Police daughter sex story
Re: Police daughter sex story
और मन में सोचा
की कर ले बापू
तू अपनी टचिंग वचिंग कर ले
मैं भी तो देखूं की थारे दिल में चाल क्या रया है
उसके बाद उन्होने अपने खुरदुरे हाथ मेरी मखमली टांगो पर चलाने शुरू कर दिए
उपर से नीचे तक
फिर मेरी बियर ग्लास की शेप वाली पिंडलियों को उन्होने अपने हाथ में पकड़ा और उसे सहलाने लगे
और फिर दूसरे हाथ से वो मेरी जाँघो को सहलाते हुए उपर की तरफ आने लगे
पापा शायद भूल गये थे की वो वहां किस काम से आए थे
बाहर माँ का भी चीखना चिल्लाना भी बंद हो चुका था
वो शायद कान लगाकर अंदर क्या हो रहा है उसे सुनने का प्रयास कर रही थी
पर अंदर से कोई आवाज़ ना आते देखकर वो भी परेशान थी की अचानक हुआ क्या है
अभी तो ये बड़े गुस्से में अंदर गये थे
और अब अंदर से कुछ भी आवाज़ नही आ रही
पापा का दूसरा हाथ मेरी पेंटी की सरहद पार करता हुआ मेरी पुस्सी की तरफ बढ़ने लगा
मेरी साँसे तेज़ी से चलने लगी
पता नही क्यों और कैसे मेरी पुस्सी से कुछ गीला गीला निकलने लगा
पापा का हाथ सीधा उस गीलेपन के उपर गया और उन्होने अपनी उंगलियों से उस जगह को यानी मेरे चीरे को रगड़ सा दिया
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया
इस वजह से नही की वो मेरे साथ ये ग़लत काम कर रहे थे
बल्कि इस वजह से की मेरे मुंह में जो मैने सिसकारी इतनी देर से संभाल कर रखी थी
वो अब मुझसे और दबाई नहीं जा रही थी
मैने एकदम से चौंकने हुए उठने का नाटक किया
दबी आवाज़ में वो सिसकारी मारी
और पापा को अपने सामने देखकर डरने का नाटक करने लगी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……आआअहह………………ओह….. एयेए एयेए आआप्प्प …..यहाँ …. पापाssssss ……… ……”
मैने अपनी टी शर्ट नीचे की और अपनी टांगो को एकदम से चादर में धक लिया
पापा भी अपने आप को संभालते हुए उठे और मुझसे दूर जाकर खड़े हो गये
पर उठने से पहले उन्होने अपने उस हाथ में इकट्ठा की हुई मेरी सुगंध और गीलापन अपने होंठ और नाक पर पूरी तरह से मल डाली
जैसे मेरी उस गंध को वो अंदर तक महसूस करना चाहते हो
पुलिस की वर्दी में वो खड़े थे पर सैल्यूट मुझे उनका छोटा सिपाही मार रहा था
मेरी नज़र उसपर ही थी
पापा ने भी मुझे वहां देखते हुए पाया तो अपनी कैप से उन्होने उसे ढक लिया
और बनावटी गुस्से को अपने चेहरे पर लाते हुए मुझे ज़ोर से डांटना शुरू कर दिया
“खबरदार…जो आज के बाद मुझसे बिना पूछे कहीं गयी तो….ये क्लब शलब कहीं नही जाना, पढ़ाई पर ध्यान दो…परीक्षाएं आ रही है, कुछ बनना है की नही…”
पर वो जो बोल रहे थे और जिस अंदाज में बोल रहे थे उनका कोई मेल नही हो पा रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की वो मुझे डाँट रहे है
बस मुझे समझाते हुए लग रहे थे
कुछ देर तक ऐसे ही एक दो और बातें बोलकर वो दरवाजा खोलकर बाहर निकल गये
माँ बाहर ही बैठी थी
वो भागती हुई अंदर आई और मुझसे लिपट गयी
मेरे चेहरे और हाथों को देखने लगी की कहीं उन्होंने मारा तो नही
मुझसे पूछती रही पापा ने मारा तो नही ना मेरी बच्ची को
ज़्यादा डाँटा तो नही
पर मैं सिर्फ़ उनके गले से लिपटकर यही कहती रही की नही माँ
सब ठीक है
विश्वास तो उन्हे भी नही हो रहा था की पापा ने मुझे इतनी आसानी से कैसे छोड़ दिया
अब भला मैं माँ को क्या बताती
जिस चीज़ का इस्तेमाल उन्होने जान बूझकर किया था रात को मुझे बचाने के लिए
उसी चीज़ ने अनजाने में मुझे बचाया आज सुबह भी
यानी
जिस्म
रात को माँ का था
सुबह मेरा
अभी माँ मेरी टाँगो से ये चादर हटा कर देख लेती तो उन्हे पता चल जाता की पापा ने मुझे मारा क्यों नही
इस आदमी को शांत करना कितना आसान काम है
इतना तो मैं समझ चुकी थी
और आने वाले समय में
पापा के गुस्से और कहर से कैसे बचा जाएगा
इसका गणित मेरे दिमाग़ में अभी से चलने लगा था
माँ ने कुछ देर तक मुझे लाड प्यार किया और मुझे पूचकारने के बाद नहाने के लिए बोलकर खुद मेरे लिए नाश्ता बनाने चली गयी
पापा जा चुके थे
और माँ किचन में थी
मैने अपनी टांगो से वो चादर हटाई और दूर फेंक मारी
सुबह की रोशनी मेरी खिड़की से होती हुई अब सीधा मेरी पुस्सी वाले एरिया पर आ रही थी
और वहां से निकल रहे गाड़े पानी की चमक उसमें मिलकर और भी ज़्यादा तेज़ पैदा कर रही थी
मैने एक पल के लिए दरवाजे की तरफ देखा, दरवाजा पूरा खुला हुआ था
मैने हिम्मत दिखाते हुए अपनी पेंटी भी उतार फेंकी और उपर से टी शर्ट भी
अब मैं अपने बेड पर पूरी नंगी पड़ी थी
मेरे हाथ अपने आप मेरी पुस्सी पर चले गये और उसे रगड़ने लगे
बाहर से अचानक माँ वापिस अंदर आ जाती तो मुझे इस हालत में देखकर पापा से ज़्यादा गुस्सा करती और शायद मारती भी
और अगर पापा कुछ भूल गये हो और वापिस आ कर देखे की मैं अपने कमरे में नंगी लेटी हूँ तो उनका क्या हाल होगा
ये सब सोचते-2 मेरे अंदर एक अजीब सा रोमांच पैदा हो रहा था
सुबह की पहली धार का ताज़ा माल निकल रहा था वहां से
मेरी उंगलिया झुलस सी गयी अपनी चूत की गर्मी महसूस करके
“आआहह, ओह्ह्ह पापााअssss …….यू डर्टी डॉग…….आपको मेरा ये बदन पसंद आया ……आहह….. ओह्ह यएसस्स….पापा…..देखो फिर……छुओ अपने हाथो से…..चाटो ……अपनी जीभ से…. और ………और….अपने पे….पे…पेनिस अहह……लॅंड से………..टच करो…..ना….,.,मुझे….. यहाँ …..यहाँ ……और यहाँ …….”
