सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 20:54

चौधराइन

भाग 13 – समझदार मामी की सीख

" तु अब जवान हो गया है, मर्द बन गया है. "

" कहाँ मामी, आप भी क्या बात करती हो !!? "

" अब जब अंडरवियर पहनने लगा है, तो इसका मतलब ही है की तु अब जवान हो गया है. "

मदन इस पर एक दम से शरमा गया,
" धत् मामी,,,,,,,,,!!! "

" तेरा खड़ा होने लगा है क्या ? "
मामी की इस बात पर तो मदन का चेहर एकदम से लाल हो गया। उसकी समझ में नही आ रहा था क्या बोले। तभी उर्मिला देवी ने अपनी नाईटी को एकदम घुटनो के ऊपर तक खींचते हुए बड़े बिन्दास अन्दाज में अपना एक पैर जो की टेबल पर रखा हुआ था उसको मदन की जांघो पर रख दिया (मदन दर-असल पास के सोफे पर पलाठी मार के बैठा हुआ था।) मदन को एकदम से झटका सा लगा। मामी अपने गोरे गोरे पैर की एड़ी से उसकी जांघो को हल्के हल्के दबाने लगी और एक हाथ को फिर से अपने जांघो के बीच ले जा कर बुर को हल्के हल्के खुजलाते हुए बोली,
"बोल न क्यों मैं ठीक बोल रही हूँ ना ?"

"ओह मामी,"

"नया अंडरवियर लिया है, दिखा तो सही कैसा लगता है ?"

"अरे क्या मामी आप भी ना बस ऐसे,,,,,,,,,,अंडरवियर भी कोई पहन के दिखाने वाली चीज है."

"क्यों लोग जब नया कपड़ा पहनते है तो दिखाते नही है क्या ?", कह कर उर्मिला देवी ने अपने एड़ी का दबाव जांघो पर थोड़ा सा और बढ़ा दिया, पैर की उंगलियों से हल्के से पेट के निचले भाग को कुरेदा और मुस्कुरा के सीधे मदन की आंखो में झांक कर देखती हुई बोली,
" दिखा ना कैसा लगता है, फिट है या नही ?"

"छोड़ो ना मामी.."

'अरे नये कपड़े पहन कर दिखाने का तो लोगो को शौक होता है और तु है की शरमा रहा है, मैं तो हंमेशा नये कपड़े पहनती हूँ तो सबसे पहले तेरे मामा को दिखाती हूँ, वही बताते है की फ़िटिंग कैसी है या फिर मेरे ऊपर जँचता है या नही ।"

"पर मामी ये कौन सा नया कपड़ा है, आपने भी तो नई कच्छी खरीदी है वो आप दिखायेंगी क्या ??"

उर्मिला देवी भी समझ गई की लड़का लाईन पर आ रहा है, और कच्छी देखने के चक्कर में है। फिर मन ही मन खुद से कहा की बेटा तुझे तो मैं कच्छी भी दिखाऊँगी और उसके अन्दर का माल भी पर जरा तेरे अंडरवियर का माल भी तो देख लूँ नजर भर के फिर बोली,
"हां दिखाऊँगी अभी तेरे मामा नही है,,,,,ना, तेरे मामा को मैं सारे कपड़े दिखाती हूँ."

"तो फिर ठीक है मैं भी मामा को ही दिखाऊँगा."

"अरे तो इसमे शरमाने की क्या बात है, आज तो तेरे मामा नही है इसलिये मामी को ही दिखा दे."
“धत् मामी,,,,,,”
और उर्मिला देवी ने अपने पूरे पैर को सरका कर उसकी जांघो के बीच में रख दिया जहां पर उसका लण्ड था। मदन का लण्ड खड़ा तो हो ही चुका था। उर्मिला देवी ने हल्के से लण्ड की औकात पर अपने पैर को चला कर दबाव डाला और मुस्कुरा कर मदन की आंखो में झांकते हुए बोली,
"क्यों मामी को दिखाने में शरमा रही है, क्या ?"

मदन की तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई थी। मुंह से बोल नही फुट रहे थे। धीरे से बोला, "रहने दीजिये मामी मुझे शरम आती है."

उर्मिला देवी इस पर थोड़ा झिड़कने वाले अन्दाज में बोली,
"इसीलिये तो अभी तक इस रबर की गेंद से खेल रहा है."

मदन ने अपनी गरदन ऊपर उठायी तो देखा की उर्मिला देवी अपनी चूचियों पर हाथ फिरा रही थी। मदन बोला, "तो और कौन सी गेंद से खेलूँ ?"

"ये भी बताना पडेगा क्या, मैं तो सोचती थी तु समझदार हो गया होगा, लगता है मुझे ही समझाना पड़ेगा चल आज तुझे समझदार बनाती हूँ।"

"हाय मामी, मुझे शरम आ रही है."

उर्मिला देवी ने अपने पंजो का दबाव उसके लण्ड पर बढ़ा दिया और ढकी छुपी बात करने की जगह सीधा हमला बोल दिया,
"बिना अंडरवियर के जब खड़ा कर के घुमता था तब तो शरम नही आती थी,,,,,,,,??, दिखा ना।"

और लण्ड को कस के अपने पंजो से दबाया ताकि मदन अब अच्छी तरह से समझ जाये की ऐसा अन्जाने में नही बल्कि जान-बुझ कर हो रहा है। इस काम में उर्मिला देवी को बड़ा मजा आ रहा था। मदन थोड़ा परेशान सा हो गया फिर उसने हिम्मत कर के कहा, "ठीक है मामी, मगर अपना पैर तो हटाओ।"
"ये हुई ना बात." कह कर उर्मिला देवी ने अपना पैर हटा लिया।

मदन खड़ा हो गया और धीरे से अपनी हाफ पैन्ट घुटनो के नीचे तक सरका दी। उर्मिला देवी को बड़ा मजा आ रहा था। लड़कों को जैसे स्ट्रीप टीज देखने में मजा आता है, आज उर्मिला देवी को अपने भांजे के सौजन्य से वैसा ही स्ट्रीप तीज देखने को मिल रहा था।

उसने कहा, "पूरा पैन्ट उतार ना, और अच्छे से दिखा।"

मदन ने अपना पूरा हाफ पैन्ट उतार दिया और शरमाते-संकोचते सोफे पर बैठने लगा तो उर्मिला देवी ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर मदन का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और अपने पास खड़ा कर लिया और धीरे से उसकी आंखो में झांकते हुए बोली, "जरा अच्छे से देखने दे ना कैसी फ़िटिंग आई है।"

मदन ने अपने टी-शर्ट को अपने पेट पर चढ़ा रखा था और मामी बड़े प्यार से उसके अंडरवियर कि फ़िटिंग चेक कर रही थी। छोटा सा वी शेप का अंडरवियर था। इलास्टिक में हाथ लगा कर देखते हुए मामी बोली,
"हमम् फ़िटिंग तो ठीक लग रही है, ये नीला रंग भी तेरे ऊपर खूब अच्छा लग रहा है मगर थोड़ी टाईट लगती है."

