाँघें भीग गईं।
नीलम रानी तो अर्धमूर्च्छा की हालत में थी इसलिए मैंने टॉइलेट पेपर से उसके बदन को साफ किया और सुखाया और फिर अपने आप को।
नीलम रानी को बाहों में लेकर कुछ देर तक मैं अपनी सांसों को काबू में करता रहा।
थोड़ी देर में नीलम रानी भी जागृत हो गई, मैंने पूछा, ‘क्यों रानी… मज़ा आया? कैसा लगा बाथ रूम में चुदाई करवा के?’
‘राजे… राजे… राजे… इतना मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकती। तुम तो सच में बहुत शातिर चोदू हो। तुम्हारी पत्नी का तो जीवन सफल हो गया हर रोज़ तुम्हारा लौड़ा ले ले कर… मैं तो राजा तुम्हारी दासी हो गई ज़िंदगी भर के लिए… बस चोदते रहो, चाटते रहो और चूसते रहो मुझे… और कुछ भी ना चाहूँ मैं !’
मैं बोला- नीलम रानी, तू भी तो दिल खोल के मज़ा देती है… बता तो तेरे महा चोदराज जीजा के क्या हाल हैं? कोई नई ताज़ी चुदाई की दास्तान?’
‘अरे क्या बताउँ राजे… जीजाजी तो रोज़ चार चार बार अनु को चोद रहे ही हैं, अब उन पर एक नई नया फितूर सवार हो गया है, वो अनु के पीछे पड़े हैं कि वो अनु को किसी और मर्द से चुदाते हुए देखना चाहते है और फिल्म उतरना चाहते हैं, कहते हैं कि दो मर्द और एक औरत का खेल उन्होंने कभी नहीं खेला और उनका बड़ा अरमान है कि अनु को किसी अन्य मर्द के साथ मिल कर चोदें… साथ यह भी नहीं चाहते कि उनका कोई दोस्त इसमें भाग ले… अब कहाँ से लाए अनु एक दूसरे मर्द को?’
‘छोरा बग़ल में और ढिंढोरा शहर में?’ मैं बोला- जब तेरे जीजा को इतना चसका है पराए मर्द से अपनी बीवी चुदवाने का तो मेरे लण्ड में क्या कांटे उगे हैं कि मैं तेरी बहन तो नहीं चोद सकता… अगर मैं उसकी चूत लूं तो तेरे पेट में तो दर्द नहीं उठेगा?’
नीलम रानी ने मेरी चुम्मी ली और बोली- अरे राजे… मेरे पेट में कोई दर्द नहीं होगा… तुम कौनसा उसे चोद के मुझे छोड़ दोगे… बल्कि तुमने तो एक बड़ी समस्या सुलझा दी…
‘अरे मेरी जान नीलम रानी… मेरी बुलबुल… तुझे भला कैसे छोड़ सकता हूँ… तेरी बहन परेशान थी तो सोचा चलो मदद कर दूं… तेरे जैसी मलाई कौन छोड़ सकता है।’ मैंने उसे बाहुपाश में जकड़ कर एक गहरा चुम्बन लिया- चल अब फोन कर अपनी बहन को… कह कि यहाँ होटल गेटवे में दो कमरे बुक करवाए एक मेरे नाम पर और एक अपने। एक दिन, दो दिन, जितने भी दिन उसका दिल चाहे अपनी बीवी को पराए मर्द से चुदाने का उतने दिन का बुक कर ले।’
नीलम रानी ने फोन लगाकर अपनी बहन अनुजा से बात की।
अनुजा ने कहा कि वो अपने चोदू खसम से पूछ कर वापस फोन करेगी।
हमने अपने अपने कपड़े पहने और बाल ठीक करके बाथरूम से निकल कर ऑफिस में आ गए।


007
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Re: नई का नशा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:46

नीलम रानी को बाथरूम में अच्छे से चोदने के बाद सामने की कुर्सी पर बिठा कर बड़ी मुश्किल से मैंने अपना दिमाग काम पर लगाया।
दो घंटे के बाद मेरी एक ज़रूरी मीटिंग थी।
तभी मुझे खयाल आया कि मीटिंग चलते हुए अगर नीलम रानी मेरे लिंग को चूसे तो क्या कहने।
तब मैंने काम छोड़ कर अपना सारा दिमाग यह सोचने पर खपाया कि इस असंभव से लगने वाले काम को संभव कैसे बनाया जाए।
मेरी ऑफ़िस-टेबल काफी बड़ी थी, मैंने हिसाब लगाया तो लगा कि नीलम रानी बड़े आराम से टेबल के नीचे घुस सकती है, वहाँ बैठ कर अगर वो लण्ड चूसती है तो कैसे किसी को कुछ पता चलेगा, दिखाई तो कुछ देगा नहीं, बस मुझे अपने मुँह और सांसों पर काबू रखना होगा।
खुश होकर मैंने ताली बजाई और एक किलकारी भरी।
नीलम रानी चौंक गई आवाज़ सुनकर- राजा… क्या हुआ? इतनी मस्ती क्यों छांट रहे हो? तुम्हारी नीयत में गड़बड़ लगती है मुझे तो !
