ट्यूशन का मजा compleet
Re: ट्यूशन का मजा
सर खुश हो गये. झुक कर मुझे चूम लिया "ये बोला ना अब ठीक से. अरे तेरे टीचर का प्रसाद है ये, बेशकीमती, मेरा शिष्य बनकर रहेगा तो बहुत ऐश करेगा. अब चल जल्दी मुंह खोल"
मैंने मुंह खोला. सर ने सुपाड़ा होंठों के बीच फ़िट कर दिया. फ़िर मेरे गाल पिचकाकर मेरा मुंह और खोला और सुपाड़ा अंदर सरका दिया. मेरे मुंह में सर का वो बड़ा सुपाड़ा पूरा भर गया. मैं आंखें बंद करके चूसने लगा. अब बहुत अच्छा लग रहा था. सुपाड़े में से बड़ी भीनी भीनी खुशबू आ रही थी. मैं जीभ से रगड़ रगड़ कर और तालू से सुपाड़े को चिपकाकर लड्डू जैसे चूसने लगा.
सर अब मेरे लाड़ करने लगे. कभी मेरे गाल पुचकारते, कभी मेरे बालों को प्यार से बिखराते पर अपने लंड को अब वे खुद नहीं छू रहे थे, हाथ दूर रखे थे. "हां .... हां अनिल बेटे .... बहुत अच्छे मेरे बच्चे .... तू तो बिना सिखाये ही फ़र्स्ट आ रहा है इस लेसन में .... तेरी परीक्षा है वो यह कि बिना मेरे हाथ लगाये ... याने सिर्फ़ तू ही करेगा मेरे लंड से खेल ... कितनी देर में तू मुझे दिलासा देता है .... तू कर लेगा अनिल.... कला है तुझमें ...थोड़ा और निगल बेटे .... जरा और अंदर ले मेरा लंड .... हां ऐसे ही .... और .... और ले...तेरा मुंह तो मखमली है मेरे बेटे ... क्या नरम नरम है ... ओह ... आह ... बहुत प्यारा है तू अनिल .... हीरा है हीरा ...." सर का लंड और निगलने के चक्कर में मुझे खांसी आ गयी तो वे बोले "अब नहीं होता और तो रहने दे .... बाद में सिखा दूंगा .... अब जरा मेरे लंड को पकड़कर मुठ्ठ मार .... तेरा प्रसाद तेरे लिये तैयार है बेटे... निकाल ले उसे बाहर"
मैं सर के लंड के डंडे को पकड़कर मुठियाता हुआ उनकी मुठ्ठ मारने लगा. साथ ही मुंह में लिये सुपाड़े को और कस के तालू और जीभ में दबाया और चूसने लगा. सर ऊपर नीचे होने लगे, मेरे मुंह को अपने लंड से चोदने की कोशिश करने लगे. मैं लगातार मुठ्ठी ऊपर नीचे करके उनको हस्तमैथुन करा रहा था.
"ओह ऽ.. हां ऽ मेरे राजा ऽ ... आह ऽ " करके सर ने मेरे सिर को पकड़ लिया. उनका लंड अब उछल उछल कर झड़ने लगा था. मेरे मुंह में गरम गरम चिपचिपे वीर्य की फ़ुहार निकल पड़ी. मैं आंखें बंद करके पीता रहा. अब मेरा सारा परहेज खतम हो गया था. मजा आ रहा था. सर को ऐसे मीठा तड़पा दिया यह सोच कर गर्व सा लग रहा था. चिपचिपा वीर्य मेरे तालू से चिपक गया था पर ऐसा लग रहा था जैसे थोड़ा नमक मिली जरा सी कसैली मलाई हो. चार पांच बड़े चम्मच जितना वीर्य निकला सर के लंड से, मैं सब निगल गया. सोच रहा था कि कटोरी भर होता तो और मजा आता.
