Police daughter sex story
Re: Police daughter sex story
श्रुति ने नितिन को खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगी
उसने भी जल्दी-2 अपनी जीन्स खोलकर नीचे गिरा दी और फिर अंडरवीयर भी
और फिर जो मैने देखा, उसे देखकर मुझे भी विश्वास नही हुआ
उसका लॅंड काफ़ी मोटा और लंबा था
पर मेरे पापा से बड़ा नही
उनका वो पोलिसिआ लॅंड तो हर मुक़ाबले में जीत जाए
अब लार टपकाने की बारी हम दोनो की थी
मेरा तो ये पहला मौका था
पर श्रुति पहले कई लॅंड चूस चुकी थी
इस नितिन का भी और ना जाने कितनों का
असली खेल तो अब शुरू होने वाला था
वो लपक कर आगे आई और घुटनो के बल नितिन के सामने बैठ गयी
मुझे भी इशारा करके उसने वहां बुलाया, मैं भी मोरनी बनकर उसके सामने अपनी गांड फेला कर बैठ गयी
अब उस खड़े लॅंड के पीछे हम दोनो का सैक्सी चेहरा था, जिसे देखकर उसका लॅंड फ़र्राटे मार रहा था हवा में
श्रुति ने उसे पकड़ा और सीधा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी
सडप -2 की आवाज़ों से पता चल रहा था की उसकी चूसाई में कितनी शिद्दत थी
मैं अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई अपनी बारी का इंतजार कर रही थी
और साथ ही उसे देखकर सीख भी रही थी की कैसे करना है
वो अपने दांतो से बचा कर किसी कुलफी की तरह उसे चूस रही थी
बस मुझे अपने पैने दांतो से उसके लॅंड को बचा कर रखना था
बाकी मज़ा तो उसे आ ही जाना था
मज़ा तो उसे आ ही रहा था
क्योंकि जैसे ही श्रुति ने उसके लॅंड को चूसना शुरू किया उसकी आँखे बंद और सिर पीछे चला गया था
मुझे उसके गोल मटोल बॉल्स को देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था
इन्हे तो मैं ज़रूर चूसूंगी
बस एक बार मेरी बारी आ जाए
और वो आ भी गयी
श्रुति ने अपने मुँह से उसका लॅंड निकाला और मेरी तरफ लहरा दिया
उसकी लार में भीगा मोटा लॅंड अब मेरे चेहरे के सामने था
मैने ढेर सारी लार अपने मुँह में इकट्ठा की और मुँह खुल कर उसके सुपाड़े को उस से नहला दिया और उपर से अपने होंठो की सील लगाती हुई नीचे तक आई
वो तो कब से मेरे मुँह मे जाने के लिए तड़प रहा था
मेरे गुलाबी होंठो को अपने लॅंड के चारों तरफ लिपटता देख वो उत्तेजना की हर सीमा पार करता चला गया और उसने मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपने लॅंड पर दबा दिया
" आअह्हह्ह्ह्ह सालूूओऊऊनीईईई
नतीजन उसका पूरा लॅंड मेरे टॉन्सिल्स से जाकर टकराया और मुझे साँस तक लेने में दिक्कत होने लगी
मेरी छटपटाहट देखकर उसने अपनी पकड़ ढीली की और मैं खाँसती हुई अपने आँसू पोछने लगी
उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी
जैसे कोई जंग जीत ली हो मुझे लॅंड चुस्वाकार
शायद कई लड़कों का अरमान होगा मेरे कॉलेज में
पर पूरा हुआ इस कमीने का
श्रुति ने एक बार फिर से उसके लॅंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया
और अब मुझे वो करना था जिसके लिए मैं पहले सोच रही थी
मैने उसकी बॉल्स को सहलाया और नीचे मुँह करके उन्हे मुँह में भर लिया
ऐसे लगा जैसे कोई खुरदुरा और रसीला गुलाब जामुन मुँह में ले लिया हो
पर उसे चूसने में मज़ा बहुत आया
वो पहले से ही क्लीन शेव करके आया था नीचे की, इसलिए उसके चिकने जामुन को चूसने में एक अलग ही मज़ा मिल रहा था
कुछ ही देर में नितिन के मुँह से सिसकाटियां निकलने लगी जो इस बात का संकेत था की वो झड़ने वाला है
मैं नीचे से उसकी बाल्स चूस रही थी और उपर से श्रुति उसका लॅंड
इसलिए झड़ना तो बनता ही था
अगले ही पल उसके लॅंड से एक के बाद एक पिचकारियाँ निकलकर उसके मुँह में जाने लगी
उसने मुँह हटाया तो वो पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई दिखाई दी
जो मेरे चेहरे पर भी गिरी और कुछ मेरे होंठो पर
मैने उन्हे चाटा तो कसेला सा स्वाद लगा पर बाद में मक्खन की तरह मेरे गले से उतरता चला गया
मैने उसके लॅंड को पकड़कर अपने मुँह से लगाया और बची खुचि बूंदे अपने मुँह में समेट कर उन्हे पी गयी
अब पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लगी वो
नितिन की हालत पस्त हो चुकी थी
वो निढाल सा होकर बिस्तर पर लेट गया
मैने श्रुति की तरफ हंसते हुए देखा
और वो मुझे लेकर बेड पर आकर लेट गयी
और हम दोनो एक दूसरे के चेहरे पर गिरी बूंदे चाटकर सॉफ करने लगे
असली आग तो अब लगी थी हम दोनो के जिस्मों में
जिसे हम एक दूसरे के होंठो से बुझाने का असफल प्रयास कर रहे थे
पर असली आग तो नीचे लगी थी
टांगो के बीच
चूत में
और हमारी ये गुहार नितिन ने सुन ली
जो कुछ देर सुस्ताने के बाद हमारी मेहनत का भुगतान अपने होंठो से करने को तैयार था
श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ और चेहरा चाटने में बिज़ी थे और तभी मुझे अपनी टांगो के बीच गर्म सांसो का एहसास हुआ
मेरी धड़कने एक बार फिर से तेज हो गयी
और अगले ही पल उसके होंठो ने मेरी छुई मुई सी पुस्सी को अपनी जकड़ में लेकर चूसना शुरू कर दिया
ये एहसास तो अभी तक के सभी एहसासों से पूरी तरह से अलग था
सूपर से भी उपर
