Police daughter sex story
Re: Police daughter sex story
यार….ये कैसा ऑब्सेशन होता जा रहा है मुझे अपने पापा से, उनके लॅंड को याद करने मात्र से ही मेरी चूत बहे जा रही थी, ऐसा चलता रहा तो मेरा कमरे से निकलना मुश्किल हो जाएगा
या फिर पूरे दिन पेड लगाकर घूमना पड़ेगा
मेरी पिंक उंगलियां अपनी पिंक चूत में रेती की तरह रगड़ मार रही थी, और फिर वहां से भी एक जोरदार फव्वारा निकला, जिसे मैने अपनी उंगलियो में समेट कर पी लिया
पहले पापा का कम और बाद में मेरा , दोनो मेरे पेट में जा चुके थे, बचपना होता तो यही सोचती की अब मैं माँ बन जाउंगी , और ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
मैं उठी और अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गयी, अगले दिन पापा मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बोलेंगे ये तो सुबह ही पता चलेगा..
**********
अब आगे
**********
अगले दिन मैं उठी तो पहले से ज़्यादा तरो-ताज़ा महसूस कर रही थी
करती भी क्यों नहीं, आख़िर कल रात मैने पापा के लॅंड से निकला च्यवनप्राश जो खाया था
उम्म्म्मssssssss
सुबह होते ही उस टेस्टी से कॅम का स्वाद फिर से याद आ गया
काश वो रात भर यहीं सो रहे होते मेरे करीब
अभी उठकर मैं फिर से वो शहद पी पाती
मेरा नंगा बदन पूरा जगमगा रहा था सुबह की रोशनी में
शायद इसलिए इस उम्र में लोग कहते है की जवानी का निखार आ रहा है इसपे
क्योंकि इस वक़्त मेरा पूरा जिस्म निखर कर एक नये रूप में आ चूका था
पिछले कुछ दिनों से मैं रोज नोट कर रही थी
दिन ब दिन मैं और भी ज़्यादा सैक्सी होती जा रही थी
अपनी इस चढ़ती जवानी का पूरा मज़ा मैं लेना चाहती थी
और वो कैसे लेना है, ये भी मेरी समझ में आ चूका था
पर अभी तो मुझे पापा के एक्शप्रेशंस देखने थे
रात को उनके लॅंड को चूसा था मैने, अब वो मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बात करेंगे इसे देखने के लिए मैं काफ़ी उत्सुक थी
मैं जल्दी से बाहर निकली और नहा धोकर कॉलेज के लिए तैयार हो गयी
पापा अभी गये नही थे, मैं सीधा नाश्ते की टेबल पर जाकर बैठ गयी
मॉम भी मुझे देखकर हैरान रह गयी की आज बिना उठाए ये कैसे उठ गयी और तैयार भी हो गयी
कुछ ही देर में पापा भी अपनी यूनिफॉर्म पहन कर आ बैठे
मैने मुस्कुरा कर उन्हे देखा और उन्होने मुझे
पर उनके चेहरे से मुस्कुराहट गायब थी
बल्कि चिंता के भाव थे
और वो किसलिए
ये जानते है उनकी नज़र से
शमशेर सिंह
=========
सुबह जब मैं उठा तो खुद को स्टडी रूम के सोफे पर पाया
मैं यहां कैसे आ गया ?
मैं तो वहां ड्रॉयिंग रूम की चेयर पर बैठकर दारू पी रहा था
और फिर
फिर शायद सलोनी आई थी
पर
उसके बाद क्या हुआ
सही से कुछ याद नही आ रहा
मैं उठकर बैठ गया
मेरे पायजामे का नाड़ा खुला हुआ था
यानी कुछ हुआ था
यहाँ आकर क्या मैने खुद उसे खोला और…
नही नही..
ऐसा होता तो मुझे कुछ तो याद रहता
भेन चोद
मेरी उमर हो गयी है क्या जो याद नही आ रहा रात का
लॅंड को पकड़ा तो वो पूरा निढाल सा था
हल्का दर्द भी था जो इस बात का सबूत था की रात को उसका पानी निकला है
तो इसका मतलब सच में रात को कुछ हुआ था
काफ़ी ज़ोर देने के बाद कुछ-2 याद आने लगा था
वो सलोनी
मेरी बेटी नही
वो साली रंडी सलोनी
उसे ही तो याद कर रहा था मैं दारु पीते हुए
जब मेरी बेटी सामने बैठी थी तब भी तो उसे ही याद करके मैं अपने लॅंड को रगड़ रहा था
पर फिर उसके बाद का कुछ और याद नही
धुँधला-2 सा याद है की वो रंडी सलोनी मेरा लॅंड चूस रही थी
शायद अंदर जाकर लेट गया था मैं
उसके बाद उसी का ख्याल आया होगा की वो मेरा लॅंड चूस रही है
इसलिए मैने अपना पयज़ामा खोलकर मूठ मार ली होगी
मैं खुद पर भी हैरान था
क्योंकि शादी के बाद करीब 20 सालों तक मैने ऐसा कुछ नही किया था
ना तो किसी के बारे में ऐसा सोचा था और ना ही खुद कभी मूठ मारी थी
फिर रात को ऐसा कैसे कर दिया मैने
मुझे अपनी हरकत पर खुद ही शर्म आ रही थी
मेरी बेटी ने अगर ऐसा वैसा कुछ देख लिया होता तो क्या होता भला
यही सोचते-2 मैं नहाकर तैयार हुआ और नाश्ते की टेबल पर आ बैठा
वहां सलोनी पहले से बैठी थी
उसके चेहरे पर मुस्कान थी
ये देखकर मैने चैन की साँस ली
शुक्र है, मैने रात को ऐसी कोई हरकत नही की उसके साथ वरना ये मुझे ऐसे मुस्कुरा कर नही देख रही होती
पर रात की पहेली अभी तक मेरे दिमाग़ में चल रही थी, वो सुलझी नही थी
पर अभी के लिए मेरे दिलो दिमाग़ से बोझ उतर चुका था
इसलिए मैने नाश्ता किया
अब आते है सलोनी के पास दोबारा
सलोनी
=====
पापा थोड़े कन्फ्यूज़्ड से दिख रहे थे
पर अपनी तरफ से उन्होने रात वाली कोई बात नही की
मैं भी हैरान थी, मुझे तो लगा था की अब पापा के साथ मेरा रास्ता खुल चुका है
पर लगता है उन्हे रात के नशे में कुछ याद ही नही रहा की उन्होने अपनी बेटी से लॅंड चुस्वाया है अपना
वो बोल भी तो रहे थे रात को मुझे गंदा-2 सा
जब दिल मे मेरे लिए इतना कुछ है तो ज़ुबान पर क्यो नही लाते
गंदे पापा
मेरा मूड भी ऑफ सा हो गया
पर फिर कुछ ऐसा हुआ की सारी पिक्चर ही क्लियर हो गयी
हुआ ये की नाश्ता करने के बाद पापा अपने रूम में गये अपने जूते पहनने
इसी बीच उनके फोन की रिंग बजी, मैने उसे उठाया और उन्हे देने ही जा रही थी की मैने उसपर नाम लिखा देखा
"रंडी सलोनी"
वो नाम देखकर ही मैं हैरान रह गयी
ये कौन है
मेरे नाम वाली 'सलोनी'
और वो भी रंडी नाम से सेव किया है पापा ने
क्या सच में कोई रंडी है , जिसे पापा जानते है और उसका नाम सलोनी है
ये कैसा इत्तेफ़ाक़ है, रंडी और बेटी का एक ही नाम
2-3 रिंग के बाद ही फोन कट कर दिया उसने
फिर एक वट्सएप मेसेज आया उसी नाम से, जो स्क्रीन पर फ्लेश करके दिखाई दिया
“कहा बिज़ी हो सर”
फिर अगला मेसेज फ्लैश हुआ
“कल तो आपने कमाल कर दिया”
फिर एक और
“आज फिर से मिल सकते हो क्या, उसी जगह , हाइवे के पास, पुल के नीचे, 8 बजे…”
और फिर एक के बाद एक किस्स के इमोंजी भेजे उसने
मेरे तो माथे पर पसीने आने लगे
तभी पापा रूम से निकले
मैने झट्ट से उनका मोबाइल वही वापिस रख दिया
वहां आकर उन्होने पूछा : “मेरा मोबाइल बज रहा था क्या, कौन था…”
मैने लापरवाही से अपने नाश्ते पर पूरा ध्यान देते हुए कहा : “पता नही पापा…मैने नही देखा…..2-3 बेल के बाद बंद हो गया….”