आखिर सर ने मेरे मुंह से लंड निकाला. मुझे ऊपर खींच कर गोद में ले लिया और एक गहरा चुंबन लेकर बोले "बहुत अच्छे अनिल, तू तो अव्वल नंबर है इस लेसन में. वैसे इस लेसन के और भी भाग हैं, वो मैं तुझे सिखा दूंगा. पर आज जो तूने किया उसके लिये शाब्बास बेटे. अब बता, स्वाद आया? मजा आया?" मैंने पलकें झपकाकर हां कहा क्योंकि मैं अब भी चटखारे ले लेकर जीभ से लिपटे चिपचिपे कतरों का स्वाद ले रहा था
मुझे अच्छा भी लग रहा था सर के मुंहसे तारीफ़ सुनकर. मेरा लंड भी अब मस्त खड़ा था. डर भी निकल गया था इसलिये मैं उनकी गोद में उनकी ओर मुड़ कर बैठ गया और शर्ट के ऊपर से ही उनके पेट पर लंड रगड़ने लगा. चूमाचाटी चलती रही. सर अब बड़ी प्यार भरी आंखों से मेरी ओर देख रहे थे. मैंने सर का लंड अब भी कस कर हाथ में पकड रखा था. वह धीरे धीरे फ़िर से लंबा होने लगा.
कुछ देर बाद वे उठे और बोले "चलो, अब जरा देखते हैं कि तेरी दीदी का पाठ खतम हुआ कि नहीं. वैसे ये बता कि मजा आया? ... याने प्रसाद कैसा लगा? स्वाद आया या नहीं?"
"अच्छा लग रहा था सर. कितना चिपचिपा था? चिपकता था तालू में! खारा खारा सा है सर ... जैसे मलाई में नमक मिला दिया हो. सर .... एक बात पूछूं सर?" मैंने उनके पीछे चलते हुए कहा. वे मेरे लंड को लगाम सा पकड़ कर खींचते हुए मुझे दूसरे कमरे में ले जा रहे थे.
"सर अब कल से .... याने फ़िर से आप ... मतलब सर ...." मैं थोड़ा शरमा गया.
"बोलो बोलो अब डरने की कोई बात नहीं है, तुम दोनों ने साबित कर दिया है कि कितने अच्छे स्टूडेंट हो. अब मैडम और मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है ... हां ऐसे ही कहा मानना पड़ेगा अब रोज. बोलो तुम क्या पूछ रहे थे?"
"सर अब रोज ऐसे ही ... याने ऐसे ही लेसन होंगे क्या?" मैंने पूछा.
"हां होंगे तो? पसंद नहीं आये?" सर ने पूछा.
"नहीं सर, अच्छे लगे, बहुत मजा आया. इसलिये पूछ रहा था"
"चलो तूम्हारी दीदी से भी पूछ लेते हैं. और इसका क्या करें?" मेरे लंड को पकड़कर वे बोले "ये तेरा तो फ़िर से खड़ा हो गया है. इसे ऐसे घर भेजना ठीक नहीं है, रात को फ़िर शैतानी करने लगोगे तुम भाई बहन" कहते हुए सर दरवाजा खोल कर अंदर घुस गये.
अंदर मैडम पलंग पर लेट कर दीदी की चूत चूस रही थीं. उनकी ब्रा गायब थी और प्यारे प्यारे छोटे छोटे मम्मे नंगे थे. उनकी साड़ी कमर के ऊपर थी और उनकी गोरी छरहरी जांघें फ़ैली हुई थीं. गोरी बुर एकदम चिकनी थी, शायद शेव की हुई थी. दीदी के फ़्रॉक के दो बटन खुले थे और दीदी की जरा जरा सी कड़क चूंचियां दिख रही थीं. दीदी टांगें फ़ैलाकर सिरहाने से टिक कर मैडम के सामने बैठी थी और ’ओह ... ओह मैडम ... हां मैडम .... प्लीज़ मैडम" कर रही थी. उसने हाथों में मैडम का सिर पकड़ रखा था जिसे वह बुर पर दबाये हुए थी. मैडम का एक हाथ अपनी बुर पर था और वे उसमें उंगली कर रही थीं. जीभ निकालकर वे दीदी की बुर पूरी ऊपर से नीचे तक चाट रही थीं.
क्रमशः। ...........................
Re: ट्यूशन का मजा
ट्यूशन का मजा-6
गतांक से आगे............................
"क्यों लीना, मैडम ने कुछ सिखाया या नहीं?" सर ने दीदी की चूंची पकड़ कर पूछा.
लीना से ठीक से बोला भी नहीं जा रहा था. बस सर और मेरी ओर पथरायी आंखों से देखकर "ओह ... हां ... अं ...अं" करती रही. फ़िर उसकी नजर सर के आधे खड़े लंड पर पड़ी, बस उसने नजर वहीं गड़ा दी. ऐसे देख रही थी जैसे बच्चा ललचा कर खिलौने को देखता है.
