waiter mez pe kamini ka khana laga raha tha magar uski bhukh to viren
ki baato se gayab ho gayi thi.kis ada se usne uskikhubsurati ki tareef
kar di thi!..lekin vo kya kare..kya haan kar de..ya nahi?....fir use
prasun ke bare me uski kahi baate yaad aa gayi & vo aur gehri soch me
pad gayi..viren kya 1 kalakar ki haisiyat se uski tasvir banane ki
baat kar raha tha ya fir uska maqsad kuchh aur tha..jaise ki apne
bhai-bhabhi ki vakil ke kareeb aana taki vo unki baate jan sake..lekin
vo to kehta hai ki use paiso se koi matlab nahi...par vo jhuth bhi to
bol sakta hai..
"ma'am.",waiter ne bola to uski soch ka silsila tuta,"..i hope
everything's fine?"
"yes.thanx.",kamini ne khana shuru kar diya.is sahay parivar ke bare
me vo baad me sochegi.aaj ke liye dimagh ki itni kasrat kafi thi.
Suren Sahay apne bistar pe tange failaye nange baithe the & Devika
unki dayi taraf unki tango se sat ke leti unke soye lund ko apni zuban
se jaga rahi thi,"devika..",suren ji ne side-table se vahi narangi
rang ki dibiya utha ke 1 goli apne munh me dali.
"hmm...",devika ne lund ko mazbuti se pakad ke uske supade ko chusa.
"tumhare dimagh me Prasun ki shadi ka khayal aakhir aaya kaise",unhone
uske baal sehlaye.
"bas aise hi.",devika ab unki tango ko aur faila unke beech let ke
lund se khel rahi thi.
"tumhe pura yakeen hai ki ye baat thik hogi?"
"haan,aap kyu puchh rahe hain?",devika ne 1 pal ko lund munh se nikala
& fir vapas chusne lagi.uski badi-2 aankhe upar ho apne pati ki or hi
dekh rahi thi.
"sabki baato se mujhe bhi lagta hai ki pata nahi ye thik hoga ki
nahi....ohhh...!",devika ne unke ande pakad ke khinchte hue lund ke
chhed pe pani jibh chala di thi & suren ji ab pure josh me aa gaye
the.devika ne lund munh se nikala & utha ke unke dono taraf apne
ghutne tika ke unki god me baith gayi.uske jism pe bas 1 lal rang ka
bra tha jiske gale me se uski masti ke karan aur bhi badi ho gayi
chhatiyo ka cleavage chamak raha tha.
"Kamini Sharan ne to sab samjha diya hai na..",devika apne ghutno pe
khadi hui & apna daya hath peechhe le jate hue unke khade lund ko
pakda & apni chut ke neeche laga uspe baithne lagi.2 raato se uske
pati ne use nahi choda tha & pichhle 2 dino se Shiva ko bhi savere-2
estate ke round pe nikalna tha so vo bhi savere uski chudai nahi kar
paya tha.is wajah se kamini bahut pyasi thi & is waqt use chudai ke
alawa kuchh aur nahi sujh raha tha.
"..aap bilkul mat ghabraiye.sab thik hoga.",devika ko apni gand pe
suren ji ki jhante gudgudi karti mehsus hui to vo samajh gayi ki lund
jud tak uski chut me ghus chuka tha.vo aage jhuki & apne pati ko chum
liya.suren ji ka dil bahut zoro se dhadak raha tha....ye dawa bilkul
kaam nahi kar rahi kya?..is khayal ne unhe thoda & pareshan kar diya.
devika ne pati ko pareshan dekha to samjha ki bete ki chinta abhi bhi
unhe sata rahi hai.usne apne bra ka baaya cup neeche kiya & apni
chhati nikal apne pati ke munh me bhar di & aur uchhal-2 kar unse
chudne lagi.suren ji ka dil unhe pareshan kar raha tha magar jaise hi
devika ke gulabi,kade nipple ka swad unhone chakha unke dil me bhi
apni biwi ke jism ke sath khelne ki chah unki bimari ke upar havi ho
gayi.
unhone uski baayi chhati chuste hue uski gand ko masla & fir dusra cup
bhi neeche kiya.devika apne pati ki harkato se ye dekh khush hui ki
usne unka dhayn unki pareshaniyo se hata diya hai.usne unke sar ko
apne seene pe aur daba liya & kamar hila-2 ke apni manzil ki or badhne
lagi.
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
kramashah.......
