छोटी सी भूल compleet

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raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:33

मैं ये सब सुन कर मन ही मन झूम उठी.

मैं कब से संजय को कह रही थी की, मेरे लिए कोई काम तलाश करो, मेरी एमबीए की डिग्री बेकार जा रही है.

मैने संजय को बोल दिया ठीक है मैं वाहा जाकर देख आउन्गि की कैसा माहॉल है फिर बताउन्गि कि जोइन करना है कि नही.

संजय ने मुझे वाहा का अड्रेस दे दिया, वो जगह घर से थोडा दूर थी.

संजय ने कहा तुम कार चलना शीख लो, एक कार खरीद दूँगा, फिलहाल तुम बस से चली जाना, कोई 40 या 50 मिनूट का रास्ता है बस से.

मैने कहा ठीक है.

एक पल को मैं सारे दुख भूल गयी. मैं भूल गयी की थोड़ी देर पहले बिल्लू के घर मेरे साथ क्या हुवा था.

पर संजय के जाने के बाद मुझे फिर से दुख के बादलो ने घेर लिया.

मैं जब नहा रही थी तो मुझे अचानक याद आ गया की अशोक ने कैसे मुझे अपने सामने झुका कर मेरे साथ……………………….. और मैं गम में डूबती चली गयी.

मैं नहा धो कर लेटी ही थी कि फोन की घंटी बज उठी.

मैने फोन उठाया तो पाया कि ये अशोक का फोन था.

वो बोला, ठीक से पहुँच गयी ना तू ?

मैने गुस्से में कहा, “तुम्हे इस से क्या मतलब, यहा दुबारा फोन मत करना” और ये कह कर फोन पटक दिया.

फोन फिर से बज उठा,

फिर से अशोक ही था, वो बोला, मुझे मतलब है, कितने प्यार से दी थी तूने आज, सच अभी तक मेरे लंड पर तेरी चूत की गर्माहट महसूस हो रही है, तुझे इतने दीनो बाद ही सही, एक बार पा कर मन झूम रहा है, बता फिर कब मिलेगी, मैं तुझे जी भर कर चोदना चाहता हू.

मैने झट से फोन पटक दिया, पर मेरे पूरे शरीर में ये सब सुन कर एक अजीब सी हलचल हो गयी और ना चाहते हुवे भी मुझे उसका मेरी योनि में एक एक धक्का याद आ गया. मैं गिल्ट से भर गयी और फोन को गुस्से से ज़ोर से दूर फेंक दिया.

मैं पछता रही थी कि आख़िर मैने बिल्लू को ये नंबर क्यो दे दिया. अगर कभी संजय ने उठा लिया तो ?

मैं बेड पर गिर गयी और कब मुझे गहरी नींद आ गयी पता ही नही चला. पिछली रात की नींद जो भरी हुई थी आँखो में.

में कोई 7 बजे उठी. चिंटू ने ज़ोर ज़ोर से टीवी पर गाने चला रखे थे, शायद उसी की वजह से मैं थोड़ा जल्दी उठ गयी वरना तो सोती रहती.

पर उठते ही फिर से पूरे दिन की घटना मेरे दीमाग में घूम गयी. और में फिर से गिल्ट और शर्मिंदगी से भर गयी.

मैं ये सोच रही थी कि अब क्या करना है इन लोगो का, इन्होने तो बड़ी चालाकी से फँसाया है मुझे. मैने फ़ैसला किया कि अब चाहे जो हो मैं इन लोगो के झाँसे में नही आउन्गि.

अगर वो संजय को सब बताते है तो बता दे, अब में किसी भी हालत में उनके हाथो का खिलोना नही बनूँगी

पर तब मुझे ख्याल आया कि उन्होने तो मुझे कुछ करने को नही कहा था.

पर ये सच था कि अशोक ने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे कि मुझे खुद कहना पड़ा कि में कुछ भी करूँगी.

अगर में उनकी चाल समझ पाती तो ऐसा कभी ना कहती.


raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:33

उस रात में बहुत बेचन रही. संजय चुपचाप सो रहे थे और मैं बार, बार करवटें बदल रही थी.

