गाओं की मस्ती compleet

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007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 16:56

हरिया और देवकी फिर नहा लिए और नहाने के बाद देवकी हरिया से बोली कि मुझे अब घर जाना है. घर पर बहुत से काम बाकी है. एह सुन कर जगन अपने जगह से निकल कर फिर से आम के बगीचे में चला गया. वो देवकी का इन्तिजार करने लगा. उसको देवकी से बात करनी थी, क्योंकी एह देवकी से बात करने का सही समय था. थोरी देर के बाद देवकी उसी रास्ते से धीरे धीरे चल कर आई. जगन तब आम के पेड़ के पिछे से निकल कर देवकी के सामने आकर खरा हो गया.

"जगन भाई शहाब, आप एन्हा क्या कर रहे है?" देवकी रुक कर पूछी. देवकी को डर था की कहीं जगन सब कुच्छ देख तो नही लिया. वह बोला,

"मैं तो हरिया के पास जा रहा था लेकिन मैं तुम को उसके साथ देखा. तुम उसके साथ काफ़ी बिज़ी थी और इसीलिए मैने तुम दोनो को परेशान नही किया."

"अपने सब कुच्छ देखा?" देवकी जगन से पूछी और उसकी चहेरा शरम से लाल हो गया. देवकी अपना सिर झुका लिया. जगन तब देवकी से बोला,

"तुम्हे मालूम है अगर मैं सब कुच्छ देव से बोल दूं तो तुम्हारा क्या हाल होगा?"

"भाई शहाब, प्लीज़ मेरे पति को कुच्छ मत कहिए, मैं अब फिर से एह सब काम नही करूँगी" देवकी बोली.

"प्लीज़ किसी से भी कुच्छ मत कहिए मैं आप को जो भी चीज़ माँगेंगे दूँगी" देवकी जगन के साम'ने गिरगिरने लगी.

"तुम मुझे क्या दे सकती हो?" जगन मौका देख कर देवकी से पूछा.

"कुच्छ भी, आप जो भी मगेंगे मैं देने के लिए तैइय्यार हूँ," देवकी बिना कुच्छ सोचे समझे जगन से बोली.

"ठीक है, तुम मेरे साथ आओ. मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है! मैं तुमको हरिया के साथ कल दोपहर और आज सुबहा देख कर बुरी तरह से परेशान हो गया हूँ. मैं इस समय तुमको जम कर चोदना चाहता हूँ," जगन देवकी से बोला.

"एह कैसे हो सकता है, मैं तो तुम्हारे अच्छे दोस्त की बीवी हूँ" देवकी ने विरोध किया.

"तुम मेरे लिया एक भाई समान हो, तुम मेरे साथ एह सब गंदे काम कैसे कर सकते हो" देवकी जगन से बोली.

"तुम अपने वादे के खिलाफ नही जा सकती हो, अगर तुम मेरे साथ नही चलती तो मैं एह सब बात देव को बता दूँगा" जगन देवकी को एह कह कर धमकाया. देवकी चुप चाप जगन की बात सुनती रही और फिर एक ठंडी सांस लेकर बोली,

"ठीक है, जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी," वो जानती थी कि जगन के साथ चुदाई की बात देव को नही मालूम चलेगा, लेकिन अगर उसको हरिया के साथ रोज रोज की चुदाई की बात मालूम चल गयी तो वो उसकी खाल उधेर देगा.

"ठीक है, लेकिन बस सिर्फ़ आज जो करना है कर लो," देवकी जगन से बोली. जगन एह सुन कर मुस्कुरा दिया और देवकी को लेकर एक सुन सान जगह पर ले गया. यह जगह आम की बगीचे से दूर था और रास्ते से भी बहुत दूर, इन्हा पर किसी को भी आने की गुंजाइश नही थी. जगन सुन सान जगह पर पहुँच कर अपनी पॅंट उतार कर ज़मीन पर बिच्छा दिया. उसका लंड इस समय अंडरवेर के अंदर धीरे धीरे खरा हो रहा था. उसने देवकी से कोई बात ना करते हुए उसको अपनी बाहों मे भर लिया और देवकी को चूमने लगा.

