एक वेश्या की कहानी compleet

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raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 20:58

मेरे पीछे एक लड़की आई जिसे मैने अभी तक तो नही देखा था यहाँ…सिर्फ़ सलवार पहने और उपर से बिल्कुल नंगी थी सिवायि उस चुन्नी के जो उसके कंधे पे झूल रही थी…उसके स्तन पूरे लटके हुए थे..लेकिन गोल-गोल थे…उसने मुझसे कहा—तुम्हे कोई बुड्ढ़ा आदमी मिला है??...कोई दलाल जो तुम्हारे पैसे यहाँ से ले जाए..

मैने ना मे सिर हिला दिया…..और उसने एक लड़की जिसका नाम सोनिया था..उसे उठा कर वहाँ से ले गयी…

तभी वो बुद्धि औरत जिसने गेट पे मेरा सामान लिया था..मूह मे सिगरेट दबाए..थोड़ा सा लंगड़ते हुए मेरे पास आई और बोली..डॉक्टर साहिब आ गये है..

चाची मुझसे बोली—चलो डॉक्टर साहिब के पास चलते है..और बाकी लड़कियाँ को भी कहा..के वो भी अपना-अपना वीक्ली चेक-अप करवा ले..

और हम दोनो डॉक्टर के पास जाने के लिए निकल पड़ते है…………… चाची मुझे सीढ़ियों से होते हुए नीचे ले गयी….जहाँ सीढ़ियों के बाजू मे एक कमरा था..कमरे के पास पहूचकर चाची ने दरवाज़ा खटखटाया…..ठक..ठक..ठक…दरवाज़ा अंदर से खुला था…तो चाची ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे भी अपने साथ अंदर ले गयी.

चाची बोली- ये नयी लड़की आई है आज.

पर्दे के पीछे से आवाज़ आई-अपने कपड़े उतारो…ये सुनते ही मुझे हल्की सी झिझक महसूस हुई…लेकिन जब चाची ने मुझसे कहा तो मुझे उतारना ही पड़ा.

मैं आगे बढ़कर अपनी फ्रॉक उतारने लगी..और चाची मुझे वहाँ अकेला छोड़कर दरवाज़ा से बाहर चली गयी…

पर्दे के पीछे से वो शक्स निकाला जिसने मुझे कपड़े उतारने के लिए कहा था..पहनावे से वो डॉक्टर ही लग रहा था…बड़ी सी धड़ी थी उसकी…शकल से शरीफ लग रहा था..

मैं अभी अपने कपड़े उतार ही रही थी…उसने पूछा – इस घर मे नयी हो या बिल्कुल ही नयी हो ?

मैने कहा- आज पहला दिन है मेरा….और मैने लगभग अपने सारे बटन्स खोल लिए थे..उस बुड्ढे से डॉक्टर को देखकर मेरा डर थोड़ा दूर हो गया था..और मैं थोड़ा खुश भी हो गयी थी…

वो बोला- तुम्हारी ख़ुसी देख कर तो लग रहा है..तुम यहाँ पार्टी करने आई हो…और वो फिर अपने काम मे व्यस्त हो गया.

फिर वो बोला- बहुत अच्छी नौकरी ढूंढी है तुमने क्यू ??

raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 20:59

मैने उसे यूही कह दिया..परिवारिक वजहों के कारण हू यहाँ मैं…मा बीमार है, पिताजी का देहांत हो चुका है इसीलिए…तब तक मैने बाकी सारे कपड़े भी उतार लिए थे..

फिर उसने अपने गले मे लगा स्तेथॉस्कोपे को मेरे पीठ मे लगाकर कहा—गहरी साँस लो.

मैने कहा- मेरा पास इसके सिवा और कोई रास्ता नही था.

तुम्हारी ये गहरी साँसे मुझे तुम्हारी वास्तविकता से पहचान करा रही है. डॉक्टर बोला.

मैने ऐसी कहानी केयी बार सुनी है…वो बोला.

मैने गंभीर होकर कहा- मैं सच कह रही हू.

फिर उसने अपने सामान मे से एक टॉर्च निकाला और मेरे मूह मे कुछ देखने लगा और बोला- तुम्हे जो कहना था तुमने कह दिया..और मुझे उस पर ज़रा भी विश्वास नही है. मुझे सब सच-सच जानना है.

वो मेरी बातों पे यकीन ही नही कर रहा था..और मेरी आँखों के चेक करते हुए मुझे सच बताने पर मजबूर कर रहा था, तब मैने भी सोचा के इसे सच बता ही दिया जाए और बोलने लगी- मैं ये सब कुछ अपने होने वाले पति के लिए कर रही हू..वो एक एलेक्ट्रीशियन है..और उन्हे थोड़े पैसो के ज़रूरत है.

वो मेरे कंधो का निरीक्षण करने लगा और मैं बोले जा रही थी- उसके बॉस ने उसको शहर मे अपनी दुकान बेच दी है उसकी के लिए पैसो की ज़रूरत है…तो हमने सोचा..

वो बोल पड़ा- तो तुमने सोचा, कि इस काम से जल्दी पैसे मिल जाएँगे…बहुत बढ़िया !!

थोड़ा चल के दिखाओ ,वो बोला.

चलते हुए मैं बोली- सिर्फ़ 15 दिनो की तो बात है. उसके बाद वो मुझे यहाँ से ले जाएगा और हम शादी कर लेंगे.

डॉक्टर बोला- किसका विचार था ये ?

मैने कहा- मेरा, मेरा मतलब राज का….मुझे अच्छा लगा तो मैने हां कह दी.

