आज तक मेरे और संजय के बीच ओरल सेक्स नही हुवा था. हम इसके बारे में सोचते तो थे पर कभी कर नही पाए थे.
पहली बार किसी के होंठ मेरी योनि पर थे.
मेरा मन गिल्ट से भरा था, पर मेरी योनि मुझे धोका दे रही थी.
वो मेरी योनि से मूह हटा कर बोला, देख कितनी चिकनी हो गयी है अब, पानी का दरिया बहा रही है.
मैने ग्लानि से अपनी आँखे बंद कर ली.
वो बोला, क्या किसी ने कभी तेरी चूत चूसी है.
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो फिर बोला, बता ना चूसी है क्या किसी ने.
मैने कहा, नही.
वो बोला, तेरे पति ने भी नही ?
मैं ये सुन कर हैरान हो गयी. अभीतक तो उसे मेरे पति के नाम से जीझक हो रही थी और अब वो खुद उनके बारे में पूछ रहा था.
मैने गुस्से में पूछा, क्यो ?
वो बोला, कुछ नही जाने दे.
उसने फिर से अपने होंठ मेरी योनि पर टीका दिए और उशे बे-तहासा चूमने लगा.
मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये, और एक पल को मैं खो गयी.
पर जल्दी ही मैने खुद को संभाल लिया.
मैं किसी भी पल को एंजाय नही करना चाहती थी.
वाहा मेरा होना एक सज़ा थी, जितनी जल्दी ये सज़ा ख़तम हो अछा हो.
उसने पूछा, कैसा लग रहा है.
मैने कहा, मुझे नही पता.
उसने फिर से अपना मूह मेरी योनि से सटा दिया और बेशर्मी से चूसने लगा.
ना चाहते हुवे भी मैं, एक अजीब सी बेचैनी में खोने लगी.
वो बोला, अछा लग रहा है ना तुझे ?
मैं खोमोसी से लेटी रही.
वो बोला, बता ना अछा लग रहा है क्या तुझे ? मैं जब तक तू चाहे चूस्ता रहूँगा मुझे तेरी चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा है, बहुत मीठा, रस है इसका.
मैं सोच रही थी कि कितना बेशरम है ये कैसी अजीब बाते कर रहा है.
और वो फिर से मेरी योनि को चूसने लगा. मेरी योनि पर उसकी दाढ़ी के बॉल ज़ोर से चुभ रहे थे, और एक अजीब सी सांसटिओं पैदा कर रहे थे.
मेरे मन में ख्याल आया कि ऋतु बस रोक दे इस आदमी को, इतना काफ़ी है इस के लिए, और यहा से फॉरन निकल ले.
मैने उसका सर वाहा से हटा दिया और बोली, बस बहुत हो गया, अब मैं चलती हू.
वो बोला, तूने कहा था, जो मैं चाहूँगा तू करेगी, अभी मैने तुझे जाने को नही कहा.
मैं बोली, कितनी देर से तुम कर तो रहे हो, अब बहुत हो गया.
वो बोला, तुझे मज़ा नही आ रहा क्या ?
मैने कहा मुझे नही पता, मुझे घर जा कर काम भी करना है.
वो बोला, ठीक है हम जल्दी जल्दी करते है और फिर से मेरी योनि पर झुक गया.
मैने फिर से आँखे बंद कर ली और सोचने लगी की, मेरी जींदगी कैसे मोड़ पर आ गयी है, इतना बदसूरत आदमी मेरे सबसे प्राइवेट पार्ट से इतनी बेशर्मी से खेल रहा है.
अचानक मुझे महसूस हुवा कि वह मेरी योनि से हाथ चुका है. मुझे एक पल को सकुन मिला.
मैने आँखे खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैने अपनी आँखे झट से बंद कर ली. मैं घबरा गयी कि अब ये क्या करेगा.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और झट से उशे अपने लिंग पर रख दिया. मुझे एक दम करंट सा लगा और मैने अपना हाथ वापस खींच लिया.
वो बोला, अरे पकड़ ना, तुझे बिल्लू के लंड से अछा लगेगा.
मैं क्या कहती चुपचाप वाहा पड़ी रही.
उसने फिर से मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ कर अपने लिंग पर कस के रख दिया.
इस बार उसने अपना हाथ मेरे हाथ के उपर दबा कर रखा.
मैं चाहते हुवे भी अपना हाथ नही खींच पाई.
