सबाना और ताजीन की चुदाई -2
गतान्क से आगे............
अब प्रताप ने अपना लंड शबाना के मुँह से निकाला और शबाना की चूत छ्चोड़कर उसके होंठों को चूसने लगा. शबाना झाड़ चुकी थी लेकिन लंड की प्यास उसे बराबर पागल किए हुए थी. अब वो बिल्कुल नंगी प्रताप के नीचे लेटी हुई थी, और प्रताप भी एकदम नंगा उसके ऊपर लेटा हुआ था, प्रताप का लंड उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था और शबाना अपनी गांद उठा उठा कर प्रताप के लंड को खाने की फिराक में थी. प्रताप अब उसके टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी टाँगों को उठा कर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा. शबाना आहें भर रही थी, अपने सर के नीचे रखे तकिये को अपने हाथों में पकड़ कर मसल रही थी. उसकी गंद रह रह कर उठ जाती थी, प्रताप के लंड को खा जाने के लिए, मगर प्रताप तो जैसे उसे तडपा तडपा कर चोदना चाहता था, वो उसकी चूत पर अपने लंड को रगडे जा रहा था ऊपर से नीचे. अब शबाना से रहा नहीं जा रहा था - असीम आनंद की वजह से उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और मुँह से सिसकारियाँ छ्छूट रही थी. प्रताप का लंड धीरे धीरे फिसल रहा था, फिसलता हुआ वो शबाना की चूत में घुस जाता और बाहर निकल जाता - अब प्रताप उसे चोदना शुरू कर चुका था. हल्के हल्के धक्के लग रहे थे और शबाना भी अपनी गांद उठा उठा कर लंड खा रही थी. धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ रही थी और शबाना की सिसकारियों से सारा कमरा गूँज रहा था...प्रताप का लंड कोयले के एंजिन के टाइयर पर लगी पट्टी की तरह शबाना की चूत की गहराई नाप रहा था. प्रताप की चुदाई में एक लय थी और अब धक्कों ने रफ़्तार पकड़ ली थी. प्रताप का लंड तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था और शबाना भी पागल हो चुकी थी, वो अपनी गंद उठा उठा कर प्रताप के लंड को अपनी चूत में दबाकर पीस रही थी - अचानक शबाना ने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और अपने दोनों पैर प्रताप की कमर पर बाँध कर झूल गई, प्रताप समझ गया कि यह फिर झड़ने वाली है - प्रताप ने अपने धक्के और तेज़ कर दिए - उसका लंड शबाना की चूत में एकदम धंसता चला जाता, और, बाहर आकर और तेज़ी से घुस जाता. शबाना की चूत से फव्वारा छ्छूट गया और प्रताप के लंड ने भी शबाना की चूत में पूरा पानी उडेल दिया...
प्रताप और शबाना अब जब भी मौका मिलता एक दूसरे के जिस्म की भूख मिटा देते थे.
शबाना बहोत दिनों से प्रताप का लंड नहीं ले पाई थी. परवेज़ की बेहन ताज़ीन घर आई हुई थी. वो पूरे दिन घर पर ही रहती थी, जिस वजह से ना तो शबाना कहीं जा पाती थी और ना ही प्रताप को बुला सकती थी.
"शबाना में दो दिनों के लिए बाहर जा रहा हूँ, कुच्छ ज़रूरी काम है, ताज़ीन घर पर नहीं होती तो तुम्हें भी ले चलता". "कोई बात नहीं, आप अपना काम निपटा कर आइए". शबाना को परवेज़ के जाने की कोई परवाह नहीं थी, और उसके साथ जाने की इच्च्छा भी नहीं थी. वो तो ताज़ीन को भी भगा देना चाहती थी, जिसकी वजह से उसे प्रताप का साथ नहीं मिल पा रहा था, पूरे पंद्रह दिन से. और ताज़ीन अभी और 15 दिन रुकने वाली थी.
रात को ताज़ीन और शबाना बेडरूम में बिस्तर पर लेटे हुए फिल्म देख रहे थे. शबाना को नींद आने लगी थी, और वो गाउन पहन कर सो गई. सोने से पहले शबाना ने लाइट बंद करके डिम लाइट चालू कर दी थी. ताज़ीन किसी चॅनेल पर इंग्लीश फिल्म देख रही थी. फिल्म में काफ़ी खुलापन और सेक्स के सीन्स थे.