उन्होने मोबाइल उठाया और नंबर देखते ही वो सकपका से गये
और फिर उन्होने व्हटसएप मेसेज देखा शायद, जिसे देखकर उनके चेहरे पर एक कुटिल सी मुस्कान आ गयी
और वो अपनी मूँछो पर ताव देते हुए घर से निकल गये
जाते हुए वो माँ को बोलते गये की शायद आज आने में लेट होगा
उनके जाते ही मैने अपना सिर पकड़ लिया
ओह्ह
तो ये सलोनी कोई और है
जिसे सोचकर वो रात को गालियाँ दे रहे थे
यानी वो सच में नशे में थे कल रात
उन्हे पता भी नही चल पाया की वो दूसरी सलोनी नही बल्कि उनकी खुद की कुँवारी बेटी सलोनी है जो उनका लॅंड चूस रही है
मैं तो बेकार में अपना नाम सुनकर खुश हो रही थी की पापा मेरे बारे में कितने "अच्छे" विचार रखते है
पर ये दूसरी सलोनी, साली पूरा क्रेडिट तो ये ले गयी
मेरी मेहनत पर पानी फेर दिया साली कुतिया ने
मुझे गुस्से में बुदबुदाता देखकर माँ ने पूछा : “हेलो….ओ सलोनी….क्या हुआ….क्या बड़बड़ा रही है तू…नाश्ता ख़त्म कर जल्दी…कॉलेज नही जाना क्या…”
मैने टाइम देखा, सच में लेट हो रहा था मुझे
मैने जल्दी से नाश्ता निपटाया और बेग उठाकर कॉलेज के लिए भागी
बड़ी मुश्किल से बस पकड़ी मैने
पूरे रास्ते मैं उसी सलोनी के बारे में सोचती रही
और तभी मेरी बस उसी हाइवे से निकली , जिसके सामने की तरफ वो पुरानी पुलिया थी
इसी लोकेशन की तो वो बात कर रही थी
यानी वो आज यही मिलेगी पापा से एक बार फिर
वो मैं मिस नही करना चाहती थी
इसलिए मैने भी रात को यहाँ आने का प्लान बना लिया
पर ये जगह तो काफ़ी दूर है मेरे घर से
और सुनसान भी
इसलिए किसी को साथ लेना पड़ेगा
और ऐसे में अपनी बेस्ट फ्रेंड श्रुति से अच्छा कोई और नाम नही सूझा मुझे
मैने कॉलेज पहुँचकर सबसे पहले उसे कल रात की पूरी बात बताई
पहले तो वो हैरान हुई मेरे और पापा के बीच की ऐसी बात सुनकर
पर हमारे बीच अब इतना कुछ हो चूका था की ऐसी बात उसके साथ शेर करने में मुझे कोई शर्म महसूस नही हुई
और फिर मैने उसे वो दूसरी सलोनी के मेसेज वाली बात भी बताई
और उसे अपने साथ वहां जाने के लिए भी कहा
उसके पास एक्टिवा स्कूटी थी, वो मेरे साथ वहां जा भी सकती थी और बाद में मुझे घर भी ड्रॉप कर सकती थी
मेरा प्लान सुनते ही उसकी भी आँखे चकमक उठी
शायद रात को कुछ अच्छा देखने को मिलेगा ये सोचकर ही वो खुश हो रही थी
खुश तो मैं भी थी
पर खुशी के साथ -2 जैलिस भी थी मैं
मेरे होते हुए पापा ऐसे किसी रंडी के चक्कर में पड़े, ये मैं नही चाहती थी
पता नही क्या सोचकर मैं वहां जा रही थी
पर अब तो फ़ैसला कर ही लिया था, जो होगा देखा जाएगा
पूरा दिन बड़ी बेचैनी मे निकला
शाम को हम दोनो थोड़ी शॉपिंग पर चले गये, मैने पापा को कॉल करके पैसे भी ले लिए और उन्हे ये भी बता दिया की मार्किट से आने में लेट हो जाउंगी
वो भला मना कैसे करते
वो तो खुद ही सांतवे आसमान पर थे
रात को वो दूसरी वाली से मिलना जो था
मुझे तो उस कमिनी पर सच में बड़ा गुस्सा आ रहा था
पर मैं कर भी क्या सकती थी इसके अलावा
खैर, शॉपिंग करने के बाद मैं उसके घर गयी और वो अपना समान रखने के बाद मुझे अपनी स्कूटी पर लेकर उस जगह के लिए निकल पड़ी जहाँ उस कलमूहि ने पापा को बुलाया था
या फिर पूरे दिन पेड लगाकर घूमना पड़ेगा
मेरी पिंक उंगलियां अपनी पिंक चूत में रेती की तरह रगड़ मार रही थी, और फिर वहां से भी एक जोरदार फव्वारा निकला, जिसे मैने अपनी उंगलियो में समेट कर पी लिया
पहले पापा का कम और बाद में मेरा , दोनो मेरे पेट में जा चुके थे, बचपना होता तो यही सोचती की अब मैं माँ बन जाउंगी , और ये सोचकर ही मैं मुस्कुरा दी
मैं उठी और अपने कपड़े पहन कर बेड पर लेट गयी, अगले दिन पापा मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बोलेंगे ये तो सुबह ही पता चलेगा..
