गाँव का राजा

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007
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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:18

गाँव का राजा पार्ट -3 लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहानी कैसी है ये तो आप ही बताएँगे

अचानक राजू की नज़र अपनी मामी उर्मिला देवी पर पड़ी वो बड़े गौर से उसके पेरॉं की तरफ देख रहीं थी तब राजू को अहसास हुआ मामी उसके लॅंड को ही देख रही है राजू ने अपने पैर को मोड़ लिया ओर मामी की तरफ देखा उर्मिला देवी राजू को अपनी ओर देखते पाकर हॅडबड़ा गई और अपनी नज़रें मेग्ज़ीन पर लगा ली

कुच्छ देर तक दोनो ऐसे ही शर्मिंदगी के अहसास में डूबे हुए बैठे रहे फिर उर्मिला देवी वाहा से उठ कर चली गई.

उस दिन की घटना ने दोनो के बीच एक हिचक की दीवार खड़ी कर दी. दोनो अब जब बाते करते तो थोड़ा नज़रे चुरा कर करते थे. उर्मिला देवी अब राजू को बड़े गौर से देखती थी. पाजामे में उसके हिलते डुलते लंड और हाफ पॅंट से झाँकते हुए लंड को देखने की फिराक में रहती थी. राजू भी सोच में डूबा रहता था कि मामी उसके लंड को क्यों देख रही थी. ऐसा वो क्यों कर रही थी. बड़ा परेशान था बेचारा. मामी जी भी अलग फिराक में लग गई थी. वो सोच रही थी क्या ऐसा हो सकता है कि मैं राजू के इस मस्ताने हथियार का मज़ा चख सकु. कैसे क्या करे ये उनकी समझ में नही आ रहा था. फिर उन्होने एक रास्ता खोज़ा.

अब उर्मिला देवी ने अब नज़रे चुराने की जगह राजू से आँखे मिलाने का फ़ैसला कर लिया था. वो अब राजू की आँखो में अपने रूप की मस्ती घोलना चाहती थी. देखने में तो वो माशा अल्लाह शुरू से खूबसूरत थी. राजू के सामने अब वो खुल कर अंग प्रदर्शन करने लगी थी. जैसे जब भी वो राजू के सामने बैठती थी तो अपनी साड़ी को घुटनो तक उपर उठा कर बैठती, साडी का आँचल तो दिन में ना जाने कितनी बार ढूलक जाता था (जबकि पहले ऐसा नही होता था), झाड़ू लगाते समय तो ब्लाउस के दोनो बटन खुले होते थे और उनमे से उनकी मस्तानी चुचिया झलकती रहती थी. बाथरूम से कई बार केवल पेटिकोट और ब्लाउस या ब्रा में बाहर निकल कर अपने बेडरूम में समान लाने जाती फिर वापस आती फिर जाती फिर वापस आती. नहाने के बाद बाथरूम से केवल एक लंबा वाला तौलिया लपेट कर बाहर निकल जाती थी. बेचारा राजू बीच ड्रॉयिंग रूम में बैठ ये सारा नज़ारा देखता रहता था. लरकियों को देख कर उसका लंड खड़ा तो होने लगा था मगर कभी सोचा नही था की मामी को देख के भी लंड खड़ा होगा. लंड तो लंड है वो कहा कुच्छ देखता है. उसको अगर चिकनी चमड़ी वाला खूबसूरत बदन दिखेगा तो खड़ा तो होगा ही. मामी जी उसको ये दिखा रही थी और वो खड़ा हो रहा था.

राजू को उसी दौरान राज शर्मा की सेक्सी कहानियो की एक किताब हाथ लग गई. किताब पढ़ कर जब लंड खड़ा हुआ और उसको मुठिया कर जब अपना पानी निकाला तो उसकी तीसरी आँख खुल गई. उसकी स्मझ में आ गया की चुदाई क्या होती है और उसमे कितना मज़ा आ सकता है. जब किताब पढ़ के कल्पना करने और मुठियाने में इतना मज़ा है तो फिर सच में अगर चूत में लंड डालने को मिले तो कितना मज़ा आएगा. राज शर्मा की कहानियों में तो रिश्तो में चुदाई की कहानिया भी होती है और एक बार जो वो किताब पढ़ लेता है फिर रिश्ते की औरतो के बारे में उल्टी सीधी बाते सोच ही लेता है चाहे वो ऐसा ना सोचने के लिए कितनी भी कोशिश करे. वही हाल अपने राजू बाबा का भी था. वो चाह रहे थे कि अपनी मामी के बारे में ऐसा ना सोचे मगर जब भी वो अपनी मामी के चिकने बदन को देखते तो ऐसा हो जाता था. मामी भी यही चाह रही थी. खूब छल्का छल्का के अपना बदन दिखा रही थी.

