गाओं की मस्ती compleet

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007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 17:01

एह देख कर जगन अपना हाथ देवकी की चूत पर ले गया और उस चूत पर जमे काले काले रेशमी झांतों से खेलने लगा. उसने धीरे से देवकी की चूत के अंदर एक उंगली डाल दी. उसने फिर चूत के फाकॉ पर अपनी उंगली फेरने लगा. देवकी की चूत अब मदनरस छोड रही थी और इसलिए इस समय उसकी चूत बहुत गीली थी. जगन फिर देवकी की चूत की घुंडी को देख कर उसको अपने उँगलेओं से पकर लिया और उसको अपने उंगलीओ से मसल्ने लगा.

देवकी इस'से बहुत उत्तेजीत हो गयी और जगन का चेहरा अपने हाथों से पकर कर उसके होठों को चूमने लगी और अपनी जीव जगन के मूह मे डाल दिया. जगन देवकी के होठ और फिर उसकी जीव को चूसने लगा. जगन फिर से अपनी उंगली उस की चूत मे पेल दिया और उसके चूत मे अपनी उंगली घुमाने लगा. देवकी मारे गर्मी के जगन का हाथ अपनी जांघों में भींच लिया और अपनी चूतर उछालने लगी और बोलने लगी,

"हाई, ऐसा मत कर, मैं मर जाउन्गी, मेरी चूत मे आग लगी है, जल्दी से अपना लंड उसमे डालो और मुझे रगर कर चोदो. क्यों मुझे सता रहे हो, तुम्हारा लंड तो खरा है क्यों उसको मेरी चूत मे पेलते नहीं, मेरी चूत तुम्हारा लंड खाने की लिए देखो कितना लार बहा रही है, जल्दी करो और मुझे रात भर चोदो. मैं बहुत चुदासी हूँ, मेरी चूत की आग बुझाओ. जल्दी से अपना लंड मेरी चूत मे डाल इस चूत को चोदो और फाडो."

जगन घूम कर देवकी की जांघों को फैला दिया और उसकी चूत को अपने हाथों से खोल कर चूत के अंदर गौर से देखने लगा. जगन तब अपना नाक देवकी की चूत के पास ले जा कर उसकी सोंधी सोंधी खुसबु को सूंघने लगा. वो फिर झुक कर देवकी की चूत की घुंडी अपने जीव से छुआ और फिर उसको चटा और अपने होठों मे भर कर चूसने लगा. देवकी अपनी जाघो को और फैला दिया जिससे की जगन को अपने काम मे कोई बाधा ना हो. जगन अब देवकी के उप्पेर उल्टा लेट गया और देवकी की चूत को बरे चाब से चाटने और चूसने लगा. उसने देवकी की चूत को अपने हाथों से खोल कर उसमे अपना जीव घुसेर दिया और अंदर से उस चूत के रस को अपने जीव से चॅट चॅट कर पीने लगा. देवकी तब अपने चेहरे के सामने लटक रहा जगन का मोटा और 10: लूंबा लंड अपने मूह मे भर कर चूसने लगी.

देवकी अपने हाथों से जगन का चूतर पकर कर उसके लंड पर अपना मूह उप्पेर नीचे करने लगी और इस'से जगन का लंड देवकी के मूह के अंदर बाहर होने लगा. वो जगन का पूरा का पूरा लंड अपने मुँह मे लेने की कोशिश करने लगी लेकिन उतना लंबा और मोटा उसके मुँह मे नही जा पा रहा था. फिर देवकी जगन के लंड को अपने हाथों से पकर कर ज़ोर ज़ोर से अपने जीव से चाटने और चूसने लगी. उसकी चुसाइ मे इतना ज़ोर था कि उसकी मुँह से स्लपर स्लपर की आवाज़ निकल रही थी. फिर देवकी जगन को खींच कर अपने नीचे कर लिया और खुद जगन के उप्पेर लेट गयी. उप्पेर लेट'ते ही देवकी अपनी चूत उसके मुँह पर ज़ोर से दबा दिया और बोली,

"हाई मेरे राजा, और ज़ोर से मेरी चूत को चॅटो मैं मरी जा रही हूँ, मेरी चूत चॅट कर और चूस कर इसका सारा का सारा पानी पी जाओ." जगन भी अपना पूरा का पूरा जीव देवकी की चूत के अंदर डाल कर उसकी चूत को चाटने लगा. थोरी देर के बाद जगन देवकी की चूत से अपना मुँह उठा कर बोला,

