मोबाइल सुरेश की पहुँच में ही था इश्लीए उसने पिंकी के होल से पेनिस निकाले बिना फोन उठा लिया.
सुरेश ने फोन कान पर लगा कर कहा, हां रामू मैं थोड़ी देर में फोन करता हूँ, हां हां तुम मुझ पर छोड़ दो, मैं मेंसाब् से बात करता हूँ.
पिंकी ने पूछा, क्या कह रहा था वो मोटा ?
सुरेश बोला, “थोड़ी देर में बताता हूँ”-- और फिर से पिंकी के अंदर धक्के मारने लगा.
पिंकी बोली, आअहह बस सुरेश इतना बहुत है आज के लिए आआअहह बाद में और ज़्यादा मार लेना.
सुरेश हाँपते हुवे बोला, बस मेरा होने ही वाला है…आआआहह ऊऊओह
अचानक सुरेश पिंकी के उपर गिर गया और बोला, आअहह बस हो गया……काम अपना तो..
पिंकी भी हाँपते हुवे बोली, ऊऊहह, सुरेश इट वाज़ रेआली फॅंटॅस्टिक फक, आइ विल अगेन टेक युवर कॉक इन माइ आस सम अदर दे. आइ नेवेर न्यू दट अनल सेक्स कुड बे सच आ वोनदेफुल्ल थिंग टू डू. हां तो बताओ क्या कहा रामू ने.
सुरेश बोला, वो यही होटेल के बाहर वेट कर रहा है, तुम्हे उसके साथ करना ही होगा.
पिंकी हैरानी में बोली, क्या ? मैं ऐसा नही करूँगी.
सुरेश बोला, पिंकी समझा करो वो संजना का ख़ास ड्राइवर है और उसे हमारे बारे में सब पता चल गया है, अगर उसने संजना को सब कुछ बता दिया तो मेरा सब कुछ लुट जाएगा, उसी के पैसो पर तो हम ऐश कर रहे है.
पिंकी बोली, सुरेश उसे किसी प्रॉस्टिट्यूट के पास ले जाओ, मैं उसके साथ हरगीज़ कुछ नही करूँगी.
सुरेश बोला, यार तुम्हे क्या लगता है, मैने ट्राइ नही किया होगा, पर वो कहता है पिंकी मेंसाब् बहुर सुन्दर है, बस एक बार मुझे उनकी दिला दो तो मैं अपना मूह बंद रखूँगा.
पिंकी ने कहा, पर सुरेश, शुरआत देखी है उस मोटे की, उसके साथ तो कोई कुतिया भी नही करेगी और तुम मुझे कह रहे हो.
सुरेश बोला, अगर उसने संजना को बता दिया तो मेरा खेल तो बिगड़ेगा ही तुम्हारा खेल भी बिगड़ जाएगा अब सोच लो.
ये कह कर सुरेश ने फोन उठा कर एक नंबर डाइयल किया और बोला, हां रामू रूम नंबर 102 में आ जाओ, में रिसेप्षन पर बोल देता हूँ कि तुम्हे आने दें.
पिंकी गुस्से में बोली, सुरेश ये सब क्या है, मुझे सोचने का मोका तो दो.
पर सुरेश ने उसकी बात पर ध्यान नही दिया और होटेल के फोन से रिसेप्षन पर फोन मिलाया और बोला, हेलो रिसेप्षन…. वाहा कोई रामू नाम का आदमी है, मोटा सा, उसे मेरे रूम नंबर 102 में आने दो.
क्रमशः..............
छोटी सी भूल compleet
Re: छोटी सी भूल
गतांक से आगे .........................
पिंकी की शुरत रोने वाली हो रही थी, हो भी क्यो ना किसी भी लड़की के लिए ऐसा करना आसान नही था.
