हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

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raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 16:08


चाची – ऐसी तो सब की होती है.

मैंने – तेरी है क्या ऐसी चूची?

चाची – और नहीं तो क्या?

मैंने – तेरी चूची छू कर देखूं क्या ?

चाची – हाँ , छू कर देख ले.

मैंने अपना दाहिना हाथ से उनके चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा. उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपने चूची को दबवाने लगी. मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया. फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनका बड़े बड़े चुचीयों को मसलने लगा. वो मस्त हुई जा रही थी.
मैंने – अपनी ब्लाउज खोल दे न. तब मज़े से दबाऊंगा.

उसने कहा – यहाँ?

मैंने कहा और नहीं तो क्या? साडी को अपने चूची से ढके रहना. यहाँ कोई नहीं देखने वाला.

वो भी गरम हो चुकी थी. उसने ब्लाउज खोल दिया. लगे हाथ उसने अपना ब्रा भी खोल दिया. और अपने नंगी चूची को अपनी साड़ी से ढक लिया. मैंने मज़े ले ले कर उसके नंगी चूची को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया.

मै जो चाहता था वो मुझे करने दे रही थी. मुझे पूरी आजादी दे रखी थी. थी. मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया.

और धीरे से कहा- देखो न. कितना खड़ा हो गया है. चाची ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया.

अब मैंने देख लिया कि चाची पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जा कर नाभी को सहलाने लगा. धीरे धीरे मैं अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभी के नीचे उनके साड़ी के अन्दर डाल दिया. चाची थोड़ी चौड़ी हो गयी जिस से मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके. मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उनकी पेंटी मिल गयी. मैंने उनकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया. ओह क्या चूत थे. एक दम घने बाल. पूरी तरह से चिपचिपी हो गयी थी. मैंने काफी देर तक उनकी चूत को सहलाता रहा. और वो मेरे लंड को दबा रही थी. मैंने अपने दाहिने हाथ की एक ऊँगली उनके चूत के अन्दर घुसा दी. वो पागल सी हो गयी.

उसने आस पास देखा तो कोई भी हम लोग के आस पास नहीं था. उसने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आयी. फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से ला कर अपनी चूत पर रख दी. और बोली – अब आराम से कर, जो करना है.

अब मै उसके चूत को आराम से छू रहा था. उसने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था. मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी चूत और चौड़ी कर ली.

उसने मेरे कान में कहा – तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना. मै भी तेरी सहलाऊं .

मैंने जींस का चेन खोल दिया. लंड किसी राड की तरह खड़ा था. चाची ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी . मै भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. वो सिसकारी भर रही थी. मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था.

मैंने कहा – चाची, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार कर माल निकालना ही पडेगा.

चाची – आज मै मार देती हूँ तेरी मुठ. मुझसे मुठ मरवाएगा?

मैंने कहा – तुझे आता है लंड का मुठ मारना ?

चाची – मुझे क्या नही आता? तेरे चाचा का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ. सिर्फ हाथ से ही नही…किसी और से भी..

मैंने कहा – किसी और से कैसे?

चाची – तुझे नही पता कि लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?

मैंने कहा – पता है मुझे. मुंह से ना.

चाची – तुझे तो सब पता है.

मैंने कहाँ – तू चाचा का लंड अपने मुंह में ले कर चूसती है?

चाची – हाँ रे, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको.

मैंने कहा – तू चाचा का माल कभी पी है?

चाची – बहुत बार. एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है.

मैंने- तू तो बहुत एक्सपर्ट है. मेरी भी मुठ मार दे ना आज. अपने हाथों से ही सही.

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 16:08



चाची ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो. चाची सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरा मुठ मारने लगी. पहली बार कोई मेरा मुठ मार रही थी. मै ज्यादा देर बर्दास्त नहीं कर पाया. धीरे से बोला – हाय चाची, मेरा निकलने वाला है. चाची ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा. सारा माल मैंने चाची के साड़ी में ही गिरा दिया.

फिर मैंने चाची के चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा. चाची भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पायी. उनका माल भी निकलने लगा. उसने तुरंत अपने चूत में से मेरी ऊँगली निकाली और अपने साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला.

2 मिनट बाद अचानक बोली – रवि, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में.

मैंने कहा – क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है.

चाची – नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे.

मैंने – क्या काम है मुझसे?

चाची- वही. जो अभी यहाँ कर रहे हो. वहां आराम से करेंगे.

मैंने कहा – ठीक है चलो.