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
मैने हल्की सी आँख खोल कर देखा तो काँप गयी. उसका बहुत ही बड़ा लग रहा था.
उसने ये देख लिया और बोला, अरे शर्मा मत पूरी आँख खोल कर देख, तुझे अछा लगेगा.
मैने फॉरन आँखे बंद कर ली.
मेरे हाथ में वो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे की कोई मोटी लकड़ी का टुकड़ा हो.
में चाहते हुवे भी अपना हाथ वाहा से नही खींच पाई. उसने बड़ी मजबूती से मेरा हाथ वाहा टीका रखा था.
वो बोला, चल चूस इसे.
मैने अपनी गर्दन ना के इशारे में हिला दी.
वो बोला, अरे चूस ना, मैने भी तो तेरी चूत चूसी है. तू तो कहती थी जो मैं चाहूँगा तू करेगी, कहा गया तेरा कल का वादा.
उसने मुझे ज़ोर दे कर उठाया और मुझे अपने आगे ज़मीन पर बैठा दिया.
मैने आँखे खोली तो पाया कि उसका लिंग बिल्कुल मेरे मूह के सामने झूल रहा था. बहुत बड़ा लग रहा था वो. उसके चारो तरफ बहुत घने काले बॉल थे. पूरा एक जंगल उगा हुवा था.
मैने ऐसा भयानक लिंग देख कर अपनी आँखे झट से बंद कर ली.
वो मेरे होंटो पर अपना लिंग रगड़ने लगा, और बोला, मूह खोल.
मैने कोई हरकत नही की.
वो बोला, खोल ना, थोड़ा चूस ले, तुझे जल्दी जाना है ना.
मैने झीज़कते हुवे मूह खोला ही था, कि उसने कोई 3 इंच मेरे मूह मे घुसा दिया और बोला, शाबास, ये हुई ना बात.
मेरा मूह फटा जा रहा था, और वो और ज़्यादा अंदर डालने की कोशिस कर रहा था.
मुझे उल्टी आने को हो गयी और मैं वाहा से ज़ोर लगा कर हट गयी.
मैं थोड़ा ठीक महसूस करने लगी ही थी कि उसने फिर से मेरे मूह पर अपना लिंग सटा दिया.
वो बोला, चल अब जल्दी जल्दी चूस, वक्त कम है.
मैने धीरे, धीरे उसका चूसना सुरू कर दिया.
मैं बहुत गिल्ट की भावना से भरी हुई थी और सोच रही थी कि ये मुझे क्या करना पड़ रहा है.
आज तक मैने संजय के साथ भी इस तरह से नही किया था.
मैं प्रे कर रही थी कि ये सब जल्दी ख़तम हो जाए.
थोड़ी देर बाद उसने मुझे घूमने को कहा,
मुझे ये सुन कर सकुन मिला, उसका चूस्ते चूस्ते मेरा मूह दुखने लगा था.
वो बोला, सलवार निकाल दे और घूम जा.
मैने कहा कपड़े रहने दो ऐसे ही कर लो.
वो बोला, निकल ना जल्दी, मुझे गुस्सा मत दिला.
मैने, धीरे धीरे कपड़े उतार दिए और उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गयी.
वो मेरे उभरो को देखते हुवे बोला, ज़रा रुक और मेरे उभरो को चूमने लगा.
मैं चुपचाप तमसा देखती रही.
वो बारी, बारी से मेरे निपल्स को मूह मे लेकर चूस रहा था, उसकी दाढ़ी मेरे उभरो पर कॅंटो की तरह चुभ रही थी.
थोड़ी देर बाद वो बोला, चल अब घूम जा और झुक जा.
मैने पूछा आप क्या करोगे ?
वो बोला, जो बिल्लू ने किया था, तेरी गांद मारूँगा.
ये सुन कर में गिल्ट से मर गयी.
उसने मुझे झुकाया और मेरे नितंबो पर अपना लिंग रगड़ने लगा.
उसने मूज़े फिर अपनी और घुमाया और बोला, चल इसे मूह मे लेकर थोड़ा चिकना कर, डालने में आसानी होगी.
में सब जल्दी ख़तम करना चाहती थी, इस लिए मैं नीचे झुक कर उसके लिंग को मूह में लेकर चूसने लगी.
कोई 5 मिनूट बाद वो बोला, बस ठीक है, वापस घूम जा.
जैसे ही में उसके आगे झुकी उसने मेरे उभरो को दोनो हाथो से थाम लिया, और उन्हे कुचलने लगा.