“देखो मुझे थोड़ा वक्त दो, इतनी जल्दी मैं कैसे मेंटली प्रिपेर हो पाउन्गि” ---- वो सुरेश की और गुस्से में देखते हुवे बोली,
“मैने तुम्हे, पीछले हफ्ते ही ये बात बता दी थी कि वो हरामी रामू हमारे बारे में सब कुछ जान गया है और संजना को सब कुछ बताने की धमकी दे रहा है. मैने तुम्हे बताया था ना कि वो अपना मूह बंद रखने की कीम्मत माँग रहा है. और कितना वक्त चाहिए तुम्हे ? ” ------ सुरेश ने भी पिंकी को गुस्से में जवाब दिया
पिंकी किसी गहरी सोच में डूब गयी, ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मन ही मन में कोई फ़ैसला कर रही हो.
“पर तुम्हे नही लगता कि वो कुछ ज़्यादा ही माँग रहा है, आख़िर उसकी औकात क्या है ?” -----पिंकी ने सुरेश का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा.
“हाँ शायद, पर तुम ये भी तो देखो क़ि जितना माल हम संजना का उड़ा रहे है, उसके आगे ये कुछ भी नही है. और उसकी कोई औकात भले ही ना हो पर वो संजना का बहुत ख़ास ड्राइवर है और अगर उसने संजना को सब कुछ बता दिया तो हम कहीं के नही रहेंगे, समझ रही हो ना तुम”. ---- सुरेश ने पिंकी के हाथ को चूमते हुवे कहा.
“तुम्हारे लिए ये कुछ भी नही है, पर मेरे लिए ये बहुत बड़ी किम्मत है, मैं उस बद्शुरत मोटे के साथ छी….सोच भी नही सकती…. ओह गॉड ये में कौन सी मुसीबत में फँस गयी” ---- पिंकी ने अपने चेहरे को हाथो में छुपा कर कहा
सुरेश पिंकी को समझाने की कोशिश कर रहा था, और पिंकी सुरेश को समझाने की कोशिस कर रही थी.
पर्दे के पीछे खड़े खड़े मैं बहुत तक चुकी थी, पर वाहा का नाटक थमने का नाम ही नही ले रहा था. मैं सोच रही थी कि बेकार में हम इस कमरे में घुसे, सीधे 103 में चले जाते तो अछा होता.
पिंकी को ऐसी हालत में देख कर मुझे वो कहावत याद आ गयी की…..“ जो इंशान दूसरो के लिए खड्डा खोदता है, एक दिन खुद उसी में गिरता है ”. मुझ से बदला लेने के चक्कर में पिंकी खुद बर्बादी की ओर बढ़ रही थी.
मुझ से ये सब नही शुना जा रहा था, मैने दीप्ति को वही रोक कर कहा, “बस यार आगे मत सुनाओ, बहुत बेकार लग रहा है सब कुछ”
पर तभी नेहा बोल पड़ी, “अरे नही ऋतु, बताने दो ना, देंखे तो सही कि जिसने दीप्ति के साथ इतनी बड़ी साजिश की, उसका आगे क्या बना”.
मैने नेहा से कहा, “ देखो किसी के दुख को अपने मज़े के लिए हरगीज़ उसे नही करना चाहिए. मुझे तो नफ़रत होती है ऐसे लोगो से जो रेप की कहानिया पढ़ कर, या रेप की वीडियो देख कर खुस होते है”
“ऋतु, मेरा ऐसा कोई मकसद नही है, हम तो सिर्फ़ बाते कर रहें है, और ये जान-ने की कोशिस कर रहे है कि पिंकी को उसके किए की सज़ा कैसे मिली” ----- नेहा ने गंभीर चेहरा बना कर कहा
तभी दीप्ति बीच में बोल पड़ी, “अरे यार बस करो तुम दोनो”
हम दोनो दीप्ति की आवाज़ सुन कर चुप हो गये.
“ऋतु, मैं मानती हूँ कि तुम्हे ये सब शन-ना अछा नही लग रहा, पर ये कहानी कुछ समझा रही है, इसलिए इसे पूरा सुन लो, आधे अधूरे से हम किसी भी नतीजे पर नही पहुँच सकते” ----दीप्ति ने मेरी और देखते हुवे कहा
मैने गहरी साँस ले कर कहा, ह्म….. ठीक है सुनाओ फिर, मैं सुन रही हूँ.