सबाना और ताजीन की चुदाई compleet
Re: सबाना और ताजीन की चुदाई
नींद में शबाना ने एक घुटना उपर उठाया तो अनायास ही उसका गाउन फिसल कर घुटने के उपर तक सरक गया. टीवी और डिम लाइट की रोशनी में उसकी दूधिया रंग की जाँघ चमक रही थी. अब ताज़ीन का ध्यान फिल्म में ना होकर शबाना के जिस्म पर था, और रह रह कर उसकी नज़र शबाना के गोरे जिस्म पर टिक जाती थी. शबाना की खूबसूरत जांघें उसे मादक लग रही थी. कुच्छ तो फिल्म के सेक्स सीन्स का असर था और कुच्छ शबाना की खूबसूरती का. ताज़ीन ने टीवी बंद किया और वहीं शबाना के पास सो गई. थोड़ी देर तक बिना कोई हरकत किए सोई रही, फिर उसने अपना हाथ शबाना के उठे हुए घुटने वाली जाँघ पर रख दिया. हाथ रख कर वो ऐसे ही लेटी रही, एकदम स्थिर. जब शबाना ने कोई हरकत नही की, तो ताज़ीन ने अपने हाथ को शबाना की जाँघ पर फिराना शुरू कर दिया. हाथ भी इतना हल्का कि सिर्फ़ उंगलियाँ ही शबाना को च्छू रही थी, हथेली बिल्कुल भी नहीं. फिर उसने हल्के हाथों से शबाना के गाउन को पूरा नीचे कर दिया, अब शबाना की पॅंटी भी सॉफ नज़र आ रही थी. ताज़ीन की उंगलियाँ अब शबाना के घुटनों से होती हुई उसकी पॅंटी तक जाती और फिर वापस ऊपर घुटनों पर आ जाती. यही सब तकरीबन 2-3 मिनिट तक चलता रहा. जब शबाना ने कोई हरकत नहीं की, तो ताज़ीन ने शबाना की पॅंटी को छुना शुरू कर दिया, लेकिन तरीका वोही था. घुटनों से पॅंटी तक उंगलियाँ परदे कर रही थी. अब ताज़ीन धीरे से उठी और उसने अपना गाउन और ब्रा उतार दिया, और सिर्फ़ पॅंटी में शबाना के पास बैठ गई. शबाना के गाउन में आगे की तरफ बटन लगे हुए थे, ताज़ीन ने बिल्कुल हल्के हाथों से बटन खोल दिए. फिर गाउन को हटाया तो शबाना के गोरे चिट मम्मे नज़र आने लगे. अब ताज़ीन के दोनों हाथ व्यस्त हो गये थे, उसके एक हाथ की उंगलियाँ शबाना की जाँघ और दूसरे हाथ की उंगलियाँ शबाना के मम्मों को सहला रही थी. उसकी उंगलियाँ अब शबाना को किसी मोर-पंख की तरह लग रही थी. जी हाँ दोस्तो, शबाना उठ चुकी थी, लेकिन उसे अच्च्छा लग रहा था इसलिए बिना हरकत लेटी रही. वो इस खेल को रोकना नहीं चाहती थी.
अब ताज़ीन की हिम्मत बढ़ गई थी, उसने झुककर शबाना की चुचि को किस किया. फिर उठी, और शबाना के पैरों के बीच जाकर बैठ गई. शबाना को अपनी जाँघ पर गर्म हवा महसूस हो रही थी, वो समझ गई ताज़ीन की साँसें हैं. वो शबाना की जाँघ को अपने होंठों से च्छू रही थी, बिल्कुल उसी तरह जैसे वो अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. अब वोही साँसें शबाना को अपनी चड्डी पर महसूस हो रही थी, लेकिन उसे नीचे दिखाई नहीं दे रहा था. वैसे भी उसने अभी तक आँखें नहीं खोली थी. अब ताज़ीन ने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसे शबाना की पॅंटी में से झाँक रही गरमागरम चूत की दरार पर टिका दी. कुच्छ देर ऐसे ही उसने अपनी जीभ को पॅंटी पर ऊपर नीचे फिराया. शबाना की चड्डी ताज़ीन के थूक से और, चूत से निकल रहे पानी से भीगने लगी थी. अचानक ताज़ीन ने शबाना की पॅंटी को साइड में किया और शबाना की नंगी चूत पर अपने होंठ रख दिए. शबाना से और बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने अपनी गंद उठा दी, और दोनों हाथों से ताज़ीन के सिर को पकड़ कर उसका मुँह अपनी चूत से चिपका लिया. ताज़ीन की तो मन की मुराद पूरी हो गई थी !! अब कोई डर नहीं था, वो जानती थी कि अब शबाना सबकुच्छ करने को तैयार है - और आज की रात रंगीन होने वाली थी.