वो मेरी चूत को मुँह में लेकर चॉकलेट की तरह चूस रहा था
जीभ से बीच की लकीर को फैलाकर अंदर घुस रहा था
मेरी क्लिट को जीभ और हल्के दांतो की पकड़ से चुभला रहा था
अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था उसके पास चूत चूसने का
मैने उसके सिर को पकड़कर उसे गाईड करना शुरू कर दिया
की यहाँ चाट, यहाँ जीभ घुसा साले
और फिर यही काम उसने श्रुति के साथ भी किया
और जब वो तड़प रही थी जीभ अंदर लेकर तो मैं अपने होंठो से उसे सांत्वना दे रही थी, उसके नन्हे बूब्स चूस्कर
ये काम नितिन ने करीब आधे घंटे तक किया
और उस आधे घंटे में उसने हम दोनो का पानी अच्छे से निकाल कर रख दिया
आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे
नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी
यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था
पर मैं नही
एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी
उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था
मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी
इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई
पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें
सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था
जगह - 2 से रिस रहा था वो
उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
उसने भी जल्दी-2 अपनी जीन्स खोलकर नीचे गिरा दी और फिर अंडरवीयर भी
और फिर जो मैने देखा, उसे देखकर मुझे भी विश्वास नही हुआ
उसका लॅंड काफ़ी मोटा और लंबा था
पर मेरे पापा से बड़ा नही
उनका वो पोलिसिआ लॅंड तो हर मुक़ाबले में जीत जाए
अब लार टपकाने की बारी हम दोनो की थी
मेरा तो ये पहला मौका था
पर श्रुति पहले कई लॅंड चूस चुकी थी
इस नितिन का भी और ना जाने कितनों का
असली खेल तो अब शुरू होने वाला था
वो लपक कर आगे आई और घुटनो के बल नितिन के सामने बैठ गयी
मुझे भी इशारा करके उसने वहां बुलाया, मैं भी मोरनी बनकर उसके सामने अपनी गांड फेला कर बैठ गयी
अब उस खड़े लॅंड के पीछे हम दोनो का सैक्सी चेहरा था, जिसे देखकर उसका लॅंड फ़र्राटे मार रहा था हवा में
श्रुति ने उसे पकड़ा और सीधा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी
सडप -2 की आवाज़ों से पता चल रहा था की उसकी चूसाई में कितनी शिद्दत थी
मैं अपने होंठो पर जीभ फेरती हुई अपनी बारी का इंतजार कर रही थी
और साथ ही उसे देखकर सीख भी रही थी की कैसे करना है
वो अपने दांतो से बचा कर किसी कुलफी की तरह उसे चूस रही थी
बस मुझे अपने पैने दांतो से उसके लॅंड को बचा कर रखना था
बाकी मज़ा तो उसे आ ही जाना था
मज़ा तो उसे आ ही रहा था
क्योंकि जैसे ही श्रुति ने उसके लॅंड को चूसना शुरू किया उसकी आँखे बंद और सिर पीछे चला गया था
मुझे उसके गोल मटोल बॉल्स को देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था
इन्हे तो मैं ज़रूर चूसूंगी
बस एक बार मेरी बारी आ जाए
और वो आ भी गयी
श्रुति ने अपने मुँह से उसका लॅंड निकाला और मेरी तरफ लहरा दिया
उसकी लार में भीगा मोटा लॅंड अब मेरे चेहरे के सामने था
मैने ढेर सारी लार अपने मुँह में इकट्ठा की और मुँह खुल कर उसके सुपाड़े को उस से नहला दिया और उपर से अपने होंठो की सील लगाती हुई नीचे तक आई
वो तो कब से मेरे मुँह मे जाने के लिए तड़प रहा था
मेरे गुलाबी होंठो को अपने लॅंड के चारों तरफ लिपटता देख वो उत्तेजना की हर सीमा पार करता चला गया और उसने मेरे सिर को पकड़ कर ज़ोर से अपने लॅंड पर दबा दिया
" आअह्हह्ह्ह्ह सालूूओऊऊनीईईई
नतीजन उसका पूरा लॅंड मेरे टॉन्सिल्स से जाकर टकराया और मुझे साँस तक लेने में दिक्कत होने लगी
मेरी छटपटाहट देखकर उसने अपनी पकड़ ढीली की और मैं खाँसती हुई अपने आँसू पोछने लगी
उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी
जैसे कोई जंग जीत ली हो मुझे लॅंड चुस्वाकार
शायद कई लड़कों का अरमान होगा मेरे कॉलेज में
पर पूरा हुआ इस कमीने का
श्रुति ने एक बार फिर से उसके लॅंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया
और अब मुझे वो करना था जिसके लिए मैं पहले सोच रही थी
मैने उसकी बॉल्स को सहलाया और नीचे मुँह करके उन्हे मुँह में भर लिया
ऐसे लगा जैसे कोई खुरदुरा और रसीला गुलाब जामुन मुँह में ले लिया हो
पर उसे चूसने में मज़ा बहुत आया
वो पहले से ही क्लीन शेव करके आया था नीचे की, इसलिए उसके चिकने जामुन को चूसने में एक अलग ही मज़ा मिल रहा था
कुछ ही देर में नितिन के मुँह से सिसकाटियां निकलने लगी जो इस बात का संकेत था की वो झड़ने वाला है
मैं नीचे से उसकी बाल्स चूस रही थी और उपर से श्रुति उसका लॅंड
इसलिए झड़ना तो बनता ही था
अगले ही पल उसके लॅंड से एक के बाद एक पिचकारियाँ निकलकर उसके मुँह में जाने लगी
उसने मुँह हटाया तो वो पिचकारियाँ हवा में उछलती हुई दिखाई दी
जो मेरे चेहरे पर भी गिरी और कुछ मेरे होंठो पर
मैने उन्हे चाटा तो कसेला सा स्वाद लगा पर बाद में मक्खन की तरह मेरे गले से उतरता चला गया