“ठीक है सुनो फिर”,------ दीप्ति ने हम दोनो से कहा.
दीप्ति के शब्दो में :---------
अछा तो मैं क्या कह रही थी…. ह्म्म….. हाँ याद आया,….. “ये सच है कि इंशान को उसके किए कि सज़ा इसी जनम में मिल जाती है. इसलिए हमें हमेसा ही आछे करम करने चाहिए. हम कोई भी ग़लत काम करके उसके परिणामो से नही बच सकते है. कभी ना कभी हमें अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलती है”. ऐसा ही कुछ पिंकी के साथ हो रहा था.
सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ रख कर उसके बालो को सहलाते हुवे कहा, “देखो बस एक बार की बात है, वो एक बार कर लेगा तो उसके मूह खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा और किसी को कुछ भी बताने की हालत में नही रहेगा, उसके बाद हमें उसे मूह लगाने की ज़रूरत नही है, ठीक है ना” ?
पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम कर कहा, “पर सुरेश मैं कैसे कर पाउन्गि, मुझ से नही होगा, देखा है ना तुमने उसे ? वो बहुत ही भयानक है. कोई और रास्ता निकालो ना.
“देखो, तुम जानती ही हो रामू को, वो पहले भी मेरी काई बाते संजना को बता चुका है, और संजना उस पर विश्वास भी करती है, वो उसका बहुत पुराना ड्राइवर जो ठहरा. और हां आजकल मुझ पर संजना का शक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में मैं कोई ख़तरा मोल नही ले सकता” ----- सुरेश ने पिंकी के गालो को सहलाते हुवे कहा.
तभी कमरे की बेल बजी…… टिंग…टॉंग….और पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम लिया.
“शायद वो आ गया, मैं दरवाजा खोलता हूँ”. सुरेश ने पिंकी से हाथ छुड़ाते हुवे कहा.
पिंकी ने उसका हाथ ज़ोर से जाकड़ लिया और बोली, “रूको ना प्लीज़, एक बार फिर से सोच लो, क्या कोई और रास्ता नही है” ??
सुरेश बोला, हां है !!
पिंकी ने पूछा, क्या ? बताओ
“हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते है और रामू को संजना को सब कुछ बताने देते है और ख़ुसी-ख़ुसी सड़क पर आ जाते है. पर ये बात याद रखना कि अगर कोई हुन्गामा हुवा तो दीप्ति तक भी बात पहुँच सकती है” ------ सुरेश ने पिंकी की और देखते हुवे थोड़ा गुस्से में कहा.
पिंकी की शुरत रोने वाली हो रही थी, हो भी क्यो ना किसी भी लड़की के लिए ऐसा करना आसान नही था.
“देखो मुझे थोड़ा वक्त दो, इतनी जल्दी मैं कैसे मेंटली प्रिपेर हो पाउन्गि” ---- वो सुरेश की और गुस्से में देखते हुवे बोली,
“मैने तुम्हे, पीछले हफ्ते ही ये बात बता दी थी कि वो हरामी रामू हमारे बारे में सब कुछ जान गया है और संजना को सब कुछ बताने की धमकी दे रहा है. मैने तुम्हे बताया था ना कि वो अपना मूह बंद रखने की कीम्मत माँग रहा है. और कितना वक्त चाहिए तुम्हे ? ” ------ सुरेश ने भी पिंकी को गुस्से में जवाब दिया
पिंकी किसी गहरी सोच में डूब गयी, ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मन ही मन में कोई फ़ैसला कर रही हो.
“पर तुम्हे नही लगता कि वो कुछ ज़्यादा ही माँग रहा है, आख़िर उसकी औकात क्या है ?” -----पिंकी ने सुरेश का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा.
