कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

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rajaarkey
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Re: कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 21:25

गतान्क से आगे ......

“ जिस दिन तेरे जीजाजी गये उसके अगले दिन मैं तेरे और सुधीर के बीच सब बातें सुन चुकी हूँ. क्या क्या बता रहा था तू सुधीर को?” अब तो विकी के माथे पे पसीना आ गया. वो हकलाता हुआ बोला,

“ आपने सब सुन लिया? मैने ऐसा वैसा तो कुच्छ नहीं कहा.”

“ हाया…न… ऐसा वैसा कुच्छ नहीं कहा, सिर्फ़ विस्तार से अपनी बेहन की चुदाई का आँखों देखा हाल सुधीर को सुना दिया. जीजाजी तो काम कला में अनाड़ी हैं ना? तू बड़ा माहिर है ? और अब तो तेरे लंड को भी तेरी दीदी की चूत नसीब हो गयी है. अंधेरे का फ़ायदा उठा के तूने भी अपनी बेहन को ही चोद दिया.”

“ नहीं दीदी ये तो अंजाने में अंडर घुस गया.”

“ विकी सच सच बोल. दीदी को चोदने का मन करता है?”

“ हां दीदी बहुत करता है.”

“ क्यों?”

“ आप हो ही इतनी सेक्सी. जब से जवान हुआ हूँ आपके लिए तरस रहा हूँ.”

“ अच्छा अगर तुझे किसी और लड़की की दिला दूं तो?”

“ नहीं दीदी मुझे किसी और लड़की की नहीं चाहिए, मुझे तो सिर्फ़ आपकी…….”

“ हाँ हां बोल क्या बोल रहा है?”

“ दीदी मुझे तो सिर्फ़ आपकी ही चाहिए.एक बात और बोलूं तो आप बुरा तो नहीं मानोगी?”

“नहीं मानूँगी, बोल.”

“ आधा लंड तो आपकी चूत में घुस ही चुका है. अब पूरा भी अंडर चला जाए तो क्या फरक पड़ेगा? सिर्फ़ आज चोद लेने दो प्लीज़! आज के बाद फिर ऐसी ग़लती नहीं करूँगा.” विकी शरमाता हुआ बोला.

“ ये क्या कह रहा है विकी? एक भाई का अपनी सग़ी बहन को चोदना ठीक बात नहीं है.ये पाप है.”

“ किसी को पता नहीं लगेगा. आप कितनी अच्छी हो दीदी. मैने आज तक किसी लड़की को नहीं चोदा है.” विकी गिड़गिडता हुआ बोला.

“ देख विकी ये बात अच्छी तो नहीं है लेकिन अब तू मुझे आधा तो चोद ही चुका है, इसलिए मैं तुझे सिर्फ़ आज एक बार चोदने दूँगी. आज के बाद फिर कभी इस बारे में सोचना भी मत.”

“ सच दीदी ! आप कितनी अच्छी हो. लेकिन मैं तो चुदाई की कला में अनाड़ी हूँ, आपको सीखाना पड़ेगा. ” ये कहते हुए वो मेरी चूचियाँ मसल्ने लगा. मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी. मैं उसके विशाल लंड और बॉल्स को सहलाने लगी.

“ ठीक है सिखा दूँगी.”

“ लेकिन दीदी आप अपना गाउन तो उतार लो.”

“ क्यों गाउन उतारने की क्या ज़रूरत है?”

“ सिर्फ़ एक ही बार तो चोदना है, पूरी नंगी कर के चोदुन्गा.” ये कह कर विकी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर खींच लिया और मुझे उठा के खड़ा कर दिया. फिर उसने मेरा गाउन उतार दिया और अपनी लूँगी को जो उसके पैरों में फँसी हुई थी निकाल फेंका. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे. मैने पहली बार विकी का तना हुआ लंड इतने करीब से देखा और मेरी तो चीख ही निकल गयी.

“ ऊई मा ये क्या है?”

“ लंड है दीदी. आपने मेरा लंड पहले कभी नहीं देखा?”

“ तूने सब्को अपनी तरह समझ रखा है क्या ? मैं तेरी तरह तान्क झाँक नहीं करती.”

“ तो हाथ लगा के देखो ना.”

मैं उसके विशाल लंड को हाथ में ले कर सहलाती हुई बोली,

“ हाई राम! विकी तुझे पता है तेरा लंड कितना लंबा और मोटा है? इतना बड़ा लंड आदमियो का तो होता नहीं, ऐसा लंड तो घोड़े का होता है.”

