गतान्क से आगे..
"युवर ऑनर,ये है वो चाकू जिस से मुलज़िम ने अपने भतीजे का क़त्ल
किया..",सरकारी वकील के हाथो मे 1 पॅकेट था जिसके अंदर से वीरेन की पॅलेट
नाइफ सॉफ दिख रही थी,"..हुज़ूर,मुलज़िम ने बड़ी चालाकी से एस्टेट से शहर
जाने का बहाना बनाया & फिर चोरी-छुपे आके खाली पड़े मॅनेजर'स कॉटेज मे
छिप गया,फिर बहला-फुसला के प्रसून को बंगले से बाहर बुलाया & उसका क़त्ल
कर लाश को एस्टेट के टीले पे फेंक दिया.."
"मिलर्ड!मुलज़िम ने बहुत ही घिनोना जुर्म किया है.अपने भतीजे का जोकि
मंदबुद्धि था & जिस बेचारे को तो दुनियादारी के बारे मे कुच्छ भी पता नही
था,उसका क़त्ल किया है.मेरी आप से गुज़ारिश है की आप इसे कोई भी रियायत
ना दें बल्कि कड़ी से कड़ी सज़ा दें & इसकी ज़मानत की अर्ज़ी खारिज कर
दें.",सरकारी वकील ने अपनी दलील पेश कर दी थी & अब कामिनी की बारी थी.
"मिलर्ड!ये छुरि यक़ीनन मेरे मुवक्किल की ही है मगर आपको पैंटिंग सीखने
वाला कोई बच्चा भी बता देगा की इस से किसी इंसान को गहरे ज़ख़्म भी नही
पहुचाए जा सकते क्यूकी इस च्छुरी पे धार नही होती.मेरे मुवक्किल अपने
बयान मे ये कह चुके हैं की उनकी छुरि एस्टेट की झील के पास पैंटिंग करते
वक़्त गुम हो गयी थी."
"युवर ऑनर!",सरकारी वकील फिर खड़ा हुआ,"..मैं कुच्छ कहने की इजाज़त चाहता हू."
"इजाज़त है."
"मिलर्ड!फोरेन्सिक रिपोर्ट मे सॉफ लिखा है की प्रसून की हत्या इसी छुरि
से हुई थी & मुलज़िम ने अभी तक कोई सबूत भी पेश नही किया है की ये छुरि
उसके पास से गुम हो गयी थी."
"मिलर्ड!मैं ये नही कहती की खून इस छुरि से नही हुआ..",कामिनी की बात सुन
सभी चौंक पड़े & कोर्ट मे ख़ुसर-पुआसर होने लगी.
"ऑर्डर!ऑर्डर!",जड्ज ने अपना हथौड़ा पटका.
"क़त्ल तो यक़ीनन इसी च्छुरी से हुआ है मगर उस से ये कहा से साबित हो
जाता है की क़त्ल वीरेन सहाय ने किया है.मिलर्ड!आमतौर पे ये छुरि जिसे
पॅलेट नाइफ कहते हैं बिल्कुल बोथर होती है मगर इस च्छुरी को देखिए इसकी
धार कितनी तेज़ है & आप उसी फोरेन्सिक लॅब से जहा से ये रिपोर्ट आई है की
यही मर्डर एवपोन है,पुच्छ के इस बात का पता लगवा लीजिए की इस च्छुरी पे
धार उसी फॅक्टरी से बेक आई थी या फिर किसी राह चलते धार लगाने वाले ने
अपनी मशीन से बनाई है."
"मिलर्ड!मैं 1 गवाह को पेश करना चाहती हू."
"इजाज़त है."
"अपना परिचय दीजिए?"
"मैं एस.के.शर्मा हू पेंकला कंपनी का प्रॉप्रीटर."
"आपकी कंपनी क्या बनती है मिस्टर.शर्मा?"
"स्टेशनेरी के समान."
"ये पॅलेट नाइफ आप ही की कंपनी की प्रॉडक्ट है.",कामिनी ने च्छुरी वाला
बॅग शर्मा को दिया.
"जी,हां. ये हमारी आर्टिस्ट'स असिस्टेंट सीरीस की पॅलेट नाइफ. ये सीरीस
बहुत ही एक्सक्लूसिव सीरीस है & इसमे हमने बस कुच्छ 200 पीसस ही बनाए
थे."
"अपनी बात तफ़सील से कहें."
"इस सीरीस के तहत पूरी दुनिया मे बस 200 आर्टिस्ट'स असिस्टेंट कीट्स बनी
थी जिसमे से 1 की ये नाइफ है."
"तो उस सीरीस के किसी नाइफ मे धार थी जैसे इस च्छुरी मे है?"
"जी बिल्कुल नही."
"थॅंक्स,मिस्टर.शर्मा."
"मिलर्ड!बात सॉफ है.मेरे क्लाइंट की च्छुरी गुमी नही बल्कि चुराई गयी &
फिर उसकी धार बनाके उस से प्रसून का क़त्ल किया गया & मेरे क्लाइंट को
फँसा दिया गया."
"मगर कोई बिना वजह क्यू फँसाना चाहेगा वीरेन सहाय को?",सरकारी वकील उठ खड़ा हुआ.
"उनकी एस्टेट के लिए.",कामिनी ने जड्ज से कहा,"..अगर प्रसून & वीरेन जी
रास्ते से हट जाते हैं तो फिर देविका जी & उनकी बहू को रास्ते से हटाना
किसी शातिर इंसान के लिए कौन सी बड़ी बात है?वैसे मेरे काबिल दोस्त ने
अभी तक मेरे मुवक्किल पे बस इल्ज़ाम ही लगाया है,ये नही बताया है की
आख़िर मेरे क्लाइंट अपने ही भतीजे का क़त्ल क्यू करेंगे जब आधी जयदाद तो
वैसे ही उनके नाम है.ऐसे तो उन्हे अपने हिस्से से भी हाथ धोना पड़ेगा."
अब सरकारी वकील बगले झाँक रहा था.कामिनी ने मौका देखा & आगे बढ़ी.
"मिलर्ड,अगर वीरेन जी ने इस छुरि से प्रसून का क़त्ल किया है तो वो ये
छुरि वही एस्टेट मे क्यू दफ़ना देंगे जबकि वाहा से वापस पंचमहल भागने पे
उनके पास बीसियो उस से बेहतर जगहे इस छुरि को ठिकाने लगाने की."
"..मिलर्ड!ना तो छुरि पे वीरेन जी के हाथो के निशान हैं ना ही तो ये छुरि
उनके पास या उनके समान से बरामद हुई है फिर पोलीस ने कैसे वीरेन सहाय को
गिरफ्तार कर लिया!मिलर्ड!मेरी आपसे गुज़ारिश है की आप मेरे मुवक्किल को
ज़मानत दें & पोलीस को सही दिशा मे तफ़तीश करने का हुक्म दें."
थोड़ी ही देर बाद वीरेन अपनी ज़मानत की रकम कोर्ट मे जमा करा रहा था.
"जिसने भी ये किया है मैं उसे छ्चोड़ूँगा नही,कामिनी."
"रिलॅक्स,वीरेन.मैं तुम्हे सब बताउन्गि तुम बस अपने गुस्से पे काबू
रखो.",कामिनी ने उसका हाथ थाम लिया & ड्राइवर ने गाड़ी कोर्ट के अहाते से
बाहर निकाल ली.
कामिनी की कार चंद्रा साहब के बंगल के अहाते मे रुकी.कार से उतर कामिनी
ने बंगल के अंदर कदम रखा तो उसे देख उसके गुरु की खुशी का ठिकाना ही नही
रहा,"आओ,कामिनी कैसी हो?",आगे बढ़ उन्होने उसके हाथ अपने हाथो मे ले लिए.
"अच्छी हू.",उसकी नज़रो ने चंद्रा साहब से हाथ छ्चोड़ने का इशारा किया
ताकि कही उनकी बीवी ना उनकी ये हरकत देख लें.
"घबराओ मत..",चंद्रा साहब हँसे,"..तुम्हारी आंटी शहर से बाहर हैं & इस
वक़्त हमे कोई भी परेशान नही करेगा.",उसका हाथ थामे हुए उन्होने उसे अपनी
बाई तरफ सोफे पे बिठा लिया.कामिनी ने आज पीले रंग की झीनी सारी स्लीव्ले
ब्लाउज के साथ पहनी थी जिसकी बॅक बहुत लो थी. इस लिबास मे उसका हुस्न &
भी मदहोश करने वाला लग रहा था.
