Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet

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raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:08

Raj-Sharma-stories

रूम सर्विस --2
हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा रूम सर्विस पार्ट -२ लेकर आपके
सामने हाजिर हूँ दोस्तों कहानी ज्यो -ज्यो आगे बढेगी आपको उतना ही मजा
आएगा अब आप कहेंगे इसने तो फ़िर अपनी बक बक शुरू कर दी
चलिए मैं आपको और बोर नही करूँगा आप कहानी का मजा लो मैं चला
ऋतु रूम में आकर धदाम से अपने बेड पे गिरी और मुस्कुराने लगी…
खुमारी अभी भी बर करार थी.. और उस खुमारी के आलम में ऋतु के कानो
में करण की कही एक एक बात गूँज रही थी.

धीरे धीरे उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगी और कुछ ही हफ़्तो में दोनो बहुत
अच्छे दोस्त बन गये. करण इस बात का ख़याल रखता था की ऋतु के पास
हमेशा कस्टमर्स जायें जिनको कि अपार्टमेंट्स आंड विलास बेच कर ऋतु को
अच्छी कमिशन मिले. ऋतु इस बात से बेख़बर थी. अब उसको हर महीने
बहुत अच्छी इनकम होने लगी थी. उसके हाव भाव और वेश भूषा भी
बदलने लगी थी.

उसने शहर के मशहूर हेर ड्रेसर के यहाँ से बॉल कटवाए. लेटेस्ट
फॅशन के कपड़े लिए. ऊचि क़ुआलिटी का मेकप खरीदा. आछे परफ्यूम्स और
टायिलेट्रीस. कई दफ़ा काम की वजह से उसे जब लेट होता था तो करण या तो
उसको खुद घर छोड़ के आता था या फिर किसी विश्वसनिया ड्राइवर को भेजता
था.

ऋतु पठानकोट गयी जब अपने माता पिता से मिलने तो उनके लिए अच्छे अच्छे गिफ्ट्स
लेके गयी. वो भी उसकी तरक्की से बहुत खुश थे… मोहल्ले वाले उसके माता
पिता को बधाई देते थे और उनकी बेटी के गुण-गान करने लगे.

ऋतु को एक दिन एक मैल आया.

डियर ऋतु,
आइ वॉंट टू टेक अवर फ्रेंडशिप ए लिट्ल फर्दर. आइ नो टुमॉरो ईज़ युवर
बिर्थडे आंड आइ वानट टू मेक इट स्पेशल फॉर यू. आइ हॅव ए सर्प्राइज़ प्लॅंड
फॉर यू.
यौर्स
करण
*
मैल देख के वो मन ही मन बहुत खुश हुई. करण ने लिखा था "यौर्स,
करण"

उसके भी मन में करण ने घर कर लिया था. वो बहुत ही हॅंडसम और
तहज़ीबदार लड़का था. ना जाने कब ऋतु उसको अपना दिल दे चुकी थी. इस बात
से वो खुद बे खबर थी.

अगले दिन जब ऋतु ऑफीस से निकली तो यह जानती थी कि करण उसका इंतेज़ार
कर रहा था बाहर अपनी कार में. दोनो ऑफीस से चले और एक अपार्टमेंट
कॉंप्लेक्स में चले गये. तब तक दोनो ने कुछ नही कहा था एक दूसरे से.
कार पार्किंग में खड़ी करके करण ऋतु को लेकर लिफ्ट में गया. लिफ्ट 25थ
फ्लोर पे जाके रुकी. टॉप फ्लोर.

करण ने जेब से एक रुमाल निकाला और ऋतु से कहा “प्लीज़ इसे अपनी आँखों
पे बाँध लो”

ऋतु थोड़ी हैरान हुई लेकिन उसने मना नही किया और आँखों पे पट्टी बाँध
दी.

उसको सुनाई दे रहा था कि करण अपनी जेब से चाबी निकल रहा हैं और उसके
बाद दरवाज़ा खोल रहा हैं… करण उसका हाथ पकड़ के उसको कमरे में ले
आया. अंदर जाते ही ऋतु को सुगंध आने लगी … फूलो की… शायद गुलाब
की थी. उसकी आँखें अब भी ढाकी हुई थी. करण ने दरवाज़ा बंद किया और
उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसकी आँखों से पट्टी हटाते हुए बोला हॅपी
बिर्थडे और उसकी गर्दन पे चूम लिया.

