गतान्क से आगे...
"वीरेन..",सुरेन सहाय,देविका & वीरेन खाने की मेज़ पे बैठे थे.प्रसून
पहले ही खा चुका था
"हाँ,भाय्या.",वीरेन ने चम्चे से चावल का 1 नीवाला अपने मुँह मे डाला.
"..मैने & देविका ने प्रसून के बारे मे कुच्छ सोचा है."
"क्या?",वीरेन ने 1 नज़र अपनी भाभी पे डाली तो देविका सर झुका के खाने लगी.
"अगर हम प्रसून की शादी करा दें तो कैसा रहेगा?"
"क्या?!",वीरेन का चमचा मुँह की ओर ले जा रहा हाथ बीच मे ही रुक
गया,"..मगर भाय्या ये कैसे संभव है."
"तुम ही बताओ भाई हमारे बाद भी उसकी देख-भाल के लिए को तो चाहिए ना!"
"आप ट्रस्ट तो बना ही रहे हैं."
"लेकिन क्या ट्रस्ट उसे इंसान का प्यार दे सकता है?",ये देविका की आवाज़ थी.
"इस बात की क्या गॅरेंटी है की उसकी पत्नी उसे सच्चा प्यार देगी & उसकी
दौलत के लालच मे उस से शादी नही करेगी?",वीरेन ने देविका को देखा.
"हम ट्रस्ट की बात & उस ट्रस्ट को चलाने के तरीके के बारे मे सब उस लड़की
& उसके परिवार को बता देंगे.ये सॉफ कर दिया जाएगा की प्रसून की पत्नी को
1 खास रकम हर महने दी जाएगी मगर ट्रस्ट के काम मे उसका कोई दखल नही होगा
& अगर खुदा ना ख़ास्ते प्रसून की मौत हो जाती है तो सभी कुछ ट्रस्ट के
पास रहेगा जोकि उसे समाज सेवा के लिए दान कर देगा.",देविका ने अपने देवर
को जवाब दिया
"लेकिन.."
"लेकिन क्या भाई?"
"भाय्या,मान लो कोई लड़की आपको मिल भी जाती है जोकि ज़रूरतमंद है.प्रसून
से शादी करके उसकी परेशानिया दूर हो जाएँगी मगर क्या 1 लड़क को केवल पैसे
की ज़रूरत होती है.भाय्या,इंसान की पैसे & खाने-पीने के अलावा भी 1
ज़रूरत होती है-जिस्म की.अगर कभी उस लड़की ने इसके लिए कोई ऐसा-वैसा कदम
उठा लिया तो?"
"वो सब मैं संभाल लूँगी.",देविका ने बोला तो वीरेन चुप हो गया.
"फिर तो कोई परेशानी की बात ही नही है.",उसने चमचा उठाया & खाना खाने
लगा.देविका ने उसकी बात मे छिपा व्यनग्य समझ लिया था.उसे गुस्सा तो बहुत
आया मगर वो खामोशी से खाना खाती रही.
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"आआहह...आहह....",रजनी इंदर के बिस्तर पे पूरी नंगी पड़ी हुई थी & वो
उसकी कमर के पास घुटनो पे बैठा उसकी बाई टांग हवा मे उठा के उसकी
अन्द्रुनि जाँघ को चूमे जा रहा था.रजनी की झांतो भरी गीली चूत उसके चेरे
से बस कुच्छ ही दूरी पे थी मगर वो उसने उसे अभी तक च्छुआ भी नही था.रजनी
की 32 साइज़ की छातिया जोश मे थोड़ी और बड़ी हो गयी थी & उनके काले
निपल्स किशमिश के दानो की तरह दिख रहे थे.
इंदर उसकी दाई तरफ उसकी ओर अपने पैर कर लेट गया & उसकी जंघे फैला के उसकी
झांतो भरी चूत को चूम लिया,"..ऊहह...",रजनी छटपटा के उस से अलग होते हुए
जंघे बंद करने की कोशिश करने लगी तो इंदर ने मज़बूती से उसकी जाँघो को
थाम के और फैला दिया फिर 1 हाथ से उसकी झांतो को अलग किया & उसकी चूत की
दरार को चूम लिया,"..आअनह..!"