रह रह कर पूरा दिन मेरी आँखो में घूम रहा था.

मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर अपने मन को कैसे शांत करू. इतनी बड़ी घटना के बाद शायद ये सब नॅचुरल था.

पर तभी मुझे अचानक वो पल याद आ गया जब मेरी योनि ने अशोक के धक्को के कारण अपना पानी बहा दिया था. मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर ऐसा क्यो हुवा था ?

पर जो भी था मैं इस कारण बहुत गिल्ट महसूस कर रही थी

इसी कसम्कश में अचानक मुझे कॉलेज के दीनो की एक घटना याद आ गयी.

कॉलेज मैं एक लड़की थी, नेहा बहुत ही सुंदर और स्मार्ट. वो मेरी एक साल सीनियर थी, और कॉलेज के पास ही हॉस्टिल में रहती थी. उसके बारे में चर्चा थी की उसके पीछे कयि लड़के दीवाने है. पर वो किसी को भी लाइन नही देती थी. मेरी तो उस से कोई बोलचाल नही थी, पर वो मेरी फ्रेंड दीप्ति की अछी दोस्त थी.

एक दिन की बात है मैं और दीप्ति कॉलेज कॅंटीन में कुछ स्नॅक्स खा रहे थे. सामने से नेहा आ गयी, और दीप्ति ने उसे बुला लिया.

दीप्ति ने उस से पूछा, और आजकल क्या चल रहा है ?

वो बोली कुछ ख़ास नही, बस टाइम पास.

दीप्ति ने मज़ाक में पूछा पर टाइम पास भी अछा कर लेती हो.

नेहा ने पूछा क्या मतलब, मैं भी दीप्ति के इस मज़ाक पर हैरान थी.

दीप्ति ने कहा मतलब आज कल तुम्हारा नाम रोहित से जोड़ा जा रहा है, क्या ये सच है.

नेहा ने कहा, यार ये लड़के भी ना, ऐसा कुछ नही है, मैं तो उसे ठीक से जानती भी नही.

दीप्ति ने कहा, ओह हा ये बात तो है, लड़के यू ही अफवाह फैलाते रहते है.

दीप्ति ने कहा, पर एक बात है, बुरा ना मानो तो पूछ लू.

नेहा का चेहरा हैरानी के कारण लाल हो गया वो बोली, पूछ ना आख़िर क्या बात है.

दीप्ति ने कहा चल जाने दे.

नेहा ने चोंक कर पूछा, क्या है बताओ तो ?

दीप्ति ने कहा तुम्हारा नाम उस कामीने पेओन अशोक से भी जोड़ा जा रहा है, बता ना ये क्या चक्कर है ?

नेहा के, एक पल को होश उड़ गये और वो गहरी चिंता में डूब गयी.

उसकी हालत वैसी ही लग रही थी जैसी कि आजकल मेरी है.

नेहा ने मेरी और देखा, दीप्ति समझ गयी और बोली, अरे घबरा मत ये मेरी अछी दोस्त है, बता बात क्या है ?

वो बोली समझ नही आ रहा कैसे बताउ, तू जाने दे फिर कभी बात करेंगे, यहा कोई सुन लेगा.

दीप्ति बोली चल फिर तेरे हॉस्टिल में चलते है.

मैं भी बेचन थी सब जानेने के लिए.

नेहा ने झीज़कते हुवे कहा चल ठीक है, चलो, मेरा मन भी हल्का हो जाएगा, कब से इस बारे में बात करना चाहती थी.

हम 10 मिनूट में उसके हॉस्टिल के रूम में आ गये.

नेहा ने पूछा, कुछ टी, कॉफी चलेगी.

मैने और दीप्ति ने मना कर दिया.

नेहा अपने बेड पर बैठ गयी और हम दोनो ने एक एक चेर खिसका ली.

दीप्ति ने पूछा, हा बता अब क्या बात है ?

नेहा ने गहरी साँस ली और बोली, पर वादा करो तुम दोनो ये बात किसी को नही बताओगि.

दीप्ति बोली अरे ये भी कोई कहने की बात है, तू डर मत और बता क्या बात है ?