बाथरूम से पेशाब करने के बाद साडी को जाँघो तक उठाए बाहर निकल जाती थी. राजू की ओर देखे बिना साडी और पेटिकोट को वैसे ही उठाए हुए अपने कमरे में जाती और फिर चूकने की आक्टिंग करते हुए हल्के से मुस्कुराते हुए साडी को नीचे गिरा देती थी. राजू भी अब हर रोज इंतेज़ार करता था की कब मामी झाड़ू लगाएँगी और अपनी गुदाज़ चुचियों के दर्शन कराएँगी या फिर कब वो अपनी साडी उठा के उसे अपनी मोटी-मोटी जाँघो के दर्शन कराएँगी. राज शर्मा की कहानियाँ तो अब वो हर रोज पढ़ता था. ज्ञान बढ़ाने के साथ अब उसके दिमाग़ में हर रोज़ नई नई तरकीब सूझने लगी कि कैसे मामी को पटाया जाए. साड़ी उठा के उनकी चूत के दर्शन किए जाए और हो सके तो उसमें अपने हलब्बी लंड को प्रविष्ट कराया जाए और एक बार ही सही मगर चुदाई का मज़ा लिया जाए. सभी तरह के तरकीबो को सोचने के बाद उनकी छ्होटी बुद्धि ने या फिर ये कहे की उनके लंड ने क्योंकि चुदाई की आग में जलता हुआ छ्होकरा लंड से सोचने लगता है, एक तरकीब खोज ली.................


007
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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:26

एक दिन मामी जी बाथरूम से तौलिया लपेटे हुए निकली, हर रोज़ की तरह मुन्ना बाबू उनको एक टक घूर घूर कर देखे जा रहे थे. तभी मामी ने राजू को आवाज़ दी, "राजू ज़रा बाथरूम में कुच्छ कपड़े है, मैं ने धो दिए है ज़रा बाल्कनी में सुखाने के लिए डाल दे". राजू जो कि एक टक मामी जी की गोरी चिकनी जाँघो को देख के आनंद लूट रहा था को झटका सा लगा, हॅडबड़ा के नज़रे उठाई और देखा तो सामने मामी अपनी चूचियों पर अपने तौलिए को कस के पकड़े हुए थी. मामी ने हस्ते हुए कहा "जा बेटा जल्दी से सुखाने के लिए डाल दे नही तो कपड़े खराब हो जाएँगे"

राजू उठा और जल्दी से बाथरूम में घुस गया. मामी को उसका खरा लंड पाजामे में नज़र आ गया. वो हस्ते हुए चुप चाप अपने कमरे में चली गई. राजू ने कपड़ो की बाल्टी उठाई और फिर ब्लॉकोनी में जा कर एक एक करके सूखने के लिए डालने लगा. मामी की पॅंटी और ब्रा को सुखाने के लिए डालने से पहले एक बार अच्छी तरह से च्छू कर देखता रहा फिर अपने होंठो तक ले गया और सूंघने लगा. तभी मामी कमरे से निकली तो ये देख कर जल्दी से उसने वो कपड़े सूखने के लिए डाल दिए.

शाम में जब सूखे हुए कपड़ो को उठाते समय राजू भी मामी की मदद करने लगा. राजू ने अपने मामा का सूखा हुआ अंडरवेर अपने हाथ में लिया और धीरे से मामी के पास गया. मामी ने उसकी ओर देखते हुए पुचछा "क्या है, कोई बात बोलनी है"? राजू थोड़ा सा हकलाते हुए बोला:-

"माआअम्म्म्मी...एक बात बोलनी थी"

"हा तो बोल ना"

"मामी मेरे सारे दोस्त अब ब्ब्ब्ब्बबब"

"अब क्या ......" उर्मिला देवी ने अपनी तीखी नज़रे उसके चेहरे पर गढा रखी थी.

"मामी मेरे सारे दोस्त अब उन.... अंडर....... अंडरवेर पहनते है"

मामी को हसी आ गई, मगर अपनी हसी रोकते हुए पूछा "हा तो इसमे क्या है सभी लड़के पहनते है"

"पर पर मामी मेरे पास अंडरवेर नही है"

मामी एक पल के लिए ठिठक गई और उसका चेहरा देखने लगी. राजू को लग रहा था इस पल में वो शर्म से मर जाएगा उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली.