Badla बदला compleet
Re: Badla बदला
गतान्क से आगे...
कामिनी अपने बिस्तर पे लेटी वीरेन सहाय से हुई मुलाकात के बारे मे सोच
रही थी.वो उस इंसान को समझ नही पा रही थी.कभी वो उसे बिल्कुल अच्छा लगता
तो कभी उसे उसपे शक़ होता!आख़िर वो थी ही ऐसे पेशे मे.जो भी हो 1 बात तो
पक्की थी की वीरेन 1 बहुत खूबसूरत मर्द था मगर केवल इस बिना पे तो वो
उसकी बात नही मान सकती थी.उसने सोच लिया की अगर अगली बार उसने इस बारे मे
उस से पुच्छा तो वो मना कर देगी.
षत्रुजीत सिंग शहर से बाहर था,वो अपना बिज़्नेस और बढ़ा रहा था & कामिनी
भी अपने केसस मे बिज़ी रहती थी.इस वजह से इधर उनकी मुलाक़ते थोड़ी कम हो
गयी थी मगर जब भी दोनो मिलते इतने दीनो की दूरी की पूरी कसर निकाल
लेते.आज की रात कामिनी को उसकी कमी बहुत खाल रही थी,चंद्रा साहब से मिलना
भी इधर नही हो सका था.उसकी चूत बहुत बेचैन हो गयी थी.कामिनी ने अपना दाया
हाथ उसपे रखा & उसे शांत करने की कोशिश करने लगी.उसके दिल मे 1 बार ख़याल
आया की क्यू ना वो फिर से किसी से शादी कर ले मगर अगले ही पल उसने उस
ख़याल को ज़हन से निकाल फेंका..वो ये ग़लती दोबारा नही करेगी.उसे ये
तन्हाई की रात मंज़ूर थी मगर अब शादी कर किसी पे भरोसा करना & उसे फिर
तोड़ना या टूटते देखना उसे मंज़ूर नही था. ( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
"सर,मैने इंदर धमीजा के बारे मे सब पता कर लिया है.उसने बीओ-डाटा मे जो
भी लिखा है वो सब सही है.",शिवा सुरेन जी के ऑफीस चेंबर मे खड़ा था.
"ओके.",सुरेन जी खड़े हो खिड़की से बाहर देख रहे थे,"..यानी उसे हम
एस्टेट मॅनेजर बना सकते हैं?"
"मुझे तो आदमी ठीक लगता है."
"ठीक है.उसे खबर भिजवा देते हैं.",तभी उनका मोबाइल बजा,"हेलो...हा
वीरेन.ठीक है,मैं भी उस वक़्त तक वाहा पहुँच जाऊँगा.",उन्होने फोन बंद
किया.
"शिवा,मैं ज़रा पंचमहल जा रहा हू..",उन्होने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी को
देखा,11 बज रहे थे,".शाम तक वापस आ जाऊँगा.सेक्रेटरी को उस इंदर धमीजा को
फोन करने के लिए कह देता हू..",उन्होने अपना मोबाइल अपनी जेब मे
डाला,"..परसो सवेरे 10 बजे उसे यहा बुलाता हू.तुम भी उस रोज़ फ्री
रहना,मैं चाहता हू की उस से बात करते वक़्त तुम भी वाहा मौजूद रहो."
"ओके,सर.",शिवा उन्हे उनकी कार तक छ्चोड़ने आया जहा देविका भी खड़ी
थी.कार के जाने के बाद दोनो ने 1 दूसरे को देखा मगर जल्दी से नज़रे घुमा
ली.वाहा और भी लोग खड़े थे.शिवा अपने कॅबिन मे आके बैठ गया.उसका इंटरकम
बजा & देविका ने उसे सुरेन जी के कॅबिन मे बुलाया.प्रेमिका को अपनी बाहो
मे भर उसे प्यार करने के ख़याल से शिवा की आँखे चमक उठी.
मुस्कुराता हुआ वो जैसे ही कॅबिन मे दाखिल हुआ,उसका चेहरा उतर गया,वाहा 1
और शख्स भी मौजूद था.देविका से उसके चेहरे के भाव छुपे ना रह सके.1 पल को
उसे हँसी भी आई अपने आशिक़ के उपर मगर अगले ही पल उसके दिल मे भी टीस
उठी....कितने करीब थे दोनो मगर फिर भी कितने दूर!