नेहा ने कहा पर ये तुम्हे सुन-ने में बहुत बेकार लगेगी.

दीप्ति बोली, कोई बात नही तू बता तो सही.

फिर नेहा ने बताना सुरू किया.

“नेहा ने कहा, अशोक के बारे में मुझे कुछ नही पता था. पीछले साल की बात है, एक दिन मैं कुछ काम से प्रिन्सिपल से मिलने गयी थी, दरअसल मुझे घर जाने के लिए लीव चाहिए थी, इसलिए प्रिन्सिपल से मिलने गयी थी, उनकी सॅंक्षन मिलनी ज़रूरी थी.

प्रिन्सिपल के गेट के बाहर, अशोक खड़ा था.

मैने उस से पूछा, प्रिन्सिपल अंदर है क्या?

वो बोला, जी मेडम अभी तो वो कही बाहर गये है.

मैने मन ही मन कहा ओह नो.

अशोक ने पूछा मेडम क्या काम है.

मैने ना जाने क्यो बता दिया कि मुझे लीव सॅंक्षन करवानी थी, उनसे मिलना था.

वो बोला, मेडम जी आप अपनी अप्लिकेशन मुझे दे दो मैं सॅंक्षन करवा दूँगा, आप जाओ.

मैने कहा, ठीक है, और अपनी लीव अप्लिकेशन उसे दे आई.

अगले दिन वो मुझे कॅंटीन के बाहर मिला और बोला, मेडम जी आप की लीव सॅंक्षन हो गयी है.

मैने ख़ुसी में उसे कहा थॅंक यू.

उसके बाद वो जब भी कही कॉलेज में कही टक-राता तो बोलता नमस्ते मेडम जी, कोई काम हो तो बताना.”

फिर नेहा चुप हो गयी और किसी गहरी चिंता में डूब गयी.

raj..
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Re: छोटी सी भूल

Unread post by raj.. » 02 Nov 2014 21:34

दीप्ति ने पूछा, बस इतनी शी बात थी या कुछ और भी है.

नेहा ने गहरी साँस ली और बोली, काश बस इतनी ही बात होती.

दीप्ति ने कहा, तो फिर आगे बता ना क्या बात है ?

नेहा ने फिर से बताना शुरू किया.

“ एक दिन की बात है कॉलेज में छुट्टी थी. मैं सुबह 11 बजे अकेली ही मार्केट चली गयी, मुझे कुछ समान खरीदना था. खरीदारी करते, करते 12:30 बज गये.

अचानक आसमान में बादल छा गये. मैने सोचा जल्दी हॉस्टिल चलना चाहिए. मैं किसी ऑटो या रिक्सा का वेट करने लगी.

तभी अचानक अशोक वाहा आ गया, वो अपनी बाइक पर था, वो बोला, मेडम जी आप क्या अपने हॉस्टिल जा रही है.

मैने कहा हा.

वो बोला, अगर बुरा ना मानो तो मैं आप को छोड़ दूँगा, मौसम खराब होता जा रहा है.

मैने कहा नही कोई बात नही मैं ऑटो लेकर चली जाउन्गि.

वो बोला, मेडम जी मैं उसी तरफ जा रहा हू, आप बैठ जाओ, जल्दी से हॉस्टिल छोड़ दूँगा.

मुझे लगा चलो ठीक है, किसी भी वक्त बारिश आ सकती है बारिश से पहले अगर ये मुझे हॉस्टिल छोड़ देगा तो अछा होगा.

मैं उसकी बाइक पर बैठ गयी.

थोड़ी देर ही हुई थी कि बहुत तेज बारिश होने लगी.

अशोक बोला, मेडम जी थोड़ी देर रुक जाते है और उसने एक घने पेड़ के नीचे बाइक रोक दी.

हम दोनो उतर कर पेड़ के नीचे खड़े हो गये.

वो बोला, मेडम जी अचानक कितनी तेज बारिश आ गयी, मौसम का कुछ भरोसा नही है.

मैने कहा, हा.

मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मैं अपने कॉलेज के पेओन के साथ वाहा पेड़ के नीचे खड़ी थी.