"वो कैसे मामी, मुझे तो थोड़ा भी टाईट नही लग रहा."

मदन का खड़ा लण्ड अंडरवियर में एकदम से उभरा हुआ सीधा डंडे की शकल बना रहा था। उर्मिला देवी ने अपने हाथ को लण्ड की लंबाई पर फिराते हुए कहा,
"तु खुद ही देख ले, पूरा पता चल रहा है की तेरा औजार खड़ा हो गया है।"

लण्ड पर मामी का हाथ चलते ही मारे सनसनी के मदन की तो हालत खराब होने लगी, कांपती हुई आवाज में, ".....ओह...आहहहह....." करके रह गया।

उर्मिला देवी ने मुस्कुराते हुए पुछा, "हर समय ऐसे ही रहता है क्या ?"

"ना हही मामी, हमेशा ऐसे क्यों रहेगा."

“तो अभी क्यों खड़ा है?”
“आप इतनी देर से छेड़खानी…अ।”
“क्या?”
मदन पहले तो झोंक मे कहने लगा था पर मामी के “क्या?” ने ब्रेक लगा दिया तब उसकी समझ में आया कि क्या बोल रहा है तो घबरा के रुक गया और जल्दी से बोला –
“न प…पता नहीं मामी”
उर्मिला –“अच्छा तो मेरी छेड़खानी से तेरे औजार का ये हाल है इसका मतलब कोई और औरत या लड़की होती तो शायद तेरा ये उसपे चढ़ ही दौड़ता ।”
मदन(जल्दी से) –“नहीं मामी”
उर्मिला –“क्या नहीं मामी?”
उर्मिला(अचानक बात बदलते हुए मुस्कुराईं) –“अच्छा ये बता वैसे आम तौर पे ढीला रहता है ?"

मदन(तपाक से) –“"हाँ मामी।"

"अच्छा, तब तो ठीक फ़िटिंग का है, मैं सोच रही थी की अगर हर समय ऐसे ही खड़ा रहता होगा तो तब तो तुझे थोड़ा और ढीला लेना चाहिये था।"

"बहुत बड़ा दिख रहा है, पेशाब तो नहीं लगी है तुझे ?"

'नही मामी."
"तब तो वो ही कारण होगा, वैसे वो सेल्स-गर्ल भी हँस रही थी, जब मैंने बोला की मेरे भांजे का थोड़ा ज्यादा ही बड़ा है," कह कर उर्मिला देवी ने लण्ड को अंडरवियर के ऊपर से कस कर दबाया। मदन के मुंह से एक सिसकारी निकल गई।

उर्मिला देवी ने लण्ड को एक बार और दबा दिया और बोली,
"चल जा सोफे पर बैठ।"

मदन सीधे धरती पर आ गया। लण्ड पर मामी के कोमल हाथों का स्पर्श जो मजा दे रहा था वो बड़ा अनूठा और अजब था। मन कर रहा था की मामी थोड़ी देर और लण्ड दबाती पर मन मार कर चुप चाप सोफे पर आ के बैठ गया और अपनी सांसो को ठीक करने लगा। उर्मिला देवी भी बड़ी सयानी औरत थी जानती थी की लौंडे के मन में अगर एक बार तड़प जाग जायेगी तो फिर लौंडा खुद ही उसके चंगुल में फ़ँस जायेगा। कमसिन उमर के नौजवान छोकरे के मोटे लण्ड को खाने के चक्कर में वो मदन को थोड़ा तड़पाना चाहती थी। उर्मिला देवी ने अभी भी अपनी नाईटी को अपने घुटनो से ऊपर तक उठाया हुआ था और अपने दोनो पैर फिर से सामने की टेबल पर रख लिये थे। मदन ने धीरे से अपनी हाफ पैन्ट को उठाया और पहनने लगा।

उर्मिला देवी तभी बोल पड़ी, "क्यों पहन रहा है ?, घर में और कोई तो है नही, और मैंने तो देख ही लिया है."

"हाय नही मामी, मुझे बड़ी शरम आ रही है."

तभी उर्मिला देवी ने फिर से अपनी चूत के ऊपर खुजली की। मदन का ध्यान भी मामी के हाथों के साथ उसी तरफ चला गया।

उर्मिला देवी मुस्कुराती हुई बोली, "अभी तक तो शायद केवल कच्छी काट रही थी पर अब लगता है कच्छी के अन्दर भी खुजली हो रही है।"

मदन इसका मतलब नही समझा चुप-चाप मामी को घूरता रहा। उर्मिला देवी ने सोचा खुद ही कुछ करना पडेगा, लौंडा तो कुछ करेगा नही। अपनी नाईटी को और ऊपर सीधा जांघो तक उठा कर उसके अन्दर हाथ घुसा कर हल्के हल्के सहलाने लगी। और बोली, "जा जरा पाउडर तो ले आ ।"

मदन अंडरवियर में ही बेडरुम में जाने को थोड़ा हिचका मगर मामी ने फिर से कहा, "ले आ जरा सा लगा लेती हूँ।"
मदन उठा और पाउडर ले आया। उर्मिला देवी ने पाउडर ले लिया और थोड़ा सा पाउडर हाथों में ले कर अपनी हथेली को नाईटी में घुसा दिया। और पाउडर लगाने लगी। मदन तिरछी निगाहों से अपनी मामी हरकतो को देख रहा था और सोच रहा था काश मामी उसको पाउडर लगाने को कहती। उर्मिला देवी शायद उसके मन की बात को समझ गई और बोली,
"मदन क्या सोच रहा है ?"

"कुछ नही मामी, मैं तो बस टी वी देख रहा हूँ."

"तु बस टी वी देखता ही रह जायेगा, तेरी उमर के लड़के ना जाने क्या-क्या कर लेते है ?, तुझे पता है दुनिया कितनी आगे निकल गई है ?"

"क्या मामी आप भी क्या बात करती हो, मैं अपने क्लास का सबसे तेज बच्चा हूँ ?"

" मुझे तो तेरी तेजी कहीं भी नही दिखी।"

"क्या मतलब है, आपका मामी ?"

" मतलब ये कि अब तू जवान हो रहा है, अगर तू क्लास में सबसे तेज है तो तेरी जवानी में भी तो तेजी नजर आनी चाहिये?”
“कैसी तेजी मामी ।”
मदन ने भोलेपन का स्वांग करने का ठान लिया था।
मतलब तेरे मन में जवानी की अंगड़ाइयाँ आनी चाहिये सच बता मन तो करता होगा ?,"

"क्या मन करता होगा मामी ?"