**********
अब आगे
**********
अगले दिन मैं उठी तो पहले से ज़्यादा तरो-ताज़ा महसूस कर रही थी
करती भी क्यों नहीं, आख़िर कल रात मैने पापा के लॅंड से निकला च्यवनप्राश जो खाया था
उम्म्म्मssssssss
सुबह होते ही उस टेस्टी से कॅम का स्वाद फिर से याद आ गया
काश वो रात भर यहीं सो रहे होते मेरे करीब
अभी उठकर मैं फिर से वो शहद पी पाती
मेरा नंगा बदन पूरा जगमगा रहा था सुबह की रोशनी में
शायद इसलिए इस उम्र में लोग कहते है की जवानी का निखार आ रहा है इसपे
क्योंकि इस वक़्त मेरा पूरा जिस्म निखर कर एक नये रूप में आ चूका था
पिछले कुछ दिनों से मैं रोज नोट कर रही थी
दिन ब दिन मैं और भी ज़्यादा सैक्सी होती जा रही थी
अपनी इस चढ़ती जवानी का पूरा मज़ा मैं लेना चाहती थी
और वो कैसे लेना है, ये भी मेरी समझ में आ चूका था
पर अभी तो मुझे पापा के एक्शप्रेशंस देखने थे
रात को उनके लॅंड को चूसा था मैने, अब वो मुझे किस नज़र से देखेंगे और क्या बात करेंगे इसे देखने के लिए मैं काफ़ी उत्सुक थी
मैं जल्दी से बाहर निकली और नहा धोकर कॉलेज के लिए तैयार हो गयी
पापा अभी गये नही थे, मैं सीधा नाश्ते की टेबल पर जाकर बैठ गयी
मॉम भी मुझे देखकर हैरान रह गयी की आज बिना उठाए ये कैसे उठ गयी और तैयार भी हो गयी
कुछ ही देर में पापा भी अपनी यूनिफॉर्म पहन कर आ बैठे
मैने मुस्कुरा कर उन्हे देखा और उन्होने मुझे
पर उनके चेहरे से मुस्कुराहट गायब थी
बल्कि चिंता के भाव थे
और वो किसलिए
ये जानते है उनकी नज़र से
शमशेर सिंह
=========
सुबह जब मैं उठा तो खुद को स्टडी रूम के सोफे पर पाया
मैं यहां कैसे आ गया ?
मैं तो वहां ड्रॉयिंग रूम की चेयर पर बैठकर दारू पी रहा था
और फिर
फिर शायद सलोनी आई थी
पर
उसके बाद क्या हुआ
सही से कुछ याद नही आ रहा
मैं उठकर बैठ गया
मेरे पायजामे का नाड़ा खुला हुआ था
यानी कुछ हुआ था
यहाँ आकर क्या मैने खुद उसे खोला और…
नही नही..
ऐसा होता तो मुझे कुछ तो याद रहता
भेन चोद
मेरी उमर हो गयी है क्या जो याद नही आ रहा रात का
लॅंड को पकड़ा तो वो पूरा निढाल सा था
हल्का दर्द भी था जो इस बात का सबूत था की रात को उसका पानी निकला है
तो इसका मतलब सच में रात को कुछ हुआ था
काफ़ी ज़ोर देने के बाद कुछ-2 याद आने लगा था
वो सलोनी
मेरी बेटी नही
वो साली रंडी सलोनी
उसे ही तो याद कर रहा था मैं दारु पीते हुए
जब मेरी बेटी सामने बैठी थी तब भी तो उसे ही याद करके मैं अपने लॅंड को रगड़ रहा था
पर फिर उसके बाद का कुछ और याद नही
धुँधला-2 सा याद है की वो रंडी सलोनी मेरा लॅंड चूस रही थी
शायद अंदर जाकर लेट गया था मैं
उसके बाद उसी का ख्याल आया होगा की वो मेरा लॅंड चूस रही है
इसलिए मैने अपना पयज़ामा खोलकर मूठ मार ली होगी
मैं खुद पर भी हैरान था
क्योंकि शादी के बाद करीब 20 सालों तक मैने ऐसा कुछ नही किया था
ना तो किसी के बारे में ऐसा सोचा था और ना ही खुद कभी मूठ मारी थी
फिर रात को ऐसा कैसे कर दिया मैने
मुझे अपनी हरकत पर खुद ही शर्म आ रही थी
मेरी बेटी ने अगर ऐसा वैसा कुछ देख लिया होता तो क्या होता भला
यही सोचते-2 मैं नहाकर तैयार हुआ और नाश्ते की टेबल पर आ बैठा
वहां सलोनी पहले से बैठी थी
उसके चेहरे पर मुस्कान थी
ये देखकर मैने चैन की साँस ली
शुक्र है, मैने रात को ऐसी कोई हरकत नही की उसके साथ वरना ये मुझे ऐसे मुस्कुरा कर नही देख रही होती
पर रात की पहेली अभी तक मेरे दिमाग़ में चल रही थी, वो सुलझी नही थी
पर अभी के लिए मेरे दिलो दिमाग़ से बोझ उतर चुका था
इसलिए मैने नाश्ता किया
अब आते है सलोनी के पास दोबारा
सलोनी
=====
पापा थोड़े कन्फ्यूज़्ड से दिख रहे थे
पर अपनी तरफ से उन्होने रात वाली कोई बात नही की
मैं भी हैरान थी, मुझे तो लगा था की अब पापा के साथ मेरा रास्ता खुल चुका है
पर लगता है उन्हे रात के नशे में कुछ याद ही नही रहा की उन्होने अपनी बेटी से लॅंड चुस्वाया है अपना
वो बोल भी तो रहे थे रात को मुझे गंदा-2 सा
जब दिल मे मेरे लिए इतना कुछ है तो ज़ुबान पर क्यो नही लाते
गंदे पापा
मेरा मूड भी ऑफ सा हो गया
पर फिर कुछ ऐसा हुआ की सारी पिक्चर ही क्लियर हो गयी
हुआ ये की नाश्ता करने के बाद पापा अपने रूम में गये अपने जूते पहनने
इसी बीच उनके फोन की रिंग बजी, मैने उसे उठाया और उन्हे देने ही जा रही थी की मैने उसपर नाम लिखा देखा
"रंडी सलोनी"
वो नाम देखकर ही मैं हैरान रह गयी
ये कौन है
मेरे नाम वाली 'सलोनी'
और वो भी रंडी नाम से सेव किया है पापा ने
क्या सच में कोई रंडी है , जिसे पापा जानते है और उसका नाम सलोनी है
ये कैसा इत्तेफ़ाक़ है, रंडी और बेटी का एक ही नाम
2-3 रिंग के बाद ही फोन कट कर दिया उसने
फिर एक वट्सएप मेसेज आया उसी नाम से, जो स्क्रीन पर फ्लेश करके दिखाई दिया
“कहा बिज़ी हो सर”
फिर अगला मेसेज फ्लैश हुआ
“कल तो आपने कमाल कर दिया”
फिर एक और
“आज फिर से मिल सकते हो क्या, उसी जगह , हाइवे के पास, पुल के नीचे, 8 बजे…”
और फिर एक के बाद एक किस्स के इमोंजी भेजे उसने
मेरे तो माथे पर पसीने आने लगे
तभी पापा रूम से निकले
मैने झट्ट से उनका मोबाइल वही वापिस रख दिया
वहां आकर उन्होने पूछा : “मेरा मोबाइल बज रहा था क्या, कौन था…”
मैने लापरवाही से अपने नाश्ते पर पूरा ध्यान देते हुए कहा : “पता नही पापा…मैने नही देखा…..2-3 बेल के बाद बंद हो गया….”