"ये मिस्टर.कुमार हैं,ये हमे अपनी कंपनी के सेक्यूरिटी सिस्टम्स & बाकी
प्रॉडक्ट्स के बारे मे बताना चाहते हैं..& ये हैं मिस्टर.शिवा हमारे
सेक्यूरिटी इंचार्ज..आप इन्हे बताएँ अपने प्रॉडक्ट्स के बारे मे.",वो
सेल्स रेप्रेज़ेंटेटिव ब्रोशौर्स निकाल के शिवा को दिखाने लगा.शिवा उसकी
बाते तो सुन रहा था मगर उसका ध्यान अपनी प्रेमिका पे भी था....आज हरी
सारी मे वो कितनी खूबसूरत लग रही थी!..यही हाल देविका का भी था..वो भी
चोरी से शिवा को निहार रही थी..उसका दिल,उसका जिस्म उसके लिए तड़प रहा था
मगर वो क्या कर सकती थी.
"थॅंक्स,सर.मैं आपसे फिर मिलता हू.",वो आदमी वाहा से चला गया तो दोनो
प्रेमियो ने 1 बार फिर 1 दूसरे को हसरत भरी निगाहो से देखा मगर इस वक़्त
दफ़्तर मे सभी लोग मौजूद थे & ऐसे मे कॅबिन बंद कर 1 दूसरे मे डूबना लोगो
को बाते बनाने का मौका देना होता.शिवा उठा & चुपचाप अपने कॅबिन मे चला
आया.अपनी कुर्सी पे बैठ उसने अपनी आँखे बंद कर ली & यादो मे खो गया. (
दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
देविका उसे शुरू से ही बड़ी अच्छी लगती थी.शिवा ने उसके जैसी खूबसूरत औरत
आज तक नही देखी थी मगर वो था तो उसके पति का नौकर.उसने अपनी जगह कभी भी
नही भूली थी मगर वो अपनी नज़रो का क्या करता.देविका उसके सामने आती तो वो
उसे जी भर के देखे बिना नही रह पता था.देविका ने उसे कभी-कभार ऐसा करते
हुए पकड़ा भी था मगर उसे कभी बुरा नही लगा था.
सुरेन जी को उसपे बहुत भरोसा था & 1 दिन उन्होने उसे उसके कॉटेज से उठा
के अपने घर की निचली मंज़िल पे 2 कमरे दे दिए.शिवा उनकी बहुत इज़्ज़त
करता था.उन्होने उसे अपने घर मे जगह दी फिर भी वो अपनी मर्यादा नही भुला
था.उसका ओहदा 1 मॅनेजर के बराबर का था मगर फिर भी वो घर मे काम करने वाले
बाकी नौकरो की तरह पीछे के दरवाज़े से ही आता-जाता था & उन्ही के साथ
किचन मे खाना ख़ाता था.
सुरेन जी के साथ रहते हुए उसे उनके बारे मे लगभग सभी कुच्छ मालूम हो गया
था & वो उनकी अयाशियो के बारे मे भी जान गया था लेकिन ये सारे राज़ 1
सच्चे वफ़ादार की तरह उसने अपने दिल मे दफ़न कर लिए थे.
घर मे रहते हुए उसने महसूस किया था कि देविका भी उसे देखती थी मगर उसे
लगा की उसका दिल-जोकि उस हसीना को प्यार करता-उसे ये ग़लतफहमी हो रही है
मगर 5 साल पहले की उस तूफ़ानी रात सारी ग़लतफहमिया दूर हो गयी.
कामिनी अपने बिस्तर पे लेटी वीरेन सहाय से हुई मुलाकात के बारे मे सोच
रही थी.वो उस इंसान को समझ नही पा रही थी.कभी वो उसे बिल्कुल अच्छा लगता
तो कभी उसे उसपे शक़ होता!आख़िर वो थी ही ऐसे पेशे मे.जो भी हो 1 बात तो
पक्की थी की वीरेन 1 बहुत खूबसूरत मर्द था मगर केवल इस बिना पे तो वो
उसकी बात नही मान सकती थी.उसने सोच लिया की अगर अगली बार उसने इस बारे मे
उस से पुच्छा तो वो मना कर देगी.