मैने उसके लॅंड को पकड़कर अपने मुँह से लगाया और बची खुचि बूंदे अपने मुँह में समेट कर उन्हे पी गयी
अब पहले से ज़्यादा स्वादिष्ट लगी वो
नितिन की हालत पस्त हो चुकी थी
वो निढाल सा होकर बिस्तर पर लेट गया
मैने श्रुति की तरफ हंसते हुए देखा
और वो मुझे लेकर बेड पर आकर लेट गयी
और हम दोनो एक दूसरे के चेहरे पर गिरी बूंदे चाटकर सॉफ करने लगे
असली आग तो अब लगी थी हम दोनो के जिस्मों में
जिसे हम एक दूसरे के होंठो से बुझाने का असफल प्रयास कर रहे थे
पर असली आग तो नीचे लगी थी
टांगो के बीच
चूत में
और हमारी ये गुहार नितिन ने सुन ली
जो कुछ देर सुस्ताने के बाद हमारी मेहनत का भुगतान अपने होंठो से करने को तैयार था
श्रुति और मैं एक दूसरे के होंठ और चेहरा चाटने में बिज़ी थे और तभी मुझे अपनी टांगो के बीच गर्म सांसो का एहसास हुआ
मेरी धड़कने एक बार फिर से तेज हो गयी
और अगले ही पल उसके होंठो ने मेरी छुई मुई सी पुस्सी को अपनी जकड़ में लेकर चूसना शुरू कर दिया
ये एहसास तो अभी तक के सभी एहसासों से पूरी तरह से अलग था
सूपर से भी उपर
वो मेरी चूत को मुँह में लेकर चॉकलेट की तरह चूस रहा था
जीभ से बीच की लकीर को फैलाकर अंदर घुस रहा था
मेरी क्लिट को जीभ और हल्के दांतो की पकड़ से चुभला रहा था
अच्छा ख़ासा एक्सपीरियेन्स था उसके पास चूत चूसने का
मैने उसके सिर को पकड़कर उसे गाईड करना शुरू कर दिया
की यहाँ चाट, यहाँ जीभ घुसा साले
और फिर यही काम उसने श्रुति के साथ भी किया
और जब वो तड़प रही थी जीभ अंदर लेकर तो मैं अपने होंठो से उसे सांत्वना दे रही थी, उसके नन्हे बूब्स चूस्कर
ये काम नितिन ने करीब आधे घंटे तक किया
और उस आधे घंटे में उसने हम दोनो का पानी अच्छे से निकाल कर रख दिया
आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे
नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी
यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था
पर मैं नही
एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी
उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था
मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी
इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई
पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें
सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था
जगह - 2 से रिस रहा था वो
उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
Re: Police daughter sex story
आख़िर में हम तीनो हाँफते हुए एक दूसरे के नंगे जिस्मों से लिपटकर काफ़ी देर तक लेटे रहे, नंगी लड़कियों को देखकर उसके लॅंड ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी यानी अब वो चुदाई के लिए तैयार था,
पर मैं नही
एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी, उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था, मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी, इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई, पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें , सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था, जगह - 2 से रिस रहा था वो, उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
***********
अब आगे
************
जब मैं घर पहुँची तो रात के 9.30 बज रहे थे
ये तो अच्छा हुआ की मैने पापा से पहले ही परमिशन ले ली थी वरना इस वक़्त बिना बताए मैं घर से बाहर रहती तो अंदर जाने से पहले मेरी फट्ट कर हाथ में आ रही होती
माँ ने दरवाजा खोला और मुझे सवालिया नज़रों से देखा की आज एकदम से कैसे प्रोग्राम बन गया
पर उन्होने कुछ कहा नही क्योंकि माँ को पापा आने के बाद बता ही चुके थे की मैं आज देर से आने वाली हूँ
पापा रोज की तरह ड्रॉयिंग रूम में बैठकर पेग मार रहे थे
मैने उन्हे हाय हेलो किया और अपने रूम की तरफ चल दी
अंदर जाते हुए मैं उनकी नज़रें अपने कुल्हो पर महसूस कर पा रही थी
इसलिए मेरी चाल भी अपने आप थोड़ी नशीली हो गयी
रूम में जाकर मैने कमरा बंद किया और अपने सारे कपड़े निकाल डाले
माँ घर पर ना होती तो शायद दरवाजा अंदर से बंद भी ना करती
पापा को तो मैं दिखाना चाहती थी अपने जिस्म का हर हिस्सा
ताकि वो समझ सके की उनकी लड़की अब पूरी तरह से जवान हो गयी है
पर अपने रूम में नंगी होकर रहने में मुझे रोमांच बहुत मिलता है
अपने जिस्म पर ठंडी हवा का एहसास मुझमें एक गुदगुदी सी भर देता है
मैं बेड पर लेट गयी और अपने अंगो को सहलाते हुए आज शाम को श्रुति के घर पर हुई सारी बाते याद करके मज़े लेने लगी
उन लम्हो को याद करते-2 मैं फिर से उत्तेजित होने लगी
मेरी चूत से फिर से वही गाड़े रस की बूंदे रिसने लगी
मैने आज तक अपनी चूत का रस चखा नही था
और वो मैं आज करने वाली थी
ताकि जान सकूँ की मेरी दुकान की मिठाई कितनी मीठी है
और सामने वाले को कितनी पसंद आएगी वो
मैने अपनी दो उंगलियाँ चूत में डुबोई और उसमें ढेर सारा शहद इकट्ठा करके उन्हे धीरे से चूस लिया
उम्म्म्मममममममम….