देवकी भी मन मार कर अपनी मुँह जगन के लिए खोल दिया जिस'से की जगन अपनी जीव उसकी मुह्न के अंदर डाल सके. जैसे जगन, देवकी को चूमने और चाटने लगा, देवकी भी धीरे धीरे गरमा कर जगन को चूमने लगी. देवकी को अपनी जाँघो के उप्पेर जगन का खरा लंड महसूस होने लगा. जगन तब देवकी की सारी खोल दिया और अब देवकी अपने ब्लाउस और पेटिकोट मे थी. जगन तब अपना मुँह देवकी की चूंची के उपेर रख कर उसकी चूंची को ब्लाउस के उप्पेर से ही चूमने और चाटने लगा. देवकी को तब जगन नीचे अपनी पॅंट पर बैठा दिया और खुद भी उसके पास बैठ गया. अब तक जगन का लंड काफ़ी तन चुक्का था और वो उसके अंडरवेर को तंबू बना चुक्का था. एह देख कर देवकी की आँखें चमक उठी. उसने अंडरवेर के उप्पेर से ही जगन का लंड पकड़ लिया और अपने हाथों मे लेकर उसकी लूम्बई और मोटाई नापने लगी.

007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 16:57

"अरे वा, तुम्हारा लंड बहुत तगरा है, है ना?" देवकी खुशी से बोल परी और जगन का लंड धीरे धीरे अंडरवेर से निकालने लगी. देवकी जब जगन का 10" लंबा लंड देखी तो उसकी आँखे फटी की फटी रहा गयी. जगन तब धीरे धीरे अपना अंडरवेर और शर्ट उतार कर देवकी के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया. देवकी तब जगन का लंड को अपने हाथों मे लेकर खिलोने की तरह खेलने लगी. देवकी अपना चहेरा जगन के लंड के पास लाकर उस लंड को घूर घूर कर देखने लगी और उसपर हाथ फेरने लगी. देवकी को जगन के लंड का लाल लाल और फूला हुआ सुपरा निकाल कर देखी और बहुत अस्चर्य से बोली,

"मैं अब तक इतना लंबा लंड और इतना बरा सुपरा नही देखी हूँ." देवकी तब उस सुपरे को धीरे से अपने मुँह मे ले कर चूमने और चूसने लगी. फिर वो उसको अपने मुँह से निकाल देखने लगी और अपनी जीव से उसके छेद तो चाटने लगी. जगन को अपने लंड पर देवकी का जीव की बहुत सुखद अनुभूति हो रही थी. अब जगन उठ कर बैठ गया और देवकी की ब्लाउस और पेटिकोट खोलने लगा. इस समय जगन देवकी को नगी देखना चाहता था और उसके चूंची से खेलना चाहता था. धीरे धीरे देवकी की ब्लाउस खुलते ही उसकी बरी बरी चूंची बाहर आ गयी और उनको देखते ही जगन उन पर टूट परा. जगन को देवकी की चूंची बहुत सुन्दर दिख रही थी.

"तुम्हे एह पसंद है? एह अक्च्चे है ना? पास आओ और इनको पकरो, शरमाओ मत." देवकी अपने चूंची को एक हाथ से पकर कर जगन को भेंट करते हुए दूसरे हाथ से उसका लंड मुठियाने लगी. जगन पहले तो थोरा हिचकिचाया और फिर हिम्मत करके उन नंगी चूंचियो पर अपना हाथ रखा. उसे उनको छुने के बाद बहुत गरम और नरम लगा. जगन फिर उन चूंचियो को दोनो हाथों से पकर कर मसल्ने लगा, जैसे की कोई आटा गुन्ध्ता है. वो जितना उनको मसलता था देवकी उतनी ही उत्तेजित हो रही थी. देवकी की निपल उत्तेजना से खरी हो गयी और करीब एक इंच के बराबर तन कर खरी हो गयी. जगन अपने आप को रोक नही पाया. वो उन निपल को अपने होठों के बीच ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगा. देवकी अब धीरे धीरे ज़मीन पर लेट गयी और जगन को अपने हाथों मे बाँध कर के अपने उपेर खींच लिया.