षत्रुजीत सिंग शहर से बाहर था,वो अपना बिज़्नेस और बढ़ा रहा था & कामिनी
भी अपने केसस मे बिज़ी रहती थी.इस वजह से इधर उनकी मुलाक़ते थोड़ी कम हो
गयी थी मगर जब भी दोनो मिलते इतने दीनो की दूरी की पूरी कसर निकाल
लेते.आज की रात कामिनी को उसकी कमी बहुत खाल रही थी,चंद्रा साहब से मिलना
भी इधर नही हो सका था.उसकी चूत बहुत बेचैन हो गयी थी.कामिनी ने अपना दाया
हाथ उसपे रखा & उसे शांत करने की कोशिश करने लगी.उसके दिल मे 1 बार ख़याल
आया की क्यू ना वो फिर से किसी से शादी कर ले मगर अगले ही पल उसने उस
ख़याल को ज़हन से निकाल फेंका..वो ये ग़लती दोबारा नही करेगी.उसे ये
तन्हाई की रात मंज़ूर थी मगर अब शादी कर किसी पे भरोसा करना & उसे फिर
तोड़ना या टूटते देखना उसे मंज़ूर नही था. ( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
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"सर,मैने इंदर धमीजा के बारे मे सब पता कर लिया है.उसने बीओ-डाटा मे जो
भी लिखा है वो सब सही है.",शिवा सुरेन जी के ऑफीस चेंबर मे खड़ा था.
"ओके.",सुरेन जी खड़े हो खिड़की से बाहर देख रहे थे,"..यानी उसे हम
एस्टेट मॅनेजर बना सकते हैं?"
"मुझे तो आदमी ठीक लगता है."
"ठीक है.उसे खबर भिजवा देते हैं.",तभी उनका मोबाइल बजा,"हेलो...हा
वीरेन.ठीक है,मैं भी उस वक़्त तक वाहा पहुँच जाऊँगा.",उन्होने फोन बंद
किया.
"शिवा,मैं ज़रा पंचमहल जा रहा हू..",उन्होने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी को
देखा,11 बज रहे थे,".शाम तक वापस आ जाऊँगा.सेक्रेटरी को उस इंदर धमीजा को
फोन करने के लिए कह देता हू..",उन्होने अपना मोबाइल अपनी जेब मे
डाला,"..परसो सवेरे 10 बजे उसे यहा बुलाता हू.तुम भी उस रोज़ फ्री
रहना,मैं चाहता हू की उस से बात करते वक़्त तुम भी वाहा मौजूद रहो."
"ओके,सर.",शिवा उन्हे उनकी कार तक छ्चोड़ने आया जहा देविका भी खड़ी
थी.कार के जाने के बाद दोनो ने 1 दूसरे को देखा मगर जल्दी से नज़रे घुमा
ली.वाहा और भी लोग खड़े थे.शिवा अपने कॅबिन मे आके बैठ गया.उसका इंटरकम
बजा & देविका ने उसे सुरेन जी के कॅबिन मे बुलाया.प्रेमिका को अपनी बाहो
मे भर उसे प्यार करने के ख़याल से शिवा की आँखे चमक उठी.
मुस्कुराता हुआ वो जैसे ही कॅबिन मे दाखिल हुआ,उसका चेहरा उतर गया,वाहा 1
और शख्स भी मौजूद था.देविका से उसके चेहरे के भाव छुपे ना रह सके.1 पल को
उसे हँसी भी आई अपने आशिक़ के उपर मगर अगले ही पल उसके दिल मे भी टीस
उठी....कितने करीब थे दोनो मगर फिर भी कितने दूर!
"ये मिस्टर.कुमार हैं,ये हमे अपनी कंपनी के सेक्यूरिटी सिस्टम्स & बाकी
प्रॉडक्ट्स के बारे मे बताना चाहते हैं..& ये हैं मिस्टर.शिवा हमारे
सेक्यूरिटी इंचार्ज..आप इन्हे बताएँ अपने प्रॉडक्ट्स के बारे मे.",वो
सेल्स रेप्रेज़ेंटेटिव ब्रोशौर्स निकाल के शिवा को दिखाने लगा.शिवा उसकी
बाते तो सुन रहा था मगर उसका ध्यान अपनी प्रेमिका पे भी था....आज हरी
सारी मे वो कितनी खूबसूरत लग रही थी!..यही हाल देविका का भी था..वो भी
चोरी से शिवा को निहार रही थी..उसका दिल,उसका जिस्म उसके लिए तड़प रहा था
मगर वो क्या कर सकती थी.