मेरा दूसरा हाथ मेरे होंठो से होता हुआ, मेरे बूब्स पर गया और फिर मेरी पुस्सी पर…
उफफफफ्फ़…….
ये पापा का पेनिस मैं अपनी बॉडी पर क्यों फील करना चाहती हूँ …..
देखा जाए तो पापा वो इंसान है जिनसे मैं शायद सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ
ना तो मुझे चैन से रहने देते है ना कहीं जाने देते हैं
घूमना फिरना, सब उनके हिसाब से
उपर से मुझे और माँ को मारते भी है
ऐसे इंसान के लिए मैं इस वक़्त ऐसे तड़प रही थी जैसे जल बिन मछली
और ऐसा कुछ तो मैने आज तक किसी मूवी में भी नही देखा था..
और ना ही किसी ने मुझे ऐसा सिखाया था…
तो…तो क्या ये सब…..अपने आप सीखता है इंसान….
वो सब बाते….
जो उसके जहन में होती है
वो सब
जो उसे मज़ा दे
वो उसे अपने आप सीख जाता है
हां
यही होता होगा शायद
या फिर ये सिर्फ़ मेरे साथ हो रहा है
पर मेरे लिए तो यही सही है
जो मैं सोच रही हूँ
जो मैं चाह रही हूँ
पापा का लॅंड पकड़ कर
अपने पूरे जिस्म से टच करवा सकूँ तो कितना मज़ा आएगा
वही मोटा लॅंड जो मैने रात में देखा था
माँ कितने चाव से उसे चूस रही थी
दोनो हाथो से पकड़ कर
उफ़फ्फ़
वो सीन याद आते ही मुझे ना जाने क्या हुआ की मैने अपनी चूत में डूबा हाथ उपर किया और अपनी उंगलियो को एक साथ गोल करके एक लॅंड का आकार दिया और उस लिसड़े लॅंड को मुँह में लेकर चूसने लगी
की कर ले बापू
तू अपनी टचिंग वचिंग कर ले
मैं भी तो देखूं की थारे दिल में चाल क्या रया है
उसके बाद उन्होने अपने खुरदुरे हाथ मेरी मखमली टांगो पर चलाने शुरू कर दिए
उपर से नीचे तक
फिर मेरी बियर ग्लास की शेप वाली पिंडलियों को उन्होने अपने हाथ में पकड़ा और उसे सहलाने लगे
और फिर दूसरे हाथ से वो मेरी जाँघो को सहलाते हुए उपर की तरफ आने लगे
पापा शायद भूल गये थे की वो वहां किस काम से आए थे
बाहर माँ का भी चीखना चिल्लाना भी बंद हो चुका था
वो शायद कान लगाकर अंदर क्या हो रहा है उसे सुनने का प्रयास कर रही थी
पर अंदर से कोई आवाज़ ना आते देखकर वो भी परेशान थी की अचानक हुआ क्या है
अभी तो ये बड़े गुस्से में अंदर गये थे
और अब अंदर से कुछ भी आवाज़ नही आ रही
पापा का दूसरा हाथ मेरी पेंटी की सरहद पार करता हुआ मेरी पुस्सी की तरफ बढ़ने लगा
मेरी साँसे तेज़ी से चलने लगी
पता नही क्यों और कैसे मेरी पुस्सी से कुछ गीला गीला निकलने लगा
पापा का हाथ सीधा उस गीलेपन के उपर गया और उन्होने अपनी उंगलियों से उस जगह को यानी मेरे चीरे को रगड़ सा दिया
अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया
इस वजह से नही की वो मेरे साथ ये ग़लत काम कर रहे थे
बल्कि इस वजह से की मेरे मुंह में जो मैने सिसकारी इतनी देर से संभाल कर रखी थी
वो अब मुझसे और दबाई नहीं जा रही थी
मैने एकदम से चौंकने हुए उठने का नाटक किया
दबी आवाज़ में वो सिसकारी मारी
और पापा को अपने सामने देखकर डरने का नाटक करने लगी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……आआअहह………………ओह….. एयेए एयेए आआप्प्प …..यहाँ …. पापाssssss ……… ……”
मैने अपनी टी शर्ट नीचे की और अपनी टांगो को एकदम से चादर में धक लिया
पापा भी अपने आप को संभालते हुए उठे और मुझसे दूर जाकर खड़े हो गये
पर उठने से पहले उन्होने अपने उस हाथ में इकट्ठा की हुई मेरी सुगंध और गीलापन अपने होंठ और नाक पर पूरी तरह से मल डाली
जैसे मेरी उस गंध को वो अंदर तक महसूस करना चाहते हो
पुलिस की वर्दी में वो खड़े थे पर सैल्यूट मुझे उनका छोटा सिपाही मार रहा था
मेरी नज़र उसपर ही थी
पापा ने भी मुझे वहां देखते हुए पाया तो अपनी कैप से उन्होने उसे ढक लिया
और बनावटी गुस्से को अपने चेहरे पर लाते हुए मुझे ज़ोर से डांटना शुरू कर दिया
“खबरदार…जो आज के बाद मुझसे बिना पूछे कहीं गयी तो….ये क्लब शलब कहीं नही जाना, पढ़ाई पर ध्यान दो…परीक्षाएं आ रही है, कुछ बनना है की नही…”
पर वो जो बोल रहे थे और जिस अंदाज में बोल रहे थे उनका कोई मेल नही हो पा रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की वो मुझे डाँट रहे है
बस मुझे समझाते हुए लग रहे थे
कुछ देर तक ऐसे ही एक दो और बातें बोलकर वो दरवाजा खोलकर बाहर निकल गये
माँ बाहर ही बैठी थी
वो भागती हुई अंदर आई और मुझसे लिपट गयी
मेरे चेहरे और हाथों को देखने लगी की कहीं उन्होंने मारा तो नही
मुझसे पूछती रही पापा ने मारा तो नही ना मेरी बच्ची को
ज़्यादा डाँटा तो नही
पर मैं सिर्फ़ उनके गले से लिपटकर यही कहती रही की नही माँ
सब ठीक है
विश्वास तो उन्हे भी नही हो रहा था की पापा ने मुझे इतनी आसानी से कैसे छोड़ दिया
अब भला मैं माँ को क्या बताती
जिस चीज़ का इस्तेमाल उन्होने जान बूझकर किया था रात को मुझे बचाने के लिए
उसी चीज़ ने अनजाने में मुझे बचाया आज सुबह भी
यानी
जिस्म
रात को माँ का था
सुबह मेरा
अभी माँ मेरी टाँगो से ये चादर हटा कर देख लेती तो उन्हे पता चल जाता की पापा ने मुझे मारा क्यों नही
इस आदमी को शांत करना कितना आसान काम है
इतना तो मैं समझ चुकी थी