"तांक-झांक करने का", अपनी चूत पर नाईटी के अन्दर से हाथ चलाते हुए बोली,
"अब तो तेरा पूरा खड़ा होने लगा है."

"नहीं वो तो मामी,,,,,,!!?"

"क्यों मन नही करता क्या ?, मैं जैसे ऐसे तेरे सामने पाउडर लगा रही हूँ तो तेरा दे्खने का मन करता होगा,,,,,,,,,,"

"धत् मामी,,,,,,,,,।"

"मैं सब समझती हूँ,,,,,,,तु शरमाता क्यों है ?, तेरी उमर में तो हर लड़का यही तमन्ना रखता है की कोई खोल के दिखा दे,,,,,,,,,,,,,,,,,तेरा भी मन करता होगा,,,,,,,,, फिर मदन के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली,
"खोलने की बात सुनते ही सब समझ गया, कैसे चेहरा लाल हो रहा है तेरा, मैं सब समझती हूँ तेरा हाल." ,
मदन का चेहरा और ज्यादा शरम से लाल हो गया पर उसने भी अब बहादुर बनने का फ़ैसला कर लिया पर अपनी नजरे झुकाते हुए बोला,
"आप बात ही ऐसी कर रही हो ।”
उर्मिला (बात बदलते हुए) बोली –“तेरे मामा होते तो उनसे पाउडर लगवा लेती."
मदन –“लाओ मैं पाउडर लगा देता हूँ."

"हाय, लगवा तो लूँ मगर तु कहीं बहक गया तो !?"

"हाय मामी मैं क्यों बहकूँगा ?"

"नही तेरी उमर कम है, जरा सी छेड़छाड़ से ही जब तेरा इतना खड़ा हो गया तो हाथ लगा के क्या हाल हो जायेगा, फिर अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी…।"

मदन बोला,
"आपकी कसम मामी किसी को भी नही बताऊँगा."

इस पर उर्मिला देवी ने मदन का हाथ पकड़ अपनी तरफ खींचा, मदन अब मामी के बगल में बैठ गया था। उर्मिला देवी ने अपने हाथों से उसके गाल को हल्का सा मसलते हुए कहा,
"हाय, बड़ी समझदारी दिखा रहा है पर है तो तू बच्चा ही ना कहीं इधर उधर किसी से बोल दिया तो ?"

"नहीं मामी,,,,,,,,मैं किसी से नही,,,,,,,,,"

"खाली पाउडर ही लगायेगा या फिर,,,,,,,,देखेगा भी,,,,,,,,,,,,,,मैं तो समझती थी की तेरा मन करता होगा पर,,,,,,,,"

"हाय मामी पर क्या देखने का मन,,,,,,,,,,"

"ठीक है, चल लगा दे पाउडर."
उर्मिला देवी खड़ी हो गई और अपनी नाईटी को अपनी कमर तक उठा लिया। मदन की नजर भी उस तरफ घुम गई। मामी अपनी नाईटी को कमर तक उठा कर उसके सामने अपनी कच्छी के इलास्टीक में हाथ लगा कर खड़ी थी। मामी की मोटी मोटी केले के तने जैसी खूबसुरत रेशमी गुलाबी जांघे और उनके बीच कयामत बरसाती उनकी काली कच्छी को देख पाउडर का डिब्बा हाथ से छुट कर गिर गया और पाउडर लगाने की बात भी दिमाग से निकल गई।

क्रमश:………………………………


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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 20:57

चौधराइन
भाग 14 – समझदार मामी की सीख 2


कच्छी एकदम छोटी सी थी और मामी की चूत पर चिपकी हुई थी। मदन तो बिना बोले एक टक घूर घूर कर देखे जा रहा था। उर्मिला देवी चुप-चाप मुस्कुराते हुए अपनी नशीली जवानी का असर मदन पर होता हुआ देख रही थी। मदन का ध्यान तोड़ने की गरज से वो हँसती हुई बोली,
कैसी है मेरी कच्छी की फ़िटिंग ठीक ठाक है, ना ?"

मदन एकदम से शरमा गया। हकलाते हुए उसके मुंह से कुछ नही निकला। पर उर्मिला देवी वैसे ही हँसते हुए बोली,
"कोई बात नही, शरमाता क्यों है, चल ठीक से देख कर बता कैसी फ़िटिंग आई है ?"

मदन कुछ नही बोला और चुप-चाप बैठा रहा। इस पर खुद उर्मिला देवी ने उसका हाथ पकड़ के खींच कर उठा दिया और बोली,
"देख के बता ना, कही सच-मुच में टाईट तो नही, अगर होगी तो कल चल के बदल लेंगे।"

मदन ने भी थोड़ी सी हिम्मत दिखाई और सीधा मामी के पैरों के पास घुटनो के बल खड़ा हो गया और बड़े ध्यान से देखने लगा। मामी की चूत कच्छी में एकदम से उभरी हुई थी। चूत की दोनो फांक के बीच में कच्छी फ़ँस गई थी और चूत के छेद के पास थोड़ा सा गीलापन दिख रहा था। मदन को इतने ध्यान से देखते हुए देख कर उर्मिला देवी ने हँसते हुए कहा,"
क्यों फिट है या नही, जरा पीछे से भी देख के बता ?"

कह कर उर्मिला देवी ने अपने भारी गठीले चूतड़ मदन की आंखो के सामने कर दिये। कच्छी का पीछे वाला भाग तो पतला सा स्टाईलीश कच्छी की तरह था। उसमे बस एक पतली सी कपड़े की लकीर सी थी जो की उर्मिला देवी की चूतड़ों की दरार में फ़ँसी हुई थी। मैदे के जैसे गोरे-गोरे गुदाज बड़े बड़े चूतड़ों को देख कर तो मदन के होश ही उड़ गये, उसके मुंह से निकल गया,
"मामी पीछे से तो आपकी कच्छी और भी छोटी है चूतड़ भी कवर नही कर पा रही।"

इस पर मामीजी ने हँसते हुए कहा, "अरे ये कच्छी ऐसी ही होती है, पीछे की तरफ केवल एक पतला सा कपड़ा होता है जो बीच में फ़ँस जाता है, देख मेरे चूतड़ों के बीच में फ़ँसा हुआ है, ना ?"

"हाँ मामी, ये एकदम से बीच में घुस गया है."

"तु पीछे का छोड़, आगे का देख के बता ये तो ठीक है, ना ?"

"मुझे तो मामी ये भी छोटा लग रहा है, साईड से थोड़े बहुत बाल भी दिख रहे है, और आगे का कपड़ा भी कहीं फ़ँसा हुआ लग रहा है।"

इस पर उर्मिला देवी अपने हाथों से कच्छी के जांघो के बीच वाले भाग के किनारो को पकड़ा और थोड़ा फैलाते हुए बोली,
"वो उठने बैठने पर फ़ँस ही जाता है, अब देख मैंने फैला दिया है, अब कैसा लग रहा है ?"