"थॅंक्स,सर.मैं आपसे फिर मिलता हू.",वो आदमी वाहा से चला गया तो दोनो
प्रेमियो ने 1 बार फिर 1 दूसरे को हसरत भरी निगाहो से देखा मगर इस वक़्त
दफ़्तर मे सभी लोग मौजूद थे & ऐसे मे कॅबिन बंद कर 1 दूसरे मे डूबना लोगो
को बाते बनाने का मौका देना होता.शिवा उठा & चुपचाप अपने कॅबिन मे चला
आया.अपनी कुर्सी पे बैठ उसने अपनी आँखे बंद कर ली & यादो मे खो गया. (
दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
देविका उसे शुरू से ही बड़ी अच्छी लगती थी.शिवा ने उसके जैसी खूबसूरत औरत
आज तक नही देखी थी मगर वो था तो उसके पति का नौकर.उसने अपनी जगह कभी भी
नही भूली थी मगर वो अपनी नज़रो का क्या करता.देविका उसके सामने आती तो वो
उसे जी भर के देखे बिना नही रह पता था.देविका ने उसे कभी-कभार ऐसा करते
हुए पकड़ा भी था मगर उसे कभी बुरा नही लगा था.
सुरेन जी को उसपे बहुत भरोसा था & 1 दिन उन्होने उसे उसके कॉटेज से उठा
के अपने घर की निचली मंज़िल पे 2 कमरे दे दिए.शिवा उनकी बहुत इज़्ज़त
करता था.उन्होने उसे अपने घर मे जगह दी फिर भी वो अपनी मर्यादा नही भुला
था.उसका ओहदा 1 मॅनेजर के बराबर का था मगर फिर भी वो घर मे काम करने वाले
बाकी नौकरो की तरह पीछे के दरवाज़े से ही आता-जाता था & उन्ही के साथ
किचन मे खाना ख़ाता था.
सुरेन जी के साथ रहते हुए उसे उनके बारे मे लगभग सभी कुच्छ मालूम हो गया
था & वो उनकी अयाशियो के बारे मे भी जान गया था लेकिन ये सारे राज़ 1
सच्चे वफ़ादार की तरह उसने अपने दिल मे दफ़न कर लिए थे.
घर मे रहते हुए उसने महसूस किया था कि देविका भी उसे देखती थी मगर उसे
लगा की उसका दिल-जोकि उस हसीना को प्यार करता-उसे ये ग़लतफहमी हो रही है
मगर 5 साल पहले की उस तूफ़ानी रात सारी ग़लतफहमिया दूर हो गयी.
Re: Badla बदला
सुरेन जी शहर गये हुए थे & रात के 11 बज रहे थे.शिवा खाना खा के अपने
कमरे मे आके कपड़े बदल रहा था कि दरवाज़े पे दस्तक हुई.बिजली की चमक &
बादलो की गरज के बीच उसने दरवाज़ा खोला तो सामने देविका को खड़ा
पाया,"मे'म..आप?..मुझे बुला लिया होता?"
"मुझे तुमसे कुच्छ पुच्छना है.",देविका ने उसके कमरे के अंदर कदम रखा.
"हाँ-2,पुछिये.",शिवा को हैरत हो रही थी.
"मेरे पति जब भी शहर जाते हैं तो क्या केवल काम करते हैं?"
"मैं समझा नही."
"ठीक है.मैं सॉफ-2 पुछ्ति हू.वो वाहा किसी लड़की से भी मिलते हैं?"
"मुझे नही पता.",शिवा घूम के उसकी ओर पीठ कर खड़ा हो गया.
"तुम्हे पता है!",देविका चीखी * उसे घुमा कर अपनी ओर किया,"..मुझे सच
बताओ मेरे पति क्या किसी लड़की के चक्कर मे हैं?",देविका ने उसकी शर्ट का
कॉलर खिचा.
"मुझे नही पता.",शिवा ने उसके हाथ अपनी कमीज़ से हटाने चाहे मगर देविका
ने ऐसा नही होने दिया.
"शिवा,तुम्हे बताना ही होगा.",देविका का सारी का पल्लू उसके सीने से
ढालाक गया & उसके ब्लाउस मे क़ैद बड़ी-2 छातियाँ जोकि गुस्से के मारे
उपर-नीचे हो रही थी उसके सामने आ गयी.
"प्लीज़,मे'म.मैं सच कहता हू मुझे कुच्छ नही पता.",शिवा उसकी पकड़ से
छूटने की कोशिश करने लगा मगर देविका तो जैसे गुस्से मे पागल थी.
