raj sharma stories
मेरी कज़िन नीलिमा
दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी के साथ हाजिर हूँ ये कहानी तब की है जब मेरी उमर मेरी उमर 25 साल थी और मैं ग्रॅजुयेशन कर के नौकरी तलाश रहा था ,मेरी दो कज़िन है पहली की उमर 16 और दूसरी की 21 साल है . एक का नाम रीता है और दूसरी का नाम नीलिमा है.ये अभी कुछ दिन पहले की बात है. मेरी दोनो कज़िन छूत्टियाँ बिताने हमारे घर आई हुई थी. मेरे मोम और डॅड दोनो ही सर्विस करते है. सो सुबह दोनो ड्यूटी पर निकल जाते है. मैं घर पर अकेला थे .मेरी बड़ी कज़िन नीलिमा(21 एअर) शॉपिंग के लिए गयी थी और छोटी कज़िन रीता(16 एअर) इसी शहर मे हमारे एक रिलेटिव के घर गयी थी. रीता का अड्मिशन हो गया था फॅशिन डिज़ाइनिंग मे और उसे अगले दिन हॉस्टिल जाना था. उस दिन मैं अपने रूम मे बैठ कर चतिंग कर रहा था. उसी समय मैने बाहर देखा तो आसमान मे बड़े घने बदल दिखे. मैने फोन से नीलिमा और रीता से बात की रीता ने कहा कि वो शाम तक आएगी लेकिन नीलिमा ने कहा कि बस थोड़े देर मैं वो घर आ जाएगी ,शी ईज़ ऑन दा वे. फिर मैने देखा कि जोरो से पानी पड़ना स्टार्ट हो गया. मुझे बरसात मे नहाना बहुत अच्छा लगता है इस लिए तुरंत हाफ पॅंट पहन कर छत पर चला गया और बारिश मे भीग कर बारिश का मज़्ज़ा लेने लगा.थोड़े देर मे दरवाजे की घंटी बजी. मैं भीगा हुआ ही नीचे आया और डोर को खोला मैने देखा कि दरवाज़े पर नीलिमा खड़ी है और वो पूरी तरह से भींगी हुई है
जब मैने दरवाज़ा खोला तो वो अपने दुपट्टे को हाथ मे लेकर उससे पानी निचोड़ रही थी इस लिए उसके बूब्स मुझे दिखे पानी मे भीगने की वज़ह से उसकी पूरी ड्रेस उसके बदन से चिपक गयी थी.
मैने देखा कि उसकी ब्लॅक ब्रा उसके पिंक सूट से नज़र आ रहा था और उसकी चुचि (बूब्स) उपर से आधे वाइट और गोल नज़र आ रहे थे. मुझे तो देखते ही मदहोशी छाने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा.तभी वो अंदर की तरफ आई मैने पीछे से उसकी गांद(आस)को बड़े गौर से देखा वाउ एक दम गोल गोल और मस्त लग रही थी. मैं उसके पीछे भीतर गया और पूछा कि पानी मे भीगने की क्या ज़रूरत थी तो नीलिमा ने कहा कि मैं पास मे ही थी तो बारिश स्टार्ट हो गयी और वैसे भी मुझे पानी मे भीगना अच्छा लगता है.
तो मैने कहा कि ठीक है मैं छत पर जा रहा हू बरसात मे नहाने. ये कह कर मैं उपर आ गया और नहाते हुआ नीलिमा के फिगर के बारे मे सोचने लगा.तभी मैने देखा की नीलिमा भी उपर आ गयी और पानी मे भीगने लगी. इधर पानी पूरे ज़ोर से बरस रहा था मैं तो यही चाह रहा था कि वो उपर आ जाए.मैं नीलिमा से नज़रे बचा कर उसके भीगे बदन को देख रहा था मैने देखा कि उसके गुलाबी होंठ एक दम लाल हो गये है और उसकी आधी चुचि उसके सूट से निकलने को बेताब है और उसके सुडौल पैर एक दम मस्त लग रहे थे .मेरा तो मूड खराब होने लगा और मैने सोचा कि अब तक अपनी प्यारी कज़िन को सिर्फ़ ख्यालो मे चोदा आज इससे रियल मे मज़्ज़ा लिया जाए. जो होगा देखा जाएगा ये सोच कर मेरा लंड खड़ा होने लगा इधर नीलिमा पूरे मध्होशि मे भींग रही थी. थोड़ी ही देर मे मेरा लंड मेरे हाफ पॅंट मे खड़ा हो गया था और उपर से साफ दिख रहा था ,मैने देखा कि नीलिमा की नज़र मेरे पॅंट पड़ रही उसने देखा और फिर थोड़ी सी मुस्करा कर भीगने मे मस्त हो गयी. उसके पूरे बदन पर बरसात का पानी पड़ रहा था और उसके होंठ एक दम गुलाबी होते जा रहे थे ,इधर मुझसे रहा नही जा रहा था मैं धीरे से नीलिमा के पीछे गया और उसे पीछे से कमर मे हाथ डाल कर उठा लिया इससे मेरा लंड उसकी गांद से एक दम सॅट गया. नीलिमा तुरंत मुझे झटकते हुआ आलग हो गयी और बोली कि "ये क्या कर रहे हो भैया" ,तो मैने उससे बोला "नीलिमा आज तुम ग़ज़ब की लग रही हो मैं तुम्हे प्यार करना चाहता हू"मैं तुम्हे बचपन से चाहता हू और तुमसे प्यार करना चाहता हू" तो नीलिमा ने "बोला कि आपको शरम नही आती अपनी कज़िन के बारे मे ऐसा सोचते है" तो मैने कहा मेरी रानी जब तुम्हे मेरे लंड देखने मे और मेरे सामने आधे नंगे बदन नहाने मे शरम नही आ रही तो मुझे कैसे आईगी .
ये बोल कर मैने उसके सर को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठो से सटा दिए और ज़ोर से उसके होंठो को चूसने लगा और मैने एक हाथ से उसकी राइट साइड के चूतड़ को दबाने लगा और लेफ्ट साइड मे मैने हाथ से कमर को पकड़ा,मैने नीलिमा को ज़ोर से पकड़ा था और वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी. मैं 3 मिनिट तक उसके होंटो को चूस्ता रहा और उसके चूतड़ दबाता रहा . ओह माइ गॉड क्या बड़े बड़े और मस्त चूतड़ थे उसके मुझे तो जन्नत लग रहा था ,फिर मैने देखा की अब कुछ कुछ नीलिमा भी कमजोर पड़ती जा रही थी क्योकि मैने उसे बड़ी ज़ोर से पकड़ा था. पानी अभी भी पूरे रफ़्तार मे बरस रहा था. मैने नीलिमा के होंटो को छ्चोड़ उसकी चुचियो को उसके सूट के उपर से ही दबाने और चूसने लगा अब मैं पूरे जोश मे आते जा रहा था.
मैने नीलिमा की सलवार का नाडा खिच दिया. सलवार लूस होकर रह गया. क्यूकी उसका बदन से गीला होकर चिपका हुआ था. मैने उसे उसकी गांद से नीचे कर दिया. और एक हाथ अंदर डाल कर उसके पॅंटी मे हाथ को डाल दिया और उसे सहलाने लगा. नीलिमा अब सिर्फ़ मुझे "छ्चोड़ दो भैया ये ग़लत है" ऐसा बोले जा रही थी लेकिन मैं कहा सुनने वाला था मैं तो अपनी धुन मे ही था और उसके गांद और चुचि को दबाए जा रहा था. मैने उसकी सलवार को नीचे से पकड़ कर हाथो से खिचने लगा और मैने उसकी सलवार नीचे से ज़ोर से खिच कर उतार दिया उसकी नंगी टाँगो को देख कर मुझे और जोश आ गया और मैं उसकी टाँगो को चूमता हुआ उसकी टाँगो पर पड़ने वाली बूँदो को चूस रहा था और अपनी जीब से उसकी चिकनी टाँगो को चाट और चूम रहा था.
टाँगो को 5 मिनिट तक चूमता रहा और नीलिमा अब उसे भी अब मज़्ज़ा आने लगा था वो सिर्फ़ आँखे बंद किए हुई थी मैने अब तुरंत उसकी समीज़ भी उपर से खिच कर निकाल दी अब और उसे ज़मीन पर लेटा दिया, छत के चारो तरफ से बौंड्री होने के कारण हमे कोई भी अगाल बगल के लोग नही देख सकते थे अब मेरी प्यारी कज़िन नीलिमा ब्रा और पॅंटी मे थी. मैने उसके गोरे बदन को देखकर पागल हो गया एक तो गोरा ओर मासल बदन उपर से पानी का पड़ना, क्या बताऊ दोस्तो ग़ज़ब की फिगर लग रही थी.मैने उसके पेट को पहले चूमा और चूमते हुए उसके चुचियो की तरफ बढ़ा मैने अब नीलिमा की एक हाथ से चुचि दबाना स्टार्ट किया और नीलिमा के होंठो को चूसने लगा. नीलिमा अब थोड़ी जोश मे आ गयी थी और सीई सीयी सीयी स आहह..उम्म्म्म…संजूऊू..उफफफ्फ़..एमेम..की आवाज़ निकाल रही थी. मैने नीलिमा के ब्रा को खोल कर उसकी चुचियों को उपर से आज़ाद कर दिया उसके टाइट ब्रा के खुलते ही उसकी प्यारी और मस्त चुचिया आज़ाद हो गयी मैने उस्स्की चुचियो के निपल को दबाने लगा और बीच बीच मे उसे चूस और बाइट भी कर रहा था,
मैं धीरे धीरे उसके बदन को चूमते हुआ नीलिमा के जाँघो के पास आया और नीलिमा की गुलाबी पॅंटी को खींच कर उतार दिया मैने जैसे ही पॅंटी उतारी नीलिमा ने अपने पैरो को मोड़ लिया जिससे उसकी चूत च्छूप गयी. पानी अभी भी पड़े जा रहा था. मैने नीलिमा के दोनो पैरो को ज़ोर लगा के हटाया नीलिमा की चूत गुलाबी और टाइट लग रही थी और उस पर ब्लॅक कलर के हल्के बाल थे मैं अब उसकी चूत को चूमने लगा मैने नीलिमा रानी की गुलाबी चूत के दोनो फांको को हटाया और उसे अपनी जीभ से चाटने लगा . वाउ क्या टेस्ट था मेरी कज़िन की चूत का मैं उसकी चूत को चूस्ते जा रहा था मैने देखा अब नीलिमा भी जोश मे आ गयी थी और उसके मूह से आहह आ अहह अहह ह आआअसस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आस्स्स्स्स्स्सस्स आस्स्स्सस्स ष्ह.. हाईईईई..माआआअ… अच्छाअ.लग रहा हाईईईई.. कारू.. की आवाज़ आ रही थी. करीब 10 मिनिट नीलिमा की चूत चूसने के बाद मैने नीलिमा की टाइट चूत मे एक उंगली घुसा कर फिंगरिंग स्टार्ट कर दी नीलिमा मेरे हाथ को पकड़ कर निकालने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैने उसके हाथो को हटाए रखा और उसकी फिंगरिंग करता रहा मैने देखा कि उससे वाइट टाइप का कोई चिपचिपा पानी जैसी चीज़ चूत से निकल रही है मैं समझ गया कि मेरी रानी का चूत का पानी गिरने लगा है मैने झत से झुक कर उसे चाटने लगा जैसे ही मेरी जीभ चूत के अंदर गयी नीलिमा एक दम पागलो की तरह आआआअहह आआहह ह ऊऊऊऊ ऊऊओ आआआआअहह..ओह…माआ..इष्ह….. उफफफफफफफफफफफ्फ़.. ज़ोर से..और ज़ोर सीईए… चटूऊऊओ.... किए जा रही थी. उसने ना जाने कितना पानी मेरे मुँह के अंदर डाला. मेरा 7.5 इंच का लंड भी अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था, अब मुझे देर करना ठीक नही लगा सो मैने अपनी पॅंट निकाल दी.