और आने वाले समय में
पापा के गुस्से और कहर से कैसे बचा जाएगा
इसका गणित मेरे दिमाग़ में अभी से चलने लगा था
माँ ने कुछ देर तक मुझे लाड प्यार किया और मुझे पूचकारने के बाद नहाने के लिए बोलकर खुद मेरे लिए नाश्ता बनाने चली गयी
पापा जा चुके थे
और माँ किचन में थी
मैने अपनी टांगो से वो चादर हटाई और दूर फेंक मारी
सुबह की रोशनी मेरी खिड़की से होती हुई अब सीधा मेरी पुस्सी वाले एरिया पर आ रही थी
और वहां से निकल रहे गाड़े पानी की चमक उसमें मिलकर और भी ज़्यादा तेज़ पैदा कर रही थी
मैने एक पल के लिए दरवाजे की तरफ देखा, दरवाजा पूरा खुला हुआ था
मैने हिम्मत दिखाते हुए अपनी पेंटी भी उतार फेंकी और उपर से टी शर्ट भी
अब मैं अपने बेड पर पूरी नंगी पड़ी थी
मेरे हाथ अपने आप मेरी पुस्सी पर चले गये और उसे रगड़ने लगे
बाहर से अचानक माँ वापिस अंदर आ जाती तो मुझे इस हालत में देखकर पापा से ज़्यादा गुस्सा करती और शायद मारती भी
और अगर पापा कुछ भूल गये हो और वापिस आ कर देखे की मैं अपने कमरे में नंगी लेटी हूँ तो उनका क्या हाल होगा
ये सब सोचते-2 मेरे अंदर एक अजीब सा रोमांच पैदा हो रहा था
सुबह की पहली धार का ताज़ा माल निकल रहा था वहां से
मेरी उंगलिया झुलस सी गयी अपनी चूत की गर्मी महसूस करके
“आआहह, ओह्ह्ह पापााअssss …….यू डर्टी डॉग…….आपको मेरा ये बदन पसंद आया ……आहह….. ओह्ह यएसस्स….पापा…..देखो फिर……छुओ अपने हाथो से…..चाटो ……अपनी जीभ से…. और ………और….अपने पे….पे…पेनिस अहह……लॅंड से………..टच करो…..ना….,.,मुझे….. यहाँ …..यहाँ ……और यहाँ …….”
मेरा दूसरा हाथ मेरे होंठो से होता हुआ, मेरे बूब्स पर गया और फिर मेरी पुस्सी पर…
उफफफफ्फ़…….
ये पापा का पेनिस मैं अपनी बॉडी पर क्यों फील करना चाहती हूँ …..
देखा जाए तो पापा वो इंसान है जिनसे मैं शायद सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ
ना तो मुझे चैन से रहने देते है ना कहीं जाने देते हैं
घूमना फिरना, सब उनके हिसाब से
उपर से मुझे और माँ को मारते भी है
ऐसे इंसान के लिए मैं इस वक़्त ऐसे तड़प रही थी जैसे जल बिन मछली
और ऐसा कुछ तो मैने आज तक किसी मूवी में भी नही देखा था..
और ना ही किसी ने मुझे ऐसा सिखाया था…
तो…तो क्या ये सब…..अपने आप सीखता है इंसान….
वो सब बाते….
जो उसके जहन में होती है
वो सब
जो उसे मज़ा दे
वो उसे अपने आप सीख जाता है
हां
यही होता होगा शायद
या फिर ये सिर्फ़ मेरे साथ हो रहा है
पर मेरे लिए तो यही सही है
जो मैं सोच रही हूँ
जो मैं चाह रही हूँ
पापा का लॅंड पकड़ कर
अपने पूरे जिस्म से टच करवा सकूँ तो कितना मज़ा आएगा
वही मोटा लॅंड जो मैने रात में देखा था
माँ कितने चाव से उसे चूस रही थी
दोनो हाथो से पकड़ कर
उफ़फ्फ़
वो सीन याद आते ही मुझे ना जाने क्या हुआ की मैने अपनी चूत में डूबा हाथ उपर किया और अपनी उंगलियो को एक साथ गोल करके एक लॅंड का आकार दिया और उस लिसड़े लॅंड को मुँह में लेकर चूसने लगी
Re: Police daughter sex story
माँ (झल्लाते हुए) “ये लड़की भी ना….कितनी बार बोला है अब तू जवान हो गयी है….फिर भी ये बच्चों की तरह कपड़े निकाल कर फेंक देती है….बदमाश कहीं की…”
और फिर वो ये सोचकर मुस्कुरा दी की मैं उन्हे उतारकर कैसे बाथरूम में नंगी गयी होउंगी … ये तो शुक्र था की उन्होने मेरी पेंटी पर गीलापन महसूस नही किया वरना वो भी मेरी क्लास लगा देती.
ठंडे पानी की बौछारें अपने जिस्म पर महसूस करके मैं ये सोचने की कोशिश कर रही थी की आज ये हुआ क्या है मेरे साथ सुबह -2
पापा का मुझे उस तरह से देखना और बाद में मेरा उनके बारे में ग़लत सोचकर मास्टरबेट करना ये सब मुझे कहाँ ले जाएगा
इन बातों का अभी के लिए मेरे पास कोई जवाब नही था पर आने वाला वक़्त शायद मुझे इसका जवाब दे सके.
***********
अब आगे
***********
आज का पूरा दिन मैं फ्री थी इसलिए मैने फोन करके श्रुति को घर बुला लिया
वो अक्सर मेरे घर आने से डरती थी, पापा की वजह से
पर आज तो सुबह का टाइम था और वो ड्यूटी पर होते है, इसलिए वो बेझिझक आ गयी
दिन में माँ ने हम दोनो के लिए मटर पुलाव् बना दिया
और खुद सोने के लिए चली गयी, जो उनकी रोज की दिनचर्या थी दोपहर की
मैंने अपने रूम को अंदर से बंद किया और श्रुति के साथ पालती मारकर पलंग पर बैठ गयी
श्रुति मुझसे कल की सारी बाते पूछ रही थी
उसे भी यही लगा था की घर आकर पापा ने मुझे बहुत मारा होगा
क्योंकि वो भी उनका स्वाभाव जानती थी
पर जब मैने कहा की ऐसा कुछ नही हुआ तो वो भी हैरान रह गयी
काफ़ी कुरेदने के बाद भी मैने उसे कुछ नही बताया
मुझे डर था की वो मेरे या पापा के बारे में क्या सोचेगी
मैने बात बदलने के लिए उसके और नितिन के बारे में पूछना शुरू कर दिया
वो तो उसका फेवरेट टॉपिक था
कॉलेज में भी वो उसी के नाम की रट लगाए रखती थी
मेरे पूछते ही वो एकदम से शुरू हो गयी
श्रुति : “अच्छा सुन, तूने नितिन की बात छेड़ी ही है तो मैं तुझे कुछ बताना चाहती हूँ ”
मैं : “हाँ , बोल ना….”