उन्होने मोबाइल उठाया और नंबर देखते ही वो सकपका से गये
और फिर उन्होने व्हटसएप मेसेज देखा शायद, जिसे देखकर उनके चेहरे पर एक कुटिल सी मुस्कान आ गयी
और वो अपनी मूँछो पर ताव देते हुए घर से निकल गये
जाते हुए वो माँ को बोलते गये की शायद आज आने में लेट होगा
उनके जाते ही मैने अपना सिर पकड़ लिया
ओह्ह
तो ये सलोनी कोई और है
जिसे सोचकर वो रात को गालियाँ दे रहे थे
यानी वो सच में नशे में थे कल रात
उन्हे पता भी नही चल पाया की वो दूसरी सलोनी नही बल्कि उनकी खुद की कुँवारी बेटी सलोनी है जो उनका लॅंड चूस रही है
मैं तो बेकार में अपना नाम सुनकर खुश हो रही थी की पापा मेरे बारे में कितने "अच्छे" विचार रखते है
पर ये दूसरी सलोनी, साली पूरा क्रेडिट तो ये ले गयी
मेरी मेहनत पर पानी फेर दिया साली कुतिया ने
मुझे गुस्से में बुदबुदाता देखकर माँ ने पूछा : “हेलो….ओ सलोनी….क्या हुआ….क्या बड़बड़ा रही है तू…नाश्ता ख़त्म कर जल्दी…कॉलेज नही जाना क्या…”
मैने टाइम देखा, सच में लेट हो रहा था मुझे
मैने जल्दी से नाश्ता निपटाया और बेग उठाकर कॉलेज के लिए भागी
बड़ी मुश्किल से बस पकड़ी मैने
पूरे रास्ते मैं उसी सलोनी के बारे में सोचती रही
और तभी मेरी बस उसी हाइवे से निकली , जिसके सामने की तरफ वो पुरानी पुलिया थी
इसी लोकेशन की तो वो बात कर रही थी
यानी वो आज यही मिलेगी पापा से एक बार फिर
वो मैं मिस नही करना चाहती थी
इसलिए मैने भी रात को यहाँ आने का प्लान बना लिया
पर ये जगह तो काफ़ी दूर है मेरे घर से
और सुनसान भी
इसलिए किसी को साथ लेना पड़ेगा
और ऐसे में अपनी बेस्ट फ्रेंड श्रुति से अच्छा कोई और नाम नही सूझा मुझे
मैने कॉलेज पहुँचकर सबसे पहले उसे कल रात की पूरी बात बताई
पहले तो वो हैरान हुई मेरे और पापा के बीच की ऐसी बात सुनकर
पर हमारे बीच अब इतना कुछ हो चूका था की ऐसी बात उसके साथ शेर करने में मुझे कोई शर्म महसूस नही हुई
और फिर मैने उसे वो दूसरी सलोनी के मेसेज वाली बात भी बताई
और उसे अपने साथ वहां जाने के लिए भी कहा
उसके पास एक्टिवा स्कूटी थी, वो मेरे साथ वहां जा भी सकती थी और बाद में मुझे घर भी ड्रॉप कर सकती थी
मेरा प्लान सुनते ही उसकी भी आँखे चकमक उठी
शायद रात को कुछ अच्छा देखने को मिलेगा ये सोचकर ही वो खुश हो रही थी
खुश तो मैं भी थी
पर खुशी के साथ -2 जैलिस भी थी मैं
मेरे होते हुए पापा ऐसे किसी रंडी के चक्कर में पड़े, ये मैं नही चाहती थी
पता नही क्या सोचकर मैं वहां जा रही थी
पर अब तो फ़ैसला कर ही लिया था, जो होगा देखा जाएगा
पूरा दिन बड़ी बेचैनी मे निकला
शाम को हम दोनो थोड़ी शॉपिंग पर चले गये, मैने पापा को कॉल करके पैसे भी ले लिए और उन्हे ये भी बता दिया की मार्किट से आने में लेट हो जाउंगी
वो भला मना कैसे करते
वो तो खुद ही सांतवे आसमान पर थे
रात को वो दूसरी वाली से मिलना जो था
मुझे तो उस कमिनी पर सच में बड़ा गुस्सा आ रहा था
पर मैं कर भी क्या सकती थी इसके अलावा
खैर, शॉपिंग करने के बाद मैं उसके घर गयी और वो अपना समान रखने के बाद मुझे अपनी स्कूटी पर लेकर उस जगह के लिए निकल पड़ी जहाँ उस कलमूहि ने पापा को बुलाया था
Re: Police daughter sex story
वहां काफ़ी अंधेरा था
दूर -2 तक कोई भी नही था
श्रुति ने अपनी स्कूटी एक बड़े से पेड़ के पीछे छुपा दी और हम भी वही छुपकर खड़े हो गये
करीब 10 मिनट बाद ही पापा की जीप वहां आती हुई दिखाई दी, वो आकर पुल के नीचे खड़े हो गये और उसका इंतजार करने लगे
अगले 5 मिनट में वो भी आ गयी
वो मुझसे सिर्फ़ 10 फीट की दूरी से निकली, मैने गोर से उसे देखा
उपर से नीचे तक
एक मैला सा सूट पहना हुआ था उसने, पर शरीर पूरा भरा हुआ था उसका
मोटे-2 बूब्स और बाहर निकली हुई गांड
पर ये तो किसी भी एंगल से मुझे रंडी नहीं लग रही थी, उम्र भी मेरे जितनी ही थी लगभग
पर उसके शरीर के उभार बता रहे थे की इतनी सी उम्र में उसने काफी एक्सपीरियंस ले लिया है
सॉफ पता चल रहा था की अपनी जवानी के पूरे मज़े ले चुकी है वो
अभी भी तो वही लेने आई है
पापा के करीब पहुँचते ही वो उनसे ऐसे लिपटी जैसे बरसो पुरानी प्रेमिका हो उनकी
मेरी तो झांटे सुलग उठी उसे अपने पापा से लिपटते देखकर
श्रुति भी मुझे देखकर समझ गयी थी की उस लड़की से मुझे कितनी जेलीसी हो रही है
पर हम कर भी क्या सकते थे
पापा ने भी उसे हवा मे उठाकर फिल्मी हीरो की तरहा घुमा दिया हवा में , उसके मोटे मुम्मे पापा की छाती से पीसकर रह गये
और हवा ही हवा में पापा ने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया, वो भी अपनी पकड़ उनकी कमर पर बनाए हुए उन्हे पूरा सहयोग दे रही थी
उन दोनो को ही जल्दी थी इसलिए सिर्फ़ 1 मिनट की ही स्मूच ली उन्होने और फिर सीधा मुद्दे की बात पर आ गये
पापा ने धक्का देकर सलोनी को ज़मीन पर बिताया और अपनी पेंट की जीप खोलकर अपना फौलादी लॅंड बाहर निकाला और उसके चेहरे के सामने लहरा दिया
ये तो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित था , कल से भी बड़ा और मोटा लग रहा था वो लॅंड
वो एक ही बार मे उसे मुँह में डालकर निगल गयी और जोरों से चूसने लगी
मैने तो कल ही उसे देख लिया था पर श्रुति के लिए तो ये पहला अवसर था
मेरे पापा का लॅंड देखने का
वो तो चिल्लाने ही वाली थी उसे देखकर