"हाई मेरी देवकी रानी, क्या मज़ा आ रहा है तुम्हारी चूत चूस कर.सच मे तुम्हारी चूत से निकलता रस बहूत ही मीठा है. मैं तो तुम्हारी चूत चूस कर धान्या हो गया. तुम अब मुझको रोज कम से कम एक बार अपनी चूत चूसने ज़रूर देना." जगन मज़े ले ले कर देवकी की चूत तो चूस्ता रहा. उसने अपने उंगलीओ से इसकी चूत को पूरी तरह से खोल कर उसके रस को जी भर कर पीता रहा. फिट थोरी देर के बाद जगन देवकी की चूत को अपने दोनो होठों मे दबा कर चूसने लगा

007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 17:02

जगन को लगा कि देवकी अब झरने वाली है. थोरी देर और चुसाइ के बाद देवकी एकाएक अपनी चूतर उप्पेर उठा दिया. जगन समझ गया कि देवकी झार गयी. जगन के मुँह मे देवकी की चूत से ढेर सारा मीठा मीठा गरम रस निकल कर भर गया और जगन बारे उत्सुकुटा से सारा का सारा रस पी गया. एक भूके कुत्ते की तरह जगन अपनी जीव से देवकी की चूत को चट चट कर सारा रस पी कर साफ कर दिया. देवकी तब जगन के उप्पेर से हट कर ज़मीन पर जगन के बगल मे लेट गयी.

"एह मेरे लिए सब से अक्च्ची चूत की चुसाइ थी" देवकी जगन की तरफ मूर कर मुस्कुरा बोली.

"और तुम्हारी चूत का रस बहूत मीठा था और मैं पहली बार इतना मीठा रस पीया" जगन बोला. हालंकी जगन अभी तक झारा नही था, लेकिन थोरी देर सुसताने से उसका थोरा मुरझा गया. देवकी अब उसका लंड अपने हाथों मे ले कर मसल मसल कर फिर से उसे खरा कर दिया. तब देवकी उस खरे लंड को अपने हाथों से पकर जगन के उप्पेर चढ़ गयी और अपने हाथों से उसको अपने चूत के दरवाजे से लगा दिया और धीरे धीरे उस को अपने चूत को खिलाते हुए उस पर बैठ गयी. देवकी झुक कर जगन के लंड को अपने चूत के अंदर जाते हुए देखती रही. देवकी को जगन के लंड को अपने बcचेदनी को छुते महसूस किया. फिर देवकी अपने दोनो हाथों को जगन के शरीर के दोनो तरफ रख कर अपनी चूतर को उठाया और धीरे धीरे नीचे लाई और इस'से उसकी चूत लंड को धीरे धीरे खाने लगी.

जगन अपना हाथ बढ़ा कर देवकी की दोनो चूंची को पकर लिया और उनको धीरे धीरे मसल्ने लगा. देवकी अब अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दिया. वो मोटा और लंबा लंड देवकी की चूत मे पूरी तरह से फिट बैठ गया था और इससे देवकी को बहुत मज़ा आ रहा था. थोरी देर के देवकी जगन के लंड पर उछलते उछलते थक गयी और जगन के उप्पेर लेट कर हफने लगी. जगन तब देवकी को अपने से नीचे उतार कर देवकी को घोरी की तरफ चारों हाथ पैर पर रुकने को कहा और खुद देवकी के पिछे जाकर अपना तानया हुआ लंड देवकी की चूत मे घुसेर दिया. जगन अब देवकी को पिछे से कुत्ते को तरह चोद रहा था. जगन के हर धक्के के साथ देवकी की मूह से आह! ओह! की! आवाज़ निकल रही थी.

जगन अब अपना चोदने की स्पीड बढ़ा दिया और ज़ोर ज़ोर से अपना लंड को चूत मे डालने और निकालने लगा. अब जगन झरने वाला था. जगन अब अपना वीर्य से देवकी की चूत को भरने वाला था. देवकी इस समय चूतर आगे पिछे कर रही थी, जगन को लगा कि देवकी भी झरने वाली है. जगन अब और ज़ोर ज़ोर से देवकी को चोदने लगा और तब तक चोद्ता रहा जब तक उसका पानी निकल कर देवकी की चूत को भर ना दिया. देवकी झरते ही ज़मीन पर उल्टे लेट गयी और जगन उसके उप्पेर निढाल हो कर परा रहा.