थोड़ी देर बाद मुझे उसका लिंग अपने योनि द्वार पर महसूस हुवा. मैं डर गयी की कही ये यहा ना डाल दे. पर वो जल्दी ही वाहा से हट गया.
अचानक उसने मेरे कंधो को ज़ोर से थाम लिया और मैं चीन्ख उठी…..आआहह
आआआआयययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.
प्लीज़ निकालो इसीईईईईईईए.
उसने एक झटके में अपना आधा लिंग मेरी योनि में घुस्सा दिया था.
में चिल्ला कर बोली, तुमने ग़लत जगह डाल दिया, निकाल लो.
वो बोला, बिल्कुल सही जगह डाला है, बहुत चिकनी है तेरी चूत लगते ही फिसल गया, थोडा रुक तुझे मज़ा आने लगेगा.
मैं दर्द से मारी जा रही थी. सूकर है कि वो ज़बरदस्ती अंदर नही धकेल रहा था.
बिल्लू की तरह वो भी धीरे धीरे अंदर सरका रहा था.
उसका, एक, एक इंच मेरे अंदर जाता हुवा महसूस हो रहा था.
जब उसने अपना पूरा अंदर डाल दिया तो बोला, ले चला गया पूरा.
मुझे, उसके वाहा के बॉल अपने नितंबो पर कांतो की तरह चुभते हुवे महसूस हो रहे थे.
मैं उसके लिंग का कोई अहसास महसूस नही करना चाहती थी.
पर ये सच था कि उसका लिंग मेरी योनि में बहुत गहराई तक पहुँच गया था, जहा तक कि आज तक संजय भी नही पहुँच पाए थे.
धीरे, धीरे मेरा दर्द कम, हो गया.
वो बोला, कैसा लग रहा है ?
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो बोला, बिल्लू ने अपनी डाइयरी में लिखा था कि तूने खुद उसे गांद मारने को कहा था, क्या ये सच है ?
मैने कहा, जी नही ऐसा कुछ नही है. 5
उसने ये देख लिया और बोला, अरे शर्मा मत पूरी आँख खोल कर देख, तुझे अछा लगेगा.
मैने फॉरन आँखे बंद कर ली.
मेरे हाथ में वो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे की कोई मोटी लकड़ी का टुकड़ा हो.
में चाहते हुवे भी अपना हाथ वाहा से नही खींच पाई. उसने बड़ी मजबूती से मेरा हाथ वाहा टीका रखा था.
वो बोला, चल चूस इसे.
मैने अपनी गर्दन ना के इशारे में हिला दी.
वो बोला, अरे चूस ना, मैने भी तो तेरी चूत चूसी है. तू तो कहती थी जो मैं चाहूँगा तू करेगी, कहा गया तेरा कल का वादा.
उसने मुझे ज़ोर दे कर उठाया और मुझे अपने आगे ज़मीन पर बैठा दिया.
मैने आँखे खोली तो पाया कि उसका लिंग बिल्कुल मेरे मूह के सामने झूल रहा था. बहुत बड़ा लग रहा था वो. उसके चारो तरफ बहुत घने काले बॉल थे. पूरा एक जंगल उगा हुवा था.
मैने ऐसा भयानक लिंग देख कर अपनी आँखे झट से बंद कर ली.
वो मेरे होंटो पर अपना लिंग रगड़ने लगा, और बोला, मूह खोल.
मैने कोई हरकत नही की.
वो बोला, खोल ना, थोड़ा चूस ले, तुझे जल्दी जाना है ना.
मैने झीज़कते हुवे मूह खोला ही था, कि उसने कोई 3 इंच मेरे मूह मे घुसा दिया और बोला, शाबास, ये हुई ना बात.
मेरा मूह फटा जा रहा था, और वो और ज़्यादा अंदर डालने की कोशिस कर रहा था.
मुझे उल्टी आने को हो गयी और मैं वाहा से ज़ोर लगा कर हट गयी.
मैं थोड़ा ठीक महसूस करने लगी ही थी कि उसने फिर से मेरे मूह पर अपना लिंग सटा दिया.
वो बोला, चल अब जल्दी जल्दी चूस, वक्त कम है.
मैने धीरे, धीरे उसका चूसना सुरू कर दिया.
मैं बहुत गिल्ट की भावना से भरी हुई थी और सोच रही थी कि ये मुझे क्या करना पड़ रहा है.
आज तक मैने संजय के साथ भी इस तरह से नही किया था.