“ हां दीदी एक दिन नापा था. एक फुट लंबा है और गोलाई में 8 इंच है.”

“ बाप रे! लंड है या बिजली का खुम्बा? पता नहीं मैं इसे झेल भी पाउन्गि या नहीं. ”

“ क्यों दीदी जीजाजी का भी तो ख़ासा मोटा है. उनका लंड तो आपकी चूत में बड़ी आसानी से जा रहा था.”

“ उनका लंड तो आदमी का लंड है ना घोड़े का तो है नहीं और ना ही मैं घोड़ी हूँ जो इस लंड को झेल सकूँ.” मैं प्यार से विकी के विशाल लंड पे आगे पीछे हाथ फेरने लगी. मेरी उंगलिओ के घेरे में तो उसका लंड आ नहीं रहा था. आज मेरा बरसों का सपना साकार होने जा रहा था लेकिन डर भी लग रहा था की कहीं मेरी चूत फॅट ना जाए. विकी ने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा. एक हाथ उसने मेरी टाँगों के बीच डाल दिया और मेरी चूत को अपनी मुट्ही में भर लिया. धीरे धीरे वो मेरी लंबी लंबी झांतों में हाथ फेर रहा था और कभी कभी चूत की दोनो फांकों के बीच उंगली रगड़ देता. फिर उसने दोनो हाथों से मेरे विशाल चूतरो को सहलाना शुरू कर दिया और उसका लंड मेरी चूत से टकराने लगा. मैने पंजों के बल ऊपर हो कर उसके लंड को अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी पेड़ की मोटी टहनी पे टाँगें दोनो तरफ किए लटक रही थी. विकी का उतावलापन बढ़ता जा रहा था. मेरे चूतरो को मसलता हुआ बोला,दीदी आपके चूतेर भी बहुत सेक्सी हैं.” मैं वासना की आग में बुरी तरह जल रही थी. विकी फिर बोला,

“ अब चोदु दीदी?”

“ हुउँ, चोद ले”. विकी ने मुझे अपनी बाहों में उठा के बिस्तेर पर चित लिटा दिया. उसने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और मोड़ के मेरी छाति से लगा दिया. इस मुद्रा में मेरी फूली हुई चूत और भी ज़्यादा उभर आई और उसका मुँह ऐसे खुल गया जैसे बरसों से लंड की प्यासी हो. विकी गौर से मेरी चूत के खुले हुए छेद को देख रहा था. फिर अचानक उसने मेरी टाँगों के बीच मुँह डाल दिया. वो जीभ से मेरी चूत के खुले हुए होंठों को चाटने लगा.


rajaarkey
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Re: कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 21:26

“आ….अया विकी ये क्या कर रहा है? एयाया………..” बहुत मज़ा आ रहा था. विकी चूत के कटाव में और कभी चूत के अंडर जीभ पेलने लगा. पहली बार किसी लड़की की चूत चाट रहा था लेकिन अनाड़ी बिकुल नहीं लग रहा था. उसने मेरी चूत को अच्छी तरह चॅटा और जितनी अंडर जीभ डाल सकता था उतनी अंडर जीभ को घुसेड़ा. मेरी चूत बुरी तरह रुस छ्चोड़ रही थी. मेरी झाँटें विकी के मुँह में घुस गयी थी लेकिन उसकी परवाह किए बिना वो मेरी चूत चाते जा रहा था. मेरे मुँह से “ …एयेए, …. ऊ उवई माआअ…. अयाया” जैसे वासना भरे शब्दों को सुन कर उसका जोश और भी बढ़ गया था. मैने भी जोश में आ कर उसका मुँह अपनी चूत पे मसल दिया. मेरी चूत तो गीली थी ही, झाँटें भी गीली हो चुकी थी. विकी का चेहरा मेरे रस से सन गया. मुझ से और नहीं सहा जा रहा था. एक बार तो झाड़ भी चुकी थी. मैं विकी के मुँह को अपनी चूत पे रगड़ते हुए बोली,

“ बस कर विकी, अब चोद अपनी दीदी को.” विकी ने उठ कर अपने मोटे लंड का सुपरा मेरी चूत के छेद पर टीका दिया,

“ इज़ाज़त हो तो पेल दूं दीदी?”