श्रुति : “एक्चुअली …..कल क्लब के बाद….जब तू चली गयी थी तो….तो मैं और नितिन…आई मीन…मैं उसके साथ ….कहीं गयी थी….”
मैं (हरान होते हुए) : “गयी थी…मतलब…कहाँ ….जो काम तुम करते हो, वो तो तुम वहां भी कर ही रहे थे….पूरी मूवी के दौरान और क्लब के डांस फ्लोर पर भी तुम एक दूसरे को चूमने चाटने में लगे रहे…फिर तुम्हे कहीं और जाने की क्या ज़रूरत पड़ गयी ?”
श्रुति : “यार….तू समझ क्यों नही रही…..मैं ….मैं….उसके साथ….ओयो रूम गयी थी….”
उसने एक ही साँस में बोल दिया और मुझे आँख मारकर अपने दाँत निपोरने लगी..
मैं हरानी से उसके चेहरे को घूरे जा रही थी
जलन के भाव मेरे चेहरे पर सॉफ देखे जा सकते थे
मैने तो आज तक एक किस्स भी नही की थी किसी को
और ये
ये कमिनी अपने बाय्फ्रेंड के साथ ओयो भी हो आई
वहां जाने का मतलब
उन दोनो ने सैक्स किया
ओह्ह तेरी माँ की चूत
ये सोचते ही मेरे कान एकदम से गर्म हो गये
मेरी आँखो में गुलाबीपन उतर आया
और ना चाहते हुए भी मेरी खुली आँखो के सामने उनकी पिक्चर चलने लगी
जिसमे नितिन उसे पलंग पर घोड़ी बना कर बुरी तरह से चोद रहा था, बिलकुल पॉर्न मूवीज की तरह
मुझे पलकें तक ना झपकाता देख उसने मुझे झंझोड़ा
“ओ सलोनी….ओये….क्या हो गया तुझे….इतना क्यो शॉक हो गयी….”
उसके इतना कहते ही मैं उसपर टूट पड़ी…
मैने उसे बेड पर गिराया और उसके उपर चढ़ गयी और उसका गिरेबान पकड़ कर लगभग चिल्ला पड़ी
“साली….कमिनी….इतनी बड़ी बात हो गयी….और तू मुझे इतने कैजुअल तरीके से बता रही है….हमने डिसाईड किया था की कॉलेज लाइफ में ऐसा कुछ नही करेंगे…फिर ये प्रॉमिस क्यो तोड़ा तूने….बोल कमिनी….बोल…”
मेरा मारना एक तरह से मजाकिया लहजे में था
पर उसमे जो शिद्दत और जलन थी, वो असली थी
मुझे सच में उस से ईर्ष्या हो रही थी
श्रुति : “हाँ , किया था वादा …पर यार….पिछले कई दिनों से ना…मेरा खुद का बहुत मन कर रहा था ये सब करने का….और तूने तो देखा ही था, मूवी हॉल में भी उसने मुझे इतना गर्म कर दिया था की कुछ देर तक और मूवी चलती तो मैने वही बैठ जाना था उसके लॅंड पर….और बाद में डांस करते वक़्त भी जिस तरह से मैं उसके कड़कपन को फील कर रही थी, यार कसम से, कल ना करती तो पूरी लाइफ पछताती रहती की मौका था पर कुछ किया नही…इसलिए बाद में जब उसने किसी रूम में चलने के लिए पूछा तो मैने झत्ट से हां कर दी….”
मैं पलक झपकाए बिना उसकी बातें सुन रही थी…
मैने धीरे से पूछा : “ फिर…..?”
यानी मैं आगे जानना चाहती थी की वहां पहुँचकर हुआ क्या
और शायद उन पॅलो को याद करके वो भी एकदम से गर्म होने लगी थी
क्योंकि मैं जिस जगह बैठी थी , वो उसकी पुस्सी वाला हिस्सा था
वो मेरे नीचे थी और मैने उसके दोनो हाथो को पलँग पर दबा रखा था
उसकी कमर धीरे-2 हिलने लगी वो सब याद करके
श्रुति : “फिर…जब हम कमरे में गये तो…अंदर जाते ही हमने किस्स की और फिर बहुत एंजाय करके सैक्स किया…सच में बहुत मज़ा आया…”
मैने एक हल्की चपत लगाई उसके गाल पर और गुर्राई : “ऐसे नही….डीटेल में बता…क्या और कैसे हुआ….एन्ड कुछ भी मिस किया ना, आई विल किल यू …समझी…”
श्रुति (हंसते हुए) : “समझ गयी मेरी माँ ….देख रही हूँ आजकल तू इन बातो को कुछ ज़्यादा ही एंजाय कर रही है…मूवी हॉल में भी तू हम दोनो को किस्स करते हुए देख रही थी….है ना…”
मैने आँखे झुका ली
श्रुति : “इट्स ओक बैबी….होता है ये सब…और ये अभी नही करेंगे तो कब करेंगे…कॉलेज लाइफ में कुछ तो यादगार रहना चाहिए ना…”
मैं : “चल वो सब छोड़ , अब सब डीटेल में बता”
श्रुति ने गला सॉफ किया और बोलना शुरू : “तो कमरे में जाते ही नितिन ने मुझे कस के गले से लगाया और मुझे किस्स करने लगा…वो अपने हाथ से मेरे बूब्स को भी मसल रहा था….कमीने ने कल इतना मसला था की अभी तक लाल निशान पड़े है….”
इतना कहकर वो मुस्कुरा दी…
मैने उसकी टी शर्ट का गला खींचकर नीचे किया तो उसकी क्लिवेज सामने आ गयी
उसके बूब्स मुझसे थोड़े बड़े ही थे
और उनपर लगे लाल निशान मुझे वही से नज़र आ गये…
मैने हाथ अंदर खिसका कर उसके उस लाल हिस्से को छू लिया
वो कसमसा उठी
मुझे ऐसा फील हुआ जैसे मैने उसकी स्किन नही बल्कि नितिन के होंठो को छुआ है
क्योंकि कल वही तो थे जिन्होने ये चित्रकारी की थी उसकी बॉडी पर
श्रुति : “फिर पता ही नही चला की कब हमारे कपड़े उतर गये और हम दोनो एक दूसरे के नंगे बदन को चूमने लगे”
ओह्ह्ह गॉड
एक बिस्तर पर 2 नंगे जिस्म
आह्ह्ह्हह्ह
मेरे तो रोंगटे खड़े हो रहे थे
और फिर वो ये सोचकर मुस्कुरा दी की मैं उन्हे उतारकर कैसे बाथरूम में नंगी गयी होउंगी … ये तो शुक्र था की उन्होने मेरी पेंटी पर गीलापन महसूस नही किया वरना वो भी मेरी क्लास लगा देती.