ये तो सच में काफ़ी मजेदार है
एकदम फ्रेशनेस के साथ
अन्नानास के जूस जैसा
जिसमें मीठापन और खट्टापन एकसाथ होता है
शायद इसलिए ऐसा स्वाद था क्योंकि मुझे फ्रूट्स बहुत पसंद थे
ख़ासकर संतरा , अमरूद और सेब
इन सबका स्वाद मैं महसूस कर पा रही थी अपनी चूत के रस में
शून्य से दस के पैमाने पर मैं इसे 9.5 अंक दूँगी
तभी माँ ने दरवाजा खटकाया
“सलोनी…..ओ बेटा…..चल खाना खा ले, फिर मुझे सोना भी है, इस वक़्त तक तो मुझे नींद के झोंके आने लगते है….जल्दी आजा मेरी बच्ची ”
माँ भी अपनी जगह सही थी
बेचारी सुबह 7 बजे से जाग कर सारा खाना बनाती है और फिर पूरा दिन साफ़ सफाई, धुलाई और खाना बनाने में निकल जाता है
ऐसे में तो 10 बजने तक नींद आना स्वाभाविक है
मैं नमने मन से उठी और बाथरूम में जाकर शावर ऑन करके खड़ी हो गयी और रगड़ -2 कर नहाने लगी
और नहाते हुए मुझे अपनी पुस्सी को साबुन लगाकर रगड़ने का बहुत शौंक है
घर आकर ये मेरा रोज का नीयम था
इसी बहाने मास्टरबेट भी कर लिया करती थी
पर आज उसका टाइम नही था
आज लेट भी तो आई थी घर पर
मैने जल्दी-2 नहाकर एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन ली और रोज की तरह अंदर कुछ भी नही
शीशे में मैं अपनी टी शर्ट के अंदर खड़े निप्पल्स सॉफ देख पा रही थी
माँ हमेशा मुझे डाँट्ती थी ऐसे घर पर बिना ब्रा के रहने के
पर अभी वो शायद देख नही पाएगी
मैं सीधा जाकर बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी
सामने पापा बैठे थे
जो मुझे अपने नन्हे स्तनो को हिलाकर चलते देखकर लार टपका रहे थे
उनकी पुलिसिआ नज़रों ने मेरे बिन ब्रा के निप्पलों को दूर से ही ताड़ लिया था
इसलिए उन्हे देखकर वो एक ही बार में मोटा घूंठ पीकर अपने होंठो को दांतो तले रगड़ने लगे
माँ जब खाना लेकर आई तो मैं नीचे झुक गयी ताकि वो मेरी छाती की तरफ ना देख सके
थाली रखकर वो हम दोनो बाप बेटी को गुड नाइट बोलकर सोने चली गयी
और मुझे हिदायत देकर गयी की पापा को खाना गर्म करके देने के लिए
मैने हां में सिर हिला दिया और पापा को देखने लगी
उनके चेहरे पर भी मेरी तरह एक स्माइल थी
दोनो माँ के जाने से खुश थे
उनके जाते ही मैं छाती चौड़ी करके बैठ गयी
अपनी छातियाँ निकालकर
अब मुझे कोई डर नही था
बल्कि उन्हे तो मैं दिखाना चाहती थी
पापा भी मेरी रस भरी थैलियों को देखकर अपनी लार टपकाने लगे
मैं मंद-2 मुस्कुरा रही थी और आराम से खाना खा रही थी
बीच-2 में पापा मुझसे इधर उधर की बाते करते जा रहे थे
पर उनका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी छातियों पर ही था
इन मर्दों को सिर्फ़ अपनी छातियाँ दिखाकर अपने इशारों पर नचाया जा सकता है इतना तो मैं जान ही चुकी थी
कल रात की ही तो बात है
कैसे मैने अपनी इन ब्रेस्ट्स को पापा की सख़्त छातियों से रगड़ाई करवाई थी
उम्म्म्मम
उन पलों को याद करके मेरे निप्पल्स फिर से सख़्त हो चुके थे
और पापा उन्हे आराम से देख पा रहे थे
आज पापा के पेग थोड़े मोटे बन रहे थे
शायद मेरे हुस्न का असर था
वो अपनी तरफ से पहल करना नही चाहते थे, बाप बेटी का जो रिश्ता था
और मैं चाहे पापा से ना डरने की लाख बाते कर लूँ , पर उनका पुराना डर अंदर से मुझे कुछ भी ग़लत करने से रोक रहा था
इसलिए मैने सब वक़्त पे छोड़ दिया था
और ये भी सोच लिया था की पापा ने अगर पहल की तो मैं भी पीछे नही रहूंगी
ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
पर मैं नही
एक तो मैं अभी अपनी फर्स्ट चुदाई के लिए तैयार नही थी, उपर से टाइम भी काफ़ी हो चूका था, मैं पापा को बिना किसी बात के नाराज़ भी नही करना चाहती थी, इसलिए उन दोनो को एंजाय करने के लिए छोड़कर मैं वहां से निकल आई, पर आज एक नया जोश भर चूका था मुझमें , सैक्स के पहले एनकाउंटर को महसूस करके मेरा शरीर फूला नही समा रहा था, जगह - 2 से रिस रहा था वो, उसे कुछ और भी चाहिए था
और मुझे पता था की वो कहाँ और कैसे मिलेगा
***********
अब आगे
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जब मैं घर पहुँची तो रात के 9.30 बज रहे थे
ये तो अच्छा हुआ की मैने पापा से पहले ही परमिशन ले ली थी वरना इस वक़्त बिना बताए मैं घर से बाहर रहती तो अंदर जाने से पहले मेरी फट्ट कर हाथ में आ रही होती
माँ ने दरवाजा खोला और मुझे सवालिया नज़रों से देखा की आज एकदम से कैसे प्रोग्राम बन गया
पर उन्होने कुछ कहा नही क्योंकि माँ को पापा आने के बाद बता ही चुके थे की मैं आज देर से आने वाली हूँ
पापा रोज की तरह ड्रॉयिंग रूम में बैठकर पेग मार रहे थे
मैने उन्हे हाय हेलो किया और अपने रूम की तरफ चल दी
अंदर जाते हुए मैं उनकी नज़रें अपने कुल्हो पर महसूस कर पा रही थी
इसलिए मेरी चाल भी अपने आप थोड़ी नशीली हो गयी
रूम में जाकर मैने कमरा बंद किया और अपने सारे कपड़े निकाल डाले
माँ घर पर ना होती तो शायद दरवाजा अंदर से बंद भी ना करती
पापा को तो मैं दिखाना चाहती थी अपने जिस्म का हर हिस्सा
ताकि वो समझ सके की उनकी लड़की अब पूरी तरह से जवान हो गयी है
पर अपने रूम में नंगी होकर रहने में मुझे रोमांच बहुत मिलता है
अपने जिस्म पर ठंडी हवा का एहसास मुझमें एक गुदगुदी सी भर देता है
मैं बेड पर लेट गयी और अपने अंगो को सहलाते हुए आज शाम को श्रुति के घर पर हुई सारी बाते याद करके मज़े लेने लगी
उन लम्हो को याद करते-2 मैं फिर से उत्तेजित होने लगी
मेरी चूत से फिर से वही गाड़े रस की बूंदे रिसने लगी
मैने आज तक अपनी चूत का रस चखा नही था
और वो मैं आज करने वाली थी
ताकि जान सकूँ की मेरी दुकान की मिठाई कितनी मीठी है
और सामने वाले को कितनी पसंद आएगी वो
मैने अपनी दो उंगलियाँ चूत में डुबोई और उसमें ढेर सारा शहद इकट्ठा करके उन्हे धीरे से चूस लिया
उम्म्म्मममममममम….