"आजकल तो तुम बड़ी मसरूफ़ होगी?",दोनो सोफे पे थोड़ा घूम के 1 दूसरे को
देखते हुए बाते कर रहे थे.
"हां,सर.आपको तो पता ही है सहाय एस्टेट का केस.",चंद्रा साहब के दाए हाथ
की उंगलिया कामिनी के बाए हाथ की उंगलियो मे फँसी हुई थी.आज दोनो तन्हा
थे & इसलिए चंद्रा साहब की हर्कतो मे कोई बेचैनी नही थी.
"किसी ने वीरेन सहाय को अच्छा फँसाया है?",चंद्रा साहब के दाए हाथ की
उंगली उसकी हथेली पे घूमते हुए उसकी अन्द्रुनि कलाई पे आ पहुँची थी.
"हां,सर.",बहुत हौले-2 उनकी उंगली कामिनी की अन्द्रुनि बाँह से उपर उसके
कंधे की ओर जा रही थी.उसके बदन मे हल्की सिहरन उठने लगी थी.तभी उसे अपने
बाए पाँव पे कुच्छ महसूस हुआ,नीचे देखा तो चंद्रा साहब के दाए पैर का
अंगूठा उसके टखने & टांग के निचले हिस्से को सहला रहा था.कामिनी शोखी से
मुस्कुराइ.
"तो कौन है वो शख्स?",चंद्रा साहबने उसके बाई बाँह को हवा मे उठा दिया &
थोड़ा आगे बढ़ उसकी नंगी बाँह को अपने दाए हाथ से सहलाने लगे.कामिनी को
उनकी हरकते बड़ी भली लग रही थी.
"उम्म....इंदर धमीजा,एस्टेट मॅनेजर.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी बाँह पे
उपर-नीचे हो रहा था. इस बार जब हाथ उसकी कलाई से नीचे उसकी बाँह पे आया
तो बाँह के अंत पे ना रुक उसके नीचे उसकी चिकनी बगल पे फिराने लगा.
"आ..हाअ..हा..हाअ..!",गुदगुदी से कामिनी को हँसी आ गयी & उसने झट से बाँह
नीचे कर उनके हाथ को अपने जिस्म से अलग किया.चंद्रा साहब ने उसकी दोनो
उपरी बाहो को अपने हाथो से थाम लिया & बस उन्हे थोड़ा मज़बूती से सहलाने
लगे. इस बार जिस्म की सिहर्न कामिनी की चूत तक भी पहुँची & वो थोड़ा
कसमसाई.
"इतने यकीन से कैसे कह सकती हो की ये धमीजा ही इस सबके पीछे है?",चंद्रा
साहब के हाथो की हर्कतो से बेचैन हो कामिनी ने अपने कंधे थोड़े उचका दिए
तो उसका पल्लू उसके सीने से ढालाक गया.ब्लाउस का गला गहरा नही था फिर भी
लगभग 1 इंच गहरा क्लीवेज तो नज़र आ ही रहा था.कामिनी को लगा की अब वो
उसके सीने पे अपने होंठ रखेंगे मगर चंद्रा साहब ने ऐसा कुच्छ नही किया
बल्कि उनके हाथ उसकी मांसल बाँहो को रगड़ते हुए उसके कंधो पे आ गये& फिर
पीछे जा उसकी पीठ पे फिराने लगे.
"उनह..सभी कुच्छ उसी की ओर इशारा करता है.",कामिनी अपने गुरु के थोड़ा और
करीब खिसक आई थी.उसकी मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी & अपने चेहरे पे जैसे ही
उसने अपने गुरु की गरम सांसो को महसूस किया वो उनके होंठ चूमने को आगे
झुक गयी मगर चंद्रा साहब ने मुस्कुराते हुए अपने होंठ पीछे खींच
लिए,कामिनी तड़प उठी.चंद्रा साहब का बाया हाथ उसकी पीठ पे ही घूम रहा था
जबकि दाया उसके बाए कंधे से होता हुआ आगे आ गया था & उसकी गर्दन के
नीचे,ब्लाउस के उपर की जगह को सहला रहा था.
"यानी की तब तो वो भी असली मुजरिम नही है.",चंद्रा साहब के हाथो की रगड़
ने कामिनी की चूत को गीला कर दिया था.अपनी बाई टांग दाई पे चढ़ा अपनी
भारी जाँघो के बीचा अपनी चूत को भींच कामिनी ने उसकी कसक को काबू मे
किया.चंद्रा साहब का बाया हाथ पीठ से नीचे उसकी नंगी कमर पे जा पहुँचा था
& उसकी बगल के मांसल हिस्से को दबा रहा था.दाए हाथ को उसके ब्लाउस के
बीचो बीच ऐसे फिराते हुए वो नीचे लाए की वो बस ब्लाउस के हुक्स की लाइन
पे ही रहा,उसकी दोनो छातियो मे से 1 को भी उसने ना च्छुआ.
जोश के मारे कामिनी की छातिया बिल्कुल कस गयी थी & उन्हे अब ब्लाउस &
ब्रा के बंधन बिल्कुल रास नही आ रहे थे.उसके निपल्स बिल्कुल कड़े हो चुके
थे & उनका उभार उसके गुरु को उसके ब्लाउस मे से दिख रहा था,"ऐसा कैसे कह
सकते हैं आप?",कामिनी उन्हे बताने लगी की शिवा ने उसे क्या बताया था &
कैसे इंदर ने किसी तरह वीरेन की पॅलेट नाइफ चुरा के उसी से प्रसून का
क़त्ल किया.चंद्रा साहब उसकी बाते गौर से सुनते हुए उसके पेट & कमर को
सहलाए जा रहे थे.
Badla बदला compleet
Re: Badla बदला
"आन्ह्ह्ह....!",उनके दाए हाथ की उंगली ने जब उसकी गोल नाभि के गिर्द
दायरा बनाते हुए जब उसमे दाखिला लिया & फिर उसे कुरेदा तो कामिनी की आह
निकल गयी.उसने उनकी दाई कलाई पकड़ ली & उस हाथ को खींच अपने चेहरे से लगा
लिया.चंद्रा साहब उसके बाए गाल को सहलाने लगे तो कामिनी ने उनके हाथ को
अपने बाए हाथ से पकड़े हुए अपने गाल से सताये उसकी हथेली चूम ली.चंद्रा
साहब ने भी जवाब मे उसके दाए हाथो को चूमा & फिर अपने दाए हाथ की उंगली
उसके मुँह मे घुसा दी जिसे कामिनी बड़ी खुशी से चूमने लगी.उसके गुलाबी
होंठो मे फँसी उंगली,उसके चेहरे की मस्ती ने चंद्रा साहब के पाजामे मे भी
तंबू बना दिया था.
कामिनी अपने बाए हाथ से उनकी दाई कलाई पकड़ उस हाथ की उंगलिया बारी-2 से
चूस रही थी & दाए को उसने चंद्रा साहब के कुर्ते मे घुसा दिया था & उनके
सीने & पेट पे फिरा रही थी.चंद्रा साहब ने बाया हाथ उसके कंधे पे रखा &
उसके ब्लाउस के स्ट्रॅप को नीचे कर दिया तो कामिनी का ब्रा स्ट्रॅप
नुमाया हो गया.उन्होने उसे भी नीचे किया & उसके दाए पे अपने तपते होंठ रख
दिए.आह भर कामिनी ने अपना सर पीछे कर लिया & उनकी उंगलिया चूसना भूल उनके
सर को बाए हाथ से थाम लिया.
चंद्रा साहब ने पहले उसके कंधे के 1-1 हिस्से को चूमा & फिर उपर उसकी
गर्दन पे बढ़ गये.कामिनी को उनके तपते होंठो का एहसास पागल कर रहा
था.चंद्रा साहब ने अपने दाए हाथ से उसके ब्लाउस & ब्रा के दूसरे
स्ट्रॅप्स के साथ भी वही हरकत दोहराई & उसकी गर्दन के उपर उसकी ठुड्डी के
नीचे चूमते हुए उसके बाए कंधे तक पहुँच गये,"ऊन्नह.....उउंम....अब बताइए
की इंदर कैसे नही हुआ असली मुजरिम....आनह..?"