अंदर अंडरवेर नही था. मैने नीलिमा के पैरो को उठा कर फैलाया और अपना लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा, मेरा आधा लंड मेरी प्यारी कज़िन नीलिमा की चूत मे घुस गया और नीलिमा की ज़ोर से चीख निकल गयी "अहह मुम्मय्ययययययययययी आआआआहह ऊऊहह दरर्रदद्ड़ हूओ र्र्र्र्र्र्र्रररहहााअ हाइईईईईई आआआआहह "भैया दर्द हो रहा है निकालो जल्दीीई आआआआआआहह .. मैं.. मर जौंगिइिईईईईईईईईईईईईई…. बहुत दर्द हो रहा हाईईईईईईई….. उसकी चूत से खून निकल कर छत के फ्लोर पर फैल रहा था.. उसकी सील टूट गयी थी.. लंड का सूपड़ा अंदर फँस गया था…और वो धीरे धीरे रोने लगी , मैने उससे कहा मेरी जान बस थोड़ी देर मे मज़्ज़ा आने लगेगा और ये कह कर मैं उसके उपर लेट कर उसके गुलाबी निपल को चूसने लगा और उसकी चुचियो को दबाने लगा फिर भी नीलिमा अपने सिर को दोनो तरफ हिला रही थी और मुझे हाथो से धकेल कर हटाने की कोशिश कर रही थी. उसका मुँह से हुशह..हाअ…ही आहह आह की आवाज़ आ रही थी. मेरा आधा लंड नीलिमा की चूत मे था और फुफ्कार रहा था और मुझसे बर्दस्त नही हुआ और मैने नीलिमा की कमर को हाथो से पकड़ कर ज़ोर से एक शॉट और दिया और इस बार मेरा पूरा लंड नीलिमा की चूत मे घुस्स गया मैने तुरंत अपने एक हाथ से उसका मूह दबा दिया जिससे नीलिमा की आवाज़ दब के रह गयी मैने देखा दर्द से नीलिमा के आँखो से आँसू गिर रहे थे और वो ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को हिला रही थी ताकि मेरा लंड उसकी चूत से निकल जाए .मैने झुक कर उसके आँसुओ को चूस लिया और फिर उसके मूह से हाथ को हटा कर उसके होंटो को चूसने लगा थोड़े देर ऐसे ही करने के बाद मैने आपने लंड को बाहर ताकि निकाल कर एक ज़ोर का शॉट मारा और मेरा लंड नीलिमा की चूत के जड़ तक घुस गया अब मेरे लंड का बॉल और उसकी चूत का बॉल एक दम सत गया था मैं पूरे जोश मे नीलिमा की चुदाई करने लगा .नामिया के मूह से सिर्फ़ कराह निकल रही थी वो" आआआअहह अहह अहह ऊऊऊऊहह "किए जा रही थी.. करीब 10 मिनिट मे वो बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगी..आआहह.. भैया… मुझे कुछ हो रहा है… कुछ निकलेगाआ… मैं समझ गया वो झड़ने वाली है.. मैने स्पीड और तेज कर दी.. वो मुझसे चिपक गयी और अपने पैर मेरे कमर से लप्पेट दिए.. उसने पहली बार मेरे होंटो को चूमा और वैसे चिपक कर झाड़ गयी… मैं रुका नही.. उसे किस किया और मैं उसे ज़ोर ज़ोर से चुचियो को दबाते हुए बहुत कस कस के उसकी टाइट चूत मे लंड आगे पीछे किए जा रहा था. करीब 15 मिनिट लगातार चोदने के बाद मैने देखा कि अब नीलिमा थोड़ा शांत लग रही थी और आँखे बंद करके आअहह ह ह किए जा रही है मैने अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और नीलिमा की कमर को पकड़ कर उसे डॉगी स्टाइल मे कर दिया नीलिमा घुटनो के बल डोगी स्टाइल मे हो गयी क्योकि मैं नीलिमा को गांद की तरफ से चोदना चाहता था ताकि उसकी रसबरी गांद का मज़्ज़ा भी ले सकु .उसके बाद मैने नीलिमा रानी की चूत मे अपना लंड पीछे से लगाया.. थोड़ा उसे गांद और चूत पर रगड़ा.. उसने अपनी चूत उभार दी.. मैने अपने लंड को चूत मे घुस्सा कर उसे पूरी रफ़्तार से चोदने लगा ,चोदते समय मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे जा रहा था,मैं उस समय हैवान के जैसा फील कर रहा था इस तरह और 15 मिनिट की चुदाई के बाद मैने तेज धक्को के साथ मेरा लंड उसका चूत मे घुसेड़ा और अंदर करीब 7-8 गरम पिचकारी मार के चूत को भर दिया. उसकी गरमी से नीलिमा भी सिहर कर झाड़ गयी.इस तरह से मैने आपना रस नीलिमा के चूत मे ही गिरा दिया .
मैं अब पूरी तरह से थक गया था मैं नीलिमा के बगल मे ज़मीन पर उस मूसलाधार बरसात मे ही लेट गया, नीलिमा भी आँखे बंद करके लेटी हुई थी. मैने सोए हुआ सोचा कि मैने क्या कर दिया पता नही नीलिमा क्या करेगी इतने मे नीलिमा मेरी तरफ मूड कर के बोली "भैया आप बहुत बेदर्दी से करते हो, मेरी चूत की क्या हालत कर दी है.. थोडा प्यार से नही कर सकते थे. एक तो तुम्हारी लंड इतना मोटा और सख़्त है उपर से तुम्हारी धक्के.. पूरे एक घंटे चोदा तुमने मुझे.. देखो चूत कैसी हो गयी है.. मैं हाथ भी नही लगा पा रही ..सूज गयी है और दर्द भी हो रहा है."
मैं तो ये सुन कर हैरान था. मुझे तो लगा था कि वो मुझे दाँटेगी और मेरे मोम डॅड से शिकायत की बात कहेगी. लेकिन उसने ऐसा कुछ नही कहा. फिर उसने बोला कि भैया मुझे मालूम था कि मेरे सोने के बाद आप मेरी पॅंटी से मेरी चूत मे उंगली करते हो और जब आप ब्लू फिल्म देखते थे तो मैं भी छुप कर देखती थी. इस पर मैने पूछा कि तो तुमने कुछ बताया क्यो नही. तो नीलिमा ने बोला भैया मुझे भी मज़्ज़ा आता था. लेकिन बोलने मे शरम भी आती थी. और ये कह कर वो मुझसे लिपट गयी और मेरे गालो को किस करने लगी. थोड़ी देर मे हमे ठंड लगने लगी और पानी भी बरस रहा था. इस लिए हम दोनो सीढ़ी पर आकर टवल से अपने बदन को पोछने लगे तभी नीलिमा को नंगे देख कर मुझे फिर से जोश आने लगा. मैने पीछे से जाकर नीलिमा को फिर से पकड़ लिया . अब मैं उसके मखमली बदन और उसके मस्त गांद को चूमने लगा और नीलिमा प्यार से बोल रही थी "छ्चोड़ो ना भैया क्या कर रहे हो अभी तक मन नही भरा" मैने बोला माइ लव तुमसे कभी दिल भर सकता है और मैं उसके पैरो और गांद(आस )को चूमते रहा. थोड़ी देर पूरे बदन को चूमने के बाद नीलिमा भी थोड़ी जोश मे आ गयी. मैने कहा कि नीलिमा मैं इस बार तुम्हारी गांद भी मारूँगा तो उसने मना कर दिया बोली की नही भैया, मैं नही मरवाउन्गि मुझे बहुत दर्द होगा. मेरी एक शादीशुदा सहेली ने बताया की गांद मरवाने से बहुत दर्द होता है और तुम तो बहुत बेदर्दी से करते हो. तो मैने बोला कि नही मेरी जान इस बार मैं धीरे धीरे करूँगा ,तो बहुत मिंन्नत करने के बाद वो बोली की ठीक है लेकिन धीरे धीरे, मैने कज़िन को कहा कि वो एक टांग को दीवाल के सहारे फैला दे उसने वैसा ही किया और मैने आपने लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर रख कर और उसके कमर को ज़ोर से पकड़ा और लंड को घुस्सा दिया और उसे चोदने लगा ,ऐसा करने से उसके मूह से ज़ोर से "आआआअहह" निकल गयी थी ,मैं उसके गांद के साइड से उसे खड़े खड़े चोद रहा था और नीलिमा मेरे बालो को और हाथ को पकड़ कर "आअहह आआहह आहह आस्स्स्स्स्स्स्स्सिईई सस्स्स्स्स्स्स्स्साइीइ की आवाज़ निकाल रही थी" करीब 10 मिनिट चोदने के बाद मैने देखा की नीलिमा ढीली पड़ गयी थी मैं समझ गया कि इसका पानी निकल गया है फिर मैने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर नीलिमा को झुकने को कहा और उसकी गांद पर सूपड़ा रख दिया और हल्का सा धक्का दिया लेकिन मेरा लंड भीतर नही जा रहा था .मैने तुरंत अपने मूह से थूक निकाल कर थोड़ी सी गांद के छेद पर और अपने लंड पर लगाई और फिर से गांद के छेद पर रख कर ज़ोर से पेला इस बार मेरा सूपड़ा अंदर चला गया नीलिमा ज़ोर ज़ोर से आहह भरने लगी वो चिल्लाईयौर बोली" आआआआहह.. भैय्ाआआ… निकालूओ… फट गाइिईईईई मेरी गांद…. कितना मोटा हाईईईई… दर्द हो रहा हाईईईई…..निकाल लो भैया बहुत दर्द हो रहा है "मैने बोला "थोड़ी देर रुक जाओ "और मैं उसकी कमर पकड़ कर ज़ोर से 3-4 शॉट मारा और मेरा पूरा लंड उसकी गांद मे घुस्स गया नीलिमा ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी और मैं उसके चुचि को दबा रहा था और अपना लंड उसकी मस्त गांद मे अंदर बाहर कर रहा था .नीलिमा आआहाहह आआआअहह आह ऊऊओह किए जा रही थोड़ी देर के बाद नीलिमा सिर्फ़ सीईईईईई सीयी सीईइ कर रही थी अब उसे भी मज़्ज़ा आ रहा था वो भी गांद को धीरे धीरे पीछे कर रही थी . 10 मिनिट पूरे ज़ोर से पेलाई के बाद ,मैने आपना पानी नीलिमा रानी के गांद मे ही डाल दिया और मैं नीलिमा के होंठो को चूमने लगा और हल्के हल्के उसके चुचि दबा रहा था.थोड़ी देर मे हम दोनो ठंडे हो गये .
नीलिमा ने मुझे प्यार से मारते हुए कहा कि मैं आप से कभी नही ये सब करवाउँगा आप बहुत ज़ोर से करते हो और मुझे मारने लगी मैने उसे किस कर के शांत किया और बोला मेरी प्यारी नीलू मुझे माफ़ कर दो मैने तुम्हारे प्यार मे पागल होकर ऐसा किया और फिर हमने कपड़े बदले और जाकर सो गये .
समाप्त
Hindi Sex Stories By raj sharma
Hindi Sex Stories By raj sharma तजुर्बा
raj sharma stories
तजुर्बा
उईईईइमाआआअ…..बसस्स्स्सस्स करूऊओ नाआ….. आआज्ज्ज्ज तो तुम मेरी जान लेने का इरादा कर के आए हो.धीरे-धीरे करो ना,मैं कही भागी तो नही जा रही…..रात भर यही रहूंगी तुम्हारे पास.किरण मेरे साथ है तो मेरे घर वाले भी मेरी चिंता नही करेंगे. मैं बाहर खड़ी ये सब सुन रही थी और वैशाली की मस्त आवाज़े मेरे कान मे समा कर मेरे गालो को और भी लाल कर रहे थे. मुझे रह-रह कर आज शाम(ईव्निंग) की बाते याद आ रही थी जब ये मेरे स्टाफ क्वॉर्टर मे आकर मुझसे मिली थी………….
किरण!प्लीज़ आज तू मेरे घर पर बोल दे ना कि मैं तेरे साथ रात मे यही रुकूंगी…डॉक्टर.अशोक का मेरे साथ पार्टी मे जाने का प्लान है. पार्टी मे नही पगली! तेरी बजाने का प्लान है ये बोल,मैने हसते हुए कहा. ओये-होये तू इतनी भी सीधी-सादी नही है जितनी मैं तुझे समझती हू. अब ये तो तेरे पर निर्भर है की तू मुझे ग़लत समझती है, मैं रिज़र्व-नेचर हू पर ईडियट नही हू. तू जो भी सही पर मेरे घर मे तेरी इमेज बेहद मजबूत कॅरक्टर वाली लड़की की है वैशाली ने चिढ़ाते हुए कहा. सो तो मैं हू ही, मैने हंस के जवाब दिया. अरे यार हमसे छ्होटी उम्र की लड़किया हमसे आगे निकल गई है और हमे आज तक दुनिया की रंगीनियो का कोई तजुर्बा ही नही हुआ. देख वैशाली तुझे जो करना है वो तू कर पर मुझे इन सबमे मत घसीट, मेरे अतीत के बारे मे जानते हुए भी तू ऐसा कैसे कह सकती है.
कौन सा अतीत,कहे का अतीत, अरे जब उसमे तेरी कोई ग़लती थी ही नही तो तू अपने आप को कैसे सज़ा दे सकती है. तेरी शादी एक आर्मी के सेकेंड-ल्यूटेनेंट से हुई, शादी वाले दिन ही बिना अपनी सुहा रात मनाए वो बॉर्डर पर चला गया, और वाहा आतंकवादियो के साथ मुठभेड़ मे शहीद हो गया तो इसमे तेरी ग़लती कहा से हुई भला. तेरे सास ससुर ने तुझे अपने घर से मनहूस कह कर निकाल दिया,तेरे भाई-लोगो ने तुझे बोझ समझ कर तुझे अपने से दूर यहा इस छ्होटे से हॉस्पिटल मे नर्स बनवा कर यही रहने को मजबूर कर दिया, इन सब मे कहा से तेरी कोई ग़लती साबित होती है. मैने सरेंडर सा करते हुए वैशाली से कहा…….ठीक है मेरी मा,तू जीती मैं हारी. अब बता मुझे क्या करना है,ये सुनते ही वैशाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उसने कहा, ज़्यादा कुच्छ नही बस मेरे घर फोन कर दे,मुझे अपनी एक मस्त सी साड़ी दे-दे जिसमे मैं गजब की सेक्सी लगू और वो स्साला ड्र.अशोक मुझे सिस्टर वैशाली की जगह डार्लिंग वैशाली कहने लगे.इतना सुनते ही नमई हंस पड़ी जिसमे वैशाली ने भी मेरा साथ दिया. अरे हां! एक और बात , उसने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा . अब और क्या! मैने खीझते हुए कहा. तुझे भी मेरे साथ पार्टी मे चलना होगा. पार्टी यही पास वाले डॉक्टर्स बिल्डिंग के टेरेस पर है और मेडम किरण जी मेरे साथ आ रही हैं न तट’स फाइनल. उसकी बात सुनकर पहले तो मैने उसे मना करना चाहा पर फिर मैने सोचा कि सच मे मेरी जिंदगी कितनी बे-नूर और फीकी हो गयी है. ना दोस्तो का साथ बसेक ढर्रे पर चलती हुई बेमानी जिंदगी.
