Raj Sharma stories--रूम सर्विस compleet
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
कमरे की मध्यम रोशनी में कारण ने ऋतु की चूत को निहारा… चूत की
फांके जैसे आपस में चिपकी हुई थी. चूत अपने ही रस में चमक रही
थी… उसके उपर हल्के हल्के बाल… ऋतु बहुत ही गोरी थी और उसकी चूत भी…
उसकी क्लाइटॉरिस एकदम सूज गयी थी… करण ने बड़े ही तरीके से उसकी चूत
को चूमा…
“ओह करण यू आर सो गुड.”
करण ने अपनी जीभ को चूत की दर्रार में डाल दिया और नीचे से उपर
उसके क्लिट तक लेके गया… ऋतु का हाल बुरा हो रहा था… करण ने क्लिट को
अपने मूह में लिया और चूसने लगा…. करण ने ऋतु की लेफ्ट टाँग को अपने
कंधे पे रख किया और डाइरेक्ट्ली उसको चूत के सामने आ गया… ऋतु के हाथ
करण के सर पर थे और वो उसके मूह को अपनी चूत की तरफ धकेल रही थी.
करण ने क्लिट चूस्ते हुए ही अपनी शर्ट और जीन्स उतार दी …. उसके अंडरवेर
में उसका लंड तना हुआ था… अब वो धीर धीरे उपर आया उसके पेट बूब्स
और गर्दन को चूमते हुए… ऋतु के लिप्स को चूमा और धीरे से उसके कान
में कहा
“ऋतु तुम्हारा गिफ्ट तैयार हैं”
“कहाँ हैं गिफ्ट”
“यहाँ” और उसने अपने लंड की तरफ इशारा किया.
ऋतु शर्मा गयी … उसने धीरे से अपना हाथ बढ़ाया और करण के लंड को
अंडर वेर के उपर से छुआ…
“अंदर आराम से हाथ डाल लो… डॉन’ट वरी”
ऋतु ने अंडर वेर के अंदर जैसे ही हाथ डाला कारण ने अपने हिप्स उठा
दिए… ऋतु इशारा समझ गयी और करण के अंडर वेर को नीचे कर दिया… अब
दोनो के शरीर पे एक धागा भी नही था…
ऋतु उठ के नीचे फर्श पे घुटने टीका के बैठ गयी… करण का लंड उसके
मूह के सामने था… पूरी तरह से तना हुआ… ऋतु अपनी ज़िंदगी में पहली बार
ऐसे दीदार कर रही थी लंड का … एक पल के लिए तो उसे देखती ही रही… 7
इंच का मोटा लंड उसके सामने था... करण ने उसके हाथ को अपने लंड पे
रख,, ऋतु ने कस कर पकड़ लिया… और हाथ उपर नीचे करने लगी… करण
ने अपने एक हाथ से उसके सर के पीछे दबाओ दिया और उसका मूह लंड के सिरे
पे ले आया. ऋतु ने करण की आँखों में देखा..
“ऋतु अपना मूह खोलो और लंड को चूसो प्लीज़.”
“लेकिन यह तो इतना बड़ा हैं..”
“डॉन’ट वरी.. सब हो जाएगा.”
“ओके”
और ऋतु ने लंड को मूह में लिया .. नौसीखिया होने के कारण उसको पता
नही था आगे क्या करना हैं… करण ने अपने हाथ से दबाव देते हुए उसके
सर को आगे पीछे किया और मज़े लेने लगा. ऋतु भी थोड़ी देर में
रिदम में आ गयी और लंड हो आछे से चूसने लगी… करण ने ऋतु के
दूसरे हाथ को लेके अपने बॉल्स पे लेके लगा दिया.. ऋतु उसका इशारा समझ
गयी और उसके बॉल्स से खेलने लगी.