“हाँ शायद, पर तुम ये भी तो देखो क़ि जितना माल हम संजना का उड़ा रहे है, उसके आगे ये कुछ भी नही है. और उसकी कोई औकात भले ही ना हो पर वो संजना का बहुत ख़ास ड्राइवर है और अगर उसने संजना को सब कुछ बता दिया तो हम कहीं के नही रहेंगे, समझ रही हो ना तुम”. ---- सुरेश ने पिंकी के हाथ को चूमते हुवे कहा.
“तुम्हारे लिए ये कुछ भी नही है, पर मेरे लिए ये बहुत बड़ी किम्मत है, मैं उस बद्शुरत मोटे के साथ छी….सोच भी नही सकती…. ओह गॉड ये में कौन सी मुसीबत में फँस गयी” ---- पिंकी ने अपने चेहरे को हाथो में छुपा कर कहा
सुरेश पिंकी को समझाने की कोशिश कर रहा था, और पिंकी सुरेश को समझाने की कोशिस कर रही थी.
पर्दे के पीछे खड़े खड़े मैं बहुत तक चुकी थी, पर वाहा का नाटक थमने का नाम ही नही ले रहा था. मैं सोच रही थी कि बेकार में हम इस कमरे में घुसे, सीधे 103 में चले जाते तो अछा होता.
पिंकी को ऐसी हालत में देख कर मुझे वो कहावत याद आ गयी की…..“ जो इंशान दूसरो के लिए खड्डा खोदता है, एक दिन खुद उसी में गिरता है ”. मुझ से बदला लेने के चक्कर में पिंकी खुद बर्बादी की ओर बढ़ रही थी.
मुझ से ये सब नही शुना जा रहा था, मैने दीप्ति को वही रोक कर कहा, “बस यार आगे मत सुनाओ, बहुत बेकार लग रहा है सब कुछ”
पर तभी नेहा बोल पड़ी, “अरे नही ऋतु, बताने दो ना, देंखे तो सही कि जिसने दीप्ति के साथ इतनी बड़ी साजिश की, उसका आगे क्या बना”.
मैने नेहा से कहा, “ देखो किसी के दुख को अपने मज़े के लिए हरगीज़ उसे नही करना चाहिए. मुझे तो नफ़रत होती है ऐसे लोगो से जो रेप की कहानिया पढ़ कर, या रेप की वीडियो देख कर खुस होते है”
“ऋतु, मेरा ऐसा कोई मकसद नही है, हम तो सिर्फ़ बाते कर रहें है, और ये जान-ने की कोशिस कर रहे है कि पिंकी को उसके किए की सज़ा कैसे मिली” ----- नेहा ने गंभीर चेहरा बना कर कहा
तभी दीप्ति बीच में बोल पड़ी, “अरे यार बस करो तुम दोनो”
हम दोनो दीप्ति की आवाज़ सुन कर चुप हो गये.
“ऋतु, मैं मानती हूँ कि तुम्हे ये सब शन-ना अछा नही लग रहा, पर ये कहानी कुछ समझा रही है, इसलिए इसे पूरा सुन लो, आधे अधूरे से हम किसी भी नतीजे पर नही पहुँच सकते” ----दीप्ति ने मेरी और देखते हुवे कहा
मैने गहरी साँस ले कर कहा, ह्म….. ठीक है सुनाओ फिर, मैं सुन रही हूँ.
“ठीक है सुनो फिर”,------ दीप्ति ने हम दोनो से कहा.
दीप्ति के शब्दो में :---------
अछा तो मैं क्या कह रही थी…. ह्म्म….. हाँ याद आया,….. “ये सच है कि इंशान को उसके किए कि सज़ा इसी जनम में मिल जाती है. इसलिए हमें हमेसा ही आछे करम करने चाहिए. हम कोई भी ग़लत काम करके उसके परिणामो से नही बच सकते है. कभी ना कभी हमें अपने किए की सज़ा ज़रूर मिलती है”. ऐसा ही कुछ पिंकी के साथ हो रहा था.
सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ रख कर उसके बालो को सहलाते हुवे कहा, “देखो बस एक बार की बात है, वो एक बार कर लेगा तो उसके मूह खुद-ब-खुद बंद हो जाएगा और किसी को कुछ भी बताने की हालत में नही रहेगा, उसके बाद हमें उसे मूह लगाने की ज़रूरत नही है, ठीक है ना” ?
पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम कर कहा, “पर सुरेश मैं कैसे कर पाउन्गि, मुझ से नही होगा, देखा है ना तुमने उसे ? वो बहुत ही भयानक है. कोई और रास्ता निकालो ना.
“देखो, तुम जानती ही हो रामू को, वो पहले भी मेरी काई बाते संजना को बता चुका है, और संजना उस पर विश्वास भी करती है, वो उसका बहुत पुराना ड्राइवर जो ठहरा. और हां आजकल मुझ पर संजना का शक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में मैं कोई ख़तरा मोल नही ले सकता” ----- सुरेश ने पिंकी के गालो को सहलाते हुवे कहा.
तभी कमरे की बेल बजी…… टिंग…टॉंग….और पिंकी ने सुरेश का हाथ थाम लिया.
“शायद वो आ गया, मैं दरवाजा खोलता हूँ”. सुरेश ने पिंकी से हाथ छुड़ाते हुवे कहा.
पिंकी ने उसका हाथ ज़ोर से जाकड़ लिया और बोली, “रूको ना प्लीज़, एक बार फिर से सोच लो, क्या कोई और रास्ता नही है” ??
सुरेश बोला, हां है !!
पिंकी ने पूछा, क्या ? बताओ
“हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाते है और रामू को संजना को सब कुछ बताने देते है और ख़ुसी-ख़ुसी सड़क पर आ जाते है. पर ये बात याद रखना कि अगर कोई हुन्गामा हुवा तो दीप्ति तक भी बात पहुँच सकती है” ------ सुरेश ने पिंकी की और देखते हुवे थोड़ा गुस्से में कहा.
Re: छोटी सी भूल
पिंकी तभी बोल पड़ी, “नही, दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”.
सुरेश बोला, “फिर इतना सोच क्यो रही हो, बना बनाया खेल मत बिगाड़ो, हम दोनो का बहुत कुछ दाँव पर लगा है”
पर पिंकी कुछ नही बोली, और बेड पर बैठे-बैठे किसी गहरी चिंता में खो गयी.
“मैं दरवाजा खोलता हूँ, तुम चिंता मत करो, एक बार से तुम्हारा कुछ नही बिगड़ेगा, तुम कौन सा कुँवारी हो” --- सुरेश ने पिंकी के हाथो से हाथ छुड़ा कर कहा.
“तुम नही समझोगे कि मुझ पर क्या बीत रही है, मैं तुम्हारे साथ खुल कर करती हूँ तो इसका मतलब ये नही है कि मैं किसी के भी साथ…..” ---- पिंकी ने सुरेश को पीछे से आवाज़ लगा कर कहा.
पर सुरेश ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और तेज़ी से आगे बढ़ गया.
मैं सोच रही थी कि कितना बेकार इंशान है ये सुरेश, क्या कोई किसी अपने के साथ ऐसा करता है ?? जैसा भी सही, उनका आपस में कोई ना कोई रिस्ता तो था ही. बहुत ही कमीना लग रहा था सुरेश उस वक्त. शायद पिंकी भी मन ही मन में यही सोच रही थी.
पर इतना ज़रूर था कि उशके अंदर मुझ से बदला लेने की तम्माना अभी भी, ज्यो की त्यो थी, तभी तो ऐसे में भी कह रही थी की…. “नही दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”. पता नही मेरी बर्बादी से उसे क्या हाँसिल होने वाला था.
जैसे ही सुरेश वाहा से चला गया, पिंकी ने अपने उपर झट से बेड पर रखी एक चदडार खींच ली.
कोई 5 मिनूट बाद सुरेश आता हुवा दीखाई दिया, उसके पीछे पीछे वो ड्राइवर भी आ रहा था. जैसा की पिंकी कह रही थी वो देखने में बहुत बदसूरत था और काफ़ी हॅटा कॅटा था, एक दम किसी मोटे पहलवान की तरह.
