एक वेश्या की कहानी compleet

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raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:09

फिर उसने मेरी योनि का रस निकालने के लिए अपनी योनि को मेरी योनि के साथ जोड़ कर घिसने लगी, उसने अपने होठ मेरे होठों के साथ जोड़ दिए ओर मैं उस का रस पीने लगी, वो बोली मेरी ज़ुबान का रस भी पी कर देख उसने ज़ुबान बाहर निकाल दी जो मैने अपना होठों के बीच रख कर चूसा वो बहुत तेज़ तेज़ घिसे जा रही थी, मगर योनि का टकराव कुछ देर बाद टूट जाता था, जिस से मज़ा खराब हो रहा था, उसने मेरी टांगे अपनी टाँगो के बीच मैंन रख ली जिस से उसको घिसने मैंन आसानी हुई ओर मुझे भी ज़्यादा मज़ा आने लगा, ओर मेरी योनि का पानी भी निकल गया जिस से मुझे बहुत शांति मिली, मज़ा आया ना स्वीटी ने पूछा मैने कहा बहुत, तो फिर करने का मूड है, हैं मगर अब मुझे बहुत नींद आ रही है………….और थोड़ी देर मे मैं चित्त होकर नींद के आगोश मे चली गयी. सुबह जब मैं उठी तो अपने आपको बहुत ही तरो-ताज़ा महसूस कर रही थी. बीते दिन की कारण जो बढ़न टूट रहा था वो दर्द अब काफूर हो चुका था. ये एक सुहाने दिन की शुरुवत होने वाली थी.

मैं अपने बिस्तर से उठी और नहा-धोकर, अपना गाउन पहना और चाची के रूम की तरफ चल पड़ी.

मैने चाची के दरवाज़े पे नॉक किया, तो अंदर से चाची की आवाज़ आई- अंदर आ जाओ !

मैने अंदर घुसते ही चाची से कहा- गुड मॉर्निंग चाची.

चाची दर्पण मे देखकर शृंगार कर रही थी. उन्होने मे मुझे भी दर्पण मे से देखते हुए अपने गालों पे ब्रश चलते हुए कहा- गुड मॉर्निंग. क्या बात है आज तुम बहुत खिली-खिली नज़र आ रही हो ?

मेरे पास आओ मेरी जान….इस घर की शान. तुम्हे पता नही होगा मैं तुम्हे पाकर कितना धन्य हो गयी हू. तुम ने कल वो करिश्मा कर दिखाया, मेरा मतलब तुम्हारी अकेली कल की कमाई तकरीबन तीन लड़कियों की कमाई से ज़्यादा थी.

मैं बोली- मैं अपनी तरफ से अपना पूरा सौ प्रतिशत देने की कोशिश की थी चाची.

चाची उठी और मेरे पास आकर मेरे बालों को सहलाते हुए बोली- और तुमने मज़े किए !

तुम यहाँ और 15 दिन रुक सकती हो. मैं तुम्हे यहाँ और 15 दिन रखने को तैयार हू.

थॅंक यू चाची..पर…मैं बोल ही रही थी..के चाची बोल पड़ी.

क्या हमने तुम्हे कोई तकलीफ़ दी है ? क्या मैने तुम्हारे साथ कोई धोका किया है ?

नही चाची, ऐसी कोई बात नही है. मुझे तो आप पर पूरा भरोसा है.

चाची मेरी चुचियों से थोड़ा उपर हाथ फेरते हुए बोली- तुम बहुत प्यारी हो. पर तुम इस बंधन से कभी छूट नही पओगि.

क्या ? मैने उन्हे प्रशन के भाव देते हुए बोली.

ये अक्सर उन औरतो को होता है जिनकी जिंदगी मे आत्यधिक सेक्स हो. उन्हे हर वक़्त एक मर्द की ज़रूरत पड़ जाती है.

मैं चाची पर हस्ते हुए बोली- अक्च्छा. मुझे तो इसका पता ही नही था!

raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:10

फिर चाची अलमारी के पास जाकर कुछ ढूँढते हुए बोली- अफ़सोस के औरत के पास तो लंड नही होता पर वो एक नकली तो पहन ही सकती है.