"झूठे!तू भी उनके साथ मिला हुआ है ना!क्या वो तुझे भी रंगरेलिया मनाने
देते हैं अपनी उस वेश्या के साथ?",शिवा अब तक सब सुन रहा था मगर अपने
बारे मे ये बकवास उसे बर्दाश्त नही हुई.
"शूट अप!तब से बकवास कर रही हैं आप!जाइए यहा से मुझे कुच्छ नही
पता."देविका ने उसका कॉलर अब भी नही छ्चोड़ा.वो चिल्लाने लगी,"मैं नही
जाऊंगी..बताओ मुझे..बताओ...",गुस्से मे शिवा ने उसकी छातिया दबा उसे
धक्का दिया.
त़ड़क्ककक...!,देविका के करारे चाटे की आवाज़ बिजली की कड़क से भी तेज़
थी.अब शिवा को भी गुस्सा आ गया,उसने आगे बढ़ के देविका के बाल पकड़ लिए &
सर पीछे झुका दिया,"..अपने पति से क्यू नही पूछती जो मुझे परेशान कर रही
हो!"
तड़क्ककक....!,जवाब मे देविका ने 1 और तमाचा जड़ दिया उसे.अब शिवा गुस्से
मे पागल हो गया.उसने दोनो हाथो से देविका के बॉल पकड़ उसके सर को झुकाया
& उसके होंठो को चूमने लगा.देविका ने उसे परे धकेला & तड़क्ककक.....तीसरा
चांटा भी जड़ दिया.शिवा ने उसके बाल फिर पकड़े & फिर से चूमने लगा.देविका
ने उसे फिर धकेला फिर 1 थप्पड़ लगाया.
शिवा ने उसे पानी बाहो मे भींच लिया & उसकी आँखो मे आँखे डाल दी.देविका
की गुस्से से भरी आँखे ऐसी लग रही थी मानो उसे जला के रख देंगी.उसने फिर
से उसके बाल पकड़े तो इस बार देविका ने भी उसके बाल पकड़ लिए & जैसे ही
वो उसके होंठो पे झुका & चूमने लगा उसने उसके होंठ को काट
लिया,"..आहह..!"
शिवा के होन्ट से खून निकल आया था, ( दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )उसने उसे अपनी ओर खींचा & पागलो की
तरह चूमने लगा देविका उसके बदन पे कभी मुक्के बरसाती तो कभी नोचती मगर
शिवा उसे वैसे ही चूमता रहा.देविका ने उसे ज़ोर का धक्का दिया & अपने से
अलग कर दिया.
शिवा संभला & फिर उसे देखने लगा.देविका की सारी अस्त-व्यस्त थी & गुस्से
से उसका चेहरा तमतमाया हुआ था & साँसे तेज़ चल रही थी.दोनो 1 दूसरे को
देखे जा रहे थे.शिवा उसकी काली आँखो मे जैसे डूब रहा था.उसे पता ही ना
चला & उसके कदम अपनेआप देविका की ओर बढ़ने लगे.
वो उसके बिल्कुल करीब आ गया,दोनो अभी भी 1 दूसरे से नज़रे मिलाए खड़े
थे.शिवा को कुच्छ होश नही था,उसका सर नीचे देविका की ओर झुका तो देविका
ने अपने बाए हाथ से उसकी गर्दन पकड़ नीचे झुकाई & उसके होंठो को चूमने
लगी.
अब तो बाहर का तूफान जैसे कमरे के अंदर भी आ गया.दोनो 1 दूसरे को पकड़े
पागलो की तरह चूम रहे थे.शिवा उसे झुका उसकी गर्दन को चूमने लगता तो
देविका उसे वापस उठा उसके होंठ चूमने लगती.उस रात दोनो ने 1 दूसरे के
कपड़े उतारे नही बल्कि 1 दूसरे के जिस्म से फाड़ के अलग किए.
देविका का नंगा जिस्म जब शिवा ने पहली बार देखा तो उसकी सांस गले मे ही
रह गयी थी.उसने जैसा सोचा था देविका उस से भी कही ज़्यादा खूबसूरत
थी.उसका सपना सच हो रहा था मगर उसे देविका को छुतेहुए डर लग रहा था की
कही वो मैली ना हो जाए.