चंद्रा साहब ने जैसे उसका सवाल सुना ही नही.वो उसकी बाई बाँहो को चूमने
लगे थे. उस बाँह को दाए हाथ मे पकड़ उन्होने फैला लिया था & उसकी पूरी
लंबाई पे चूम अपनी शिष्या को पागल कर रहे थे.उनका बाया हाथ अब कामिनी की
पतली कमर को कसे हुए था & कामिनी बेचैनी से उनकी गिरफ़्त मे कसमसाते हुए
आहे भर रही थी.चंद्रा साहब ने उसकी बाई बाँहो को अपने गले मे डाला तो
कामिनी उनसे चिपक गयी & उनके सर को पागलो की तरह चूमने लगी.चंद्रा साहब
का दाया हाथ अब नीचे उसकी सारी उठाकर उसकी बाई टांग को उपर उठा रहा
था.कामिनी ने खुद अपनी टांग को उपर कर अपने गुरु की गोद मे कर दिया & वो
उसकी गोरी टांग को सहलाने लगे मगर उनका हाथ घुटने के उपर नही आ रहा
था.कामिनी अब तड़प से बहाल थी.अभी तक उसके गुरु ने ना उसके होंठ चूमे थे
ना ही उसकी चूत को छेड़ा था.वो अब अपने नाज़ुक अंगो पे उनकी छुअन महसूस
करने को बेताब हो उठी थी..
बेचैन हो उसने उनके सीने से लगे हुए उनका कुर्ता निकाल दिया & फिर सर
झुका उनके बालो भरे सीने को चूमने लगी.उनके बाए निपल को अपनी जीभ से छेड़
उसने अपने मुँह मे भर वैसे ही चूसा जैसे चंदर साहब उसकी चूचियो को चूस्ते
थे.चंद्रा साहब ने आह भारी & झुकी हुई कामिनी के बदन को सहलाने लगे,"अगर
कोई मुजरिम जुर्म करता है तो उसका सबसे बड़ा डर होता है पकड़े
जाना..",कामिनी तो भूल ही गयी थी की उसने कोई सवाल भी किया था.
"इस केस मे इंदर तो जुर्म पे जुर्म कर रहा है मगर वो हर बार कुच्छ ऐसे
सुराग भी छ्चोड़ रहा है की उसपे शक़ जाए.1 तरफ तो वो वीरेन को फँसा रहा
है मगर कोई भी बड़ी आसानी से ये समझ सकता है की इस सबके पीछे इंदर का हाथ
है.उसकी साज़िशो मे वो सफाई नही है....आअहह..नही.",कामिनी उनके सीने को
चूमते हुए नीचे तक पहुँच गयी थी & पाजामे मे से झलक रहे उनके लंड को उभार
को दबोच वो पाजामे की डोर खींचने लगी थी.चंद्रा साहब ने उसे खड़ा किया &
फिर अपनी बाहो मे भर लिया.जब उनके सीने से उसकी जोश से कसी चूचिया पीसी
तो कामिनी के दिल को जैसे थोड़ा करार मिला.उसने अपने गुरु को बाहो मे भर
लिया & अपने पंजो पे उचक उनके होंठ चूमने लगी.जहा कामिनी की किस मे उसकी
तड़प & प्यास की शिद्दत थी वही चंद्रा साहब के जवाब मे बहुत धीरज था.
कामिनी ने जब अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे दाखिल कराई तो उन्होने बड़ी
गर्मजोशी से उसका इस्तेक्बाल किया. कामिनी की चूत मे तभी मानो जैसे बहुत
ज़्यादा तनाव बन गया.उसके बदन की छट-पटाहट & उस छट-पटाहट के पीछे छुपा
तनाव चंद्रा साहब ने भाँप लिया.उन्होने बड़ी मज़बूती से उसे खुद से
चिपताया & उसकी कमर को मसलते हुए उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ा
दी.कामिनी उनके गले को अपनी बाँहो से कसे अपनी चूत को उनके लंड पे यू
रगड़ती मानो उनके जिस्म पे चढ़ जाना चाहती हो झड़ने लगी.उसका बदन बिल्कुल
अकड़ गया & उसने किस तोड़ दी & अपने गुरु की बाहो मे झूल गयी.चंद्रा साहब
उसे मज़बूती से थामे थे & उनका 1 हाथ उसकी कमर से अटकी सारी को निकाल रहा
था.
जब कामिनी अपने झड़ने की खुमारी से बाहर आई तो उसने पाया की उसकी सारी
फर्श पे पड़ी है & उसके गुरु उसे अपनी बाहो मे उठाए अपने बेडरूम मे ले जा
रहे हैं.बिस्तर पे लिटा की चंद्रा साहब ने अपना पाजामा निकाल दिया & पूरे
नंगे हो गये,फिर बिस्तर पे चढ़े & उसकी दाई तरफ घुटनो पे बैठ उसके
पेटिकोट के अंदर हाथ घुसा उसकी टाँगो को सहलाने लगे.1 बार फिर कामिनी
मस्त होने लगी,"तो फिर कौन हो सकता है असली मुजरिम?"
"ये कहना मुश्किल है.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी कसी जाँघो को सहला रहा
था,"..जो भी है वो इंदर को ढाल बनाके काम कर रहा है & मुझे कोई हैरत नही
होगी जब उसका मक़सद पूरा होने पे वो इंदर को भी दूध मे गिरी मक्खी की तरह
निकाल फेंके.",कामिनी ने चंद्रा साहब के सहलाने से बेताब हो अपने घुटने
मोड तो उसका पेटिकोट उसकी कमर तक आ पहुँचा & उसकी पीली लेस पॅंटी दिखने
लगी.कामिनी की छातियो मे मीठा दर्द हो रहा था.उसने अपने हाथो से ब्लाउस
के उपर से ही उन्हे दाना शुरू कर दिया.
"तुम्हारा डर की अभी देविका से भी ज़्यादा ख़तरा वीरेन को है बिल्कुल सही
है..",चंद्रा साहब उसकी दोनो जाँघो को उपर-नीचे,अंदर-बाहर हर तरफ से
सहलाए जा रहे थे & कामिनी की पॅंटी पे दिख रहा गीला धब्बा पल-2 बड़ा होता
जा रहा था.कामिनी अपनी चूचिया दबाती अपनी कमर उचका रही थी पर चंद्रा साहब
तो जैसे उसकी चूत च्छुने के मूड मे ही नही थे,"..ज़मानत देने के बाद
तुमने वीरेन को कहा छ्चोड़ा?",वो उसके पेटिकोट की डोर को खींच रहे थे.
"मैने उसे 1 होटेल मे ठहराया है & कमरा किसी & के नाम से बुक्ड
है.",कामिनी ने अपनी गंद उठा पेटिकोट को अपने जिस्म से अलग करने मे
चंद्रा साहब की मदद की.वो अब उसके ब्लाउस के बटन्स खोल रहे थे.
"बहुत अच्छे. ये तुमने बड़ी समझदारी का काम किया है..",कामिनी बिस्तर पे
उठ बैठी & जल्दी से ब्लाउस को अपनी बाहो से निकाला & अपने गुरु को गले से
लगा लिया.उसे बाँहो मे भरे चंद्रा साहब बिस्तर पे लेट गये & उसे चूमने
लगे.उनकी बाई बाँह के घेरे मे कामिनी पीठ के बल लेटी थी.चंद्रा साहब बाई
करवट पे हुए & उसे चूमते हुए अपनी उंगली उसकी पॅंटी के बगल से अंदर घुसाई
& उसकी चूत मे दाखिल करा दी.
"अओउन्न्ञनह....!",खुशी & मस्ती से भरी कामिनी की ज़ोर की आह कमरे मे
गूँजी.चंद्रा साहब तेज़ी से अपनी उंगली से उसकी चूत मार रहे थे & उनके
होंठ अब कामिनी के क्लीवेज पे थे & उसकी बाई छाती के नुमाया उभार को चूस
रहे थे.कामिनी ने भी जोश मे अपनी दाई टांग चंद्रा साहब की टाँगो के बीच
फँसा दी थी & अपनी बाहो को उनकी गर्दन मे डाल उनके सर को अपने सीने पे
दबा रही थी.चंद्रा साहब की उंगली की रफ़्तार तेज़ हुई तो कामिनी का बाया
हाथ उनके सर से नीचे उनकी पीठ पे पहुँचा & फिर उनकी गंद पे.चंद्रा साहब
उसकी छाती चूस्ते हुए उसकी चूत मार रहे थे & जोश मे अपनी कमर हिला के वो
अपना लंड उसकी कमर के बगल मे रगड़ रहे थे.