चलो ठीक है…लेट जाओ..….तो मैं लेट गयी, वहाँ पड़े स्ट्रेचर पे, वो बोला- तुम्हे पता है राज ने कैसा काम किया है ? एक दलाल के जैसा…और वो मेरे शरीर को जाँचने-परखने लगा.

मैं थोडा चिड़ गयी थी उसकी बातों से, मैं बोली- तुम उसे जानते भी नही हो तो तुम ऐसा कैसे कह सकते हो.

तो वो बोला-तुम खुद सोचा के तुम क्या करने जा रही हो. जो तुमने आज तक नही किया..कभी सपने मे भी नही सोचा होगा…तुम चाहो तो तुम अभी इसे छोड़कर जा सकती हो..कोई तुम्हे रोकेगा भी नही.

लेकिन ये मेरा फ़ैसला है-मैं बोली.

तुम एक सुंदर, खूबसूरत, जवान, स्वस्थ, तंदुरुस्त लड़की हो…क्यू अपनी जिंदगी अपने हाथो बर्बाद कर रही हो ??...ऐसा बोलते हुए वो मेरे पैरों का निरीक्षण कर रहा था.

क्रमशः............................


raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:02

एक वेश्या की कहानी--4

गतान्क से आगे.......................

उसने मुझे जाँघो से लेकर अंगूठे तक छुआ, लेकिन उसके चुअन से मुझे कोई फरक नही पड़ा.

मैने कहा- सिर्फ़ 15 दिनो की ही तो बात है.

तो, वो बोला- अरे बेवकूफ़ लड़की, तुम ये सब फिर कभी भी नही छोड़ पओगि!...और वो मेरे जाँघो को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.

मैं थोड़ा सहम गयी थी उसकी बातों से मैं बोली - तुमने मुझे डरा दिया है. अब मैं क्या करू ?

भगवान से मदद माँगो, अगर तुम उन पर विश्वास करती हो तो.

तभी मैं उठकर बोली- मैं अपना ख़याल खुद रख सकती हू! तुम्हे पता है, मुझे पैसे क्यू चाहिए ?...क्यूकी मेरे पिता ने अपना सब कुछ लूटा दिया था इन वेश्याओं पे!

और तुम यहाँ वोही सब वापस पाने आई हो ? डॉक्टर बोला.

सही कहा, कम से कम कुछ तो ले ही सकती हू. क्या इसमे भी कोई ग़लत बात है ? मैने कहा.

क्या व्यक्तित्व है तुम्हारा!........तुम्हे पता है, वो सब कॉनडम्स नही पेहेन्ते है….क्या करोगी अगर तुम प्रेगनेंट हो गयी ? उसने पूछा.

मैं अपने आपको गोली मार दूँगी, मैं बोली.

उसकी कोई ज़रूरत नही है, तुम बस इसे पहेन लेना.

उसने हाथ मे एक लॅडीस कॉंडम पकड़े रखा था…मैने इसे पहले कभी देखा तो नही था..लेकिन इसके बारे मे थोड़ा बहुत सुना ज़रूर था.

मैने तुरंत उसे पूछा- क्या ये दर्द करेगा ?

उसने मुझे स्ट्रेचर पर धक्का देते हुए लेटा दिया और कहा- नही! बस तुम्हारी योनि गीली होनी चाहिए ताकि ये आसानी से अंदर जा सके.

फिर उसने मेरी योनि के दाने को अपनी एक उंगली से मसलना शुरू किया…मैं तो बस फिर मज़े मे खोती ही जा रही थी. उसकी एक उंगली दाने पे और दूसरी उंगली योनि पे चल रही थी..मेरे मूह से सिसकारी भरी आहें निकल रही थी.

उसने बड़े ही शालीनता से पूछा- क्या तुम्हे इससे चोट पहुच रही है ?

मैने उसे आहें बरते हुए बस इतना ही कहा- बिल्कुल नही………

और उसने उंगली चलाना जारी रखा…और कहा…मुझे लगता है के तुम अब गीली होना शुरू हो चुकी हो.

मैं बोली- क्या तुम शर्त लगा सकते हो!

और उसने वो लॅडीस कॉंडम मेरी योनि मे घुसा दिया..मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

मैने उसे कहा- तुम तो मुझ पर कहर ढा रहे हो, मैं तो चाहती हू के तुम ही मेरे सबसे पहले कस्टमर बनो!

वो हस्ते हुए बोला- चलो जाओ….आगे बढ़ो और मेरी तरफ से गुड लक!

मैने अपने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गयी……… शाम के करीब 4-4.30 बज रहे होंगे के मेरे दरवाज़े पर नॉक हुई…..उस समय मैं सो रही थी……ठक…ठक….ठक… मैने उठकर दरवाज़ा खोला तो बाहर चाची थी वो मुझसे बोली- अरे अभी तक सो रही हो कुछ ही देर मे कस्टमर्स आने शुरू हो जाएँगे, ये लो तुम्हारे कपड़े..इसे पहेंक़र जल्दी से नीचे आ जाओ..और हां, अंदर कुछ भी मत पहेनना. वो फिर नीचे चली गयी.

मैने जब वो ड्रेस देखी तो पाया के वो खाली एक गाउन है जो इतना पारदर्शी के है कि इसको पहनो या ना पहनो मतलब एक ही था. मैने जल्दी से तैयार हो कर वो ड्रेस पहनी मेरा सारा जिस्म उस पारदर्शी गाउन के आर-पार दिखाई दे रहा था. मैं थोड़ा सकुचा रही थी इस ड्रेस को पहेन कर.

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