उर्मिला देवी ने उसकी ओर देखते हुए कहा "तुझे भी अंडरवेर चाहिए क्या"

"हा मामी मुझे भी अंडरवेर दिलवा दो ना"

"हम तो सोचते थे की तू अभी बच्चा है, मगर" कह कर वो हस्ने लगी. राजू ने इस पर बुरा सा मुँह बनाया और रोआन्सा होते हुए बोला "मेरे सारे दोस्त काफ़ी दीनो से अंडरवेर पहन रहे है, मुझे बहुत बुरा लगता है बिना अंडरवेर के पॅंट पहन ना."

उर्मिला देवी ने अब अपनी नज़रे सीधे पॅंट के उपर टीका दी और हल्की मुस्कुराहट के साथ बोली "कोई बात नही, कल बाज़ार चलेंगे साथ में". राजू खुश होता हुआ बोला "थॅंक यू मामी". फिर सारे कपड़े समेत दोनो अपने अपने कमरो में चले गये.

वैसे तो राजू कई बार मामी के साथ बाज़ार जा चुका था. मगर आज कुच्छ नई बात लग रही थी. दोनो खूब बन सवर के निकले थे. उर्मिला देवी ने आज बहुत दीनो के बाद काले रंग की सलवार कमीज़ पहन रखी थी और राजू को टाइट जीन्स पहनवा दिया था. हालाँकि राजू अपनी ढीली पॅंट ही पहना चाहता था मगर मामी के ज़ोर देने पर बेचारा क्या करता. कार मामी खूद ड्राइव कर रही थी. काले सलवार समीज़ में बहुत सुंदर लग रही थी. हाइ हील की सॅंडल पहन रख थी. टाइट जीन्स में राजू का लंड नीचे की तरफ हो कर उसकी जाँघो से चिपका हुआ एक केले की तरह से साफ पता चल रहा था. उसने अपनी टी-शर्ट को बाहर निकाल लिया पर जब वो कार में मामी के बगल में बैठा तो फिर वही ढाक के तीन पाट, सब कुच्छ दिख रहा था. मामी अपनी तिर्छि नज़रो से उसको देखते हुए मुस्कुरा रही थी. राजू बड़ी परेशानी महसूस कर रहा था. खैर मामी ने कार एक दुकान पर रोक ली. वो एक बहुत ही बड़ी दुकान थी. दुकान में सारे सेल्सरेप्रेज़ेंटेटिव लरकियाँ थी. एक सेलेज़्गर्ल के पास पहुच कर मामी ने मुस्कुराते हुए उस से कहा इनके साइज़ का अंडरवेर दिखाइए. सेल्समन ने घूर कर उसकी ओर देखा जैसे वो अपनी आँखो से ही उसकी साइज़ का पता लगा लेगी. फिर राजू से पुचछा आप बनियान कितने साइज़ का पहनते हो. राजू ने अपना साइज़ बता दिया और उसने उसी साइज़ का अंडरवेर ला कर उसे ट्राइयल रूम में ले जा कर ट्राइ करने को कहा. ट्राइयल रूम में जब राजू ने अंडरवेर पहना तो उसे बहुत टाइट लगा. उसने बाहर आ कर नज़रे झुकाए हुए ही कहा "ये तो बहुत टाइट है". इस पर मामी हस्ने लगी और बोली "हमारा राजू बेटा नीचे से कुच्छ ज़यादा ही बड़ा है, एक साइज़ बड़ा ला दो" . उर्मिला देवी की ये बात सुन कर सेलेज़्गर्ल का चेहरा भी लाल हो गया. वो हॅडबड़ा कर पिछे भागी और एक साइज़ बड़ा अंडरवेर ला कर दे दिया और बोली पॅक करा देती हू ये फिट आ जाएगी. मामी ने पुचछा "क्यों राजू एक बार और ट्राइ करेगा या फिर पॅक करवा ले".

"नही पॅक करवा लीजिए"