सुरेश ने ड्राइवर को कहा, तुम अभी दूसरे कमरे में रूको, मैं मेडम से बात करता हूँ.
ड्राइवर वाहा से चुपचाप चला गया, पर जाते जाते वो हवश भरी नज़रो से चदडार औधे पड़ी पिंकी की और देख रहा था.
सुरेश पिंकी के पास आ कर बोला, “पिंकी उठो, क्या बात है ? जल्दी से इस हरामी को निपटा दो और टेन्षन फ्री हो जाओ, बस एक बार की बात है. कौन सा तुम्हे रोज रोज करना है”
“ठीक है पर तुम्हे मेरी एक बात मान-नि पड़ेगी” ---- पिंकी ने मूह से चदडार हटा कर कहा
सुरेश बोला, “हां-हां बोलो क्या बात है”.
“मैं तुम्हारे सामने ये सब नही करूँगी, तुम यहा से चले जाओ” --- पिंकी ने आँखे बंद करके कहा.
“ठीक है मैं बाहर चला जाता हूँ, ड्राइवर अंदर से बंद कर लेगा, कोई बात हो तो तुम फोन कर लेना, मैं यही होटेल की बार में रहूँगा, फॉरन आ जाउन्गा” --- सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ फिराते हुवे कहा.
ये कह कर सुरेश जाने लगा तो अचानक पिंकी ने पीछे से आवाज़ दे कर कहा, “उसे समझा दो की मेरे साथ तमीज़ से पेश आए”.
“हां हां मैं समझा दूँगा तुम किसी बात की चिंता मत करो”------ सुरेश ने पिंकी के होंटो को किस कर के कहा
ये कह कर सुरेश दूसरे कमरे में चला गया और पिंकी ने फिर से अपने उपर चदडार ओढ़ ली.
दूसरे कमरे से सुरेश की आवाज़ आई, “रामू, मेंसाब् के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही करना और आराम से, तमीज़ से करना, वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा”
ड्राइवर बोला, “आप चिंता ना करो साहब, मुझे मेंसाब् अछी लगती है, मैं उन्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा, आप बेफीकर हो कर जाओ”.
तभी दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज़ आई, शायद सुरेश बाहर चला गया था और ड्राइवर ने अंदर से कुण्डी लगा ली थी.
फिर ड्राइवर के कदमो की आवाज़ शुनाई दी वो दूसरे कमरे से पिंकी की और बढ़ रहा था.
पिंकी ने कदमो की आवाज़ आते ही अपनी चदडार को आछे से अपने चारो और भींच लिया.
ड्राइवर बेड के पास आ गया और पिंकी को चदडार में लिपटे हुवे उपर से नीचे तक देखा, उसकी आँखो में किसी जानवर जैसी हवश थी.
वो पिंकी को देखते हुवे अपने पेनिस को मसालने लगा और देखते ही देखते उशके घिनोने चेहरे पर अजीब सी मुश्कान बिखर गयी.
वो चारो तरफ देखने लगा, वो शायद टाय्लेट ढूंड रहा था.
उशे टाय्लेट मिल गया और वो झट से टाय्लेट की ओर मूड गया.
पिंकी एक दम चुपि साधे पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे की बेड पर कोई नही है.
मैने मनीष से धीरे से कहा, यही मोका है चलो चलते है यहा से,
वो बोला, हां मैं भी यही सोच रहा हूँ.
हम दोनो ने दबे पाँव से पर्दे के बाहर कदम रखा ही था कि तभी टाय्लेट का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और हम फॉरन फिर से पर्दे के पीछे अपनी अपनी जगह पर वापस आ गये.
हम हैरान थे कि ये ड्राइवर इतनी जल्दी कैसे बाहर आ गया. शायद वो बहुत ही डेस्परेट हो रहा था.