की हाय, इतना मोटा लॅंड …वाउssssssss
पर मैने उसके मुँह पर हाथ रखकर उसकी चीख अंदर ही दबा दी
पर उसकी आँखो की चमक और खड़े निप्पल बता रहे थे की वो कितनी इंप्रेस हुई है उस पुलिसिआ लॅंड से
शायद मन ही मन वो उसे लेने के ख्वाब भी देख रही थी
इसलिए वो अपनी चूत को जीन्स के उपर से ही सहला रही थी…रगड़ रही थी
अंदर से कुछ -2 तो मुझे भी हो रहा था
क्योंकि पापा का लॅंड लगातार दूसरे दिन देख रही थी मैं
कल रात मेरे हाथ में था
अब दूसरी सलोनी के हाथ में है वो
वैसे देखा जाए तो एक मर्द को और क्या चाहिए
हर दिन नया चेहरा, नयी चूत
पर कल रात की बात तो पापा याद भी नही रख पाए नशे में
अगर याद रहता तो शायद आज भी मेरे पास होते वो
ग़लती तो मेरी ही है ना
मैने ही उन्हे अपनी तरफ आकर्षित नही किया
पर अब करूँगी
इसी निश्चय के साथ मैने भी आँखे बंद करके कसम खाई और अपनी उंगली अपनी चूत पर दे मारी
उम्म्म्ममममममम
कितना सैक्सी एहसास था ये
मेरे आगे खड़ी श्रुति अलग ही सुर में सीसीया रही थी और पापा के सामने बैठी सलोनी उनकी बिन बजाती हुई अलग सुर मे
देखा जाए तो वहां 3-3 जवान लड़किया मोजूद थी
और मर्द सिर्फ़ एक
मेरे प्यारे पापा
अगर मैं इसी वक़्त श्रुति को लेकर उनके सामने पहुँच जाऊं तो क्या पापा हम तीनो को एकसाथ चोदेगे ?
ये वाइल्ड सा एहसास ही पूरे शरीर जो सुलगा सा गया मेरे
मैने श्रुति का दूसरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी पायजामी के अंदर डलवा लिया
और मैने अपना हाथ आगे करके उसकी जीन्स के बटन खोले, उसे थोड़ा सा ढीला किया और उसकी कच्छी में उंगलिया घुसेड कर उसकी गीली चूत में अपनी उंगलियो की पतवार से नाव चलाने लगी
श्रुति मेरी तरफ घूम गयी और मेरे होंठो पर किस्स करते हुए मुझे घिस्से देने लगी
मैं भी अपनी उंगलिया उसकी चूत में जोरों से चला रही थी
इसी बीच पापा ने उस लड़की को खड़ा किया और उसे कार के बोनट पर झुका कर पीछे से उसकी चूत में अपना लॅंड घुसेड़ दिया
उस वीराने में उसकी कराहती हुई सी सिसकारी गूँज उठी
“ओह…………उम्म्म्मममममममममममम…….पपाााआआआआ……”
उसके मुँह से पापा शब्द सुनते ही मेरी आँखे हैरत से फेल गई
यानी उसे अपनी बेटी बनाकर चोद रहे थे पापा
और ये बात वो भी जानती थी
अब मुझे पता नही ये मेरे पापा से कब से चुदवा रही है
पर इतना तो मुझे पता चल गया था की पापा जो काम मेरे साथ करने में शरमा रहे थे वो उसके साथ मुझे सोचकर वो खुल्ले मे कर रहे थे
इतनी भी क्या नाराज़गी पापा
मैं भी तो रेडी हूँ ना
आपने कभी पूछा ही नही मुझसे
पर कोई ना पापा
अब देखना
ऐसे-2 काम करूँगी ना की आप खुद ही मुझे नंगा करके चोदोगे
ये वादा रहा आपकी बेटी का
एक इंस्पेक्टर की बेटी का वादा
इतना सोचते-2 मेरी उत्तेजना को ऐसे पर लगे की मैं हवा में उड़ने लगी
वो तो श्रुति ने मेरी चूत में उंगलिया फँसाकर मुझे पकड़ रखे था
वरना मैं तो उड़ गयी होती उस आनंदमयी एहसास को महसूस करते हुए
हम दोनो की चूत की खीर एक साथ निकली
जिसे हमने एक दूसरे की आँखो में देखते हुए खाया
मेरा पाईनएप्पल जूस उसने पिया और उसका नारंगी का पानी मैने
इसी बीच पापा ने उस सलोनी की चूत के सारे दरवाजे ढीले कर दिए थे अपने धक्को से
उसके बदन के सारे कपड़े कब निकल गये मैं देख ही नही पाई
अब पापा उसे नंगा करके चोद रहे थे
चाँद की रोशनी में उसका नंगा शरीर लश्कारे मार रहा था
और अंत में जब पापा हुंकारने लगे तो अपना लैंड उन्होंने बाहर निकाला
और उसमे से निकल रही बूंदों से उस रंडी सलोनी को नहला दिया
उसने नीचे बैठकर उस रसीले पानी को अपने चेहरे और छाती पर छीड़कवाया
पूरे समय उसके मुँह से सिर्फ़ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह पापाsssssss ही निकल रहा था
शायद उसके मुँह से ये पापा शब्द का एहसास ही था जो मेरे पापा को यहाँ तक ले आया था
यही सच मैने उन्हे घर पर ही दे दिया होता तो उन्हे ऐसे खुले मे चुदाई नही करनी पड़ रही होती
खैर
अब ये भूल मैं जल्द सुधारने वाली थी
कुछ देर बाद उन दोनो ने अपने -2 कपड़े पहने और वहां से निकल गये
मैने और श्रुति ने भी अपना हुलिया ठीक किया और वहां से निकलकर उसने मुझे मेरे घर छोड़ा ओर वो वापिस चली गयी
पापा अभी घर नही आए थे
पर जब आएगे तो उन्हे एक अच्छा सा सर्प्राइज़ देने का मन बना चुकी थी मैं
दूर -2 तक कोई भी नही था
श्रुति ने अपनी स्कूटी एक बड़े से पेड़ के पीछे छुपा दी और हम भी वही छुपकर खड़े हो गये
करीब 10 मिनट बाद ही पापा की जीप वहां आती हुई दिखाई दी, वो आकर पुल के नीचे खड़े हो गये और उसका इंतजार करने लगे
अगले 5 मिनट में वो भी आ गयी
वो मुझसे सिर्फ़ 10 फीट की दूरी से निकली, मैने गोर से उसे देखा
उपर से नीचे तक
एक मैला सा सूट पहना हुआ था उसने, पर शरीर पूरा भरा हुआ था उसका
मोटे-2 बूब्स और बाहर निकली हुई गांड
पर ये तो किसी भी एंगल से मुझे रंडी नहीं लग रही थी, उम्र भी मेरे जितनी ही थी लगभग
पर उसके शरीर के उभार बता रहे थे की इतनी सी उम्र में उसने काफी एक्सपीरियंस ले लिया है
सॉफ पता चल रहा था की अपनी जवानी के पूरे मज़े ले चुकी है वो
अभी भी तो वही लेने आई है
पापा के करीब पहुँचते ही वो उनसे ऐसे लिपटी जैसे बरसो पुरानी प्रेमिका हो उनकी
मेरी तो झांटे सुलग उठी उसे अपने पापा से लिपटते देखकर