ये तो सच में काफ़ी मजेदार है
एकदम फ्रेशनेस के साथ
अन्नानास के जूस जैसा
जिसमें मीठापन और खट्टापन एकसाथ होता है
शायद इसलिए ऐसा स्वाद था क्योंकि मुझे फ्रूट्स बहुत पसंद थे
ख़ासकर संतरा , अमरूद और सेब
इन सबका स्वाद मैं महसूस कर पा रही थी अपनी चूत के रस में
शून्य से दस के पैमाने पर मैं इसे 9.5 अंक दूँगी
तभी माँ ने दरवाजा खटकाया
“सलोनी…..ओ बेटा…..चल खाना खा ले, फिर मुझे सोना भी है, इस वक़्त तक तो मुझे नींद के झोंके आने लगते है….जल्दी आजा मेरी बच्ची ”
माँ भी अपनी जगह सही थी
बेचारी सुबह 7 बजे से जाग कर सारा खाना बनाती है और फिर पूरा दिन साफ़ सफाई, धुलाई और खाना बनाने में निकल जाता है
ऐसे में तो 10 बजने तक नींद आना स्वाभाविक है
मैं नमने मन से उठी और बाथरूम में जाकर शावर ऑन करके खड़ी हो गयी और रगड़ -2 कर नहाने लगी
और नहाते हुए मुझे अपनी पुस्सी को साबुन लगाकर रगड़ने का बहुत शौंक है
घर आकर ये मेरा रोज का नीयम था
इसी बहाने मास्टरबेट भी कर लिया करती थी
पर आज उसका टाइम नही था
आज लेट भी तो आई थी घर पर
मैने जल्दी-2 नहाकर एक टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन ली और रोज की तरह अंदर कुछ भी नही
शीशे में मैं अपनी टी शर्ट के अंदर खड़े निप्पल्स सॉफ देख पा रही थी
माँ हमेशा मुझे डाँट्ती थी ऐसे घर पर बिना ब्रा के रहने के
पर अभी वो शायद देख नही पाएगी
मैं सीधा जाकर बाहर डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी
सामने पापा बैठे थे
जो मुझे अपने नन्हे स्तनो को हिलाकर चलते देखकर लार टपका रहे थे
उनकी पुलिसिआ नज़रों ने मेरे बिन ब्रा के निप्पलों को दूर से ही ताड़ लिया था
इसलिए उन्हे देखकर वो एक ही बार में मोटा घूंठ पीकर अपने होंठो को दांतो तले रगड़ने लगे
माँ जब खाना लेकर आई तो मैं नीचे झुक गयी ताकि वो मेरी छाती की तरफ ना देख सके
थाली रखकर वो हम दोनो बाप बेटी को गुड नाइट बोलकर सोने चली गयी
और मुझे हिदायत देकर गयी की पापा को खाना गर्म करके देने के लिए
मैने हां में सिर हिला दिया और पापा को देखने लगी
उनके चेहरे पर भी मेरी तरह एक स्माइल थी
दोनो माँ के जाने से खुश थे
उनके जाते ही मैं छाती चौड़ी करके बैठ गयी
अपनी छातियाँ निकालकर
अब मुझे कोई डर नही था
बल्कि उन्हे तो मैं दिखाना चाहती थी
पापा भी मेरी रस भरी थैलियों को देखकर अपनी लार टपकाने लगे
मैं मंद-2 मुस्कुरा रही थी और आराम से खाना खा रही थी
बीच-2 में पापा मुझसे इधर उधर की बाते करते जा रहे थे
पर उनका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी छातियों पर ही था
इन मर्दों को सिर्फ़ अपनी छातियाँ दिखाकर अपने इशारों पर नचाया जा सकता है इतना तो मैं जान ही चुकी थी
कल रात की ही तो बात है
कैसे मैने अपनी इन ब्रेस्ट्स को पापा की सख़्त छातियों से रगड़ाई करवाई थी
उम्म्म्मम
उन पलों को याद करके मेरे निप्पल्स फिर से सख़्त हो चुके थे
और पापा उन्हे आराम से देख पा रहे थे
आज पापा के पेग थोड़े मोटे बन रहे थे
शायद मेरे हुस्न का असर था
वो अपनी तरफ से पहल करना नही चाहते थे, बाप बेटी का जो रिश्ता था
और मैं चाहे पापा से ना डरने की लाख बाते कर लूँ , पर उनका पुराना डर अंदर से मुझे कुछ भी ग़लत करने से रोक रहा था
इसलिए मैने सब वक़्त पे छोड़ दिया था
और ये भी सोच लिया था की पापा ने अगर पहल की तो मैं भी पीछे नही रहूंगी
ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
Re: Police daughter sex story
इसी बीच बातों -२ में पापा ने आधी से ज्यादा बोतल ख़त्म कर दी
अब वो पूरे टल्ली हो चुके थे
उनसे सही ढंग से बैठा भी नही जा रहा था
वो लड़खड़ाते हुए उठे और अपने रूम की तरफ चल दिए
मैं नही चाहती थी की वो अभी यहाँ से चले जाएं और मॉम के पास जाकर खर्राटे मारने लगे
इसलिए मैने उठकर उन्हे संभाला और स्टडी रूम की तरफ ले गयी और उन्हे वहां के सोफे पर लिटा दिया
और उनसे पूछा :”पापा, खाना ले आऊं क्या ? ”
अब तक पापा को दारू पूरी तरह से चढ़ चुकी थी
वो अपने आप कुछ बुदबुदा रहे थे
“सलोनी….भेंन की लोड़ी …..तेरी चूत इतनी गर्म है…आज तो मज़ा आ गया….और तेरे ये मुम्मे ….आ…..डा ….डाल दे इन्हे मेरे मुँह में ….”