इंदर ने अपनी टाँगे उसके बदन के दोनो ओर रखी & अंडरवेर मे क़ैद अपने लंड
को उसकी चूचियो पे दबाते हुए उसकी चूत चाटने मे जुट गया.रजनी का तो जोश
से बुरा हाल था,वो बेचैनी से अपनी कमर हिलाते हुए इंदर की जाँघो को नोचती
हुई झाडे जा रही थी.इंदर काफ़ी देर तक उसकी चूत चाटता रहा,रजनी की चूचियो
पे दबा उसका लंड अब रजनी के दिल मे हुलचूल मचा रहा था.वो जानती थी की
उसका कुँवारापन अब बस कुच्छ ही पॅलो का मेहमान है.
Badla बदला compleet
Re: Badla बदला
इंदर उसके उपर से उठा & खड़ा होके अपना अंडरवेर निकाल दिया.रजनी ने चोर
निगाहो से उसके लंड को देखा & अपने निचले होंठ को दन्तो तले दबा
लिया.काली झांतो से घिरा उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था.उसके दिल ज़ोरो से
धड़कने लगा.इंदर बिस्तर पे आया & उसके उपर लेट के उसे चूमने लगा.जवाब मे
वो भी उसे बाहो मे भर चूमने लगी.उसका लंड अब सीधा उसकी चूत पे दबा हुआ था
& उसके दिल मे मस्ती भर रही थी.
इंदर उठा & उसकी फैली टाँगो कोअपनी टांगे फैला के और फैलाया फिर अपना
दाया हाथ नीचे ले जाके लंड उसकी चूत पे जमाया & 1 धक्का दिया मगर लंड
फिसल गया & अंदर नही घुसा.रजनी की आनच्छुई चूत बहुत ज़्यादा कसी हुई
थी.इंदर घुटनो पे बैठ गया & फिर बाए हाथ की उंगलियो से उसने चूत को
फैलाया & 1 बार फिर लंड पकड़ के अंदर घुसाने की गरज से धक्का
मारा,"..आअहह...!"
इस बार लंड इंच अंदर घुसा गया.इंदर फ़ौरन दर्द से छटपटाती रजनी के उपर
लेट गया & उसके चेहरे को चूमने लगा.चूमते हुए उसने धीरे 1-1 इंच करके लंड
को अंदर धँसना शुरू किया.रजनी को बहुत दर्द हो रहा था & उसकी आँखे भिच
गयी थी & चेहरे पे दर्द की लकीरें भी खिंच गयी थी.
इंदर उसे दिलासा देता हुआ अपना 8 इंच लंबा लंड 6 इंच तक घुसा चुका था.अब
उसने घुसना रोक के रजनी को चूमने सहलाने पे ध्यान लगाया.उसे प्यार से
पुच्कार्ते हुए वो उसकी चूचियो को हल्के-2 दबाता हुआ उसके चेहरे को चूम
रहा था,"बस अभी सारा दर्द दूर हो जाएगा,रजनी...थोड़ा सब्र रखो."
थोड़ी ही देर मे रजनी 1 बार फिर से उसकी किस लेने लगी थी .इंदर समझ गया
की अब उसकी तकलीफ़ मिट गयी है.वो थोड़ा सा उठा & उसने हल्के-2 धक्के
लगाने शुरू कर दिए,"..उउगगघह....हहुउऊन्न्नह...!",रजनी की आहे भी धक्को
के साथ शुरू हो गयी.अभी भी इंदर ने लंड पूरा अंदर नही घुसाया था.थोड़ी ही
देर मे रजनी ने अपनी टांगे उठा ली & अपने तलवे इंदर की जाँघो के पिच्छले
हिस्से पे जमा दिए.इंदर समझ गया की उसकी प्रेमिका अब मस्त हो गई है.अब
उसने धक्को की रफ़्तार बढ़ाई.
"हाआऐययईईईईई....!",ऐसा करने से उसका बचा-खुचा लंड भी अंदर घुसा गया था &
रजनी की चीख निकल गयी थी मगर इस बार इंदर रुका नही & वैसे ही धक्के लगाता
रहा. थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद रजनी भी फिर से मस्तियो मे खोने
लगी.इंदर का चेहरा तमतमा गया था.बहुत देर से उसने अपने को रोका हुआ था.अब
रजनी की चूत का कसाव,उसके चेहरे पे च्छाई मस्ती उसे बेकाबू कर रही थी.वो
झुक के उसकी चूचिया चूस्ते हुए बहुत ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
रजनी पहली बार चुद रही थी & इंदर के मज़बूत लंड के क़ायल धक्के वो
ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई.तभी उसकी चूत मे खलबली मचा गयी &
उसका दिल किया की अपनी जाँघो मे उसे भींच इंदर के लंड को अपने और अंदर ले
ले.उसने उसकी कमर पे अपनी टाँगे कस्के उसकी पीठ पे अपनी बाहो का कसाव भी
बढ़ा दिया & बिस्तर से उठाए हुए इंदर को बेतहाशा चूमने लगी.वो ज़िंदगी मे
पहली बार 1 मर्द के लंड से झाड़ रही थी.ठीक उसी वक़्त उसकी चूत मे उसे
कुच्छ गर्म सा महसूस हुआ.रजनी ने पहली बार 1 मर्द का पानी अपने अंदर लिया
था.