"अब थोड़ा ठीक लग रहा है मामी, पर ऊपर से पता तो फिर भी चल रहा है."

"अरे तु इतने पास से देखेगा तो, ऊपर से पता नही चलेगा क्या, मेरा तो फिर भी ठीक है तेरा तो साफ दिख जाता है।"

"पर मामी, हम लोगों का तो खड़ा होता है ना, तो क्या आप लोगों का खड़ा नही होता ?"

"नहीं हमारे में दरार सी होती है, इसी से तो हर चीज इसके अन्दर घुस जाती है।"

कह कर उर्मिला देवी खिलखिला कर हँसने लगी। मदन ने भी थोड़ा सा शरमाने का नाटक किया। अब उसकी भी हिम्मत खुल चुकी थी। अब अगर उर्मिला देवी चुची पकड़ाती तो आगे बढ़ कर दबोच लेता । उर्मिला देवी भी इस बात को समझ चुकी थी। ज्यादा नाटक चोदने की जगह अब सीधा खुल्लम-खुल्ला बाते करने में दोनो की भलाई थी, ये बात अब दोनो समझ चुके थे। उर्मिला देवी ने इस पर मदन के गालों को अपने हाथों से मसलते हुए कहा,
"देखने से तो बड़ा भोला भाला लगता है मगर जानता सब है, कि किसका खड़ा होता है और किसका नही, लड़की मिल जाये तो तू उसे छोड़ेगा,,,,,,,,,,,,,,, नहीं बहुत बिगड़ गया है तू तो"

कह कर उर्मिला देवी ने अपनी नाईटी को जिसको उन्होंने कमर तक उठा रखा था नीचे गिरा दिया।
"क्या मामी आप भी ना, मैं कहाँ बिगड़ा हूँ, लाओ पाउडर लगा दूँ."

"अच्छा बिगड़ा नही है, तो फिर ये तेरा औजार जो तेरी अंडरवियर में है, वो और भी क्यों तनता जा रहा है?"

मदन ने चौंक कर अपने अंडरवियर की तरफ देखा, सच-मुच उसका लण्ड एकदम से दीवार पर लगी खूँटी सा तन गया था और अंडरवियर को एक टेन्ट की तरह से उभारे हुए था। उसने शरमा कर अपने एक हाथ से अपने उभार को छुपाने की कोशिश की।

" हाय मामी आप भी छोड़ो न लाओ पाउडर लगा दूँ।"

“न बाबा तु रहने दे पाउडर, वो मैंने लगा लिया है, कहीं कुछ उलटा सीधा हो गया तो।"

"क्या उलटा सीधा होगा मामी ?, मदन अभी भी भोलेपन का नाटक कर रहा था बोला –
“मैं तो इसलिये कह रहा था की आपको खुजली हो रही थी तो फिर,,,,,,,,,,,,", बात बीच में ही कट गई।

"खूब समझती हूँ क्यों बोल रहे थे ?"

" क्यों मामी नही, मैं तो बस आप को खुजली,,,,,,,।"

"मैं अच्छी तरह से समझती हूँ तेरा इरादा क्या है, और तु कहाँ नजर गड़ाये रहता है, मैं तुझे देखती थी पर सोचती थी ऐसे ही देखता होगा मगर अब मेरी समझ में अच्छी तरह से आ गया है."

मामी के इतना खुल्लम-खुल्ला बोलने पर मदन के लण्ड में एक सनसनी दौड़ गई.

"हाय मामी नही,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,",

मदन की बाते उसके मुंह में ही रह गई और उर्मिला देवी ने आगे बढ़ कर मदन के गाल पर हल्के से चिकोटी काटी।
मामी के कोमल हाथों का स्पर्श जब मदन के गालों पर हुआ तो उसका लण्ड एक बार फिर से लहरा गया। मामी की नंगी जांघो के नजारे की गरमाहट अभी तक लण्ड और आंख दोनो को गरमा रही थी। तभी मामी ने उसकी ठुड्डी पकड़ के उसके चेहरे को थोड़ा सा ऊपर उठाया और एक हाथ से उसके गाल पे चुट्की काट के बोली,
"बहुत घूर घूर के देखता है ना, दिल चाहता होगा की नंगी देखने को मिल जाये तो… है ना ?

मामी की ये बात सुन कर मदन का चेहरा लाल हो गया और गला सुख गया फ़ँसी हुई आवाज में, "माआआआम्म्म्म्मीईईई,,,,,,,," करके रह गया।

मामी ने इस बार मदन का एक हाथ पकड़ लिया और हल्के से उसकी हथेली को दबा कर कहा, "क्यों मन करता है की नही, की किसी की देखुं।"

मदन का हाथ मामी के कोमल हाथों में कांप रहा था। मदन को अपने और पास खींचते हुए उर्मिला देवी ने मदन का चेहरा अपने गुदाज सीने से सटा लिया था। मामी को मदन की गर्म सांसो का अहसास अपने सीने पर हो रहा था। मदन को भी मामी की उठती गिरती छातियाँ अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी।

थुक निगल के गले को तर करता हुआ मदन बोला, "हांआआ मामी मन…तो…।"

उर्मिला देवी ने हल्के से फिर उसके हाथ को अपनी चूचियों पर दबाते हुए कहा, 'देख मैं कहती थी ना तेरा मन करता होगा, , लौंडा जैसे ही जवान होता है उसके मन में सबसे पहले यही आता है की किसी औरत की देखे।"

अब मदन भी थोड़ा खुल गया और हकलाते हुए बोला,
"स…च, मा…मी बहुत मन करता है कि देखे."

"मैं दिखा तो देती मगर....."

"हाय मामी, मगर क्या ?"

"तूने कभी किसी की देखी है ?”

"नही, माआआअमीईईइ...!!"

"तेरी उमर कम है, फिर मैं तेरी मामी हूँ।"

"मामी मैं अब बड़ा हो गया हूँ."
"मैं दिखा देती मगर तेरी उमर कम है, तेरे से रहा नही जायेगा."

"क्या रहा नही जायेगा मामी, बस दिखा दो एक बार."

उर्मिला देवी ने अपना एक हाथ मदन के अंडरवियर के ऊपर से उसके लण्ड पर रख दिया। मदन एकदम से लहरा गया। मामी के कोमल हाथों का लण्ड पर दबाव पा कर मजे के कारण से उसकी पलके बन्द होने को आ गई। उर्मिला देवी बोली,
" देख कैसे खड़ा कर के रखा हुआ है ?, अगर दिखा दूँगी तो तेरी बेताबी और बढ़ जायेगी."