ये सुनते ही मेरे तो कानो से धुंवा निकलने लगा
ये क्या बोल रहे है पापा मेरे बारे में
अब ये भला मुझे कैसे पता होता की आज पापा मेरी हमनाम सलोनी की चूत मारकर आए है और इस वक़्त नशे में वो उसे ही याद करके बड़बड़ा रहे थे
शुरूवात तो उन्होने मुझे देखकर ही की थी
मेरे मोटे मुम्मे और कड़क निप्पल देखकर जब वो दारू पी रहे थे तो उनकी सोच उन्हे फिर से एक बार शाम को हुई वो शानदार चुदाई की तरफ ले गयी
और पीते-2 कब वो नशे की हालत में उस सलोनी का नाम लेने लगे, ये शायद उन्हे भी पता नही होगा
पर मेरे लिए तो सलोनी मैं ही थी ना
इसलिए वो सब सुनकर मेरा दिल धाड़-2 करके बज रहा था
अच्छा भी लग रहा था और डर भी
अच्छा ये सुनकर की मेरे पापा मेरे बारे में ये सब सोच रहे थे
और डर इसलिए की कहीं मॉम ना सुन ले ये सब
इसलिए मैने स्टडी रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए
और फिर उनके करीब आकर बैठ गयी
नशे में वो अब भी बड़बड़ा रहे थे
“चल साली…चूस मेरे लॅंड को….भेंन चोद …देख क्या रही है….चूस इसे….”
भले ही वो नशे में और अपने होशो हवास में नहीं थे
पर पापा का हुक्म तो पापा का ही होता है ना
मैं किसी आज्ञाकारी बेटी की तरह उनके पैरों की तरफ गयी और ज़मीन पर घुटने लगाकर बैठ गयी
धड़कते दिल से मैने उनकी पेंट की जीप खोली और अंदर हाथ डालकर बड़ी मुश्किल से उस फुफकारते हुए नाग को बाहर निकाला
उफफफफफ्फ़
इतना मोटा लॅंड
नितिन का तो इसके सामने कुछ भी नही था
मैने अपना मुँह गोल करके अंदर तीन उंगलियां डाली तो मेरा मुँह पूरा भर सा गया
और फिर उन तीन उंगलियों को लॅंड के सामने रखा तो पाया की वो लॅंड उनसे भी डबल था
ये मेरे खुले मुँह में नही आएगा तो भला नीचे मेरी तंग सी चूत में कैसे जाएगा
जहाँ एक उंगली जाने भर से मैं सीसीया उठती थी
पर वो जब होगा तब होगा
अभी के लिए तो पापा का हुक्म मानना था मुझे
इसलिए मैने गर्म साँसे उस लॅंड पर छोड़ते हुए उस मोटे लॅंड पर अपनी जीभ फिराई और उसे अपने मुँह में लेने का प्रयास किया
पर वो आया ही नही
आगे का सुपाड़ा मेरे मुँह में आकर फँस गया
उसपर लगी प्रीकम की बूँद जब मेरे मुँह में गयी तो एक अजीब सा नशा महसूस हुआ मुझे
ऐसा लगा जैसे शराब की बूँद चख ली हो मैने
उम्म्म्मममममम
ऐसी नशीली बूँद है तो पूरा माल निकलेगा तो बॉटल जितना नशा देगा
यही सोचकर मैने अपने बूब्स को खुद ही मसल दिया और खुद ही सिसकार उठी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……आह्हःहह……… ओह पापा……..”