‘अरे पूछ मत नीलम रानी… आज तो मेरी जान बस ऐसा आनन्द आएगा जिसका कोई हिसाब नहीं !’
‘पर राजे हुआ क्या? कुछ बोलोगे भी या खुद ही खुश होते रहोगे?’ नीलम रानी ने खीज के कहा।
‘सुन रानी… आज मेरी मीटिंग से पहले तू मेरी टेबल के नीचे घुस के बैठ जाना… मीटिंग चलती रहेगी और तू अपने प्यारे भोले को चूस चूस के प्यार करना। है ना कितने मज़े की बात… दो घंटे मीटिंग चलेगी। इतनी देर में दो बार तो तू मेरा चूस चूस के झाड़ ही सकती है।’
नीलम रानी ने खफा होने का नाटक किया हालांकि दिल ही दिल में वो खुश हो रही थी कि ऐसे नायाब ढंग से आज उसे लौड़ा पीने का मौक़ा मिलेगा।
थोड़ी देर नक़ली गुस्से से मेरी तरफ देखती रही, फिर बोली- तू साले बंदा है, क्या है? मुझे टेबल के नीचे बिठा कर लण्ड चुसवाएगा… फिर जब किलकारियाँ मारेगा, सी सी करेगा तो पता नहीं चलेगा उनको, दस लोग जो मीटिंग में आएंगे? मादरचोद अभी अभी दो बार झड़ चुका है। शाम को घर जाकर बीवी को कैसे चोदेगा अगर दो बार और झड़ गया। तू तो बहुत सीनियर अफसर है, पकड़े गए तो मेरी ही नौकरी जाएगी… और अगर मुझे छींक आ गई तो?
‘कुछ नहीं होगा नीलम रानी… मैं किलकारी नहीं मारूंगा… ना ही सीत्कार करूंगा… अगर तुझे छींक आ जाए तो मेरी टांग में चूंटी काटना। मैं तुरंत झूट मूठ खाँसना शुरू कर दूंगा जिससे छींक की आवाज़ दब जाएगी… नीलम रानी अगर कुछ अलग करना है तो कुछ तो झेलना भी पड़ेगा। तू बस जल्दी से टेबल के नीचे एक बार घुस के देख ले।’
नीलम रानी घूम के टेबल के सामने की तरफ आई जहाँ मेरी कुर्सी थी, कुर्सी को साइड में सरका कर नीलम रानी टेबल के नीचे घुस गई।
बड़े आराम से वह टेबल के नीचे समा गई थी, कोई भी दिक़्क़त नहीं थी।
मैंने फिर भी पूछा- क्यों रानी ठीक है ना? कोई कष्ट?
‘नो प्राब्लम… राजे तेरे लण्ड को चूसने को जैसे तू चाहेगा, मैं तैयार हूँ… भरी मीटिंग में दस लोग के होते हुए मैं तेरा लौड़ा चूसूँगी यह सोच सोच कर ही मैं मतवाली हुए जा रही हूँ… हाय राम कितना मज़ा आएगा ना? लेकिन राजे तू रात को अपनी बीवी को कैसे चोद पाएगा?’
‘नीलम रानी, मेरी बीवी चुद पाएगी या नहीं यह सोच कर तू क्यों दुख पा रही है? उसे बहलाने का काम मेरा है ना।’
नीलम रानी मेज के नीचे से निकल आई। अब सब सेट हो गया था। बड़ी मुश्किल से मैंने दो घंटे का वक़्त गुज़ारा।
मीटिंग तय समय पर शुरू हो गई, मीटिंग से थोड़ी देर पहले, नीलम रानी बाथरूम में जाकर अपने कपड़े वहीं टांग कर बिल्कुल नंगी होके बाहर आई और मेज के नीचे घुस गई।
मैंने पूछा- नंगी क्यों हो गई?