देवकी और जगन बहुत खुस थे. वो दोनो हर रात को एक दूसरे की लंड और चूत चट'ते थे चूस्ते थे और दोनो एक दूसरे को चोद्ते थे. जगन जब भी अपने दोस्त देव से मिलता था तो अपने को दोषी महसूस करता. लेकिन वो जब सोचता था कि वो उसकी बीवी को उसके पिछे रोज रात चोद्ता है तो उसको काफ़ी मज़ा मिलता था. एक रात जगन देवकी को चोद कर अपने लंड को सहला रहा था और देवकी बाथरूम मे अपनी ऊट और जगहें धोने को गयी थी. जब देवकी बाथरूम से वापस आई तो देव उसके पिछे पिछे कमरे मे आया और नंग धारंग हो कर अपना तना हुआ लॉरा घुसा दिया.

देवकी अपनी चूत की चुदाई मे इतनी मशगूल थी कि उसको एह भी पता नही था की उसकी चूत मे जगन या देव का लंड घुसा हुआ है. उसको एह भी पता नही था कि उसका पति उसकी चूत जगन के सामने ही चोद रहा है. जगन को कुच्छ समझ मे नही आया और वो चुप चाप अपने लंड को थामे देव और देवकी की चुदाई देखता रहा. देव इस समय देवकी को बुरी तरह से चोद रहा था और हाँफ रहा था और थोरी ही देर मे उसका लंड पानी छोड दिया और उस पानी से देवकी की चूत एक बार फिर से भर गयी. देव झरने के बाद देवकी के बगल मे लेट हफने लगा.

007
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Re: गाओं की मस्ती

Unread post by 007 » 04 Nov 2014 17:03

थोरी डेक तक कमरे मे बहुत शान्ती छई रही और सिर्फ़ साँसों की और धरकन की आवाज़ सुनाई देती रही. एह वक़्त जगन के लिए बहुत ही नाज़ुक था. थोरी देर के बाद देवकी उठ कर बैठ गयी और अपने पेटिकोट से अपनी चूत को पोंचछते हुए जगन से बोली,

"कोई चिंता की बात नही. मेरे पति को सब बात मालूम है. हुमारी और तुम्हारी चुदाई के तीसरे दिन ही देव सब कुच्छ देख लिया था और फिर मैने ही देव को सारी बात बता दिया है. मैने देव को अपनी चूत की भूख के बारे मे भी बता दिया है और उसको समझाया है कि वो तुमको मेरे दूसरे पति के रूप मे देखे. चूँकी देव को मालूम है कि उसके लंड मे मेरी चूत की भूख मिटाने की ताक़त नही है और इसलिए देव मेरी बात मान गया है. देव को हमारी चूत मे तुम्हारे लंड का घुसाना और फिर मुझे चोद्ते हुए देखने मे बहुत मज़ा आता है और वो हर रात छुप छुप कर हुमारी चुदाई देखता है. हुमारी चुदाई देख कर उसका लंड खरा हो जाता है और जैसे तुम हमे चोद कर वापस अपने घर जाते हो वो मुझ पर पिल परता है और फिर हमे खूब चोद्ता है." देवकी थोरी देर रुक कर और देव का मुरझाया हुआ लंड अपने मुथी मे लेते हुए जगन से बोली,

"देव ने हमसे कहा रखा है कि उसे हुमारी और तुम्हारी चुदाई से कोई लेना देना नही है, लेकिन एह बात गाओं मे फैलने ना पाए." जगन को एह सब सुन कर बहुत ताज्जुब हुआ लेकिन वो फिर भी चुप रहा. एह एक बहुत मज़ेदार मामला था कि एक आदमी जिसकी बीवी को मैं अभी अभी चोद चुक्का हूँ वो कहे की मैं फिर उसकी बीवी को चोद सकता हूँ.

फिर देवकी और देव ने जगन को सारी बात बता दी. उसे पता चला कि:-

क्रमशः......................

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