मेरी इस सीत्कार को सुनकर पापा एकदम से चोंक गये
और मेरी तरफ देखने लगे
अभी कुछ देर पहले तक जो मुझे लॅंड चूसने के लिए बोल रहे थे वो मुझे लॅंड चूसता देखकर ऐसे हैरान हो रहे थे जैसे कोई भूत देख लिया हो
पर मैं रुकी नही
अपनी नन्ही जीभ और छोटे मुँह से उनके मोटे लॅंड को धीरे-2 चूसती और चाट्ती रही
अब शायद वो नशे से बाहर आ चुके थे
पर मैं वहां कैसे और क्यों उनका लॅंड चूस रही थी ये सवाल उनके चेहरे पर सॉफ दिखाई दे रहा था
हालाँकि चाहते तो शायद वो भी यही थे अंदर से पर ऐसे उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी ये मैने सोचा भी नही था
इस से पहले की पापा मुझे डांटे या उनका इरादा बदले मैने अपना पूरा मुँह खोलकर जितना हो सकता था उतना लॅंड अपने मुँह में भरा और उसे चूसने लगी
अब धीरे-2 उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी
मेरे बूब्स उनके घुटनों से टकरा रहे थे और उनका गुदाजपन वो सॉफ महसूस कर पा रहे थे
पर इस वक़्त मेरा पूरा ध्यान उनके लॅंड पर था
जैसे नितिन का लॅंड चूसकर उसे मज़ा दिया था
वैसे ही मैं आज पापा को मज़ा देना चाहती थी
ये सब इतना जल्दी हो जाएगा मुझे भी आशा नही थी
पर अच्छा हुआ जो ये हो गया
अब आगे के लिए हम दोनो के बीच सब खुल जाएगा
यही सोचकर मेरी चूसने की स्पीड और ज़्यादा तेज हो गयी
पापा के हाथ मेरे सिर के पीछे आ लगे और वो अपनी गांड उठाकर अपना लॅंड मेरे मुँह में डालने की कोशिश करने लगे
यानी पापा भी अब उस खेल में पूरी तरह से शामिल हो चुके थे जो उन्होने नशे की हालत में शुरू किया था
मज़ा तो उन्हे भी बहुत आ रहा था और मुझे भी
पर शायद पहली बार अपनी जवान बेटी से लॅंड चुसवाने का रोमांच था की उन्होने बिना किसी चेतावनी के अपना ढेर सारा कम मेरे मुँह में निकाल दिया
इतनी सारी शराब के नशे जैसा कम पीकर तो मैं भी मदहोश ही हो गयी
पापा तो हाँफते रह गये
और इस से पहले की वो कुछ और बोलते मैं भागकर अपने रूम की तरफ चल दी
आज के लिए इतना बहुत था
उपर से मुझे ये डर भी था की कहीं पापा अब नशे से निकलने के बाद मुझे ही ना डाँटने लग जाए
अंदर जाकर मैने दरवाजा बंद किया और अपने कपड़े एक बार फिर से निकाल फेंके
और वहीं ज़मीन पर लेटकर रगड़ -2 कर अपनी चूत का पानी निकालने लगी
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ पापा……..कितना रस था आपके लॅंड में …….इतना मोटा था वो…….”
यार….ये कैसा ऑब्सेशन होता जा रहा है मुझे अपने पापा से
उनके लॅंड को याद करने मात्र से ही मेरी चूत बहे जा रही थी
ऐसा चलता रहा तो मेरा कमरे से निकलना मुश्किल हो जाएगा
या फिर पूरे दिन पेड लगाकर घूमना पड़ेगा
मेरी पिंक उंगलियां अपनी पिंक चूत में रेती की तरह रगड़ मार रही थी
और फिर वहां से भी एक जोरदार फव्वारा निकला
जिसे मैने अपनी उंगलियो में समेट कर पी लिया
पहले पापा का कम और बाद में मेरा
दोनो मेरे पेट में जा चुके थे
बचपना होता तो यही सोचती की अब मैं माँ बन जाउंगी
और ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
पर सच में , कितना मज़ा आएगा अगर किसी दिन मैं पापा के कम से प्रेगनेंट हो जाऊं
अपनी शादी के बाद एक बार कोशिश तो ज़रूर करूँगी इसके लिए..
ये सोचकर ही मेरे पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी
मैं उठी और अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गयी
अगले दिन पापा मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बोलेंगे ये तो सुबह ही पता चलेगा..
अब वो पूरे टल्ली हो चुके थे
उनसे सही ढंग से बैठा भी नही जा रहा था
वो लड़खड़ाते हुए उठे और अपने रूम की तरफ चल दिए
मैं नही चाहती थी की वो अभी यहाँ से चले जाएं और मॉम के पास जाकर खर्राटे मारने लगे
इसलिए मैने उठकर उन्हे संभाला और स्टडी रूम की तरफ ले गयी और उन्हे वहां के सोफे पर लिटा दिया
और उनसे पूछा :”पापा, खाना ले आऊं क्या ? ”
अब तक पापा को दारू पूरी तरह से चढ़ चुकी थी
वो अपने आप कुछ बुदबुदा रहे थे
“सलोनी….भेंन की लोड़ी …..तेरी चूत इतनी गर्म है…आज तो मज़ा आ गया….और तेरे ये मुम्मे ….आ…..डा ….डाल दे इन्हे मेरे मुँह में ….”
ये सुनते ही मेरे तो कानो से धुंवा निकलने लगा
ये क्या बोल रहे है पापा मेरे बारे में
अब ये भला मुझे कैसे पता होता की आज पापा मेरी हमनाम सलोनी की चूत मारकर आए है और इस वक़्त नशे में वो उसे ही याद करके बड़बड़ा रहे थे
शुरूवात तो उन्होने मुझे देखकर ही की थी
मेरे मोटे मुम्मे और कड़क निप्पल देखकर जब वो दारू पी रहे थे तो उनकी सोच उन्हे फिर से एक बार शाम को हुई वो शानदार चुदाई की तरफ ले गयी
और पीते-2 कब वो नशे की हालत में उस सलोनी का नाम लेने लगे, ये शायद उन्हे भी पता नही होगा
पर मेरे लिए तो सलोनी मैं ही थी ना
इसलिए वो सब सुनकर मेरा दिल धाड़-2 करके बज रहा था
अच्छा भी लग रहा था और डर भी
अच्छा ये सुनकर की मेरे पापा मेरे बारे में ये सब सोच रहे थे
और डर इसलिए की कहीं मॉम ना सुन ले ये सब
इसलिए मैने स्टडी रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया ताकि आवाज़ बाहर ना जाए
और फिर उनके करीब आकर बैठ गयी
नशे में वो अब भी बड़बड़ा रहे थे
“चल साली…चूस मेरे लॅंड को….भेंन चोद …देख क्या रही है….चूस इसे….”