मैं प्रे कर रही थी कि ये सब जल्दी ख़तम हो जाए.
थोड़ी देर बाद उसने मुझे घूमने को कहा,
मुझे ये सुन कर सकुन मिला, उसका चूस्ते चूस्ते मेरा मूह दुखने लगा था.
वो बोला, सलवार निकाल दे और घूम जा.
मैने कहा कपड़े रहने दो ऐसे ही कर लो.
वो बोला, निकल ना जल्दी, मुझे गुस्सा मत दिला.
मैने, धीरे धीरे कपड़े उतार दिए और उसके सामने बिल्कुल नंगी हो गयी.
वो मेरे उभरो को देखते हुवे बोला, ज़रा रुक और मेरे उभरो को चूमने लगा.
मैं चुपचाप तमसा देखती रही.
वो बारी, बारी से मेरे निपल्स को मूह मे लेकर चूस रहा था, उसकी दाढ़ी मेरे उभरो पर कॅंटो की तरह चुभ रही थी.
थोड़ी देर बाद वो बोला, चल अब घूम जा और झुक जा.
मैने पूछा आप क्या करोगे ?
वो बोला, जो बिल्लू ने किया था, तेरी गांद मारूँगा.
ये सुन कर में गिल्ट से मर गयी.
उसने मुझे झुकाया और मेरे नितंबो पर अपना लिंग रगड़ने लगा.
उसने मूज़े फिर अपनी और घुमाया और बोला, चल इसे मूह मे लेकर थोड़ा चिकना कर, डालने में आसानी होगी.
में सब जल्दी ख़तम करना चाहती थी, इस लिए मैं नीचे झुक कर उसके लिंग को मूह में लेकर चूसने लगी.
कोई 5 मिनूट बाद वो बोला, बस ठीक है, वापस घूम जा.
जैसे ही में उसके आगे झुकी उसने मेरे उभरो को दोनो हाथो से थाम लिया, और उन्हे कुचलने लगा.
थोड़ी देर बाद मुझे उसका लिंग अपने योनि द्वार पर महसूस हुवा. मैं डर गयी की कही ये यहा ना डाल दे. पर वो जल्दी ही वाहा से हट गया.
अचानक उसने मेरे कंधो को ज़ोर से थाम लिया और मैं चीन्ख उठी…..आआहह
आआआआयययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.
प्लीज़ निकालो इसीईईईईईईए.
उसने एक झटके में अपना आधा लिंग मेरी योनि में घुस्सा दिया था.
में चिल्ला कर बोली, तुमने ग़लत जगह डाल दिया, निकाल लो.
वो बोला, बिल्कुल सही जगह डाला है, बहुत चिकनी है तेरी चूत लगते ही फिसल गया, थोडा रुक तुझे मज़ा आने लगेगा.
मैं दर्द से मारी जा रही थी. सूकर है कि वो ज़बरदस्ती अंदर नही धकेल रहा था.
बिल्लू की तरह वो भी धीरे धीरे अंदर सरका रहा था.
उसका, एक, एक इंच मेरे अंदर जाता हुवा महसूस हो रहा था.
जब उसने अपना पूरा अंदर डाल दिया तो बोला, ले चला गया पूरा.
मुझे, उसके वाहा के बॉल अपने नितंबो पर कांतो की तरह चुभते हुवे महसूस हो रहे थे.
मैं उसके लिंग का कोई अहसास महसूस नही करना चाहती थी.
पर ये सच था कि उसका लिंग मेरी योनि में बहुत गहराई तक पहुँच गया था, जहा तक कि आज तक संजय भी नही पहुँच पाए थे.
धीरे, धीरे मेरा दर्द कम, हो गया.
वो बोला, कैसा लग रहा है ?
मैने कोई जवाब नही दिया.
वो बोला, बिल्लू ने अपनी डाइयरी में लिखा था कि तूने खुद उसे गांद मारने को कहा था, क्या ये सच है ?
मैने कहा, जी नही ऐसा कुछ नही है. 5
Re: छोटी सी भूल
वो बोला, चल कोई बात नही तू मुझे बता, मैं तेरी मार लू क्या ?
मैं हैरान थी कि ये सब कुछ बिल्लू की तरह कर रहा है, बिल्कुल उसी की तरह कमीना है.
मैने कुछ नही कहा.
मुझे महसूस हुवा कि वो अपना लिंग बाहर की और खींच रहा है.
उसका लिंग बाहर की और निकला ही था कि उसने पूरा वापस घुस्सा दिया और मैं पूरी की पूरी हिल गयी.