ऋतु ने आँखें खोली तो सामने देखा फूल ही फूल. सब तरह के फूल.
गुलाब, कारनेशन, चरयसानतमुँ, लिलीस, ट्यूलिप्स, डॅलिया, डेज़ीस, सनफ्लावर.
सामने फूलो के अनेक गुलदस्ते थे. पूरी दीवार पर बस फूल ही फूल.
सामने एक टेबल सजी हुई थी जिसपे एक हार्ट शेप्ड चॉक्लेट केक था, साथ
ही 2 ग्लास और एक शॅंपेन की बॉटल. टेबल पे कॅंडल लाइट जल रही थी
और पूरी कमरे में उन्ही कॅंडल्स की ही डिम रोशनी थी.

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:09


पूरा माहौल बहुत ही रोमॅंटिक लग रहा था. ऋतु के घुटने मानो जवाब दे
रहे थे. उधर करण उसकी गर्दन पर चूम रहा था और हर बार चूमते
हुए हॅपी बिर्थडे बोल रहा था. ऋतु पलटी और करण की तरफ मूह कर
लिया. कारण अभी भी उसकी गर्दन पर लगा हुआ था. ऋतु ने अपनी दोनो बाहें
करण के गले में डाल दी.

“थॅंक यू करण. यह मेरा सबसे अच्छा बिर्थडे हैं आज तक”

“एनीथिंग फॉर यू ऋतु.”

करण ने उसकी गर्दन पे चूमना रोका और उसकी आँखों में देखा. ऋतु की
आँखें कुछ डब दबा गयी थी. वो इस खुशी को समेट नही पा रही थी. करण
ने उसके चेहरे को अपने हाथों में ले लिया और धीरे से अपने होंठ उसके
होंटो की तरफ बढ़ा दिए. ऋतु तो जैसे उसकी बाहों में पिघल सी गयी
थी. उसने कोई विरोध ना किया. दोनो के होंठ मिले और ऋतु के शरीर में एक
कंपन सी हुई.

पहली बार वो किसी लड़के को चूम रही थी. उसे अपने पूरे बदन में ऐसी
सेन्सेशन महसूस हो रही थी जैसे बिजली का करेंट दौड़ रहा हो रागो में.
उसके और करण के होंठ एक हो चुके थे. करण उसके लबो को बहुत हल्के से
चूम रहा था. कारण ने थोडा लबो को खोलने की कोशिश की और नीचे वाले
होंठ को अपने दाँतों में दबाया.

ऋतु की पकड़ टाइट हो गयी… उसके लिए यह सब नया था लेकिन कारण इस गेम
का पुराना खिलाड़ी था…

रईस बाप की हॅंडसम औलाद..लड़कपन से ही इस खेल में आ गया था.
स्कूल में उसकी अनेक गर्लफ्रेंड्स थी. हर क्लास में वो नयी गर्ल फ्रेंड बनाता
था. उसके बाप ने उसे 9थ में मारुति ज़ेन गिफ्ट की थी जिसमे उसने बहुत
लड़कियों को घुमाया था और शहर की सुनसान सड़को पे उस गाड़ी के अंदर
बहुत हरकतें हुई थी. बाद में जब वो यूएसए गया एमबीए करने तो वहाँ अकेले
रहता था एक फ्लॅट लेके. उसके फ्लॅट को लोग ‘लव डेन’ कहते थे. वहाँ उसने
कई फिरंगी लड़कियों से अपने देसी लंड की पूजा करवाई थी.

इधर ऋतु भी अब किस में शामिल हो रही थी.. वो खुद भी अपने होंठ
खोल के करण को प्रोत्साहन दे रही थी. करण ने जीभ हल्के से उसके मूह
में घुसाई. हर ऐसी नयी हरकत पे ऋतु की उंगलियाँ करण की पीठ में
ज़ोर से धस जाती थी.. लेकिन जल्दी ही ऋतु खुद वो काम कर रही थी…
जल्दी सीख रही थी… दोनो एकदम खामोश खड़े हुए इस चुम्मा चाटी में
लगे हुए थे…

अब समय था की करण के हाथ अपना कमाल दिखाते. उसने हाथ उसके चेहरे
से हटा के उसकी गर्दन पे टिकाए.. लेफ्ट हॅंड से गर्दन के पीछे मसाज
करने लगा और उसका राइट हॅंड धीरे धीरे नीचे सरकता रहा ऋतु के
लेफ्ट बूब की तरफ. करण ने हल्के हाथ से उसे दबाया और उसके मम्मे के
चारों और सर्कल्स में उंगलियाँ दौड़ाने लगा. ऋतु यह सब बखूबी
महसूस कर रही थी लेकिन उसो भी इस सब में मज़ा आरहा था.. उसकी
आँखें तो किस करते समय से ही बंद थी. वो एक ऐसे समुद्रा में गोते
लगा रही थी जहाँ वो खुद डूब जाना चाहती थी.