वो फिर से पिंकी के पास आ गया और बिस्तर के पास खड़ा हो गया.
वो अपने पेनिस को अपनी पॅंट के उपर से मसालते हुवे बोला, “मेंसाब्”
पर पिंकी चुप चाप लेती रही, उसने कोई हलचल नही की.
“मेंसाब् क्या आप सो रही है” ? ’ ---- ड्राइवर पिंकी के थोड़ा और करीब आ कर बोला.
पर फिर भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही किया.
शायद वो सोच रही थी कि उसे ऐसे ही फ्रस्टरेट करके वाहा से रफ़ा दफ़ा कर देगी.
“पिंकी मेंसाब् क्या आप सो रही है ?’ इस बार ड्राइवर ने पिंकी के सर के पास झुक कर कहा.
पर इस बार भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया.
ड्राइवर ने चदडार को पिंकी के सर के उपर से पकड़ा और उसे नीचे खींचने लगा.
तभी पिंकी चील्ला कर बोल पड़ी, “क्या बात है, दूर हटो” ?
सुरेश बोला, “फिर इतना सोच क्यो रही हो, बना बनाया खेल मत बिगाड़ो, हम दोनो का बहुत कुछ दाँव पर लगा है”
पर पिंकी कुछ नही बोली, और बेड पर बैठे-बैठे किसी गहरी चिंता में खो गयी.
“मैं दरवाजा खोलता हूँ, तुम चिंता मत करो, एक बार से तुम्हारा कुछ नही बिगड़ेगा, तुम कौन सा कुँवारी हो” --- सुरेश ने पिंकी के हाथो से हाथ छुड़ा कर कहा.
“तुम नही समझोगे कि मुझ पर क्या बीत रही है, मैं तुम्हारे साथ खुल कर करती हूँ तो इसका मतलब ये नही है कि मैं किसी के भी साथ…..” ---- पिंकी ने सुरेश को पीछे से आवाज़ लगा कर कहा.
पर सुरेश ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और तेज़ी से आगे बढ़ गया.
मैं सोच रही थी कि कितना बेकार इंशान है ये सुरेश, क्या कोई किसी अपने के साथ ऐसा करता है ?? जैसा भी सही, उनका आपस में कोई ना कोई रिस्ता तो था ही. बहुत ही कमीना लग रहा था सुरेश उस वक्त. शायद पिंकी भी मन ही मन में यही सोच रही थी.
पर इतना ज़रूर था कि उशके अंदर मुझ से बदला लेने की तम्माना अभी भी, ज्यो की त्यो थी, तभी तो ऐसे में भी कह रही थी की…. “नही दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”. पता नही मेरी बर्बादी से उसे क्या हाँसिल होने वाला था.
जैसे ही सुरेश वाहा से चला गया, पिंकी ने अपने उपर झट से बेड पर रखी एक चदडार खींच ली.
कोई 5 मिनूट बाद सुरेश आता हुवा दीखाई दिया, उसके पीछे पीछे वो ड्राइवर भी आ रहा था. जैसा की पिंकी कह रही थी वो देखने में बहुत बदसूरत था और काफ़ी हॅटा कॅटा था, एक दम किसी मोटे पहलवान की तरह.
सुरेश ने ड्राइवर को कहा, तुम अभी दूसरे कमरे में रूको, मैं मेडम से बात करता हूँ.
ड्राइवर वाहा से चुपचाप चला गया, पर जाते जाते वो हवश भरी नज़रो से चदडार औधे पड़ी पिंकी की और देख रहा था.
सुरेश पिंकी के पास आ कर बोला, “पिंकी उठो, क्या बात है ? जल्दी से इस हरामी को निपटा दो और टेन्षन फ्री हो जाओ, बस एक बार की बात है. कौन सा तुम्हे रोज रोज करना है”
“ठीक है पर तुम्हे मेरी एक बात मान-नि पड़ेगी” ---- पिंकी ने मूह से चदडार हटा कर कहा
सुरेश बोला, “हां-हां बोलो क्या बात है”.