मैडम ने मुंह उठाकर कहा "आ गये तुम? पाठ खतम हो गया लगता है? कैसा है यह लड़का पढ़ने में? कुछ सीखा या ऐसे ही भोंदू जैसा बैठा रहा?"
सर बोले "सुप्रिया रानी, ये तो एकदम होशियार है, एक बार में सीख गया. इसे अब एक्सपर्ट कर दूंगा. यह लड़की कैसी है?"
"बड़ी मीठी प्यारी सी बच्ची है. अच्छा सीख रही है, सब कहा मानती है. अभी तक मेहनत कर रही थी बेचारी अपनी मैडम की खूब सेवा की इसने. मेरा शहद भी चख लिया. अब जरा इसे इसकी मेहनत का इनाम दे रही हूं" मैडम ने मुस्कराकर कहा.
"ऐसा करो, हम दोनों मिलकर सिखाते हैं इन्हें. जल्दी लेसन हो जायेगा. फ़िर इन्हें जाने दो. कल से ठीक से पढ़ाना पड़ेगा. बड़े होनहार स्टूडेन्ट हैं" चौधरी सर ने पलंग पर चढ़ते हुए कहा. उन्होंने मैडम को चित लिटाया और मुझे बोले "अनिल, चल आ जा. मैं दिखाता हूं वैसे कर. मैडम के नाम से मचल रहा था ना तू? ले मैडम को दिखा दे कि तुझमें कितनी अकल है, चल मैडम की टांगों के बीच बैठ"
उन्होंने मेरा लंड पकड़कर मैडम की चूत पर रखा और इशारा किया. मैंने पेला तो पुक्क से मेरा लंड मैडम की उस गहरी बुर में घुस गया. एकदम गीली और गरम थी मैडम की चूत.
"लीना, तू उठ और ठीक से बैठ मैडम के मुंह पर. ऐसे ... बहुत अच्छे. साइकिल पर बैठती है ना, वैसे ही बैठ. सवारी कर मैडम के मुंह पर, पैर चला जरा. मैडम की प्यास बुझनी चाहिये ठीक से, नहीं तो मेरा वो बेंत अब भी पड़ा है बाहर. समझ गयी ना?"
लीना दीदी ने मुंडी हिलायी. उसकी हालत काफ़ी नाजुक थी. शायद चूत में होती मीठी कसक उससे संभल नहीं रही थी. "अब मुंह खोल लीना. ये लेसन तूने नहीं किया, पर तेरे भाई ने बहुत अच्छा किया. चल मुंह में ले और चूस. समझ ले गन्ना है. रस निकाल ले इसमें से. जितनी जल्दी रस निकालेगी, उतने मार्क ज्यादा दूंगा" चौधरी सर दीदी के सामने बैठ गये और अपने लंड को उसके होंठों और गालों पर रगड़ने लगे. अब तक उनका शिश्न एकदम तन कर खड़ा हो गया था.
दीदी अब जोर जोर से सांस लेते हुए उचक उचक कर मैडम के मुंह पर अपनी बुर घिस रही थी. वह जीभ निकालकर चौधरी सर के लंड को चाटने लगी. सर मुस्कराये "बहुत अच्छे लीना. लेसन की तैयारी अच्छी है. पर मुंह खोलो, ये लेसन बाद में ठीक से पूरा दूंगा. अभी जल्दी में समरी सिखाता हूं बस"
दीदी ने मुंह खोला और सर का सुपाड़ा गप्प से निगल लिया. फ़िर आंखें बंद करके चूसने लगी. सर ने उसके दोनों चोटियां हाथ में ले कर उसका सिर अपनी ओर खींचा. "वाह, यह लड़की इस लेसन को अच्छा करेगी लगता है, क्यों रे अनिल, तूने भी इतनी जल्दी नहीं किया था. और क्या प्यार से चूस रही है लड़की, एकदम स्वाद लेकर. अब चूसो लीना, अपने सर का प्रसाद पाओ. और तुम अनिल, अब कमर आगे पीछे करो, धक्के मारो. मालूम है इसे क्या कहते हैं?"