करण ने अपने दोनो हाथ अब उसकी कमर पर उसके लव हॅंडल्स पे रख दिए
और उनको हल्के से सहलाने लगा. ऋतु के घुटनो ने जवाब दे दिया और वो
करण के उपर आ गिरी… कारण ने उसको संभाला और पीछे पड़े हुए ब्लॅक
लेदर के सोफा पे जाके बैठ गया और ऋतु को अपनी गोद में बिठा लिया.
ऋतु की आँखें बंद थी और बाहें करण के गले में. वो करण की गोद
में बैठी थी और उसको अपने चुतताड के नीचे किसी कड़क चीज़ का एहसास
हो रहा था.

करण ने कमीज़ के नीचे से अपना राइट हाथ कमीज़ के अंदर डाल दिया.. अब
वो ऋतु के मुलायम और स्मूद बदन को एक्सप्लोर करने लगा…. इस पूरे समय
दोनो किस करते जा रहे थे जो अब स्मूच में बदल गयी थी. ऋतु की टंग
और करण की टंग मानो एक हो गये हो.. करण किसी भूखे कुत्ते की तरह
अपनी जीभ लपलपा रहा था और ऋतु उसका पूरा साथ दे रही थी…

करण ने ऋतु को टेढ़ा किया ऐसे की ऋतु की पीठ उसकी छाती पे थी. करण
उसकी गर्दन पर अब भी किस कर रहा था और उसके दोनो हाथ अब ऋतु के
बूब्स पर थे वो हल्के हल्के उन्हे दबोच रहा था… ऋतु के मस्त 36 इंच के
बूब्स ने आज तक किसी पराए मर्द के हाथों को महसूस नही किया था. वो
भी मानो इस चीज़ से इतने खुश थे की ना चाहते हुए भी ऋतु अपने बूब्स को
आगे बढ़ा रही थी… करण ने कपड़ो के उपर से उसके बूब्स को पकड़ लिया..
ऋतु के मूह से एक आह छूट पड़ी… करण ने हाथ आगे बढ़ाए और नीचे
उसकी जाँघो को सहलाने लगा…

वो पूरा खिलाड़ी था.,.. उसको पता था की लड़की को गरम कैसे करना हैं
और कैसे उसके विरोध को तोड़ना हैं… अब करण अपनी अगला कदम बढ़ाने वाला
था और उसको मालूम था की विरोध आने ही वाला हैं… वो इसके लिए पूरी
तरह से तैयार था…

raj..
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Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस

Unread post by raj.. » 06 Nov 2014 23:10



ऋतु ने अपने हाथ पीछे करण के गले में डाले हुए थे जिससे की करण को
उसके बूब्स का अच्छी तरह से दबाने का मौका मिल रहा था. अब करण ने अपना
अगला कदम बढ़ाया और धीरे से राइट हॅंड उसकी चूत के उपर ला कर रख
दिया और थोड़ा सा दबाव दिया.

“यह क्या कर रहे हो कारण”

“ऋतु मैं अपने आप को नही रोक सकता”

“नही करण ऐसा मत करो.. यह ग़लत हैं”

“ऋतु अगर यह ग़लत होता तो हूमें इतना अच्छा क्यू महसूस हो रहा हैं…
क्या तुम्हे अच्छा नही लग रहा??”

“हचहा लग रहा हैं..बहुत अच्छा”

“रोको मत अपने आप को ऋतु”

करण ने ऋतु की कमीज़ उसके सर के उपर से निकाल दी. ब्लू कलर की ब्रा
में ऋतु के मस्त 36” बूब्स मानो करण को बुला रहे हो अपनी ओर. करण ने
ब्रा के उपर से ही उन्हे चूमना शुरू किया. हर किस के साथ ऋतु के मूह से
आह छूट रही थी. करण ने सिर्फ़ एक ही हाथ से उसके ब्रा के हुक्स खोल
दिए.. वो प्लेयर आदमी था. धीरे से ब्रा के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से उतारे….
और ब्रा को शरीर से अलग कर दिया.