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Re: गाँव का राजा

Unread post by 007 » 08 Nov 2014 12:26

"ठीक है दो अंडरवेर पॅक कर दो, और मेरे लिए कुच्छ दिखाओ". मामी के मुँह से ये बात सुन कर राजू चौंक गया. मामी क्या खरीदना चाहती है अपने लिए. यहा तो केवल पॅंटी और ब्रा मिलेगी. सेलेज़्गर्ल मुस्कुराते हुए पिछे घूमी और मामी के सामने गुलाबी, काले, सफेद, नीले रंगो के ब्रा और पॅंटीस की ढेर लगा दिए. मामी हर ब्रा को एक एक कर के उठाती जाती और फैला फैला कर देखती फिर राजू की ओर घूम कर जैसे की उस से पुच्छ रही हो बोलती "ये ठीक रहेगी क्या, मोटे कप्डे की है, सॉफ्ट नही है या फिर इसका कलर ठीक है क्या" राजू हर बात पर केवल अपना सिर हिला कर रह जाता था. उसका तो दिमाग़ घूम गया था. उर्मिला देवी पॅंटीस को उठा उठा के फैला के देखती. उनकी एलास्टिक चेक करती फिर छोड़ देती. कुच्छ देर तक ऐसे ही देखने के बाद उन्होने तीन ब्रा और तीन पॅंटीस खरीद ली. राजू को तीनो ब्रा आंड पॅंटीस काफ़ी छ्होटी लगी. मगर उसने कुच्छ नही कहा. सारा समान पॅक करवा कर कर की पिच्छली सीट पर डालने के बाद मामी ने पुचछा "अब कहा चलना है",

राजू ने कहा "घर चलिए, अब और कहा चलना है". इस पर मामी बोली "अभी घर जा कर क्या करोगे चलो थोड़ा कही घूमते है.

"ठीक है" कह कर राजू भी कार में बैठ गया. फिर उसका टी-शर्ट थोड़ा सा उँचा हो गया पर इस बार राजू को कोई फिकर नही थी. मामी ने उसकी ओर देखा और देख कर हल्के से मुस्कुरई. मामी से नज़रे मिलने पर राजू भी थोड़ा सा शरमाते हुए मुस्कुराया फिर खुद ही बोल पड़ा "वो मैं ट्राइयल रूम में जा कर अंडरवेर पहन आया था". मामी इस पर हस्ते हुए बोली "वा रे छ्होरे बड़ा होसियार निकला तू तो, मैने तो अपना ट्राइ भी नही किया और तुम पहन कर घूम भी रहे हो, अब कैसा लग रहा है"

"बहुत कंफर्टबल लग रहा है, बड़ी परेशानी होती थी"

"मुझे कहा पता था की इतना बड़ा हो गया है, नही तो कब की दिला देती"

मामी के इस दुहरे अर्थ वाली बात को स्मझ कर मुन्ना बेचारा चुपचाप मुस्कुरा कर रह गया. मामी कार ड्राइव करने लगी. घर पर मामा और बड़ी बहन काजल दोनो नही थे. मामा अपने बिज़्नेस टूर पर और काजल कॉलेज ट्रिप पर. सो दोनो मामी भांजा शाम के सात बजे तक घूमते रहे. शाम में कार पार्किंग में लगा कर दोनो माल में घूम रहे थे कि बारिश शुरू हो गई. बड़ी देर तक तेज बारिश होती रही. जब 8 बजने को आए तो दोनो ने माल से पार्किंग तक का सफ़र भाग कर तय करने की कोशिश की, और इस चक्कर में दोनो के दोनो पूरी तरह से भीग गये. जल्दी से कार का दरवाजा खोल झट से अंदर घुस गये. मामी ने अपने गीले दुपट्टे से ही अपने चेहरे और बाँहो को पोच्छा और फिर उसको पिच्छली सीट पर फेंक दिया. राजू ने भी हॅंकी से अपने चेहरे को पोछ लिया. मामी उसकी ओर देखते हुए बोली "पूरे कपड़े गीले हो गये"

"हा मैं भी गीला हो गया हू". बारिश से भीग जाने के कारण मामी की समीज़ उनके बदन से चिपक गई थी और उनकी सफेद ब्रा के स्ट्रॅप नज़र आ रहे थे. समीज़ चूकि स्लीवलेशस थी इसलिए मामी की गोरी गोरी बाँहे गजब की खूबसूरत लग रही थी. उन्होने दाहिने कलाई में एक पतला सा सोने का कड़ा पहन रखा था और दूसरे हाथ में पतले स्ट्रॅप की घड़ी बाँध रखी थी. उनकी उंगलियाँ पतली पतली थी और नाख़ून लूंबे लूंबे जिन पर पिंक कलर की सुनहरी नाइल पोलिश लगी हुई थी. स्टियरिंग को पकड़ने के कारण उनका हाथ थोड़ा उँचा हो गया था जिस के कारण उनकी चिकनी चिकनी कानखो के दर्शन भी राजू को आराम से हो रहे थे. बारिस के पानी से भीग कर मामी का बदन और भी सुनहरा हो गया था. बालो की एक लट उनके गालो पर अठखेलिया खेल रही थी. मामी के इस खूबसूरत रूप को निहार कर राजू का लंड खड़ा हो गया था.

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