जगन तब देवकी की पेटिकोट कमर तक उठा दिया और उसकी झटों भरी चूत पर अपना हाथ फेरने लगा. उसने पाया की देवकी की चूत बहुत गीली हो गयी है और उसमे से काम रस चू चू कर बाहर निकल रहा है. उसने तब पहले अपना एक उंगली और फिर दो उंगली देवकी की गरम चूत के अंदर डाल दिया. जगन तब अपने अंगूठे से देवकी की चूत की घुंडी को सहलाने लगा. देवकी बहुत गरमा गयी थी. देवकी अपनी दोनो पैर चिपका लिए और अपनी सुडोल और चिकने जाँघो के बीच जगन का हाथ दबा लिया. देवकी फिर अपनी दूसरी चूंची को पकर कर जगन से उसको चूसने के लिए कहा और जगन देवकी की बात मानते हुए उसकी दूसरी चूंची को अपने हाथों मे लेकर चूसने लगा. हालंकी वे पेड़ के साए के नीचे थे फिर भी उन लोगों को जवानी की गर्मी से पसीना निकल रहा था.

जगन तब धीरे से देवकी की पेटिकोट का नारा खींच कर खोल दिया और उसको शरीर से निकाल दिया. उसे देवकी का नगा जिस्म बहुत पसंद आया और वो उस नंगी जिस्म को घूर घूर कर देखता रहा. देवकी की नगी जिस्म देख कर जगन को लगा कि उसकी बदन भरा भरा है लेकिन उसके बदन बहुत सुडोल और गता हुआ है. जगन देवकी की जाँघो को खोल कर घुटने मोर दिया और वो खुद उनके बीच आ गया. देवकी अपनी जाँघो को पूरा का पूरा फैला दिया जिससे की जगन उनके बीच बैठ सके. देवकी फिर जगन का खरा हुआ लंड को अपने हाथों मे पकर कर अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया.

"जगन भाई शहाब, ज़रा धीरे धीरे करना, मुझे आपका गधे जैसा लंड से डर लग रहा है. मैने आज तक इतना बरा लंड अपनी चूत के अंदर नही लिया है." फिर देवकी अपनी चूतर उच्छाल कर जगन का लंड अपने चूत में लेने की कोशिश करने लगी. थोरी देर के बाद देवकी को अपनी चूत के दरवाजे पर जगन का सुपरा का स्पर्श महसूस हुआ. देवकी ने तब अपने आप को ज़मीन पर बिच्छा दिया और जगन का मोटा ताज़ा लंड अपने चूत मे घुसने का इन्तिजार करने लगी. जगन तब अपने चूतर उठा कर एक्ज़ोर दार झटका मारा और उसका आधा लंड देवकी की चूत मे समा गया. जगन तब दो मिनिट रुक कर एक और झटका मारा और उसका पूरा पूरा 10" लूंबा लंड देवकी की चूत की गहराई मे घुस गया.

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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 16:57

देवकी अपनी चूत मे जगन का लंड की लंबाई और मोटाई महसूस कर रही थी और हरिया और देव के छ्होटे लंड से फ़र्क का अंदाज़ा लगा रही थी. देवकी को लग रही थी की उसकी चूत जगन के लंड घुसने से दो फांको मे फॅट रही है. उसको जगन का लंड अपने बcचेदनि मे घुसने का अहसास हो रही थी और जगन का हर धक्का उसकी शरीर को मदहोश कर रहा था. उसे अबतक अपनी चूत की चुदाई में इतना मज़ा कभी नही मिला था. वो जगन का हर धक्के के जवाब अपनी चूतर उच्छाल कर दे रही थी.