ऋतु की आँखें अब खुल गयी थी… कमरे में अभी भी कॅंडल्स की हल्की
रोशनी ही थी…. फूलो की मदमस्त करने वाली खुश्बू और कारण. उसे मानो
यह सब एक सपना लग रहा था… मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था…
एक मिली जुली फीलिंग थी… वो समझ नही पा रही थी की रुक जाए या आगे
बढ़े… उधर करण चालू था… पूरे समय उसके हाथ ऋतु के बदन को
एक्सप्लोर कर रहे थे.. ऋतु को यह पता नही था की किसी और के छूने से
इतना अच्छा लग सकता हैं.


करण का हौसला बढ़ता जा रहा था. उसका पता था की ऋतु गरम हो रही
हैं… जल्दी ही उसके हाथ सलवार और पॅंटी के उपर से उसकी चूत को
सहलाने लगे… ऋतु के मूह से आह ओह छूटे जा रही थी.. उसने आँखें बंद कर
ली थी और एंजाय कर रही थी..

करण ने उसकी नंगे बूब्स को एक एक करके चूमा उर अपनी जीभ से निपल्स के
आस पास सर्कल्स बनाने लगा… उसने जान बूझके निपल्स को मूह में नही
लिया.. वो तड़पाना चाहता था ऋतु को.. ऋतु को आनंद आ रहा था लेकिन
अधूरा… अंत में उससे रहा ना गया और उसने खुद कहा

“मेरे निपल्स को चूसो करण”

“ज़रूर बेबी”

“ओह करण आइ लव यू.. आइ लव यू सो मच…दिस फील्स सो गुड…”

“आइ लव यू टू बेबी.. यू आर सो ब्यूटिफुल”

यही मौका था… करण ने स्सावधानी से उसकी सलवार के नाडे का एक कोना पकड़ा
और साथ की निपल्स भी मूह में ले लिए… प्लेषर से ऋतु कराह उठी और
साथ ही नाडा भी खुल गया.. ऋतु को तो इस बात का एहसास ही नही हुआ की
नाडा कब खुला… जब करण का हाथ गीली हो चुकी पॅंटी पे पड़ा तब उसे
मालूम हुआ…

करण था मास्टर शिकारी.. कैसे शिकार को क़ब्ज़े में करता जा रहा था और
शिकार को खबर तक नही…

गीली हो चुकी पॅंटी के उपर से उसने चूत को मसलना शुरू किया… ऋतु अब
करण को चूमने लगी.. कभी उसके होंठ कभी गाल कभी गर्दन कभी
कान… उसके हाथ करण की चौड़ी छाती और मज़बूत कंधे पर घूम रहे
थे.

कारण ने धीरे से सलवार सरका कर उसके पैरों से अलग कर दी… अब करण
और उसके टारगेट के बीच सिर्फ़ एक लेसी नीली पॅंटी थी… ऋतु को सोफे पे लिटा
के करण उसके पेट पर किस करने लगा.. उसका एक हाथ उसके बूब्स को मसल
रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत को. ऋतु उसके बालों में उंगलियाँ डाल
के कराह रही थी.


करण ने हाथ पॅंटी के अंदर डाल दिया.. ऋतु की चूत मानो किसी भट्टी की
तरह धधक रही. टेंपरेचर हाइ था.. और रस भी शुरू हो चूक्का
था… ऋतु के लाइफ में पहली बार यह सब हो रहा था… करण ने पॅंटी नीचे
करने की कोशिश की

“ओह करण.. प्लीज़… यह क्या कर रहे हो… ”

“प्यार कर रहा हूँ ऋतु”

“ओह करण… यह ठीक नही हैं.. यह ग़लत हैं” ऋतु का विरोध सिर्फ़ नाम का
ही विरोध था… मन तो उसका भी यही था लेकिन मारियादा की सीमा तो एकदम से
कैसे लाँघ जाती .. आख़िर वो एक भारतिया लड़की थी.

“फिर वही बात… इट्स ऑल फाइन बेबी… यू नो आइ लव यू … जब बाकी पर्दे हट
चुके हैं तो यह भी हट जाने दो ना”

“लेकिन हमारी शादी नही हुई हैं करण.”

“बेबी.. तुम्हे मुझपे भरोसा नही हैं क्या… क्या तुम्हे लगता है मैं
धोकेबाज़ हूँ” करण ने आवाज़ में थोडा गुस्सा उतारा.

“नही करण.. यह बात नही हैं”

“नही ऋतु आज मुझे मत रोको…”

यह कहते हुए उसने पॅंटी नीचे कर दी .. ऋतु ने भी लेटे लेटे अपनी गांद
उठा के उसकी मदद की…

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