“मैं तुम्हारे सामने ये सब नही करूँगी, तुम यहा से चले जाओ” --- पिंकी ने आँखे बंद करके कहा.
“ठीक है मैं बाहर चला जाता हूँ, ड्राइवर अंदर से बंद कर लेगा, कोई बात हो तो तुम फोन कर लेना, मैं यही होटेल की बार में रहूँगा, फॉरन आ जाउन्गा” --- सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ फिराते हुवे कहा.
ये कह कर सुरेश जाने लगा तो अचानक पिंकी ने पीछे से आवाज़ दे कर कहा, “उसे समझा दो की मेरे साथ तमीज़ से पेश आए”.
“हां हां मैं समझा दूँगा तुम किसी बात की चिंता मत करो”------ सुरेश ने पिंकी के होंटो को किस कर के कहा
ये कह कर सुरेश दूसरे कमरे में चला गया और पिंकी ने फिर से अपने उपर चदडार ओढ़ ली.
दूसरे कमरे से सुरेश की आवाज़ आई, “रामू, मेंसाब् के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही करना और आराम से, तमीज़ से करना, वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा”
ड्राइवर बोला, “आप चिंता ना करो साहब, मुझे मेंसाब् अछी लगती है, मैं उन्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा, आप बेफीकर हो कर जाओ”.
तभी दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज़ आई, शायद सुरेश बाहर चला गया था और ड्राइवर ने अंदर से कुण्डी लगा ली थी.
फिर ड्राइवर के कदमो की आवाज़ शुनाई दी वो दूसरे कमरे से पिंकी की और बढ़ रहा था.
पिंकी ने कदमो की आवाज़ आते ही अपनी चदडार को आछे से अपने चारो और भींच लिया.
ड्राइवर बेड के पास आ गया और पिंकी को चदडार में लिपटे हुवे उपर से नीचे तक देखा, उसकी आँखो में किसी जानवर जैसी हवश थी.
वो पिंकी को देखते हुवे अपने पेनिस को मसालने लगा और देखते ही देखते उशके घिनोने चेहरे पर अजीब सी मुश्कान बिखर गयी.
वो चारो तरफ देखने लगा, वो शायद टाय्लेट ढूंड रहा था.
उशे टाय्लेट मिल गया और वो झट से टाय्लेट की ओर मूड गया.
पिंकी एक दम चुपि साधे पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे की बेड पर कोई नही है.
मैने मनीष से धीरे से कहा, यही मोका है चलो चलते है यहा से,
वो बोला, हां मैं भी यही सोच रहा हूँ.
हम दोनो ने दबे पाँव से पर्दे के बाहर कदम रखा ही था कि तभी टाय्लेट का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और हम फॉरन फिर से पर्दे के पीछे अपनी अपनी जगह पर वापस आ गये.
हम हैरान थे कि ये ड्राइवर इतनी जल्दी कैसे बाहर आ गया. शायद वो बहुत ही डेस्परेट हो रहा था.
वो फिर से पिंकी के पास आ गया और बिस्तर के पास खड़ा हो गया.
वो अपने पेनिस को अपनी पॅंट के उपर से मसालते हुवे बोला, “मेंसाब्”
पर पिंकी चुप चाप लेती रही, उसने कोई हलचल नही की.
“मेंसाब् क्या आप सो रही है” ? ’ ---- ड्राइवर पिंकी के थोड़ा और करीब आ कर बोला.
पर फिर भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही किया.
शायद वो सोच रही थी कि उसे ऐसे ही फ्रस्टरेट करके वाहा से रफ़ा दफ़ा कर देगी.
“पिंकी मेंसाब् क्या आप सो रही है ?’ इस बार ड्राइवर ने पिंकी के सर के पास झुक कर कहा.
पर इस बार भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया.
ड्राइवर ने चदडार को पिंकी के सर के उपर से पकड़ा और उसे नीचे खींचने लगा.
तभी पिंकी चील्ला कर बोल पड़ी, “क्या बात है, दूर हटो” ?