श्रुति भी मुझे देखकर समझ गयी थी की उस लड़की से मुझे कितनी जेलीसी हो रही है
पर हम कर भी क्या सकते थे
पापा ने भी उसे हवा मे उठाकर फिल्मी हीरो की तरहा घुमा दिया हवा में , उसके मोटे मुम्मे पापा की छाती से पीसकर रह गये
और हवा ही हवा में पापा ने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया, वो भी अपनी पकड़ उनकी कमर पर बनाए हुए उन्हे पूरा सहयोग दे रही थी
उन दोनो को ही जल्दी थी इसलिए सिर्फ़ 1 मिनट की ही स्मूच ली उन्होने और फिर सीधा मुद्दे की बात पर आ गये
पापा ने धक्का देकर सलोनी को ज़मीन पर बिताया और अपनी पेंट की जीप खोलकर अपना फौलादी लॅंड बाहर निकाला और उसके चेहरे के सामने लहरा दिया
ये तो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित था , कल से भी बड़ा और मोटा लग रहा था वो लॅंड
वो एक ही बार मे उसे मुँह में डालकर निगल गयी और जोरों से चूसने लगी
मैने तो कल ही उसे देख लिया था पर श्रुति के लिए तो ये पहला अवसर था
मेरे पापा का लॅंड देखने का
वो तो चिल्लाने ही वाली थी उसे देखकर
की हाय, इतना मोटा लॅंड …वाउssssssss
पर मैने उसके मुँह पर हाथ रखकर उसकी चीख अंदर ही दबा दी
पर उसकी आँखो की चमक और खड़े निप्पल बता रहे थे की वो कितनी इंप्रेस हुई है उस पुलिसिआ लॅंड से
शायद मन ही मन वो उसे लेने के ख्वाब भी देख रही थी
इसलिए वो अपनी चूत को जीन्स के उपर से ही सहला रही थी…रगड़ रही थी
अंदर से कुछ -2 तो मुझे भी हो रहा था
क्योंकि पापा का लॅंड लगातार दूसरे दिन देख रही थी मैं
कल रात मेरे हाथ में था
अब दूसरी सलोनी के हाथ में है वो
वैसे देखा जाए तो एक मर्द को और क्या चाहिए
हर दिन नया चेहरा, नयी चूत
पर कल रात की बात तो पापा याद भी नही रख पाए नशे में
अगर याद रहता तो शायद आज भी मेरे पास होते वो
ग़लती तो मेरी ही है ना
मैने ही उन्हे अपनी तरफ आकर्षित नही किया
पर अब करूँगी
इसी निश्चय के साथ मैने भी आँखे बंद करके कसम खाई और अपनी उंगली अपनी चूत पर दे मारी
उम्म्म्ममममममम
कितना सैक्सी एहसास था ये
मेरे आगे खड़ी श्रुति अलग ही सुर में सीसीया रही थी और पापा के सामने बैठी सलोनी उनकी बिन बजाती हुई अलग सुर मे
देखा जाए तो वहां 3-3 जवान लड़किया मोजूद थी
और मर्द सिर्फ़ एक
मेरे प्यारे पापा
अगर मैं इसी वक़्त श्रुति को लेकर उनके सामने पहुँच जाऊं तो क्या पापा हम तीनो को एकसाथ चोदेगे ?
ये वाइल्ड सा एहसास ही पूरे शरीर जो सुलगा सा गया मेरे
मैने श्रुति का दूसरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी पायजामी के अंदर डलवा लिया
और मैने अपना हाथ आगे करके उसकी जीन्स के बटन खोले, उसे थोड़ा सा ढीला किया और उसकी कच्छी में उंगलिया घुसेड कर उसकी गीली चूत में अपनी उंगलियो की पतवार से नाव चलाने लगी
श्रुति मेरी तरफ घूम गयी और मेरे होंठो पर किस्स करते हुए मुझे घिस्से देने लगी
मैं भी अपनी उंगलिया उसकी चूत में जोरों से चला रही थी
इसी बीच पापा ने उस लड़की को खड़ा किया और उसे कार के बोनट पर झुका कर पीछे से उसकी चूत में अपना लॅंड घुसेड़ दिया
उस वीराने में उसकी कराहती हुई सी सिसकारी गूँज उठी
“ओह…………उम्म्म्मममममममममममम…….पपाााआआआआ……”
उसके मुँह से पापा शब्द सुनते ही मेरी आँखे हैरत से फेल गई
यानी उसे अपनी बेटी बनाकर चोद रहे थे पापा
और ये बात वो भी जानती थी
अब मुझे पता नही ये मेरे पापा से कब से चुदवा रही है
पर इतना तो मुझे पता चल गया था की पापा जो काम मेरे साथ करने में शरमा रहे थे वो उसके साथ मुझे सोचकर वो खुल्ले मे कर रहे थे
इतनी भी क्या नाराज़गी पापा
मैं भी तो रेडी हूँ ना
आपने कभी पूछा ही नही मुझसे
पर कोई ना पापा
अब देखना
ऐसे-2 काम करूँगी ना की आप खुद ही मुझे नंगा करके चोदोगे
ये वादा रहा आपकी बेटी का
एक इंस्पेक्टर की बेटी का वादा
इतना सोचते-2 मेरी उत्तेजना को ऐसे पर लगे की मैं हवा में उड़ने लगी
वो तो श्रुति ने मेरी चूत में उंगलिया फँसाकर मुझे पकड़ रखे था
वरना मैं तो उड़ गयी होती उस आनंदमयी एहसास को महसूस करते हुए
हम दोनो की चूत की खीर एक साथ निकली
जिसे हमने एक दूसरे की आँखो में देखते हुए खाया
मेरा पाईनएप्पल जूस उसने पिया और उसका नारंगी का पानी मैने
इसी बीच पापा ने उस सलोनी की चूत के सारे दरवाजे ढीले कर दिए थे अपने धक्को से
उसके बदन के सारे कपड़े कब निकल गये मैं देख ही नही पाई
अब पापा उसे नंगा करके चोद रहे थे
चाँद की रोशनी में उसका नंगा शरीर लश्कारे मार रहा था
और अंत में जब पापा हुंकारने लगे तो अपना लैंड उन्होंने बाहर निकाला
और उसमे से निकल रही बूंदों से उस रंडी सलोनी को नहला दिया
उसने नीचे बैठकर उस रसीले पानी को अपने चेहरे और छाती पर छीड़कवाया
पूरे समय उसके मुँह से सिर्फ़ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह पापाsssssss ही निकल रहा था
शायद उसके मुँह से ये पापा शब्द का एहसास ही था जो मेरे पापा को यहाँ तक ले आया था
यही सच मैने उन्हे घर पर ही दे दिया होता तो उन्हे ऐसे खुले मे चुदाई नही करनी पड़ रही होती
खैर
अब ये भूल मैं जल्द सुधारने वाली थी
कुछ देर बाद उन दोनो ने अपने -2 कपड़े पहने और वहां से निकल गये
मैने और श्रुति ने भी अपना हुलिया ठीक किया और वहां से निकलकर उसने मुझे मेरे घर छोड़ा ओर वो वापिस चली गयी
पापा अभी घर नही आए थे