"हाय नही बढ़ेगी मामी, प्लीज एक बार दिखा दो मेरी जिज्ञासा शान्त हो जायेगी."

"कच्छी खोल के दिखा दुं ?"
"हां मामी, बस एक बार, किसी की नही देखी." मदन गिड़गिड़ाया।

मदन का सर जो अभी तक उर्मिला देवी के सीने पर ही था, उसको अपने हाथों से दबाते हुए और अपने उभारों को थोड़ा और उचकाते हुए उर्मिला देवी बोली,
"वैसे तो मैंने नई ब्रा भी पहनी हुई, उसको भी देखेगा क्या ??

"हाँ मामी उसको भी…।"

"देखा तेरी नियत बदलने लगी यही तो मैं कह रही थी कि तुझसे रहा न जायेगा ।“

"नहीं मामी, मैं आपकी हर बात मानुंगा ।"

“मानेगा”
“हाँ मामी”
“चल दिखा दूँगी मगर एक शर्त पर”

"ठीक है”
“जा और मुत कर के अपना अंडरवियर उतार के आ."

मदन को एकदम से झटका लग गया। उसकी समझ में नही आ रहा था की क्या जवाब दे। मामी और उसके बीच खुल्लम-खुल्ला बाते हो रही थी मगर मामी अचानक से ये खेल इतना खुल्लम-खुल्ला हो जायेगा, ये तो मदन ने सोचा भी ना था। कुछ घबराता और कुछ सकपकाता हुआ वो बोला,
"मामी अंडरवियर,,,,,,,,,,,,,,"

"हा, जल्दी से अंडरवियर उतार के मेरे बेडरुम में आ जा फिर दिखाऊँगी.", कह कर उर्मिला देवी उस से अलग हो गई और टी वी बन्द कर के अपने बेडरुम की तरफ चल दी।
मामी को बेडरुम की तरफ जाता देख जल्दी से बाथरुम की तरफ भागा। अंडरवियर उतार कर जब मदन मुतने लगा तो उसके लण्ड से पेशाब की एक मोटी धार कमोड में छर छरा कर गिरने लगी। जल्दी से पेशाब कर अपने फनफनाते लण्ड को काबु में कर मदन मामी के बेडरुम की तरफ भागा। अन्दर पहुंच कर देखा की मामी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर अपने बालों का जूड़ा बना रही थी।

मदन को देखते ही तपाक से बोली, "चल बेड पर बैठ मैं आती हुं.",

और बेडरुम से जुड़े बाथरुम में चली गई। बाथरुम से मामी के मुतने की सीटी जैसी आवाज सुनाई दे रही थी। कुछ पल बाद ही मामी बाथरुम से अपनी नाईटी को जांघो तक उठाये हुए बाहर निकली। मदन का लण्ड एक बार फिर से सनसनाया। उसका दिल कर रहा था की मामी की दोनो जांघो के बीच अपने मुंह को घुसा दे और उनकी रसीली चूत को कस के चुम ले। तभी उर्मिला देवी जो की, बेड तक पहुंच चुकी थी की आवाज ने उसको वर्तमान में लौटा दिया,
"तु अभी तक अंडरवियर पहने हुए है, उतारा क्यों नही ?


"हाय् मामी, अंडरवियर उतार के क्या होगा?!! मैं तो पूरा नंगा हो जाऊँगा मामी शरम आ रही है ।"

"तो क्या हुआ ?, मुझे कच्छी खोल के दिखाने के लिये बोलता है मुझे शरम नही आती क्या? शर्त यही है न तू शर्मा न मैं, अगर अंडरवियर उतारेगा तो मैं भी दिखाऊँगी और तुझे बताऊँगी की तेरी मामी को कहाँ कहाँ खुजली होती है और तेरी खुजली मिटाने की दूसरी दवा भी बताऊँगी । अब चल अंडरवियर खोल वरना अपने कमरे में जा।”."
मदन घबराया कि कहीं बनता काम न बिगड़ जाये सकपका के बोला –

"नहीं नहीं मामी, मैं उतार दूँगा पर दूसरी कौन सी दवा है ?"

"बताऊँगी बेटा, पहले जरा अपना सामान तो दिखा।"

मदन ने थोड़ा सा शरमाने का नाटक करते हुए अपना अंडरवियर धीरे धीरे नीचे सरका दिया। उर्मिला देवी की चूत पनियाने और आंखो की चमक बढ़ने लगी । आज दस इंच मोटे तगडे लण्ड का दर्शन पहली बार खुल्लम-खुल्ला ट्युब लाईट की रोशनी में हो रहा था। नाईटी जिसको अब तक एक हाथ से उन्होंने उठा कर रखा हुआ था, छुट कर नीचे हो गई । मदन की आंखो को गरमी देने वाली चीज तो ढक चुकी थी मगर उसकी मामी के मजे वाली चीज अपनी पूरी औकात पर आ के फुफकार रही थी। उर्मिला देवी ने एक बार अपनी नाईटी के ऊपर से ही अपनी चूत को दबाया और खुजली करते हुए बोली,
"इस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस तेरी माँ की आँख ! बाप रे ! कितना बड़ा हथियार है तेरा, उफ़!! मेरी तो खुजली और बढ़ रही है।"
मदन जो की थोड़ा बहुत शरमा रहा था झुंझुलाने का नाटक कर बोला –
"खुजली बढ़ रही है तो कच्छी उतार दो ना मामी, मैं पाउडर लगा दूँ, वो काम तो करती नही हो, बेकार में मेरा अंडरवियर उतरवा दिया."


क्रमश:………………………………

The Romantic
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Unread post by The Romantic » 06 Nov 2014 20:58

चौधराइन
भाग 15 – समझदार मामी की सीख 3



"क्यों तू मेरी देखेगा तो मैं तेरा क्यों न देखूँ सबर कर मैं अभी उतारती हूँ, कच्छी फिर तुझे बताऊँगी अपनी खुजली की दवाई, हाय कैसा मुसल जैसा है तेरा."