वो बोला, मेडम जी बुरा ना मानो तू एक बात कहु.

मैने कहा, हा कहो.

वो बोला, कॉलेज में आप सबसे सुंदर हो, सारे लड़के आपके बारे में बाते करते रहते है.

मैं ये सुन कर थोडा शर्मा गयी पर हैरान थी कि आख़िर वो ऐसी बाते क्यो कर रहा है.

वो बोला, आपको मेरी बात बुरी तो नही लगी ?

मैने झीज़कते हुवे कहा नही नही कोई बात नही.

फिर वो बोला, आप मुझे भी बहुत अछी लगती हो.

अब मुझे कुछ अजीब लगने लगा.

मैं बिल्कुल चुप हो गयी और बारिश को देखने लगी.

तब उसने कुछ ऐसी बात बोली जिसे सुन कर मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी, वो बोला, मेडम जी, आप बुरा ना मानो तो मैं वाहा पीछे जा कर, थोडा पेसाब कर लू.

मैने कोई जवाब नही दिया, अब उसकी बातो से मुझे डर लगने लगा था.

वो थोड़ा घूम गया, और अपनी ज़िप खोलने लगा.

मैने कहा, अरे ये क्या बदतमीज़ी है ?

वो बोला, मेडम जी वाहा बारिश में भीग जाउन्गा और ये कहते हुवे वो मेरी तरफ घूम गया.

मुझे तो विस्वास ही नही हुवा, उसका वो मेरी आँखो के सामने झूल रहा था, मैने अपनी आँखे बंद कर ली.”

तभी दीप्ति बोल उठी, ओह माइ गोड उसकी इतनी जुर्रत.

मैं भी सब हैरानी से सुन रही थी.

दीप्ति ने पूछा फिर क्या हुवा, तूने उसे थप्पड़ मारा कि नही.

नेहा बोली, यार मैं कुछ नही कर पाई.

दीप्ति बोली, तुझे कुछ तो करना चाहिए था.

नेहा बोली, यार मैने पहली बार आदमी का पेनिस देखा था, मैं समझ नही पा रही थी कि क्या करू.

दीप्ति ने पूछा, तो क्या तूने फिर आँखे खोल कर देखा.

नेहा ने धीरे से कहा, हा.

दीप्ति ने उसे डाँटते हुवे कहा, अरे तू पागल हो गयी थी क्या ?

नेहा ने जवाब दिया, पर मैने उसे बोल दिया था कि प्लीज़ इसे अंदर कर लो, कोई देख लेगा.

दीप्ति बोली, वाह ये अछा किया तूने, तुझे तो उसे एक थप्पड़ मारना चाहिए था, और तू उसे रिक्वेस्ट कर रही थी.

नेहा, बिल्कुल चुप हो गयी.

दीप्ति ने पूछा, अछा फिर क्या हुवा आगे बता.

नेहा ने फिर से बताना शुरू किया.

“ अशोक बोला, मेडम जी, पेड़ के पीछे आ जाओ, वाहा कोई नही देख पाएगा.

सड़क पर बारिश के कारण सुन्शान था, पर फिर भी कभी, कभी एक दो गाडिया गुजर रही थी.

मैने कहा नही, यही ठीक है.

पर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे पेड़ के पीछे ले गया.”

दीप्ति फिर से चीन्ख पड़ी, ओह माइ गोड ये क्या किया तूने ?

नेहा बोली, तू समझने की कोशिस कर मैं, कुछ समझ नही पा रही थी कि क्या करू, उसका वो देख कर मेरे होश उड़ गये थे.

दीप्ति बोली फिर क्या हुवा.

नेहा ने बताया,

“ वो बोला मेडम जी यहा ठीक है, आप आराम से देख लो.

मुझे ना जाने क्या हो गया था, मैं उशके पेनिस को एक टक देखने लगी.

उसने पूछा, मेडम जी आपने क्या किसी और का भी देखा है.

मैने धीरे से गर्दन हिला कर कहा ना.

तब तो आपको पता नही चल पाएगा.

मैने मद-होशी में पूछा क्या ?


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