पर जब आएगे तो उन्हे एक अच्छा सा सर्प्राइज़ देने का मन बना चुकी थी मैं
Re: Police daughter sex story
और अगले ही पल पापा के लॅंड से पानी निकलना शुरू हो गया, जिसे उसने नीचे बैठकर अपने चेहरे और छाती पर छिड़कवाया ,पूरे समय उसके मुँह से सिर्फ़ ओह्ह्ह अहह पापा ही निकल रहा था, शायद उसके मुँह से ये पापा शब्द का एहसास ही था जो मेरे पापा को यहाँ तक ले आया था, यही सब मैने उन्हे घर पर ही दे दिया होता तो उन्हे ऐसे खुले मे चुदाई नही करनी पड़ रही होती,खैर, अब ये भूल मैं जल्द सुधारने वाली थी
कुछ देर बाद उन दोनो ने अपने -2 कपड़े पहने और वहां से निकल गये, मैने और श्रुति ने भी अपना हुलिया ठीक किया और उसने मुझे मेरे घर छोड़ा ओर वो वापिस चली गयी,पापा अभी घर नही आए थे, पर जब आएगे तो उन्हें एक अच्छा सा सरप्राइज देने का मन बना चुकी थी मैं.
------------
अब आगे
------------
पूरे रास्ते मैं वही सब देखकर बार - 2 उत्तेजित हो रही थी
मेरी तो चूत का पानी थमने का नाम ही नही ले रहा था
अपने रूम तक मैं कैसे पहुँची ये मैं ही जानती हूँ
मॉम भी मेरी बदहवास सी हालत देखकर मुझसे सवाल पूछती रह गयी की ये क्या हाल बना रखा है….क्या हुआ है….तबीयत तो ठीक है ना
पर मैं बिना कुछ बोले अपने रूम में घुस गयी और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया
अब उन्हे क्या बोलती
पापा को चुदाई करते देखकर आई हूँ मैं
और उसे देखकर जो खुशी महसूस हुई है वो अभी तक मेरी चूत से पानी बनकर रिस रही है
मॉम मेरा मूड अच्छे से जानती थी, इसलिए उसके बाद ज़्यादा पूछताछ नहीं की
मैने हमेशा की तरह अंदर आते ही अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और फिर से नंगी होकर फर्श पर लेट गयी
मेरी चिपचिपी चूत मेरे हाथो को चीख-2 कर बुला रही थी
और उसकी पुकार मैं कैसे अनसुना कर सकती थी
मेरी पतली-2 उंगलिया दौड़ पड़ी उस तरफ और उस प्यारी सी चूत को अपने कब्ज़े में लेकर उसमें से रिस रहा रस उसी के चेहरे पर रगड़कर उसे चुप करवाने की असफल कोशिश करने लगी
“अहह…….. ओह पपाााआआआआ……. क्या मस्त लॅंड है आपका……. प्लीज़ पापा…….डाल दो ना उसे अपनी प्यारी बेटी की इस रसीली चूत में …….. बोलो ना पापा……… कब डालोगे…….डालो ना पापा…..”
मुझे बंद आँखो के अंदर वही मंज़र फिर से दिखा
पर इस बार वो दूसरी सलोनी नहीं बल्कि मैं थी उसकी जगह
उसी पुलिया के नीचे पापा मुझे नंगा करके चोद रहे थे
पापा मुझे अपनी कार पर झुका कर , पीछे से मेरी चुदाई कर रहे थे
और उनका दनदनाता हुआ लोढ़ा मेरी नन्ही सी चूत के परखच्चे उड़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था
अभी कुछ देर पहले ही श्रुति के साथ मेरी चूत ने पानी बेहिसाब निकला था, पर अभी के लिए मैं इसे संभाल कर रखना चाहती थी
क्योंकि मुझे पापा को कुछ ऐसा सर्प्राइज़ देना था की उन्हे मज़ा भी आए और मेरा आगे का रास्ता भी खुल जाए
इसलिए अभी के लिए मैने उसे रोक दिया और अपनी चूत का सारा पानी इकट्ठा करके पी लिया
ये पानी मुझे एक दिन पापा को भी पिलाना था
अपनी उंगलियो से
या फिर सीधा उनके मुँह को वहां लगवाके
उम्म्म्ममम
ऐसी बाते सोचते ही मेरी चूत खुद ब खुद गीली होने लगती है
ऐसे ही चलता रहा तो मैं रोक नही पाऊँगी खुद को फिर से एक बार मास्टरबेट करने से
इसलिए मैने सारी बाते अपने दिमाग़ से निकाल फेंकी और नंगी ही भागती हुई बाथरूम में जाकर अपने तपते हुए शरीर को ठंडे पानी से शांत करने लगी
53839995.gif
माँ ने डिनर के लिए दरवाजा खड़काया पर मैने तबीयत का बहाना करके बोल दिया की अभी मन नही है
माँ : “ओके ,मैने खाना बना कर रख दिया है, मन हो तो खा लेना…पापा का भी खाना बना दिया है, वो तो आने के बाद ड्रिंक करेंगे अभी, और मुझे नींद आ रही है, ओके बेटा, गुड नाइट”
इतना कहकर वो चली गयी
मैं जानती थी वो ऐसा ही करेंगी
क्योंकि नींद के आगे वो किसी की नही सुनती
अभी 9 बज चुके थे, पापा भी आने ही वाले थे
मैने जल्दी से एक छोटी सी स्कर्ट और टी शर्ट पहन ली, अंदर कुछ भी नही था
उस ड्रेस में मैं सच में बहुत सैक्सी लग रही थी
आज मैं पापा के कानो से धुंवा निकालने वाली थी
मॉम सोने जा चुकी थी, करीब आधे घंटे बाद पापा भी आ गये
मैने जब दरवाजा खोला तो उनका मुँह खुला का खुला रह गया
ऐसी ड्रेस मैने आज तक नही पहनी थी उनके सामने
ये भी उन्ही कपड़ो में से एक थे जिन्हे मैं चाव-2 में ले तो आई थी पर मॉम के मना करने के बाद और पापा के गुस्से के डर से मैं उन्हे पहन ही नही पाई
पर अब माहौल बदल चुका था
मैं अपनी नन्ही सी गांड मटकाते हुए वापिस अपने रूम की तरफ चल दी
और पीछे से पापा की जलती हुई भूखी नज़रें मैं अपने हिप्स पर सॉफ महसूस कर पा रही थी
ऐसे पापा को तरसाने में कितना मज़ा आने वाला था इसका अंदाज़ा लगाकर ही मेरे निप्पल्स अपनी बेंच पर खड़े होकर हाहाकार मचा रहे थे
पर उन्हे इस वक़्त पापा नही देख पाए, उनका तो पूरा ध्यान मेरे पिछवाड़े पर था
जिसे देखकर वो अपने लॅंड को सहला रहे थे
आज फिर से मोटे पेग बनने वाले थे उनके
कुछ देर बाद उन दोनो ने अपने -2 कपड़े पहने और वहां से निकल गये, मैने और श्रुति ने भी अपना हुलिया ठीक किया और उसने मुझे मेरे घर छोड़ा ओर वो वापिस चली गयी,पापा अभी घर नही आए थे, पर जब आएगे तो उन्हें एक अच्छा सा सरप्राइज देने का मन बना चुकी थी मैं.