ठंडे पानी की बौछारें अपने जिस्म पर महसूस करके मैं ये सोचने की कोशिश कर रही थी की आज ये हुआ क्या है मेरे साथ सुबह -2
पापा का मुझे उस तरह से देखना और बाद में मेरा उनके बारे में ग़लत सोचकर मास्टरबेट करना ये सब मुझे कहाँ ले जाएगा
इन बातों का अभी के लिए मेरे पास कोई जवाब नही था पर आने वाला वक़्त शायद मुझे इसका जवाब दे सके.
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अब आगे
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आज का पूरा दिन मैं फ्री थी इसलिए मैने फोन करके श्रुति को घर बुला लिया
वो अक्सर मेरे घर आने से डरती थी, पापा की वजह से
पर आज तो सुबह का टाइम था और वो ड्यूटी पर होते है, इसलिए वो बेझिझक आ गयी
दिन में माँ ने हम दोनो के लिए मटर पुलाव् बना दिया
और खुद सोने के लिए चली गयी, जो उनकी रोज की दिनचर्या थी दोपहर की
मैंने अपने रूम को अंदर से बंद किया और श्रुति के साथ पालती मारकर पलंग पर बैठ गयी
श्रुति मुझसे कल की सारी बाते पूछ रही थी
उसे भी यही लगा था की घर आकर पापा ने मुझे बहुत मारा होगा
क्योंकि वो भी उनका स्वाभाव जानती थी
पर जब मैने कहा की ऐसा कुछ नही हुआ तो वो भी हैरान रह गयी
काफ़ी कुरेदने के बाद भी मैने उसे कुछ नही बताया
मुझे डर था की वो मेरे या पापा के बारे में क्या सोचेगी
मैने बात बदलने के लिए उसके और नितिन के बारे में पूछना शुरू कर दिया
वो तो उसका फेवरेट टॉपिक था
कॉलेज में भी वो उसी के नाम की रट लगाए रखती थी
मेरे पूछते ही वो एकदम से शुरू हो गयी
श्रुति : “अच्छा सुन, तूने नितिन की बात छेड़ी ही है तो मैं तुझे कुछ बताना चाहती हूँ ”
मैं : “हाँ , बोल ना….”
श्रुति : “एक्चुअली …..कल क्लब के बाद….जब तू चली गयी थी तो….तो मैं और नितिन…आई मीन…मैं उसके साथ ….कहीं गयी थी….”
मैं (हरान होते हुए) : “गयी थी…मतलब…कहाँ ….जो काम तुम करते हो, वो तो तुम वहां भी कर ही रहे थे….पूरी मूवी के दौरान और क्लब के डांस फ्लोर पर भी तुम एक दूसरे को चूमने चाटने में लगे रहे…फिर तुम्हे कहीं और जाने की क्या ज़रूरत पड़ गयी ?”
श्रुति : “यार….तू समझ क्यों नही रही…..मैं ….मैं….उसके साथ….ओयो रूम गयी थी….”
उसने एक ही साँस में बोल दिया और मुझे आँख मारकर अपने दाँत निपोरने लगी..
मैं हरानी से उसके चेहरे को घूरे जा रही थी
जलन के भाव मेरे चेहरे पर सॉफ देखे जा सकते थे
मैने तो आज तक एक किस्स भी नही की थी किसी को
और ये
ये कमिनी अपने बाय्फ्रेंड के साथ ओयो भी हो आई
वहां जाने का मतलब
उन दोनो ने सैक्स किया
ओह्ह तेरी माँ की चूत
ये सोचते ही मेरे कान एकदम से गर्म हो गये
मेरी आँखो में गुलाबीपन उतर आया
और ना चाहते हुए भी मेरी खुली आँखो के सामने उनकी पिक्चर चलने लगी
जिसमे नितिन उसे पलंग पर घोड़ी बना कर बुरी तरह से चोद रहा था, बिलकुल पॉर्न मूवीज की तरह
मुझे पलकें तक ना झपकाता देख उसने मुझे झंझोड़ा
“ओ सलोनी….ओये….क्या हो गया तुझे….इतना क्यो शॉक हो गयी….”
उसके इतना कहते ही मैं उसपर टूट पड़ी…
मैने उसे बेड पर गिराया और उसके उपर चढ़ गयी और उसका गिरेबान पकड़ कर लगभग चिल्ला पड़ी
“साली….कमिनी….इतनी बड़ी बात हो गयी….और तू मुझे इतने कैजुअल तरीके से बता रही है….हमने डिसाईड किया था की कॉलेज लाइफ में ऐसा कुछ नही करेंगे…फिर ये प्रॉमिस क्यो तोड़ा तूने….बोल कमिनी….बोल…”
मेरा मारना एक तरह से मजाकिया लहजे में था
पर उसमे जो शिद्दत और जलन थी, वो असली थी
मुझे सच में उस से ईर्ष्या हो रही थी
श्रुति : “हाँ , किया था वादा …पर यार….पिछले कई दिनों से ना…मेरा खुद का बहुत मन कर रहा था ये सब करने का….और तूने तो देखा ही था, मूवी हॉल में भी उसने मुझे इतना गर्म कर दिया था की कुछ देर तक और मूवी चलती तो मैने वही बैठ जाना था उसके लॅंड पर….और बाद में डांस करते वक़्त भी जिस तरह से मैं उसके कड़कपन को फील कर रही थी, यार कसम से, कल ना करती तो पूरी लाइफ पछताती रहती की मौका था पर कुछ किया नही…इसलिए बाद में जब उसने किसी रूम में चलने के लिए पूछा तो मैने झत्ट से हां कर दी….”
मैं पलक झपकाए बिना उसकी बातें सुन रही थी…
मैने धीरे से पूछा : “ फिर…..?”