थोड़े देर बाद करण ने उसको उठाया और अपने साथ सोफे पे बिठाया … वो
उठा और सामने टेबल पर पड़ी शॅंपेन की बॉटल खोली.. दो लंबे ग्लास
में शॅंपेन डाल के ले आया. उसने एक ग्लास ऋतु की और बढ़ा दिया… ऋतु ने
मना नही किया और खुशी खुशी ग्लास ल्लिया
“चियर्स”
“चियर्स”
“इस हसीन शाम के काम”
“तुम्हारे और मेरे प्यार के नाम”
और दोनो ने शॅंपेन के घूट लिए…ऋतु का गला सूख रहा था इसलिए उसने
थोडा बड़ा सा घूट लिया और एकदम से खांस पड़ी. थोड़ी सी शॅंपेन उसके
मूह से निकल के होंठो और सीने से होते हुए उसके बूब्स पे गिर गयी…
ऋतु ने जैसे ही हाथ बढ़ाया पोछने के लिए करण ने उसका हाथ पकड़
लिया…. उसने धीरे से उसका हाथ नीचे किया और अपना मूह उसके बूब की तरफ
ले गया… उसने अपनी जीभ निकाली और छलके हुए शॅंपेन को अपनी जीभ से
चाटा. ऋतु को इसमे अत्यंत आनंद आया. करण चाटते ही रहा… ऋतु को भी
बहुत मज़ा आ रहा था… शेम्पेन के सोरक्लिंग बुलबुले उसके शरीर में एक
अजीब सा एहसास दिला रहे थे और करण की जीभ इस एहसास को और बढ़ा रही
थी.
करण ने अपने गिलास से थोड़ी सी शॅंपेन और छलका दी उसके दूसरे बूब
पर और उसको भी चाटने लगा.. ऋतु ने पैर खोले और उसकी उंगलियाँ खुद बा
खुद उसकी चूत की तरफ चल दी और उससे खेलने लगी… करण समझ गया
और उसने शॅंपेन अब ऋतु की चूत पे डाल दी… शॅंपेन पड़ते ही ऋतु ने
एकदम से टांगे बंद कर ली… क्लिट पर चिल्ड शॅंपेन का एहसास असहनीया
था.
करण ने धीरे से उसकी टाँगों को खोला और शॅंपेन में उसकी चूत को
नहला दिया… चूत से टपकती हुई शॅंपेन की धार को उसने अपने मूह में ले
लिया और पीने लगा… ऋतु इस एहसास से पागल हो रही थी… चूत में से
टपकती हुई शॅंपेन का टेस्ट सब शॅंपेन्स से बढ़िया था जो आज तक
करण ने पी थी.
शायद यह कमाल ऋतु की चूत से छूट रहे पानी का नतीजा था जो
शॅंपेन में मिल गया था.
करण ने बॉटल उठा ली और उससे लगतार शॅंपेन ऋतु की चूत पे डालने
लगा.,… और उसके नीचे अपना मूह लगा लिया… ऋतु को यकीन नही हो रहा था
की यह उसके साथ क्या क्या हो रहा हैं.. उसको सब सपने जैसा लग रहा था..
लेकिन एक ऐसा सपना जिससे वो जागना नही चाहती थी.
करण ने टेबल से केक लिया और एक उंगली में चॉक्लेट ड्रेसिंग लेकर ऋतु
के सीने पे लगा दी.
“यह क्या कर रहे हो करण.. अफ सारा गंदा कर दिया…” ऋतु ने अपने हाथ
से सॉफ करने की कोशिश की लेकिन करण ने फिर से उसका हाथ पकड़ लिया..
ऋतु समझ गयी और उसने अपना नीचे वाला होंठ दाँतों में दबा लिया..
करण आगे बढ़ा और अपने मूह में चॉक्लेट में डूबी ऋतु की चुचि दबा
ली और उस पे से चॉक्लेट चाटने लगा…
ऋतु की चूचियाँ पिंक कलर की थी लेकिन इस प्रहार के बाद वो एकदम
लाल हो गयी थी और तनी हुई थी. करण उनपे चॉक्लेट लगाता और उसे चाट
लेता… उधर ऋतु के हाथों में उसका लंड था… वो उससे खेले जा रही थी…
दोनो एक दूसरे में एकदम घुले हुए थे… दीन दुनिया से बेख़बर… सब
बंधानो से कटे हुए. करण अपनी सब किकी फॅंटसीस पूरी करने पर आमादा
था.
अचानक करण उठा और उसने ऋतु को अपनी बाहों में उठा लिया. वो ऊए लेके
घर में बेडरूम में ले गया. बेडरूम बहुत ही आलीशान था… एसी चल रहा
था …चारो और दीवारों पे बढ़िया पेंटिंग्स… बीच में एक फोर पिल्लर बेड
और बेड के एक तरफ जहाँ वॉर्डरोब था उसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे.