झाड़ा हुआ इंदर उसकी गर्दन मे मुँह छिपाये हाँफ रहा था & रजनी उसके सर को
बड़े प्यार से सहला रही थी.उसके चेहरे पे मुस्कान थी-असीम संतोष & खुशी
की मुस्कान.
इंदर ने रजनी की चूत से अपना सिकुदा लंड बाहर खींचा तो देखा की उसपे दोनो
के मिले-जुले पानी के अलावा थोड़ा खून भी लगा हुआ था,"मैने तुम्हे बहुत
तकलीफ़ पहुचाई ना?",उसने रजनी के चेहरे पे प्यार से हाथ फेरा.
"बिल्कुल भी नही.",रजनी उठी & अपने प्रेमी को चूम लिया,"..अभी आती
हू.",वो बिस्तर से उतरी & बाथरूम चली गयी.जब वो बाथरूम से बाहर आई तो
देखा की इंदर बिस्तर पे लेटा तौलिए से अपना लंड पोंच्छ रहा है.
बिस्तर के करीब पहुँचते ही इंदर ने उसे फिर से अपने आगोश मे खींच
लिया,"आज यही रुक जाओ?",दोनो करवट से लेटे हुए थे & इंदर की बाई बाँह के
घेरे मे रजनी की पीठ थी & दाए मे उसकी कमर.
"पागल हो!मेरी नौकरी च्छुड़वावगे!"
"तो छ्चोड़ दो ना & यहा मेरे साथ रहो..",इंदर ने उसके बदन को अपने जिस्म
से बिल्कुल सटा लिया,"..मैं तुम्हे अपनी बीवी बनाना चाहता हू."
रजनी की आँखे फिर से भर आई....उपरवाले ने 1 ही दिन मे उसे कितनी खुशिया
नवाज़ने का फ़ैसला किया था!
निगाहो से उसके लंड को देखा & अपने निचले होंठ को दन्तो तले दबा
लिया.काली झांतो से घिरा उसका लंड बहुत बड़ा लग रहा था.उसके दिल ज़ोरो से
धड़कने लगा.इंदर बिस्तर पे आया & उसके उपर लेट के उसे चूमने लगा.जवाब मे
वो भी उसे बाहो मे भर चूमने लगी.उसका लंड अब सीधा उसकी चूत पे दबा हुआ था
& उसके दिल मे मस्ती भर रही थी.
इंदर उठा & उसकी फैली टाँगो कोअपनी टांगे फैला के और फैलाया फिर अपना
दाया हाथ नीचे ले जाके लंड उसकी चूत पे जमाया & 1 धक्का दिया मगर लंड
फिसल गया & अंदर नही घुसा.रजनी की आनच्छुई चूत बहुत ज़्यादा कसी हुई
थी.इंदर घुटनो पे बैठ गया & फिर बाए हाथ की उंगलियो से उसने चूत को
फैलाया & 1 बार फिर लंड पकड़ के अंदर घुसाने की गरज से धक्का
मारा,"..आअहह...!"
इस बार लंड इंच अंदर घुसा गया.इंदर फ़ौरन दर्द से छटपटाती रजनी के उपर
लेट गया & उसके चेहरे को चूमने लगा.चूमते हुए उसने धीरे 1-1 इंच करके लंड
को अंदर धँसना शुरू किया.रजनी को बहुत दर्द हो रहा था & उसकी आँखे भिच
गयी थी & चेहरे पे दर्द की लकीरें भी खिंच गयी थी.