मैने वैशाली को अपने कलेक्षन की बेस्ट साड़ी पहन’ने को दी और खुद एक आसमानी रंग का साधारण सा सलवार-कुर्ता पहन लिया. वैशाली ने ज़बरदस्ती मेरे चेहरे पर अपने साथ लाया हुआ मेक-अप के सामान से कुछ क्रीम,लोशन्स,लिपस्टिक लगा दिया जिससे मेरी सुंदरता मे सादगी के बावजूद चार चाँद लग गये. कॉलेज के टाइम मे मेरे पीछे कयि लड़के पड़े थे मगर मैने कभी किसी को लिफ्ट नही दी थी. खैर वैशाली और मैं ड्र.अशोक की पार्टी मे गये.वाहा पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी. कुच्छ को तो मैं जानती थी पर काफ़ी सारे चेहरे मेरे लिए अंजाने थे. ड्र.अशोक ने हमारा हॉस्पिटल नया-नया जाय्न किया था, सारी फीमेल स्टाफ मे वो आते ही काफ़ी मश’हूर हो गये थे. वैशाली अपने चंचल स्वाभाव के कारण सबकी चहेती थी. शीघ्र ही वो ड्र.अशोक के दिल मे उतर गयी. आज तो वैसे ही वैशाली मेरी वाली साड़ी मे गजब ढा रही थी. ड्र.अशोक ने हम दोनो का स्वागत किया और हमे अपने केयी अन्य दोस्तो से भी मिलवाया . सबके के साथ मिलते हुए जब हम दोनो उनके एक बेहद करीबी दोस्त(जोकि आज ही यूएसए से अपना एम.एस. कंप्लीट करके आया था)से मिलवाया. इनसे मिलो ये मेरा जिगरी दोस्त सौरभ है, ये मेरा हम-प्याला,हम-नीवाला और भी काई ‘हम-वाला’ है, जो सुन कर हम सब हंस दिए.सौरभ ने एकदम विलायती अंदाज मे पहले वैशाली तथा बाद मे मुझे अपने गले लगा कर हमारे गालो को चूम लिया.
उसकी ये बेबाकी हमे ख़ास तौर पर मुझे बड़ी अजीब लगी मगर उसकी आँखो की कशिश ने मुझे कुछ कठोर शब्द कहने से रोक दिया. रात के 12:30 बजते-बजाते पार्टी की भीड़ छाटने लगी थी और चंद ख़ास लोग ही वाहा बचे थे,वैशाली को काई बार इशारो मे मैने भी कहा कि अब चलो यहा से बहुत लेट हो गये है मगर वो ‘बस थोड़ी देर और’ कहते हुए और देर करे जा रही थी. उसको ड्र.अशोक की संगत का असर खूब रास आ रहा था. उसने शायद कुच्छ हार्ड-ड्रिंक्स भी किए थे जिसका सुरूर उसकी आँखो से पता चल रहा था. फिर वो मेरे पास आकर बोली कि ड्र.अशोक हम दोनो को रुकने के लिए बार रिक्वेस्ट कर रहे हैं और मैं उनका रिक्वेस्ट ठुकरा नही पा रही हू . पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ नाराज़ मत हो और मेरे साथ रुक जाओ ना, वैशाली जब ऐसे बच्चो की तरह मचल कर मुझसे कोई बात कहती थी तो मैं उसे मना नही कर पाती थी. वही आज भी हो रहा था. मैं पार्टी मे होते हुए भी अकेला महसूस कर रही थी की तभी मुझे अपने पीछे से आवाज़ सुनाई दी
ढलती शाम सी खामोश हो,
हँसी ले चेहरे पर यू उदास हो,
मैने तेरे दीदार मे पाया है कुच्छ ऐसा,
जैसे तेरी आँखो से ही मुझे कुच्छ आस हो.
पीछे मूड कर देखने पर मैने पाया कि सौरभ अपने दोनो हाथो मे ग्लास लेकर खड़ा था.उसने मुझे एक ग्लास पकड़ा दिया,मैने एक मुस्कुराहट के साथ उससे पुच्छा कि गोयो आप शायर भी हैं, उसने उसी बेबाक अंदाज मे मेरी आँखो मे झाँकते हुए कहा
यू तो मैं कुछ कहता नही,
सबसे यू घुलके-मिलता नही,
पर तेरी संगत है या रंगत तेरे चहरे की ,
दिल बेचारा अब संभाले यू संभलता नही.
ये सुनते ही मैं खिलखिला कर हंस पड़ी जिसे देख कर सौरभ ने ताली बजाते हुए कहा! ये आज शाम का पहला ओरिजिनल लाफटर दिया है आपने. मैने शर्मा कर नज़र नीचे कर ली मगर मेरी मुस्कुराहट अभी कायम थी, जिसे देख कर उसने फिर से कहा कि अब ऐसा तो कोई गुनाह नही हुआ मुझसे जो आप हमे अपनी नायाब हँसी देखने से वंचित रखेंगी. मैने उसे कहा! आप कि भाषा और लहजे से आप यूरोप रिटर्न कम और लनोव रिटर्न ज़्यादा लगते है, उसने तुरंत जवाब दिया की मोह्तर्रिमा आपने खाकसार को क्या खूब पहचाना, नाचीज़ वही की पैदावार है. एम.एस. तो मैने अपने बाप की ख्वाहिश पूरी करने के लिया किया है पर दिल से एकदम लिटरेचर की पूजा करता हू. आपको देखकर सोचता हू कि आपके पेशेंट्स पर क्या गुजरती होगी जब वो आपको बुलाते होंगे. क्या मतलब,मैं समझी नही…….मैने हैरानी से कहा. अरे जब आप जैसी हसीना को कोई बेचारा ‘सिस्टर’ बुलाता होगा तब उसके दिल पर तो च्छूरिया चल जाती होंगी. ओह ऐसाआ……..मैं फिर से उसकी बात समझ कर हँसने लगी.
ऐसे ही बातो का सिलसिला चल निकाला, उसकी बातो से हँसते-हँसते मेरी आँखो से पानी निकलने लगा और पेट दर्द करने लगा.मुझे याद नही कि मैं आख़िरी बार कब इतना हँसी थी.कब रात के 2 बज गये मुझे पता ही नही चला. अचानक मेरा ध्यान मेरी घड़ी की तरफ गया और मैं चौंक पड़ी.जिंदगी मे पहली बार मैं इतनी देर तक घर से बाहर रही हू. मैने चारो तरफ गर्दन घुमा कर देखा,मुझे वैशाली कही नज़र नही आई.मेरे हाथ मे पकड़ा ग्लास भी अब खाली हो चुका था, सौरभ की बातो को एंजाय करते हुए मैने ध्यान भी नही दिया कि मैने पिया क्या था पर वो जो भी था पीने मे अच्च्छा लगा और पीने के बाद भी मुझे अच्च्छा महसूस हो रहा था. मेरे हाथ-पाँवो मे रात की ठंडक अब सिहरन बन कर दौड़ रही थी. मैने ड्र.अशोक के लिए भी चारो तरफ नज़र दौड़ाई मगर वैशाली की तरह वो भी नदारद थे. मुझे यू इधर-उधर देखते हुए पाकर सौरभ ने मुस्कुरा कर कहा की जिनको आप ढूँढ रही हैं उन्ही दोनो ने मुझे आपका ख़याल रखने को कहा है. मैं उसकी तरफ ना-समझने वाले अंदाज मे देखा तो उसने कहा कि वैशाली और अशोक ने ही मुझे आपकी तन्हाई का ख्याल रखने को कह कर खुद किसी तन्हाई की तलाश मे गये हैं.
मैने उसकी बातो का मतलब समझते हुए उससे पुछा कि क्या तुम्हे कुच्छ अंदाज़ा है कि वो कहाँ गये है.उसका जवाब था की हां मैं जानता हू की वो दोनो कहा गये है पर उनकी प्राइवसी का ख्याल रखते हुए मैं आपको वाहा जाने से मना ही करूँगा. क्यो? ऐसा क्यो भला?मैने हैरानी जताते हुए पुच्छा. आप जानती नही या ना-समझी का नाटक कर रही है. मैने अपने चेहरे पर बिना कोई भाव लाए उसको फिर से पुच्छा की वैशाली कहा है, मुझे अभी उससे मिलना है. उसने धीरे से मेरे कान मे कहा ,बता तो क्या मैं दिखा भी दूँगा मगर आप उनको डिस्टर्ब नही करेंगी……ऐसा प्रॉमिसस करने के बाद ही मैं आपको वाहा ले जाउन्गा.मैने झक मार कर प्रॉमिसस कर दिया कि चलो तुम मुझे जल्दी से वाहा ले चलो.सौरभ ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे टेरेस से नीचे बने फ्लॅट्स की तरफ ले जाने लगा जहा एक फ्लॅट मे अंदर जाते हुए उसने अपनी एक उंगली को अपने होंठो पर रखते हुए मुझे खामोश रहने का इशारा किया,मैने भी हामी मे सर हिला दिया. फ्लॅट के अंदर मैने वही आवाज़ सुनी जिसका ज़िकरा मैने उपर किया था.
कुच्छ-कुच्छ समझते हुए मेरे हाथ पाँव ढीले पड़ गये थे. तभी मुझे एहसास हुआ की मैं एक ऐसे शख्स के साथ खड़ी हू जिसे मैं अभी मुश्किल से 3-4घंटो पहले मिली हू . सौरभ मेरे ठीक पिछे खड़ा था और उसने मेरे कानो मे अपना मूह(माउत) सटा कर धीरे से कहा , क्या तुम ये सब देखना भी चाहती हो? मैं निरुत्तर वही खड़ी रही, उसने फिर से अपना सवाल दोहराया….. इससबार मैने ना जाने कैसे हा मे सर हिला दिया,वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दूसरे कमरे ले गया जहा की एक आल्मीराः के पिछे लगे शीशे का परदा हटाने से वो सब दिख रहा था जो उस कमरे मे हो रहा था. मेरे सभी मसामो से पसीने छूट गये.पढ़ा-सुना अलग होता है मगर आँखो के सामने सजीव(लाइव) सेक्स होता देख कर और वो भी अपने जाने-पहचाने लोगो के बीच, मैं तो अर्धमुरछछित अवस्था मे आ गयी.पूरे कमरे मे उन्न दोनो के कपड़े फैले पड़े थे जिनको देख कर समझा जा सकता है की ये उतारे गये थे या नोचे गये थे.सामने एक बेड के उपर अशोक और वैशाली एकदम जन्मजात नग्न-अवस्था मे लिपटे हुए थे अशोक बेतहाशा वैशाली के यौवन-उभारो को चूसे जा रहा था और बीच-बीच मे उनपर अपने दाँत(टीत) भी गढ़ा देता जिसकी वजह से वैशाली के मूह से कामुक सिसकी निकल जाती. वैशाली के हाथो मे अशोक का लंबा-मोटा लिंग था जिसे वो अपने हाथो से सहला रही थी. अशोक ने उसके हाथो को पकड़ कर उसके सर के उपर ले गया और वैशाली की आँखो मे देखते हुए अपने लिंग को वैशाली की योनि पर रगड़ने लगा.वैशाली का तो मानो बुरा हाल हो गया वो उत्तेजना से च्चटपटाने लगी और अशोक से लिंग को अपनी योनि मे घुसाने की विनती करने लगी. अशोक पर भी मस्त पूरी सवार थी उसने अपने खेल को जो जाने कितनी देर से चल रहा था उसको और लंबा ना खींचते हुए अपने लिंग को वैशाली की योनि मे प्रवेश करवा दिया.उययययीीईईईईईई….माआआआआआअ….
.पहले ही अपने जीभ और दांतो से मुझे इतना घायल कर दिया था और अब इसको भी एक झटके घुस्साअ दिया.और ये सब कहते हुए अपने मूह से ज़ोर-ज़ोर से कुच्छ बड़बड़ाती हुई वैशाली अपनी कमर को उचकाने लगी.कमरे मे थ्वप-थ्वप की आवाज़े गूंजने लगी और कमरे का तापमान बढ़ने लगा.
ये सब देखते हुए मुझे होश भी नही रहा कि कब सौरभ का एक हाथ मेरे कुर्ते के अंदर मेरे यौवन-शिखरो को तथा दूसरा मेरे सलवार के नाडे को खोलकर मेरी पॅंटी मे घुस चुका था.वो धीरे-धीरे मेरी योनि और मेरे यौवन-शिखरो को सहला रहा था,मेरी मस्ती बढ़ती चली गयी……मगर दिमाग़ को झटका देते हुए मैने उसके हाथो को पकड़ कर उसको रोक दिया.उसने मेरे कान मे धीरे से पुच्छा , क्या हुआ?अच्च्छा नही लग रहा क्या….मैं खामोश खड़ी रही,मेरी खामोशी को मेरी मंज़ूरी समझते हुए वो फिर से अपने काम मे मशगूल हो गया.उसके हाथो के जादू ने मुझे एक नशे की हालत मे पहुचा दिया था. सर्र्ररर-सर्र्र्ररर कब मेरी सलवार मेरे पैरो से और कब मेरा कुर्ता मेरे उपरी-शरीर से अलहदा हो गये मुझे पता ही नही चला.जब उसने मेरी पॅंटी और ब्रा को भी उतार दिया तो मैने उसकी तरफ देखा जो, वो वही चिर-परिचित मुस्कान लिए मेरी तरफ देखा रहा था.उसकी आँखो मे मनुहार थी,मेरे शरीर की तारीफ़ थी और लाल रंग केड ओर भी थे जो उसकी खुमारी की निशानी थी. उसने धीरे से मेरे बूब्स को चूमा,मैं उसके चूमने की सिहरन बर्दाश्त नही कर पाई और काँपने लगी.उसने अपने दोनो हाथो मे मुझे उठा लिया और बड़े नज़ाकत के साथ मुझे बेड पर लिटा दिया.