और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए. हमारा होटल वहां से पांच मिनट की दुरी पर ही था. वहां से हम सीधे अपने कमरे में आये. कमरे में आते ही चाची ने अपनी साड़ी उतरा फेंकी. लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी. अब मै सिर्फ अंडरवियर में था. चाची ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया. और पेटीकोट भी उतार दी. अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मै सिर्फ अंडरवियर में था.

वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी. मेरे पुरे बदन को चाटने लगी.

चाची- रवि , आ जा, अब जो भी करना है आराम से कर. मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है . मेरी प्यास बुझा दे. चीर डाल मुझे.

मैंने अपना अंडरवियर खोल दिया. मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति चाची के तरफ खडा था. मै आगे बढ़ा और अपना लंड चाची के हांथों में थमा दिया. चाची मेरे लंड को सहलाने लगी. बोली – बाप रे बाप ! कितना बड़ा लंड है रे.

मैंने मोना (चाची) के चुचियों का दबाते हुए कहा – मोना चाची, तू बड़ी मस्त है. चाचा को तो खूब मज़े देती होगी तू.

मोना – तू भी ले न मज़े. तू चाचा का भतीजा है. तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर. और तू मुझे सिर्फ मोना कह ना. चाची क्यों पुकारता है मुझे. अब से तू मेरा दुसरा पति है

मैंने – हाँ मोना. क्यों नहीं.

मोना – हाय, कितना अच्छा लगता है जब तू मुझे मेरे नाम से बुलाता है. सच बता कितनी को चोदा है तू अब तक?

मैंने – अब तक एक भी मोना डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा.

मैंने मोना के ब्रा को खोला और नंगी चूची को आज़ाद किया. साली की चूची तो ऐसी थी कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों की चूचियां भी वैसी नहीं देखी. एकदम चिकनी और गोरी. एक तिल का भी दाग नही था. मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा. मोना सिसकारी भरने लगी. मैंने उसे लिटा दिया. उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसके पेंटी पर आया. उसकी पेंटी बिलकूल गीली हो चुकी थी. मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसके चूत को चूसने लगा.

मोना पागल सी हो रही थी. मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया. आह ! क्या शानदार चूत थी. लगता ही नहीं था कि पिछले चार साल से इसकी चुदाई हो रही थी. गोरी गोरी चूत पर काले काले झांट. ऐसा लगता था चाँद पर बादल छ गए हों. मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया. अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था. मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली. और स्वाद लिया. फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा. मोना जन्नत में थी. उसने अपने दोनों टांगो से मेरे सर को लपेट लिए और अपने चूत की तरफ दबाने लगी. दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसके चूत से माल निकलने लगा. मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया. मोना बेसुध हो कर पड़ी थी. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.

raj..
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Re: हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

Unread post by raj.. » 07 Nov 2014 16:09



मैंने कहा – सच बता मोना, चाचा से पहले कितनो से चुदवाई है तू?

मोना – तेरे चाचा से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे .

मैंने कहा – हाय, किस किस ने तुझे भोग रे?

मोना – जब मै सोलह साल की थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा. फिर जब मै उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था. हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे. तब उसने मुझे वहां एक बार चोदा. एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे चाचा से हो गयी.

मैंने – तब तो मै चौथा मर्द हुआ तेरा न?

मोना – हाँ. लेकिन सब से प्यारा मर्द.

मै उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होठ को अपने होठ में लिए और अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया. कभी वो मेरी जीभ चुस्ती कभी मै उसकी जीभ चूसता. इस बीच मैंने उसके दोनों टांगो को फैलया और उसके चूत में उंगली डाल दिया. मोना ने मेरी लंड पकड़ी और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गयी और हल्का सा घुसा दी. अब शेष काम मेरा था. मैंने उसके जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया. वो दर्द में मारे बिलबिला गयी.

बोली – अरे , रवि, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे .

लेकिन मै जानता था कि ये कम रंडी नहीं है. इसे कुछ नहीं होगा. मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसके चूत में धक्के लगा शुरू कर दिया. वो कस के अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी. लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था. बल्कि उसके चीख में मुझे मजा आ रहा था. 70 -75 धक्के के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गयी. अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गयी थी. अब वो मज़े लेने लगी. उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा – हाय रे रवि. बड़ा जालिम है रे तू. मुझे तो लगा मार ही डालेगा .

मैंने कहा – मोना डार्लिंग, मै तुझे कैसे मार सकता हूँ रे. तू तो अब मेरी जान बन गयी है. और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?