"हां सर. चोदना." मैडम की बुर में लंड पेलता हुआ मैं बोला
"बहुत अच्छे. अब तुम्हारा काम यह है कि तब तक चोदो जब तक मैडम खुद न बोलें कि अब रुको. समझे ना? तेरा यही काम है अब" चौधरी सर बोले. वे भी अब धीरे धीरे आगे पीछे होकर दीदी के मुंह को चोद रहे थे.
गतांक से आगे............................
"क्यों लीना, मैडम ने कुछ सिखाया या नहीं?" सर ने दीदी की चूंची पकड़ कर पूछा.
लीना से ठीक से बोला भी नहीं जा रहा था. बस सर और मेरी ओर पथरायी आंखों से देखकर "ओह ... हां ... अं ...अं" करती रही. फ़िर उसकी नजर सर के आधे खड़े लंड पर पड़ी, बस उसने नजर वहीं गड़ा दी. ऐसे देख रही थी जैसे बच्चा ललचा कर खिलौने को देखता है.
मैडम ने मुंह उठाकर कहा "आ गये तुम? पाठ खतम हो गया लगता है? कैसा है यह लड़का पढ़ने में? कुछ सीखा या ऐसे ही भोंदू जैसा बैठा रहा?"
सर बोले "सुप्रिया रानी, ये तो एकदम होशियार है, एक बार में सीख गया. इसे अब एक्सपर्ट कर दूंगा. यह लड़की कैसी है?"
"बड़ी मीठी प्यारी सी बच्ची है. अच्छा सीख रही है, सब कहा मानती है. अभी तक मेहनत कर रही थी बेचारी अपनी मैडम की खूब सेवा की इसने. मेरा शहद भी चख लिया. अब जरा इसे इसकी मेहनत का इनाम दे रही हूं" मैडम ने मुस्कराकर कहा.
"ऐसा करो, हम दोनों मिलकर सिखाते हैं इन्हें. जल्दी लेसन हो जायेगा. फ़िर इन्हें जाने दो. कल से ठीक से पढ़ाना पड़ेगा. बड़े होनहार स्टूडेन्ट हैं" चौधरी सर ने पलंग पर चढ़ते हुए कहा. उन्होंने मैडम को चित लिटाया और मुझे बोले "अनिल, चल आ जा. मैं दिखाता हूं वैसे कर. मैडम के नाम से मचल रहा था ना तू? ले मैडम को दिखा दे कि तुझमें कितनी अकल है, चल मैडम की टांगों के बीच बैठ"
उन्होंने मेरा लंड पकड़कर मैडम की चूत पर रखा और इशारा किया. मैंने पेला तो पुक्क से मेरा लंड मैडम की उस गहरी बुर में घुस गया. एकदम गीली और गरम थी मैडम की चूत.
"लीना, तू उठ और ठीक से बैठ मैडम के मुंह पर. ऐसे ... बहुत अच्छे. साइकिल पर बैठती है ना, वैसे ही बैठ. सवारी कर मैडम के मुंह पर, पैर चला जरा. मैडम की प्यास बुझनी चाहिये ठीक से, नहीं तो मेरा वो बेंत अब भी पड़ा है बाहर. समझ गयी ना?"
लीना दीदी ने मुंडी हिलायी. उसकी हालत काफ़ी नाजुक थी. शायद चूत में होती मीठी कसक उससे संभल नहीं रही थी. "अब मुंह खोल लीना. ये लेसन तूने नहीं किया, पर तेरे भाई ने बहुत अच्छा किया. चल मुंह में ले और चूस. समझ ले गन्ना है. रस निकाल ले इसमें से. जितनी जल्दी रस निकालेगी, उतने मार्क ज्यादा दूंगा" चौधरी सर दीदी के सामने बैठ गये और अपने लंड को उसके होंठों और गालों पर रगड़ने लगे. अब तक उनका शिश्न एकदम तन कर खड़ा हो गया था.