उसकी ज़बान मेरे शेरर पर हलचल मचती हुई अपना असर छ्चोड़ रही थी और मैं उत्तेजना के शिखार पर पहुचि हुई ततर काअंप रही थी.मेरी योनि से पानी का बहाव निकले ही जा रहा था. मगर सौरभ एकदम शांत-चित्त भाव से अपनी रफ़्तार से जुटा हुआ था.ना कम नाजयदा, वो एक रफ़्तार से मुझे चूमे-चाते जा रहा था. माने बेखयाअली मे उसकी पीठ को अपने नाखुनो से खरोंच-खरोंच कर लाल कर दिया था. उसने अपने कपड़े उतारे और फिर से मेरी तरफ आगेया उसके लिंग को देखा कर मैं घबरा गयी. ये तो अशोक के लंड से भी लंबा था. मैने सौरभ को बताया कि मैं वर्जिन हू प्ल्ज़्ज़ बी जेंटल विथ मी. उसने मुझे प्यार से देखते हुए हामी मे सर हिला दिया. सौरभ ने मेरे पैरो को फैला कर अपने लिंग को मेरी योनि पर टीका दिया और मुझ पर झुकता चला गया, उसका लिंग धीरे-धीरे मेरी योनि मे समाने लगा.मुझे दर्द के साथ-साथ एक सुखद और अंजाना एहसास प्राप्त हुआ जो मैं अपनी जिंदगी मे पहली बार तजुर्बा कर रही थी. उसने धीरे-धीरे घर्षण चालू किया जिससे मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुच गयी और झाड़ गयी. मगर वो ना रुका और लगभग 30मिनट तक अपना काम करता रहा,अचानक वो हान्फता हुआ मेरे उपर गिर पड़ा.मैने अपनी योनि मे उसके वीर्य को महसूस किया. जाने कब तक हम ऐसे ही पड़े रहे.खुमारी उतरने के बाद मुझे मेरी हालत का अंदाज़ा हुआ और मैं फ़ौरन अपने कपड़े पहन कर बाहर की तरफ निकल पड़ी. बाहर मुझे वैशाली ड्र.अशोक के साथ खड़ी मिली जो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी मानो इशारो ही इशारो मे मुझसे पूछना चाह रही हो कि ये तजुर्बा कैसा रहा जो तुम अभी-अभी करके आ रही हो.
समाप्त
तजुर्बा
उईईईइमाआआअ…..बसस्स्स्सस्स करूऊओ नाआ….. आआज्ज्ज्ज तो तुम मेरी जान लेने का इरादा कर के आए हो.धीरे-धीरे करो ना,मैं कही भागी तो नही जा रही…..रात भर यही रहूंगी तुम्हारे पास.किरण मेरे साथ है तो मेरे घर वाले भी मेरी चिंता नही करेंगे. मैं बाहर खड़ी ये सब सुन रही थी और वैशाली की मस्त आवाज़े मेरे कान मे समा कर मेरे गालो को और भी लाल कर रहे थे. मुझे रह-रह कर आज शाम(ईव्निंग) की बाते याद आ रही थी जब ये मेरे स्टाफ क्वॉर्टर मे आकर मुझसे मिली थी………….
किरण!प्लीज़ आज तू मेरे घर पर बोल दे ना कि मैं तेरे साथ रात मे यही रुकूंगी…डॉक्टर.अशोक का मेरे साथ पार्टी मे जाने का प्लान है. पार्टी मे नही पगली! तेरी बजाने का प्लान है ये बोल,मैने हसते हुए कहा. ओये-होये तू इतनी भी सीधी-सादी नही है जितनी मैं तुझे समझती हू. अब ये तो तेरे पर निर्भर है की तू मुझे ग़लत समझती है, मैं रिज़र्व-नेचर हू पर ईडियट नही हू. तू जो भी सही पर मेरे घर मे तेरी इमेज बेहद मजबूत कॅरक्टर वाली लड़की की है वैशाली ने चिढ़ाते हुए कहा. सो तो मैं हू ही, मैने हंस के जवाब दिया. अरे यार हमसे छ्होटी उम्र की लड़किया हमसे आगे निकल गई है और हमे आज तक दुनिया की रंगीनियो का कोई तजुर्बा ही नही हुआ. देख वैशाली तुझे जो करना है वो तू कर पर मुझे इन सबमे मत घसीट, मेरे अतीत के बारे मे जानते हुए भी तू ऐसा कैसे कह सकती है.
कौन सा अतीत,कहे का अतीत, अरे जब उसमे तेरी कोई ग़लती थी ही नही तो तू अपने आप को कैसे सज़ा दे सकती है. तेरी शादी एक आर्मी के सेकेंड-ल्यूटेनेंट से हुई, शादी वाले दिन ही बिना अपनी सुहा रात मनाए वो बॉर्डर पर चला गया, और वाहा आतंकवादियो के साथ मुठभेड़ मे शहीद हो गया तो इसमे तेरी ग़लती कहा से हुई भला. तेरे सास ससुर ने तुझे अपने घर से मनहूस कह कर निकाल दिया,तेरे भाई-लोगो ने तुझे बोझ समझ कर तुझे अपने से दूर यहा इस छ्होटे से हॉस्पिटल मे नर्स बनवा कर यही रहने को मजबूर कर दिया, इन सब मे कहा से तेरी कोई ग़लती साबित होती है. मैने सरेंडर सा करते हुए वैशाली से कहा…….ठीक है मेरी मा,तू जीती मैं हारी. अब बता मुझे क्या करना है,ये सुनते ही वैशाली के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उसने कहा, ज़्यादा कुच्छ नही बस मेरे घर फोन कर दे,मुझे अपनी एक मस्त सी साड़ी दे-दे जिसमे मैं गजब की सेक्सी लगू और वो स्साला ड्र.अशोक मुझे सिस्टर वैशाली की जगह डार्लिंग वैशाली कहने लगे.इतना सुनते ही नमई हंस पड़ी जिसमे वैशाली ने भी मेरा साथ दिया. अरे हां! एक और बात , उसने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा . अब और क्या! मैने खीझते हुए कहा. तुझे भी मेरे साथ पार्टी मे चलना होगा. पार्टी यही पास वाले डॉक्टर्स बिल्डिंग के टेरेस पर है और मेडम किरण जी मेरे साथ आ रही हैं न तट’स फाइनल. उसकी बात सुनकर पहले तो मैने उसे मना करना चाहा पर फिर मैने सोचा कि सच मे मेरी जिंदगी कितनी बे-नूर और फीकी हो गयी है. ना दोस्तो का साथ बसेक ढर्रे पर चलती हुई बेमानी जिंदगी.
मैने वैशाली को अपने कलेक्षन की बेस्ट साड़ी पहन’ने को दी और खुद एक आसमानी रंग का साधारण सा सलवार-कुर्ता पहन लिया. वैशाली ने ज़बरदस्ती मेरे चेहरे पर अपने साथ लाया हुआ मेक-अप के सामान से कुछ क्रीम,लोशन्स,लिपस्टिक लगा दिया जिससे मेरी सुंदरता मे सादगी के बावजूद चार चाँद लग गये. कॉलेज के टाइम मे मेरे पीछे कयि लड़के पड़े थे मगर मैने कभी किसी को लिफ्ट नही दी थी. खैर वैशाली और मैं ड्र.अशोक की पार्टी मे गये.वाहा पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी. कुच्छ को तो मैं जानती थी पर काफ़ी सारे चेहरे मेरे लिए अंजाने थे. ड्र.अशोक ने हमारा हॉस्पिटल नया-नया जाय्न किया था, सारी फीमेल स्टाफ मे वो आते ही काफ़ी मश’हूर हो गये थे. वैशाली अपने चंचल स्वाभाव के कारण सबकी चहेती थी. शीघ्र ही वो ड्र.अशोक के दिल मे उतर गयी. आज तो वैसे ही वैशाली मेरी वाली साड़ी मे गजब ढा रही थी. ड्र.अशोक ने हम दोनो का स्वागत किया और हमे अपने केयी अन्य दोस्तो से भी मिलवाया . सबके के साथ मिलते हुए जब हम दोनो उनके एक बेहद करीबी दोस्त(जोकि आज ही यूएसए से अपना एम.एस. कंप्लीट करके आया था)से मिलवाया. इनसे मिलो ये मेरा जिगरी दोस्त सौरभ है, ये मेरा हम-प्याला,हम-नीवाला और भी काई ‘हम-वाला’ है, जो सुन कर हम सब हंस दिए.सौरभ ने एकदम विलायती अंदाज मे पहले वैशाली तथा बाद मे मुझे अपने गले लगा कर हमारे गालो को चूम लिया.
उसकी ये बेबाकी हमे ख़ास तौर पर मुझे बड़ी अजीब लगी मगर उसकी आँखो की कशिश ने मुझे कुछ कठोर शब्द कहने से रोक दिया. रात के 12:30 बजते-बजाते पार्टी की भीड़ छाटने लगी थी और चंद ख़ास लोग ही वाहा बचे थे,वैशाली को काई बार इशारो मे मैने भी कहा कि अब चलो यहा से बहुत लेट हो गये है मगर वो ‘बस थोड़ी देर और’ कहते हुए और देर करे जा रही थी. उसको ड्र.अशोक की संगत का असर खूब रास आ रहा था. उसने शायद कुच्छ हार्ड-ड्रिंक्स भी किए थे जिसका सुरूर उसकी आँखो से पता चल रहा था. फिर वो मेरे पास आकर बोली कि ड्र.अशोक हम दोनो को रुकने के लिए बार रिक्वेस्ट कर रहे हैं और मैं उनका रिक्वेस्ट ठुकरा नही पा रही हू . पल्ल्ल्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ नाराज़ मत हो और मेरे साथ रुक जाओ ना, वैशाली जब ऐसे बच्चो की तरह मचल कर मुझसे कोई बात कहती थी तो मैं उसे मना नही कर पाती थी. वही आज भी हो रहा था. मैं पार्टी मे होते हुए भी अकेला महसूस कर रही थी की तभी मुझे अपने पीछे से आवाज़ सुनाई दी
ढलती शाम सी खामोश हो,
हँसी ले चेहरे पर यू उदास हो,
मैने तेरे दीदार मे पाया है कुच्छ ऐसा,
जैसे तेरी आँखो से ही मुझे कुच्छ आस हो.
पीछे मूड कर देखने पर मैने पाया कि सौरभ अपने दोनो हाथो मे ग्लास लेकर खड़ा था.उसने मुझे एक ग्लास पकड़ा दिया,मैने एक मुस्कुराहट के साथ उससे पुच्छा कि गोयो आप शायर भी हैं, उसने उसी बेबाक अंदाज मे मेरी आँखो मे झाँकते हुए कहा
यू तो मैं कुछ कहता नही,
सबसे यू घुलके-मिलता नही,
पर तेरी संगत है या रंगत तेरे चहरे की ,
दिल बेचारा अब संभाले यू संभलता नही.
ये सुनते ही मैं खिलखिला कर हंस पड़ी जिसे देख कर सौरभ ने ताली बजाते हुए कहा! ये आज शाम का पहला ओरिजिनल लाफटर दिया है आपने. मैने शर्मा कर नज़र नीचे कर ली मगर मेरी मुस्कुराहट अभी कायम थी, जिसे देख कर उसने फिर से कहा कि अब ऐसा तो कोई गुनाह नही हुआ मुझसे जो आप हमे अपनी नायाब हँसी देखने से वंचित रखेंगी. मैने उसे कहा! आप कि भाषा और लहजे से आप यूरोप रिटर्न कम और लनोव रिटर्न ज़्यादा लगते है, उसने तुरंत जवाब दिया की मोह्तर्रिमा आपने खाकसार को क्या खूब पहचाना, नाचीज़ वही की पैदावार है. एम.एस. तो मैने अपने बाप की ख्वाहिश पूरी करने के लिया किया है पर दिल से एकदम लिटरेचर की पूजा करता हू. आपको देखकर सोचता हू कि आपके पेशेंट्स पर क्या गुजरती होगी जब वो आपको बुलाते होंगे. क्या मतलब,मैं समझी नही…….मैने हैरानी से कहा. अरे जब आप जैसी हसीना को कोई बेचारा ‘सिस्टर’ बुलाता होगा तब उसके दिल पर तो च्छूरिया चल जाती होंगी. ओह ऐसाआ……..मैं फिर से उसकी बात समझ कर हँसने लगी.
ऐसे ही बातो का सिलसिला चल निकाला, उसकी बातो से हँसते-हँसते मेरी आँखो से पानी निकलने लगा और पेट दर्द करने लगा.मुझे याद नही कि मैं आख़िरी बार कब इतना हँसी थी.कब रात के 2 बज गये मुझे पता ही नही चला. अचानक मेरा ध्यान मेरी घड़ी की तरफ गया और मैं चौंक पड़ी.जिंदगी मे पहली बार मैं इतनी देर तक घर से बाहर रही हू. मैने चारो तरफ गर्दन घुमा कर देखा,मुझे वैशाली कही नज़र नही आई.मेरे हाथ मे पकड़ा ग्लास भी अब खाली हो चुका था, सौरभ की बातो को एंजाय करते हुए मैने ध्यान भी नही दिया कि मैने पिया क्या था पर वो जो भी था पीने मे अच्च्छा लगा और पीने के बाद भी मुझे अच्च्छा महसूस हो रहा था. मेरे हाथ-पाँवो मे रात की ठंडक अब सिहरन बन कर दौड़ रही थी. मैने ड्र.अशोक के लिए भी चारो तरफ नज़र दौड़ाई मगर वैशाली की तरह वो भी नदारद थे. मुझे यू इधर-उधर देखते हुए पाकर सौरभ ने मुस्कुरा कर कहा की जिनको आप ढूँढ रही हैं उन्ही दोनो ने मुझे आपका ख़याल रखने को कहा है. मैं उसकी तरफ ना-समझने वाले अंदाज मे देखा तो उसने कहा कि वैशाली और अशोक ने ही मुझे आपकी तन्हाई का ख्याल रखने को कह कर खुद किसी तन्हाई की तलाश मे गये हैं.