यानी मैं आगे जानना चाहती थी की वहां पहुँचकर हुआ क्या
और शायद उन पॅलो को याद करके वो भी एकदम से गर्म होने लगी थी
क्योंकि मैं जिस जगह बैठी थी , वो उसकी पुस्सी वाला हिस्सा था
वो मेरे नीचे थी और मैने उसके दोनो हाथो को पलँग पर दबा रखा था
उसकी कमर धीरे-2 हिलने लगी वो सब याद करके
श्रुति : “फिर…जब हम कमरे में गये तो…अंदर जाते ही हमने किस्स की और फिर बहुत एंजाय करके सैक्स किया…सच में बहुत मज़ा आया…”
मैने एक हल्की चपत लगाई उसके गाल पर और गुर्राई : “ऐसे नही….डीटेल में बता…क्या और कैसे हुआ….एन्ड कुछ भी मिस किया ना, आई विल किल यू …समझी…”
श्रुति (हंसते हुए) : “समझ गयी मेरी माँ ….देख रही हूँ आजकल तू इन बातो को कुछ ज़्यादा ही एंजाय कर रही है…मूवी हॉल में भी तू हम दोनो को किस्स करते हुए देख रही थी….है ना…”
मैने आँखे झुका ली
श्रुति : “इट्स ओक बैबी….होता है ये सब…और ये अभी नही करेंगे तो कब करेंगे…कॉलेज लाइफ में कुछ तो यादगार रहना चाहिए ना…”
मैं : “चल वो सब छोड़ , अब सब डीटेल में बता”
श्रुति ने गला सॉफ किया और बोलना शुरू : “तो कमरे में जाते ही नितिन ने मुझे कस के गले से लगाया और मुझे किस्स करने लगा…वो अपने हाथ से मेरे बूब्स को भी मसल रहा था….कमीने ने कल इतना मसला था की अभी तक लाल निशान पड़े है….”
इतना कहकर वो मुस्कुरा दी…
मैने उसकी टी शर्ट का गला खींचकर नीचे किया तो उसकी क्लिवेज सामने आ गयी
उसके बूब्स मुझसे थोड़े बड़े ही थे
और उनपर लगे लाल निशान मुझे वही से नज़र आ गये…
मैने हाथ अंदर खिसका कर उसके उस लाल हिस्से को छू लिया
वो कसमसा उठी
मुझे ऐसा फील हुआ जैसे मैने उसकी स्किन नही बल्कि नितिन के होंठो को छुआ है
क्योंकि कल वही तो थे जिन्होने ये चित्रकारी की थी उसकी बॉडी पर
श्रुति : “फिर पता ही नही चला की कब हमारे कपड़े उतर गये और हम दोनो एक दूसरे के नंगे बदन को चूमने लगे”
ओह्ह्ह गॉड
एक बिस्तर पर 2 नंगे जिस्म
आह्ह्ह्हह्ह
मेरे तो रोंगटे खड़े हो रहे थे
Re: Police daughter sex story
मैं तो बस इमेजन ही कर रही थी की कैसे हुआ होगा वो सब
अब कमर मटकाने की बारी मेरी थी
मेरी पुस्सी और उसकी पुस्सी एक दूसरे से घिस कर एक अजीब सा नशा उत्पन कर रही थी
श्रुति ने आगे बोलना शुरू किया : “और पता है…उसने….वहां नीचे जाकर….मेरी पुस्सी को…..वहां …उसने …..सक्क भी किया….”
मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी..
मुझे तो लगा था की सीधा साधा सैक्स ही हुआ होगा
पर ये साली तो पूरे मज़े लेकर आई है
श्रुति : “और बाद में …मैने भी उसे सक्क किया…..”
मेरा मुँह सूख चूका था
ये सोचकर की उन्होने ओरल सैक्स किया था पहले
मैं : “के….केसा लगा था…वो सब करते हुए…आई मीन….मज़ा आया क्या “
श्रुति : “और नही तो क्या….पता है…जब नितिन ने मुझे वहां सक्क किया ना…यार….कसम से…मेरी पूरी बॉडी शिवर कर रही थी….ही वाज़ सकिंग मी लाईक ए आइस्क्रीम….पूरा अंदर तक अपनी जीभ से…मेरे नीचे के लिप्स को मुँह में लेकर….और वहां जो वो एक दाना होता है ना…”
मैंने बीच में टोका :”वो क्लिट…”
श्रुति : “हाँ वही….तूने ये सब किया नही, पर पता सब है तुझे भी कमिनी…आई नो, जब तू किसी के साथ सैक्स करेगी ना, सामने वाले की शामत आ जानी है कसम से…”
मैं अपनी तारीफ सुनकर मुस्कुरा दी
मैं : “वो सब छोड़, आगे क्या हुआ, जब तूने सक्क किया तो कैसा फील हुआ…मज़ा आया…”
श्रुति : “उसे तो मैने पहले भी सक्क किया हुआ है, कई बार….कार में भी….गार्डेन में भी…और एक बार मूवी हॉल में भी…”
ये बात तो उसने मुझे पहले भी बताई थी
पर तब मैने उसे ज़्यादा तवज्जो नही दी थी
पर आज पता नही क्यो मुझे एक – एक बात जाननी थी
श्रुति : “उसने जिस गहराई में जाकर मेरी पुस्सी को चूसा था, उसका बदला तो उतारना ही था, इसलिए जब नितिन उठकर मेरे चेहरे के करीब आया तो मैने भी उसका पेनिस अपने मुँह में लेकर उसे डीप थ्रोट सकिंग दी, पता है वो अपना सिर उपर करके बस किसी सियार की तरह चिल्ला रहा था, कुछ बोल ही नही पाया बेचारा, इतना ज़ोर से चूसा था मैने उसे…”
वाउ यार….ही इस सो लक्की
लक्की तो वैसे ये कुतिया श्रुति भी है
एक कड़क लॅंड को चूसने में कितना मज़ा आया होगा ये तो बस मैं इमेजीन ही कर सकती हूँ …
असली मज़ा तो इसने ही लिया है
श्रुति : “और लास्ट में …उसने जब उसने वो गीला पेनिस मेरे अंदर डाला ना….पूरी दुनिया घूम गयी मेरी आँखो के सामने “
मैं : “दर्द हुआ था क्या ? “
श्रुति : “हाँ, थोड़ा सा….बट मैने मैनेज कर लिया था…इट वाज़ ओके …ब्लीडिंग नही हुई क्योंकि तुझे तो पता ही है मैं फुटबॉल क्लब में थी स्कूल टाइम में , वहां खेलते वक़्त ही शायद वो झिल्ली फट गयी थी…पर ओवरॉल, सैक्स करके मज़ा बहुत आया…”
उनकी चुदाई के बारे में सोचते-2 मेरी भी आँखे बंद हो गयी
मेरी कमर की गति भी उसी स्पीड से तेज हो रही थी , जिस गति मे शायद श्रुति ने अपनी कमर मटकाय होगी उस रूम में चुदवाते हुए
और मेरे हाथ उसके नर्म मुलायम बूब्स पर कब अपनी पकड़ बनाने लगे, ये मुझे भी पता नही चला
अब मैं इमेजीन कर रही थी की कैसे नितिन ने अपने हाथ में पकड़ कर अपना लॅंड उसके अंदर डाला होगा
और कैसे वो कसमसाई होगी उसे अंदर लेते हुए
दर्द भी हुआ होगा
और मज़ा भी मिला होगा
ये सोचते-2 मेरी कमर और तेज़ी से हिलने लगी
अब श्रुति भी गर्म हो चुकी थी उस रगड़ाई से
वो रोकना तो चाहती थी पर शायद मज़ा उसे भी आ रहा था
मैने उसकी टी शर्ट को लगभग खींचते हुए कहा : “दिखा मुझे, लव बाइट्स भी है क्या तेरी बॉडी पर….”