दीदी अब जोर जोर से सांस लेते हुए उचक उचक कर मैडम के मुंह पर अपनी बुर घिस रही थी. वह जीभ निकालकर चौधरी सर के लंड को चाटने लगी. सर मुस्कराये "बहुत अच्छे लीना. लेसन की तैयारी अच्छी है. पर मुंह खोलो, ये लेसन बाद में ठीक से पूरा दूंगा. अभी जल्दी में समरी सिखाता हूं बस"
दीदी ने मुंह खोला और सर का सुपाड़ा गप्प से निगल लिया. फ़िर आंखें बंद करके चूसने लगी. सर ने उसके दोनों चोटियां हाथ में ले कर उसका सिर अपनी ओर खींचा. "वाह, यह लड़की इस लेसन को अच्छा करेगी लगता है, क्यों रे अनिल, तूने भी इतनी जल्दी नहीं किया था. और क्या प्यार से चूस रही है लड़की, एकदम स्वाद लेकर. अब चूसो लीना, अपने सर का प्रसाद पाओ. और तुम अनिल, अब कमर आगे पीछे करो, धक्के मारो. मालूम है इसे क्या कहते हैं?"
"हां सर. चोदना." मैडम की बुर में लंड पेलता हुआ मैं बोला
"बहुत अच्छे. अब तुम्हारा काम यह है कि तब तक चोदो जब तक मैडम खुद न बोलें कि अब रुको. समझे ना? तेरा यही काम है अब" चौधरी सर बोले. वे भी अब धीरे धीरे आगे पीछे होकर दीदी के मुंह को चोद रहे थे.
Re: ट्यूशन का मजा
हम दोनों भाई बहन बताया हुआ काम करने लगे. सर अब दीदी को बोले "लीना, तेरे दो काम हैं. चूसना और चुसवाना. बहुत अच्छे से चूस रही है तू. बाद के लेसन में और सिखा दूंगा कि अंदर तक पूरा निगल कर कैसे चूसते हैं. पर अभी अपनी मैडम का भी खयाल करो, उन्हें तेरी चूत चूसने में ज्यादा मेहनत न करनी पड़े. मजे ले लेकर चुसवाओ और खूब सारा पानी मैडम को पिलाओ. ठीक है ना?"
दीदी ने मुंडी हिलाई. हम दोनों भाई बहन मन लगाकर चौधरी सर और मैडम ने बताया था वैसे करते रहे.
"मैडम चुद रहीं है ना ठीक से अनिल? देख इसमें गफ़लत मत करना, मैडम गुरुआइन हैं तुम्हारी, उन्हें पूरा संतुष्ट करोगे तो आशिर्वाद पाओगे"
मैं और मन लगा कर सटा सट मैडम को चोदने लगा. उनकी गीली रिसती बुर में से अब ’फच’ ’फच’ ’फच’ की आवाज आ रही थी.
"लीना, मेरा लंड थोड़ा और निगल, ऐसे सुपाड़ा चूसना तो ठीक है पर जरा गन्ने को भी तो चूस. और देख, अब तेरी मेहनत का फ़ल तुझे मिलने वाला है, वह ठीक से भक्तिभाव से ग्रहण करना, मुंह से टपकने न देना" लीना के सिर को अपने पेट पर दबा कर चौधरी सर बोले.
लीना दीदी का बदन अचानक कपकपाने लगा और वह मैडम के सिर को पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी. मैडम जोर जोर से चूसने लगीं, सर्र सप्प सुप की आवाजें करते हुए. साथ ही वे अपनी टांगें फ़टकारने लगीं. चौधरी सर ने झुक कर मेरा सिर अपनी हथेलियों में लिया और मुझे चूमकर बोले. "बस बहुत अच्छे मेरे लाड़लो. लीना तो मैडम की प्यास अब बुझा रही है, उसकी भूख मैं अभी मिटाता हूं, अब तू मैडम को ऐसे चोद कि वे एकदम खुश हो जायें. और ये अपनी मैडम के मम्मे तुझे पसंद नहीं आये क्या? तब से देखो बेचारे वैसे ही अलग से पड़े हैं, जरा उनकी भी खबर ले"
मैंने मैडम की चूंचियां पकड़ीं और दबा दबा कर मैडम को चोदने लगा. चौधरी सर लगातार मेरा चुम्मा ले रहे थे और मेरी जीभ चूसते हुए लीना दीदी के सिर को अपने पेट पर दबाकर उसका मुंह चोद रहे थे.
पहले मैडम झड़ीं और कसमसाकर उन्होंने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया. मैंने चौधरी सर के होंठ अपने दांतों में दबाये और कस के चूसते हुए एक मिनिट में झड़ गया. फ़िर लस्त होकर बैठ गया. अगले ही पल चौधरी सर ने मेरे मुंह में एक गहरी सांस छोड़ी और उनका बदन भी थिरक उठा. दीदी मन लगाकर उनका लंड चूस रही थी.