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
करण ने ऋतु को आराम से बेड पे लिटाया. साटन की महरूम बेडशीट पे
लेट-ते ही ठंड की एक लहर ऋतु की शरीर में दौड़ गयी… उसके रोंगटे
खड़े हो गये. करण यह देख के मुस्कुराया और अपनी उंगलियों से उसके रोंगटो
को महसूस करने लगा… अब वो खुद भी बेड पे आके लेट गया. दोनो के कपड़े
अभी भी बाहर ड्रॉयिंग रूम में पड़े हुए थे.
करण बेड पे ऐसा लेटा था की ऋतु उसकी लेफ्ट साइड में थी… उसी साइड में
वॉर्डरोब भी था जिसपे बड़े बड़े शीशे लगे हुए थे. यानी की करण अपने
सामने ऋतु के आगे का शरीर देख सकता था और शीशे में उसकी पीछे
का… इस गेम का पुराना खिलाड़ी था आख़िर…. करण ने सीधा शॅंपेन की
बोतल पे मूह लगाया और शॅंपेन गटाकने लगा. उसने शॅंपेन ऋतु को भी
ऑफर की … ऋतु ने मना किया...
अब करण ने शॅंपेन की बोतल को फिर से मूह में लिया और अपने गालों में
शॅंपेन भर ली. उसने ऋतु को चूमने के बहाने वो शॅंपेन ऋतु के मूह
में उडेल दी. ऋतु ने शॅंपेन को जैसे तैसे गटक लिया और उसके बाद
खेलते हुए एक हाथ मारा करण की छाती पे. कारण ने उसे फिर से चूमना
चालू किया ताकि उसे मेन आक्ट से पहले गरम कर सके. ऋतु अब तक काफ़ी
पानी छोड़ चुकी थी और उसकी चूतका गीलपन उसकी जाँघो तक टपक रहा
था…
ऋतु के शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नही था जिसे करण ने चूमा नही…..
अब टाइम आ चुक्का था ऋतु की कुँवारी चूत को भोगने का… करण का लंड
एकदम तना हुआ था … कब से वो इस दिन का इंतेज़ार कर रहा था… ऋतु भी
फुल गरम हो चुकी थी … करण ने ऋतु की टांगे फैलाई और उनके बीच
जाके बैठा… उसने ऋतु की आँखों में देखा… उनमें एक अंजान सा डर था…
वो आगे बढ़ा और उसने ऋतु के गालों को चूमा और बोला
“डॉन’ट वरी… मैं हूँ ना”
ऋतु को यह बात सुनके कुछ सुकून मिला और उसने आँखें बंद कर ली.
आँखें बंद किए हुए ऋतु इतनी स्वीट और ब्यूटिफुल लग रही थी की एक पल के
लिए तो करण के मन में ख्याल आया की बस उसे निहारता रहे और उसकी ले
नही… लेकिन घोड़ा अगर घांस से दोस्ती कर लेगा तो खाएगा क्या.
एक उंगली… सिर्फ़ एक उंगली घुसते ही ऋतु ने आँखें ज़ोर से भीच ली दर्द के
मारे और मूह से एक दबी हुई चीख... करण ने उसे हौसला देते हुए कहा की
अभी सब ठीक हो जाएगा… उसने उंगली वापस अंदर डाली और थोड़ी देर अंदर
ही रहने दी… कुछ टाइम बाद धीरे से अंदर बाहर करने लगा… उसने उंगली
अंदर घुसाई और अंगूठे से ऋतु के क्लिट से खेलने लगा,… ऋतु मारे आनंद
के करहा रही थी… अपने घुटनो को मोड़ के उपर उठा लिया था ताकि चूत
एकदम सामने आ जाए.
अब करण से रहा नही जा रहा था…करण ने लंड को हाथ में पकड़ा और उसे
टच करवाया ऋतु की चूत पे. ऋतु सिहर गयी… पहली बार उसकी चूत पे
किसी लंड का संपर्क हुआ था. उसने अपनी सहेलियों से सुना था की पहली बार
करने में बहुत दर्द होता हैं.. लेकिन वो यह दर्द भी झेल सकती थी अपने
करण के लिए.