उसका चेहरा देखने लायक था, जैसे पूछा रही हो की
है भी तो तुझे क्या लेना देना ?
और ऐसे क्यों कर रही है तू
लेस्बियन -2 खेलना है क्या
आज से पहले तो ऐसा कोई इंडिकेशन नही दिया तूने
यहाँ मैं एक बात और शेयर करना चाहती हूँ आपसे
श्रुति और मेरी दोस्ती स्कूल टाइम से ही है
जब हम दोनो टीनेजर्स थे, उसने कई बार मुझे किस्स करने की कोशिश की थी
वो देखना चाहती थी की किस्स करने में कैसा फील होता है
एक दो बार तो मैने भी कोई रिएक्शन नही दिया, चुपचाप किस्स करवा ली
पर एक दिन जब उसने किस्स करते हुए मेरे मुँह में जीभ डाली और मेरे बूब्स को छेड़ना शुरू किया तो मैने उसे बहुत डांटा था
मेरे दिमाग़ में था की ऐसे काम तो सिर्फ़ लेस्बियन करते है और वो हम थे नही
इसलिए उस दिन के बाद उसने ऐसी कोई कोशिश नही की थी
पर आज, वो सब मैं कर रही थी, उसके साथ
उसे तो शुरू से ही ये सब पसंद था
उसकी आँखो के सवाल आँखो मे ही रह गये
वो कुछ बोल नही पाई
बल्कि उसने मेरा साथ दिया उस टी शर्ट को उतारने में
कुछ ही देर में वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में थी
उसके निप्पल्स विसिबल थे
कारण था उसकी उत्तेजना
निप्पल्स तो मेरे भी विसिबल थे पर वो उन्हे अभी देख नही पा रही थी
मैने उसकी स्किन पर बाइट मार्क्स देखे….
ऐसा लगा जैसे नितिन ने उसे हर जगह पर बाइट और सक्क किया है…
कहीं गहरे निशान थे तो कहीं हल्के
पर निप्पल के करीब जाते-2 वो बढ़ते जा रहे थे…
मैने उसके दोनो ब्रा स्त्रेप्स को कंधे से नीचे गिरा दिया
एक पल के लिए तो उसकी भी आँखे चौड़ी हो गयी
पर वो कुछ नही बोली
अब वो मेरे सामने टॉपलेस होकर पड़ी थी
मैं हैरानी से उसके गोरे चिट्टे जिस्म और मोटे बूब्स को देखने लगी
वो बूब्स मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे
उसकी आँखो में भी मौन स्वीकृति थी
मेरा सिर अपने आप उसके बूब्स पर झुकता चला गया
और मेरे लिप्स ने सीधा उसके तने हुए निप्पल को अपनी गिरफ़्त में लेकर चूसना शुरू कर दिया
“आआआआआआहह……… ओह…. मेरी ज़ाआाआआआन ……. उम्म्म्ममममम”
उसके हाथ मेरे सिर के पीछे आ लगे और वो मुझे अपनी छाती पर और ज़ोर से दबाने लगी
उसका फूला हुआ बूब मेरे पुर चेहरे को छुपा ले गया
मैं उसके पुर बूब्स को चूस भी रही थी और चाट भी रही थी
शायद मुझे आशा थी की नितिन ने जब अपनी जीभ से इसी जगह पर श्रुति को चाटा होगा तो उसका कुछ टैस्ट अभी तक उसकी स्किन पर होगा जो मैं अपनी जीभ से समेट लेना चाहती थी
वैसे एक बात तो है दोस्तों
एक लड़की को एक लड़की ही अच्छी तरह से चूम और चूस सकती है
क्योंकि वो जानती है की लड़कियो को किस अंदाज में चुसवाना और चटवाना पसंद है
ना कम ना ज़्यादा
लड़को का क्या है
वो तो भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ते है उनपे
उन्हे सिर्फ़ अपने मज़े से मतलब होता है
काश मैं ऐसी ट्यूशन शुरू कर पाती जिसमें मैं जवान लड़को को ये सब सिखाती की कैसे एक लड़की को खुश करना चाहिए
अब कमर मटकाने की बारी मेरी थी
मेरी पुस्सी और उसकी पुस्सी एक दूसरे से घिस कर एक अजीब सा नशा उत्पन कर रही थी
श्रुति ने आगे बोलना शुरू किया : “और पता है…उसने….वहां नीचे जाकर….मेरी पुस्सी को…..वहां …उसने …..सक्क भी किया….”
मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी..
मुझे तो लगा था की सीधा साधा सैक्स ही हुआ होगा
पर ये साली तो पूरे मज़े लेकर आई है
श्रुति : “और बाद में …मैने भी उसे सक्क किया…..”