“ ऊओफ़ बदमाश ! अब तंग मत कर. इतनी देर से टाँगें चौड़ी कर के अपनी चूत तेरे हवाले क्यों की हुई है? अब चोद भी मेरे राजा.”

“ तो ये लो दीदी.” ये कहते हुए विकी ने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ ओउइ मया…….आ…..आआआः धीरे, तेरा बहुत मोटा है.” विकी का लंड फ़च से मेरी चूत को चीरता हुआ 4 इंच अंडर घुस गया. उसने एक बार फिर लंड को बाहर खींच के एक और ज़ोर का धक्का लगाया.

“ आआआअ……हह….ऊऊओह.” लॉडा 7 इंच घुस चुक्का था और मुझे ऐसा लग रहा था की अब मेरी चूत में और जगह नहीं है. मेरी वासना के साथ मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी. अभी तो 5 इंच और अंडर जाना बाकी था. इससे पहले कि मैं कुच्छ कहती विकी ने पूरा लॉडा बाहर खींच के पूरी ताक़त से एक भयंकर धक्का लगा दिया.

“ आआआआआआईयईईईईईईईईई………ओईईई… म्‍म्म्माआआअ मार गाइिईईई आआहह. एयेए…….आआआहह ……ऊओह छोड़ मुझे आ.एयेए…..आआआआः मैं मर् जाउन्गि” इस भयंकर धक्के से वो मोटा ताना 10 इंच अंडर घुस गया था. उस मोटे लॉड ने मेरी चूत इतनी फैला दी की बस फटने को हो रही थी. अंडर जाने की तो बिल्कुल जगह नहीं थी. हाई राम! पूरा लंड कैसे झेल पाउन्गि?

“ विकी बस कर मेरे राजा अब और अंडर मत डाल. मर जाउन्गि. तेरा बहुत बड़ा है.”

“ दीदी मैने सुना है लंड कितना ही बड़ा क्योन्ना हो औरत की चूत में समा ही जाता है.” एक तरफ डर भी लग रहा था और दूसरी तरफ विकी के एक फुट के लंड से चुदाई का मौका भी नहीं खोना चाहती थी. जब तक मरद का पूरा लॉडा चूत में ना जाए तब तक चुदाई का मज़ा ही क्या. विकी थोड़ी देर बिना हीले मेरे ऊपर पड़ा रहा और फिर जब तोड़ा दर्द कम हुआ तो धीरे धीरे लंड को मेरी चूत में अंडर बाहर करने लगा. इन छ्होटे छ्होटे धक्कों से मेरी चूत फिर से गीली होने लगी. अचानक उसने पूरा लॉडा बाहर खींच के बहुत ही ज़ोर का धक्का लगा दिया.

“ आाऐययईईईई….. आआअहह …..ऊऊऊओह …माआ….. ईइसस्सस्स………आअहह…..ईीइसस्सस्स. फाड़ डालेगा ? इतनी बेरहमी से चोद रहा है अपनी दीदी को. तेरी सग़ी बेहन हूँ. आआ…ह…. कुच्छ तो ख्याल कर. ऊीइ…. सच मच फॅट जाएगी, बेशरम!” इस धक्के से विकी का लॉडा जड़ तक मेरी चूत में समा गया था. उसके मोटे मोटे बॉल्स मेरी गांद से टकरा रहे थे. मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरी चूत विकी का एक फुट लंबा लॉडा निगल गयी थी. दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था.

rajaarkey
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Unread post by rajaarkey » 03 Nov 2014 21:27

“ नहीं फटेगी दीदी, मुझे यकीन था कि आपकी चूत मेरा लॉडा ज़रूर झेल लेगी.”

“ अच्छा ! तुझे ऐसा यकीन कैसे हो गया ? तुझे क्या पता इस वक़्त मेरी चूत का क्या हाल है.”

“ मेरी प्यारी दीदी की चूत बनी ही मेरे लौडे के लिए है. बोलो दीदी मैं ही पहला मर्द हूँ ना जिसने आपकी चूत सबसे पहले देखी?”

“ हां मेरे राजा तूने ही सबसे पहले मेरी चूत देखी थी.”

“ देखी ही नहीं चूत की महक भी मैने ही सबसे पहले ली है.”

“ हाँ ये बात भी सच है.”

“ तो फिर आपने सबसे पहले मुझे अपनी चूत क्यों नहीं दी?”

“ कैसे देती विकी, मैं तेरी बेहन हूँ.”

“ अब भी तो दे रही हो.”