देविका ने उसे रुका देखा अपने उपर खींचा तो जैसे उसके दिल से सारे शुबहे
मिट गये.उसने उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने बड़े-2 हाथो तले
जम के रौंदा.देविका की ज़िंदगी मे ये पहला मौका था जब वो ऐसे मज़बूत
जिस्म वाले मर्द के साथ हुमबईस्तर हो रही थी.( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
शिवा के सख़्त हाथो के नीचे उसकी चूचिया & भी बड़ी हो गयी निपल्स इतने
कड़े की उसे उनमे दर्द सा महसूस हुआ.उसने उसे अपने सीने पे झुकाया तो
शिवा की आतुर जीभ ने उसकी चूचियो को अपने रंग से रंगना शुरू कर दिया.जब
उसने उसके बाए निपल को मुँह मे हर के कोई 1 मिनिट तक लगातार चूसा तो
देविका की चूत मे पानी छ्चोड़ दिया.
शिवा ने उसकी गोरी चूचियो को जम के मसला & चूसा,इन्होने उसे बहुत तडपया
था आजतक आज उसकी बारी थी.देविका के गोल,मुलायम पेट के नीचे उसकी गीली,कसी
चूत देख वो खुद को रोक नही पाया & झुक के उसने अपनी जीभ उस पे फिरा
दी.देविका की आहो मे अब और भी मस्ती आ गयी थी.
कमरे मे आके कपड़े बदल रहा था कि दरवाज़े पे दस्तक हुई.बिजली की चमक &
बादलो की गरज के बीच उसने दरवाज़ा खोला तो सामने देविका को खड़ा
पाया,"मे'म..आप?..मुझे बुला लिया होता?"
"मुझे तुमसे कुच्छ पुच्छना है.",देविका ने उसके कमरे के अंदर कदम रखा.
"हाँ-2,पुछिये.",शिवा को हैरत हो रही थी.
"मेरे पति जब भी शहर जाते हैं तो क्या केवल काम करते हैं?"
"मैं समझा नही."
"ठीक है.मैं सॉफ-2 पुछ्ति हू.वो वाहा किसी लड़की से भी मिलते हैं?"
"मुझे नही पता.",शिवा घूम के उसकी ओर पीठ कर खड़ा हो गया.
"तुम्हे पता है!",देविका चीखी * उसे घुमा कर अपनी ओर किया,"..मुझे सच
बताओ मेरे पति क्या किसी लड़की के चक्कर मे हैं?",देविका ने उसकी शर्ट का
कॉलर खिचा.
"मुझे नही पता.",शिवा ने उसके हाथ अपनी कमीज़ से हटाने चाहे मगर देविका
ने ऐसा नही होने दिया.
"शिवा,तुम्हे बताना ही होगा.",देविका का सारी का पल्लू उसके सीने से
ढालाक गया & उसके ब्लाउस मे क़ैद बड़ी-2 छातियाँ जोकि गुस्से के मारे
उपर-नीचे हो रही थी उसके सामने आ गयी.
"प्लीज़,मे'म.मैं सच कहता हू मुझे कुच्छ नही पता.",शिवा उसकी पकड़ से
छूटने की कोशिश करने लगा मगर देविका तो जैसे गुस्से मे पागल थी.
"झूठे!तू भी उनके साथ मिला हुआ है ना!क्या वो तुझे भी रंगरेलिया मनाने
देते हैं अपनी उस वेश्या के साथ?",शिवा अब तक सब सुन रहा था मगर अपने
बारे मे ये बकवास उसे बर्दाश्त नही हुई.
"शूट अप!तब से बकवास कर रही हैं आप!जाइए यहा से मुझे कुच्छ नही
पता."देविका ने उसका कॉलर अब भी नही छ्चोड़ा.वो चिल्लाने लगी,"मैं नही
जाऊंगी..बताओ मुझे..बताओ...",गुस्से मे शिवा ने उसकी छातिया दबा उसे
धक्का दिया.
त़ड़क्ककक...!,देविका के करारे चाटे की आवाज़ बिजली की कड़क से भी तेज़
थी.अब शिवा को भी गुस्सा आ गया,उसने आगे बढ़ के देविका के बाल पकड़ लिए &
सर पीछे झुका दिया,"..अपने पति से क्यू नही पूछती जो मुझे परेशान कर रही
हो!"
तड़क्ककक....!,जवाब मे देविका ने 1 और तमाचा जड़ दिया उसे.अब शिवा गुस्से
मे पागल हो गया.उसने दोनो हाथो से देविका के बॉल पकड़ उसके सर को झुकाया
& उसके होंठो को चूमने लगा.देविका ने उसे परे धकेला & तड़क्ककक.....तीसरा
चांटा भी जड़ दिया.शिवा ने उसके बाल फिर पकड़े & फिर से चूमने लगा.देविका
ने उसे फिर धकेला फिर 1 थप्पड़ लगाया.