"ऊओह...उऊन्ह....आननह.....हाइईईईईईईई.....!",कामिनी मस्ती मे कमर उचका
रही थी.उसके सीने & चूत मे जैसे चंद्रा साहब की हर्कतो ने बिजली के कोई
ज्वालामुखी जगा दिए थे.उन दोनो जगहो से उठती मस्ती ने उसे पागल कर दिया
था.उसकी चूत से रस बहे चला जा रहा था & उसे जो मज़ा अभी महसूस हो रहा था
ऐसा ना जाने कितने दीनो बाद उसने महसूस किया था.उसने चंद्रा साहब की गंद
को मसला & फिर उसकी दरार पे अपनी उंगली फिराने लगी.चंद्रा साहब बड़ी
तेज़ी से उसकी चूत मार रहे थे की तभी कामिनी ने अपनी उंगली उनके गंद के
छेद मे घुसा दी.
दायरा बनाते हुए जब उसमे दाखिला लिया & फिर उसे कुरेदा तो कामिनी की आह
निकल गयी.उसने उनकी दाई कलाई पकड़ ली & उस हाथ को खींच अपने चेहरे से लगा
लिया.चंद्रा साहब उसके बाए गाल को सहलाने लगे तो कामिनी ने उनके हाथ को
अपने बाए हाथ से पकड़े हुए अपने गाल से सताये उसकी हथेली चूम ली.चंद्रा
साहब ने भी जवाब मे उसके दाए हाथो को चूमा & फिर अपने दाए हाथ की उंगली
उसके मुँह मे घुसा दी जिसे कामिनी बड़ी खुशी से चूमने लगी.उसके गुलाबी
होंठो मे फँसी उंगली,उसके चेहरे की मस्ती ने चंद्रा साहब के पाजामे मे भी
तंबू बना दिया था.
कामिनी अपने बाए हाथ से उनकी दाई कलाई पकड़ उस हाथ की उंगलिया बारी-2 से
चूस रही थी & दाए को उसने चंद्रा साहब के कुर्ते मे घुसा दिया था & उनके
सीने & पेट पे फिरा रही थी.चंद्रा साहब ने बाया हाथ उसके कंधे पे रखा &
उसके ब्लाउस के स्ट्रॅप को नीचे कर दिया तो कामिनी का ब्रा स्ट्रॅप
नुमाया हो गया.उन्होने उसे भी नीचे किया & उसके दाए पे अपने तपते होंठ रख
दिए.आह भर कामिनी ने अपना सर पीछे कर लिया & उनकी उंगलिया चूसना भूल उनके
सर को बाए हाथ से थाम लिया.
चंद्रा साहब ने पहले उसके कंधे के 1-1 हिस्से को चूमा & फिर उपर उसकी
गर्दन पे बढ़ गये.कामिनी को उनके तपते होंठो का एहसास पागल कर रहा
था.चंद्रा साहब ने अपने दाए हाथ से उसके ब्लाउस & ब्रा के दूसरे
स्ट्रॅप्स के साथ भी वही हरकत दोहराई & उसकी गर्दन के उपर उसकी ठुड्डी के
नीचे चूमते हुए उसके बाए कंधे तक पहुँच गये,"ऊन्नह.....उउंम....अब बताइए
की इंदर कैसे नही हुआ असली मुजरिम....आनह..?"
चंद्रा साहब ने जैसे उसका सवाल सुना ही नही.वो उसकी बाई बाँहो को चूमने
लगे थे. उस बाँह को दाए हाथ मे पकड़ उन्होने फैला लिया था & उसकी पूरी
लंबाई पे चूम अपनी शिष्या को पागल कर रहे थे.उनका बाया हाथ अब कामिनी की
पतली कमर को कसे हुए था & कामिनी बेचैनी से उनकी गिरफ़्त मे कसमसाते हुए
आहे भर रही थी.चंद्रा साहब ने उसकी बाई बाँहो को अपने गले मे डाला तो
कामिनी उनसे चिपक गयी & उनके सर को पागलो की तरह चूमने लगी.चंद्रा साहब
का दाया हाथ अब नीचे उसकी सारी उठाकर उसकी बाई टांग को उपर उठा रहा
था.कामिनी ने खुद अपनी टांग को उपर कर अपने गुरु की गोद मे कर दिया & वो
उसकी गोरी टांग को सहलाने लगे मगर उनका हाथ घुटने के उपर नही आ रहा
था.कामिनी अब तड़प से बहाल थी.अभी तक उसके गुरु ने ना उसके होंठ चूमे थे
ना ही उसकी चूत को छेड़ा था.वो अब अपने नाज़ुक अंगो पे उनकी छुअन महसूस
करने को बेताब हो उठी थी..
बेचैन हो उसने उनके सीने से लगे हुए उनका कुर्ता निकाल दिया & फिर सर
झुका उनके बालो भरे सीने को चूमने लगी.उनके बाए निपल को अपनी जीभ से छेड़
उसने अपने मुँह मे भर वैसे ही चूसा जैसे चंदर साहब उसकी चूचियो को चूस्ते
थे.चंद्रा साहब ने आह भारी & झुकी हुई कामिनी के बदन को सहलाने लगे,"अगर
कोई मुजरिम जुर्म करता है तो उसका सबसे बड़ा डर होता है पकड़े
जाना..",कामिनी तो भूल ही गयी थी की उसने कोई सवाल भी किया था.
"इस केस मे इंदर तो जुर्म पे जुर्म कर रहा है मगर वो हर बार कुच्छ ऐसे
सुराग भी छ्चोड़ रहा है की उसपे शक़ जाए.1 तरफ तो वो वीरेन को फँसा रहा
है मगर कोई भी बड़ी आसानी से ये समझ सकता है की इस सबके पीछे इंदर का हाथ
है.उसकी साज़िशो मे वो सफाई नही है....आअहह..नही.",कामिनी उनके सीने को
चूमते हुए नीचे तक पहुँच गयी थी & पाजामे मे से झलक रहे उनके लंड को उभार
को दबोच वो पाजामे की डोर खींचने लगी थी.चंद्रा साहब ने उसे खड़ा किया &
फिर अपनी बाहो मे भर लिया.जब उनके सीने से उसकी जोश से कसी चूचिया पीसी
तो कामिनी के दिल को जैसे थोड़ा करार मिला.उसने अपने गुरु को बाहो मे भर
लिया & अपने पंजो पे उचक उनके होंठ चूमने लगी.जहा कामिनी की किस मे उसकी
तड़प & प्यास की शिद्दत थी वही चंद्रा साहब के जवाब मे बहुत धीरज था.
कामिनी ने जब अपनी ज़ुबान उनके मुँह मे दाखिल कराई तो उन्होने बड़ी
गर्मजोशी से उसका इस्तेक्बाल किया. कामिनी की चूत मे तभी मानो जैसे बहुत
ज़्यादा तनाव बन गया.उसके बदन की छट-पटाहट & उस छट-पटाहट के पीछे छुपा
तनाव चंद्रा साहब ने भाँप लिया.उन्होने बड़ी मज़बूती से उसे खुद से
चिपताया & उसकी कमर को मसलते हुए उसकी ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ा
दी.कामिनी उनके गले को अपनी बाँहो से कसे अपनी चूत को उनके लंड पे यू
रगड़ती मानो उनके जिस्म पे चढ़ जाना चाहती हो झड़ने लगी.उसका बदन बिल्कुल
अकड़ गया & उसने किस तोड़ दी & अपने गुरु की बाहो मे झूल गयी.चंद्रा साहब
उसे मज़बूती से थामे थे & उनका 1 हाथ उसकी कमर से अटकी सारी को निकाल रहा
था.
जब कामिनी अपने झड़ने की खुमारी से बाहर आई तो उसने पाया की उसकी सारी
फर्श पे पड़ी है & उसके गुरु उसे अपनी बाहो मे उठाए अपने बेडरूम मे ले जा
रहे हैं.बिस्तर पे लिटा की चंद्रा साहब ने अपना पाजामा निकाल दिया & पूरे
नंगे हो गये,फिर बिस्तर पे चढ़े & उसकी दाई तरफ घुटनो पे बैठ उसके
पेटिकोट के अंदर हाथ घुसा उसकी टाँगो को सहलाने लगे.1 बार फिर कामिनी
मस्त होने लगी,"तो फिर कौन हो सकता है असली मुजरिम?"