उन्होने अलमारी से एक संदूक निकाला और बिस्तर पर रख दिया. उहोने उसे खोला तो उसमे एक नकली लंड रखा हुआ था.

चाची ने उसको निकालते हुए कहा- पसंद आया !

मैने इस प्रकार की चीज़ पहली दफ़ा देखी थी. मैने चोन्क्ते हुए चाची से पूछा- क्या है ये ?

चाची बोली- इसे डिल्डो कहते है. ये मुझे मेरे एक विदेशी कस्टमर ने दिया था.

और उन्होने उसे अपनी चढ़ड़ी के तरह टांगे फैलाकर उसे पहन लिया. पहनने के बाद तो ऐसा लग रहा था के चाची के पास सचमुच का 7.5 इन का मोटा-तगड़ा लंड हो. मैं तो बस उसे घूरे ही जा रही थी. उसकी बनावट तो ऐसी थी के उसके सामने तो असली लंड भी नकली लगे.

चाची मेरे पास आई और बोली- छू इसे….

मैं थोड़ा घबराकर पीछे हटी. तो वो फिर बोली- छू इसे !

मैने तोड़ा डरते हुए उसे हाथ मे ले लिया. चाची बोली- मजबूती से पकड़. और अपना हाथ मेरे हाथों पे मजबूती से जाकड़ लिया और कहा- महसूस करो इसे…कितना कड़क है ये !

और मेरी तरफ धकेल्ति हुए, अब वो मेरी जाँघो से होता हुआ मेरी योनि को छू रहा था. और चाची बोल रही थी- पसंद आया, रांड़ ?

मैने चाची से विनम्रता से कहा- आप मुझसे इस तरह से क्यू पेश आ रही है ?

वो बोली- क्यू तुम एक वेश्या हो ! जो कि चुदना चाहती है अपनी मालकिन से, जैसा वो कहे.

उन्होने मुझे बिस्तर पर धकेलते हुए कहा- लेट जाओ ! और अपनी टांगे खोलो नही तो मैं तुम्हे यहाँ से हमेशा के लिए भगा दूँगी.

मैने अपना गाउन उपर उठाते हुए उनसे कहा- जैसे आप कहे मालकिन. और उन्हे अपनी योनि का छेद दिखाने लगी.

उन्होने उसे मेरी योनि में डाल दिया. मुझे बहुत दर्द हो रहा था क्यूकी वो डिल्डो 7.5” इंच का था.

मैं चिल्लाने लग गयी पर चाची मुझ पर तरस नही खा रही थी. उसने मेरी चुदाई जारी रखी. बाद में मेरा दर्द कम हुवा और में अपनी गान्ड उठाकर चुदवाने लग गयी.

फिर उसने डिल्डो मेरे मूह में डाल दिया और मेरे मूह में डिल्डो को अंदर बाहर करने लग गयी.

और वो फिर मेरी योनि मे डिल्डो डाल दी वो भी बहुत तेज चिल्लाई - बहुत दर्द हो रहा है चाची पर वो मेरी कहाँ सुनने वाली थी. मेरी चुदाई जमकर हो रही थी फिर वो डिल्डो निकाली और उस डिल्डो को मैं चाटने लग गयी……मेरा पानी छूट चुका था और मैं वही लेट गयी थी………………. शाम को मैं फिर उसी के साथ लेटी थी, जिसके साथ मैने अपना यहाँ का सफ़र शुरू किया था, जो मेरा पहला कस्टमर था. वो आज मेरे साथ फिर उसी बिस्तर पर था.

raj..
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Re: एक वेश्या की कहानी

Unread post by raj.. » 08 Nov 2014 21:11

मैने अंडरवेर मे हाथ डालके उसके लंड को पकड़ लिया. और उसकी अंडरवेर निकाल के फेक दी. उसने भी मेरा गाउन निकाल दिया. मैं पूरी नंगी थी और उसका लंड हाथ मे लेके हिला रही थी और वो मेरे स्तनो को मूह से चाट रहा था. मेरे मूह से आह….. आह……. आह ऐसी आवाज़ निकल रही थी. मेरी योनि एकदम सॉफ-सुथरी थी, जैसे ही उसने देखा योनि बिना बालों के है, मूह डालके उसे चाटने लगा. मेरे मूह से अजीब अजीब आवाज़े निकल रही थी. 10 मिनट चाटने के बाद मेरा पानी छूटा और उसने पूरा पानी पी लिया .