“अब की बात तो अलग है. मैने दी कहाँ तूने ज़बरदस्ती ले ली.”

“ इतने प्यार से दे रही हो दीदी. इसे ज़बरदस्ती लेना कहते हैं?”

“ अब जब तूने ले ही ली है तो क्यों ना अच्छी तरह से दूं. मैं चाहती हूँ की आज तुझे औरत को चोदने का पूरा मज़ा मिले. और मैं तेरा अपनी दीदी को चोदने का सपना भी पूरा करना चाहती हूँ. जी भर के चोद ले अपनी प्यारी दीदी को.” विकी ने मेरी चूचियाँ दोनो हाथों में पकड़ के फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैं भी चूतर उचका उचका के उसके धक्कों का जबाब दे रही थी. विकी लॉडा पूरा निकाल के जड़ तक पेल रहा था. उसके बॉल्स मेरी गांद से टकरा रहे थे. मेरी चूत इतना ज़्यादा रस छ्चोड़ रही थी की विकी के हर धक्के के साथ मेरी चूत में से… फ़च… फ़च …. फ़च……… …फ़च…फ़च …..फ़च……. फ़च …..फ़च……फ़च और मेरे मुँह से आअहह…. अया…. आआआआऐययईईई …..आआआहह……ऊवू….वी …. एयेए ……..वी माआ…… आआआः…. .ओह्ह….. उम्म्म्म…… .का मधुर संगीत गूँज़ रहा था. विकी के मोटे लॉड ने मेरी चूत इतनी ज़्यादा चौड़ी कर दी थी की फटने को हो रही थी. जब जड़ तक लंड अंडर पेलता तो ऐसा लगता जैसे चूत फाड़ के छाती में घुस जाएगा. शायद विकी का लंड दुनिया के सबसे बड़े लौड़ों में से एक हो. इतना लंबा और मोटा लॉडा करोड़ो औरतों में किसी एक औरत को ही नसीब होता होगा. मैं सुचमुच बहुत भाग्यशाली हूँ. मैने टाँगें खूब चौड़ी कर रखी थी ताकि विकी को लंड पूरा अंडर पेलने में कोई रुकावट ना हो.

“ दीदी ये फ़च फ़च.. की आवाज़ कहाँ से आ रही है ?” विकी मेरी चूत में लंड अंडर बाहर करता हुआ बोला.

“ हट नलायक ! तुझे नहीं पता?”

“ मुझे कैसे पता होगा दीदी ? ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की को चोद रहा हूँ.”

“ तुझे कैसे बताउ ? तू तो बहुत खराब है.”

“ बताओ ना दीदी प्लीज़…”

“ देख विकी मेरी चूत बहुत गीली है. तू अपने लॉड से मेरी रस से भरी चूत में धक्के लगा रहा है ना, इसीलिए ये फ़च फ़च की आवाज़ आ रही है.”

“ ओ ! तो आपकी चूत भी आवाज़ करती है.”

“ सभी औरतों की चूत ऐसे ही आवाज़ करती है, बेवकूफ़.”

“ हाई क्या मादक आवाज़ है ! दीदी आपको मज़ा तो आ रहा है ना?” विकी धक्के मारता हुआ बोला,

“ ह्म्‍म्म….. बहुत मज़ा आ रहा है.”

“ मैं थोड़ा अनाड़ी हूँ.”

“ इतना भी अनाड़ी नहीं है. कितनी अच्छी तरह से चोद रहा है. सच, आज तक चुदाई में इतना मज़ा नहीं आया.”

“ झूट ! उस दिन जीजाजी से तो खूब चूतर उचका उचका के चुदवा रही थी.” विकी ज़ोर का धक्का लगाता हुआ बोला.

“ ओईइ…माआ…..एयाया…तेरे जीजाजी तो अनाड़ी हैं. उनसे जितना मज़ा ले सकती हूँ उतना लेने की कोशिश करती हूँ.”

“ क्यों दीदी जीजाजी अनादि क्यों हैं?”

“ अनाड़ी इसलिए हैं क्योंकि उन्हें औरत को चोदने की कला नहीं आती है.”

“ चोदने की कला से आपका क्या मतलब?”

“ अरे औरत को चोदने से पहले उसे गरम करना ज़रूरी है. गरम करने के बाद चोदने के भी काई तरीके होते हैं. सिर्फ़ औरत की टाँगें उठा के उसकी चूत में लंड पेलने का काम तो कोई भी कर सकता है.”