"ये कहना मुश्किल है.",चंद्रा साहब का हाथ उसकी कसी जाँघो को सहला रहा
था,"..जो भी है वो इंदर को ढाल बनाके काम कर रहा है & मुझे कोई हैरत नही
होगी जब उसका मक़सद पूरा होने पे वो इंदर को भी दूध मे गिरी मक्खी की तरह
निकाल फेंके.",कामिनी ने चंद्रा साहब के सहलाने से बेताब हो अपने घुटने
मोड तो उसका पेटिकोट उसकी कमर तक आ पहुँचा & उसकी पीली लेस पॅंटी दिखने
लगी.कामिनी की छातियो मे मीठा दर्द हो रहा था.उसने अपने हाथो से ब्लाउस
के उपर से ही उन्हे दाना शुरू कर दिया.
"तुम्हारा डर की अभी देविका से भी ज़्यादा ख़तरा वीरेन को है बिल्कुल सही
है..",चंद्रा साहब उसकी दोनो जाँघो को उपर-नीचे,अंदर-बाहर हर तरफ से
सहलाए जा रहे थे & कामिनी की पॅंटी पे दिख रहा गीला धब्बा पल-2 बड़ा होता
जा रहा था.कामिनी अपनी चूचिया दबाती अपनी कमर उचका रही थी पर चंद्रा साहब
तो जैसे उसकी चूत च्छुने के मूड मे ही नही थे,"..ज़मानत देने के बाद
तुमने वीरेन को कहा छ्चोड़ा?",वो उसके पेटिकोट की डोर को खींच रहे थे.
"मैने उसे 1 होटेल मे ठहराया है & कमरा किसी & के नाम से बुक्ड
है.",कामिनी ने अपनी गंद उठा पेटिकोट को अपने जिस्म से अलग करने मे
चंद्रा साहब की मदद की.वो अब उसके ब्लाउस के बटन्स खोल रहे थे.
"बहुत अच्छे. ये तुमने बड़ी समझदारी का काम किया है..",कामिनी बिस्तर पे
उठ बैठी & जल्दी से ब्लाउस को अपनी बाहो से निकाला & अपने गुरु को गले से
लगा लिया.उसे बाँहो मे भरे चंद्रा साहब बिस्तर पे लेट गये & उसे चूमने
लगे.उनकी बाई बाँह के घेरे मे कामिनी पीठ के बल लेटी थी.चंद्रा साहब बाई
करवट पे हुए & उसे चूमते हुए अपनी उंगली उसकी पॅंटी के बगल से अंदर घुसाई
& उसकी चूत मे दाखिल करा दी.
"अओउन्न्ञनह....!",खुशी & मस्ती से भरी कामिनी की ज़ोर की आह कमरे मे
गूँजी.चंद्रा साहब तेज़ी से अपनी उंगली से उसकी चूत मार रहे थे & उनके
होंठ अब कामिनी के क्लीवेज पे थे & उसकी बाई छाती के नुमाया उभार को चूस
रहे थे.कामिनी ने भी जोश मे अपनी दाई टांग चंद्रा साहब की टाँगो के बीच
फँसा दी थी & अपनी बाहो को उनकी गर्दन मे डाल उनके सर को अपने सीने पे
दबा रही थी.चंद्रा साहब की उंगली की रफ़्तार तेज़ हुई तो कामिनी का बाया
हाथ उनके सर से नीचे उनकी पीठ पे पहुँचा & फिर उनकी गंद पे.चंद्रा साहब
उसकी छाती चूस्ते हुए उसकी चूत मार रहे थे & जोश मे अपनी कमर हिला के वो
अपना लंड उसकी कमर के बगल मे रगड़ रहे थे.
"ऊओह...उऊन्ह....आननह.....हाइईईईईईईई.....!",कामिनी मस्ती मे कमर उचका
रही थी.उसके सीने & चूत मे जैसे चंद्रा साहब की हर्कतो ने बिजली के कोई
ज्वालामुखी जगा दिए थे.उन दोनो जगहो से उठती मस्ती ने उसे पागल कर दिया
था.उसकी चूत से रस बहे चला जा रहा था & उसे जो मज़ा अभी महसूस हो रहा था
ऐसा ना जाने कितने दीनो बाद उसने महसूस किया था.उसने चंद्रा साहब की गंद
को मसला & फिर उसकी दरार पे अपनी उंगली फिराने लगी.चंद्रा साहब बड़ी
तेज़ी से उसकी चूत मार रहे थे की तभी कामिनी ने अपनी उंगली उनके गंद के
छेद मे घुसा दी.
Re: Badla बदला
"आहह..!",उसकी छाती से सर उठा आँखे बंद कर उन्होने आह भारी & उनकी उंगली
कामिनी की चूत मे थोड़ा और अंदर घुस गयी.
"आईय्य्यीई.....!",कामिनी ने 1 आख़िरी बार कमर उचकाई & फिर अपने गुरु को
परे धकेलते हुए,उनकी गंद से अपना हाथ अलग करते हुए दाई करवट पे लेट तकिये
मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.चंद्रा साहब समझ गये की उनकी शिष्या बड़ी
शिद्दत से झड़ी है.तभी कमरे के दूसरे छ्होर पे शेल्फ पे रखा उनका फोन बजा
तो वो उसे उठाने चले गये,"हेलो...हा कैसी हो?....कुच्छ नही कामिनी आई
है.उसी के साथ बाते हो रही थी."
कामिनी समझ गयी की मिसेज़.चंद्रा का फोन है....ये इत्तेफ़ाक़ था या कुच्छ
और?!..अब भी कामिनी चंद्रा साहब के साथ चुदाई कर रही होती मिसेज़.चंद्रा
या तो वही कही आस-पास मौजूद रहती या फिर उनका फोन आ जाता.बात चाहे जो भी
हो हर बरा की तरह इस बार भी कामिनी की मस्ती इस बात से बढ़ गयी,चंद्रा
साहब उसकी ओर मुँह किए बीवी से बात कर रहे थे.कामिनी बिस्तर से उतरी &
उन्हे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ उनकी पीठ चूमने लगी.चूमते हुए उसने
दोनो हाथ उनके पेट पे बाँध दिए & फिर नीचे ले जाके उनके लंड को थाम
लिया.अगर आंटी को पता चल जाए की इस वक़्त वो उनके पति के लंड को हाथ मे
पकड़ हिला रही थी तो उनका रिक्षन क्या होगा?!!
"लो बात करो.",चंद्रा साहब ने उसे पकड़ कर सामने किया & फोन उसे
थमाया.अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाली & उसका ब्रा खोलने लगे.कामिनी ने
फोन को 1 हाथ से दूसरे हाथ मे ले जाके ब्रा को निकालने दिया,"हां,आंटी.बस
काम ही करते रहता हैं सर तो.अभी भी 1 केस मे जुटे हैं.मेरी दलीलें तो 2
बार हार मान चुकी हैं,अब आगे देखे क्या करते हैं.",चंद्रा साहब नीचे बैठ
उसकी पॅंटी उतार रहे थे.पॅंटी निकाल उन्होने उसकी कमर को अपने बाजुओ मे
कस लिया & उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसके गोल पेट को चूमने लगे.1
हाथ से कामिनी उनके सर के बॉल सहलाते हुए बात कर रही थी.
"हा,आंटी.वो सब तो ठीक है...आआईययईी..!",चंद्रा साहब ने उसकी चूत मे अपनी
जीभ घुसा दी थी,"..क-कुच्छ नही आंटी..वो आपके यहा का चूहा फिर नज़र आ गया
तो डर गयी थी.अच्छा अब रखती हू.",फोन किनारे कर कामिनी ने शेल्फ से पीठ
लगा दी.चंद्रा साहब उसकी चूत को चाते ही चले जा रहे थे.कोई 2-3 मिनिट तक
चाटने के बाद जब उसने उसकी चूत से बह आया सारा रस पी लिया तो वो खड़े हुए
& कामिनी की बाई टांग को उठा उसके पैर शेल्फ पे जमा उसकी चूत को थोड़ा
खोल दिया & अपना दाया हाथ उस से लगा दिया.
"आनह...ओई..मा......हाईईइ...ऊहह....!",चंद्रा साहब बड़ी तेज़ी से उसके
दाने पे अपनी उंगली दायरे मे घुमा रहे थे.कामिनी उनकी बाहे पकड़े किसी
तरह से खड़ी थी.उसकी चूत 1 बार फिर उसी तनाव को महसूस कर रही थी जो झड़ने
के पहले बनता था.उसकी चूचिया बिल्कुल कस चुकी थी & उनके निपल्स बिल्कुल
सख़्त हो चुके थे.दाने को रगड़ते हुए चंद्रा साहब ने दूसरे हाथ से उसकी
दाई चूची को मसला तो कामिनी की मदहोशी और भी बढ़ गयी.