मैं बोल रही थी चूसो और चूसो मेरी योनि की प्यास बुझाओ प्ल्स. फिर उसने मुझे बेड पे सुलाया और मेरी टाँगो मे बैठ गया और मेरे पैरो को फैलाया. मैं बोल रही थी अंडर डालो, जल्दी डालो. फिर उसने योनि के अंदर लंड को डाला उसका पूरा लंड मेरे अंदर गया जैसे ही उसका लंड अंदर गया मैने उसे कस्के पकड़ लिया और बोलती जा रही थी और ज़ोर्से करो , और ज़ोर्से करो. वो धक्के पे धक्के देता जा रहा था और मैं चिल्ला रही थी. 20 मिनट बाद, हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे थे, वो अपना काम ख़तम करके मेरी योनि पर हाथ फेर रहा था, मेरा सारे अंग को छू रहा था….

मैं:- मुझे खुशी हुई के तुम फिर से आए. यहाँ तक कि एक तुम ही हो जिसके साथ मैं पहली बार भी झड़ी थी यहाँ और आज भी झड़ी हू.

वो बोला :- ये तो तुम्हारा ही जलवा है, जो मुझे यहाँ खीच लाता है. हमारे बीच एक केमिस्ट्री बन गयी है, जैसे हम एक-दूजे के लिए बने हो.

मैं बोली :- मैं तो तुम्हे जानती तक नही हू. तुम कौन हो ? क्या करते हो ?

वो बोला :- मेरा नाम अमित है. मैं यही के मरीने स्कूल मे हू.

मैं बोली :- तुम वहाँ क्या करते हो ?

वो बोला :- मैं अभी वहाँ ऑफीसर’स ट्रैनिंग के लिए आया हू.

मैं बोली :- एक सेलर जैसे फिल्मों मे होता है.

वो बोला :- तुम उन सब ढोंगियों से कैसे संभोग कर लेती हो ?

मैं बोली :- हर किसी को चमक-धमक पसंद है..और जिनको ये पसंद नही , वो किसी और को उठा लेते है.

वो बोला :- जैसे मैने तुम्हे पसंद कर लिया…..तुम मुझे अपनी वो नखरे नही दिखाती हो जो तुम अपने दूसरे कस्टमर्स को दिखाती हो…इसका मतलब तुम भी मुझे पसंद करती हो.

मैं बोली :- कहा जाए तो हां………थोड़ा बहुत…

वो बोला :- चलो फिर कही बाहर चले.

मैं बोली :- क्यू नही ? वैसे भी कल मेरी छुट्टी है.

वो बोला:- बढ़िया…हम दोनो कल एक शानदार डिन्नर करेंगे एक साथ.

मैं बोली :- नही, कल मैं राज के साथ खाने वाली हू.

वो बोला :- अच्छा, तुम्हारा मंगेतर.

मैं बोली:- हां, मैं उसे सर्प्राइज़ दूँगी.

वो बोला :- इसका मतलब, तुम्हे दो-दो आदमी चाहिए ?

मैं बोली :- मैं एक वेश्या हू, मैं ना कैसे कह सकती हू.

और मैं खिल-खिलाकर हंस पड़ी….जिससे अमित थोड़ा चिड गया और उसने मेरी गान्ड पे एक ज़ोर का तमाचा मारा और मैं हँसे जा रही थी उसकी शकल देख के…..हा..हा…हा…. रॅज़बेरी केफे हाँ यही तो वो नाम था जिसमे वो मुझे लेकर गया था. वो उस केफे की साइड वाली टेबल से मुझे देख रहा था और मैं उसे ये बोल के आई थी के मैं राज को फोन लगाके आती हू टेलिफोन बूथ से.

क्रमशः............................

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