भले ही वो नशे में और अपने होशो हवास में नहीं थे
पर पापा का हुक्म तो पापा का ही होता है ना
मैं किसी आज्ञाकारी बेटी की तरह उनके पैरों की तरफ गयी और ज़मीन पर घुटने लगाकर बैठ गयी
धड़कते दिल से मैने उनकी पेंट की जीप खोली और अंदर हाथ डालकर बड़ी मुश्किल से उस फुफकारते हुए नाग को बाहर निकाला
उफफफफफ्फ़
इतना मोटा लॅंड
नितिन का तो इसके सामने कुछ भी नही था
मैने अपना मुँह गोल करके अंदर तीन उंगलियां डाली तो मेरा मुँह पूरा भर सा गया
और फिर उन तीन उंगलियों को लॅंड के सामने रखा तो पाया की वो लॅंड उनसे भी डबल था
ये मेरे खुले मुँह में नही आएगा तो भला नीचे मेरी तंग सी चूत में कैसे जाएगा
जहाँ एक उंगली जाने भर से मैं सीसीया उठती थी
पर वो जब होगा तब होगा
अभी के लिए तो पापा का हुक्म मानना था मुझे
इसलिए मैने गर्म साँसे उस लॅंड पर छोड़ते हुए उस मोटे लॅंड पर अपनी जीभ फिराई और उसे अपने मुँह में लेने का प्रयास किया
पर वो आया ही नही
आगे का सुपाड़ा मेरे मुँह में आकर फँस गया
उसपर लगी प्रीकम की बूँद जब मेरे मुँह में गयी तो एक अजीब सा नशा महसूस हुआ मुझे
ऐसा लगा जैसे शराब की बूँद चख ली हो मैने
उम्म्म्मममममम
ऐसी नशीली बूँद है तो पूरा माल निकलेगा तो बॉटल जितना नशा देगा
यही सोचकर मैने अपने बूब्स को खुद ही मसल दिया और खुद ही सिसकार उठी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……आह्हःहह……… ओह पापा……..”
मेरी इस सीत्कार को सुनकर पापा एकदम से चोंक गये
और मेरी तरफ देखने लगे
अभी कुछ देर पहले तक जो मुझे लॅंड चूसने के लिए बोल रहे थे वो मुझे लॅंड चूसता देखकर ऐसे हैरान हो रहे थे जैसे कोई भूत देख लिया हो
पर मैं रुकी नही
अपनी नन्ही जीभ और छोटे मुँह से उनके मोटे लॅंड को धीरे-2 चूसती और चाट्ती रही
अब शायद वो नशे से बाहर आ चुके थे
पर मैं वहां कैसे और क्यों उनका लॅंड चूस रही थी ये सवाल उनके चेहरे पर सॉफ दिखाई दे रहा था
हालाँकि चाहते तो शायद वो भी यही थे अंदर से पर ऐसे उनकी इच्छा पूरी हो जाएगी ये मैने सोचा भी नही था
इस से पहले की पापा मुझे डांटे या उनका इरादा बदले मैने अपना पूरा मुँह खोलकर जितना हो सकता था उतना लॅंड अपने मुँह में भरा और उसे चूसने लगी
अब धीरे-2 उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी
मेरे बूब्स उनके घुटनों से टकरा रहे थे और उनका गुदाजपन वो सॉफ महसूस कर पा रहे थे
पर इस वक़्त मेरा पूरा ध्यान उनके लॅंड पर था
जैसे नितिन का लॅंड चूसकर उसे मज़ा दिया था
वैसे ही मैं आज पापा को मज़ा देना चाहती थी
ये सब इतना जल्दी हो जाएगा मुझे भी आशा नही थी
पर अच्छा हुआ जो ये हो गया
अब आगे के लिए हम दोनो के बीच सब खुल जाएगा
यही सोचकर मेरी चूसने की स्पीड और ज़्यादा तेज हो गयी
पापा के हाथ मेरे सिर के पीछे आ लगे और वो अपनी गांड उठाकर अपना लॅंड मेरे मुँह में डालने की कोशिश करने लगे
यानी पापा भी अब उस खेल में पूरी तरह से शामिल हो चुके थे जो उन्होने नशे की हालत में शुरू किया था
मज़ा तो उन्हे भी बहुत आ रहा था और मुझे भी
पर शायद पहली बार अपनी जवान बेटी से लॅंड चुसवाने का रोमांच था की उन्होने बिना किसी चेतावनी के अपना ढेर सारा कम मेरे मुँह में निकाल दिया
इतनी सारी शराब के नशे जैसा कम पीकर तो मैं भी मदहोश ही हो गयी
पापा तो हाँफते रह गये
और इस से पहले की वो कुछ और बोलते मैं भागकर अपने रूम की तरफ चल दी
आज के लिए इतना बहुत था
उपर से मुझे ये डर भी था की कहीं पापा अब नशे से निकलने के बाद मुझे ही ना डाँटने लग जाए
अंदर जाकर मैने दरवाजा बंद किया और अपने कपड़े एक बार फिर से निकाल फेंके
और वहीं ज़मीन पर लेटकर रगड़ -2 कर अपनी चूत का पानी निकालने लगी
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ पापा……..कितना रस था आपके लॅंड में …….इतना मोटा था वो…….”
यार….ये कैसा ऑब्सेशन होता जा रहा है मुझे अपने पापा से
उनके लॅंड को याद करने मात्र से ही मेरी चूत बहे जा रही थी
ऐसा चलता रहा तो मेरा कमरे से निकलना मुश्किल हो जाएगा
या फिर पूरे दिन पेड लगाकर घूमना पड़ेगा
मेरी पिंक उंगलियां अपनी पिंक चूत में रेती की तरह रगड़ मार रही थी
और फिर वहां से भी एक जोरदार फव्वारा निकला
जिसे मैने अपनी उंगलियो में समेट कर पी लिया
पहले पापा का कम और बाद में मेरा
दोनो मेरे पेट में जा चुके थे
बचपना होता तो यही सोचती की अब मैं माँ बन जाउंगी
और ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
पर सच में , कितना मज़ा आएगा अगर किसी दिन मैं पापा के कम से प्रेगनेंट हो जाऊं
अपनी शादी के बाद एक बार कोशिश तो ज़रूर करूँगी इसके लिए..
ये सोचकर ही मेरे पूरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी
मैं उठी और अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गयी
अगले दिन पापा मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बोलेंगे ये तो सुबह ही पता चलेगा..