"तब आगे क्या करना है सहाय एस्टेट के केस मे?"
"ऊओन्नह....अब मैं खुद एस्टेट जाउन्गि & हाईईईई....",कामिनी बेचैनी से
कमर हिला रही थी,"....इंदर के खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा करूँगी...आनह.. &
अगर मुमकिन हुआ तो उसे देविका की नज़रो से...ओह...गिरा भी
दूँगी.....",उसने चंद्रा साहब का सर पकड़ अपनी छाती से लगा दिया & अपनी
कमर पागलो की तरह हिलाने लगी.चंद्रा साहब वैसे ही उसके दाने को रगड़ते
रहे.कामिनी अब झड़ने के करीब थी.चंद्रा साहब को भी इस बात का इल्म
था,उन्होने तभी अचानक 1 ऐसी हरकत की कामिनी ना केवल चौंक उठी बल्कि उसकी
चूत से तो रस का दरया बह निकला-चंद्रा साहब ने उसके दाने को अपनी उंगली &
अंगूठे के बीच पकड़ के हल्के से उसपे चिकोटी काट ली & उसी वक़्त उसके
निपल को भी दन्तो से हल्के से काट लिया.कामिनी हैरत से भरी झड़ने लगी &
अपने गुरु के गले लग गयी.
चंद्रा साहब उसे बाहो मे भरे उसके बालो को चूम रहे थे,"बहुत एहतियात
बरतना बल्कि मैं तो कहूँगा किसी पेशेवर जासूस को भेज दो अपनी जगह.",वो
उसकी पीठ सहला रहे थे.कामिनी अपनी साँसे संभाल रही थी.वो खामोश हाँफती
हुई उनके सीने से लगी खड़ी थी.चंद्रा साहब का प्री कम से गीला लंड उसके
पेट से दबा था.उसकी चूत तीन बार झड़ने के बावजूद इस लंड की चुदाई की
प्यासी थी,"नही सर,जाना तो मुझे ही होगा. ये काम मैं किसी और पे नही
छ्चोड़ सकती."
उसने लंड को पकड़ के हिलाया,"..& अब ये बाते छ्चोड़िए & जल्दी से इसे
मेरे अंदर डालिए वरना मैं मर जाउन्गि!",उसने लंड को मसल दिया तो चंद्रा
साहब उसे बाहो मे भरे हुए बिस्तर तक ले गये.सच तो ये था की उनका भी बुरा
हाल था.इतनी देर से वो खुद पे काबू रखे हुए थे & अब उनका जी भी यही कर
रहा था की बस जल्द से जल्द अपनी शिष्या की नाज़ुक सी निहायत कसी चूत मे
अपने लंड को घुसा उसे अपने रस से सराबोर कर दें.चंद्रा साहब उसे बाहो मे
भरे हुए बिस्तर पे लेट गये तो कामिनी ने अपने घुटने मोड़ अपनी टाँगे फैला
दी.चंद्रा साहब उसे चूम रहे थे & वो अपने दाए हाथ से उनके लंड को अपनी
चूत का रास्ता दिखा रही थी.
"आअनह...!",लंड जैसे ही अंदर गया अपने गुरु के सर को बाहो मे भरे कामिनी
ने आँखे बंद कर जोश से आ भर सर पीछे किया.ऐसा करने से उसकी लंबी गर्दन
चंद्रा साहब की नज़रो के सामने चमक उठी & वो उसे चूमने लगे.उनकी कमर बहुत
तेज़ी से हिल रही थी & वो बहुत ज़ोर-शोर से अपनी शिष्या को चोद रहे
थे.दोनो प्रेमियो की बस अब 1 ही ख्वाहिश थी-जल्द से जल्द अपनी मंज़िल
पाना वो भी 1 दूसरे के साथ-2.
कामिनी ने अपनी दाई तंग उठाई & पैर को चंद्रा साहब के बाए घुटने के
पिच्छले हिस्से पे जमा दिया.बाई टांग को उसने उसकी कमर पे लपेटा,ऐसा करने
से उसकी चूत थोड़ा और खुल गयी थी & चंद्रा साहब के धक्के और गहरे जा रहे
थे.उसके हाथो के नाख़ून उनकी पीठ से लेके गंद तक हर तरह की लकीरें बना
रहे थे.चंद्रा साहब उसकी चूचियो को मसलते हुए उसके चेहरे को चूमते हुए
बहुत ज़ोरो से धक्के लगा रहे थे.उनके लंड की रगड़ ने कामिनी की नाज़ुक
चूत को 1 बार फिर से झड़ने की कगार पे पहुँचा दिया था.
अचानक चंद्रा साहब के धक्के बहुत ही तेज़ हो गये.कामिनी की चूत ने भी
उनके लंड के सिकुड़ने-फैलने की मादक हरकत शुरू कर दी.दोनो प्रेमी समझ गये
की दोनो ही अपनी मंज़िलो के करीब है.चंद्रा साहब ने उसकी चूचियो से हाथ
हटा के बिस्तर पे जमाए & उसके बाए कंधे & गर्दन मे मुँह च्छुपाए वाहा पे
चूमते हुए अपना सारा ध्यान अपने धक्को पे लगा दिया.कामिनी भी उनकी गंद मे
अपने नाख़ून धंसाए अपनी टाँगो से उनके जिस्म को जकड़े नीचे से कमर हिला
रही थी.तभी कामिनी की चूत कुच्छ ज़्यादा ही कस गयी उसके गुरु के लंड पे &
वो बिस्तर से उठती हुई उनकी गंद मे और नाख़ून धँसाती हुई आहे भरती हुई
झड़ने लगी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी उनके रस की धार च्छुटी
जिसने कामिनी की चूत को नहला दिया.
दोनो प्रेमी 1 दूसरे की बाहो मे पड़े हुए उस मस्ताने एहसास के 1-1 पल की
मदहोशी को महसूस करते हुए पड़े हुए थे.कामिनी ने घड़ी की ओर देखा अभी तो
बस शाम के 4 बजे थे,वो जानती थी की रात होने तक वो आज अपने गुरु की बाहो
मे ही रहने वाली है.उसने आँखे बंद की & अपनी बाहे अपने उपर पड़े हुए
चंद्रा साहब के गले मे डाल उनके गाल को चूम लिया.
"ऊऊहह.....आऐईईईई.....हाआंणन्न्...हान्न्न्न्न.....!",कामिनी आज तीसरी
बार चंद्रा साहब से चुद रही थी.वो बिस्तर पे पेट के बल पड़ी थी & चंद्रा
साहब उसकी पीठ पे सवार उसके दोनो तरफ बिस्तर की चादर को भींचते उसके हाथो
के उपर से हाथ लगाए,उनकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसाए उसकी चूत मे अपना
पूरा लंड धंसाए उसकी चुदाई कर रहे थे.
कोई 10 मिनिट से वो लगातार धक्के लगा रहे थे & अब दोनो प्रेमी 1 बार फिर
साथ झड़ने की तैय्यारि मे थे,"..कामिनी..आहह..",चंद्रा साहब ने उसके दाए
कंधे के उपर से सर ले जा उसके गाल को चूम लिया,"..मेरी 1 बात
मानो..",कामिनी ने उनके होंठो को अपने गुलाबी लाबो की क़ैद मे ले उन्हे
आगे बोलने से रोक दिया.
"कौन सी बात?",कुच्छ पलो बाद लाबो को छ्चोड़ आहे भरते हुए वो बोली.
"तुम एस्टेट मे छुप के सबकी जासूसी करोगी ये बात किसी को भी नही बताना
यहा तक की वीरेन सहाय को भी नही.",उनके धक्के और तेज़ हो गये थे.कमरे मे
उनके आंडो की कामिनी की गंद से टकराने की ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.
"क्यू?"
"क्यूकी जो भी वीरेन को नुकसान पहुचाना चाहता है वो आज नही तो कल वो कहा
च्छूपा है ये तो पता लगा ही लेगा साथ ही ये भी मुमकिन है की वो उसके फोन
टॅप कर रहा हो या फिर किसी और तरह से उसपे नज़र रखे हो..",चंद्रा साहब ने
कामिनी के हाथो को और कस के भींच लिया,उनके आंडो मे मीठा दर्द हो रहा था
जो की बस थोड़ी ही देर मे मज़े मे बदलने वाला था.
"..अब जब वीरेन को पता ही नही रहेगा की तुम कहा हो तो उसके दुश्मन को ये
बात कैसे पता चलेगी..आअहह..!"