वो बोला, तू कहे या ना कहे मैं तो मार रहा हू, तू तो यू ही शरमाती रहेगी.
ये कहते ही उसने मेरी योनि में तेज, तेज धक्के मारने सुरू कर दिए.
ना चाहते हुवे भी मैं हर धक्के के साथ हवा में झूल रही थी.
मैं कब सातवे आसमान पर पहुँच गयी पता ही नही चला.
मेरा मन गिल्ट से भरा था पर मैं ये नही झुटला सकती थी कि मेरी योनि में मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.
उसके लिंग की रगड़ मेरी योनि में बहुत गहराई तक महसूस हो रही थी.
फिर उसने कुछ ऐसी बात की जिसे सुन कर मैं चोंक गयी.
वो एक ज़ोर दार धक्का अंदर की ओर लगा कर, रुक गया और बोला, तूने जो मेरे साथ किया था, उसकी ये बहुत छोटी सज़ा है.
मैने हैरानी भरे शब्दो में पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, तूने मुझे बिल्कुल नही पहचाना ?
मैने फिर हैरानी में जवाब दिया, नही.
वो बोला, याद कर कभी मैं ऐसे ही तेरे पीछे खड़ा था, फराक सिर्फ़ इतना था कि मेरा लंड मेरी पॅंट में था, तेरी चूत में नही, तू पानी पी रही थी, मैं तेरे पीछे लाइन में लगा था.
मैं हड़बड़ते हुवे बोली… क…..क……. क….. क्या ?
मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि मैं क्या सुन रही हू. मैने ज़ोर लगा कर वाहा से हटाने की कोशिस की पर उसने मेरे कंधो को मजबूती से पकड़ रखा था.
वो बोला कुछ याद आया मेडम, और फिर से तेज तेज धक्के मारने लगा और मेरी साँसे फूल गयी.
मैने पूछा, क….क…..क्या तुम अशोक हो.
वो रुक कर बोला, हा बिल्कुल ठीक पहचाना, आप की याददाश्त तो बहुत अछी है.
मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि ये सब सच है. मुझे सब एक बुरा सपना सा लग रहा था.
पर काश वो सपना होता.
वो सपना नही हक़ीकत थी.
मेरी योनि में मेरे कॉलेज के दीनो का पेओन, अशोक लिंग डाले खड़ा था. मैं सोच भी नही पा रही थी कि क्या करू.
मैने छटपटाते हुवे गुस्से में कहा, छोड़ मुझे कामीने.
वो हसने लगा और मुझे मजबूती से पकड़ कर फिर से तेज़ी से मेरे अंदर धक्के मारने लगा.
वो थोड़ी देर बाद रुका और बोला, मेडम में आप की मर्ज़ी से कर रहा हू. मेने कोई ज़बरदस्ती नही की. में तो हर पल आपके सामने था आपने ही मुझे नही पहचाना.
में सोच रही थी कि आख़िर में अशोक को क्यो नही पहचान पाई.
मुझे लगा में इतनी परेसान थी और उपर से उसकी लंबी दाढ़ी, मुझ से भूल हो गयी. कॉलेज के टाइम उसकी दाढ़ी नही थी. और मैने उसकी घिनोनी सूरत ठीक से ना तब देखी थी और ना अब देखी थी.
वो बोला, क्या सोचने लगी मेडम ?
मैने कहा अशोक देखो ये ठीक नही है, तुमने धोका किया है, प्लीज़ निकाल लो बाहर और मुझे जाने दो.
वो बोला, जहा इतनी देर इतना कर लिया थोडा और कर लेने दे, तेरा क्या जाएगा, और बहुत तेज, तेज मेरी योनि में धक्के मारने लगा.
मैं कुछ नही बोल पाई. उसके एक एक धक्के के साथ मेरी साँसे फूल रही थी और मेरी योनि के साथ साथ पूरे सरीर में हलचल हो रही थी.
मैने कहा, रुक जाओ प्लीज़.
वो बोला, बस थोड़ी देर और मेडम और, धक्के मारता रहा.
अचानक वो ज़ोर से चीलया आआहह और उसके धक्को की स्पीड चरम पर पहुँच गयी.
मैं हैरान थी कि ये सब कुछ बिल्लू की तरह कर रहा है, बिल्कुल उसी की तरह कमीना है.
मैने कुछ नही कहा.
मुझे महसूस हुवा कि वो अपना लिंग बाहर की और खींच रहा है.