फिर उर्मिला देवी ने अपनी नाईटी के बटन खोलने शुरु कर दिये। नाईटी को बड़े आराम से धीरे कर के पूरा उतार दिया। अब उर्मिला देवी के बदन पर केवल एक काले रंग की ब्रा और नाईटी के अन्दर पहनी हुई पेटीकोट थी। गोरा मैदे के जैसा माँसल गदराया पर कसा हुआ पेट, उसके बीच गहरी गुलाबी नाभी, दो विशाल छातियाँ, जो की ऐसा लग रहा था की ब्रा को फ़ाड़ के अभी निकल जायेगी उनके बीच की गहरी खाई, ये सब देख कर तो मदन एकदम से बेताब हो गया था। लण्ड फुफकार मार रहा था और बार-बार झटके ले रहा था। मदन अपने हाथों से अपने लण्ड को नीचे की तरफ़ जोर जोर से दबाने लगा।
बाहर खूब जोरो की बारिश शुरु हो गई थी। ऐसे मस्ताने मौसम में मामी-भांजे क मस्ताना खेल अब शुरु हो गया था। ना तो अब उर्मिला देवी रुकने वाली थी ना ही मदन।
उर्मिला देवी ने जब उसकी बेताबी देखी तो आगे बढ़ कर खुद अपने हाथों से उसके लण्ड को पकड़ लिया और मुस्कुराती हुई बोली,
"मैं कहती थी ना की तेरे बस का नही है, तु रह नही पायेगा, अभी तो मैंने पूरा खोला भी नही है और तेरा ये बौखलाने लगा ।"
फ़िर उर्मिला देवी ने मदन के हाथ से लण्ड छुड़ा के बोली –
“तू अपने इस औजार को छोड़।”
“बड़ा दर्द कर रहा है मामी ”
मदन ने कहा और उसका हाथ फ़िर अपने लन्ड पर चला गया ये देख उर्मिला देवी बोली,
" तु मानता क्यों नही बेटा छूने से और अकड़ेगा, और दर्द करेगा, अच्छा तू ऐसा कर मेरी ब्रा खोल तेरा ध्यान बटेगा चल खोल ।" ये कहकर उसका हाथ अपनी ब्रा में कैद चूचियों के ऊपर रख दिया

मदन ने पीछे हाथ ले जा कर अपनी मामी की ब्रा के स्ट्रेप्स खोलने की कोशिश की मगर ऐसा करने से उसका चेहरा मामी के सीने के बेहद करीब आ गया और उसके हाथ कांपने लगे ऊपर से ब्रा इतनी टाईट थी की खुल नही रही थी। उर्मिला देवी ने हँसते हुए अपने बदन को थोड़ा ढीला किया खुद अपने हाथों को पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के स्ट्रेप्स को खोल दिये और हँसते हुए बोली.
"ब्रा भी नही खोलना जानता है, चल कोई बात नही मैं तुझे पूरी ट्रेनिंग दूँगी, ले देख अब मेरी चूचियाँ जिनको देखने के लिये इतना परेशान था."

मामी के कन्धो से ब्रा के स्ट्रेप्स को उतार कर मदन ने झपट कर जल्दी से ब्रा को एक झटके में निकाल फेंका। जिससे उनके बड़े बड़े लक्का कबूतरों से उरोज फ़ड़फ़ड़ा के बाहर आ गये उसकी इस हरकत से मामी हँसने लगी जिससे उनके फ़ड़फ़ड़ाते स्तन और भी थिरकने लगे वो हँसते हुए बोली,
" आराम से, जल्दी क्या है, अब जब बोल दिया है कि दिखा दूँगी तो फिर मैं पीछे नही हटने वाली।"

मामी के ऊपर को मुँह उठाये फ़ड़फ़ड़ाते थिरकते स्तन देख कर मदन तो जैसे पागल ही हो गया था। एक टक घूर घूर कर देख रहा था उनके मलाई जैसे चुचों को। एकदम बोल के जैसी ठोस और गुदाज चूचियाँ थी। निप्पल भी काफी मोटे मोटे और हल्का गुलाबीपन लिये हुए थे उनके चारो तरफ छोटे छोटे दाने थे।
मामी ने जब मदन को अपनी चूचियों को घूरते हुए देखा तो मदन का हाथ पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और मुस्कुराती हुई बोली,
"कैसा लग रहा है, पहली बार देख के !"

"हां मामी पहली बार बहुत खूबसुरत है."

मदन को लग रहा था जैसे की उसके लण्ड में से कुछ निकल जायेगा। लण्ड एकदम से अकड़ कर अप-डाउन हो रहा था और सुपाड़ा तो एकदम पहाड़ी आलु के जैसा लाल हो गया था।

"देख तेरा औजार कैसे फनफना रहा है, नसें उभर आई हैं थोड़ी देर और देखेगा तो लगता है फट जायेंगी."

"हाय मामी फट जाने दो, थोड़ा सा और कच्छी खोल के भीई………"

इस पर उर्मिला देवी ने उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में थाम लिया और दबाती हुई बोली, "अभी ये हाल है तो कच्छी खोल दी तो क्या होगा ?"

"अरे अब जो होगा देखा जायेगा मामी, जरा बस सा खोल के……"

इस पर उर्मिला देवी ने उसके लण्ड को अपनी कोमल गुदाज हथेली मे पकड़ सहलाने और ऊपर नीचे करने लगीं । बीच बीच मे लण्ड के सुपाड़े से चमड़ी पूरी तरह से हटा देतीं और फिर से ढक देती। मदन को समझ में नही आ रहा था की क्या करे। बस वो सबकुछ भुल कर सिसकारी लेते बेख्याली और उत्तेजना में मामी के उनके बड़े बड़े लक्का कबूतरों से उरोज सहलाते दबाते हुए उनके हाथों का मजा लूट रहा था। लण्ड तो पहले से ही पके आम के तरह से कर रखा था। दो चार हाथ मारने की जरुरत थी, फट से पानी फेंक देता । मदन की आंखे बन्द होने लगी, गला सुख गया ऐसा लगा जैसे शरीर का सारा खून सिमट कर लण्ड में भर गया है। मजे के कारण आंखे नही खुल रही थी। मुंह से केवल गोगीयांनी आवाज में बोलता जा रहा था,
"हाय, ओह मामी,,,,,,,,,,,,,,,,,,"
तभी उर्मिला देवी ने उसका लण्ड सहलाते हुए बोल पड़ी,
"अब देख, तेरा कैसे फल फला के निकलेगा जब तु मेरी कच्छी की सहेली को देखेगा."

चुसाई बन्द होने से मजा थोड़ा कम हुआ तो मदन ने भी अपनी आंखे खोल दी। मामी ने एक हाथ से मुठ मारते हुए दूसरे हाथ से अपने पेटीकोट को पूरा पेट तक ऊपर उठा दिया और अपनी जांघो को खोल कर कच्छी के किनारे (मयानी) को पकड़ एक तरफ सरका कर अपनी झांटो भरी चूत के दर्शन कराये तो मदन के लण्ड का धैर्य जाता रहा और मदन के मुंह से एकदम से आनन्द भरी जोर की सिसकारी निकली और आंखे बन्द होने लगी और, "ओह मामी..........ओह मामी...." , करता हुआ भल-भला कर झड़ने लगा।
उर्मिला देवी ने उसके झड़ते लण्ड का सारा माल अपने हाथों में लिया और फिर बगल में रखे टोवल में पोंछती हुई बोली,
" देखा मैं कहती थी ना की, देखते ही तेरा निकल जायेगा।"

मदन अब एकदम सुस्त हो गया था। इतने जबरदस्त तरीके से वो आजतक नही झड़ा था। उर्मिला देवी ने उसके गालो को चुटकी में भर कर मसलते हुए एक हाथ से उसके ढीले लण्ड को फिर से मसला। मदन अपनी मामी को हँसरत भरी निगाहों से देख रहा था। उर्मिला देवी मदन की आंखो में झांकते हुए वहीं पर कोहनी के बल मदन के बगल में अधलेटी सी बैठ कर अपने दूसरे हाथ से मदन के ढीले लण्ड को अपनी मुठ्ठी में उसके अंडो समेत कस कर दबाया और बोली, "मजा आया………………???"