"हाईईईईईईई......!",दोनो प्रेमियो की आहो ने इस बात का एलन किया की दोनो
1 बार फिर साथ-2 मस्ती की मंज़िल तक पहुँच चुके थे.
थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी सारी बाँध रही थी & चंद्रा साहब बिस्तर पे
लेटे उसे निहार रहे थे,"आपकी सलाह मेरे कितने काम आती है आपको तो अंदाज़ा
भी नही.",कामिनी ने सारी कमर मे अटकाई & आँचल अपने सीने से कंधे पे डाला
फिर अपने गुरु के नज़दीक आई & उन्हे चूम लिया,"अब चलती हू."
"अपना ख़याल रखना कामिनी & कोई भी परेशानी हो तो मुझे खबर करना.."
"ज़रूर सर."
इंदर आज रात फिर देविका के बिस्तर मे उसे बाहो मे ले सोया हुआ था.1 बार
फिर देविका रोते-2 नींद की बाहो मे चली गयी थी.इंदर उसे थपकीया देता हुआ
आगे के बारे मे सोच रहा था,देविका बेटे की मौत से बिल्कुल बेज़ार हो गयी
थी.उसे ना कारोबार मे दिलचस्पी रह गयी थी ना ही ज़िंदगी मे.ऐसे मे बस 1
इंदर ही उसे अपना लगता था.
इंदर ने उसकी इस हालत का पूरा फाय्दा उठाया & हर रात बिना चुदाई किए उसे
बाहो मे ले ये भरोसा दिला दिया की वो उसे सच्चे दिल से चाहता है.देविका
ने भी उसकी बात मान ली थी की दोनो कुच्छ दीनो बाद इस मनहूस जगह से कही
दूर चले जाएँगे.
कितनी आसानी से ये उसके जाल मे फँस गयी थी!....सोचती थी की वो उसे इस गम
से उबारेगा जबकि वो तो....इंदर ने आँखे बंद की & सो गया.
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क्रमशः......................
कामिनी की चूत मे थोड़ा और अंदर घुस गयी.
"आईय्य्यीई.....!",कामिनी ने 1 आख़िरी बार कमर उचकाई & फिर अपने गुरु को
परे धकेलते हुए,उनकी गंद से अपना हाथ अलग करते हुए दाई करवट पे लेट तकिये
मे मुँह च्छूपा सुबकने लगी.चंद्रा साहब समझ गये की उनकी शिष्या बड़ी
शिद्दत से झड़ी है.तभी कमरे के दूसरे छ्होर पे शेल्फ पे रखा उनका फोन बजा
तो वो उसे उठाने चले गये,"हेलो...हा कैसी हो?....कुच्छ नही कामिनी आई
है.उसी के साथ बाते हो रही थी."
कामिनी समझ गयी की मिसेज़.चंद्रा का फोन है....ये इत्तेफ़ाक़ था या कुच्छ
और?!..अब भी कामिनी चंद्रा साहब के साथ चुदाई कर रही होती मिसेज़.चंद्रा
या तो वही कही आस-पास मौजूद रहती या फिर उनका फोन आ जाता.बात चाहे जो भी
हो हर बरा की तरह इस बार भी कामिनी की मस्ती इस बात से बढ़ गयी,चंद्रा
साहब उसकी ओर मुँह किए बीवी से बात कर रहे थे.कामिनी बिस्तर से उतरी &
उन्हे पीछे से अपनी बाहो मे जाकड़ उनकी पीठ चूमने लगी.चूमते हुए उसने
दोनो हाथ उनके पेट पे बाँध दिए & फिर नीचे ले जाके उनके लंड को थाम
लिया.अगर आंटी को पता चल जाए की इस वक़्त वो उनके पति के लंड को हाथ मे
पकड़ हिला रही थी तो उनका रिक्षन क्या होगा?!!
"लो बात करो.",चंद्रा साहब ने उसे पकड़ कर सामने किया & फोन उसे
थमाया.अपनी बाई बाँह उसके गले मे डाली & उसका ब्रा खोलने लगे.कामिनी ने
फोन को 1 हाथ से दूसरे हाथ मे ले जाके ब्रा को निकालने दिया,"हां,आंटी.बस
काम ही करते रहता हैं सर तो.अभी भी 1 केस मे जुटे हैं.मेरी दलीलें तो 2
बार हार मान चुकी हैं,अब आगे देखे क्या करते हैं.",चंद्रा साहब नीचे बैठ
उसकी पॅंटी उतार रहे थे.पॅंटी निकाल उन्होने उसकी कमर को अपने बाजुओ मे
कस लिया & उसकी गंद की फांको को दबाते हुए उसके गोल पेट को चूमने लगे.1
हाथ से कामिनी उनके सर के बॉल सहलाते हुए बात कर रही थी.
"हा,आंटी.वो सब तो ठीक है...आआईययईी..!",चंद्रा साहब ने उसकी चूत मे अपनी
जीभ घुसा दी थी,"..क-कुच्छ नही आंटी..वो आपके यहा का चूहा फिर नज़र आ गया
तो डर गयी थी.अच्छा अब रखती हू.",फोन किनारे कर कामिनी ने शेल्फ से पीठ
लगा दी.चंद्रा साहब उसकी चूत को चाते ही चले जा रहे थे.कोई 2-3 मिनिट तक
चाटने के बाद जब उसने उसकी चूत से बह आया सारा रस पी लिया तो वो खड़े हुए
& कामिनी की बाई टांग को उठा उसके पैर शेल्फ पे जमा उसकी चूत को थोड़ा
खोल दिया & अपना दाया हाथ उस से लगा दिया.
"आनह...ओई..मा......हाईईइ...ऊहह....!",चंद्रा साहब बड़ी तेज़ी से उसके
दाने पे अपनी उंगली दायरे मे घुमा रहे थे.कामिनी उनकी बाहे पकड़े किसी
तरह से खड़ी थी.उसकी चूत 1 बार फिर उसी तनाव को महसूस कर रही थी जो झड़ने
के पहले बनता था.उसकी चूचिया बिल्कुल कस चुकी थी & उनके निपल्स बिल्कुल
सख़्त हो चुके थे.दाने को रगड़ते हुए चंद्रा साहब ने दूसरे हाथ से उसकी
दाई चूची को मसला तो कामिनी की मदहोशी और भी बढ़ गयी.
"तब आगे क्या करना है सहाय एस्टेट के केस मे?"
"ऊओन्नह....अब मैं खुद एस्टेट जाउन्गि & हाईईईई....",कामिनी बेचैनी से
कमर हिला रही थी,"....इंदर के खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा करूँगी...आनह.. &
अगर मुमकिन हुआ तो उसे देविका की नज़रो से...ओह...गिरा भी
दूँगी.....",उसने चंद्रा साहब का सर पकड़ अपनी छाती से लगा दिया & अपनी
कमर पागलो की तरह हिलाने लगी.चंद्रा साहब वैसे ही उसके दाने को रगड़ते
रहे.कामिनी अब झड़ने के करीब थी.चंद्रा साहब को भी इस बात का इल्म
था,उन्होने तभी अचानक 1 ऐसी हरकत की कामिनी ना केवल चौंक उठी बल्कि उसकी
चूत से तो रस का दरया बह निकला-चंद्रा साहब ने उसके दाने को अपनी उंगली &
अंगूठे के बीच पकड़ के हल्के से उसपे चिकोटी काट ली & उसी वक़्त उसके
निपल को भी दन्तो से हल्के से काट लिया.कामिनी हैरत से भरी झड़ने लगी &
अपने गुरु के गले लग गयी.
चंद्रा साहब उसे बाहो मे भरे उसके बालो को चूम रहे थे,"बहुत एहतियात
बरतना बल्कि मैं तो कहूँगा किसी पेशेवर जासूस को भेज दो अपनी जगह.",वो
उसकी पीठ सहला रहे थे.कामिनी अपनी साँसे संभाल रही थी.वो खामोश हाँफती
हुई उनके सीने से लगी खड़ी थी.चंद्रा साहब का प्री कम से गीला लंड उसके
पेट से दबा था.उसकी चूत तीन बार झड़ने के बावजूद इस लंड की चुदाई की
प्यासी थी,"नही सर,जाना तो मुझे ही होगा. ये काम मैं किसी और पे नही
छ्चोड़ सकती."