इंदर उसे दिलासा देता हुआ अपना 8 इंच लंबा लंड 6 इंच तक घुसा चुका था.अब
उसने घुसना रोक के रजनी को चूमने सहलाने पे ध्यान लगाया.उसे प्यार से
पुच्कार्ते हुए वो उसकी चूचियो को हल्के-2 दबाता हुआ उसके चेहरे को चूम
रहा था,"बस अभी सारा दर्द दूर हो जाएगा,रजनी...थोड़ा सब्र रखो."
थोड़ी ही देर मे रजनी 1 बार फिर से उसकी किस लेने लगी थी .इंदर समझ गया
की अब उसकी तकलीफ़ मिट गयी है.वो थोड़ा सा उठा & उसने हल्के-2 धक्के
लगाने शुरू कर दिए,"..उउगगघह....हहुउऊन्न्नह...!",रजनी की आहे भी धक्को
के साथ शुरू हो गयी.अभी भी इंदर ने लंड पूरा अंदर नही घुसाया था.थोड़ी ही
देर मे रजनी ने अपनी टांगे उठा ली & अपने तलवे इंदर की जाँघो के पिच्छले
हिस्से पे जमा दिए.इंदर समझ गया की उसकी प्रेमिका अब मस्त हो गई है.अब
उसने धक्को की रफ़्तार बढ़ाई.
"हाआऐययईईईईई....!",ऐसा करने से उसका बचा-खुचा लंड भी अंदर घुसा गया था &
रजनी की चीख निकल गयी थी मगर इस बार इंदर रुका नही & वैसे ही धक्के लगाता
रहा. थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद रजनी भी फिर से मस्तियो मे खोने
लगी.इंदर का चेहरा तमतमा गया था.बहुत देर से उसने अपने को रोका हुआ था.अब
रजनी की चूत का कसाव,उसके चेहरे पे च्छाई मस्ती उसे बेकाबू कर रही थी.वो
झुक के उसकी चूचिया चूस्ते हुए बहुत ज़ोर के धक्के लगाने लगा.
रजनी पहली बार चुद रही थी & इंदर के मज़बूत लंड के क़ायल धक्के वो
ज़्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर पाई.तभी उसकी चूत मे खलबली मचा गयी &
उसका दिल किया की अपनी जाँघो मे उसे भींच इंदर के लंड को अपने और अंदर ले
ले.उसने उसकी कमर पे अपनी टाँगे कस्के उसकी पीठ पे अपनी बाहो का कसाव भी
बढ़ा दिया & बिस्तर से उठाए हुए इंदर को बेतहाशा चूमने लगी.वो ज़िंदगी मे
पहली बार 1 मर्द के लंड से झाड़ रही थी.ठीक उसी वक़्त उसकी चूत मे उसे
कुच्छ गर्म सा महसूस हुआ.रजनी ने पहली बार 1 मर्द का पानी अपने अंदर लिया
था.
झाड़ा हुआ इंदर उसकी गर्दन मे मुँह छिपाये हाँफ रहा था & रजनी उसके सर को
बड़े प्यार से सहला रही थी.उसके चेहरे पे मुस्कान थी-असीम संतोष & खुशी
की मुस्कान.
इंदर ने रजनी की चूत से अपना सिकुदा लंड बाहर खींचा तो देखा की उसपे दोनो
के मिले-जुले पानी के अलावा थोड़ा खून भी लगा हुआ था,"मैने तुम्हे बहुत
तकलीफ़ पहुचाई ना?",उसने रजनी के चेहरे पे प्यार से हाथ फेरा.
"बिल्कुल भी नही.",रजनी उठी & अपने प्रेमी को चूम लिया,"..अभी आती
हू.",वो बिस्तर से उतरी & बाथरूम चली गयी.जब वो बाथरूम से बाहर आई तो
देखा की इंदर बिस्तर पे लेटा तौलिए से अपना लंड पोंच्छ रहा है.
बिस्तर के करीब पहुँचते ही इंदर ने उसे फिर से अपने आगोश मे खींच
लिया,"आज यही रुक जाओ?",दोनो करवट से लेटे हुए थे & इंदर की बाई बाँह के
घेरे मे रजनी की पीठ थी & दाए मे उसकी कमर.
"पागल हो!मेरी नौकरी च्छुड़वावगे!"
"तो छ्चोड़ दो ना & यहा मेरे साथ रहो..",इंदर ने उसके बदन को अपने जिस्म
से बिल्कुल सटा लिया,"..मैं तुम्हे अपनी बीवी बनाना चाहता हू."
रजनी की आँखे फिर से भर आई....उपरवाले ने 1 ही दिन मे उसे कितनी खुशिया
नवाज़ने का फ़ैसला किया था!