------------
अब आगे
------------
पूरे रास्ते मैं वही सब देखकर बार - 2 उत्तेजित हो रही थी
मेरी तो चूत का पानी थमने का नाम ही नही ले रहा था
अपने रूम तक मैं कैसे पहुँची ये मैं ही जानती हूँ
मॉम भी मेरी बदहवास सी हालत देखकर मुझसे सवाल पूछती रह गयी की ये क्या हाल बना रखा है….क्या हुआ है….तबीयत तो ठीक है ना
पर मैं बिना कुछ बोले अपने रूम में घुस गयी और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया
अब उन्हे क्या बोलती
पापा को चुदाई करते देखकर आई हूँ मैं
और उसे देखकर जो खुशी महसूस हुई है वो अभी तक मेरी चूत से पानी बनकर रिस रही है
मॉम मेरा मूड अच्छे से जानती थी, इसलिए उसके बाद ज़्यादा पूछताछ नहीं की
मैने हमेशा की तरह अंदर आते ही अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और फिर से नंगी होकर फर्श पर लेट गयी
मेरी चिपचिपी चूत मेरे हाथो को चीख-2 कर बुला रही थी
और उसकी पुकार मैं कैसे अनसुना कर सकती थी
मेरी पतली-2 उंगलिया दौड़ पड़ी उस तरफ और उस प्यारी सी चूत को अपने कब्ज़े में लेकर उसमें से रिस रहा रस उसी के चेहरे पर रगड़कर उसे चुप करवाने की असफल कोशिश करने लगी
“अहह…….. ओह पपाााआआआआ……. क्या मस्त लॅंड है आपका……. प्लीज़ पापा…….डाल दो ना उसे अपनी प्यारी बेटी की इस रसीली चूत में …….. बोलो ना पापा……… कब डालोगे…….डालो ना पापा…..”
मुझे बंद आँखो के अंदर वही मंज़र फिर से दिखा
पर इस बार वो दूसरी सलोनी नहीं बल्कि मैं थी उसकी जगह
उसी पुलिया के नीचे पापा मुझे नंगा करके चोद रहे थे
पापा मुझे अपनी कार पर झुका कर , पीछे से मेरी चुदाई कर रहे थे
और उनका दनदनाता हुआ लोढ़ा मेरी नन्ही सी चूत के परखच्चे उड़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था
अभी कुछ देर पहले ही श्रुति के साथ मेरी चूत ने पानी बेहिसाब निकला था, पर अभी के लिए मैं इसे संभाल कर रखना चाहती थी
क्योंकि मुझे पापा को कुछ ऐसा सर्प्राइज़ देना था की उन्हे मज़ा भी आए और मेरा आगे का रास्ता भी खुल जाए
इसलिए अभी के लिए मैने उसे रोक दिया और अपनी चूत का सारा पानी इकट्ठा करके पी लिया
ये पानी मुझे एक दिन पापा को भी पिलाना था
अपनी उंगलियो से
या फिर सीधा उनके मुँह को वहां लगवाके
उम्म्म्ममम
ऐसी बाते सोचते ही मेरी चूत खुद ब खुद गीली होने लगती है
ऐसे ही चलता रहा तो मैं रोक नही पाऊँगी खुद को फिर से एक बार मास्टरबेट करने से
इसलिए मैने सारी बाते अपने दिमाग़ से निकाल फेंकी और नंगी ही भागती हुई बाथरूम में जाकर अपने तपते हुए शरीर को ठंडे पानी से शांत करने लगी
53839995.gif
माँ ने डिनर के लिए दरवाजा खड़काया पर मैने तबीयत का बहाना करके बोल दिया की अभी मन नही है
माँ : “ओके ,मैने खाना बना कर रख दिया है, मन हो तो खा लेना…पापा का भी खाना बना दिया है, वो तो आने के बाद ड्रिंक करेंगे अभी, और मुझे नींद आ रही है, ओके बेटा, गुड नाइट”
इतना कहकर वो चली गयी
मैं जानती थी वो ऐसा ही करेंगी
क्योंकि नींद के आगे वो किसी की नही सुनती
अभी 9 बज चुके थे, पापा भी आने ही वाले थे
मैने जल्दी से एक छोटी सी स्कर्ट और टी शर्ट पहन ली, अंदर कुछ भी नही था
उस ड्रेस में मैं सच में बहुत सैक्सी लग रही थी
आज मैं पापा के कानो से धुंवा निकालने वाली थी
मॉम सोने जा चुकी थी, करीब आधे घंटे बाद पापा भी आ गये
मैने जब दरवाजा खोला तो उनका मुँह खुला का खुला रह गया
ऐसी ड्रेस मैने आज तक नही पहनी थी उनके सामने
ये भी उन्ही कपड़ो में से एक थे जिन्हे मैं चाव-2 में ले तो आई थी पर मॉम के मना करने के बाद और पापा के गुस्से के डर से मैं उन्हे पहन ही नही पाई
पर अब माहौल बदल चुका था
मैं अपनी नन्ही सी गांड मटकाते हुए वापिस अपने रूम की तरफ चल दी
और पीछे से पापा की जलती हुई भूखी नज़रें मैं अपने हिप्स पर सॉफ महसूस कर पा रही थी
ऐसे पापा को तरसाने में कितना मज़ा आने वाला था इसका अंदाज़ा लगाकर ही मेरे निप्पल्स अपनी बेंच पर खड़े होकर हाहाकार मचा रहे थे
पर उन्हे इस वक़्त पापा नही देख पाए, उनका तो पूरा ध्यान मेरे पिछवाड़े पर था
जिसे देखकर वो अपने लॅंड को सहला रहे थे
आज फिर से मोटे पेग बनने वाले थे उनके