दो मिनिट बाद सब अलग हुए और पलंग पर बैठ गये. लीना दीदी अपना मुंह पोछ रही थी. चौधरी सर के गाढ़े वीर्य के कुछ कतरे उसके होंठों से लटक रहे थे. मैंने तुरंत आगे होकर दीदी का मुंह चूम लिया और वे कतरे चाट लिये "अच्छा लगा गन्ने का रस लीना? तूने करीब करीब पूरा निगल लिया ये देखकर मुझे अच्छा लगा. थोड़ा वैसे तेरे मुंह से निकल आया देख, पर कोई बात नहीं, तेरे भाई ने देख कैसे प्रेम से चाट लिया. ये नायाब चीज है, वेस्ट नहीं करनी चाहिये. अनिल बड़ा समझदार हो गया है एक ही लेसन के बाद. तो लीना, तू कुछ बोली नहीं?"
"सर ... बहुत अच्छा लगा सर ... मलाई जैसा .... और मुंह में लेकर भी बहुत अच्छा लगता है सर, इतना बड़ा और मांसल है आपका ल .... मेरा मतलब है ये आपका ... याने सर..." लीना दीदी का मुंह शरम से लाल हो गया था पर वैसे वह खुश लग रही थी.
"रुक क्यों गयी बोल .. बोल .. आपका ... ये ... याने ... इसके पहले क्या बोल रही थी?" सर ने हंसते हुए पूछा.
"सर ... लंड" लीना सिर झुका कर बोली.
"बहुत अच्छे, शरमाना नहीं चाहिये, खुला बोलना चाहिये. अब बता, तुझे मजा आया कि नहीं मैडम को अपना पानी पिलाकर?"
"हां सर ... इतना अच्छा लगा ... मैं... याने बहुत मजा आया सर, मैडम जीभ से मुझे कैसा कैसा कर रही थीं" लीना दीदी बोली.
"चलो, सुना सुप्रिया रानी, तेरी स्टुडेंट तो फ़िदा है तुझपर, वैसे इस लड़की का स्वाद कैसा था?" चौधरी सर ने मैडम को पूछा.
मैडम एक हाथ से दीदी के मम्मे सहला रही थी और एक हाथ से मेरे मुरझाये लंड को प्यार से मसल रही थीं. मुस्कराकर बोलीं "अरे ये कोई पूछने की बात है? ये लड़की तो एकदम मिठाई है मिठाई. जवान बदन का रस है आखिर. और इस लड़के ने भी बहुत अच्छा मेहनत की. बहुत प्यार से और जोर से धक्के लगा रहा था. मेरी बुर को पूरा मजा दिया इसने"
"चलो, बहुत अच्छा हुआ. अब बच्चो, आज की तुम्हारी गलती माफ़ की जाती है. अब घर जाओ, देर हो गयी है. पर अब ऐसे लेसन रोज होंगे. तुम्हें ठीक से सिखाना पड़ेगा. दोनों अच्छे होनहार हो और बहुत प्यारे हो, जल्दी ही सब सीख जाओगे. अब कल से घर में बता कर आना कि सर और मैडम रोज एक घंटे की नहीं, तीन घंटे की ट्यूशन लेने वाले हैं. तुम्हारा स्कूल तीन बजे छूटता है ना?" सर ने पूछा. हमने मुंडी हिलायी.
"तो बस घर जाकर अच्छे से नहा धोकर फ़्रेश होकर चार बजे आ जाया करो. मैं और मैडम तीन घंटे तुम्हें पढ़ायेंगे, सात बजे तक. ठीक है ना?"
हमने खुश होकर मुंडी हिलायी और कपड़े पहनने लगे. मैंने साहस करके पूछा "सर ... याने एक बात पूछूं सर?"
"हां हां बोलो, डरो मत"
"सर हमारे लेसन ऐसे ही आप और मैडम दोनों मिलाकर लेंगे कि अलग अलग ... याने ..." कहकर मैं शरमा कर चुप हो गया.
"तुम बोलो. तुम्हें मैडम से पढ़ना है या मुझ से? तू भी बता लीना" चौधरी सर मुस्करा कर बोले.