उसने लंड को पकड़ के हिलाया,"..& अब ये बाते छ्चोड़िए & जल्दी से इसे
मेरे अंदर डालिए वरना मैं मर जाउन्गि!",उसने लंड को मसल दिया तो चंद्रा
साहब उसे बाहो मे भरे हुए बिस्तर तक ले गये.सच तो ये था की उनका भी बुरा
हाल था.इतनी देर से वो खुद पे काबू रखे हुए थे & अब उनका जी भी यही कर
रहा था की बस जल्द से जल्द अपनी शिष्या की नाज़ुक सी निहायत कसी चूत मे
अपने लंड को घुसा उसे अपने रस से सराबोर कर दें.चंद्रा साहब उसे बाहो मे
भरे हुए बिस्तर पे लेट गये तो कामिनी ने अपने घुटने मोड़ अपनी टाँगे फैला
दी.चंद्रा साहब उसे चूम रहे थे & वो अपने दाए हाथ से उनके लंड को अपनी
चूत का रास्ता दिखा रही थी.
"आअनह...!",लंड जैसे ही अंदर गया अपने गुरु के सर को बाहो मे भरे कामिनी
ने आँखे बंद कर जोश से आ भर सर पीछे किया.ऐसा करने से उसकी लंबी गर्दन
चंद्रा साहब की नज़रो के सामने चमक उठी & वो उसे चूमने लगे.उनकी कमर बहुत
तेज़ी से हिल रही थी & वो बहुत ज़ोर-शोर से अपनी शिष्या को चोद रहे
थे.दोनो प्रेमियो की बस अब 1 ही ख्वाहिश थी-जल्द से जल्द अपनी मंज़िल
पाना वो भी 1 दूसरे के साथ-2.
कामिनी ने अपनी दाई तंग उठाई & पैर को चंद्रा साहब के बाए घुटने के
पिच्छले हिस्से पे जमा दिया.बाई टांग को उसने उसकी कमर पे लपेटा,ऐसा करने
से उसकी चूत थोड़ा और खुल गयी थी & चंद्रा साहब के धक्के और गहरे जा रहे
थे.उसके हाथो के नाख़ून उनकी पीठ से लेके गंद तक हर तरह की लकीरें बना
रहे थे.चंद्रा साहब उसकी चूचियो को मसलते हुए उसके चेहरे को चूमते हुए
बहुत ज़ोरो से धक्के लगा रहे थे.उनके लंड की रगड़ ने कामिनी की नाज़ुक
चूत को 1 बार फिर से झड़ने की कगार पे पहुँचा दिया था.
अचानक चंद्रा साहब के धक्के बहुत ही तेज़ हो गये.कामिनी की चूत ने भी
उनके लंड के सिकुड़ने-फैलने की मादक हरकत शुरू कर दी.दोनो प्रेमी समझ गये
की दोनो ही अपनी मंज़िलो के करीब है.चंद्रा साहब ने उसकी चूचियो से हाथ
हटा के बिस्तर पे जमाए & उसके बाए कंधे & गर्दन मे मुँह च्छुपाए वाहा पे
चूमते हुए अपना सारा ध्यान अपने धक्को पे लगा दिया.कामिनी भी उनकी गंद मे
अपने नाख़ून धंसाए अपनी टाँगो से उनके जिस्म को जकड़े नीचे से कमर हिला
रही थी.तभी कामिनी की चूत कुच्छ ज़्यादा ही कस गयी उसके गुरु के लंड पे &
वो बिस्तर से उठती हुई उनकी गंद मे और नाख़ून धँसाती हुई आहे भरती हुई
झड़ने लगी.उसी वक़्त चंद्रा साहब के लंड से भी उनके रस की धार च्छुटी
जिसने कामिनी की चूत को नहला दिया.
दोनो प्रेमी 1 दूसरे की बाहो मे पड़े हुए उस मस्ताने एहसास के 1-1 पल की
मदहोशी को महसूस करते हुए पड़े हुए थे.कामिनी ने घड़ी की ओर देखा अभी तो
बस शाम के 4 बजे थे,वो जानती थी की रात होने तक वो आज अपने गुरु की बाहो
मे ही रहने वाली है.उसने आँखे बंद की & अपनी बाहे अपने उपर पड़े हुए
चंद्रा साहब के गले मे डाल उनके गाल को चूम लिया.
"ऊऊहह.....आऐईईईई.....हाआंणन्न्...हान्न्न्न्न.....!",कामिनी आज तीसरी
बार चंद्रा साहब से चुद रही थी.वो बिस्तर पे पेट के बल पड़ी थी & चंद्रा
साहब उसकी पीठ पे सवार उसके दोनो तरफ बिस्तर की चादर को भींचते उसके हाथो
के उपर से हाथ लगाए,उनकी उंगलियो मे अपनी उंगलिया फँसाए उसकी चूत मे अपना
पूरा लंड धंसाए उसकी चुदाई कर रहे थे.
कोई 10 मिनिट से वो लगातार धक्के लगा रहे थे & अब दोनो प्रेमी 1 बार फिर
साथ झड़ने की तैय्यारि मे थे,"..कामिनी..आहह..",चंद्रा साहब ने उसके दाए
कंधे के उपर से सर ले जा उसके गाल को चूम लिया,"..मेरी 1 बात
मानो..",कामिनी ने उनके होंठो को अपने गुलाबी लाबो की क़ैद मे ले उन्हे
आगे बोलने से रोक दिया.
"कौन सी बात?",कुच्छ पलो बाद लाबो को छ्चोड़ आहे भरते हुए वो बोली.
"तुम एस्टेट मे छुप के सबकी जासूसी करोगी ये बात किसी को भी नही बताना
यहा तक की वीरेन सहाय को भी नही.",उनके धक्के और तेज़ हो गये थे.कमरे मे
उनके आंडो की कामिनी की गंद से टकराने की ठप-2 की आवाज़ गूँज रही थी.
"क्यू?"
"क्यूकी जो भी वीरेन को नुकसान पहुचाना चाहता है वो आज नही तो कल वो कहा
च्छूपा है ये तो पता लगा ही लेगा साथ ही ये भी मुमकिन है की वो उसके फोन
टॅप कर रहा हो या फिर किसी और तरह से उसपे नज़र रखे हो..",चंद्रा साहब ने
कामिनी के हाथो को और कस के भींच लिया,उनके आंडो मे मीठा दर्द हो रहा था
जो की बस थोड़ी ही देर मे मज़े मे बदलने वाला था.
"..अब जब वीरेन को पता ही नही रहेगा की तुम कहा हो तो उसके दुश्मन को ये
बात कैसे पता चलेगी..आअहह..!"
"हाईईईईईईई......!",दोनो प्रेमियो की आहो ने इस बात का एलन किया की दोनो
1 बार फिर साथ-2 मस्ती की मंज़िल तक पहुँच चुके थे.
थोड़ी ही देर बाद कामिनी अपनी सारी बाँध रही थी & चंद्रा साहब बिस्तर पे
लेटे उसे निहार रहे थे,"आपकी सलाह मेरे कितने काम आती है आपको तो अंदाज़ा
भी नही.",कामिनी ने सारी कमर मे अटकाई & आँचल अपने सीने से कंधे पे डाला
फिर अपने गुरु के नज़दीक आई & उन्हे चूम लिया,"अब चलती हू."
"अपना ख़याल रखना कामिनी & कोई भी परेशानी हो तो मुझे खबर करना.."
"ज़रूर सर."
इंदर आज रात फिर देविका के बिस्तर मे उसे बाहो मे ले सोया हुआ था.1 बार
फिर देविका रोते-2 नींद की बाहो मे चली गयी थी.इंदर उसे थपकीया देता हुआ
आगे के बारे मे सोच रहा था,देविका बेटे की मौत से बिल्कुल बेज़ार हो गयी
थी.उसे ना कारोबार मे दिलचस्पी रह गयी थी ना ही ज़िंदगी मे.ऐसे मे बस 1
इंदर ही उसे अपना लगता था.
इंदर ने उसकी इस हालत का पूरा फाय्दा उठाया & हर रात बिना चुदाई किए उसे
बाहो मे ले ये भरोसा दिला दिया की वो उसे सच्चे दिल से चाहता है.देविका
ने भी उसकी बात मान ली थी की दोनो कुच्छ दीनो बाद इस मनहूस जगह से कही
दूर चले जाएँगे.
कितनी आसानी से ये उसके जाल मे फँस गयी थी!....सोचती थी की वो उसे इस गम
से उबारेगा जबकि वो तो....इंदर ने आँखे बंद की & सो गया.
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क्रमशः......................