Re: Badla बदला
"क्या हुआ?"
"कुच्छ नही...यह खुशी के आँसू है मगर इंदर मेरा नौकरी छ्चोड़ना ग़लत होगा."
"मगर क्यू?"
"इंदर,हम दोनो की मिली-जुली आमदनी से हम जितने आराम से रह सकते हैं वो
तुम्हारे अकेले की आमदनी से तो संभव नही है ना>"
"ये तो है..",इंदर के माथे पे भी परेशानी की लकीरे उभर आई,"..मगर तुम
वाहा एस्टेट मे रहोगी & मैं यहा,मैं तो मर ही जाऊँगा!",इंदर की आवाज़ मे
बेचैनी भरी हुई थी.रजनी ने झट से उसके मुँह पे हाथ रखा,"..ऐसी मनहूस
बातें ना करो."
"तो बताओ ना क्या करू?",अब रजनी भी सोच मे पड़ गयी थी.उसने इंदर को सीधा
लिटाया & उसके सीने पे सर रख दिया....उसे उसके सपनो को सच करने वाला
शहज़ादा मिल गया था मगर ज़िंदगी की कड़वी सचाईयाँ अब दोनो के बीच रुकावट
खड़ी कर रही थी.तभी उसके दिमाग़ मे बिजली कौंधी.
"1 रास्ता है इंदर..",वो उसके सीने से उठ गयी,"..हमारे एस्टेट मे मॅनेजर
की जगह खाली है."
"तो वो मुझे कैसे मिलेगी?"
"और लोग भी अर्ज़ी देंगे.सहाय जी मुझे ही क्यू रखेंगे?"
"क्यूकी तुम काबिल हो & मैने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया है."
"मतलब?...तुम उन्हे हमारे बारे मे बतओगि.."
"नही!..पागल हो क्या?!अभी अपने बारे मे बताउन्गी तो उनका ध्यान कभी भी तुम्हारी
काबिलियत पे नही जाएगा केवल मेरी सिफारिश पे रहेगा."
"फिर कैसे करोगी?"
"वो तुम मुझपे छ्चोड़ दो.बस ये समझो की तुम्हे नौकरी मिल गयी..",उसने
वापस अपना सर उसके सीने पे रखा,"..फिर कुच्छ दीनो का इंतेज़ार & फिर हम
शादी कर लेंगे."
"ओह्ह...रजनी..आइ लव यू!",इंदर ने करवट लेते हुए रजनी को पलटा के अपने
नीचे कर लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा,रजनी गुदगुदी होने से
हँसने लगी.इंदर का लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था & उसे ये एहसास बहुत भला
लग रहा था.
इंदर भी उसके जिस्म के एहसास & उसके बदन से आ रही खुश्बू से फिर से गरम
हो गया था & उसका लंड फिर से जागने लगा था.इंदर ने रजनी का हाथ पकड़ के
नीचे ले जाके अपना लंड उसे थमा दिया तो उसने शर्मा के हाथ पीछे खींच लिया
मगर इंदर ने दोबारा हाथ लंड पे रखा & वही दबाए रखा जब तक की रजनी ने उसे
अपनी मुट्ठी मे कस ना लिया.
रजनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी थी,"रजनी..",इंदर के इसरार पे रजनी ने
आँखे खोली तो इंदर ने उसे नीचे देखने को कहा.रजनी के होंठो पे शर्म भरी
हँसी फैल गयी मगर इंदर ने मनुहार करके उसे लंड हिलाते हुए देखने पे राज़ी
कर ही लिया.
रजनी के लिए ये सब बिल्कुल नया & मस्ती भरा एहसास था.इंदर के तने लंड के
एहसास ने उसे भी गरम कर दिया था.थोड़ी ही देर बाद उसने खुद ही इंदर के
लंड के नीचे लटक रहे उसकेआंदो को सहलाया तो इंदर समझ गया की रजनी पूरी
तरह से अब उसके प्यार मे पागल हो चुकी है.उसके चेहरे पे जीत की मुस्कान
फैल गयी.उसने उसे सीधा किया & उसकी टाँगे फैला के 1 बार फिर उसकी चूत मे
अपना लंड घुसा उसकी चुदाई मे लग गया.
दोस्तो अब तक की कहानी के बारे मे अपनी राय ज़रूर देआपका दोस्त राज शर्मा
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क्रमशः.........