मेरा मुँह सूख चूका था
ये सोचकर की उन्होने ओरल सैक्स किया था पहले
मैं : “के….केसा लगा था…वो सब करते हुए…आई मीन….मज़ा आया क्या “
श्रुति : “और नही तो क्या….पता है…जब नितिन ने मुझे वहां सक्क किया ना…यार….कसम से…मेरी पूरी बॉडी शिवर कर रही थी….ही वाज़ सकिंग मी लाईक ए आइस्क्रीम….पूरा अंदर तक अपनी जीभ से…मेरे नीचे के लिप्स को मुँह में लेकर….और वहां जो वो एक दाना होता है ना…”
मैंने बीच में टोका :”वो क्लिट…”
श्रुति : “हाँ वही….तूने ये सब किया नही, पर पता सब है तुझे भी कमिनी…आई नो, जब तू किसी के साथ सैक्स करेगी ना, सामने वाले की शामत आ जानी है कसम से…”
मैं अपनी तारीफ सुनकर मुस्कुरा दी
मैं : “वो सब छोड़, आगे क्या हुआ, जब तूने सक्क किया तो कैसा फील हुआ…मज़ा आया…”
श्रुति : “उसे तो मैने पहले भी सक्क किया हुआ है, कई बार….कार में भी….गार्डेन में भी…और एक बार मूवी हॉल में भी…”
ये बात तो उसने मुझे पहले भी बताई थी
पर तब मैने उसे ज़्यादा तवज्जो नही दी थी
पर आज पता नही क्यो मुझे एक – एक बात जाननी थी
श्रुति : “उसने जिस गहराई में जाकर मेरी पुस्सी को चूसा था, उसका बदला तो उतारना ही था, इसलिए जब नितिन उठकर मेरे चेहरे के करीब आया तो मैने भी उसका पेनिस अपने मुँह में लेकर उसे डीप थ्रोट सकिंग दी, पता है वो अपना सिर उपर करके बस किसी सियार की तरह चिल्ला रहा था, कुछ बोल ही नही पाया बेचारा, इतना ज़ोर से चूसा था मैने उसे…”
वाउ यार….ही इस सो लक्की
लक्की तो वैसे ये कुतिया श्रुति भी है
एक कड़क लॅंड को चूसने में कितना मज़ा आया होगा ये तो बस मैं इमेजीन ही कर सकती हूँ …
असली मज़ा तो इसने ही लिया है
श्रुति : “और लास्ट में …उसने जब उसने वो गीला पेनिस मेरे अंदर डाला ना….पूरी दुनिया घूम गयी मेरी आँखो के सामने “
मैं : “दर्द हुआ था क्या ? “
श्रुति : “हाँ, थोड़ा सा….बट मैने मैनेज कर लिया था…इट वाज़ ओके …ब्लीडिंग नही हुई क्योंकि तुझे तो पता ही है मैं फुटबॉल क्लब में थी स्कूल टाइम में , वहां खेलते वक़्त ही शायद वो झिल्ली फट गयी थी…पर ओवरॉल, सैक्स करके मज़ा बहुत आया…”
उनकी चुदाई के बारे में सोचते-2 मेरी भी आँखे बंद हो गयी
मेरी कमर की गति भी उसी स्पीड से तेज हो रही थी , जिस गति मे शायद श्रुति ने अपनी कमर मटकाय होगी उस रूम में चुदवाते हुए
और मेरे हाथ उसके नर्म मुलायम बूब्स पर कब अपनी पकड़ बनाने लगे, ये मुझे भी पता नही चला
अब मैं इमेजीन कर रही थी की कैसे नितिन ने अपने हाथ में पकड़ कर अपना लॅंड उसके अंदर डाला होगा
और कैसे वो कसमसाई होगी उसे अंदर लेते हुए
दर्द भी हुआ होगा
और मज़ा भी मिला होगा
ये सोचते-2 मेरी कमर और तेज़ी से हिलने लगी
अब श्रुति भी गर्म हो चुकी थी उस रगड़ाई से
वो रोकना तो चाहती थी पर शायद मज़ा उसे भी आ रहा था
मैने उसकी टी शर्ट को लगभग खींचते हुए कहा : “दिखा मुझे, लव बाइट्स भी है क्या तेरी बॉडी पर….”
उसका चेहरा देखने लायक था, जैसे पूछा रही हो की
है भी तो तुझे क्या लेना देना ?
और ऐसे क्यों कर रही है तू
लेस्बियन -2 खेलना है क्या
आज से पहले तो ऐसा कोई इंडिकेशन नही दिया तूने
यहाँ मैं एक बात और शेयर करना चाहती हूँ आपसे
श्रुति और मेरी दोस्ती स्कूल टाइम से ही है
जब हम दोनो टीनेजर्स थे, उसने कई बार मुझे किस्स करने की कोशिश की थी
वो देखना चाहती थी की किस्स करने में कैसा फील होता है
एक दो बार तो मैने भी कोई रिएक्शन नही दिया, चुपचाप किस्स करवा ली
पर एक दिन जब उसने किस्स करते हुए मेरे मुँह में जीभ डाली और मेरे बूब्स को छेड़ना शुरू किया तो मैने उसे बहुत डांटा था
मेरे दिमाग़ में था की ऐसे काम तो सिर्फ़ लेस्बियन करते है और वो हम थे नही
इसलिए उस दिन के बाद उसने ऐसी कोई कोशिश नही की थी
पर आज, वो सब मैं कर रही थी, उसके साथ
उसे तो शुरू से ही ये सब पसंद था
उसकी आँखो के सवाल आँखो मे ही रह गये
वो कुछ बोल नही पाई
बल्कि उसने मेरा साथ दिया उस टी शर्ट को उतारने में
कुछ ही देर में वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में थी
उसके निप्पल्स विसिबल थे
कारण था उसकी उत्तेजना
निप्पल्स तो मेरे भी विसिबल थे पर वो उन्हे अभी देख नही पा रही थी
मैने उसकी स्किन पर बाइट मार्क्स देखे….
ऐसा लगा जैसे नितिन ने उसे हर जगह पर बाइट और सक्क किया है…
कहीं गहरे निशान थे तो कहीं हल्के
पर निप्पल के करीब जाते-2 वो बढ़ते जा रहे थे…
मैने उसके दोनो ब्रा स्त्रेप्स को कंधे से नीचे गिरा दिया
एक पल के लिए तो उसकी भी आँखे चौड़ी हो गयी
पर वो कुछ नही बोली
अब वो मेरे सामने टॉपलेस होकर पड़ी थी
मैं हैरानी से उसके गोरे चिट्टे जिस्म और मोटे बूब्स को देखने लगी
वो बूब्स मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे
उसकी आँखो में भी मौन स्वीकृति थी
मेरा सिर अपने आप उसके बूब्स पर झुकता चला गया
और मेरे लिप्स ने सीधा उसके तने हुए निप्पल को अपनी गिरफ़्त में लेकर चूसना शुरू कर दिया
“आआआआआआहह……… ओह…. मेरी ज़ाआाआआआन ……. उम्म्म्ममममम”
उसके हाथ मेरे सिर के पीछे आ लगे और वो मुझे अपनी छाती पर और ज़ोर से दबाने लगी
उसका फूला हुआ बूब मेरे पुर चेहरे को छुपा ले गया
मैं उसके पुर बूब्स को चूस भी रही थी और चाट भी रही थी
शायद मुझे आशा थी की नितिन ने जब अपनी जीभ से इसी जगह पर श्रुति को चाटा होगा तो उसका कुछ टैस्ट अभी तक उसकी स्किन पर होगा जो मैं अपनी जीभ से समेट लेना चाहती थी
वैसे एक बात तो है दोस्तों
एक लड़की को एक लड़की ही अच्छी तरह से चूम और चूस सकती है
क्योंकि वो जानती है की लड़कियो को किस अंदाज में चुसवाना और चटवाना पसंद है
ना कम ना ज़्यादा
लड़को का क्या है
वो तो भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ते है उनपे
उन्हे सिर्फ़ अपने मज़े से मतलब होता है
काश मैं ऐसी ट्यूशन शुरू कर पाती जिसमें मैं जवान लड़को को ये सब सिखाती की कैसे एक लड़की को खुश करना चाहिए