मोना हंसने लगी. बोली – लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा. . मज़ा आ रहा है तुझ से चुदवा कर.

करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया. मैंने कहा – मोना डार्लिंग, माल निकलने वाला है.

मोना – निकलने दो न वहीँ.

अचानक मेरे लंड से गंगा जमुना बहने लगी और मै पूरा जोर लगा कर मोना की चूत में अपना लंड घुसा दिया. मोना कराह उठी.

थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया. मेरा लंड उसके चूत में ही था.

मै उसके नंगे बदन पर से उठा. समय देखा तो नौ बजने को थे. मैंने पूछा – मोना नहाएगी?

मोना – हाँ रे, चल न.

मैंने उसे अपनी गोद में उठाया. उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटा और हम दोनों बाथरूम में आ गए. वहां मैंने मोना को बाथटब में डाल दिया. फिर शावर को टब की ओर घुमाया और चला दिया. अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था. मै मोना के ऊपर लेट गया. अब हम ठन्डे पानी में एक दुसरे के आगोश में थे. मेरे होठ उसके होठ चूम रहे थे. मेरे एक हाथ उसके चुचियों से खेल रहे थे और मेरे दसरे हाथ उसके चूत के छेद में ऊँगली कर रहे थे. और वो भी खाली नही थी. वो मेरे लंड को दबा रही थी. दस मिनट तक ठन्डे पानी में एक दुसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया. मैंने उसके टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20 मिनट तक आराम से चोदता रहा. इस दौरान मेरे और उसके होठ कभी अलग नहीं हुए. अचानक मेरे लंड ने माल निकालना चालू किया तो मै उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होठ का दवाब उसके होठ पर और ज्यादा बढ़ गया. जब मै उसके होठ के अपने होठ अलग किया तो उसने कहा – कितनी देर तक चोदते हो, मेरी जान तुम्हे पता है मेरा दो बार माल निकल चूका था इस चुदाई में. मै कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होठो से ताला लगा दिया था.

मैंने कहा – मोना डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरा लंड का करिश्मा?

मोना – मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज. अब चल कुछ खा -पी ले. अभी तो पुरी रात बांकी है.

मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया. थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी. मै टावेल लपेट कर बहार आया. और खाना टेबल पर रखवा कर वेटर को वापस किया. कमरे का दरवाजा बंद कर के मैंने मैंने मोना को आवाज दिया. मोना नंगे ही बाथरूम से बाहर आई. मैंने भी टावेल खोल दिया. फिर हम दोनों ने जम के चिकन-पुलाव खाया और बियर पी. मोना पहले भी बियर पीती थी. चाचा पिलाता था. मेरे कहने पर उस ने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली. उसके बाद मैंने उसकी कम से कम 10 – 11 बार चुदाई की. कभी उसकी चूत की चुदाई , तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुंह की चुदाई. कभी चूची की चुदाई.

साली मोना भी कम नही थी. एक दम रंडी की तरह रात भर चुदवाते रही. सारी रात मैंने उसे लुटा. सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई करी. तब जा कर मोना को थकान हुई. तब बोली – रवि , अब मै थक गयी हूँ. अब बाथरूम चल न.

मैंने उसे उठा कर बाथरूम ले गया. बाथरूम में संडास के दो सीट थे. एक देसी और एक विदेशी. उसे देसी सीट पसंद थी. मै विदेशी सीट पर बैठ गया और संडास करने लगा. वो मेरे सामने ही देसी सीट पर बैठ कर संडास करने लगी. मुझे उसकी संडास की खुसबू भी अच्छी लग रही थी.

मैंने कहा – मोना , तेरी गांड मै धोऊंगा आज.

उसने कहा – ठीक है. मै भी तेरी गांड धोउंगी .

संडास कर के हम दोनों उठे. मैंने उसे सर नीचे कर के गांड उठाने कहा . उसने ऐसा ही किया. इस से उसका गांड खुल गया. मैंने पानी से अच्छे से उसके गांड में लगे पैखाने को अपने हाथ से साफ़ किया.

फिर मैंने भी वही पोजीशन बनायी . उसने भी मेरी गांड को अपने हाथ से साफ़ किया.

फिर हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दुसरे के अंगों से खेलते रहे. टब में दो बार उसी चुदाई करी.

फिर वापस कमरे में आ कर नाश्ता मंगवाया. और नाश्ता कर के हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे.
हम दोनों नंगे थे.उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया. लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया. मै मोना के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड दिया.

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