करण ने अब देर ना की और एक हल्के झटके से अपने लंड का सिरा उसकी चूत की
फांको में घुसा दिया. ऋतु ने ज़ोर से तकिये को दबा दिया… और आँखें
ज़ोर से भींच ली… और अभी तो सिर्फ़ लंड का सिरा गया था अंदर. करण ने
थोड़ी देर वैसे ही रहने दिया.. उसके बाद उसने वापस दम लगाया और आधा
लंड अंदर कर दिया चूत के…. ऋतु हल्के से चीख पड़ी…. उसकी आँखों के
किनारो में आँसू की बूँदें जमने लगी…
करण ने ऋतु के माथे पे आई कुछ पसीने की बूँदें पोछी और उसके गाल
थपथपाते हुए कहा.
“डॉन’ट वरी जान… यू आर डूइंग ग्रेट”
अब करण ने एक आखरी धक्का दिया और लंड चूत में पूरी तरह से घुस
गया… ऋतु की चीख चूत गयी और उसके नाख़ून कारण की पीठ में धँस
गये. करण अंदर बाहर करने लगा अपना लंड और देखा की उसके लंड पे खून
लगा हुआ था जो की चूत से सरक से बिस्तर पे पड़ रहा था…
करण ने मन ही मन सोचा “अच्छा हुआ महरूम कलर की बेडशीट्स ली ..
वरना ना जाने कितनी बदलनी पड़ती आज तक. ”.
Re: Raj Sharma stories--रूम सर्विस
उधर ऋतु का दर्द के मारे बुरा हाल था… वो बस वेट कर रही थी की यह
जल्दी से ख़तम हो और वो दर्द से छुटकारा पाए…. करण अब फुल फोर्स से
लगा हुआ था. उसने ऋतु की दोनो टाँगें उठा के अपने कंधे पे रख ली थी
ताकि अछी तरह से पेनेटरेट कर सके…. उसके स्ट्रोक्स स्लो और डीप थे….
फिर वो कभी स्पीड पकड़ लेता और जल्दी जल्दी छोटे स्ट्रोक्स मारता था.
ऋतु की सील तो टूट चुकी थी लेकिन अभी तक दर्द कम नही हो रहा था…
करण के लिए अपनी फीलिंग्स की वजह से वो उसको रुकने के लिए भी नही बोल
रही थी…. आख़िर कार करीब 15 मिनट लगातार ऋतु की चूत मारने के बाद
करण ऑर्गॅज़म के करीब पहुचा… उसने नीचे लेटी ऋतु के दोनो बूब्स को ज़ोर
से हाथों से मसला और अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ने लगा,,, वो छोड़ते
छोड़ते भी स्ट्रोक्स मार रहा था… उसको इसी में मज़ा आता था…. जब पूरी
तरह से लंड की धार को ऋतु की चूत में डाल चुक्का था तो वो थक कर
उसी के उपर गिर गया… ऋतु ने उसके बालों को सहलाया और उसके थके हुए
शरीर को सहरा दिया…
करण ने ऋतु की चूत से अपना लंड निकाला और एक टिश्यू से पोछा… उसने
टिश्यू पेपर ऋतु को दे दिया.. ऋतु उठ के लेकिन साथ ही बने अटॅच्ड टाय्लेट
में चली गयी…
टाय्लेट में जाकर ऋतु ने देखा की उसकी चूत से खून निकला हैं और टाँगो
में भी लगा हैं… उसकी चूत से करण का वीर्य भी टपक रहा था… ऋतु ने
आछे से अपने आप को क्लीन किया और मूह भी धोया… शॅंपेन पीने की वजह
से उसको मूतने की ज़रूरत पड़ी… जब वो कॅमोड पे बैठ के पी करने लगी
तो उसे बहुत जलन हुई…
ऋतु बाथरूम से टॉवेल लॅपेट के बाहर आई तो देखा की करण अभी भी नंगा
लेटा हुआ था और बेड पे सिगरेट पी रहा था…
“करण मुझे नही पता था आप सिगरेट भी पीते हो”
“तुम्हे मेरे बारे में अभी बहुत सी चीज़ें नही पता ऋतु… कम हियर
क्लोज़ टू मी”
ऋतु उसके बाहों में जाके लेट गयी… उसका सर कारण की छाती पर था और
उसके हाथ करण की कमर पर.
दोस्तो कहानी के इस पार्ट को यहीं बंद कर रहा हूँ आगे की कहानी अगले भाग मैं पढ़ें