मदन के चेहरे पर एक थकान भरी मुस्कुराहट फैल गई। पर मुस्कुराहट में हँसरत भी थी और चाहत भी थी।
"मजा आया…?", उर्मिला देवी ने फिर से पूछ।

"हाँ मामी, बहुत्,,,,,,,,"

"लगता है पहले हाथ से कर चुका है ?"

"कभी कभी.."

"इतना मजा आया कभी ?"

"नही मामी इतना मजा कभी नही आया,,,,,,,,,,"
मामी ने मदन के लण्ड को जोर से दबोच कर उसके गालो पर अपने दांत गड़ाते हुए एक हल्की सी पुच्ची ली और अपनी टांगो को उसकी टांगो पर चढ़ा कर रगड़ते हुए बोली, "पूरा मजा लेगा....?"

मदन थोड़ा सा शरमाते हुए बोला, "हाय मामी, हां !!।"

उर्मिला देवी की गोरी चिकनी टांगे मदन के पैरो से रगड़ खा रही थी। उर्मिला देवी का पेटीकोट अब जांघो से ऊपर तक चढ़ चुका था।

"जानता है पूरे मजे का मतलब ?!"

मदन ने थोड़ा संकुचाते हुए अपनी गरदन हां में हिला दी। इस पर उर्मिला देवी ने अपनी नंगी गदराई जांघो से मदन के लण्ड को मसलते हुए उसके गालो पर फिर से अपने दांत गड़ा दिये और हल्की सी एक प्यार भरी चपत लगाते हुए बोली,
"वाह बेटा छुपे रुस्तम मुझे पहले से ही शक था, तु हंमेशा घूरता रहता था।"

फिर प्यार से उसके होठों को चुम लिया और उसके लण्ड को दबोचा। मदन को थोड़ा दर्द हुआ। मामी के हाथ को अपनी हथेली से रोक कर सिसकाते हुए बोला,
"हाय मामी...।"

मदन को ये मीठा दर्द सुहाना लग रहा था। वो सारी दुनिया भुल चुका था। उसके दोनो हाथ अपने आप मामी की पीठ से लग गये और उसने उर्मिला देवी को अपनी बाहों में भर लिया। मामी की दोनो बड़ी बड़ी चूचियाँ अब उसके चेहरे से आ लगीं। मदन ने हपक के एक छाती पे मुँह मारा और चूसने लगा मामी के मुह से कराह निकल गई। मदन उन बड़ी बड़ी चूचियाँ पे जहाँ तहाँ मुँह मारते हुए निपल चूस रहा था उर्मिला देवी सिसकारियाँ भर रहीं थीं ।ऐसे ही मुँह मारते चूसते चूमते बाहों कन्धों गरदन से होते हुए वो उर्मिला देवी के होठों तक पहुँच गया ।

उर्मिला देवी ने फिर से मदन के होठों को अपने होठों में भर लिया और अपनी जीभ को उसके मुंह में डाल कर घुमाते हुए दोनो एक दूसरे को चुमने लगे। औरत के होठों का ये पहला स्पर्श जहां मदन को मीठे रसगुल्ले से भी ज्यादा मीठा लग रहा था वहीं उर्मिला देवी एक नौजवान कमसिन लौंडे के होठों का रस पी कर अपने होश खो बैठी थी। उर्मिला देवी ने मदन के लण्ड को अपनी हथेलीयों में भर कर फिर से सहलाना शुरु कर दिया। कुछ ही देर में मुरझाये लण्ड में जान आ गई। दोनो के होंठ जब एक दूसरे से अलग हुए तो दोनो हांफ रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मीलो लम्बी रेस लगा कर आये हे। अलग हट कर मदन के चेहरे को देखते हुए उर्मिला देवी ने मदन के हाथ को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रखा और कहा,
"अब तू मजा लेने लायक हो गया है."

फिर उसके हाथों को अपनी चूचियों पर दबाया। मदन इशारा समझ गया।उसने उर्मिला देवी की चूचियों को हल्के हल्के दबाना शुरु कर दिया। उर्मिला देवी ने भी मुस्कुराते हुए उसके लण्ड को अपने कोमल हाथों में थाम लिया और हल्के हल्के सहलाने लगी। आज मोटे दस इंच के लण्ड से चुदवाने की उसकी बरसों की तमन्ना पूरी होने वाली थी। उसके लिये सबसे मजेदार बात तो ये थी की लौंडा एकदम कमसिन उमर का था। जैसे मर्द कमसिन उमर की अनचुदी लड़कियों को चोदने की कल्पना से सिहर उठते है, शायद उर्मिलाजी के साथ भी ऐसा ही हो रहा था. मदन बाबू के लण्ड को मसलते हुए उनकी चूत पसीज रही थी और इस दस इंच के लण्ड को अपनी चूत की दिवारों के बीच कसने के लिये बेताब हुई जा रही थी।
मदन भी अब समझ चुका था की आज उसके लण्ड की सील तो जरुर टूट जायेगी। दोनो हाथों से मामी की नंगी चूचियों को पकड़ कर मसलते हुए मामी के होठों और गालो पर बेतहाशा चुम्मीयां लिये जा रहा था। दोनो मामी-भांजे जोश में आकर एक दूसरे से लिपट चिपट रहे थे।

तभी उर्मिलाजी ने मदन के लण्ड को कस कर दबाते हुए अपने होंठ भींच कर मदन को उक्साया, "जरा कस कर।"

मदन ने निप्पल को चुटकी में पकड़ कर आगे की तरफ खींचते हुए जब दबाया तो उर्मिला देवी के मुंह से तो मुंह से सिसकारियाँ फुटने लगी। पैर की एड़ीयों से बिस्तर को रगड़ते हुए अपने चूतड़ों को हवा में उछालने लगी। मदन ने मामी को मस्ती में आते हुए देख और जोर से चूचियों को मसला और अपने दांत गाल पर गड़ा दिये।

उर्मिला देवी एकदम से तिलमिला गई और मदन के लण्ड को कस कर मरोड दिया,
"उईईईईईईईई............माआआआआआ, सस्सस्सस धीरे से,,,,,,,,,,।"