"कुच्छ नही...यह खुशी के आँसू है मगर इंदर मेरा नौकरी छ्चोड़ना ग़लत होगा."
"मगर क्यू?"
"इंदर,हम दोनो की मिली-जुली आमदनी से हम जितने आराम से रह सकते हैं वो
तुम्हारे अकेले की आमदनी से तो संभव नही है ना>"
"ये तो है..",इंदर के माथे पे भी परेशानी की लकीरे उभर आई,"..मगर तुम
वाहा एस्टेट मे रहोगी & मैं यहा,मैं तो मर ही जाऊँगा!",इंदर की आवाज़ मे
बेचैनी भरी हुई थी.रजनी ने झट से उसके मुँह पे हाथ रखा,"..ऐसी मनहूस
बातें ना करो."
"तो बताओ ना क्या करू?",अब रजनी भी सोच मे पड़ गयी थी.उसने इंदर को सीधा
लिटाया & उसके सीने पे सर रख दिया....उसे उसके सपनो को सच करने वाला
शहज़ादा मिल गया था मगर ज़िंदगी की कड़वी सचाईयाँ अब दोनो के बीच रुकावट
खड़ी कर रही थी.तभी उसके दिमाग़ मे बिजली कौंधी.
"1 रास्ता है इंदर..",वो उसके सीने से उठ गयी,"..हमारे एस्टेट मे मॅनेजर
की जगह खाली है."
"तो वो मुझे कैसे मिलेगी?"
"और लोग भी अर्ज़ी देंगे.सहाय जी मुझे ही क्यू रखेंगे?"
"क्यूकी तुम काबिल हो & मैने उन्हे तुम्हारे बारे मे बताया है."
"मतलब?...तुम उन्हे हमारे बारे मे बतओगि.."
"नही!..पागल हो क्या?!अभी अपने बारे मे बताउन्गी तो उनका ध्यान कभी भी तुम्हारी
काबिलियत पे नही जाएगा केवल मेरी सिफारिश पे रहेगा."
"फिर कैसे करोगी?"
"वो तुम मुझपे छ्चोड़ दो.बस ये समझो की तुम्हे नौकरी मिल गयी..",उसने
वापस अपना सर उसके सीने पे रखा,"..फिर कुच्छ दीनो का इंतेज़ार & फिर हम
शादी कर लेंगे."
"ओह्ह...रजनी..आइ लव यू!",इंदर ने करवट लेते हुए रजनी को पलटा के अपने
नीचे कर लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा,रजनी गुदगुदी होने से
हँसने लगी.इंदर का लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था & उसे ये एहसास बहुत भला
लग रहा था.
इंदर भी उसके जिस्म के एहसास & उसके बदन से आ रही खुश्बू से फिर से गरम
हो गया था & उसका लंड फिर से जागने लगा था.इंदर ने रजनी का हाथ पकड़ के
नीचे ले जाके अपना लंड उसे थमा दिया तो उसने शर्मा के हाथ पीछे खींच लिया
मगर इंदर ने दोबारा हाथ लंड पे रखा & वही दबाए रखा जब तक की रजनी ने उसे
अपनी मुट्ठी मे कस ना लिया.
रजनी की आँखे शर्म से बंद हो गयी थी,"रजनी..",इंदर के इसरार पे रजनी ने
आँखे खोली तो इंदर ने उसे नीचे देखने को कहा.रजनी के होंठो पे शर्म भरी
हँसी फैल गयी मगर इंदर ने मनुहार करके उसे लंड हिलाते हुए देखने पे राज़ी
कर ही लिया.
रजनी के लिए ये सब बिल्कुल नया & मस्ती भरा एहसास था.इंदर के तने लंड के
एहसास ने उसे भी गरम कर दिया था.थोड़ी ही देर बाद उसने खुद ही इंदर के
लंड के नीचे लटक रहे उसकेआंदो को सहलाया तो इंदर समझ गया की रजनी पूरी
तरह से अब उसके प्यार मे पागल हो चुकी है.उसके चेहरे पे जीत की मुस्कान
फैल गयी.उसने उसे सीधा किया & उसकी टाँगे फैला के 1 बार फिर उसकी चूत मे
अपना लंड घुसा उसकी चुदाई मे लग गया.
दोस्तो अब तक की कहानी के बारे मे अपनी राय ज़रूर देआपका दोस्त राज शर्मा
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क्रमशः.........