शिवा ने उसे पानी बाहो मे भींच लिया & उसकी आँखो मे आँखे डाल दी.देविका
की गुस्से से भरी आँखे ऐसी लग रही थी मानो उसे जला के रख देंगी.उसने फिर
से उसके बाल पकड़े तो इस बार देविका ने भी उसके बाल पकड़ लिए & जैसे ही
वो उसके होंठो पे झुका & चूमने लगा उसने उसके होंठ को काट
लिया,"..आहह..!"
शिवा के होन्ट से खून निकल आया था, ( दोस्तो ये कहानी आप राज शर्मा के
ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )उसने उसे अपनी ओर खींचा & पागलो की
तरह चूमने लगा देविका उसके बदन पे कभी मुक्के बरसाती तो कभी नोचती मगर
शिवा उसे वैसे ही चूमता रहा.देविका ने उसे ज़ोर का धक्का दिया & अपने से
अलग कर दिया.
शिवा संभला & फिर उसे देखने लगा.देविका की सारी अस्त-व्यस्त थी & गुस्से
से उसका चेहरा तमतमाया हुआ था & साँसे तेज़ चल रही थी.दोनो 1 दूसरे को
देखे जा रहे थे.शिवा उसकी काली आँखो मे जैसे डूब रहा था.उसे पता ही ना
चला & उसके कदम अपनेआप देविका की ओर बढ़ने लगे.
वो उसके बिल्कुल करीब आ गया,दोनो अभी भी 1 दूसरे से नज़रे मिलाए खड़े
थे.शिवा को कुच्छ होश नही था,उसका सर नीचे देविका की ओर झुका तो देविका
ने अपने बाए हाथ से उसकी गर्दन पकड़ नीचे झुकाई & उसके होंठो को चूमने
लगी.
अब तो बाहर का तूफान जैसे कमरे के अंदर भी आ गया.दोनो 1 दूसरे को पकड़े
पागलो की तरह चूम रहे थे.शिवा उसे झुका उसकी गर्दन को चूमने लगता तो
देविका उसे वापस उठा उसके होंठ चूमने लगती.उस रात दोनो ने 1 दूसरे के
कपड़े उतारे नही बल्कि 1 दूसरे के जिस्म से फाड़ के अलग किए.
देविका का नंगा जिस्म जब शिवा ने पहली बार देखा तो उसकी सांस गले मे ही
रह गयी थी.उसने जैसा सोचा था देविका उस से भी कही ज़्यादा खूबसूरत
थी.उसका सपना सच हो रहा था मगर उसे देविका को छुतेहुए डर लग रहा था की
कही वो मैली ना हो जाए.
देविका ने उसे रुका देखा अपने उपर खींचा तो जैसे उसके दिल से सारे शुबहे
मिट गये.उसने उसके होंठ चूमते हुए उसकी चूचियो को अपने बड़े-2 हाथो तले
जम के रौंदा.देविका की ज़िंदगी मे ये पहला मौका था जब वो ऐसे मज़बूत
जिस्म वाले मर्द के साथ हुमबईस्तर हो रही थी.( दोस्तो ये कहानी आप राज
शर्मा के ब्लॉग कामुक कहानियाँ पर पढ़ रहे हैं )
शिवा के सख़्त हाथो के नीचे उसकी चूचिया & भी बड़ी हो गयी निपल्स इतने
कड़े की उसे उनमे दर्द सा महसूस हुआ.उसने उसे अपने सीने पे झुकाया तो
शिवा की आतुर जीभ ने उसकी चूचियो को अपने रंग से रंगना शुरू कर दिया.जब
उसने उसके बाए निपल को मुँह मे हर के कोई 1 मिनिट तक लगातार चूसा तो
देविका की चूत मे पानी छ्चोड़ दिया.
शिवा ने उसकी गोरी चूचियो को जम के मसला & चूसा,इन्होने उसे बहुत तडपया
था आजतक आज उसकी बारी थी.देविका के गोल,मुलायम पेट के नीचे उसकी गीली,कसी
चूत देख वो खुद को रोक नही पाया & झुक के उसने अपनी जीभ उस पे फिरा
दी.देविका की आहो मे अब और भी मस्ती आ गयी थी.