लण्ड के जोर से मसले जाने के कारण मदन एकदम से दर्द से तड़प गया पर उसने चूचियों को मसलना जारी रखा और मामी की पुच्चियां लेते हुए बोला,
"अभी तो बोल रही थी, जोर से और अभी चील्ला रही हो,,,,,,,,,,,,,,,ओह मामी !!!।"

तभी उर्मिला देवी ने मदन के सर को पकड़ा और उसे अपनी चूचियों पर खींच लिया और अपनी बांयी चूची के निप्पल को उसके मुंह से सटा दिया और बोली,
"बातचीत बन्द।"
मदन ने चूची के निप्पल को अपने होठों के बीच कस लिया। थोरी देर तक निप्पल चूसवाने के बाद मामी ने अपनी चूची को अपने हाथों से पकड़ कर मदन के मुंह में ठेला, मदन का मुंह अपने आप खुलता चला गया और निप्पल के साथ जितनी चूची उसके मुंह में समा सकती थी उतनी चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। दूसरे हाथ से दूसरी चूची को मसलते हुए मदन अपनी मामी के निपल चूस रहा था। कभी कभी मदन के दांत भी उसके मम्मो पर गड़ जाते, पर उर्मिला देवी को यही तो चाहिये था-----एक नौजवान जोश से भरा लौंडा जो उसको नोचे खसोटे और एक जंगली जानवर की तरह उसको चोद कर जवानी का जोश भर दे।

मदन की नोच खसोट के तरीके से उर्मिला देवी को पता चल गया था की लौंडा अभी अनाडी है, पर अनाडी को खिलाडी तो उसे ही बनाना था। एक बार लौंडा जब खिलाडी बन जाये तो फिर उसकी चूत की चांदी ही चांदी थी।

मदन के सर के बालों पर हाथ फेरती हुई बोली,
".........धीरे.....धीरे...,, चूची चूस और निप्पल को रबर की तरह से मत खींच आराम से होठों के बीच दबा के धीरे-धीरे जीभ की मदद से चुमला, और देख ये जो निप्पल के चारो तरफ काला गोल गोल घेरा बना हुआ है ना, उस पर और उसके चारो तरफ अपनी जीभ घुमाते हुए चुसेगा तो मजा आयेगा।"
मदन ने मामी के चूची को अपने मुंह से निकाल दिया, और मामी के चेहरे की ओर देखते हुए अपनी जीभ निकाल कर निप्पल के ऊपर रखते हुए पुछा,
"ऐसे मामी,,??"

"हां, इसी तरह से जीभ को चारो तरफ घुमाते हुए, धीरे धीरे।"

चुदाई की ये कोचिंग आगे जा कर मदन के बहुत काम आने वाली थी जिसका पता दोनो में से किसी को नही था। जीभ को चूची पर बड़े आराम से धीरे धीरे चला रहा था निप्पल के चारो तरफ के काले घेरे पर भी जीभ फिरा रहा था। बीच बीच में दोनो चूची को पूरा का पूरा मुंह में भर कर भी चूस लेता था। उर्मिला देवी को बड़ा मजा आ रहा था और उसके मुंह से सिसकारियाँ फुटने लगी थी,
" ऊऊउईई,,,,,,,,,,,,आअह्हहहह्,,,,,,,,,शशशशश्,,,,,,,,,,,,मदन बेटा,,,,,,,,,,,,,,,,आअह्हह्हह,,,,, ,,,,, ऐसे ही मेरे राजा,,,,,,,,,,शीईईईईईई................एक बार में ही सीख गया, हाय मजा आ रहा है,"

"हाय मामी, बहुत मजा है, ओह मामी आपकी चूची,,,,,,,,,,,,शशशश...... कितनी खूबसुरत है, हंमेशा सोचता था, कैसी होगी ??, आज,,,,,,,,"

" उफफफ्फ् शशशशशसीईईईईईई,,,,,,,,,,,,, आआराआआम से आराम से, उफफफ् साले, खा जा, तेरी चौधराइन चाची के बाग का लंगड़ा आम है, भोसड़ी के,,,,,,,,,,,,,,,,,,,चूस के सारा रस पी जा।"

मामी की गद्देदार माँसल चूचियों को मदन, सच में शायद लंगड़ा आम समझ रहा था। कभी बायीं चूची मुंह में भरता तो कभी दाहिनी चूची को मुंह में दबा लेता। कभी दोनो को अपनी मुठ्ठी में कसते हुए बीच वाली घाटी में पुच,,,,पुच करते हुए चुम्मे लेता, कभी उर्मिला देवी की गोरी सुराहीदार गरदन को चुमता।
बहुत दिनो के बाद उर्मिला देवी की चूचियों को किसी ने इस तरह से मथा था। उसके मुंह से लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी, आहें निकल रही, चूत पनिया कर पसीज रही थी और अपनी उत्तेजना पर काबु करने के लिये वो बार-बार अपनी जांघो को भींच भींच कर पैर की एड़ीयों को बिस्तर पर रगड़ते हुए हाथ-पैर फेंक रही थी। दोनो चूचियाँ ऐसे मसले जाने और चुसे जाने के कारण लाल हो गई थी।

चूची चूसते-चूसते मदन नीचे बढ़ गया था और मामी के गुदाज पेट पर अपने प्यार का इजहार करते हुए चूम रहा था। एकदम से बेचैन होकर सिसयाते हुए बोली,
" कितना दुध पीयेगा मुये, उईई,,,,,,, शिईईईईईईईईई,,,,,,,,, साले, चूची देख के चूची में ही खो गया, इसी में चोदेगा क्या, भोसड़ी के ?।"
मदन मामी के होठों को चुम कर बोला,
"ओह मामी बहुत मजा आ रहा है सच में, मैंने कभी सोचा भी नही था. हाय, मामी आपकी चूचियाँ खा जाऊँ??"

उर्मिला देवी की चूत एकदम गीली हो कर चू ने लगी। भगनसा खड़ा होकर लाल हो गया था। इतनी देर से मदन के साथ खिलवाड करने के कारण धीरे-धीरे जो उत्तेजना का तुफान उसके अन्दर जमा हुआ था, वो अब बाहर निकलने के लिये बेताब हो उठा था।
उर्मिला देवी ने एक झापड़ उसके चूतड़ पर मारा और उसके गाल पर दांत गड़ाते हुए बोली, "साले, अभी तक चूची पर ही अटका हुआ है।"

मदन बिस्तर पर उठ कर बैठ गया और एक हाथ में अपने तमतमाये हुए लण्ड को पकड़ कर उसकी चमड़ी को खींच कर पहाड़ी आलु के जैसे लाल-लाल सुपाड़े को मामी की जाँघों पर रगड़ने लगा।
क्रमश:………………………………


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