"क्यों जगन क्या तुम्हारा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे समा गया?" देवकी अपनी चुत्तऱ चलाते हुए बोली. जगन तब देवकी की चूत मे अपन लंड पेलता हुआ बोला,

"हाँ, तुम्हारी चूत मे लंड पेलने का मज़ा ही कुच्छ और है. मुँझे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत मज़ा आ रहा है." जगन तब अपना लंड देवकी की चूत मे जर तक घुसेर कर देवकी को धीरे धीरे चोदने लगा. जगन को देवकी की चूत की गर्मी और रसिल्ला अनदाज बहुत अक्च्छा लग रहा था. जगन तब देवकी की चूतर के दोनो तरफ अपने हाथ रख कर उसकी चूत मे अपना लंड को घुसते और निकलते देख रहा था और वो मारे उत्तेजना से देवकी की दोनो चूंची को पकर मसल्ने लगा. दोनो चुदाई मे मासगुल थे. इस समय दोनो एक दूसरे को कमर चला चला कर धक्का मार रहे थे और जगन का लंड देवकी की चूत को बुरी तारह चोद रहा था. दोनो इस समय पसीने से नहा चुके थे पर फिर भी किसी को होश नही था. देवकी तब अपनी चूतर उछालते हुए जगन को अपने बाहों मे बाँध लिया और बोलने लगी

"जगन और ज़ोर से चोदो, आज फार दो मेरी चूत अपने मोटे लंड के धक्के से, बहुत मज़ा आ रहा है, और चोदो, रुकना मत बस चोद्ते रहो, बस ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत मे अपना लंड डालते रहो." जगन चोदने का रफ़्तार बढ़ा दिया. वो भी इस समय झदाने के कगार पर था. जगन एह सोच कर कि वो देवकी की गुलाबी रसिल्ले चूत मे अपना लंड पेल रहा है बहुत उत्तेजित हो गया. जगन मारे गर्मी के देवकी की चूत मे अपना लंड ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था और बर्बरा था,

"हाई, देवकी तेरी चूत तो मक्खन के समान चिकना है, तेरी चूत को चोद कर मेरा लंड धन्य हो गया है, अब मैं रोज तेरी चूत मारूँगा, लगता है तुझको भी मेरा लंड पसंद आया है, क्या तू मुझसे रोज अपनी छूट चुद्वगी?" देवकी भी अपनी कमर चलते हुए जगन को चूम कर बोली,

"हाई मेरे राजा, तुम्हारा लंड तो लाखों मे एक है, तुम्हारा लंड खा कर मेरी चूत का भाग्य खुल गया है, अब मैं रोज तुमसे अपनी चूत मे तूहरी प्यारी प्यारी लंड पीलवौनगी." थोरी देर इस तरह चुदाई करते हुए जगन अपना वीर्या उसकी चूत मे छ्होर दिया और हफने लगा.

"जगन भाई शहाब आप वाकई बहुत अक्च्छा चोद्ते हैं. मुझको अगर एह बात पहले ही मालूम चलता कि आप को मेरे लिए प्यार है तो मैं हरिया के पास जा कर उस'से कभी अपनी चूत ना चुड़वती. मुझको अगर पहले से पता चलता कि आपका लंड इतना बरा और मज़बूत है तो बहुत पहले ही आपको अपने बाहों मे बाँध लेती," देवकी धीरे धीरे जगन से बोली.

"अब मेरी चूत तुम्हारे लंड को चख चुकी है, पता नही अब उसको और कोई लंड पसंद आएगा कि नही. अब शायद मेरी चूत को हरिया का लंड भी पसंद ना आए" देवकी जगन को चूमते हुए बोली. जगन तब देवकी को अपने हाथों मे बाँध कर अपने बगल मे बैठा दिया और उससे बोला,

"देवकी आज से एह लंड तुम्हारी चूत का गुलाम हो गया है, तुम्हे जब इसकी ज़रूरत हो तुम मुझे बुला लेना मैं और मेरा लंड हमेशा तुम्हारी सेवा के लिए तैइय्यार रहेंगे."

क्रमशः.....................


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