Re: सबाना और ताजीन की चुदाई
ताज़ीन ने अपना मुँह उठाया और शबाना की चड्डी को दोनों हाथों में पकड़ कर खींचने लगी, शबाना ने भी अपनी गांद उठा कर उसकी मदद की. फिर शबाना ने अपना गाउन भी उतार फेंका और ताज़ीन से लिपट गई. ताज़ीन ने भी अपनी पॅंटी उतारी और अब दोनों बिल्कुल नंगी एक दूसरे के होंठ चूस रही थी. दोनों के मम्मे एक दूसरे से उलझ रहे थे, ताज़ीन अपनी कमर को झटका देकर शबाना की चूत पर अपनी चूत लगा रही थी, जैसे की उसे चोद रही हो. शबाना भी सेक्स के नशे में चूर हो चुकी थी और उसने ताज़ीन की चूत में एक उंगली घुसा दी. अब ताज़ीन ने शबाना को नीचे गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई. ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को चूसना शुरू किया, उसके हाथ शबाना के जिस्म से खेल रहे थे. शबाना अपने मम्मे चुसवाने के बाद ताज़ीन के ऊपर आ गयी और नीचे उतरती चली गई, ताज़ीन के मुम्मों को चूस्कर उसकी नाभि से होते हुए उसकी जीभ ताज़ीन की चूत में घुस गई. ताज़ीन भी अपनी गांद उठा उठा कर शबाना का साथ दे रही थी. काफ़ी देर तक ताज़ीन की चूत चूसने के बाद शबाना ताज़ीन के पास आ कर लेट गई और उसके होंठ चूसने लगी अब ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को दबाया और उन्हें अपने मुँह में ले लिया - ताज़ीन का एक हाथ शबाना के मम्मों पर और दूसरा उसकी चूत पर था. उसकी उंगलियाँ शबाना की चूत के अंदर खलबली मचा रही थी, शबाना एकदम निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी और उसके मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें आने लगी. तभी ताज़ीन नीचे की तरफ गई और शबाना की चूत को चूसना शुरू कर दिया, अपने दोनों हाथों से उसने चूत को फैलाया और उसमें दिख रहे दाने को मुँह में ले लिया और उसपर जीभ रगड़ रगड़ कर चूसने लगी. शबाना तो जैसे पागल हो रही थी, उसकी गांद ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठाती और एक आवाज़ के साथ बेड पर गिर जाती, जैसे की वो अपनी गांद को बिस्तर पर पटक रही हो. फिर उसने अचानक ताज़ीन के सिर को पकड़ा और अपनी चूत में और अंदर धकेल दिया, उसकी गांद जैसे हवा में तार रही थी और ताज़ीन लगभग बैठी हुई उसकी चूत खा रही थी - वो समझ गई अब शबाना झड़ने वाली है और उसने तेज़ी से अपना मुँह निकाला और दो उंगलियाँ शबाना की चूत के एकदम भीतर तक घुसेड दी, उंगलियों के दो तीन ज़बरदस्त झटकों के बाद शबाना की चूत से जैसे पर्नाला बह निकला. पूरा बिस्तर उसके पानी से गीला हो गया. फिर ताज़ीन ने अपनी चूत को शबाना की चूत पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी, जैसे की वो शबाना को चोद रही हो. दोनों की चूत एक दूसरे से रगड़ रही थी और ताज़ीन शबाना के ऊपर चढ़ कर उसकी चुदाई कर रही थी, शबाना का भी बुरा हाल था और वो अपनी गंद उठा उठा कर ताज़ीन का सहयोग कर रही थी. तभी ताज़ीन ने ज़ोर से आवाज़ निकाली और शबाना की चूत पर दबाव बढ़ा दिया - फिर तीन चार ज़ोरदार भारी भरकम धक्के देकर वो शांत हो गयी. उसकी चूत का सारा पानी अब शबाना की चूत को नहला रहा था.
फिर दोनों उसी हालत में सो गये.