उसका लिंग बाहर की और निकला ही था कि उसने पूरा वापस घुस्सा दिया और मैं पूरी की पूरी हिल गयी.
वो बोला, तू कहे या ना कहे मैं तो मार रहा हू, तू तो यू ही शरमाती रहेगी.
ये कहते ही उसने मेरी योनि में तेज, तेज धक्के मारने सुरू कर दिए.
ना चाहते हुवे भी मैं हर धक्के के साथ हवा में झूल रही थी.
मैं कब सातवे आसमान पर पहुँच गयी पता ही नही चला.
मेरा मन गिल्ट से भरा था पर मैं ये नही झुटला सकती थी कि मेरी योनि में मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.
उसके लिंग की रगड़ मेरी योनि में बहुत गहराई तक महसूस हो रही थी.
फिर उसने कुछ ऐसी बात की जिसे सुन कर मैं चोंक गयी.
वो एक ज़ोर दार धक्का अंदर की ओर लगा कर, रुक गया और बोला, तूने जो मेरे साथ किया था, उसकी ये बहुत छोटी सज़ा है.
मैने हैरानी भरे शब्दो में पूछा, क्या मतलब ?
वो बोला, तूने मुझे बिल्कुल नही पहचाना ?
मैने फिर हैरानी में जवाब दिया, नही.
वो बोला, याद कर कभी मैं ऐसे ही तेरे पीछे खड़ा था, फराक सिर्फ़ इतना था कि मेरा लंड मेरी पॅंट में था, तेरी चूत में नही, तू पानी पी रही थी, मैं तेरे पीछे लाइन में लगा था.
मैं हड़बड़ते हुवे बोली… क…..क……. क….. क्या ?
मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि मैं क्या सुन रही हू. मैने ज़ोर लगा कर वाहा से हटाने की कोशिस की पर उसने मेरे कंधो को मजबूती से पकड़ रखा था.
वो बोला कुछ याद आया मेडम, और फिर से तेज तेज धक्के मारने लगा और मेरी साँसे फूल गयी.
मैने पूछा, क….क…..क्या तुम अशोक हो.
वो रुक कर बोला, हा बिल्कुल ठीक पहचाना, आप की याददाश्त तो बहुत अछी है.
मेरी आँखो के आगे अंधेरा छा गया. मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि ये सब सच है. मुझे सब एक बुरा सपना सा लग रहा था.
पर काश वो सपना होता.
वो सपना नही हक़ीकत थी.
मेरी योनि में मेरे कॉलेज के दीनो का पेओन, अशोक लिंग डाले खड़ा था. मैं सोच भी नही पा रही थी कि क्या करू.
मैने छटपटाते हुवे गुस्से में कहा, छोड़ मुझे कामीने.
वो हसने लगा और मुझे मजबूती से पकड़ कर फिर से तेज़ी से मेरे अंदर धक्के मारने लगा.
वो थोड़ी देर बाद रुका और बोला, मेडम में आप की मर्ज़ी से कर रहा हू. मेने कोई ज़बरदस्ती नही की. में तो हर पल आपके सामने था आपने ही मुझे नही पहचाना.
में सोच रही थी कि आख़िर में अशोक को क्यो नही पहचान पाई.
मुझे लगा में इतनी परेसान थी और उपर से उसकी लंबी दाढ़ी, मुझ से भूल हो गयी. कॉलेज के टाइम उसकी दाढ़ी नही थी. और मैने उसकी घिनोनी सूरत ठीक से ना तब देखी थी और ना अब देखी थी.
वो बोला, क्या सोचने लगी मेडम ?
मैने कहा अशोक देखो ये ठीक नही है, तुमने धोका किया है, प्लीज़ निकाल लो बाहर और मुझे जाने दो.
वो बोला, जहा इतनी देर इतना कर लिया थोडा और कर लेने दे, तेरा क्या जाएगा, और बहुत तेज, तेज मेरी योनि में धक्के मारने लगा.
मैं कुछ नही बोल पाई. उसके एक एक धक्के के साथ मेरी साँसे फूल रही थी और मेरी योनि के साथ साथ पूरे सरीर में हलचल हो रही थी.
मैने कहा, रुक जाओ प्लीज़.
वो बोला, बस थोड़ी देर और मेडम और, धक्के मारता रहा.
अचानक वो ज़ोर से चीलया आआहह और उसके धक्को की स्पीड चरम पर पहुँच गयी.