मैने उसकी बातो का मतलब समझते हुए उससे पुछा कि क्या तुम्हे कुच्छ अंदाज़ा है कि वो कहाँ गये है.उसका जवाब था की हां मैं जानता हू की वो दोनो कहा गये है पर उनकी प्राइवसी का ख्याल रखते हुए मैं आपको वाहा जाने से मना ही करूँगा. क्यो? ऐसा क्यो भला?मैने हैरानी जताते हुए पुच्छा. आप जानती नही या ना-समझी का नाटक कर रही है. मैने अपने चेहरे पर बिना कोई भाव लाए उसको फिर से पुच्छा की वैशाली कहा है, मुझे अभी उससे मिलना है. उसने धीरे से मेरे कान मे कहा ,बता तो क्या मैं दिखा भी दूँगा मगर आप उनको डिस्टर्ब नही करेंगी……ऐसा प्रॉमिसस करने के बाद ही मैं आपको वाहा ले जाउन्गा.मैने झक मार कर प्रॉमिसस कर दिया कि चलो तुम मुझे जल्दी से वाहा ले चलो.सौरभ ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे टेरेस से नीचे बने फ्लॅट्स की तरफ ले जाने लगा जहा एक फ्लॅट मे अंदर जाते हुए उसने अपनी एक उंगली को अपने होंठो पर रखते हुए मुझे खामोश रहने का इशारा किया,मैने भी हामी मे सर हिला दिया. फ्लॅट के अंदर मैने वही आवाज़ सुनी जिसका ज़िकरा मैने उपर किया था.
कुच्छ-कुच्छ समझते हुए मेरे हाथ पाँव ढीले पड़ गये थे. तभी मुझे एहसास हुआ की मैं एक ऐसे शख्स के साथ खड़ी हू जिसे मैं अभी मुश्किल से 3-4घंटो पहले मिली हू . सौरभ मेरे ठीक पिछे खड़ा था और उसने मेरे कानो मे अपना मूह(माउत) सटा कर धीरे से कहा , क्या तुम ये सब देखना भी चाहती हो? मैं निरुत्तर वही खड़ी रही, उसने फिर से अपना सवाल दोहराया….. इससबार मैने ना जाने कैसे हा मे सर हिला दिया,वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे दूसरे कमरे ले गया जहा की एक आल्मीराः के पिछे लगे शीशे का परदा हटाने से वो सब दिख रहा था जो उस कमरे मे हो रहा था. मेरे सभी मसामो से पसीने छूट गये.पढ़ा-सुना अलग होता है मगर आँखो के सामने सजीव(लाइव) सेक्स होता देख कर और वो भी अपने जाने-पहचाने लोगो के बीच, मैं तो अर्धमुरछछित अवस्था मे आ गयी.पूरे कमरे मे उन्न दोनो के कपड़े फैले पड़े थे जिनको देख कर समझा जा सकता है की ये उतारे गये थे या नोचे गये थे.सामने एक बेड के उपर अशोक और वैशाली एकदम जन्मजात नग्न-अवस्था मे लिपटे हुए थे अशोक बेतहाशा वैशाली के यौवन-उभारो को चूसे जा रहा था और बीच-बीच मे उनपर अपने दाँत(टीत) भी गढ़ा देता जिसकी वजह से वैशाली के मूह से कामुक सिसकी निकल जाती. वैशाली के हाथो मे अशोक का लंबा-मोटा लिंग था जिसे वो अपने हाथो से सहला रही थी. अशोक ने उसके हाथो को पकड़ कर उसके सर के उपर ले गया और वैशाली की आँखो मे देखते हुए अपने लिंग को वैशाली की योनि पर रगड़ने लगा.वैशाली का तो मानो बुरा हाल हो गया वो उत्तेजना से च्चटपटाने लगी और अशोक से लिंग को अपनी योनि मे घुसाने की विनती करने लगी. अशोक पर भी मस्त पूरी सवार थी उसने अपने खेल को जो जाने कितनी देर से चल रहा था उसको और लंबा ना खींचते हुए अपने लिंग को वैशाली की योनि मे प्रवेश करवा दिया.उययययीीईईईईईई….माआआआआआअ….
.पहले ही अपने जीभ और दांतो से मुझे इतना घायल कर दिया था और अब इसको भी एक झटके घुस्साअ दिया.और ये सब कहते हुए अपने मूह से ज़ोर-ज़ोर से कुच्छ बड़बड़ाती हुई वैशाली अपनी कमर को उचकाने लगी.कमरे मे थ्वप-थ्वप की आवाज़े गूंजने लगी और कमरे का तापमान बढ़ने लगा.
ये सब देखते हुए मुझे होश भी नही रहा कि कब सौरभ का एक हाथ मेरे कुर्ते के अंदर मेरे यौवन-शिखरो को तथा दूसरा मेरे सलवार के नाडे को खोलकर मेरी पॅंटी मे घुस चुका था.वो धीरे-धीरे मेरी योनि और मेरे यौवन-शिखरो को सहला रहा था,मेरी मस्ती बढ़ती चली गयी……मगर दिमाग़ को झटका देते हुए मैने उसके हाथो को पकड़ कर उसको रोक दिया.उसने मेरे कान मे धीरे से पुच्छा , क्या हुआ?अच्च्छा नही लग रहा क्या….मैं खामोश खड़ी रही,मेरी खामोशी को मेरी मंज़ूरी समझते हुए वो फिर से अपने काम मे मशगूल हो गया.उसके हाथो के जादू ने मुझे एक नशे की हालत मे पहुचा दिया था. सर्र्ररर-सर्र्र्ररर कब मेरी सलवार मेरे पैरो से और कब मेरा कुर्ता मेरे उपरी-शरीर से अलहदा हो गये मुझे पता ही नही चला.जब उसने मेरी पॅंटी और ब्रा को भी उतार दिया तो मैने उसकी तरफ देखा जो, वो वही चिर-परिचित मुस्कान लिए मेरी तरफ देखा रहा था.उसकी आँखो मे मनुहार थी,मेरे शरीर की तारीफ़ थी और लाल रंग केड ओर भी थे जो उसकी खुमारी की निशानी थी. उसने धीरे से मेरे बूब्स को चूमा,मैं उसके चूमने की सिहरन बर्दाश्त नही कर पाई और काँपने लगी.उसने अपने दोनो हाथो मे मुझे उठा लिया और बड़े नज़ाकत के साथ मुझे बेड पर लिटा दिया.
उसकी ज़बान मेरे शेरर पर हलचल मचती हुई अपना असर छ्चोड़ रही थी और मैं उत्तेजना के शिखार पर पहुचि हुई ततर काअंप रही थी.मेरी योनि से पानी का बहाव निकले ही जा रहा था. मगर सौरभ एकदम शांत-चित्त भाव से अपनी रफ़्तार से जुटा हुआ था.ना कम नाजयदा, वो एक रफ़्तार से मुझे चूमे-चाते जा रहा था. माने बेखयाअली मे उसकी पीठ को अपने नाखुनो से खरोंच-खरोंच कर लाल कर दिया था. उसने अपने कपड़े उतारे और फिर से मेरी तरफ आगेया उसके लिंग को देखा कर मैं घबरा गयी. ये तो अशोक के लंड से भी लंबा था. मैने सौरभ को बताया कि मैं वर्जिन हू प्ल्ज़्ज़ बी जेंटल विथ मी. उसने मुझे प्यार से देखते हुए हामी मे सर हिला दिया. सौरभ ने मेरे पैरो को फैला कर अपने लिंग को मेरी योनि पर टीका दिया और मुझ पर झुकता चला गया, उसका लिंग धीरे-धीरे मेरी योनि मे समाने लगा.मुझे दर्द के साथ-साथ एक सुखद और अंजाना एहसास प्राप्त हुआ जो मैं अपनी जिंदगी मे पहली बार तजुर्बा कर रही थी. उसने धीरे-धीरे घर्षण चालू किया जिससे मैं उत्तेजना के शिखर पर पहुच गयी और झाड़ गयी. मगर वो ना रुका और लगभग 30मिनट तक अपना काम करता रहा,अचानक वो हान्फता हुआ मेरे उपर गिर पड़ा.मैने अपनी योनि मे उसके वीर्य को महसूस किया. जाने कब तक हम ऐसे ही पड़े रहे.खुमारी उतरने के बाद मुझे मेरी हालत का अंदाज़ा हुआ और मैं फ़ौरन अपने कपड़े पहन कर बाहर की तरफ निकल पड़ी. बाहर मुझे वैशाली ड्र.अशोक के साथ खड़ी मिली जो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी मानो इशारो ही इशारो मे मुझसे पूछना चाह रही हो कि ये तजुर्बा कैसा रहा जो तुम अभी-अभी करके आ रही हो.
समाप्त
Hindi Sex Stories By raj sharma रश्मि के साथ पहली बार
रश्मि के साथ पहली बार
मेने रश्मि को हमेशा पार्टीस या किसी शादी के फंक्षन्स में ही देखा था. रश्मि समाज की एक मानी हुई हस्ती थी. कामयाब बिज़्नेस वोमेन होने के अलावा वो सामाजिक कार्यकर्ता भी थी. अक्सर उसके किस्से किसी ना किसी सामाजिक कार्य के लिए चर्चित थे. रश्मि का आकर्षक व्यक्तित्व और उसका सुन्दर बदन किसी भी मर्द को उसकी तरफ आकर्षित कर सकता था. एक फंक्षन में मुझे उसके बगल में बैठने का मौका मिला. में उससे बात करना चाहता था पर ऐसा हुआ नही, उसे किसी चॅरिटी फंक्षन में जाना था और वो एक अलग सी छाप मेरे जेहन में छोड़ चली गयी. रश्मि की एक अड्वर्टाइज़िंग कंपनी थी जिसे वो बेचना चाहती थी, और इसी सिलसिले में वो मेरी सेक्रेटरी सीमा से अपायंटमेंट बुक करना चाहती थी. मेरी एड कंपनी अच्छी चल रही थी, और ना मैं कोई कंपनी को खरीदने का इरादा रखता था. जब रश्मि की कंपनी के बारे में मुझे सीमा ने बताया तो मेने उससे पूछा, "क्या तुम पेरसोन्नाली उसके बारे मे कुछ जानती हो?" "मेरा एक दोस्त उसके लिए काम करता है." उसने जवाब दिया. "तुम उसके बारे में कितना जानती हो?" मेने फिर पूछा. "यही कि उसकी शादी शुदा जिंदगी अच्छी नही है. किसी कारण से उसका तलाक़ होने वाला है. रश्मि एक बहोत ही मेहन्नति और ईमानदार महिला है. अपने वर्कर्स का वो अपने परिवार के सद्स्य जैसा ख़याल रखती है." सीमा ने जवाब दिया. "ठीक है में उससे मिलूँगा." सीमा ने हंसते हुए कहा, "में जानती थी आप उससे ज़रूर मिलेंगे." रश्मि ने मेरे कॅबिन में इस तरह कदम रखा जैसे कि वो कॅबिन उसी का हो. उसका ऑफीस में घुसने का अंदाज़ सॉफ कह रहा था कि वो एक फर्स्ट क्लास बिज़्नेस वोमेन थी. दिखने में वो 5"9 की थी. वो मेरे टेबल की ओर बढ़ी और मुझसे हाथ मिलाया. मेने भी खड़े हो उससे हाथ मिलाया और अपनी कुर्सी पर झट से बैठ गया. इस तरह की औरतें मुझे काफ़ी गरम कर देती थी और उनसे अपने खड़े लंड को छुपाना मुश्किल हो जाता था. रश्मि मेरे सामने कुर्सी मेरे सामने बैठ गयी और उसने अपना ब्रीफकेस बगल में रख लिया. रश्मि ने घूटने तक का काले रंग का स्कर्ट पहन रखा था जिससे उसकी आधे से ज़्यादा नंगी टाँगे दिखाई दे रही थी. उसे देखते ही मेरे लंड में सिरहन हुई और वो गर्माने लगा. "राज मुझे खुशी हुई कि तुमने मुझसे मिलने के लिए वक्त निकाला. मुझे मालूम है तुम अपने बिज़्नेस में काफ़ी कमियाब हो और मेरी कंपनी तुम्हारी कंपनी के मुक़ाबले कुछ भी नही है." रश्मि मुझे देखते हुए बोली. "मुझे भी आपसे मिलकर काफ़ी खुशी हुई." मेने कहा. "हम बात आगे बढ़ाए उसके पहले में तुम्हे कुछ दिखाना चाहती हूँ." वो अपना ब्रीफकेस उठाने के लिए थोड़ा नीचे झुकी तो उसकी स्कर्ट थोडा और उपर खिसक गयी जिससे उसकी जाँघो का उपरी हिस्सा नज़र आने लगा. उसने वापस घूमकर अपना ब्रीफकेस अपनी गोद में रख लिया. उसने ब्रीफकेस खोल कर उसमे सी एक फाइल निकाली और फिर ब्रीफकेस बंद कर उसे अपने पाओ के पास रख दिया. इस दौरान उसने कई बार अपने पाओ पर पाओ चढ़ाए और उतारे जो एक औरत लिए नॉर्मल सी बात है लेकिन रश्मि ने इस तरह से किया कि मुझे उसकी ब्लॅक कलर की पॅंटीस साफ दिखाई दे. वो खड़ी हो गयी और झुक कर मुझे फाइल दिखाने लगी. मेने तिरछी नज़रों से देखा कि उसके सफेद मम्मे लो कट के ब्लाउस में से साफ झलक रहे थे. उसने एक काले रंग की पारदर्शी ब्रा पहनी हुई थी. "राज इस डील से तुम्हे पहले ही साल में . 