कहने लगी- मीटिंग तो लम्बी चलेगी इसलिए तुम्हारे साथ मैं नीचे बैठी चूसती भी रहूँगी और गेम भी खेलती रहूंगी।
‘क्या गेम खेलेगी, रानी?’ मैं भी हैरान था।
‘तुम्हारा लौड़ा कभी चूचियों के बीच, कभी पैरों के बीच, कभी नितंबों के बीच तो कभी अपने गालों से रगड़ूँगी। अगर तुमने सही बताया कि कहाँ रगड़ रही हूँ, तो तुम जीतोगे और तुम मुझे चोदना। अगर ग़लत बताया तो मैं जीत जौउँगी और मैं तुम्हें चोदूंगी।’
‘अरे ओ चुदक्कड़ लड़की, बहनचोद मैं मीटिंग लूंगा या तेरी पहेलियों का जवाब दूंगा? चलो अगर जवाब दे भी दूं तो हरामज़ादी तू क्या दस लोगों के होते हुए, टेबल के नीचे से सवाल पूछेगी? एह ! साली चुदासी कुतिया गेम खेलेगी !! हुंह !!!’ मैं ताव खा गया।
‘अरे मेरे राजा… राजे राजे राजे… इतना भड़को मत। मैं हल्के से तुम्हारे पैरों पर उंगली से ठक ठक करूं तो समझना मैं पूछ रही हूँ लण्ड कहाँ रगड़ा गया। देखो मैं ऐसे ठक ठक करूँगी।’ नीलम रानी टेबल से बाहर निकली और मेरे हाथ पर अपनी प्यारी सी उंगली से ठक ठक करके दिखाई।
मैंने खीज के अपना सिर पकड़ लिया- नीलम रानी… तेरी समझ लगता है तेरी चूत में घुस गई है। मैं जवाब कैसे दूंगा?
‘अब यह तुम सोचो… मैं तो बस पूछूँगी… हार गए तो मैं चोदूंगी अपने हिसाब से।’ इतना कह के नीलम रानी वापस टेबल के नीचे जा घुसी और मैं मूर्खों की तरह उसे देखता रह गया।

007
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Re: नई का नशा

Unread post by 007 » 31 Oct 2014 21:46


हे भगवान क्या तूने औरत ज़ात बनाई है ! इसका तो कुछ हिसाब किताब ही समझ नहीं आ सकता। मैं तो समझता था कि शादी के बाद लड़कियों के दिमाग में कुछ हो जाता है और आदमियों को उनकी बातें पल्ले ही नहीं पड़तीं। पर नीलम रानी ने यह साबित कर दिया कि शादीशुदा हो या कुंवारी, लड़कियों को समझना मर्दों के बस का रोग नहीं।
ख़ैर, मैंने अपनी रिवॉल्विंग कुर्सी को बिल्कुल नीचे, जितना नीचे जा सकती थी उतना नीचे, सेट कर दिया ताकि लण्ड चूसते हुए नीलम रानी का सिर मेज से न टकराए।
मीटिंग तय समय पर शुरू हो गई। मैं अपनी कुर्सी पर मेज से बिल्कुल चिपक कर बैठा था। कुर्सी बहुत नीचे करने के कारण टेबल की टॉप मेरे पेट को छू रही थी।
इधर मीटिंग चालू हुई, उधर नीलम रानी ने मेरे मोज़े जूते उतार दिए और फिर बड़ी सफाई से मेरी पैंट की ज़िप खोलकर लण्ड बाहर निकाल लिया।
जैसे ही उसने लण्ड के सुपारे को दोनों हाथों में थाम कर मथनी की तरह हाथ चलाए, लण्ड अकड़ गया।
इधर मेरे जूनियर लोग अपना अपना पॉवर-पाइंट प्रेज़ेंटेशन देने में लगे हुए थे, उधर नीलम रानी मेरे लण्ड से खेल रही थी।
कभी वो लण्ड को अपने हाथों के बीच में रख कर मथती जैसे लस्सी बनाते हैं, तो कभी वो चमड़ी पीछे खींच टोपा नंगा कर के अपनी नाक से लगाकर अच्छे से सूँघती।
उसने कई बार लण्ड के चौचक को अपने पूरे मुँह पर फिराया और फिर लेट कर उसने लौड़ा अपने पैरों में फंसा कर खूब हिलाया।
वो लण्ड को एक चूची की निप्पल पर रगड़ती और फिर दूसरी। मैं मीटिंग में क्या हो रहा था यह समझने की सख्त चेष्टा कर रहा था।
इतने सारे लोगों के होते हुए मेरी नीलम रानी मेरे लण्ड से खिलवाड़ कर रही थी इससे मेरा जोश धकाधक बढ़े जा रहा था।
उत्तेजना इतनी अधिक हो रही थी कि बर्दाश्त करना भारी हो रहा था।
बीच बीच में नीलम रानी मेरे पैरों पर अपनी उंगलियों से ठक ठक करती।
बहनचोद ! मैं मीटिंग में कैसे उसे बताऊँगा कि वो लण्ड को कहाँ रगड़ रही है। ठीक है उसी को जीतने दो। जीत के भी तो चुदेगी ही और हारती तो भी चुदती। चोदने दो हरामज़ादी को अपने अंदाज़ में। मेरे बाप का क्या जाता है। चूत मिलने से मतलब है ना। देखते हैं क्या स्टाइल है नीलम रानी के चोदने का !