“ दीदी पता कैसे लगेगा कि औरत गरम हो गयी है?” विकी चूचिओ को मसल्ते हुए धक्का लगाता हुआ बोला.

“ ऊऊओफ़, जब औरत गरम हो जाती है तो उसकी चूत गीली हो जाती है. तभी तो आदमी लंड अंडर डाल पाता है.”

“ ओह दीदी ! लेकिन आपको तो मैने गरम किया नहीं था, आप तो बिल्कुल गीली थी. इसका मतलब आप पहले से ही गरम थी और मेरे ऊपर बलात्कार का इल्ज़ाम लगा रही थी.”

“ तुझे कैसे मालूम मैं गीली थी?”

“ अभी आप जब मेरे ऊपर चढ़ के किताब छ्चीन रही थी तो फिर से मेरे मुँह पे गिर पड़ी थी. आपका गाउन ऊपर चढ़ गया था. आपकी नंगी चूत मेरे होंठों पे रगड़ गयी थी. 2 मिनिट तो मैं साँस ही नहीं ले पाया. झाँटें मेरे मुँह में घुस गयी और मेरे होंठ और नाक पूरी तरह चूत के रस से गीले हो गये. ऊफ़ ! क्या मादक खुश्बू है आपकी चूत की और चूत के रस का स्वाद तो मानो अमृत से भी बढ़ कर. पहले मुझे लगा कि आपकी चूत शायद पेशाब से गीली है लेकिन जब मुँह पे हाथ लगाया तो लिसलिसा लगा. उस वक़्त मुझे समझ नहीं आया कि आपकी छूट से क्या निकल रहा है. बोलो आप गरम थी ना.” मेरी चोरी पकड़ी गयी थी.

“ तू सुचमुच बहुत चालाक है. देख विकी मैं भी तो औरत हूँ. तेरे जैसे मर्द के जिस्म से जिस औरत का जिस्म रगड़ता रहे, वो औरत गीली नहीं होगी तो क्या होगी. और फिर तेरा खड़ा हुआ लॉडा भी तो मेरे बदन और मेरी चूत से रगड़ रहा था. इतने मोटे लॉड की रगड़ खा कर किसी भी औरत की चूत गीली हो जाएगी. लेकिन इसका मतलूब ये तो नहीं कि मैं तुझसे चुदवाना चाहती थी और ना ही इसका मतलूब ये था कि तू ज़बरदस्ती मेरी चूत में अपना मूसल पेल दे.” मैं चूतर ऊपर उचका के विकी का पूरा लंड अपनी चूत में लेती हुई बोली. क्या दमदार मर्द था विकी ! ज़िंदगी में पहली बार चोद रहा था किसी औरत को, फिर भी झरने का नाम नहीं ले रहा था. एक घंटे से ज़्यादा तो हो ही चुक्का था चोदते हुए. उसके पहले भी आधे घंटे तक उसका लंड मेरी चूत में फँसा हुआ था. मैं तो दो बार झाड़ चुकी थी. मेरी टाँगें इतनी देर से फैली होने के कारण दर्द करने लगी थी. विकी के लंबे, मोटे लॉड के दमदार धक्कों से मेरी चूत में मीठा मीठा दर्द हो रहा था. चुदवाने में इतना मज़ा कभी नहीं आया था.

“ दीदी आपको चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है. बचपन से इसके लिए तरस रहा था”

“ सच ! जी भर के चोद ले अपनी दीदी को. तुझमें तो बहुत स्टॅमिना है लेकिन मेरी टाँगों में बहुत दर्द हो रहा है.”

“ अच्छा, तो आप मेरे ऊपर आ जाओ, फिर टाँगों में दर्द नहीं होगा.” ये कह कर विकी ने लंड बाहर खींच लिया और पीठ के बल लेट गया. उसका एक फुट लंबा लंड एकदम तना हुआ था और लंड का सुपरा आसमान की ओर था. पूरा लंड चूत के रस में सना हुआ था और चूत का रस पी कर और भी मोटा लग रहा था. बाप रे ! क्या भयंकर लॉडा था. ऐसी फनफनई हालत में देख के तो अच्छी लंबी तगड़ी औरतों के भी होश उड़ जाएँ. विश्वास नहीं हो रहा था कि, इतना बड़ा लंड अभी अभी पूरा मेरी चूत में घुसा हुआ था. उसके फंफनाए लंड को देख कर मेरी चूत की आग और भी भड़क उठी.

क्रमशः.........


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