5 लॅक्स का फ़ायदा हो सकता है." वो और टेबल पे झुकते हुए बोली. पर मेरा ध्यान उसकी बॅलेन्स शीट देखने में कहाँ था. मेरा ध्यान तो उसकी अनबॅलेन्स्ड चुचियों पे अटका था. मेने देखा कि उसके ब्लाउस के उपरी दो बटन खुले थे. मुझे अच्छी तरह याद है कि जब वो ऑफीस में आई थी तो उसके ब्लाउस के सभी बटन बंद थे. ज़रूर उसने वो बटन जब अपनी ब्रीफकेस में से फाइल निकाल रही थी तब खोले होंगे. मुझे ये औरत काफ़ी खेली खाई और समझदार लगी. मैं भी इस खेल में उसका साथ देने लगा. उसने मुझे फाइल के एक पन्ने को दिखाते हुई जान बुझ कर अपना पेन ज़मीन पर गिरा दिया. और जब घूम कर वो पेन उठाने के लिए झुकी तो उसकी मस्त चूतड़ ठीक मेरे चेहरे के सामने थे. उसकी मस्त गांद को देख कर मेरे लंड एक दम तन गया. उसने पेन उठाया और फिर टेबल पर झुक गयी. में भी अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे खिसका ऐसे बैठ गया जिससे उसे मेरा लंड जो पॅंट में तंबू बनाए हुए था साफ दिखाई दे. पर वो एकदम अंजान बने हुए मुझे पेपर्स समझाने लगी. फाइल के पन्ने पलटते हुए उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. तब मुझे उसके बदन से आने वाले पर्फ्यूम की महेक आई. महेक तो कमरे में पहले से फैली हुई थी किंतु उसके बदन की सुंदरता मे में इतना खोया हुआ था कि महसूस नही कर पाया. खुसबु गुलाब की थी या हिना की पता नही पर उसका नज़दीक होना और बदन से उठती खुश्बू मुझे पागल किए दे रही थी. में उसे छूना चाहता था, पर मैं अपने जज्बातों को रोक रहा था. रश्मि मुझे एक एक चीज़ समझा रही थी, और मैं उसके मम्मो की गोलैइओ में खोया उसकी हां में हां मिला रहा था. मन तो कर रहा था कि उसकी प्यारी गांद पर हाथ फेर दूं, पर बदले में कहीं थप्पड़ ना पड़ जाए सोच कर चुप रह गया. मेने सोचा चलो टाँगो से शुरू करते है. जैसे ही मेने अपनी उंगली धीरे से उसकी टाँगो की छुई, "राज जहाँ तक में समझती हूँ तुम्हारी कंपनी खर्चों के मामले में कुछ ज़्यादा लापरवाह है. हमारी कंपनी एक प्लान के तहत ही खर्चा करती है, ये तुम्हारे काम आएगी. पैसो को पकड़ कर जब्त करना चाहिए ना कि खर्च करना." वो मेरी ओर देखते हुए बोली. तब मेने उसके घूटनो को जब्त कर लिया, जब्त नही बल्कि अपनी पूरी हथेली उसके घूटनो पे रख दी. उसे इस बात का अहसास ज़रूर हुआ होगा पर वो फिर अंजान बनते हुए बोली, "राज ये अच्छा समय है, मार्केट में बहोत काम है और तुम अपने सब सपने पूरे कर सकते हो." मुझे लगने लगा कि वो भी मुझसे खेल खेल रही है. वो मुझे अपने और कामो के बारे मे बताने लगी और मैं अपना हाथ धीरे धीरे उप्पर बढ़ने लगा. घुटनो से होता हुआ मेरा हाथ अब उसकी जांघों पर था. एरकॉनडिशन चालू होने के बावजूद मुझे गर्मी लगने लगी, मेने अपने बाए हाथ से अपनी टाइ की नाट ढीली की और दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को सहलाने लगा. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ और फिर मुझे फाइल दिखाने समझाने लगी. मेरा हाथ उपर की ओर बढ़ रहा था और वो अंजान बनी मुझे समझा रही थी. मेरा हाथ अब उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से पे रेंग रहा था. अगर वो इस समय मुझे रोकती तो में नही जानता कि मैं क्या करता पर मेने अपने हाथ को हटाया नही. मेरा हाथ अब इसके आगे नही बढ़ सकता था जब तक कि वो अपनी टाँगो को थोड़ा और फैला मुझे रास्ता दे. "राज तुम्हारी कंपनी पुराना सॉफ्टवेर यूज़ करती है, हमारी कंपनी के मध्यम से तुम लेटेस्ट टेक्नालजी से काम ले सकोगे. इससे तुम हर लाइन की अन्द्रुनि से अन्द्रुनि जानकारी हासिल कर सकोगे." ये कहते हुई वो अपने ब्रीफकेस से एक फाइल निकालने के लिए झुकी और इस दौरान अपनी टाँगे थोड़ी फैला दी. आन्द्रुनि जानकारी हासिल करने के लिए मेरे हाथों को रास्ता मिल चुक्का था. मेने अपना हाथ थोड़ा उपर खिसकाई तो पाया उसकी पॅंटीस पूरी तरह गीली हो चुकी थी. "राज हमारी कंपनी के पास एक सॉफ्टवेर है जिससे कंपनी का हर आदमी किसी भी डाटा को चेक कर सकता है. तुम उन डेटा को भी पा सकते हो जो आम इंसान के पाने की हद के बाहर है." उसने अपनी टाँगो को और फैलाते हुए कहा. मैं और मेरा हाथ तो किसी और डाटा की तलाश में थे. मेने अपना हाथ उसकी गीली हुई चूत पर पॅंटी के उपर रख दिया. उसकी पूरी पॅंटी गीली थी और मेरी शर्ट भी पसीने में भीग चुकी थी. वो अब टेबल पे बैठ चुकी थी, "राज हमारे पास में ऐसे वेब सर्वर्स हैं जो हर दिक्कतों को मिटा सकते है. तुम्हारे मुलाज़िम 24 घंटे किसी भी डाटा को पा सकते है." में उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था. "रूको पहले रास्ते की दिक्कतों को हटाओ?" मेने धीरे से उसकी चूत को दबा दिया. मेने अपनी उंगलियाँ उसकी पॅंटी के एलास्टिक में फँसा उन्हे नीचे खिसकाना शुरू किया. रश्मि अभी भी शान बने हुए मुझे अपनी कंपनी का हर डाटा समझा रही थी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसाइ तो मुझे लगा जैसे कि मेने किसी भट्टी में उंगली डाल दी हो. उसकी चूत से पानी बह रहा था. मैं अपनी दो उंगलियों से उसे चोद रहा था पर उस पर इस बात का बिल्कुल भी असर नही था. मेने उसकी पॅंटी उतार कर ज़मीन पर गिरा दी थी. उसकी खुली हुई चूत मुझे इन्वाइट कर रही थी. मेने अपना हाथ बढ़ा उसके टॉप को खोलना चाहा, "राज तुम्हे हमारी कंपनी से काफ़ी फ़ायदे हो सकते हैं, इससे तुम्हारे बिज़्नेस में काफ़ी तरक्की हो सकती है." रश्मि मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली. मैं और ज़ोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा. उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ पूछा, "अब मेरी कंपनी को खरीदने का और क्या लोगे?" मेने देखा कि वो इस डील को ख़त्म ही करना चाहती है, और उसके लिए वो कुछ भी पेश कर सकती है अपने आप को भी. मेने फोन उठाया और इनटरकम पर अपनी सेक्रेटरी सीमा का नंबर दबाया, उम्मीद थी कि वो लंच से वापस आ गयी हो. "हां राज," "सीम क्या तुम हमारे लॉयर के साथ बात कर डॉक्युमेंट्स तय्यार कर सकती हो कि हम म्र्स रश्मि की फर्म को 3 करोड़ में खरीद रहे हैं, एक कन्फर्मेशन लेटर पहले तय्यार कर के ले आओ." "अभी लेकर आती हूँ," सीम अपने काम में काफ़ी होशियार थी. में रश्मि की स्कर्ट को उपर उठता रहा जब मैं सीमा से बात कर रहा था, अब उसकी जंघे और चूत एक दम नंगी हो चुकी थी. उसकी गुलाबी चूत और झीने झीने भूरे बाल दिखाई दे रहे थे. रश्मि मेरी ओर देखते हुए बोली, "राज इस डील का तुम्हे मुझे अड्वान्स देना होगा?" "रश्मि क्या अड्वान्स देना होगा?" मेने पूछा. "तुम्हे मुझे चोदना होगा. अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकालो, पिछले एक घंटे से सहन किए जा रही हूँ. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर मुझे जोरों से चोदो." जैसा रश्मि ने कहा था में खड़ा हो कर उसके पीछे आ गया. रश्मि टेबल पर झुक कर घोड़ी बन गयी. मेने अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी. रश्मि ने अपने टाँगे एकदम फैला दी थी जिससे उसकी चूत का मुँह और खुल गया था. "तुम मुझे पहले ही इतना गीला कर चुके हो कि तुम्हारा जी चाहे वैसे और ज़ोर से चोद सकते हो." रश्मि ने मेरी और गर्दन घुमा कर कहा. मेने अपने लंड को थोड़ी देर उसकी चूत पर रगड़ा और धीरे से अपने सूपदे को अंदर घुसाया. जैसे ही मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अंदर घुसा उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, "ऊऊऊऊहह हााआ ओह राज तुम्हारा लंड कितना बड़ा है. मेने सुना था तुम्हारे लंड के बारे में कि काफ़ी बड़ा है और तुम चुदाई भी अछी करते हो." "कहाँ सुना तुमने ये?" मेने अपने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसाते हुए कहा. "राज इस तरह की बातें बहोत जल्दी फैलती है सोसाइटी में. एक औरत से दूसरी औरत तक फिर सड़कों पे. राज सुना है क़ि तुम चोदने मे माहिर हो, औरत को चुदाई का पूरा मज़ा देते हो. और आज तुमसे चुदवा के पता लगा कि जो सुना उससे कहीं बेहतर चोदते हो." रश्मि ने अपने चुतताड पीछे करते हुए कहा. में ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मार रहा था. वो भी पूरे जोश में अपने चुतताड पीछे धकेल मेरे धक्के का जवाब दे रही थी, "ओह राज मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को." मैं और ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक लंड घुसा धक्के मार रहा था. वो मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी. उसकी चूत बहोत टाइट और गरम थी. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मेने उसके स्कर्ट को एकदम उपर उठा उसके चुतताड को कस के अपने हाथों से पक्कड़ ज़ोर के धक्के मार रहा था."ऊऊहह हहाा रूको मत चोदते जाओ हााआआं आईसस्स्स्स्ससे हीईीईई ओह राज मेरा छूटने वाला है," वो ज़ोर के धक्के लगा रही थी, मेने उसके पानी का स्पर्श अपने लंड के चारों तरफ महसूस किया तभी मेरी नज़र दरवाज़े पर खड़ी सीमा पर पड़ी. सीमा मेरे ऑफीस के बंद दरवाज़े पर खड़ी एक हाथ में रश्मि का लेटर और अपनी स्कर्ट पकड़े हुए थी, और दूसरे हाथ से अपनी खुली चूत में उंगली कर रही थी. रश्मि की नज़र उसपर पड़ी और वो मुस्कुरा दी, समझ गयी कि एक बॉस के कॅबिन में अगर उसकी सेक्रेटरी अपनी चूत में उंगल कर रही है तो कोई मुसीबत नही आने वाली. सीमा समझ गयी कि मेने उसे देख लिया है वो मुस्कुराते हुए हमारे करीब आई और हम लोगो को चुदाई करते देखने लगी. मेने रश्मि को चोदना चालू रखा था. सीमा हमारे करीब आई और अपने हाथ रश्मि की गांद पर रख बोली, "राज इसकी गांद कितनी सुदार और प्यारी है, है ना!" सीमा ने अपना एक हाथ रश्मि के खुले टॉप के अंदर डाल उसकी चुचियों को सहलाया और उसके निपल मसल दिए, "और सुंदर चुचियाँ भी है." मेने कहा. "राज रश्मि बहोत सुन्दर है, क्या इसकी चूत भी इसकी चुचियों की तरह कसी है?" "हां बहोत ही टाइट चूत है इसकी." मेने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा. "तुम्हे पता है आज मैं खाना खाने कहाँ गयी थी?" ये क्या चुदाई के बीच में ये खाना का रोना ले के बैठ गयी मैं सोचने लगा, "नही मुझे नही पता." में थोड़ा उखड़ते हुए बोला. "मैं आज सेयेज़र्ज़ पॅलेस गयी थी" में सीमा को सुन रहा था और रश्मि ने अपनी चूत को सिकोड लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त मे ले लिया. रश्मि सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लंड के पानी को निचोड़ रही थी. उसने एक हाथ बढ़ा कर सीमा के टाँगो पर से रेंगते हुए उसकी चूत पर रख दिया. "ओह राज देखो तो ये मेरी चूत से खेल रही है. रश्मि ने अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल कर अपने अंगूठे से मेरे चूत के दाने को सहला रही है." "तुम मुझे सेआसोर्स पॅलेस के बारे में बता रही थी?' "गोली मारो सेआसोर्स पॅलेस को इस वक़्त, जब हम इससे निपट लेंगे तब में तुम्हे बताउन्गि." वो अपनी कमर हिलाते हुए बोली. रश्मि अपनी उंगलियों से सीमा की चूत को चोद रही थी, सीमा की साँसे भी अब उखाड़ने लगी थी. सीमा ने अपना हाथ बढ़ा रश्मि की चूत पर रख दिया. मेरा लंड रश्मि की चूत में घुसते हुए मेरा लंड सीमा की उंगलियों से टकराता तो एक अजीब ही सनसनी मच जाती. अब वो रश्मि को चूत को सहला रही थी. "क्या