मीटिंग चल रही थी और अब नीलम रानी लण्ड से खेल खेल के उसे मुँह में ले चुकी थी।
धीरे धीरे वो खाल को आगे पीछे कर रही थी और जीभ सुपारे की धार पर फिरा फिरा के मुझे हद से ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी।मीटिंग वाले भी खुश थे कि बॉस आज बिल्कुल फटकार नहीं रहे हैं।
इसलिए मीटिंग जल्दी ही खत्म होने वाली थी। मैं भी इसी चक्कर में था कि मीटिंग को फटाफट निपटा दूं क्योंकि मस्ती के कारण किलकारी रोकना अब भारी होता जा रहा था।
नीलम रानी अब धकाधक चूस रही थी, उसने पूरा का पूरा लौडा मुँह के अंदर घुसा लिया था और क्योंकि मैं तो हिल नहीं सकता था, वो अपना सिर आगे पीछे हिला कर लण्ड की मुखचुदाई कर रही थी।
मेरा सुपारा एन नीलम रानी के गले से सटा हुआ था।
खैर येन केन प्रकारेण मैंने मीटिंग पूरी की और आराम से बैठ कर लौड़ा चुसवाने का आनन्द उठाने लगा। नीलम रानी ने सिर आगे पीछे करने की स्पीड तेज़ कर दी, उसके मुँह से निकलते हुए खूब सारे रस से लण्ड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था।
नीलम रानी ने लौड़े को जड़ पर पकड़ा हुआ था और वो अब लण्ड के नीचे की मोटी नस को बार बार धीरे से दबा रही थी। मज़ा कई गुना करने में तो यह लौंडिया सच में माहिर थी।
उत्तेजना मेरे अंग अंग में आग लगा चुकी थी। अब नीलम रानी सिर्फ सुपारा मुँह में रहने दिया और बड़ी तेज़ी से लण्ड की चमड़ी आगे पीछे – आगे पीछे – आगे पीछे करने लगी।
मज़े की चरम सीमा के पास पहुँचता मैं भी अब अपने चूतड़ धकिया धकिया के मज़ा लूटने लगा।
मेरी नस नस में तूफान छा गया था और रीढ़ में एक सुरसुरी रेंगने लगी थी।
अब स्खलित होने में ज़्यादा वक़्त ना था।
नीलम रानी ने तो रफ़्तार बिल्कुल राजधानी एक्सप्रेस जैसी कर दी थी।
एक गहराई सांस लेकर मैंने रोकने की कोशिश की लेकिन असफल रहा, एक बड़े ज़ोर की सीत्कार भर कर मैं धड़ाक से झाड़ा। सारा का सारा मक्खन नीलम रानी के मुँह में गया, इतना ढेर सारा वीर्य छूटा की पूछो नहीं। नीलम रानी ने लण्ड हिलाना बंद कर के पूरा ध्यान मलाई पीने में लगा दिया।
जब लिंग से सब वीर्य निकल चुका तो नीलम रानी ने लण्ड को अपनी चूचुक से रगड़ के पौंछा, फिर उसने लौड़े की नस पिचका पिचका के तीन चार बूंद और निकालीं, उनको नीलम रानी ने चाट लिया और खूब चटखारे लिए।
फिर उसने बड़े सलीके से लुल्ले को वापस पैन्ट में घुसा कर ज़िप बंद कर दी। मैंने दस गहरी गहरी साँसें लेकर अपने आप को संभाला और एक गिलास पानी का पिया। नीलम रानी मेज से बाहर निकल आई।

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