तुम्हे मेरी चूत अच्छी लगी राज?' उसने ज़ोर से मेरे लंड को भींचते हुए अपना पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. मेने भी दो तीन धक्के ज़ोर के मार के अपना सारा पानी उसकी चूत में उंड़ेल दिया. मेने अपना लंड रश्मि की चूत से बाहर निकाला. मेरे लंड से छू कर रश्मि की चूत का पानी ज़मीन पर टपक रहा था. रश्मि भी जब सीधा होना चाही तो सीमा ने उसे रोक दिया. सीम उसके पीछे आ अपनी दो उंगली रश्मि की चूत में घुसा दी. थोड़ी देर अपनी उंगली उसकी चूत में घुमाने के बाद, वीर्य से लिपटी अपनी उंगली उसने रश्मि को चूसने के लिए दी. रश्मि ने बिना जीझकते हुए अपने मुँह के अंदर तक लेकर उसकी उंगलियों को चूसा और चॅटा. सीमा ने अपनी उंगलियाँ बाहर खींच ली. रश्मि खड़ी हो कर अपने स्कर्ट को सीधा करने लगी. सीमा ने रश्मि की पॅंटी जो ज़मीन पर पड़ी थी, उसे उठा कर सूंघने लगी. रश्मि की और देख आँख मार कर बोली, "तुम्हारी चूत की खुश्बू सही में बड़ी मतवाली है." कहकर उसने पॅंटी रश्मि को पकड़ा दी. रश्मि ने पॅंटी पहन अपने कपड़े ठीक कर लिए. रश्मि ने अपनी स्कर्ट और ब्लाउस भी ठीक किया पर अपने ब्लाउस के दो बटन खुले ही रहने दिए. उसने डील का लेटर उठाया और मेरे सामने रख दिया. मेने साइन करके उसे वो लेटर दे दिया. उसने वो लेटर ले कर अपने ब्रीफकेस में रख उसे बंद किया और खड़ी हो गयी. "थॅंक यू राज. उमीद हमारा रिश्ता आज के बाद और मजबूत होगा." कहकर वो वहाँ से चली गयी. "कमाल की औरत है, ऐसी औरतें कम ही देखने को मिलती है." सीमा मेरी ओर देखते हुए बोली. "हां तुम सही कह रही हो, इतना आत्मविश्वास किसी में मे कम ही होता है. रश्मि उन औरतों में से है, जो चाहा वो हर हाल में हासिल करती है." मेने सीमा की बात का जवाब दिया. "मैं शुरू से ही तुम्हे देख रही थी. जब तुम रश्मि को चोद रहे थे तो मुझ से रहा नही गया, मैं भी इस सुंदर औरत की चूत देखना चाहती थी, इसीलिए चली आई." "कोई बात नही, अच्छा तुम सेआसेर्स पॅलेस के बारे में कुछ बता रही थी?" मेने सीमा से पूछा. "में वहाँ पे टेबल पे बैठी सूप पी रही थी कि तभी एक बहुत ही सुंदर लड़की जिसका नाम चाँदनी था मेरे पास आई और पूछा कि क्या वो वहाँ बैठ सकती है. बड़ी ही अजीब लड़की थी हम लोग बात कर रहे थे और उसी दौरान उसने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखा और मेरी चूत से खेलने लगी." "फिर क्या हुआ?" मेने पूछा. "उसने मुझसे लॅडीस वॉश रूम में चलने को कहा, वो इतनी सुंदर थी और साथ ही उसने मेरी चूत को सहला सहला के इतना गरम कर दिया था की में अपने आप को रोक नही पाई और उसके पीछे वॉश रूम में आ गयी." सीमा अपनी चूत खुजाते हुए बोली, "वहाँ उसने मेरी चूत को इतना कस कस के चूसा और चटा की मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा. मुझे देर हो रही थी इसलिए में उसकी चूत का स्वाद नही चख पाई." "उम्म्म काफ़ी दिलचस्प लड़की होगी." सीमा वापस अपने कॅबिन में जाने के लिए उठी, "वैसे राज वो फरोज़ और फरोज़ में काम करती है. मेने उसे अपनी कंपनी में काम करने के लिए मना लिया है. वो कल से मेरी असिस्टेंट के रूप में हमें जाय्न कर रही है, तुम चाहो तो सुबह उसका इंटरव्यू ले सकते हो." मैं भी उस लड़की की सुंदर चूत और बदन के ख़यालों में खो गया. समाप्त
मेने रश्मि को हमेशा पार्टीस या किसी शादी के फंक्षन्स में ही देखा था. रश्मि समाज की एक मानी हुई हस्ती थी. कामयाब बिज़्नेस वोमेन होने के अलावा वो सामाजिक कार्यकर्ता भी थी. अक्सर उसके किस्से किसी ना किसी सामाजिक कार्य के लिए चर्चित थे. रश्मि का आकर्षक व्यक्तित्व और उसका सुन्दर बदन किसी भी मर्द को उसकी तरफ आकर्षित कर सकता था. एक फंक्षन में मुझे उसके बगल में बैठने का मौका मिला. में उससे बात करना चाहता था पर ऐसा हुआ नही, उसे किसी चॅरिटी फंक्षन में जाना था और वो एक अलग सी छाप मेरे जेहन में छोड़ चली गयी. रश्मि की एक अड्वर्टाइज़िंग कंपनी थी जिसे वो बेचना चाहती थी, और इसी सिलसिले में वो मेरी सेक्रेटरी सीमा से अपायंटमेंट बुक करना चाहती थी. मेरी एड कंपनी अच्छी चल रही थी, और ना मैं कोई कंपनी को खरीदने का इरादा रखता था. जब रश्मि की कंपनी के बारे में मुझे सीमा ने बताया तो मेने उससे पूछा, "क्या तुम पेरसोन्नाली उसके बारे मे कुछ जानती हो?" "मेरा एक दोस्त उसके लिए काम करता है." उसने जवाब दिया. "तुम उसके बारे में कितना जानती हो?" मेने फिर पूछा. "यही कि उसकी शादी शुदा जिंदगी अच्छी नही है. किसी कारण से उसका तलाक़ होने वाला है. रश्मि एक बहोत ही मेहन्नति और ईमानदार महिला है. अपने वर्कर्स का वो अपने परिवार के सद्स्य जैसा ख़याल रखती है." सीमा ने जवाब दिया. "ठीक है में उससे मिलूँगा." सीमा ने हंसते हुए कहा, "में जानती थी आप उससे ज़रूर मिलेंगे." रश्मि ने मेरे कॅबिन में इस तरह कदम रखा जैसे कि वो कॅबिन उसी का हो. उसका ऑफीस में घुसने का अंदाज़ सॉफ कह रहा था कि वो एक फर्स्ट क्लास बिज़्नेस वोमेन थी. दिखने में वो 5"9 की थी. वो मेरे टेबल की ओर बढ़ी और मुझसे हाथ मिलाया. मेने भी खड़े हो उससे हाथ मिलाया और अपनी कुर्सी पर झट से बैठ गया. इस तरह की औरतें मुझे काफ़ी गरम कर देती थी और उनसे अपने खड़े लंड को छुपाना मुश्किल हो जाता था. रश्मि मेरे सामने कुर्सी मेरे सामने बैठ गयी और उसने अपना ब्रीफकेस बगल में रख लिया. रश्मि ने घूटने तक का काले रंग का स्कर्ट पहन रखा था जिससे उसकी आधे से ज़्यादा नंगी टाँगे दिखाई दे रही थी. उसे देखते ही मेरे लंड में सिरहन हुई और वो गर्माने लगा. "राज मुझे खुशी हुई कि तुमने मुझसे मिलने के लिए वक्त निकाला. मुझे मालूम है तुम अपने बिज़्नेस में काफ़ी कमियाब हो और मेरी कंपनी तुम्हारी कंपनी के मुक़ाबले कुछ भी नही है." रश्मि मुझे देखते हुए बोली. "मुझे भी आपसे मिलकर काफ़ी खुशी हुई." मेने कहा. "हम बात आगे बढ़ाए उसके पहले में तुम्हे कुछ दिखाना चाहती हूँ." वो अपना ब्रीफकेस उठाने के लिए थोड़ा नीचे झुकी तो उसकी स्कर्ट थोडा और उपर खिसक गयी जिससे उसकी जाँघो का उपरी हिस्सा नज़र आने लगा. उसने वापस घूमकर अपना ब्रीफकेस अपनी गोद में रख लिया. उसने ब्रीफकेस खोल कर उसमे सी एक फाइल निकाली और फिर ब्रीफकेस बंद कर उसे अपने पाओ के पास रख दिया. इस दौरान उसने कई बार अपने पाओ पर पाओ चढ़ाए और उतारे जो एक औरत लिए नॉर्मल सी बात है लेकिन रश्मि ने इस तरह से किया कि मुझे उसकी ब्लॅक कलर की पॅंटीस साफ दिखाई दे. वो खड़ी हो गयी और झुक कर मुझे फाइल दिखाने लगी. मेने तिरछी नज़रों से देखा कि उसके सफेद मम्मे लो कट के ब्लाउस में से साफ झलक रहे थे. उसने एक काले रंग की पारदर्शी ब्रा पहनी हुई थी. "राज इस डील से तुम्हे पहले ही साल में . 5 लॅक्स का फ़ायदा हो सकता है." वो और टेबल पे झुकते हुए बोली. पर मेरा ध्यान उसकी बॅलेन्स शीट देखने में कहाँ था. मेरा ध्यान तो उसकी अनबॅलेन्स्ड चुचियों पे अटका था. मेने देखा कि उसके ब्लाउस के उपरी दो बटन खुले थे. मुझे अच्छी तरह याद है कि जब वो ऑफीस में आई थी तो उसके ब्लाउस के सभी बटन बंद थे. ज़रूर उसने वो बटन जब अपनी ब्रीफकेस में से फाइल निकाल रही थी तब खोले होंगे. मुझे ये औरत काफ़ी खेली खाई और समझदार लगी. मैं भी इस खेल में उसका साथ देने लगा. उसने मुझे फाइल के एक पन्ने को दिखाते हुई जान बुझ कर अपना पेन ज़मीन पर गिरा दिया. और जब घूम कर वो पेन उठाने के लिए झुकी तो उसकी मस्त चूतड़ ठीक मेरे चेहरे के सामने थे. उसकी मस्त गांद को देख कर मेरे लंड एक दम तन गया. उसने पेन उठाया और फिर टेबल पर झुक गयी. में भी अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे खिसका ऐसे बैठ गया जिससे उसे मेरा लंड जो पॅंट में तंबू बनाए हुए था साफ दिखाई दे. पर वो एकदम अंजान बने हुए मुझे पेपर्स समझाने लगी. फाइल के पन्ने पलटते हुए उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया. तब मुझे उसके बदन से आने वाले पर्फ्यूम की महेक आई. महेक तो कमरे में पहले से फैली हुई थी किंतु उसके बदन की सुंदरता मे में इतना खोया हुआ था कि महसूस नही कर पाया. खुसबु गुलाब की थी या हिना की पता नही पर उसका नज़दीक होना और बदन से उठती खुश्बू मुझे पागल किए दे रही थी. में उसे छूना चाहता था, पर मैं अपने जज्बातों को रोक रहा था. रश्मि मुझे एक एक चीज़ समझा रही थी, और मैं उसके मम्मो की गोलैइओ में खोया उसकी हां में हां मिला रहा था. मन तो कर रहा था कि उसकी प्यारी गांद पर हाथ फेर दूं, पर बदले में कहीं थप्पड़ ना पड़ जाए सोच कर चुप रह गया. मेने सोचा चलो टाँगो से शुरू करते है. जैसे ही मेने अपनी उंगली धीरे से उसकी टाँगो की छुई, "राज जहाँ तक में समझती हूँ तुम्हारी कंपनी खर्चों के मामले में कुछ ज़्यादा लापरवाह है. हमारी कंपनी एक प्लान के तहत ही खर्चा करती है, ये तुम्हारे काम आएगी. पैसो को पकड़ कर जब्त करना चाहिए ना कि खर्च करना." वो मेरी ओर देखते हुए बोली. तब मेने उसके घूटनो को जब्त कर लिया, जब्त नही बल्कि अपनी पूरी हथेली उसके घूटनो पे रख दी. उसे इस बात का अहसास ज़रूर हुआ होगा पर वो फिर अंजान बनते हुए बोली, "राज ये अच्छा समय है, मार्केट में बहोत काम है और तुम अपने सब सपने पूरे कर सकते हो." मुझे लगने लगा कि वो भी मुझसे खेल खेल रही है. वो मुझे अपने और कामो के बारे मे बताने लगी और मैं अपना हाथ धीरे धीरे उप्पर बढ़ने लगा. घुटनो से होता हुआ मेरा हाथ अब उसकी जांघों पर था. एरकॉनडिशन चालू होने के बावजूद मुझे गर्मी लगने लगी, मेने अपने बाए हाथ से अपनी टाइ की नाट ढीली की और दूसरे हाथ से उसकी जाँघो को सहलाने लगा. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ और फिर मुझे फाइल दिखाने समझाने लगी. मेरा हाथ उपर की ओर बढ़ रहा था और वो अंजान बनी मुझे समझा रही थी. मेरा हाथ अब उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्से पे रेंग रहा था. अगर वो इस समय मुझे रोकती तो में नही जानता कि मैं क्या करता पर मेने अपने हाथ को हटाया नही. मेरा हाथ अब इसके आगे नही बढ़ सकता था जब तक कि वो अपनी टाँगो को थोड़ा और फैला मुझे रास्ता दे. "राज तुम्हारी कंपनी पुराना सॉफ्टवेर यूज़ करती है, हमारी कंपनी के मध्यम से तुम लेटेस्ट टेक्नालजी से काम ले सकोगे. इससे तुम हर लाइन की अन्द्रुनि से अन्द्रुनि जानकारी हासिल कर सकोगे." ये कहते हुई वो अपने ब्रीफकेस से एक फाइल निकालने के लिए झुकी और इस दौरान अपनी टाँगे थोड़ी फैला दी. आन्द्रुनि जानकारी हासिल करने के लिए मेरे हाथों को रास्ता मिल चुक्का था. मेने अपना हाथ थोड़ा उपर खिसकाई तो पाया उसकी पॅंटीस पूरी तरह गीली हो चुकी थी. "राज हमारी कंपनी के पास एक सॉफ्टवेर है जिससे कंपनी का हर आदमी किसी भी डाटा को चेक कर सकता है. तुम उन डेटा को भी पा सकते हो जो आम इंसान के पाने की हद के बाहर है." उसने अपनी टाँगो को और फैलाते हुए कहा. मैं और मेरा हाथ तो किसी और डाटा की तलाश में थे. मेने अपना हाथ उसकी गीली हुई चूत पर पॅंटी के उपर रख दिया. उसकी पूरी पॅंटी गीली थी और मेरी शर्ट भी पसीने में भीग चुकी थी. वो अब टेबल पे बैठ चुकी थी, "राज हमारे पास में ऐसे वेब सर्वर्स हैं जो हर दिक्कतों को मिटा सकते है. तुम्हारे मुलाज़िम 24 घंटे किसी भी डाटा को पा सकते है." में उसकी चूत में उंगली किए जा रहा था. "रूको पहले रास्ते की दिक्कतों को हटाओ?" मेने धीरे से उसकी चूत को दबा दिया. मेने अपनी उंगलियाँ उसकी पॅंटी के एलास्टिक में फँसा उन्हे नीचे खिसकाना शुरू किया. रश्मि अभी भी शान बने हुए मुझे अपनी कंपनी का हर डाटा समझा रही थी. मेने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे घुसाइ तो मुझे लगा जैसे कि मेने किसी भट्टी में उंगली डाल दी हो. उसकी चूत से पानी बह रहा था. मैं अपनी दो उंगलियों से उसे चोद रहा था पर उस पर इस बात का बिल्कुल भी असर नही था. मेने उसकी पॅंटी उतार कर ज़मीन पर गिरा दी थी. उसकी खुली हुई चूत मुझे इन्वाइट कर रही थी. मेने अपना हाथ बढ़ा उसके टॉप को खोलना चाहा, "राज तुम्हे हमारी कंपनी से काफ़ी फ़ायदे हो सकते हैं, इससे तुम्हारे बिज़्नेस में काफ़ी तरक्की हो सकती है." रश्मि मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली. मैं और ज़ोर से उसकी चूत में उंगली करने लगा. उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ पूछा, "अब मेरी कंपनी को खरीदने का और क्या लोगे?" मेने देखा कि वो इस डील को ख़त्म ही करना चाहती है, और उसके लिए वो कुछ भी पेश कर सकती है अपने आप को भी. मेने फोन उठाया और इनटरकम पर अपनी सेक्रेटरी सीमा का नंबर दबाया, उम्मीद थी कि वो लंच से वापस आ गयी हो. "हां राज," "सीम क्या तुम हमारे लॉयर के साथ बात कर डॉक्युमेंट्स तय्यार कर सकती हो कि हम म्र्स रश्मि की फर्म को 3 करोड़ में खरीद रहे हैं, एक कन्फर्मेशन लेटर पहले तय्यार कर के ले आओ." "अभी लेकर आती हूँ," सीम अपने काम में काफ़ी होशियार थी. में रश्मि की स्कर्ट को उपर उठता रहा जब मैं सीमा से बात कर रहा था, अब उसकी जंघे और चूत एक दम नंगी हो चुकी थी. उसकी गुलाबी चूत और झीने झीने भूरे बाल दिखाई दे रहे थे. रश्मि मेरी ओर देखते हुए बोली, "राज इस डील का तुम्हे मुझे अड्वान्स देना होगा?" "रश्मि क्या अड्वान्स देना होगा?" मेने पूछा. "तुम्हे मुझे चोदना होगा. अपना लंड अपनी पॅंट से बाहर निकालो, पिछले एक घंटे से सहन किए जा रही हूँ. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर मुझे जोरों से चोदो." जैसा रश्मि ने कहा था में खड़ा हो कर उसके पीछे आ गया. रश्मि टेबल पर झुक कर घोड़ी बन गयी. मेने अपनी पॅंट और अंडरवेर उतार दी. रश्मि ने अपने टाँगे एकदम फैला दी थी जिससे उसकी चूत का मुँह और खुल गया था. "तुम मुझे पहले ही इतना गीला कर चुके हो कि तुम्हारा जी चाहे वैसे और ज़ोर से चोद सकते हो." रश्मि ने मेरी और गर्दन घुमा कर कहा. मेने अपने लंड को थोड़ी देर उसकी चूत पर रगड़ा और धीरे से अपने सूपदे को अंदर घुसाया. जैसे ही मेरे लंड का सूपड़ा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अंदर घुसा उसके मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, "ऊऊऊऊहह हााआ ओह राज तुम्हारा लंड कितना बड़ा है. मेने सुना था तुम्हारे लंड के बारे में कि काफ़ी बड़ा है और तुम चुदाई भी अछी करते हो." "कहाँ सुना तुमने ये?" मेने अपने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसाते हुए कहा. "राज इस तरह की बातें बहोत जल्दी फैलती है सोसाइटी में. एक औरत से दूसरी औरत तक फिर सड़कों पे. राज सुना है क़ि तुम चोदने मे माहिर हो, औरत को चुदाई का पूरा मज़ा देते हो. और आज तुमसे चुदवा के पता लगा कि जो सुना उससे कहीं बेहतर चोदते हो." रश्मि ने अपने चुतताड पीछे करते हुए कहा. में ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मार रहा था. वो भी पूरे जोश में अपने चुतताड पीछे धकेल मेरे धक्के का जवाब दे रही थी, "ओह राज मज़ा आ रहा है, और ज़ोर से चोदो फाड़ दो मेरी चूत को." मैं और ज़ोर से अपने लंड को उसकी चूत की जड़ तक लंड घुसा धक्के मार रहा था. वो मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी. उसकी चूत बहोत टाइट और गरम थी. मुझे बहोत मज़ा आ रहा था. मेने उसके स्कर्ट को एकदम उपर उठा उसके चुतताड को कस के अपने हाथों से पक्कड़ ज़ोर के धक्के मार रहा था."ऊऊहह हहाा रूको मत चोदते जाओ हााआआं आईसस्स्स्स्ससे हीईीईई ओह राज मेरा छूटने वाला है," वो ज़ोर के धक्के लगा रही थी, मेने उसके पानी का स्पर्श अपने लंड के चारों तरफ महसूस किया तभी मेरी नज़र दरवाज़े पर खड़ी सीमा पर पड़ी. सीमा मेरे ऑफीस के बंद दरवाज़े पर खड़ी एक हाथ में रश्मि का लेटर और अपनी स्कर्ट पकड़े हुए थी, और दूसरे हाथ से अपनी खुली चूत में उंगली कर रही थी. रश्मि की नज़र उसपर पड़ी और वो मुस्कुरा दी, समझ गयी कि एक बॉस के कॅबिन में अगर उसकी सेक्रेटरी अपनी चूत में उंगल कर रही है तो कोई मुसीबत नही आने वाली. सीमा समझ गयी कि मेने उसे देख लिया है वो मुस्कुराते हुए हमारे करीब आई और हम लोगो को चुदाई करते देखने लगी. मेने रश्मि को चोदना चालू रखा था. सीमा हमारे करीब आई और अपने हाथ रश्मि की गांद पर रख बोली, "राज इसकी गांद कितनी सुदार और प्यारी है, है ना!" सीमा ने अपना एक हाथ रश्मि के खुले टॉप के अंदर डाल उसकी चुचियों को सहलाया और उसके निपल मसल दिए, "और सुंदर चुचियाँ भी है." मेने कहा. "राज रश्मि बहोत सुन्दर है, क्या इसकी चूत भी इसकी चुचियों की तरह कसी है?" "हां बहोत ही टाइट चूत है इसकी." मेने ज़ोर का धक्का मारते हुए कहा. "तुम्हे पता है आज मैं खाना खाने कहाँ गयी थी?" ये क्या चुदाई के बीच में ये खाना का रोना ले के बैठ गयी मैं सोचने लगा, "नही मुझे नही पता." में थोड़ा उखड़ते हुए बोला. "मैं आज सेयेज़र्ज़ पॅलेस गयी थी" में सीमा को सुन रहा था और रश्मि ने अपनी चूत को सिकोड लंड को अपनी चूत की गिरफ़्त मे ले लिया. रश्मि सिसकारियाँ भरते हुए मेरे लंड के पानी को निचोड़ रही थी. उसने एक हाथ बढ़ा कर सीमा के टाँगो पर से रेंगते हुए उसकी चूत पर रख दिया. "ओह राज देखो तो ये मेरी चूत से खेल रही है. रश्मि ने अपनी दो उंगली मेरी चूत मे डाल कर अपने अंगूठे से मेरे चूत के दाने को सहला रही है." "तुम मुझे सेआसोर्स पॅलेस के बारे में बता रही थी?' "गोली मारो सेआसोर्स पॅलेस को इस वक़्त, जब हम इससे निपट लेंगे तब में तुम्हे बताउन्गि." वो अपनी कमर हिलाते हुए बोली. रश्मि अपनी उंगलियों से सीमा की चूत को चोद रही थी, सीमा की साँसे भी अब उखाड़ने लगी थी. सीमा ने अपना हाथ बढ़ा रश्मि की चूत पर रख दिया. मेरा लंड रश्मि की चूत में घुसते हुए मेरा लंड सीमा की उंगलियों से टकराता तो एक अजीब ही सनसनी मच जाती. अब वो रश्मि को चूत को सहला रही थी. "क्या तुम्हे मेरी चूत अच्छी लगी राज?' उसने ज़ोर से मेरे लंड को भींचते हुए अपना पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. मेने भी दो तीन धक्के ज़ोर के मार के अपना सारा पानी उसकी चूत में उंड़ेल दिया. मेने अपना लंड रश्मि की चूत से बाहर निकाला. मेरे लंड से छू कर रश्मि की चूत का पानी ज़मीन पर टपक रहा था. रश्मि भी जब सीधा होना चाही तो सीमा ने उसे रोक दिया. सीम उसके पीछे आ अपनी दो उंगली रश्मि की चूत में घुसा दी. थोड़ी देर अपनी उंगली उसकी चूत में घुमाने के बाद, वीर्य से लिपटी अपनी उंगली उसने रश्मि को चूसने के लिए दी. रश्मि ने बिना जीझकते हुए अपने मुँह के अंदर तक लेकर उसकी उंगलियों को चूसा और चॅटा. सीमा ने अपनी उंगलियाँ बाहर खींच ली. रश्मि खड़ी हो कर अपने स्कर्ट को सीधा करने लगी. सीमा ने रश्मि की पॅंटी जो ज़मीन पर पड़ी थी, उसे उठा कर सूंघने लगी. रश्मि की और देख आँख मार कर बोली, "तुम्हारी चूत की खुश्बू सही में बड़ी मतवाली है." कहकर उसने पॅंटी रश्मि को पकड़ा दी. रश्मि ने पॅंटी पहन अपने कपड़े ठीक कर लिए. रश्मि ने अपनी स्कर्ट और ब्लाउस भी ठीक किया पर अपने ब्लाउस के दो बटन खुले ही रहने दिए. उसने डील का लेटर उठाया और मेरे सामने रख दिया. मेने साइन करके उसे वो लेटर दे दिया. उसने वो लेटर ले कर अपने ब्रीफकेस में रख उसे बंद किया और खड़ी हो गयी. "थॅंक यू राज. उमीद हमारा रिश्ता आज के बाद और मजबूत होगा." कहकर वो वहाँ से चली गयी. "कमाल की औरत है, ऐसी औरतें कम ही देखने को मिलती है." सीमा मेरी ओर देखते हुए बोली. "हां तुम सही कह रही हो, इतना आत्मविश्वास किसी में मे कम ही होता है. रश्मि उन औरतों में से है, जो चाहा वो हर हाल में हासिल करती है." मेने सीमा की बात का जवाब दिया. "मैं शुरू से ही तुम्हे देख रही थी. जब तुम रश्मि को चोद रहे थे तो मुझ से रहा नही गया, मैं भी इस सुंदर औरत की चूत देखना चाहती थी, इसीलिए चली आई." "कोई बात नही, अच्छा तुम सेआसेर्स पॅलेस के बारे में कुछ बता रही थी?" मेने सीमा से पूछा. "में वहाँ पे टेबल पे बैठी सूप पी रही थी कि तभी एक बहुत ही सुंदर लड़की जिसका नाम चाँदनी था मेरे पास आई और पूछा कि क्या वो वहाँ बैठ सकती है. बड़ी ही अजीब लड़की थी हम लोग बात कर रहे थे और उसी दौरान उसने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखा और मेरी चूत से खेलने लगी." "फिर क्या हुआ?" मेने पूछा. "उसने मुझसे लॅडीस वॉश रूम में चलने को कहा, वो इतनी सुंदर थी और साथ ही उसने मेरी चूत को सहला सहला के इतना गरम कर दिया था की में अपने आप को रोक नही पाई और उसके पीछे वॉश रूम में आ गयी." सीमा अपनी चूत खुजाते हुए बोली, "वहाँ उसने मेरी चूत को इतना कस कस के चूसा और चटा की मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा. मुझे देर हो रही थी इसलिए में उसकी चूत का स्वाद नही चख पाई." "उम्म्म काफ़ी दिलचस्प लड़की होगी." सीमा वापस अपने कॅबिन में जाने के लिए उठी, "वैसे राज वो फरोज़ और फरोज़ में काम करती है. मेने उसे अपनी कंपनी में काम करने के लिए मना लिया है. वो कल से मेरी असिस्टेंट के रूप में हमें जाय्न कर रही है, तुम चाहो तो सुबह उसका इंटरव्यू ले सकते हो." मैं भी उस लड़की की सुंदर चूत और बदन के ख़यालों में खो गया. समाप्त